Friday, 20 April 2018

नोएडा और गुड़गामा


आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।
युवा और युवतियों की या मजबूरी दिखाणी चाही।
मियाँ बीबी ये दोनों मिलकै आज खूब कमावैं देखो
तीस लाख का पैकेज ये साल का दोनों पावैं देखो
तड़कै आठ बजे त्यार हो नौकरियां पर जावें देखो
रात के ग्यारह बजे ये वापिस घर नैं आवैं देखो
इन कमेरयां की आज या पूरी कथा सुणानी चाही।
अपने पारिवारिक रिश्ते बताओ कैसे चलावैं रै
ऐकले रैह रैह कै शहरां मैं ये कैरियर बनावैं रै
भीड़ मैं रैह कै भी अपने नै कतिअकेला पावैं रै
गांम गेल्याँ अपना रिश्ता बताओ कैसे निभावैं रै
आज के दौर की या विरोधाभाष दिखाणी चाही।
मोटे वेतन की नौकरी छोड नहीं पावैं देखो भाई
अपने बालकां नै घरां छोड़ कै नै जावैं देखो भाई
फुल टाइम की मेड एजेंसी तैं ये ल्यावैं देखो भाई
उसके धोरै बालक ये अपने पलवावैं देखो भाई
मजबूरी या लाइफ आज इणनै अपनाणी चाही।
मात पिता दूर रहवैं टाइम काढ़ नहीं पाते भाई
दादा दादी नाना नानी इनके बन्द हुए खाते भाई
घर मैं आवैं इस्तै पहले बालक तो सो जाते भाई
नॉएडा गुड़गामा का रणबीर यो हाल सुनाते भाई
बदल गया जमाना हरयाणा ली अंगड़ाई चाही।

ज्योतिबा फुल्ले जी की याद में

ज्योतिबा फुल्ले जी की याद में


उनीसवीं सदी मैं भारत म्हारा दूज्यां का गुलाम बताया ॥
धर्म और जात ऊपर समाज बंट्या टुकड़यां मैं दिखाया ॥
म्हारे समाज पर परम्परावादी सामन्तवादी सोच छारी थी
ज्ञान और सत्ता के स्रोतां पर उच्च वर्गों की थानेदारी थी
इस व्यवस्था नै एक अछूत वर्ग हिंदुस्तान मैं था बनाया ॥
इस वर्ग नै अपमान सह्या  दरिद्रता और अभाव झेले रै
अँधेरी गुफाओं के बीच मैं कहैं ये तबके गए धकेले रै
गैर बराबरी की आग नै चारों कूट भारत देश जलाया ॥
अमानवीय जुल्म ढाल ढाल के इनपै खूब करे जावें थे
जानवरों से भी भुन्डी ढाल काम के बोझ धरे जावैं थे
माड़ी माड़ी बातों ऊपर  इनको समाज नै घणा सताया ।।
अछूत के अंदर भी कई जात म्हारे समाज नै बनाई
इनकी बस्ती गाम तैं बाहर म्हारे हिंदुस्तान मैं बसाई
धरती पर भी थूकन का पाबंद इनके ऊपर गया लगाया ॥
गले मैं हंडिया लटका कै ये तबके चाल्या करते भाई
निशान पैरों के साफ़ करते जितके डाल्या करते भाई
किसे तैं छू नहीं जावें ये जिम्मा घण्टी बजाने का लगाया ॥
ज्योतिबा फुल्ले नै अलख जात पात के खिलाफ जगाया
शिक्षा का प्रसार करने का फुल्ले जी नै था बीड़ा उठाया
कहै रणबीर बरौने आला दबंगों नै खूब विरोध जताया ॥ 

बाबा साहब अम्बेडकर



बाबा साहब अम्बेडकर ने बौद्ध धर्म का धारण
 कर लिया था तो कई बार हिन्दू  उनको घर वापस 
आ जाने की बात  करते थे तो क्या जवाब होता था बाबा 
 साहेब का क्या बताया भला ---

