Wednesday, 1 March 2023

बहुमूल्य प्रतिभा हरियाणे की उनको पढ़ण बिठा रहे।।

 बहुमूल्य प्रतिभा हरियाणे की उनको पढ़ण बिठा रहे।।

अयोग्य बेकूफ आगै बढ़ाये विरोधी स्वर को दबा रहे।।
1
तकनीक और सूचना का युग पूरा संसार एक गाम बणाया
इसके दम पै  कारपोरेट नै गली मोहल्ले तक जाल बिछाया
स्थानीय काम धंधे पिटगे गरीब कै सांस चढ़ा रहे।।
2
बहोत घरों मैं मां बाप अगली पीढ़ी बारे चिंता ठारे
कोये रास्ता नहीं दीखता ज्यां करकै घना भय खारे
सुलटे काम बचे कोण्या उल्टे काम पीसा घणा दिवा रहे।।
3
किसान मजदूर सरपंच पिटरे मिलजुल कै मंच बनाना हो
नया नवजागरण जात पात के खिलाफ हर गांव चलाना हो
अडानी अम्बानी हर लूट रहे किसान आंदोलन ये सिखा रहे।।
4
शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार पै संकट ल्या दिया भारी भाई
जातपात धर्म मजहब पै बांटकै म्हारी अक्कल मारी भाई
रणबीर सिंह बरगे  लिखारी यो संघर्ष का राह दिखा रहे।।

माहौल चारों कान्हीं का देवै सै तनावपूर्ण दिखाई।।

 



माहौल चारों कान्हीं का देवै सै तनावपूर्ण दिखाई।।
अविश्वास हिंसा अपराध नै आज चौपड़ सार बिछाई ।।
1
यो नशे पते का व्यापार देखो पकड़ घणी तूल रहया
बेरोजगारी अर म्हंगाई का फंदा जनता पै झूल रहया
अविश्वास का आडंबर फूल रहया फिजूलखर्ची भी छाई।।
2
सोशल मीडिया पै भी अंधविश्वास खूब फैलाया जा
चमत्कार बताकै पढ़या लिख्या यो आज भकाया जा
मंदिर मस्जिद मैं खँदाया जा चर्च भी इनकै संग आई।।
3
संघर्ष का रास्ता छुड़वाकै पूजा पाठ का राह दिखाया
धार्मिक आस्था म्हारी थारी इनका सहारा लेकै भकाया
हर दो मील पै मंदिर खुलाया असली संकट जावै छिपाई।।
4
सरपंच दुखी कर राखे किसानी संकट भी घणा बढ़ाया
सरकारी ढांचा बेचकै नै प्राईवेट ताहिं आज यो थमाया
हरेक तबका सडकां पै आया रणबीर नै कलम
घिसाई।।

संसार मैं तूँ क्यूँ आया, तनै के खोया के पाया,

 संसार मैं तूँ क्यूँ आया, तनै के खोया के पाया,

हिसाब कदे ना लाया, या न्यूएँ उम्र गुजारी।।

1

ना आच्छी किताब पढ़ी अश्लील साहित्य भाग्या

टी वी नशा हिंसा का यो माहौल शरीर नै खाग्या

बात काबू कोण्या आई, पकड़ी क्यूँ उल्टी राही

करी घर की तबाही, या बात ना कदे बिचारी।।

2

ज्ञान सबतैं बड्डा धन दुनिया मैं बताया रै

ज्ञान जीवन मैं बता कितना तनै कमाया रै

मन होज्या तेरा गन्दा ,यो काले धन का धंधा

बणग्या गल का फंदा, इसनै अक्कल फेर दी सारी।।

3

तूँ बचन सुथरे बोलै फेर करता घटिया काम 

पिछाण कर्मा तैं होवै खाली बचनों के ना दाम

यो संयम तनै खोया , बीज ईर्ष्या का बोया,

बहोतै गन्द सै ढोया, करनी सीखी चोरी जारी।।

4

समय सार जिंदगी का  कैहगे बड़े बड़ेरे न्यों 

कर बर्बाद समय नै बेहाल हुए भतेरे न्यों 

दूजे की कमी निगाही , ना देखी दिल की खाई

आज साफ दे दिखाई, रणबीर बेशर्मी थारी।।