Wednesday, 22 February 2023

किसान के बता फांसी लाकै कै दिन राज चलै थारा रै।।

 रागनी आज के हालात पर 

किसान के बता फांसी लाकै कै दिन राज चलै थारा रै।।

अडानी अम्बानी नै बढा कै कै दिन राज चलै थारा रै।।

1

जनता दे मारी धरती कै बेरोजगारी खूब बढ़ाई 

या शिक्षा करदी घणी म्हंगी जनता कैसे करै पढ़ाई

पुलिस फौज सारै बुलाकै कै दिन राज चलै थारा रै।।

किसान कै बता फांसी लाकै कै दिन राज चलै थारा रै।।

2

अपने यौवन पै भ्रष्टाचार तरीके न्यारे काढ़ लिए 

मेहनत कश आज देखो ये पूरे देश मैं बाढ़ दिए

मीडिया नै गोदी मैं बिठाकै कै दिन राज चलै थारा रै।।

किसान कै बता फांसी लाकै कै दिन राज चलै थारा रै।।

3

बीमारी आज बढ़ती जां अस्पतालों मैं मिलै ना दवाई

बेमौत मारी जावै जनता कितै बी होती नहीं सुनाई

देशद्रोही का ठप्पा लगाकै कै दिन राज चलै थारा रै।।

किसान कै बता फांसी लाकै कै दिन राज चलै थारा रै।।

गैंग रेप छेड़छाड़ आज दिन पै दिन बढ़ते जावैं 

घर मैं ना बाहर महफूज रणबीर बीर नै धमकावैं 

चारों कूट भरम फैलाकै कै दिन राज चलै थारा रै।।

किसान कै बता फांसी लाकै कै दिन राज चलै थारा रै।।

जात नै माणस का माणस बैरी बणा जबर राख्या सै।

 कुछ साथियों को बुरा लग सकता है मगर जिंदगी में जात की खेलबाजी अंदर तक देखने के बाद ही इस जगह पर पहोंचा हूँ या पहुँचा दिया गया हूँ । 1978 की मैडीकल कालेज की 98 दिन लंबी हड़ताल जिसमें पूरा कालेज जाट नॉन जाट में बंट गया था और उसके बाद के झटके जिन्होंने आँखे खोल कर देखने को मजबूर कर दिया । 


