Sunday, 6 August 2017

आत्म हत्या इलाज नहीं

आत्म हत्या इलाज नहीं हँसता हमपै यो लुटेरा 
मर्ज समझल्याँ एक बै तो दूर नहीं यो सबेरा 
1
ट्रेक्टर की बाही मारै ट्यूबवैल का रेट सतावै
थ्रेशर की कढ़ाई मारै भा फसल का ना थ्यावै 
फल सब्जी ढूध सीत सब ढोलां मैं घल ज्यावै 
माटी गेल्याँ माटी होकै बी सुख का साँस ना आवै 
बैंक मैं सारी धरती जाली दीख्या चारों कूट अँधेरा
2
निहाले पै रमलू तीन रूपया सैकड़े पै ल्यावै
वो साँझ नै रमलू धोरे दारू पीवन नै आवै
निहाला कर्ज की दाब मैं बदफेली करना चाहवै
विरोध करया तो रोज पीस्याँ की दाब लगावै
बैंक अल्यां की जीप का बी रोजाना लग्या फेरा
3
बेटा बिन ब्याह हाँडै सै घर मैं बैठी बेटी कंवारी
रमली रमलू नयों बतलाये मुशीबत कट्ठी होगी सारी 
खाद बीज नकली मिलते होगी ख़त्म सब्सिडी म्हारी
माँ टी बी की बीमार होगी बाबू कै दमे की बीमारी
रौशनी कितै दीखती कोन्या घर मैं टोटे का डेरा
4
माँ अर बाबू म्हारे नै यो जहर धुर की नींद सवाग्या
माहरे घर का जो हाल हुआ वो सबके साहमी आग्या 
जहर क्यूं खाया उनने यो सवाल कचौट कै खाग्या 
म्हारी कष्ट कमाई उप्पर कोए दूजा दा क्यों लाग्या
कर्जा बढ़ता गया म्हारा मरग्या रणबीर सिंह कमेरा 

कला का पहला क्षण

कला का पहला क्षण
कई बार आप 
अपनी शरीर के दर्द में 
अकेले छूट जाते हैं 
और कलम के बजाय 
तकिये के निचे या मेज की दराज में 
दर्द की कोई गोली ढूँढते हैं 
बेशक जो दर्द सिर्फ आपका नहीं है 
लेकिन आप उसे गुजर न जाने दें 
यह भी हमेशा मुमकिन नहीं 
कई बार एक उत्कट शब्द 
जो कविता के लिए नहीं 
किसी से कहने के लिए होता है 
आपके तालू से चिपका होता है 
और  कोई नहीं होता आस पास 
कई बार शब्द नहीं 
कोई चेहरा याद आता है 
या कोई पुराणी शाम 
और आप कुछ देर 
कहीं और चले जाते हैं रहने के लिए 

शहीद ऊधम सिंह के बहाने


इस सदी  के दूसरे दशक का एक और साल समापन की ओर जा रहा है । इस सदी के तमाम सालों की तरह इस साल भी पूरी दुनिया की बहुसंख्यक मेहनतकश आबादी की जि़न्दगी पर छाया सरमायेदारी  का कुहरा छँटने की बजाय और गहरा होता गया। जैसा कि अन्देशा था, इस साल फ़ासीवाद के रूझान  हमारे देश में अपने पैर अभूतपूर्व रूप से पसारते  हुए दिखाई दिए । ढाई साल पहले जनता को लोक-लुभावने वायदों के छलावे में फँसाकर सत्ता में पहुँची वर्तमान सरकार ने उन वायदों को पूरा करने में अपने फिसड्डीपन को छिपाने के लिए साल की शुरुआत से ही संघ परिवार की वाहिनियों की  मदद से पूरे देश में सुनियोजित ढंग से अन्धराष्ट्रवादी उन्माद फैलाया। साथ ही संघ परिवार का  गिरोह इस साल साम्प्रदाय‍िक व जातिगत विद्वेष को बढ़ावा देने की अपनी पुरानी रणनीति को नयी ऊँचाइयों पर ले गया। जब ये कुत्सित रणनीतियाँ भी सरकार के निकम्मेपन को छिपाने में कारगर नहीं साबित हुईं तो साल के अन्त में काले धन पर सर्जिकल स्ट्राइक करने के नाम पर मेहनतकश जन-जीवन पर ही सर्जिकल स्ट्राइक कर डाली जिससे आम लोग अभी तक त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। तीस दिसंबर के बाद भी हालात सुधरेंगे यह कहना मुश्किल लगता है । 