बाबा साहेब नै कहया  तम कौनसे घर की बात करो । 
वर्ण व्यवस्था मजबूत करो चर्चा याहे दिन रात करो । 
जिस घर का सपना तम हम सबनै दिखलाओ सो रै 
दुः स्वपन नै सपना कहकै हमनै दिन रात भकाओ सो रै 
इसा थारा घर का सपना जानवरां नै भी मात करो ।1 । 
घर ईसा बनाया थामनै नहीं परिवार कठ्ठा हो खावै 
कुछ की झूठण जिस घर मैं बाकी का भोज बणज्यावै 
इसे घर नै के चाटां जड़ै व्यभिचार होवै उत्पात करो । 2 । 
म्हारे समाज के घरां मैं यो सब कुछ न्यारा न्यारा देखो 
कुआं न्यारा और भांडे न्यारे न्यारा यो सबका हारा देखो 
ईसा घर जिसमै तूँ ठाली बाकी मिलकै खुभात करो । 3 । 
घर मैं वापसी चाहो रै दखे लालच दे दे कई लाख की 
चूल हिलादी जमा परवाह नहीं मानव की साख की 
कहै रणबीर बाबा साहेब की गेल्याँ मत दुभाँत करो । 4 ।

आस बंधी

आस बंधी अक भोर होवैगी शोषण जारी रहै नहीं ।।
लोक राज तैं राज चलैगा रिश्वत  बीमारी रहै नहीं ।।
रिश्वतखोर  मुनाफाचोर की स्वर्ण तिजूरी नहीं रहै
चेहरा सूखा मरता भूखा इसी मजबूरी नहीं रहै
गरीब कमावै उतना पावै बेगार हजूरी नहीं रहै
षरीफ बसैंगे उत मरैंगे या झूठी गरुरी नहीं रहै
फूट गेर कै राज करो फेर इसी बीमारी रहै नहीं ।।
करजे माफ होज्यांगे साफ आवैगा दौर सच्चाई का
बेरोजगारी भता कपड़ा लता हो प्रबन्ध दवाई का
पैंशन होज्या सुख तैं सोज्या होवै काम भलाई का
जच्चा बच्चा होज्या अच्छा मौका मिलै पढ़ाई का
मीठा पाणी चालै नल में यो पाणी खारी रहै नहीं।।
भाई चारा सबतैं न्यारा नहीं कोए धिंगताना हो
बदली खातिर ठाकै चादर ना मंत्री पै जाना हो
हक मिलज्या घीसा घलज्या सबनै ठौर ठिकाना हो
सही वोट डलैं ना नोट चलैं इसा ताना बाना हो
हम सबनै संघर्श चलाया अंग्रेज अत्याचारी रहै नहीं।।
पड़कै सोज्यांगे चाले होज्यांगे नहीं कुछ बी होवैगा
माथा पकड़ कै भीतर बड़कै फेर बूक मारकै रोवैगा
नया मदारी करैगा हुश्यारी  हमनै बेच के सोवेगा
चौकस रहियो मतना सोइयो काटैगा जिसे बौवैगा
रणबीर सिंह बरोने आला कितै दरबारी रहै नहीं।।

म्हारे पूर्वजों का सपना रै

 म्हारे पूर्वजों का सपना रै
हरया भरया हरियाणा हो,जित दूध दही का ख़ाणा  हो
ख़त्म जात पात का बाणा हो , म्हारे पूर्वजों का सपना रै ॥
आर्थिक आधार तरक्की के इनतै आगै जाणा  होगा
सामाजिक आधार बिगड़गे इनको ठीक बणाणा होगा
सबनै बढ़िया पढ़ाई मिलै ,सबनै बढ़िया दवाई मिलै
सबनै बढ़िया कमाई मिलै,म्हारे पूर्वजों का सपना रै ॥
भाई तैं भाई का प्यार यो परवान चढ़ै हरियाणा मैं
महिला नै सम्मान मिलै या आगै बढ़ै हरियाणा मैं
यो किसान खुशहाल होवै रै ,मजदूर ना बेगार ढोवै रै
उद्योग ना रफ़्तार खोवै रै ,म्हारे पूर्वजों का सपना रै ॥
घरां कै ताले ना लावै कोए इस समाज हो म्हारा देखो
इज्जत के नाम पै ना मारैं इसा रिवाज हो म्हारा देखो
म्हारा रिश्ता भाण भाई का , म्हारा तरीका ब्याह सगाई का
ना बणै कारण रुसवाई का ,म्हारे पूर्वजों का सपना रै ॥
अमीर गरीब की खाई भाण भाईयो मिलकै भरनी होगी
प्रगतिशील समाज की नींव मिलकै पक्की करनी होगी
आसान यो काम अधूरा कोन्या,कर सके अकेला जमूरा कोन्या
थारे म्हारे बिन हो पूरा कोन्या ,म्हारे पूर्वजों का सपना रै ॥

