डॉक्टर बनूं पढ़ लिख कै यो मन का सपना मेरा।
मरीजां का इलाज करूंगी हो घर का दूर अन्धेरा।।
1. मां बाबू अनपढ़ म्हारे घणे लाड प्यार तैं पढ़ाई
खेती मैं नहीं पूरा पाटै उल्टी सीधी ना कोए कमाई
धरती गहणे धरकै पढ़े दो बाहण एक भाई
मेहनत कर आगै बढ़िये मेरे तैं सीख सिखाई
दो भैंस बांध दूध बेचैं करजे का बढ़ता आवै घेरा।।
2. भाई नै एम ए करकै बी नहीं कितै नौकरी थ्याई
गाम मैं किरयाणे की फेर उसकी दुकान खुलाई
बड्डी बाहण बीएड कर बैठी घर मैं बिन ब्याही
मेरा पी एम टी टैस्ट मैं सत्तरहीं पोजीसन आई
काउंसलिंग खातर गई उड़ै दिया दिखाई झेरा।।
3. ठारा हजार म्हिने की पहले साल की फीस बताई
पसीना आया गात मैं धरती घूमती नजर आई
आंख्यां मैं आंसूं आगे फेर मां की तरफ लखाई
हाल क्यूकर ब्यां करूं मैं ना कलम मैं ताकत पाई
अपने दलाल बिठारया सै दीख उडै़ वर्ग लुटेरा।।
4. फीस देण की आसंग कोण्या मन मारकै आगी फेर
गाम मैं यकीन करैं ना बोले माच्या किसा अन्धेर
इस
सरकार मैं बैठे जितने ना कटावैं गरीबां की मेर
रणबीर न्यों बूझै ये बालक क्यूकर पढ़ावै कमेरा।।