भारत ही नहीं दुनिया के विभिन्न हिस्सों में धुर-दक्षिणपन्थी व फ़ासिस्ट रुझान वाली ताक़तों ने अपना वीभत्स सिर उठाया और 2007 से जारी विश्व व्यापी मन्दी से निजात न मिलता देख पश्चिम के विकसित मुल्कों में नस्लवाद, रंगभेद, प्रवासी-विरोधी प्रवृत्तियाँ अपने चरम पर दिखीं। साल के अन्त तक आते-आते विश्व पूँजीवाद के सिरमौर अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में ट्रम्प जैसे फ़ासिस्ट और लम्पट धनपशु की जीत के बाद अब इस बात में शक की कोई गुंजाइश नहीं बची है कि पूँजीवाद ने आज मनुष्य‍ता को उस अन्धी गली में पहुँचा दिया है जहाँ वह उन्माद, नफ़रत कि़स्म-कि़स्म के प्रतिक्रियावादी विचारों और मूल्यों के अत‍िरिक्त और कुछ भी देने में नितान्त अक्षम है।


म्हारा हरयाणा

म्हारा हरयाणा दो तरियां आज दुनिया के महँ छाया
आर्थिक उन्नति करी कम लिंग अनुपात नै खाया (टेक)

छाँट कै मारें पेट मैं लडकी समाज के नर नारी
समाज अपनी कातिल की माँ कै लावै जिम्मेदारी
जनता हुइ सै हत्यारी पुत्र लालसा नै राज जमाया।।

औरत औरत की दुश्मन यो जुमला कसूता चालै
आदमी आदमी का दुश्मन ना यो रोजै ए घर घालै
समाज की बुन्तर सालै यो हरयाणा बदनाम कराया।।

वंश का पुराणी परम्परा पुत्र नै चिराग बतावें देखो
छोरा जरूरी होना चाहिए छोरियां नै मरवावें देखो
जुलम रोजाना बढ़ते जावें देखो सुन कै कांपै सै काया।।

अफरा तफरी माच रही महिला कितै महफूज नहीं
जो पेट मार तैं बचगी उनकी समाज मैं बूझ नहीं
आती हमनै सूझ नहीं, रणबीर सिंह घणा घबराया।।

हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति हरियाणा



हवाई अड्डे का नाम शहीद भगत सिंह ही हो

चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नामाकरण शहीद-ए-आजम भगत सिंह के नाम की जगह जन संघ नेता डा. मंगल सेन के नाम पर रखे जाने की हरियाणा सरकार की सिफारिश का  हरियाणा ज्ञान विज्ञानं समिति  कड़ा विरोध जताती  है। उल्लेखनीय है कि गत 3 दिसम्बर को लोकसभा में संसद सदस्य श्रीरवनीत सिंह के एक प्रश्न के उत्तर में नागरिक उद्यन राज्य मंत्री डा. महेश शर्मा ने बताया कि ‘‘पंजाब सरकार ने मोहाली स्थित इंटरनेशन एयरपोर्ट का नाम शहीदे-ए-आजम भगत सिंह के नाम पर किए जाने का प्रस्ताव भेजा था। 2010 में हरियाणा के मुख्यमंत्री ने भी यही आग्रह किया था। परंतु बाद में मुख्यमंत्री ने एक पत्र द्वारा एयरपोर्ट का नाम डा. मंगलसेन के नाम पर रखे जाने का अनुरोध किया। सम्बन्धित मंत्रालयों से परामर्श किया गया परंतु सर्वानुमति के अभाव में नाम नहीं रखा जा सका है।
हरियाणा में भाजपा की  सरकार अपने नीहित ओच्छे स्वार्थों की पूर्ति के लिए हमारे आजादी के बड़े योद्धा का अपमान कर रही है। दिवंगत डा. मंगल सैन आर.एस.एस. और जनसंघ के नेता रहे है परंतु वे अपने राजनीतिक जीवन में अनेक ऐसे क्रियाकलापों के कारण विवादास्पद रहे थे। सच्चाई यह है कि भाजपा व जनसंघ के नेता आजादी के आंदोलन में पूरी तरह से गायब थे इसलिए अब भाजपा सत्ता के दुरूपयोग द्वारा नकली नायक निर्मित करने के काम में लगी हुई है।
 समिति  प्रदेश भाजपा सरकार द्वारा हमारे आजादी के महान योद्धा शहीद भगत सिंह की विरासत के साथ किसी प्रकार के अपमानजनक फैसलों का पुरजोर विरोध करेगी। समिति  जनता से अपील करती  है कि भाजपा सरकार के इस घिनौने हथकंडे को विफल करने के लिए संगठित आवाज उठायी  जाये ।