Sunday, 30 September 2018

लाहौर, 22 जुलाई, 1918

लाहौर, 22 जुलाई, 1918
पूज्य बाबाजी,
नमस्ते।
अर्ज़ यह है कि आपका ख़त मिला। पढ़कर दिल ख़ुश हुआ। इम्तिहान की बाबत यह है कि मैंने पहले इस वास्ते नहीं लिखा था क्योंकि हमें बताया नहीं गया था। अब हमें अंग्रेज़ी और संस्कृत का नतीजा बताया गया है। उनमें मैं पास हूँ। संस्कृत में मेरे 150 नम्बरों में 110 नम्बर हैं। अंग्रेज़ी में 150 में से 68 नम्बर हैं। जो 150 में से 50 नम्बर ले जाये वह पास होता है। 68 नम्बरों को लेकर मैं अच्छी तरह पास हो गया हूँ। किसी क़िस्म की चिन्ता न करना। बाक़ी नहीं बताया गया। छुट्टियाँ, 8 अगस्त को पहली छुट्टी होगी। आप कब आयेंगे, लिखना।
आपका ताबेदार
भगतसिह

करजा


करजा
करजे नै कड़ तोड़ी म्हारी दिया पूरे घर कै घेरा।
एक औड़ गहरा कुआं दीखै यो दूजे औड़ नै झेरा।।
1. ट्रैक्टर की बाही मारै ट्यूबवैल का रेट सतावै
थ्रेसर की कढ़ाई मारै भा फसल का ना थ्यावै
फल सब्जी दूध सीत सब डोलां के मैं घल ज्यावै
माट्टी गेल्यां माट्टी होकै बी सुख का सांस ना आवै
बैंक मैं सारी धरती जाली दीख्या चारों ओर अन्धेरा।।
2. निहाले धोरै रमूल तीन रुपइया सैकड़े पै ल्यावै
वो सांझ नै रमलू धोरै दारू पीवण तांहि आवै
निहाला करज की दाब मैं बदफेली करना चाहवै
विरोध करया तो रोजाना पीस्यां की दाब लगावै
बैंक आल्यां की जीप का रोजना लागण लाग्या फेरा।।
3. बेटा बिन ब्याहया हांडै सै घर मैं बैठी बेटी कंवारी
रमली रमलू न्यों बतलाये कट्ठी होगी मुसीबत सारी
खाद बीज नकली बिकते होगी खत्म सब्सिडी म्हारी
मां टी बी की बीमार होगी छाग्या हमपै संकट भारी
रोशनी कितै दीखती कोन्या छाया चारों कूट अन्धेरा।।
4. मां अर बाबू इनके नै जहर धुर की नींद सवाग्या
इनके घर का जो हाल हुया वो सबकै साहमी आग्या
जहर क्यूं खाया उननै यो सवाल कचौट कै खाग्या
आत्म हत्या ना सही रास्ता रणबीर सिंह समझाग्या
मिलकै सोचां क्यूकर आवै घर मैं सो नया सबेरा।।