म्हारा हरियाणा -सबका हरियाणा

म्हारा  हरियाणा -सबका हरियाणा 
लालच लूट खसोट बचै ना ईसा हरियाणा बनावांगे ॥ 
या धर्मान्धता खेल रचै ना ईसा हरियाणा बसावांगे ॥ 
भरपूर इन्सान उभरै म्हारे इस प्यारे हरियाणा मैं 
सही बात और बोल कहे जावैं म्हारे हरियाणा मैं 
बीमारी की रोकथाम हो सही सबका इलाज करावांगे॥ 
दोगली शिक्षा का खात्मा हो सबनै  शिक्षा मिलै पूरी 
नाड़ काट मुकाबला ना रहै ना हो पीसे की मजबूरी 
नशा खोरी नहीं टोही पावै हम यो अभियान चलावांगे ॥ 
मुनाफा  मंजिल नहीं रहै ना चारों तरफ घमासान मचै 
जिसकी लाठी भैंस उसकी यो जुमला फेर नहीं बचै 
प्रदूषण बढ़ता जा हम धरती बाँझ होण तैं  बचावांगे ॥ 
महिला नै इंसान समझां  रीत ख़त्म हो दोयम दर्जे की 
दलित उत्पीडन खत्म होवै ना मार बचै इस कर्जे की 
नौजवान नै रोजगार मिलै सारे कै बिगुल बजावांगे॥ 

नया साल 2018


हम नए साल में कदम मंजिल की तरफ बढ़ाएंगे ॥ 
हमारी बहुविविधता को दे हर क़ुरबानी बचाएंगे ॥ 
गुणवत्ता वाली पढ़ाई वास्ते  जनता लाम बन्द करेंगे 
सबको सस्ता इलाज मिले ऐसा मिलके प्रबंध करेंगे
निर्माण के उदाहरण हम करके सबको दिखाएंगे ॥ 
अन्ध विश्वास के खिलाफ लंबा चलाएं एक अभियान 
सबका मिलके होगा प्रयास बने संवेदनशील इंसान 
प्रति गामी विचार को  वैज्ञानिक आधार से  हराएंगे ॥ 
मिल करके करेंगे विरोध  सभी दलित अत्याचार का 
महिला समता समाज में हो मुद्दा बनायेंगे प्रचार का 
रोजगार मिले सबको ये हम सब अभियान चलाएंगे ॥ 
सद्भावना बढे समाज में नफरत का विरोध करेंगे 
पूरे समाज का विकास हो इस पे पूरा शोध करेंगे 
नया साल मुबारक हो रणबीर आगे बढ़ते ही जायेंगे ॥ 

