कई साल पहले लिखी एक रचना**********
हरियाणा तरक्की करग्या रै
दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||
सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै||
1
जीरी गिन्हूं कपास अर इंख की खेती बढती जावै सै
देश के सुब्याँ मैं नंबर वन यो हरयाणा का आवै सै
सड़क पहोंचगी सारै गाम गाम बिजली लसकावै सै
छैल गाभरू छोरा इसका लड़न फ़ौज के म्हें जावै सै
खेतां के म्हें नया खाद बीज ट्रेक्टर घराटा ठावै सै
फरीदाबाद सोनीपत हिसार पिंजौर मील सिटी लावै सै
सारे भारत मैं भाइयो इंका सूरज शिखर मैं चढ़ग्या रै ||
सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै||
2
ये बात तो भाई हर रोज बता बता दिल डाटे जाँ रै
जो भी हुआ फायदा बेईमान आपस मैं बांटें जाँ रै
भका भका जातां के चौधरी नाड़ म्हारी काँटें जाँ रै
अपनी काली करतूतां नै जात के तल्ले ढान्पें जाँ रै
बोलै जो उनके खिलाफ वे झूठे केसां मैं फांसे जाँ रै
कुछ परवाने भाइयो फिर भी इनके करतब नापें जाँ रै
बिन धरती अर दो किल्ले आला ज्यान तैं मरग्या रै ||
सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै||
3
खम्बे मीटर गाम गाम मैं बिजली के इब तार गए
ओवर सीयर एस सी सब कर बंगले अपने त्यार गए
चार पहर भी ना बिजली आवै बाट देख देख हार गए
बिना जलाएं बिजली के बिल कर कसूती मार गए
ट्यूबवेल कोन्या चालै ट्रानस्फोर्मार के जल तार गए
पैसे आल्यां के ट्यूबवेल थ्रेशर चल धुआं धार गए
गरीबां की गालाँ मै दूना कीचड देखो आज भरग्या रै ||
सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै||
4
गाम गाम मैं सड़क बनाई फायदा कौन उठावैं सें
बस आवै जावै कदे कदे लोग बाट मैं मुंह बावैं सें
पैसे आल्यां के छोरट ले मोटर साईकिल धूल उड़ावें सें
टरैक्टर ट्राली सवारी ढोवें मुंह मांगे किराये ठहरावै सें
सड़क टूटरी जागां जागां साईकिल मैं पंकचर हो ज्यावें सें
रोड़ी फ़ोडै पां गरीबां के जो मजबूरी मैं पैदल जावैं सें
बस नै रोकें कोन्या रोकें तो भाडा गोज नै कसग्या रै ||
सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै||
5
बिन खेती आल्यां का गाम मैं मुश्किल रहना होग्या
मजदूरी उप्पर चुपचाप दबंगा का जुल्म सहना होग्या
चार छः महीने खाली बैठ पेट की गेल्याँ फहना होग्या
चीजां के रेट तो बढ़गे प़र पुराने प़र बहना होग्या
फालतू मतना मांगो नफे दबंग का नयों कहना होग्या
गाम छोड़ शहर पडे आना घर एक तरियां ढहना होग्या
भरे नाज के कोठे फेर भी पेट कमर कै मिलग्या रै ||
सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै||
6
खेती करणिया मैं भी लोगो जात कारगर वार करै
एक जागां बिठावै गरीब अमीर नै ना कोए विचार करै
किसान चार ठोड बँट लिया कैसे नैया इब पार तिरै
ट्रैक्टर आले बिना ट्रैक्टर आल्यां की या लार फिरै
इनकी हालत किसी होगी बिलखता यो परिवार फिरै
बिना धरती आल्यां का आज नहीं कोए भी एतबार करै
जात मैं जमात पैदा होगी बेईमान नै खतरा बधग्या रै ||
सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै||
7
घन्याँ की धरती लाल स्याही मैं बैंक के महां चढ्गी थी
दो लाख मैं बेचे किल्ला चेहरे की लाली सारी झडगी थी
चूस चूस कै खून गरीब का अमीर के मुंह लाली बढगी थी
कर्जे माफ़ होगे एकब़र तो फेर कीमत धरती की बधगी थी
आगे कैसे काम चलैगा रै एक ब़रतो इसतैं सधगी थी
आगली पीढ़ी के करैगी म्हारी तै क्यूकरै ए धिकगी थी
हँसना गाना भूल गए जिन्दा रहवन का सांसा पड़ग्या रै||
सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै||
8
शहरों का के जिकरा करूँ मानस आप्पा भूल रहया यो
आप्पा धापी माच रही आज पैसे के संग झूल रहया यो
याद बस आज रिश्वत खोरी जमा नशे मैं टूहल रहया यो
इन्सान तै हैवान बनग्या मिलावट में हो मशगूल रहया यो
चोरी जारी ठगी बदमाशी के सीख रणबीर उसूल रहया यो
इसी तरक्की कै लगे गोली पसीना बह फिजूल रहया यो
फेरभी रुके मारे तरक्की के कलम लिखना बंद करग्या रै।
सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै||
प्रस्तुतकर्ता ranbir dahiya
No comments:
Post a Comment