Monday, 23 June 2025

किस्सा चंपा चमेली

किस्सा

चम्पा चमेली












लेखक : 

रणवीर सिंह




भावी प्रकाशन


किस्सा सफदर हाशमी

जलियां वाला बाग

रानी लक्ष्मी बाई

भूरा निगाहिया

फूल कमल

अण्डी सद्दाम

फौजी किसान










प्रोग्रेसिव प्रिंटर्स, ए-21 झिलमिल इंडस्ट्रिएल एरिया, जी० टी० रोड, शाहदरा, दिल्ली-95 से मुद्रित.
वार्ता:
किसान को अन्नदात्ता कहते हैं। परन्तु उसके परिवार की, उसके बाल बच्चों की हालत दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है। फौज के दरवाजे भी कमोबेश बन्द हो चुके हैं। मेहनतकश की आवाज को सुनकर भी अनसुनी कर दिया जाता है। संस्कृति के नाम पर राजे रानियों के किस्से सुनाए जाते हैं। उसकी अपनी रानी, अपनी घरवाली के साथ क्या गुजरती है, यह बहुत कम गाया जाता है। औरत का चित्रण भी बड़े अजीब ढंग से किया जाता है। एक किसान को घरवाली चमेली व फौजी की पत्नी चम्पा, दो सहेलियों की रोजमर्रा की जिन्दगी पर लिखा गया है, यह महज चम्पा चमेली का किस्सा नहीं है बल्कि अपनी तमाम प्रतिबध्दता और ईमानदारी के बावजूद महिला 45 वर्षों बाद भी मुख्यधारा में नहीं आ पायी, इस सवाल का जवाब उन सभी को खोजना होगा जिन्हें महिलाओं की स्थिति का अंदाजा है। नारी हिमायतियों द्वारा शोषण का मुद्दा शोषण के विभिन्न उपायों से कन्नी काट कर प्रस्तुत किया है। और इस बात पर जोर दिया है कि समाज में शोषण के विभिन्न स्वरूपों के रहते नारी का पृथक रूप से शोषण मुक्त होना संभव नहीं है। यूं तो हमारे समाज में अनेक ऐसे महिला वर्ग है जो संख्या और प्रभाव में खासे बड़े हैं पर वे एक भूमिका के लिए संगठित हुए हो ऐसे उदाहरण नहीं मिलते। खैर मेरा तो यह पहला प्रयास है। सही-गलत का फैसला जनता के दरबार में होगा। आप सभी के सुझाव आमंत्रित हैं। मैं तो इतना ही कह सकता हूं कि : 
1
किसे और की कहाणी कोण्या, इसमें राजा राणी कोण्या सै अपणी बात बिराणी कोण्या, थोड़ा दिल नै थाम लियो ॥ यारी घोड़े घास की भाई, चलै ना दुनिया कहती आई बाहूं और बोऊं खेत में, बालक रूलते मेरे रेत मैं भरतो मरती मेरी सेत मैं, मत अन्नदाता का नाम दियो । हमनै मण्डी जमकै लूटै, म्हंगाई म्हारे जिगर नै चूटै लुटै मेहनत आज किसान की, गई फूट आंख भगवान की तिजौरी भरै शैतान की, देख सभी का काम लियो । चवालीस साल की आजादी मैं, कसर रही ना बरबादी मैं म्हारे बालक सैं बिना पढ़ाई, बचपन में मरें बिना दवाई कड़ै गई म्हारी कष्ट कमाई, झूठी होतै लगाम दियो । शेर बकरी का मेल नहीं घणी चालै धक्का पेल नहीं आप्पा मारें पार पड़ेगी धीरे, मेहनतकश रूपी जितने हीरे बजावैं मिलकै ढोल मंजीरे, रणबीर सिंह का सलाम लियो । 

रणवीर सिंह

किस्सा चम्पा-चमेली
वार्ता:
करमपुर गांव में रिसाल सिंह व मामचन्द फौजी रहते हैं। रिसाल सिंह के पास तीन एकड जमीन है। फोजी के पास भी दो एकड़ जमीन है। दोनों हम उमर हैं। बचपन साथ साथ बीता है। दोनों परिवारों का अच्छा मेल जोल है। रिसाल सिंह की माली हालत काफी कमजोर है। घरवाली पर ही गुस्सा निकलता है रिसाल सिंह की घरवाली चमेली काफी उदास रहती है। मामचन्द की घरवाली चम्पा, चमेली की परकी सहेली है। चम्पा रिसाल सिंह के चमेली के प्रति व्यवहार को लेकर बहुत चिन्तित रहती है। एक दिन चम्पा अपनी सहेली से दिल की बात करती है और पूछती है— 

चम्पा का सवाल

तर्ज - रिम झिम बरसता सावन होगा -

रागनी 1

क्यों उसकी घर मैं मेर नहीं मनै साची आज बतादे नै ।

क्यों तनै खावण नै आव से असली राज बतादे नैं ।। 


क्यों चेहरा काला पडग्या ना दीखे खून बदन मैं हे उभाणे पायां क्यों हांडै ओ देरया ज्यान विघन मैं हे होठ सूकगे क्यों उसके अर पाट्‌या कुड़ता तन मैं हे क्यों इसा सूका पतझड़ छार्या बेबे थारे चमन मैं हे क्यों उसने चौबीस घण्टे की भाजम भाज बतादे नै । 


के किसे नै झूठा लाया खोट थारे पं बेबे हे के करग्या कोए धोखा लेग्या नोट थारे पै बेबे हे के कोए जुल्मी नेता लेग्या बोट थारे पै बेबे हे के कोए पुराना दुश्मन देग्या चोट थारे पै बेबे हे क्यों झपर्ट चिड़िया के ऊपर जुलमी बाज बतादे ने ।। 


क्यों अनपढ़ बालक सारे ना आसंग ईब पढ़ाणे की थारी कष्ट कमाई क्यों नहीं घर थारे मैं पाणे की

नारी शोषण और अत्याचारों को लेकर अनेक संगठन व व्यवसायिक घराने अपनी दुकान चला रहे हैं। महिलाओं के नाम पर पत्र-पत्रिकाएं बाजार में आ रही हैं। मनग किस्से व रसभरी कहानियां छापकर ये पत्र-पत्रिकाएं अपनी बिक्री बढ़ाने के कोशिश कर रही है। इनकी सोच के अनुसार महिलाओं को फैशन, व्यंजन व रसभरी कहानियों/ किस्सों की आवश्यकता है। इस दौड़ में सरकारी माध्यम भी पीछे नहीं है। दूरदर्शन पर औरत का चीरहरण कर दिया है। जाहिर है कि महिलाओं के हितों को लेकर जो प्रयास चल रहे हैं, वे कारगर सिद्ध नहीं हो रहे हैं जब तक गरीब व निम्न वर्ग की औरतों को शिक्षित नहीं बनाया जायेगा तब तक वे दकियानूसी विचारों, रूढ़ियों को तोड़ कर सुख की सांस नहीं ले सकती। मेरी यह पुस्तक उन जुझारू महिलाओं को समर्पित है जिन्होने समाज परिवर्तन के लिए अपना बलिदान दिया। 










आवरण छाया कार        : अजय वर्मा 

रूप सज्जा   : साहिब, सुभाष 

कापी राईट   : सर्वाधिकार सुरक्षित है 

मुद्रक   : क्रियेटिव आर्ट कम्यूनिकेशन, 199/20, 

नजदीक इंडियन बैंक रोहतक-124001


 


क्यों नहीं बचता धेल्ला सुध कोण्या से बालक याणे की क्यों कमनू सा हांडे जा नहीं सोधी पीणे खाणे की क्यों रहै भूखा रोज कमेरा असल इलाज बतादे नै ।। कितने दिन न्यों चालैगा जो हुआ था इकरार थारा कड़े ताहि चालैगा न्यों यो घर और परिवार थारा करले तू' किर्म जतन चमेली टूट चल्या घरबार थारा पड़े रणबीर सिंह धौरै जाणा जिब होगा उद्धार थारा बरोने मैं फिलहाल पिछोड़े ऐसा छाज बतादे नै ।। 