आन्धी गली

एक दिन भरत सिंह व उसकी पत्नी सरोज आपस में बात कर रहे हैं कि बहुत बुरा जमाना आ गया है। उपभोक्तावाद की अधी गली में हम घुसते जा रहे हैं। मारो खाओ हाथ ना आओ का चारों तरफ बोलबाला है। मानवीय रिश्तों में गिरावट आ रही है। भरत सिंह सरोज को बताता है कि इस चुनाव में कैसे दारू सुलफे का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हुआ है। सरोज कहती है कि भ्रष्टाचार का कोए अन्त नहीं रहा। भरत सिंह एक गीत के माध्यम से सरोज को अपने दिल की बात सुनाता है:-
एक बै नजर घुमाकै देखां समाज म्हारा कित जा लिया।
क्यों आन्धी गली मैं बड़ते जावां, इस चिन्ता नै खा लिया।।
1. घर-घर देखां घणा बेढ़ंगा, माहौल हुया यो सारे कै
  कोए तो आड़ै काच्चे काटे क्यों बोझा पड़या करतारे कै
  आंच ना महल चौबारे कै, गरीब काल क्यों पा लिया।।
2. माणस रोज भीतर तैं टूटै, इसा जमाना आता जा
  घर के भीतर बाहण बेटी की, इज्जत पै संकट छाता जा
  शरीफ तले नै आता जा, बदमाश नै पैर जमा लिया।।
3. दारू सुल्फा सारे छागे, शरम लिहाज ना कोए ईब
  भ्रष्टाचारी का साथ देवो, कहते इलाज ना कोए ईब
  फुँकर्यां का अन्दाज ना कोए, हरियाणा सिर पै ठा लिया।।
4. रिश्वत की कमाई भूंडी, फेर बी इसको स्वीकार लिया
  दहेज बीमारी भूंडी कहते, फेर बी इसको चुचकार लिया
  रणबीर नहीं इन्कार किया तो, समझो ओड़ आ लिया।।


चमेली और बबली

बबीता-चमेली को मेडिल जाकर अपना मेडिकल करवाने के लिए तैयार करती है। वहां सविता उनकी पूरी मदद करती है। मेडिकल मुआएना हो जाता है और सूरत सिंह के खिलाफ पुलिस को केस दर्ज करना पड़ता है। गांव में चमेली का चरित्र हनन करने की पूरी कोशिशें की जाती हैं। चमेली की मां और बबीता उसका पूरा साथ देती हैं। एक दिन चमेली क्या सोचती है, क्या बताया कवि ने:-
या चोट मनै, गई घोट मनै, गई फिरते जी पै लाग
              मेरै तो सिलगै बदन में आग।।
1. चाला होग्या गाला होग्या, क्यूकर बात बताउं बेबे,
  इज्जत गवाई, चिन्ता लाई, क्यूकर ज्यान बचाउं बेबे
  सुरते बरगे फिरैं घनेरे, क्यूकर गात छिपाउं बेबे
  देख अकेली करी बदफेली, क्यूकर हाल छुपाउं बेबे
  ना पार बसाई, ना रोटी खाई, ना आच्छा लागै कोए राग
              मेरै तो सिलगै बदन में आग।।
2. जिस देश मैं नहीं होता हो सही सम्मान लुगाई का
  उस देश का नाश लाजमी, जड़ै अपमान लुगाई का
  सारी जिन्दगी राम भज्या सै, नहीं भुगतान दुहाई का
  घणा अष्टा बणा दिया सै, यो इम्तहान लुगाई का
  मैं तो मरली, दिल में जरली, लाउं नाश जले कै आग
              मेरै तो सिलगै बदन में आग।।
3. राम गाम सुणता हो तै, हाम कति ज्यान तै मरली
  औरत घणी सताई जागी, या मेरे दिल में जरली
  सबला लूटी अबला लूटी, दास बणाकै धरली
  इबै तो और सहणा होगा, के इतणे मैं सरली
  ना होठ सिउं ना जहर पिउं, तेरा करूं सामना निर्भाग
              मेरै तो सिलगै बदन में आग।।
4. डूबूं तिरूं मन होज्या सै, सोचूं कदे फांसी खावण की
  फेर सोचूं हिम्मत करकै, सजा कराद्यूं सुरते रावण की
  मां नै भी दिया बहुत सहारा, ऐसी मां ना पावण की
  कसर ना छोड़ी बबीता नै मेरा साथ निभावण की
  ना कदम हटावै ना केस ठावै न्यां रणबीर सिंह करै जाग
              मेरै तो सिलगै बदन में आग।