2008 की रचना आज और प्रासंगिक हो गयी लगती है
जाल अमरीका का
अमरीका तनै जाल बिछाया ,
हिंसा नशा नंगापन फैलाया,
हरेक देश दबाना चाहया,
तेरी चाल समझ मैं आई सै।।
1
फीम सुल्फा चरस बिकादी , हथियारों की होड़ बढ़ादी ,
तेरे तै होंगे सही पौ बारा , यो नौजवान फंसग्या म्हारा
म्हारी तबियत होगी खारया ,करी खूब काली कमाई सै।।
2
उदारीकरण के नारे लगाए , शिकंजे मैं कई देश फंसाये
तूफ़ान अश्लीलता का ल्याया ,
गाभरू कै खून मुँह लगाया
चैनल पै चैनल चलवाया , आतंकवाद कसूत फैलाई सै।।
3
पोर्न फिल्मों की बाढ़ सी ल्यादी ,
काली कमाई इसमें भी लगादी
हिंसा नै रिकार्ड तोड़ दिये , म्हारे छोरा छोरी मरोड़ दिए
ये हिंसा के घोड़े खुल्ले छोड़ दिए , सोच समझ चाल चलायी सै ।।
4
एक हाथ तैं लूटै हमनै देखो ,
दूजे हाथ तैं चूमै हमनै देखो
म्हारा धयान हटावै सच्चाई तैं , ऐश करता म्हारी कमाई पै,रणबीर सिंह की कविताई पै ,उम्मीद जनता नै लाई सै ।।
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