वार्ता - चमेली इतनी सुण के चम्पा के कान्यै सिर घरकै रोवण लागी । पर आंसु पीगी । बात बदल के उसने पूछया- तेरा फौजी कद छुट्टी बावैगा । फागण का म्हिना बी जाण नै होरया से। चम्पा की दुखती रग पै पां टैक दिया जणों चमेली नै । लाम्बी सी सांस भरी पहलम तो फेर बोली ए भाण बूझै मतना कई वै तो फोजी इतनी कसूती बाट दिखावे से अक के बताऊं चम्पा अपने आप नै रोक नहीं पाई: के कहण लागी चमेली ताहि : -

कहण चम्पा का

तर्ज: सिर पै धरया पाप का भार

रागनी 2

मेरा फागन करै मखौल, मनै पाट्या कोण्या तोल

हे क्यों करदी उसने बोल, कोन्या गेरी चिठ्ठी खोल

पता ना क्यों छुट्टी मैं रोल, देखें बाट सांझ तड़कै, 

आज्या तावल करके ।

आई फसल पकाई पै है, जासै दुनिया लाई पै हे 

मेरै लागे दिल पे चोट, बतादे मैं क्यूकर ल्यू ओट

मेरा कौणसा से खोट, सोचू रोज एकली लोट

म्हारी सारस बरगी जोट, ओ कित सोया पड़कै

आज्या तावल करके ॥

पता ना इसी के हुई नौकरी, कुण अड़चन उनै रोकरी

अमीरां के त्यौहार धणे, म्हारे तो से एकाध बणे


(2)

खेलें रल के सभी जणे, बाल्टी लेकै मरद ठणे 

देख के मेरे रूग तणे, औली आंख मेरी फड़कै, 

आज्या तावल करकै ।। 

मारै कोलड़े आंख मींच के, खेलें फागण जाड़ भींच के

उड़े आया सारा गाम, पड़े से थोड़ा थोड़ा घाम 

घरे पानी के भरे ड्राम, रणवीर सिंह ने दिया सलाम 

मनै लिया कोलड़ा थाम, मारया आया जो जड़कै 

आज्या तावल करकै ।। 

बार्ता - चमेली के परिवार का अधिक संकट बढ़ता चला गया । म्हंगाई की मार हृद तै बाहर होगी। कई बार झगड़ा होज्या था । एक दिन चमेली ने अपने पति रिसाल सिंह से सवाल करया-न्यों तो पार कोण्या पर्छ ? रोज रोज के झगड़े का कदे अन्त होगा अक नहीं? कद घर की राड़ खत्म होगी? कद म्हारे बालक बी पढ़ लिख के अफसर बनेंगे? रिसाल सिह चुप रहया। चमेली और घणी परेशान होगी और रिसाल सिंह से पूछने लगी -

सवाल चमेली का

तर्ज : ये मर्द बड़े वे दर्द बड़े (झोंका)

रागनी 3

ना रहै ठगी चोरी जारी औ दिन कद आवैगा । 

मार पिटाई बन्द हो सारी औ दिन कद आवैंगा ।। 


रोटी कपड़ा किताब कापी नहीं घाट दिखाई देंगे 

चेहरे की त्यौरी मिटज्यां सब ठाठ दिखाई देंगे 

काम करण के घण्टे पूरे आठ दिखाई देंगे 

म्हारे बालक वणे हुये मुल्को लाठ दिखाई देंगे 

कूकै कोयल बागां मैं प्यारी औ दिन कद आवैगा ।। 


दूध दही का खाणा हो बालकां नै मौज रहैगी 

छोरी मां बापां नै फेर कति ना बोझ रहैगी 

तांगा तुलसो नहीं रहै दिवाली सी रोज रहैगी 

बढ़िया व्यौहार होज्यागा ना सिर पे फौज रहैगी 

ना हो औरत नै लाचारी श्रो दिन कद आवँगा ।। 

(3)

बुलफा चरस फीम का ना कोए भी अमली पावै 

माणस डांगर नहीं रहै ना कोए जंगली पावै 

पीस्सा ईमान नहीं रहै ना कोए नकली पावै 

दान दहेज करकै नै दुख ना कोए बबली पावै 

हौवें बराबर नर और नारी औ दिन कद आवैगा ।। 


माणस के गल नै माणस नहीं कदे बी काटेगा 

गाम बरोना रणबीर का असली सुर नै छांटैगा 

लिख कै बात चमेली की सब दुख सुख नै बांटैगा 

बोहे पापी होगा जो इसा सुणनै तै नाटैगा 

राड़ खत्म हो म्हारी थारी औ दिन कद आवैगा । 


वार्ता-चमेली की बात सुणकै रिसाल सिंह का दिल थोड़ा सा पसीज्या। बात कुछ समझ में आई। बोल्या हांडी का छोह बरोली पै सवा ए वै उतरता आया चमेली। फेर पार तो कोण बसान्दी। बीमारी की जड़ पकड़ मैं ए नही बाली। रिसाल सिह जवाब देता है। 

जवाब रिसाल सिंह का

तर्ज : आल्हा

रागनी 4

सुण ध्यान लगाकै बात या पार हमारी जाणी ना । 

व्यवस्था माई हुई हड़खाई काट्या मांगे पाणी ना ।। 


म्हंगाई की मार कसूती बस भाड़ा और बढ़ा दिया

भंगड़ा जुगनी भुला दिये मन मैं मन्दिर चढ़ा दिया 

जलूस म्हारा कढ़ा दिया हमनै चाल पिछाणी ना । 


किसान और मजदूर गरीब सब फूट डाल कै बांट दिए 

क्यूकर भरै उडारी जड़ तै पर मैना के काट दिए 

बरोने मैं तो नाट लिये कति मानी उनकी बाणी ना ।। 


जूती म्हारी सिर भी म्हारा अमीर कसूती मार करे 

अपणा मारै छां मैं गेरै घणा झूठा प्रचार करै 

दूर बैठ के वार करें या म्हारी समझ मैं आणी ना ॥ 

(4)

चमेली सुण ले पांच साल मैं भेड़ की ऊन तराई हो 

नहीं सम्भाल होवै रणबीर की क्यूकर ईव समाई हो 

न्यों म्हारी चीज पराई हो या रूकती कुण्बा घाणी ना ।। 


वार्ता - रिसाल सिंह चमेली को बताता है- मैं के तेरी गैल्यां खां पाड करकै सुख पाऊ सू? पर के करू टोटे के म्हां गोड्डे भिड़ते हार्ड से म्हारे बरग्यां के। जिसी किस्मत मैं लिख राखो से उसी ए भुगतनी पड़ेगी । चमेली अचरज से मैं बोली---फेर म्हारी ए किस्मत मोटी कलम तै क्यों लिख दी राम जी नै । मेहनत करके खांवा सां। किसे के चोरी करते ना. डाका मारते ना, रिश्वत लेते ना, फेर म्हारे घर ते खाली अर चोरां के घर राम जी क्यों भरै से ? यों कितका न्या से ? इतनी सुण के रिसाल सिह फेर छोह मैं आग्या - तेरे ताडि के बर कहली अक तू आगे तै मतना बोल्या कर। न्यों कहकै बुल्धां की सान्नी भेण चाल्या गया। चमेली की बात का जवाब ऊंकै घोरै नहीं था। चमेली भी बन सा मारकै बर्तन मांजण लागगी। 


दोहा : किस्मत के ऊपर सवाल कोए ठाणा ना चाहिए । 

गरीबी अमीरी किस्मत करकै दूजा गाणा ना चाहिए ।। 


वार्ता- रिसाल सिंह सोचता है कि कदे रामजी साचेए तो म्हारी गेल दुमांत नहीं करर्या से ? फेर यकीन सा नहीं आया। सोच्या रामजी को मेरी गेल्यां के दुश्मनी से ? अर जिस दिन राम जी दुभांत करण लागज्यागा, उस दिन फेर के रहज्यागा ? चमेली बर्तन मांज कै पाणी भरण चाली गई । 


