BAJE BHAGAT KI EK RAGNI
साची बात कहण म्हं सखी होया करै तकरार
दगाबाज बेरहम बहन ना मरदां का इतबार
दगाबाज बेरहम बहन ना मरदां का इतबार
रंगी थी सती प्रेम के रंग म्हं , साथ री बिपत रुप के रंग म्हं
दमयन्ती के संग म्हं किसा नल नै करया ब्यौहार
आधी रात छोड़ग्या बण मैं ल्हाज शरम दी तार
दमयन्ती के संग म्हं किसा नल नै करया ब्यौहार
आधी रात छोड़ग्या बण मैं ल्हाज शरम दी तार
सखी सुण कै क्रोध जागता तन म्हं ,मरद जले करैं अन्धेरा दिन म्हं
चौदहा साल दुख भोगे बण म्हं, ना तज्या पिया का प्यार
फेर भी राम नैं काढ़ी घर तैं, वा सीता सतवन्ती नार
चौदहा साल दुख भोगे बण म्हं, ना तज्या पिया का प्यार
फेर भी राम नैं काढ़ी घर तैं, वा सीता सतवन्ती नार
बात हमनै मरदां की पागी,घमन्ड गरुर करै मद भागी
बिना खोट अन्जना त्यागी , करया पवन नै अत्याचार
काग उडाणी बना दई , हुया इसा पवन पै भूत सवार
बिना खोट अन्जना त्यागी , करया पवन नै अत्याचार
काग उडाणी बना दई , हुया इसा पवन पै भूत सवार
खोट सारा मरदां मैं पाया, शकुन्तला संग जुल्म कमाया
गन्धर्व ब्याह करवाया दुष्यन्त नै, कर लिए कौल करार
शकुन्तला ना घर मैं राखी, बण्या कौमी गद्यार
गन्धर्व ब्याह करवाया दुष्यन्त नै, कर लिए कौल करार
शकुन्तला ना घर मैं राखी, बण्या कौमी गद्यार
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