रमलू--थाम रोज चुकंदर खाया करो।
धमलो--क्यों?
रमलू--इसके खाने तैं खून शुद्ध, लाल अर गाढ़ा होज्या सै।
धमलो--अच्छा इब थाम खून भी हाई क्वालिटी का पीओगे?
रमलू--थाम रोज चुकंदर खाया करो।
धमलो--क्यों?
रमलू--इसके खाने तैं खून शुद्ध, लाल अर गाढ़ा होज्या सै।
धमलो--अच्छा इब थाम खून भी हाई क्वालिटी का पीओगे?
पहला भिखारी--एक आदमी मेरे तैं बूझै था अक मैं कितना अक कमा लयूं सूँ? पर मैं कुछ नहीं बोल्या बस चुप रहया।
दूसरा भिखारी-- इसा क्यों करया?
पहला भिखारी--मनै शक था अक कदे वो इन्कम टैक्स आला ना हो!
रमलू-- मनै समझदार बीरबानी तैं ब्याह करना चाहिए था।
धमलो-समझदार औरत थारे तैं कदे बी ब्याह कोण्या करै।
रमलू--मनै बस योहे साबित करना था।
2012 की डायरी से
देश मैं एफ डी आई आगी इसकी लूट सारे कै छागी
बकशै कोण्या या चूट कै खागी सुणल्यो सब नर नारी
किसान का घणा फायदा होगा जोर के रुके मार रहे
गरीब के हितैषी आले ये आज मुखौटे अपने तार रहे
या तो घर कसूते घालैगी म्हारी एक बी नहीं चालैगी
या आच्छी तरियां खंगालैगी सुणल्यो सब नर नारी।
कहते कोए नुक्सान नहीं ये फायदे कई बतावैं सैं
हों पैदा कई लाख नौकरी हमनै कहकै नै भकावैं सैं
हरित क्रांति पै भी बहकाये नुक्सान कदे ना बताये
म्हारे इसनै छक्के छड़वाये सुणल्यो सब नर नारी ।
अमरीका आले सीधे नहीं रिमोट तैं राज करते रै
अपनी पुरानी तकनीक म्हारे पै धिंगतानै धरते रै
सिर बी म्हारा जूती म्हारी रिमोट तैं पिटाई सै जारी
लूट खसोट मचाई भारी सुणल्यो सब नर नारी।
नए दौर के रंग निराले गरीब जमा कुचल्या जावै
मध्यम वर्ग का बड़ा हिस्सा चौड़ै खड़या लखावै
कहै साच्ची बात रणबीर अमीर की दीखै तसबीर
गरीब की फोड़ेंगे तकदीर सुणल्यो सब नर नारी ।
बढ़ा महंगाई लूट मचावैं, जात धर्म पर लड़वावैं
म्हारी धरती खोस्या चाहवैं , चटा जनता नै धूल रहे।
अम्बानी और अडाणी की मातहत है सरकार म्हारी
टैक्स लगा लगा कै इसनै जनता की खाल उतारी
साम्प्रदायिकता फैलारी, कहै आच्छे दिन बहकारी
बदेशी कम्पनी छाती जारी, तोड़ देश के असूल रहे।
भरष्टाचार बढ़ता जावै सै व्यापम घोटाला देखो रै
अध्यादेश भूमि अधिग्रहण ना करते टाला देखो रै
महिला की करैं थानेदारी, करते ये फरमान जारी
बणे रूढ़िवाद के प्रचारी , पकड़ मामले टूल रहे ।
विकास जनता का कहते तीजूरी भरैं अम्बानी की
सब्सिडी खत्म गरीबों की, बढ़ा दई अडाणी की
महिला खड़ी पुकार रही, दलित पर बढ़ मार रही
बढ़ क्यों अत्याचार रही, राज नशे मैं टूहल रहे ।
अच्छे दिनां का सपना के बेरा कित खोग्या रै
मजदूर किसान कर्मचारी घणा दुखी होग्या रै
बरोने आला रणबीर रै, लिखता सही तस्वीर रै
मामला घणा गंभीर रै, भाईचारा जमा भूल रहे ।
मेरा चालै कोण्या जोर मनै लूटैं मोटे चोर
नहीं पाया कोये ठौर कटी पतंग की डोर
मनै लावैं डांगर ढ़ोर यो किसा घोटाला रै।
मेरा बोलना जुल्म हुया
उनका बोलना हुक्म हुया
सारे ये मुनाफा खोर ये थमा धर्म की डोर
बनावैं ये म्हारा मोर सुहानी इनकी भोर
ऐश करैं डाकू चोर मन इनका काला रै।
ये भारत के पालन हार
क्यों चोरां के सैं ताबेदार
म्हारे पै टैक्स लगावैं बोलां तो खावण आवैं
मिल्ट्री सैड़ दे बुलावैं चोरां की मौज करावैं
काले का सफेद बणावै भजैं राम की माला रै।
महंगाई की मार कसूती
सिर म्हारा म्हारी जूती
यो रोजगार मन्दा सै यो सिस्टम गन्दा सै
यो मालिक का रन्दा सै घालै दोगला फंदा सै
क्यूकर जीवै बन्दा सै हुया ढंग कुढाला रै।
पत्थर पुजवा बहकाये
भक्षक रक्षक दिखाये
काले नाग डसगे क्यों ये शिकंजे कसगे क्यों
दो संसार बसगे क्यों गरीब जमा फ़ंसगे क्यों
रणबीर पै हंसगे क्यों कर दिया चाला रै।
विकास कहूँ या कहूँ तबाही
विकास कहूँ या कहूँ तबाही , बात मेरी समझ नहीं आई,
हुई क्यों गामां की इसी छिताई , दिल्ली के गाम चर्चा मैं आये ॥
दिल्ली का विस्तार हुआ तो अनेक गाम इसमें आये थे
धरती अक्वायर करी इनकी घने सब्ज बाग़ दिखाए थे
बहोत घर बर्बाद हुए , जमा थोड़े घर आबाद हुए
पीकै दारू कई आजाद हुए , चपेट मैं युवा लड़के आये॥
दिल्ली तैं कोए सबक लिया ना ईब हरयाणा की बारी
एन सी आर के नाम तैं इसकी बर्बादी की तैयारी
विकास पर कोए चर्चा ना , आज पूरा पटता खर्चा ना
इसपै लिख्या कोए पर्चा ना , बीस लाख एक किल्ले के लाये॥
नशे का डूंडा पाड़ दिया ये नौजवान चपेट मैं आये
फ्री सैक्श के खोल दरवाजे युवक युवती भरमाये
हाल करे कसूते लूटेरे नै , मचाई लूट इनै चौफेरे नै
बाँट जात पात पै कमेरे नै , नंबर वन के नारे लगाये ॥
ईको अर जेंडर फ्रेण्डली विकास समता साथ ल्यावै
ना तो दिल्ली जैसे खाग्या न्यूए एनसीआर इसनै खावै
बहस विकास ऊप्पर चलावां , नया हरयाणा किसा बणावां
रणबीर नक्शा मिलकै खिंचावाँ ,कैसे यो हरयाणा बच पाये ॥