दोहा : ठाकै दोघड़ पहर लीतरे चमेली नलके पै आगी । 

गाल मैं चलती न्यों सोचे या दुनिया कित जागी ।। 


वार्ता - चम्पा चमेली तथा तीन सखियां नलके पर पानी भरण पहुंचणी । चम्पा बताती है कि फौज मैं लड़ाई छिड़ण नै होरी से। दूसरी सहेली पूछती है -तनै के बेरा ? तेरे घोरै के फौजी का तार आया से? सभी खिल खिला कर हंसने लगती हैं। नलके अभी आये नही हैं। सब अपने-२ घर की चर्चा करने लगती हैं। तरह तरह की बातचीत होती हैं। 

(5)

सखियों की बातचीत

तर्ज : डाल डाल पर सोने की चिड़िया

रागनी 5

पांच बहू नल के ऊपर आपस मैं बतलाई । 

बारी बारी जिकर करया बढ़ चढ़ कै बात सुनाई ।। 


चमेली नै मटका धरकै फरे खुल के बात बताई 

माथै हाथ मारकै बोली मैं हाली गेल्यां ब्याही 

सोतै काम तै उल्टा आवै धन्धे नै रेल बनाई 

तीज त्यौहार भूल गये सामण की पींग झुलाई 

खेतां मैं लीतर घिसगे मैं क्यूकर करू समाई ।। 


सन्तरा नै सुणकै सारी फेर अपना नाक चढ़ाया 

न्यों बोली पति मेरे नै सब चीजां का ढू लाया 

ओवर सीयर होकै बी उनै पीस्सा बहोत कमाया 

रूंढ़ी झोटी ल्याकै बांधी कर दिया मन का चाहया 

इन सबनै के चाटू परनारी पं नीत डिगाई ।। 


तीजी बहू न्यों बोली मेरा पति न्यारा कर दिया 

दोनों एम ए करकै बैठे जी म्हारा कति भर लिया 

दोनां का सै हाल बुरा चा म्हारा सारा मर लिया 

गोली खा हो ज्यान खपाणी इतना म्हारे जर लिया 

इस कंगाली नै मेरी ये सारी टूम बिकाई ।। 


छन्नो बोली इसा सुधा सै कोण्या थारै भाण जंचे 

दिन रात के धन्धे तै ग्यारा बजे सी ज्याण बचै 

सो परपंच म्हारे घर मैं सासू मेरी ल्याण रचे 

झूठी बांता के कारण पति की गेल्यां आण खिचे 

सास बहू घणी दुखी हम दोनों टोही चाहवं दवाई ।। 


सुणकै सबकी बात चम्पा नै दोघड़ अपनी ठाई 

बोली सारी भाण दुखी सां ना सुखिया कोए पाई 

कोए कहरी किस्मत कोए करमां की कहै लिखाई 

(6)

मिलकै सोचो कष्ट निवारण रणबीर नै समझाई 

सदियां तै म्हारी जात बीर की गई स घणी दबाई ।। 


वार्ता - रिसाल सिंह का गुजारा नहीं होता। सोसाइटी से कर्ज लेना पड़ता है। सैकटरी की ऊपर तक पहुंच थी। मन्त्री का ब्बास माणस था । चौबीस घण्टे दारू मैं धुत्त रहता था। और बी कई ऐब बतावें थे उसमें। कर्ज का तकाजा करण संकटरी कई बर आ लिया था। भई मजाक करता था। उस दिन भी दारू पीकर बाया था। चमेली उसकी बातों का मतलब समझगी। उसने कहुया बरू ओ घरां कोण्या । जब औ घरां हो जिब आइये । सांझ नै रिसालसिंह चव घरां आया तो बमेली बताती है । 

कहण पति से

तर्ज : कस्में वायदे प्यार वफा ये बातें हैं बातों का क्या -

रागनी 6

सोसाटी आला बाबू जी रोजाना फेरी मारै सै 

दारू पीकै घरने आनै कुबध करण की धारै रौ ।। 


म्हारे घर अन्न वस्त्र का टोटा इतने जतन करें पिया 

म्हारी जिन्दगी बीत गई हम टोटे के म्हां मरैं पिया 

लत्ता कपड़ा नहीं ओढ़ण नै जाड़े के म्हां ठिरै पिया 

बता जुल्मी करजे का पेटा किस तरियां तै भरै पिया 

इस करजे की चिन्ता मनै शाम सबेरी मारै सै ।। 


धरती सारी गहने घरदी दवा लिये करजे नै 

जितने जेवर थे घर मैं सब बिका दिये करजे नै 

म्हारे कान्धे आज तले नै झुका दिये करजे नै 

रोटी कपड़े के मोहताज हम बना दिये करजे नै 

सोसाटी आला बाबू जी ईज्जत पै हाथ पसारै से ।। 


जहरी नाग फण ठारे कुएं जोहड़ मैं पड़ना दीखे 

क्यों नहीं गुजारा चलै ज्यान का गाला करना दीखें 

करजा म्हारा नाश करैगा दुख घणा भरना दीखे 

मारू सैकटरी नाश जले नै ना आप्पै मरना दीखें 

आंख मूं'दगे हीजड़े होगे ओ गाम नै ललकारं से ।। 

(7)

गरीब की बहू जोरू सबकी समझे दुनिया सारी 

मेहनत तै लूट लई म्हारी ईज्जत लूटण की तैयारी 

सारा गाम बिलखै पिया कड़े गया कृष्ण मुरारी 

रणबीर सिंह बरोने मैं बताने खोल या बेमारी 

करियो ख्याल तावले सारे चमेली खड़ी पुकार सै ॥  


वार्ता - रिसाल सिंह चमेली की बात सुनकर आग बबुला हो जाता है। सैक्टरी की इतनी मजाल। जेली ठाकै चाल पड़या हिसाब बराबर करण । घर-वाली रिसाल सिंह के पायां पड़ जाती है और कहती है- 10 हजार कर्ज ले राख्या उसका के बनैगा ? रिसाल सिंह कहता है देखी जागी। जेल काट ल्यांगे । पर म्यों तहलैंडू रहकै कितने दिन जीवांगे? सैक्टरी रमले की पोली मैं बैठ्या था। दो पहलवान भी उसके घोरै बैठे थे। ताश खेलण लागरे थे। रिसाले के तन-बदन में आग लागगी। बोल चुप्पाके नै सीधा जाकै दोनू वांह सम्हां के सैक्टरी के जेली लाठी की ढाल मारी कड़ मैं। दोनू पहलवान तै बांड टोहे भी ना पाये । लोगां नै बीच बचाव करा दिया। सैक्टरी नै माफी मांगी। पर भीतरै भीतर जल के राख होग्या। सारे गाम में चरचा होग्या। जितने मुंह उतनी ए बात । कोए सैक्टरी का कसूर बतावै अर कोए चमेली का। चमेली का राह चालना मुश्किल कर दिया । एक दिन तीन-चार पुलिस आले आये अर रिसाल सिंह ने थाने में पकड़ कै लेगे। थाने में बुरी बनी उसके साथ । 

थाने में दो रात

तर्ज : हो दूर जाने वाले कोई रास्ता बतादे

रागनी 7

हथकड़ी पुलिस नै रिसाल सिंह कै आण चाणचक लाई । 

किवाड़ां पाछे खड़ी चमेली ना उसकी पार बसाई ।।

 

थाने के म्हां करी मंजाई कोए कसूर बताया ना 

दो दिन राख्या थाने के म्हां परचा कोए बनाया ना 

कागजां मैं दरज पाया ना चमेली धक्के खाकै आई ।। 


बड्डे चौधरी गाम के जितने मार गये दड़ सारे 

मन्त्री का डर सबनै लागे जितने मितर प्यारे 

चम्पा चमेली ना होंसला हारे ना पुलिस तै दहशत खाई ।।

 

(8)

