Thursday, 29 December 2016

हरियाणा के 50 साल और 2017 नया साल

हरियाणा के 50 साल और 2017 नया साल 
हरियाणा के 50  साल के  सफर को कई नजरों से देखा जा रहा है । हरियाणा ने तरक्की की मगर देखने और समझने की बात यह है कि वह कितनी जेंडर फ्रेंडली है , कितनी ईको फ्रेंडली है , कितनी आल इन्क्लूजिव है और कितनी सस्टेनेबल है, कितनी ह्यूमन है  । एक समीक्षात्मक विवरण नहीं आ पा रहा है ।  इसके गौरव पर ही फोकस है ।  क्या वह गौरव अपनी लड़कियों के कतल का गौरव है या किसान को फांसी खाने पर मजबूर करने का गौरव है या असुरक्षा के  माहौल को बढ़ावा देने का गौरव है या महिला हिंसा को बढ़ावा देने का गौरव है । 

म्हारा हरयाणा दो तरियां आज दुनिया के महँ छाया
आर्थिक उन्नति करी कम लिंग अनुपात नै खाया (टेक)

छाँट कै मारें पेट मैं लडकी समाज के नर नारी
समाज अपनी कातिल की माँ कै लावै जिम्मेदारी
जनता हुइ सै हत्यारी पुत्र लालसा नै राज जमाया।।
म्हारा हरयाणा दो तरियां आज दुनिया के महँ छाया

औरत औरत की दुश्मन यो जुमला कसूता चालै
आदमी आदमी का दुश्मन ना यो रोजै ए घर घालै
समाज की बुन्तर सालै यो हरयाणा बदनाम कराया।।
म्हारा हरयाणा दो तरियां आज दुनिया के महँ छाया

वंश का पुराणी परम्परा पुत्र नै चिराग बतावैं देखो
छोरा जरूरी होना चाहिए छोरियां नै मरवावैं देखो
जुलम रोजाना बढ़ते जावें देखो सुन कै कांपै सै काया।।
म्हारा हरयाणा दो तरियां आज दुनिया के महँ छाया

अफरा तफरी माच रही महिला कितै महफूज नहीं
जो पेट मार तैं बचगी उनकी समाज मैं बूझ नहीं
आती हमनै सूझ नहीं, रणबीर सिंह घणा घबराया।।
म्हारा हरयाणा दो तरियां आज दुनिया के महँ छाया