Wednesday, 24 May 2023

साथ देउन्गी बालक का अपनी जान  की बाजी लाकै

 

साथ देउन्गी बालक का अपनी जान  की बाजी लाकै

यो कुनबा पाछे लागरया कहवै  जाँच करवाले जाकै  

पहले गर्भ ऊपर या घनी कसूती नजर जमाई

कहते छोरा चाहिए चाहे करवानी पडे सफाई

घरक्याँ नै घनी धमकई लगा पाता जाँच कराकै

देवर  जेठ मेरे नयों कहते हमनै बेटा चाहिए 

जाँच कराले छोरी हो तै तुरत सफाई कराईये 

सीधी तरा  मान जाईये  के काढेगी सर फुडवाकै

एक तरफ तो गर्भ पी यो परिवार प्यार दिखावै

दूजी तरफ जाँच कराके   बस छोरा पाया चाहवै

हरेक मने समझावै बात मान ले सर झुकाकै

दोगले समाज का चेहरा आछी ढाला साहमी आया  

जमा नहीं जाँच करवाऊं मने बी मन समझाया

रणबीर साथ मैं पाया जब देख्या नजर उठाकै

महिला गेल्यां छेड़छाड़ की घटना बढ़ती जावैं देखो


छेड़छाड़ 

महिला गेल्यां छेड़छाड़ की घटना बढ़ती जावैं देखो

कई घटना इसी घटज्यां बट्टा प्रदेश कै लावैं देखो।

        1

सूमो कतोपुरी रेवाड़ी मैं छात्रावां नै नाम कटाये 

दुखी स्कूल की छेड़छाड़ तै पचास नै ये कदम ठाये

रेवाड़ी जिला तो फौजियां का उड़ै छोरी दुःख ठावैं दखे।

         2

जींद जिले का गाम धरौंदी एक छोरी थी घणी सताई 

उसके बाबू नै दुखी होकै नै एक दिन थी फांसी खाई

छेड़छाड़ तै परेशान छोरी जहर आज खावैं दखे।

            3

रोहतक मैं दस साल की पहलवान गेल्याँ बुरी करी

वीडियो बनाकै नै उसकी उसकै सहमी लयान धरी

दस सालां मैं ये घटना पांच गुणा बढ़ी बतावैं दखे।

             4

यो मामला गम्भीर घणा इसपै सोचां बैठकै सारे रै

सारे समाज की चिंता सै समाधान खोजां बैठकै सारे रै

कहै रणबीर मिलकै नै कोय राह घाट पावैं दखे ।

जिला रोहतक गाम हसनगढ़ घणी


जिला रोहतक गाम हसनगढ़ घणी

तबाही होगी रै।।

पुलिस बदमाशां की यारी बीज बिघण के बोगी रै।।

1

बचावण लागरया जुल्मी नै राजतंत्र  जमा उघाड़ा होग्या

मज़दूरां की बेटियां गेल्यां भाइयो कसूत पवाडा होग्या

चौड़े के म्हं लाठातंत्र का देखो हिम्माती  राज लुंगाड़ा होग्या

मानवता खड़ी पुकारै हमनै कहै किसा यो कबाड़ा होग्या

ठाडा मारै रोवण दे नहीं क्यों पड़कै नै जनता सोगी रै।।

2

बीरां गेल्याँ हसनगढ़ मैं हुया दिन धौली बलात्कार सै

मंत्री उनका हिम्माती होग्या आंधा यो राज दरबार सै

लोगां नै बी आंख मीच ली ना सुणती उनकी हाहाकार सै

म्हारी माँ बेटी नहीं बचै आड़ै पहोंचग्या अत्याचार सै

दड़ मारें पड़े भाई क्यों गलत सही की ताकत खोगी रै।।

3

एक द्रोपदी चीर हरण पै महाभारत की जंग हुई आड़ै

हजारां द्रोपदी लूटी जावैं या पुलिस भी बेरंग हुई आड़ै