पिट छित के उल्टा आग्या घेला एक दिया कोण्या 

अपने मन मैं धार लिया सैक्टरी माफ किया कोण्या 

ऊतां का संग लिया कोन्या रणबीर की यारी चाही ।। 


संगठन करकै लड़ां लड़ाई ना ताकत बरबाद करां 

हम सारे भाई कट्ठे होकै हक मागां ना फरियाद करां 

न्यों जिन्दगी अपनी आजाद करा ईब ना हो म्हारै समाई ।। 


वार्ता - थाने से वापिस आने के बात चमेली रिसाल सिंह से पूछती है-बिमला के बाबू बता यो राम जो म्हार ए पाछे क्यों पड़ऱ्या से ? सांच ने आंच नहीं सुण्या करदे। फेर आज तो आंच से सोच नैं कहावत बणनी चाहिए। बद-फेली करें अर ऊपर तें सीना जोरी। रिसाल सिंह कहता है बस बिमला की मां बूझे ना। जी तै इसा करें से अक सब क्यांहे कै आग लाकै भस्म करदयू पर ये चोर बदमाश अर काले बजारिये तो फेर भी बचे रहज्यांगे । 


दौहा : राम जी के भगत दोनों हाथ जोड़ फरियाद करें । 

साथ निभा कृष्ण मुरारी सैक्टरी हमने बरबाद करें ।। 


वार्ता - एक दिन रिसाल सिह से उसका दोस्त नफे सिह पृश्यता है- भाई घरां किमै तकरार तो नहीं चालरी' सूकता क्यों आवै सै ? रिसाल सिंह बोल्या-ना तकरार तो किमै ना नफे फेर बोल्या ताप तूप आवै था ? रिसाल बोल्या-ना नफे सिह नै ठाडू बोल मैं बूझ्या तो फेर के सूई खाग्या, बतान्दा कोन्या के मरज से यार के ? रिसाल सिंह ने जवाब दिया मैं तो म्हंगाई नैं खा लिया जमा नफे सिह बोल्या म्हंगाई तो सबनै सेधै से। न्यों कहै नै अक घरआली नाज डिगादे से । रिसाल सिंह बोल्या र उसका तो तर्ने बेरा ए सै। इसी बातां के घोरै के बी ना जान्ती चमेली। नफे सिह नै बूझ्या तो के बात से ? रिसाल सिह उसे समझाता है ।  

जवाब रिसाल सिह का

तर्ज : फूल तुम्हें भेजा खत में

रागनी 8

म्हंगाई नै काल कर्या मैं बहुत घरणा दुखी पारया सू' । 

बीर मेरी तै हीरा से रल मिल के बात बणारया सूः ॥ 

(9)

बरते बिना तो भले खोटे का कोण्या बेरा पटता 

भीरू माणस मोक मारज्या सच्चे का सिर कटता 

गण्डा पैदा करै रिसाला मौज क्यों साहू खटता 

गाम राम मैं माणस छिदा अपणी आण पै डटता 

लाख टके की बात खरी से मुफ्त मैं आज सुणारया सू' ।। 


सहनशील गुणवन्ती मिलगी अकलमन्द और स्याणी 

चेहरा देख मनै म्यों लागै जणू हो झांसी की राणी 

उस गेल्यां रल मिल काटूं मनै पड़ी बिपता ठाणी 

बहोत घणा सबर उसमें नहीं चमेली जमा अंघाणी 

इसो मिली मनै नार नफे तनै सही बतारया सूं ।। 


मैले लत्ते पहर रही जण बादल में सूरज ल्हुकण्या 

घाम पड़े लू चालै उसका हाथ कसोले पै झुकरया 

हुई बेहाल पसीने मैं तर जी ढाठे के मैं घुटरया 

ऊपर तै यो काम कसाई तल्लै रेत्ता बालू फुकरया 

मैं लाचार खड़या डोले पै उसकी तरफ लखारया सूं ।। 


मैं कहूं मत लड़े बहू तै मां लोग हंसाई हो ज्यागी 

माँ बोली चुप रहज्या ना तो घणी लड़ाई हो ज्यागी 

सोना कहै रांग नै क्यूकर मेरै समाई हो ज्यागी 

के न्यों बिसराये तै नफे पाणी में काई हो ज्यागी 

कदे रोकै कदे हंसकै मैं जिन्दगी की तान बजारया सूं । 


ना रोकी ना टोकी कदे ना मन्दा बोल्या चाल्या 

बीर समझ कै मरद पने का रोब कदे ना डाल्या 

गैर बीर नहीं कदे निगाही ना मेरा हिया हाल्या 

क्यों म्हारा पूरा पटता ना मैं इस चिन्ता नै साल्या 

रणबीर किसी कविताई से मैं अपणा दुखड़ा गारया सूं ॥ 


वार्ता - रिसाल सिह नफे सिह की बात चमेली ने बतावै से। चमेली को दुख तो बहुत आता है पर खुश भी हो से बक रिसाल सिंह के दिल में उसने द्वारे मैं बढ़िया भावना से । 


(10)

दोहा : रल मिल के कर गुजारा नहीं हो तकरार कभी । 

बुरे दिन और हैं बाकी रहना हो तैयार अभी ।॥ 


वार्ता - चम्पा एक दिन चमेली के पास आती है और चिट्ठी लिखने को कहती है। चम्पा है तो अनपढ़ पर दिल की बहुत अच्छी है कहने लगी- फागण गया, चैत गया, ईब बसाख भी जाण लागऱ्या से। बालक बीमार से। दो चिट्ठी पहलम लिखवाली पर कोए बेरा नहीं बाया। ईब के सख्त व सक्त चिट्ठी विश्वये । चम्पा मोटी मोटी बात बता देती है। 

चम्पा की पुकार

तर्ज : घड़ी मिलन की आई

रागनी 9

जै उड़े रोटी खावै पिया आड़े आकै पिये पाणी । 

मींह बरगी तेरी बाट पिया गेरै चिट्ठी तेरी राणी । 


तनै बताऊ इस घर मैं मनै दीखे घोर अन्धेरा हो 

बरोने मैं पिया जी पड्या सै तेरा सूना डेरा हो 

घर मैं तंगी याद तेरी और दिया ताप नै घेरा हो 

तनै हो लिया पूरा डेढ़ साल ना लाया इब तक फेरा हो 

बेमार पड़ी कई दिन तै होती दीखै कुण्बा घाणी ।। 


थी फूलां मैं तोलण जोगी होया नाश शरीर का हो 

बहता पानी गुणकारी बणै कुछ ना खड़े नीर का हो 

दिल घबरावै मेरा भरोसा ना तकदीर का हो 

ताने मारै दुनिया जणू निशाना तीर का हो 

बालक रोवं पायतां बैठे उमर से इनकी याणी ।। 


थोड़ी लिखी नै घणी मानिये हाथ जोड़ के कहण मेरा 

सुसरा मेरा गाली दे दे करदे मुश्किल रहण मेरा 

इसतै आच्छा तो पिया जी आर्क करदे दहण मेरा 

घणे दिन ओटी ईव कति दिल करता कोन्या सहण मेरा 

बख्त पे आण सम्भाल लिये कदे होज्या लाश उठाणी ॥ 


(11)

भूल गये वो बाग बगीचे थी कोयल की कूक जड़ै 

भूल गये वे राग रसीले लखमीचन्द की हुक जड़ै

भूल गए वे स्कूल मदरसे पढ़ाई की थी भूख जड़ै  

कौल करार भूल गए वे आपस की रसूक जड़ै 

रणबीर तै बूझू जाकै हो कित अरजी ले ज्याणी ।। 


वाताँ—चिट्ठी लिख कर चम्पा को दे देती है। चम्पा चिठ्ठी की तरफ खाली नजरों से देखते हुए अपने घर की तरफ चल पड़ी। लाम्बी सांस खीच के लोचण लागी-मैं भी पढ़ लिख लेती तो ? ख्यालों में खो जाती है चम्पा । 

