चिट्ठी
चिट्ठी आई सै बदायूं तै मेरे दोनों बेटे मार दिये।
राम मंदिर के झंझट नै लोगां पै कसूते वार किये।।
1. हिन्दू मुस्लिम का धुर तै बदायूं मैं भाई चारा था
कट्ठे खावैं खेलैं मिलकै मुस्लिम नै हिन्दु प्यारा था
बहू बेटी बरोबर सबकी शहर का अजब नजारा था
यो झंझट याद नहीं था म्हंगाई का बुलन्द सितारा था
रेलगाड़ी पै हमला बोल दिया हिस्से धड़ के चार किये।।
2. म्हउ रतलाम जलण लागरे माणस देश के तंग होगे
बिना बात के रास्से मैं हिन्दू मुस्लिम के जंग होगे
मुल्ला पंडे और पुजारी ये जमा उघाड़े नंग होगे
फिरका परस्ती चला दई देश टूटण के
बालक औरत मरे बिचारे कर दुखी नर नार दिये।।
3. फेर कहैं मोहम्मद खां नै भारत तै कोए प्यार नहीं
कुणबा घाणी कर दी मेरी आड़ै किसे का इतबार नहीं
जाउं तो जाउं कित मैं और कितै तो घरबार नहीं
पींडी कापै डर लागै सै पावै मनै मददगार नहीं
हर हर महादेव के नारे त्रिशूल सभी नै धार लिये।।
4. सन सैंतालीस मैं बाप मेरा दंग्यां नै छीन लिया
रोटी लत्ता मिल्या नहीं था इसा मेरी दीन किया
दर-दर ठोकर खाउं था खोस मेरा यकीन लिया
देश छोड़ परेदश मैं आग्या गात बना मशीन दिया
रणबीर सिंह पूछै हटकै कर क्यों अत्याचार दिये।।