हसनगढ़ गाम की आज महिला जमाने मैं तंग हुई आड़ै

अमीराँ की करतूत देखकै या जनता हुई ढंग आड़ै

गलत सही की लड़ाई नै या जात पात जमा ल्हकोगी रै।।

4

म्हारे घर भी उजडै़ंगे हम देखैं फेर लाचार खड़े रै

कोये ना छुडावण आवै जै लूँगाड़े घरां आण बड़े रै

ना हसनगढ़ माफ करैगा हम नहीं जै आज लड़े रै

क्यों आत्मा म्हारी मरली हम घर मैं दुबके पड़े रै

पढ़ पढ़ अखबारां मैं आत्मा रणबीर की भी रोगी रै।।

KISSA FAUJI MEHAR SINGH - GAYAK PALE RAM किस्सा कवी फौजी मेहर सिंह : गाय...

नर्सिज पर एक रागनी

 

पांच छह नर्सें मिलकर एक समूह गान गाती हैं।


तर्ज– झूठी शरम की चादर फैंको


टेक– बिना संगठन इब नहीं गुजारा हो जाओं तैयार सखी।।


शोषण क्यों होता है म्हारा करना सही विचार सखी।।


मरीजों का आज नहीं होता सही सही इलाज यहाँ


मरीज चिल्लाते रहते हैं ना सुणता कोए आवाज यहाँ


उदारीकरण के  मन्दिर में इब बलि चढ़ा परिवार सखी।।


स्वास्थय की गलत नीति सैं समझणा बहुत जरूरी हे


बजट घट्या क्यूं आज हमारा के  उनकी मजबूरी हे


बिकती सेहत दिखावैं सबको आज बीच बाजार सखी।।


महिलाओं का हरियाणे में क्यूं होता सही सम्मान नहीं


नर्सों की गिरती हालत पै किसे का भी ध्यान नहीं


सुन्दर समाज का लेवैफ सपना सम्भालों पतवार सखी।।


तेहरा शोषण खतम करै जो इसा समाज बणाणा हे


सही जगां मिलै मानवता को इसा संघर्ष चलाणा हे


हो सै शोषण खतम करण का संगठन ही हथियार सखी।।

आज हम देखें औरत की सही तस्वीर सखी


आज हम देखें औरत की जो सही तस्वीर सखी।। 

दिया समाज ने जो हमें उसको कहती तकदीर सखी।। 

घर में खटना पड़ता मर्दों की नजर में मोल नहीं औरत भी समझे इसे किस्मत लगा सकी तोल नहीं 

करती हम मखौल नहीं हमारी हालत है गंभीर सखी।।

घर खेत में काम करें जुताई और बुवाई करती बहना 

चारा पानी झोटा बुग्गी दिन और रात मरती बहना 

बैठी आहें भरती बहना समझें किस्मत की लकीर सखी।।

कैसा सलूक करते हमसे मालिक बंधवा का व्यवहार यहां 

खाना दोयम कपड़ा दोयम मिले सारा दोयम संसार यहां 

करोड़ों महिला बीमार यहां इलाज की नहीं तदबीर सखी।।

अहम फैंसले बिना हमारे मरद बैठ कर क्यों करते देखो 

जुल्म ढाते भारी हम पर नहीं किसी से डरते देखो 

हम नहीं विचार करते देखो तोडे़ं कैसे यह जंजीर सखी ।।

खुद चुपचाप सहती जाती मानें कुदरत का खेल इसको 

सदियों से सहती आई समझें राम का मेल इसको 

क्यों रही हो झेल ईसको मसला बहोत गम्भीर सखी।।

सदियों से होता ही आया पर किया मुकाबला है हमने 

सिर धड़की बाजी लगा नया रास्ता अब चुना है हमने 

जो सपना बुना है हमने होगा पूरा लिखे रणबीर सखी।।