चम्पा का सोचना

रागनी 10

मैं लिखी पढ़ी होती तै दिल खोल तनै दिखा देती । 

लिखकै सारी बात पिया जी तत्काल तनै बुला लेती ।। 


बचपन मैं पढ़ नहीं पाई मनै भाई खूब खिलाया था 

मां बाबू अनपढ़ मेरे नहीं रस्ता स्कूल दिखाया था 

गोबर पाथना खूब सिखाया था जड़ मैं भाई बिठा लेतो । 


छोरी का पढ़ना ठीक नहीं बस इतना ही सुण्या हमने 

दुख सुख किस्मत करकै इसा ए नक्शा बुण्या हमनै 

नहीं खुद रस्ता चुण्या हमनै भाभी दो बात सिखा देती । 


देखते देखते म्हारे साहमी यो बख्त पुराना बदल गया 

नए तौर तरीके खोज लिए साइंस का बढ़ दखल गया 

ईव मनुष्य हो सफल गया साइस मरते नै जिला देती । 


मेरी पार बसावै पिया तो विद्या पढ़ज्यां सारी नै 

डर लागे दुनिया के कहवै लग्या राम बुढ़ियारी नै 

रणवीर सिह से लिखारी ने लिख के बोल हिला देती । 





(12)

वार्ता- चिठ्ठी के बाद चम्पा का घरवाला दो हफ्ते की छुट्टी आग्या। चम्पा की हालत सुधर रही है। चमेली एक दिन हाल चाल पूछने आती है। फौजी भी वहीं पर है। फौज की जिन्दगी के बारे में बातचीत होती हैं। फौजी बताता है-ईब पहल्यां आली बात कड़े से फौज मैं भी। वह चमेली के घर के बारे में पूछता है। चमेली का धन्यवाद भी करता है कि चम्पा की चिट्ठियां वह लिख देती है। 


दोहा : तेरे बिना नहीं चालै काम तेरी सहेली का । 

फौजी कोन्या भूलै चढ्या जो शान चमेली का ।। 


वार्ता - चमेली कै तो टोटे की खटक कसूती लागरी थी। बोली- ए' बो दियाल कोट मैं भी इतनी ए म्हंगाई से के इन वार्ता की चरचा फौज में नहीं चालती ? मामचन्द बताता है कि घणहरे फौजी इसी चिन्ता में रहते हैं कि के बर्णगा ? चमेली फौजी से पूछती है। 

सवाल चमेली का

तर्ज : आपकी इनायते आपकी

रागनी 11

अन्न वस्त्र का टोटा घर मैं इतने जतन करें फौजी । 

सारी जिन्दगी बीत गई हम टोटे बीच मरै फौजी ।। 


टोटा खोटा दुनिया के मां इस टोटे कै लिहाज नहीं 

म्हारे जिसे मोहताजां की कम दुनिया मैं तादाद नहीं 

कितना दुख बाकी बचरया से इसका जमा अन्दाज नहीं 

दूध मलाई किततै आवै खावण खातर नाज नहीं 

लत्ता कपड़ा ना ओढ़ण नै जाड़े बीच ठिरै फौजी ।

 

चोर जार ठग मौज उड़ावै गरीब रहें दुख भरते 

सै बदमाशां की चान्दी सांचे फिर गुलामी करते 

तिजौरी भरी अमीरां की गरीब भूख मैं मरते 

मेहनतकश की लूट कमाई अमीर मौज मैं फिरते 

क्यों बालक म्हारे गालां के मैं हुए उदास फिरें फौजी । 


(13)

कमा कमा के मर लिए हमने दिन और रात गिनी कोन्या 

टोटा आगे आगे चाल्या नफे की बात बनी कोन्या 

म्हारे ऊपर टोटा क्यों से या पल्ले मेरै घली कोन्या 

बालक बाट मिठाई की देखें चुल्हे आग जली कोन्या 

इतना सबर तो करया और ना ज्यादा घूट भरे फोजी । 


लहू चूस लिया सारे गात का घणा सताए टोटे नै 

घर बिगड़ण मैं कसर रही ना बिधन खिडाए टोटे ने 

किसी माया रच राखी ये जाल बिछाए टोटे नै 

इसे फंसाए बांध जूड़ लाचार बनाए टोटे नै 

कहै रणबीर बरोने आला क्यूकर पार तिर फौजी ।। 


वार्ता – मामचन्द चमेली को बताता है कि फौज में भी कई कमी बागी। दूर के ढ़ोल सुहावने लाँगे से। चरचा सारे से अक देश का के बर्णगा? के बदाब न्यारे न्यारे मिले से ।

 

दोहा : लोगों की सेवा की बजाए राजनीति बनी कपट का खेल। 

चोर बदमाश यहां बने चौधरी सच्चों को मिलती जेल ॥  


वार्ता-मामचन्द फौजी की छुट्टी खत्म होगी। वापिस चालने की तैयारों करता है। चम्पा कुछ दिन और ठहर जाने का तकाजा करती हैं। मामवर कहता है-तने तो बेरा से चम्पा फोज की नौकरी का । बिना खास कारण हो नहीं बघवाई जा सकती । चम्पा कहती है कि घरवाली की बीमारी नै फोज बाह कारण नहीं मानती के ? चम्पा कहती है। 


दोहा । टेलीफून मिला अफसर तै फरियाद करिए हाथ जोड़ है। 

दस दिन की छुट्टी बधाद्यो कहिए फौजी मुह फोड़ कै ॥ 


वार्ता-दस दिन की छुट्टी भी खतम होने को आ गई चम्पा को बहुत खराब सपना आया। सरहद पे जणों लड़ाई छिड़गी फौजी की पलटन दुश्मनों से विर जाती है। फोजी लड़ाई में मारा जाता है। चम्पा फोजी को फिर कहती है-छो फौज की नौकरी। बाई ए खा कथा ल्यांगे सपने का जिकर करती है। 

(14)

सपने का हाल

तर्ज : डस गया नाग बरी

रागनी 12

दिख्या छलनी पड़या सरहद पे शरीर की नाड़ी छूट गई । 

रोती हांडू गालां के म्हा मेरी क्यों किस्मत फूट गई ।। 


तेरी पलटन कलकत्ते तै चल के आई थी पंजाब मैं 

लैफ्ट राइंट करता दीख्या थी ज्यादा अकड़ जनाब मैं 

पाकिस्तानी फौज दो आब मैं मेरा कालजा या चूट गई । 


हवाई जहाज बम्ब बरसावं उड़े दनादन गोली चाली 

पैटन टैंक दाग रहे गोले चोगरदं धरती हाली 

उड़ें धरती पै छाई लाली मैं पी सबर का छूट गई । 


पहल्यां कदे बी देखी नां इसी घमासान लड़ाई मनै 

माणस का बैरी माणस था देखी मची तबाही मनै 

तों ना दिया दिखाई मनै मेरी दुनिया जण लूट लई । 


थोड़ी हाण मैं मोर्चे पै तू आगै खड़ा दिखाई दिया 

करै बौछार एल एम जी स्याहमी पिया अड्या दिखाई दिया 

फेर रणबीर पड़या दिखाई दिया या नींद मेरो तो टूट गई। 


वार्ता-मामचन्द बोल्या-सपना साचो नहीं हुआ करै। चिन्ता मतना करिये । फौजी वापिस चला गया। चम्पा की ननद मिलकपुर में व्याही थी। ऊपर तै दीखण में सब बढ़िया चालरया था। पर भीतर भीतर गम्भीर पाकरी थी। खबर आई नक किताबो जल के मरगी। रोटी पोवै थी। स्टोव पाटण्या । आग लावगी मैडिकल में जाकै मरगी । चमेली चम्पा को उदास देखती है तो कारण पूछती है। चम्पा ननद के हादसे के बारे मैं बतावै से। चमली बोली-ए स्टोव तै नपूत्यां क था एना। पाट किततै गया ? 




