ranbir dahiya - 4 October , 2009
HAMARI BALA SE
हमने तरक्की की है
किस कीमत पर हमारी
बला से
ऊंची ऊंची इमारतें
पाश इलाकों में
जहां पांच दस करोड़
लोग रहते हैं
एयर कंडीशंड घर हैं
गाडी भी एयर कंडीशंड
बाजार भी कंडीशंड
हो गये
हमारी क्या खता हम
भी कंडीशंड
हो गये
फिर चाहे गरीबी बढ़ती
है तो बढ़े
नब्बे करोड़ के मकान
बरसात में टपकते रहें
हमारी बला से
कारपोरेट सैक्टर फ़ल
फूल रहा है
अभी और भी फूलेगा
फिर चाहे बेरोज गारी
बढ़ती है तो बढे
सल्फास की गोली किसान
खा कर मरता है तो मरे
हमारी बला से |
हमारा आई टी उद्योग
आसमान की ऊंचाईयां
छू रहा है क्या दिखाई
नहीं देता
बदेश में बच्च घूमने
जा रहे हैं
अच्छी खासी तनखा पा
रहे हैं
फिर चाहे बहुत से लोग
भूख से मरते हैं
तो मरें, हमारी बला
से |
हमारा अपना बिजनेश
है
कई माल हैं हमारे
पै सा करोड़ों से अरबों
में हो गया
हमारे पास फोरन एक्सचेंज
है
फिर चाहे छोटी छोटी
किरयाना की दुकानें
बन्द होती हैं तो हमारी
बला से
बहुत आधुनिक हैं हम
सभ्यता की सब सीमाएं
लांघ गए हैं हम
हमारे शरीरों पर कपड़े
कम से कम तर होरे जा
रहे हैं
फिर चाहे कोई बिना
कपड़े नंगा
घूम रहा है तो हमारी
बला से |
एटम बम्ब है हमारे
पास
मिसाइल है दूर मार
की
अच्छी खासी फौज है
हमारे पास
फिर चाहे सामाजिक असुरक्षा
बढ़ती है तो
हमारी बला से |
पांच सितारा अस्पताल
हैं
महान भारत देश में
मैड़ीकल टूरिज्म फल
फूल रहा है
फिर चाहे लोग बिना
ईलाज के मरते हैं
तो मरें
प्लेग फैलता है तो
फैले
एड़ज दनदनाता है तो
दनदनाए
वेश्यावर्ति बढ़ती है
तो बढ़े
हमारी बला से |
आर्थिक स्तर पर गोवा
के बाद है
हरियाणा
“सेज” बिछाई जा रही हैं तेजी
से
फिर चाहे लिंग अनुपात
में
सबसे नीचे है तो क्या?
हमारी बला से |
कुछ हथियार और हों
कुछ
पैसा और हो
गोरक्षा हमारा धर्म
है
फिर चाहे दलितों के
घर
जलाए जाते हैं तो क्या!
मनुष्य मरते हैं तो
मरते रहें
हमारी बला से |
हम २०२० तक दुनिया
की
“महाशकित
बन सकते हैं
विकास की कीमत तो अदा
करनी
ही पड़ेगी
आइड़ियोलोजीका जमाना
गया
क्वालिटी जीवन का जमाना
आया है
हमने तरक्की की है
किस कीमत पर
हमारी बला से |
“रणबीर”