जात नै माणस का माणस बैरी बणा जबर राख्या सै।

एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।

1

दो किले आला जाट बी आज जाट सभा की कोली मैं

भूखा मरदा ब्राह्मण बी यो ब्राह्मण सभा की झोली मैं

फिरै भरमता रोड़ बिचारा आज रोड़ सभा की टोली मैं 

दलित भी बन्ट्या हुया देखो यो कई रंगों की रोली मैं 

जात पात का घणा कसूता दखे विष यो भर राख्या सै ।

2

जात के रंग ढंग मैं सै या मानवता बाँटण की मक्कारी 

कथनी घणी सुहानी लागै सै पर पाई करणी मैं गद्दारी 

काली नाग और पीत नाग ये भाई बिठाये एक पिटारी

मुँह मैं राम बगल मैं छुरी भाई सै या बुझी जहर दुधारी 

जात्यां के बुगळे भगतां नै यो मिला सुर मैं सुर राख्या सै।

3

ब्राह्मण खत्री वैश्य और शुद्र ये चार वरण बताये सुणो

मनु जी नै फेर वरणां कै जात्यां के पैबन्द लगाये सुणो

गोत नात कबिल्यां भितर बेरा नहीं कद सी आये सुणो

जन्म कारण जात माणस की ग्रन्थ लिख़कै ल्याये सुणो

इसकी आड़ मैं लुटेरे लूटैं माणस बणा सिफर राख्या सै।

4

ढेरयां आला कुड़ता म्हारा या जात पात बताई आज 

गेहूं के खेत मैं ऊग्या हुया बथुआ जात सुझाई आज

ठेके कै म्हां लागी सुरसी गिहूँआं की मर आई आज

ये कमेरे दुखी जात्यां मैं नेतावां नै चादर घुमाई आज

काढ बगादे यो कुड़ता इसनै आज कर बेघर राख्या सै।

5

जात छोड़ कट्ठे होंवैं काम करणिये भुखे मरणीये भाई 

गोत नात छोड़ कट्ठे हों ये जितने नौकरी चढ़निये भाई

टूचावाद छोडकै कट्ठे हों सब बेरोजगार फिरणीये भाई

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ये मानवता पर चलनिये भाई 

म्हारै ना जात किसे काम की कर क्यों सबर राख्या सै।

6

सारी दुनिया रुके देकै नै ईब दो जमात बतारी देख 

एक कमेरा जिसकी मेहनत दुनिया मैं रंग दिखारी देख

दूजा लुटेरा जिसनै लूटी म्हारी सजाई दुनिया सारी देख

या पाले बंदी छिपाने खातर चलै जात की आरी देख

म्हारे माल के हम भिखमंगे यो बना आडम्बर राख्या सै।

बार बार झूठ बोलकै इसनै साच बतावण लागे रै ।।

 बार बार झूठ बोलकै इसनै साच बतावण लागे रै ।।

असली आंकड़े ल्हको कै झूठे  दिखावण लागे रै।।

1

सीबीआई पढण बिठाई सुप्रीम कोर्ट दिया घेरे मैं

रिजर्व बैंक कमजोर करया कई चीजां के फेरे मैं

हिन्दू राष्ट्र का देकै नारा धर्म जाल बिछावण लागे रै।।

असली आंकड़े ल्हको कै झूठे  दिखावण लागे रै।।

2

किसानी संकट बढ़ता आवै ना कोये ख्याल किसान का

या महंगाई बढ़ती जावै बुरा हाल गरीब इंसान का 

धर्मान्धता के नारे लवाकै दंगे करावण लागे रै।।

असली आंकड़े ल्हको कै झूठे  दिखावण लागे रै।।

3

बेरोजगारों की लाइन लाम्बी कावड़ ल्याण पै लादी

अंध विश्वास खूब फैलारे विज्ञान की भ्यां बुलादी

आज समाज मैं नफरत जान बूझ बढ़ावण लागे रै।।

असली आंकड़े ल्हको कै झूठे  दिखावण लागे रै।।

4

प्यारे हिंदुस्तान की बहुविविधता कोण्या भाती रै

जात धर्म पै बांट कै बण बैठे शासक खुरापाती रै

रणबीर भाईचारे की आवाज उठावण लागे रै ।। 

असली आंकड़े ल्हको कै झूठे  दिखावण लागे रै।।

जब जब जनता जागी  यो जुल्मी शोषक झुका दिया ।।

 जब जब जनता जागी  यो जुल्मी शोषक झुका दिया ।।

भारत तैं जुल्मी गोरा मिलकै सबनै भगा दिया ।। 

आजाद देश का सपना पहुंचा शहर और गांव मैं 

भगत सिंह फांसी टूटा जोश था  देश तमाम मैं

 दुर्गा भाभी गेल्याँ  जुटगी इस आजादी के काम मैं 

लाखाँ नर और नारी देगे या कुर्बानी गुमनाम मैं 

कुर्बानी बिना नहीं आजादी गांधी अलख जगा दिया ।।

भारत तैं जुल्मी गोरा मिलकै सबनै भगा दिया ।।

गोरे गये आगे काले गरीबी जमा मिटी नहीं सै

बुराई बढती आवै सै भिद्द इसकी पिटी नहीं सै 

अच्छाई संघर्ष करण लागरी आस जमा घटी नहीं सै

जनता एक दिन जीतेगी या उम्मीद छुटी नहीं सै 

म्हारी एकता तोडण़ खातिर जात पात घणा फैला दिया।।

भारत तैं जुल्मी गौरा मिलकै सबनै भगा दिया।।

जात पात हरियाणा की सै सबतैं बड्डी बैरी भाइयो

विकास पूरा होवण दे ना दुनिया याहे कैहरी भाइयो

वैज्ञानिक सोच काट सै इसकी जड़ घणी गहरी भाइयो

अमीराँ की जात अमीरी म्हारै गरीबी फैहरी भाइयो

समता वादी समाज होगा संघर्ष का डंका बजा दिया ।।

भारत तैं जुल्मी गोरा मिलकै सबनै भगा दिया ।। 

दारू माफिया मुनाफा खोर इनकी पक्की यारी देखो 

भ्रष्ट पलसिया औछा नेता करता चौड़े गद्दारी देखो 

बिचोलिया घणे पैदा होगे म्हारी अक्ल मारी देखो 

लंबे जन संघर्ष की हमनै कर ली तैयारी देखो 

रणबीर भगत सिंह ने रास्ता सही दिखा दिया।।

भारत तैं जुल्मी गोरा मिलकै सबनै भगा दिया ।।

अर्थव्यवस्था म्हारे देश की ढांचागत संकट बीच आगी।।

 अर्थव्यवस्था म्हारे देश की ढांचागत संकट बीच आगी।।

संकट के हाल बतावण आली सारी बात देश मैं छागी।।