(15)

तर्ज : दोवां म्हाते एक काम कर

रागनी 13

के बूझे से भाण चमेली सारा तो तनै बेरा है । 

देख देख इसी करतूतां नै विध्या कालजा मेरा है ।। 


नणद मारदी दिन घोली घणा बुरा जमाना आया 

स्टोव नपूते नै बी बेबे म्हारे कान्हीं मुंह बाया 

कोसली हो चाहे गोहाना घणा कसूता जुलम कमाया 

किस किस का जिकरा हे आज दुर्योधन बी शरमाया 

जली नहीं से गई जलाई न्यों छाया बाज अन्धेरा है । 


इस देश में छोरी पैदा होण पै सारै छा मुरदाई जा 

छोरे के उपर बाजै थाली घणीए खुशी मनाई जा 

जिसकै होवै लागती छोरी वा निरभाग बताई जा 

इसकी दोषी कहें बीर नै न्यों म्हारी आ करड़ाई जा 

म्हारी समझ मैं आया कोन्या यो विधनां का घेरा हे । 


मनू महाराज नै भाण चमेली कसूता अत्याचार करया 

लूंला लंगड़ा गंवार और कोढ़ी पति म्हारा स्वीकार करया 

नाड़ झुका और गूंगी बणकै हुकम हमें अंगीकार करया 

नाड़ उठाकै जो बोली कुल्टा जिसा ब्यौहार करया 

हमनै नागन कहै माणस क्यों चाहवै बण्या सपेरा है । 


पां की जूती बरोबर म्हारी क्यों तसबीर दिखाई जा 

राज करण की छोरयां तैं पूरी तदबीर बताई जा 

वीर नै गम खाणा चाहिए म्हारी तकदीर सिखाई जा 

म्हारै वासी खिचड़ी थ्यावै उननै हल्वा खीर खिलाई जा 

रणबीर सिंह ना झूठ लिखे से गाम बरोने डेरा है । 








(16)

वार्ता - चमेली लाम्बी सी सांस भरकै बोली- चम्पा बात तै तू ठीक कहै से पर करां के ? कोए राहू गोण्डा तो नहीं दिखाई देता। अन्धेरा ए अन्धेरा दिखे से। कई में तो इसा जी कर से अक गोली खा के लाम्बी तान के सो ज्याक चम्पा बोली- ना बेबे इसी मना सोचिए । एक तै दो भले । मरना ए से तो कुछ करके मरना चाहिए। न्यों किसे के के अजार आवै से। 


दोहा : बिराणे भरोसे बैठ के म्हारा कदे उद्धार नहीं होने का । 

आपा मारें पार पड़ेगी पुकारै बच्चा बच्चा गाम बरोने का ।। 


वार्ता - दिन बीत रहे थे। एक दिन की बात है रिसाल सिद्ध के घर मैं उसकी लड़की बिमला अकेली थी। सैक्टरी अपणे चकरां मैं था। रिसाल सिह थाने में पिटवा के भी उसकी तसल्ली नहीं होई थी। उसने बेरा था अक बिमला अकेली है। घर पहुंच कर वह बिमला को फुसलाने की कोशिश करता है। 

सैक्टरी का कहना

तर्ज : कहकै उल्टा नहीं फिरूंगी

रागनी 14

करमां करकै विमला फेटी, क्यों वनरी तू इतनी ढ़ेठी, 

ना मैं चाचा ना तूं बेटी, करदे मन चाहया ।। 


आग क्यों ना कदम डालती, क्यों मेरी कही बात टालती 

चालती सांस दोखरी बड़ मैं, भरया रस केले केसी घड़ मैं 

आज्या बैठ पलंग पै जड़ मैं, हो आनन्द काया ।। 


मेरै छिड़ी से इश्क बिमारी, तेरी या खिलरी केसर क्यारी

 सारी उमर रहै दुख भरना, गरीब बाप का लेरी सरना 

मान ले ब्याह मेरे लें करना, तेरी सब घन माया ।। 


होसै करे करम की लाग, ना समझेंगी तों निरभाग 

इसतै ज्यादा तोड़ नहीं से, तनै मरण नै ठोड़ नहीं से 

मेरै चिजां की ओड़ नहीं से, पाज्या सुख काया ।। 


गया हुआ वस्त हाथ ना आवै, दखे कदे तू' पाछे पछतावे 

बात पते की समझाऊ मैं, तेरे मेटना दुख चाहूं मैं 

रणबीर सिंह नै मरवाऊं मैं, उनै सत्यानाश कराया ।। 

(17)

वार्ता बिमला सैक्टरी की चाल समझ जाती है। उसे एक बार तो बहुत डर लगता है। सेक्टरी उसे अन्दर की तरफ बुलाता है। बिमला बगड मै वही खड़ी होती है और कहती है में ईव सक्का दयू सुनाते बोल चुपचाप चाल्या जा चाचा। सैक्टरी फिर भी फुसलाने की कोशिश करता है तो बिमला क्या कहती है। 

जवाब बिमला का

तर्ज : एक प्रदेशी मेरा दिल ले गया

रागनी 15

देख एकली विमला नै क्यों लाग्या करण ग्रंघाई चाचा। 

करज लिया से हमनै ना ईज्जत गहन घरवाई चाचा ।। 


माणस होक डांगर की ज्यू मतना नीत डिगाईये 

मेरी आधी उमर तेरी अकल मारी तावला चाल्या जाइवे 

घणी वार मतना लाईए ईव होती नहीं समाई चाचा । 


फूल समझ के ना हाथ लगाइये कदे कांटा चुभज्या 

नीच काम से बहोत घणा यो नाम जगत मैं युकज्या 

पापी तू उल्टा ए डिगरज्या में समझ गई चतराई चाचा । 


आंख खोल ले होश मैं आज्या क्यों मरणा चाहवं से 

मनै देख पागल होग्या क्यों मनै वरणा चाहवै से 

क्यों कुकरम करणा चाहवं से होज्या तेरी पिटाई चाचा । 


मेरा ख्याल छोड़ चाल क्यों बीज बदी के बोबे हो 

इन्सानों के ये काम नहीं क्यों वृथा झगड़े झोने से 

रणबीर तनै टोहवं से संग बरोने की लुगाई चाचा । 


दोहा : तीर चलाये हाड़े खाये दाल उड़े गली कोण्या । 

विमला पक्की कोण्या कच्ची गेल उसकी रली कोण्या ॥

 

वार्ता -बिमला का रुख देखकर सैक्टरी वहां से भाग जाता है। पर बाते जाते धमकी दे जाता है कि यदि किसी को कुछ बताया तो बेड़े वे लाश पार्वणी बेरी किसे दिन । बपनी भलाई चाहवे से तो मेरी बात मान जाइये । 


दोहा : मन में डरें के करें बिमला सौर्च मन के म्हां । 

थर थर कांप गुस्सा आगे नहीं बाकी तन के म्हां ।। 

(18)

वार्ता – बिमला की मां बिमला को दो तीन दिन से उदास देख रही थी। कारण पूछती है। बिमला रो पड़ती है। चमेली को भी पक्का सा बगता है। कई तरां की बात मन में सोचती है फिर कहती है। 

दोहा : क्यों रोगे बेटी बिमला के तंग करै ऊत लु'गाड़ा । 

चुप होज्या मेरी जाई बता के हुया कोए पवाड़ा ।। 

वार्ता- डरती डरती विमला अपनी मां को सारी बात बता देती है। चमेली की आंखों के सामने अन्धेरा सा छा जाता है। रिसाल सिंह की थाने में पिटाई शेर सारी घटना उसकै साहमी बा खड़ी हो से। वेबस होकै चमेली बी रोण लागज्या से। इतनी वार में चम्पा आज्या से चमेली पहले तो बात को छिपाना चाहती है। कवारी छोरी का मामला से। पर चम्पा के सामी चमेली पहलम कदे कोए बात ल्यको पाई होते ईब रहको पान्ती। सुणर्क चम्पा कहती है। 

