Wednesday, 8 February 2023

दसमीं ताहिं का स्कूल आगै क्युकर करूं पढ़ाई मैं।।*

 2086-87 के वक्त लिखी रागनी 


*दसमीं ताहिं का स्कूल आगै क्युकर करूं पढ़ाई मैं।।*

*माँ तै चाहवै मनै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।*

1

माँ बोली आज जमाने मैं बिना पढ़ाई कोये बूझै ना

शहर मैं क्युकर खंदाऊँ बाबू कहै मनै राही सूझै ना

*बोल्या हाथ पीले करने होंगे सुनकै घणी घबराई मैं।।*

माँ तै चाहवै मनै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।

2

बाबू बोल्या बुरा जमाना शहर ठीक नहीं सै जाणा 

ऊंच नीच कोये होज्यागी तै यो होज्या मोटा उल्हाणा

*क्युकर मनाऊं मेरे बाबू नै हे इस चिंता नै खाई मैं।।*

माँ तै चाहवै मनै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।

3

माँ बोली माहौल गाम का शहर तैं आज न्यारा कोण्या

डर कै घर मैं दुबके तो होवै कति आज गुजारा कोण्या

*मैं बोली मत ठाओ पढ़ण तैं मरज्यांगी बिन आई मैं।।*

माँ तै चाहवै मनै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।

4

पांच सात दिन पाछै बाबू नै मुँह अपना खोल्या 

डर लागै बेटी मनै रणबीर आंख्या पानी ल्या बोल्या

*साच्ची बूझै तो ईब करना चाहूं बेटी तेरी सगाई मैं।।*

माँ तै चाहवै मनै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।

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