Tuesday, 21 November 2023

पेटैन्ट

 पींग घलण की रीत खुसगी इब आग फैंकदी सामण पै।।

पेटैन्ट बैरी नै यो दा लगाया  प्यारे नीम और जामण पै।।

1

कदे कदीमी इणनै म्हारी या जनता लाती आई देखो

साची मानो बनस्पति म्हारी वफादार सिपाही देखो

बदेशी कम्पनी नै पेटैन्ट की अपनी छाप लगाई देखो

जूती म्हारी सिर म्हारा चौड़े मैं करी सै पिटाई देखो

सोचो सारे के गुजरैगी इब धर्में, जीतू और मामण पै।।

2

बदेशी कम्पनी रॉयल्टी माँगै माफ करै नहीं कोई रै

सरकार जली ना मूंह खोलती कित सै पडकै सोई रै

जाण बूझ कै जाल साजी तैं किसी करड़ाई टोही रै

धरती जामण हल्दी म्हारी क्यों खसम कम्पनी होई रै

सम्भल कै रहियो इब नजर सै कुड़ते अर इस दामण पै।।

3

बेटा बेटी सी हमनै लागै सै या खेती खूबै प्यारी भाई रै

ढाल ढाल के फूल पौधे फितरत सबकी न्यारी भाई रै

नींबू घीया तोरी संतरा कितै खिलरे फूल हजारी भाई रै

सौ जागां पै ये काम आवैं चाहे हारी हो बीमारी भाई रै

पेटैन्ट होज्या सब क्यान्हे का रॉयल्टी होज्या लामण पै।।

4

किसान भाइयो होंश करो  घर बार म्हारा खतरे मैं 

एक खेती का मसला कोण्या देश सै सारा खतरे

मैं

औरत जाति दुखी घणी हुया गरीब बेचारा खतरे 

मैं

माणस पन नै भाई खतरा सै भारत प्यारा खतरे मैं

कहै रणबीर खतरा घणा यो म्हारे डांगराँ के रामभण पै।।

मार्च 2000

लिंग भेद

 लिंग भेद

तर्ज:चौकलिया

स्त्री पुरुष की दुनिया मैं स्त्री नीची बताई समाज नै।

फरज और अधिकारां की तसबीर बनाई समाज नै।।

1

शादी पाछै पति गेल्यां सम्बन्ध बणाणे का अधिकार

ब्याह पाछै मां बणैगी नहीं तो मान्या जा व्याभिचार

पुरुष चौगरदें घुमा दियो यो नारी का पूरा संसार

मां बेटी बहू सास का रच दिया घर और परिवार

एक इन्सान हो सै महिला या बात छिपाई समाज नै।।

फरज और अधिकारां की तसबीर बनाई समाज नै।।

2

परिवार का दुनियां मैं पुरुष मुखिया बणाया आज

सारे फैंसले वोहे करैगा पक्का फैंसला सुणाया आज

धन धरती सारी उसकी कसूता जाल बिछाया आज

चिराग नहीं छोटी वंश की छोरा चिराग बताया आज

संबंधा की छूट उसनै या रिवाज चलाई समाज नै।।

फरज और अधिकारां की तसबीर बनाई समाज नै।।

3

पफर्ज औरत के बताये घर के सारे काम करैगी या

बेटा पैदा करै जरूरी घर का रोशन नाम करैगी या

औरत पति देव की सेवा सुबह और श्याम करैगी या

सारे रीति रिवाज निभावै बाणे कति तमाम करैगी या

बूढ़े और बीमारां की सेवा जिम्मे लगाई समाज नै।।

फरज और अधिकारां की तसबीर बनाई समाज नै।।

4

पुरुष परिवार का पेट पालै उसका फर्ज बताया यो

महिला नै सुरक्षा देवैगा उसकै जिम्मे लगाया यो

दुभांत का आच्छी तरियां रणबीर जाल बिछाया यो

फर्ज का मुखौटा ला कै औरत को गया दबाया यो

बीर हर तरियां सवाई हो या घणी दबाई समाज नै।।

फरज और अधिकारां की तसबीर बनाई समाज नै।।