1

विकास दर बेरोजगारी के बहोत दिन आंकड़े छिपाए

इनमें फेरबदल करकै ना बढ़ता संकट ल्हको पाये

सेहत अर्थव्यवस्था की गिरी मामले सबकै साहमी आये

सरकारी अर्थशास्त्री भी आज बहोत घणे सैं घबराए

कबूल करने को मजबूर या कड़वी सच्चाई हिलागी।।

संकट के हाल बतावण आली सारी बात देश मैं छागी।।

2

इस आर्थिक मंदी का आज मजदूर वर्ग शिकार होग्या रै

इनके हकां पै देखो चौड़े यो घणा कसूता प्रहार होग्या रै

जो थोड़ा घणा बचरया था तबाह पूरा परिवार होग्या रै

संकट बढ़ता जावै देश मैं मजदूर घणा लाचार होग्या रै

मजदूर वर्ग नै आर्थिक मंदी आज कसूती ढ़ालां खागी।।

संकट के हाल बतावण आली सारी बात देश मैं छागी।।

3

आर्थिक मंदी खत्म करण नै या सरकार कानून बणावै

देशी बदेशी पूंजीपति के या सरकार तलवे चाटती पावै

लाखों करोड़ की करों मैं छूट कति देवंती नहीं शरमावै

तोहफे दे पूँजीपतियाँ नै हमनै देशभक्ति के पाठ पढ़ावै

बात पक्की इस मॉडल तैं या आर्थिक मंदी बढ़ती जागी।।

संकट के हाल बतावण आली सारी बात देश मैं छागी।।

4

यूनियन बनाने के अधिकार पूंजीपति नै ढीले करवाये

वेतन भत्ते कम करकै नै इसनै हथियार कसूत चलवाये

फिक्की के इशारयां उप्पर पूरे अमल करकै दिखलाये

सौ कानून थे मजदूरों के चार संहिताओं मैं सिमटवाये

दीन हालात या मजदूरों की रणबीर की कलम बतागी।।

संकट के हाल बतावण आली सारी बात देश मैं छागी।।

राज गुरु सुख देव भगत सिंह तेईस मार्च नै फांसी पै लटकाये।।

 राज गुरु सुख देव भगत सिंह तेईस मार्च नै फांसी पै लटकाये।।

हुसैनी वाला में अधजले तीनूं  सतलुज नदी के मैं गये बहाए।।

1

धार्मिक कट्टरवाद और अंधविश्वास समाज के बैरी बताये

विकास के पक्के रोड़े सैं इनपै लिख कै संदेश घर घर पहूंचाये

लिख मैं नास्तिक क्यों सूं एक पुस्तिका मैं अपने विचार बताये।।

2

इंसान के छूने से सवाल करया हम अपवित्र कैसे हो ज्यावैं 

पशु नै रसोई मैं ले जाकै क्यों हम अपनी गोदी के मैं बिठावैं

कति शर्म नहीं आती हमनै क्यों इसे रिवाज समाज मैं चलाये।।

3

जो चीज आजाद विचारों नै बर्दाश्त नही कर पावै देखो रै

हों इसी चीज खत्म समाज तैं तीनूं नौजवान चाहवैं देखो रै

समाजवाद के पढ़े विचार इंकलाब जिंदाबाद के नारे लाये।।

4

लोग नहीं लड़ें आपस के मैं जरूरत वर्ग चेतना की बताई

किसान मजदूर की असली बैरी पूंजीपति की वर्ग समझाई

सुखदेव राजगुरु भगत सिंह नै रणबीर ना पाछै कदम हटाये ।।

उन्नीस सौ सात आंदोलन बारे जब हम किताब ठावैं रै।।10

 उन्नीस सौ सात आंदोलन बारे जब हम किताब ठावैं रै।।

यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।

1

लाला जी और अजित सिंह इस आंदोलन के अगाड़ी थे

पगड़ी सम्भाल आंदोलन के वे घणे तगड़े खिलाड़ी थे

पढ़कै पगड़ी सम्भाल जट्टा बांके दयाल कवि सुनावैं रै।।

यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।

2

गीत नै अभिमान किसानों का उन बख्तों मैं ललकार दिया

इस कविता के भाव को किसानों नै कर अंगीकार लिया

गोरे दबावण की खातर किसानों ऊपर घणे जुल्म ढावैं रै।।

यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।

3

गोरी सरकार कृषि कानून उन्नीस सौ सात के मैं ल्याई थी

चुपके चुपके पास करया नहीं चर्चा किसे तैं चलाई थी

नहर कालोनियां मैं रहवनियाँ के वे हक खोसे चाहवैं रै।।

यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।

4

बे उल्लादे जमींदार के मरे पाछै जमीन खोसी चाही थी

जिला अफसर मालिक होगा या काली कानून बनाई थी

लायलपुर मैं होकै कट्ठे ये हजारों किसान विरोध जतावैं रै।।

यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।

5

अजित सिंह लाला जी नै किसानों साथ मिलकै विरोध जताए

अनदेखी करी गोरयां नै और घणे उनपै जुल्म थे ढाये

दोनूं मांडले जेल भेज दिए गोरे आंदोलन दबाया चाहवैं रै।।

यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।

6

पूरा पंजाब कट्ठा होकै नै विरोध जतावण के ऊपर भिड़ग्या

बढ़ता गया विरोध गोरयां का कानून खारिज करणा पड़ग्या

ऐतिहासिक हुया वो आंदोलन जब हम हिसाब लगावैं रै ।।

यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।

7

गदर लहर बब्बर अकाली इणनै ये विचार आगै बढ़ाये थे 

भगत सिंह हर बरगे क्रांतिकारी आजादी जंग मैं छाये थे

उन्नीस सौ सैंतालीस मैं गोरयां तैं आजादी भारतवासी पावैं रै।।

यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।

8

रणबीर फेर दी गूंज सुनाई पगड़ी सम्भाल सरोकारों की

काले कानून ल्याई सरकार नहीं पूछ म्हारे विचारों की

पगड़ी सम्भाल स्वाभिमान पै ये गायक गीत सुनावैं रै।।

यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।