कहण चम्पा का

तर्ज : मेरा मन डोले मेरा तन डोले

रागनी 16

मरो कीड़े पड़कै, मेरै घणा कसूता रड़कै, क्यो कुवध करें से निरभाग 

पड़े ईब खेलना खूनी फाग । 


उसकी गुण्डा गरदी बढ़गी ज्यान काढ़ ली म्हारी बेबे 

सफेद पोश बदमाश नै करी दुखी या जनता सारी बेवे 

कमला सरती घमलो रोवै ना बात एकली थारी बेबे

ना रहया गुजारा गरीवां का बादल संकट के भारी बेबे 

हमनै लड़ना हो जमकै अड़ना हो चिन्गारी वर्ण धधकती आग 

पड़े ईव खेलना खूनी फाग । 


बिमला जै चुप रहैगी तो यू सांड सैक्ट्री छूट ज्यागा 

जितनी बहू बेटी से गाम की भाग सबका फूट ज्यागा 

सजा मिले बिन ओ पापी सबकी ईज्जत नै लूट ज्यागा 

जवान गाभरू हुये होजड़े विश्वास म्हारा टूट ज्यागा 

हृया चुप भगवान दुखी हुया इन्सान तारां आप यो काला दाग 

पड़े ईव खेलना खूनी फाग । 


(19)

मेरै जरगी बाहण चमेली मुश्किल म्हारी पार पड़ेगी हे 

बिमला बेटी करो होंसला तेरी चाची त्यार लड़ेगी है 

एक को श्रागै होके चालां बीरों की लार अडंगी हे 

गाम संगठन बना करमपुर की या बहादर नार भिडंगी हे 

ते ताहवें ना भाज्या ध्याने उसके आज्या मूह में झाग 

पर्ड ईब खेलना खुनी फाग  । 


सारी भाणो सुणल्यो रोज म्हारी गेल्यां ऐसी बात वर्ण 

म्हारी आवरू तारण खातर या गुण्डयां की फौज फिरै 

कदे कोसली कदे काण्ड गोहाना ज्यान हमारी रोज घिरै 

झूठा पाखन्डी ढोंगी पापी आड़े जमकै मौज करै  

चालै जोर नहीं सभाई और नहीं रणवीर सिह गांव म्हारे राग 

पड़े ईब खेलना खूनी फाग  । 


वार्ता - चम्पा चमेली सलाह करके रिगाल सिंह को फिलहाल इस घटना का जिकर न करने का मन बना लेती हैं। चमेली का दिल पहली घटना नै पकर राख्या सै। भय भी से अर गुस्सा भी आवै है सैंक्टरी पै, पर पार भी कुछ नहीं बसान्ती । चम्पा पें उसने भरोसा से। उसकै आगे एक दिन दिल की भडांर काड़ से। चमेली कहती है। 

कहण चमेली का

तर्ज: उसकी करणी उसकै आगै जिकर करया ना करते

रागनी 17

चाला कर दिया उसने चम्पा भूल गया घरबार नै । 

बाकी कोण्या छोडी बेबे उस लुच्चे बदकार नै । 


खोटी कार करण नै क्यों खोटा ध्यान हो गया 

साफ नीयत ना राखी क्यों बेईमान हो गया 

कोए नहीं बोलता क्यों बियाबान हो गया 

छह म्हिने तै म्हारा घर शमशान हो गया 

कुबध करण की ठाणी उसनै भूलग्या सही विचार है। 


चाचा होके डूबण लाग्या कती शरम ना आई

 

(20) 

इश्क नशे मैं टूहल गया पाप की राह अपनाई 

गलत सही नै भूलग्या चाही करनी उनै तबाही 

काम वासना डटी ना टोहली नाश करण की राही 

मींच लई क्यों आंख बता गरीबां के कृष्ण मुरार नै । 


भस्मासुर मरया था उसने उमा पै नीत डिगाई 

रावण का के हाल हुआ जिब जानकी उनै चुराई 

पाप पै आण मरया नारद जा मोहनी उन रिझाई 

कीचक का भी वध होग्या जा उन द्रोपदी ठाई 

इन्द्र जी भी रोया गेर अहिल्या ऊपर लार नै । 


भाण बेटी पै नीत डिगादे इसतै भूडा करम नहीं 

डूबग्या चाचा होकै रैहरी उसकै जमा घरम नहीं 

बदला जरूर लेवांगे सां इतने हम नरम नहीं 

नाश जले उस सैक्टरी के हम छोड्डांगे भरम नहीं 

रोज पिनागै रणबीर सिंह कलम रूपी तलवार नै ।

 

वार्ता - सैक्टरी की हरकतों से रिसाल सिंह दुखी है। बिमला बाली बात का उसे पता नहीं चलता पर कर्ज की चिन्ता और संक्टरी के फेरे उसके जी का जंजाल बणते जा रहे हैं। एक दिन रिसाल सिंह सोचता है कि कुण्बे में एक दादा है. उससे पीस्सा उधार लेकै सोसाटो का कर्ज तो तार द्यू। सैक्टरी के चक्कर तो बन्द हो ज्यांगे। दादा को रिसाल सिंह जाकर प्रार्थना करता है। 

कहण रिसाल सिह का

तर्ज : सावन का महिना पवन करे शोर

रागनी 18

रिसाला : मदद करो दादा जी मनै देकै करज उधारा 

दादा : पीस्सा उधार देण का ना से बेटा ब्योंत हमारा । 

रिसाला : ठीक नहीं से अड़ी भीड़ मैं अपणे ताहि ना करना 

दादा : बात गलत से औरे गैरे ते करजे ताहि हां करना 

रिसाला : चाहिये इस ढ़ाला ना करना करै क्यूकर गरीब गुजारा । 

दादा : लेण देण इसा चाहिये न्यों चालै ना साहूकारा । 


(21)

रिसाला : दादा मतना फरज भूल फंस के माया के जाल में 

दादा : धरती गहणैए धरदे तो करूं ना करजे की टाल मैं 

रिसाला : अमीरों के ताल मैं होसै गरीबों का निस्तारा । 

दादा : दादा के ख्याल मैं तेरे किसे लाखों ऊत आवारा । 

रिसाला : म्हारा थारा लेण देण घणे दिनां तै चलता आया 

दादा : जिब बख्त बदलज्या साथ साथ ब्यौहार बदलता आया 

रिसाला : चढ्‌या शिखर ढ़लता आया फेर माणस कोण बिचारा। 

दादा : ढलकै काया माया छाया नहीं आवै कदे दोबारा ॥ 


दोहा : हजारों लाखों किसान बिचारे करज बोझ तै बिलख रहे । 

साहूकार आज मौज करें माये ऊपर लगा तिलक रहे ।। 


वार्ता- रिसाल सिंह बहुत दुखी है। कई बार आत्म हत्या करने की सोचता है। पर फिर ख्याल आता है बिमला का, कमला का, शमशेर को इन बच्चों का क्या होगा ? सैक्टरी तो बसणैं कौनी दे चमेली नं। इसी बीच पचायत के चुनाव आ जाते हैं। नोट व दारू से वोट खरीदे जाते हैं। चमेली चम्पा सब देखती हैं। सैक्टरी बहुत भाग दौड़ में है। दो उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है। एक बदमाश आदमी है, पीस्से आला है, संक्टरी उसकी मदद पैसे। दूसरा बादसी शरीफ से । ईमानदार से। चमेली एक दिन रिसाल को क्या कहती है ? 

