गिणकै दिये बोल
तीन सौ साठ
दिल्ली आल्यो।
नहीं सुणते बात हम
देखैं बाट दिल्ली
आल्यो।।
र्इब खत्म म्हारी
पढ़ार्इ कति गोलते
कोण्या
हम मरते बिना
दवार्इ कति तोलते
कोन्या
कति बोलते कोण्या बनरे
लाट दिल्ली आल्यो।।
इसी नीति अपनार्इ
किसान यो बरबाद
करया
घर उजाड़ कै म्हारा
अपणा यो आबाद
करया।
घणायो फसाद करया
तोल्या घाट दिल्ली
आल्यो।।
म्हारे बालक सरहद
पै अपनी ज्यान
खपावैं
थारे घूमैं जहाज्यां मैं
म्हारे खेत खान
कमावैं
भूख मैं टेम
बितावैं थारे सैं
ठाठ दिल्ली आल्यो।।
सात सौ चीजां
की रणबीर ये
सीम खोल दर्इ
गउ भैंस बकरी
म्हारी ये बिकवा
बिन मोल दर्इ
मचा रोल दर्इ
गया बेरा पाट
दिल्ली आल्यो।।