खतरे मैं आजादी म्हारी जिंदगी बणा मखौल दी ||
जिसपै भगत सिंह नै जवानी लुटा निरोल दी ||
1
आजादी लेवण की खातर उठया असली तूफ़ान था
लाठी गोली बरस रही थी जेलां मैं नहीं उस्सान था
एक तरफ बापू गाँधी दूजै कान्ही मजदूर किसान था
कल्पना दत्त भगत सिंह का सरे आम यो एलान था
इंकलाब जिंदाबाद की फांसी तैं पहल्यां बोल दी ||
जिसपै भगत सिंह नै जवानी लुटा निरोल दी ||
2
सत्तावन की जंग तै यो गद्दर का झूठा नाम दिया
घणा दमन किया फिरंगी नै उदमी रूख पै टांग दिया
सैंतीस दिन तड़फ्या शेर कोए ना मिलने जान दिया
हंस हंस फांसी चढ़गे हिन्दुस्तान का राख मान दिया
जनता की एकता नै गोरी ताकत जमा खंगोल दी ||
जिसपै भगत सिंह नै जवानी लुटा निरोल दी ||
3
देश वासी अपने दिल मैं नए नए सपने लेरे थे
ना भूख बीमारी रहने की सब नेता नारे देरे थे
इस कारण लाखों भाण भाई गए जेलां के घेरे थे
मुफ्त दवायी और पढ़ाई का नेक इरादा सेहरे थे
गोरे गए और आये काले चालू कर वाहे रोल दी ||
जिसपै भगत सिंह नै जवानी लुटा निरोल दी ||
4
फूट गेरो और राज करो ये नीति वाहे चाल रहे
आज जात धर्म ऊपर ये घर कसूते घाल रहे
आपस मैं लोग लड़ा दिए अपणी लूट नै पाल रहे
महंगाई ऊपर चढ़ा कै कर किसकी रूखाल रहे
रणबीर छठी शदी की या उल्टी राही खोल दी ||
जिसपै भगत सिंह नै जवानी लुटा निरोल दी ||