सवाल चमेली का

तर्ज : मेरा मन डोले मेरा तन होने

रागनी 19

लेज्यां म्हारे वोट करें बुरी चोट आवै क्यों नींद रूखाले नै । 

घेर लिए मकड़ी के जाने में ।। 



(22)

जब पाछे सी भैंस खरीदी देखी थी धार काढ़ के हो 

जब पाछे सी बीज ल्याया देख्या था खूब हांड कै हो 

जब पाछे सी हैरो खरीदया देख्या था खूब चांड कै हो 

जब पाछे सी नारा ल्याया देख्या था खुड काढ़ के हो 

बोटां पै रोल पार्ट कोण्या तोल लावां मुंह लूटण आलै नै । 

घेर लिए मकड़ी के जाले नै । 


घण दिनां तै देख रही म्हारी दूनी बदहाली होगी 

हमनै भकाज्यां आई बरियां इवकै खुशहाली होगी 

क्यों माथे की फूट रही या दूनी कंगाली होगी 

गुरु जिसे चुनकै भेजा उसी ए गुरु घंटाली होगी 

छाती कै लागे क्यों ना दूर भगावे इस विषहर काले नै । 

घेर लिए मकड़ी के जाले नै । 


ये रंग बदलें और ढंग बदलें जब पांच साल मैं आवै से 

जात गोत की शरम दिखा के वोट मांग ले ज्यावैं सैं 

उनकै धोरै जिव जाणा हो कितका कोण बतावै से 

दारू बांटें पीस्सा वो खरच फेर हमनै ए खावैं सैं 

करें आप्पा घापी छारे पापी घाप्पै ना किसे साले नै । 

घेर लिए मकड़ी के जाले नै ।। 


क्यों हांडे से ठान बदलता सही ठिकाना मिल्या नहीं 

बाही मैं लागू और टिकाऊ ऐसा नारा हिल्या नहीं 

म्हारे तन ढ़ांप सकै जो कुड़ता ऐसा सिल्या नहीं 

खेतां मैं धन उपजावां सां फूल म्हारै खिल्या नहीं 

साथी रणबीर बणानै सही तसबीर खींच दे असली पाले नै । 

घेर लिए मकड़ी के जाले नै ।








 


(23)

वार्ता - सैंकटरी का सरपंच जीत जाता है। सैकटरी की हरकतें और बड जाती है। रिसाल सिंह उसकी शिकायत ऊपर महकमें को कर देता है। भूमी की इन्कवारी होती है। क्या क्या होता है। 

कहण कवि का

तर्ज : रामचन्द्र जी कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा

रागनी 20

अपणे खुद दस्तक करकै ऊपर उसने फरियाद करी। 

सैकटरी के हथकड़ी लाओ इसनै जिन्दगी बरबाद करी ॥

 

पांच सात और जोड़ लिए बाहण बेटी की देकै दुहाई 

मन्त्री के जा पेश हुए बोले ना होती ईव समाई 

जा उसकी सब करतूत बताई ना मन्त्री नै इमदाद करी । 


झूठी साची हुई इन्क्रवारी हुया बेरी सैकटरी छूट गया 

कर खंगारिया गालां मैं चमेली का होसला टूट गया 

भरोसा राम तै उठ गया ईमान दारी मुर्दाबाद करी । 


सैक्टरी ने करली त्यारी रिसाल सिंह उनै घेर लिया 

बदमाशां नै खेल रचाकै पिंजरे में कर शेर दिया 

ऊ' के सपन्यां का ढेर किया या दुनिया जिनै आबाद करी । 


मुनादी बाले ढोलक पीट जमा कालजा चीर गरया 

कुड़की आगी घरती की न्यू कोण्या जाने धीर धरया 

रणबीर सिह फकीर करया बोने नै अलबाद करी । 


वार्ता- रिसाल सिंह चमेली से सलाह करता है। के बनेगी? के करां बमेडी के पास भी कोई जवाब नहीं। रिसाल चिमेली को क्या बताता है :



 

(24)

रिसाल सिंह का कहण

तर्ज : माऊ की ढाणी जिला भिवाणी पिवं पाणी सब नलका

रागनी 21

अनबोल पशू की ढाल कमाया फेर बी ज्यान मरण मैं से। 

करजा ना लेना चाहिए पड़े रास्सा फेर भरण मैं से।

 

अफसर मनै न्यों बोल्या करजा देना चाहिए ले कै 

फसल बिगड़ी बेरा तनै कित टक्कर मारूं दे कै 

मुश्कल तै हम करें गुजारा गरमी सरदी नै खे कै 

लाई कसूती दाब मेरै से रस्सी को ज्यों बल दे कै 

कुणसी बिध ला पार तिरू' कोण्या जी काम करण मैं से। 


बैंक आले उल्टा मांग मेरी जमा बी आसंग ना 

धौरै थी जो धरदी सारी बची एक बी पासंग ना 

मेहनत करकै बी कंगाली या सोचरण की आसंग ना 

बालक हांड ठोकर खाते रोवण की बी आसंग ना 

छोरी फिर कंवारी घर में क्यों दीखें चीर हरण में से । 


मेरे जिसां का गाम मैं घणा मुश्किल रैहणा से रे 

कुड़की की दाब कसूती दुख कुणबे ने सैहणा से रै 

अफसरों की नीत बुरी कदे ना कदे फैहणा से रै 

टूम ठेकरी सब जाली ना धोरै ईब गहणा से रै 

भगत नै बचाइये राम जी आया तेरी सरण मैं से । 


दी भोपू' की आवाज सुणाई थोड़ी वार मैं आण कर के 

करमपूर सिघाणा मोई सुणल्यो लोगो ध्यान कर के 

बहकारी विकास बैंक ल्याया जारी फरमाण कर कै 

किश्त भपनी भर जाइयो बोल चुप्पाके आण कर कै 

रणबीर सिंह नै माफ करिये बैठ्या तेरे चरण में से। 





(25)

वार्ता – चमेली रिसाल सिंह की बात सुणक एक बं तो उदास होज्या से। पर फेर होसला कर लेती है। दो दिन पहले चम्पा से हुई बात उसके दिमाग में घमने लगती हैं। कर्ज और कूड़की का मसला उसको भी धुन की तरह खा रहा है। वह रिसाल सिंह से पूछती है –


दोहा : क्यों ना पिया बिचार कर किस तरियां खाल उतारी जा । 

कमाई खून पसीने की साहूकार लूट ले सारी जा ।। 

क्यों दस के बीस पढ़ें देने तबीयत हो घणी खारी जा । 

वख्त पड़े पै कहें अन्नदाता क्यों म्हारी अक्ल मारी जा ।।

 

दोहा : रिसाल सिंह क्या जवाब दे, क्या ये इतना आसान है । 

जो जवाव सही दे इसका रणवीर सिंह का मेहमान है ।। 

 

वार्ता – रिसाल सिंह के पास कोई जवाब नहीं है। सांटा उठाता है, बैल खोलता है और कोल्हू की तरफ चल पड़ता है। एक पहर रात बाकी है। रिसाल सिंह के घर सैंकटरी और पुलिस पहुंचती है। बिमला की आंख खुल जाती है। वह अपनी मां को उठाती है और क्या कहती है :-

बिमला और चमेली के सवाल जवाब तर्ज ।

आंखों ही आंखों में इशारा हो गया

रागनी 22

उठ बैठी हो मां मेरी दखे दिया पुलिस ने घेरा । 

दरवाजे पै थानेदार खड़या कदका रूक्के देरया 

चमेली

के करणे आए के मतलब के काम से बेटी 

जमघट लाया देहली पं के इल्जाम से बेटी 

एक आवै एक जावै के देना इनाम से बेटी

(26)

ईब और के चाहिये यो बच्या चाम से बेटी 

दिखे से कोए बाप तेरे पै सख्त मामला गेरया । 


म्हारे घर मैं आण का बेटी होसला क्यूकर पड़ग्या 

के कोए चोर लुटेरा म्हारे घर के अन्दर बड़ग्या 

मेरी समझ मैं बेटी रास्सा तेरे आला छिड़ग्या 

जब तै देखी पुलिस मनै मेरै सहम सांप सा लड़ङ्ग्या 

चाल बूझल्यो सब बातों का हमने पटज्या वेरा । 


मां बेटी थानेदार को


मां बेटी हम बझां सां हमने साची बात बता 

कुणसी चीज बेगानी करकै एक बे हाथ बता 

गैर बख्त क्यों आये चढ़गी किसकी श्यात बता 

म्हारा घर क्यों घेरया तमनै आधी रात बता 

के तपतीस करने आये सो किसके वारन्ट लेरया । 


जवाब थानेदार का


वारन्ट देख रिसाले के गिरफ्तार वो करना से 

सजा सख्त दिलानी पेश सरकार वो करना से 

सरकारी करज दिया ना भीतर एक बार वो करना से 

आंडी पाकै लेज्या पकड़ त्यौहार यो करना से 

पेश करो रणबीर सिंह नै ना लगै रोजाना फेरा । 


वार्ता - रिसाल सिंह को कोल्हू में से ही पुलिस पकड़ कर ले जाती है। चमेली बड़े हाच पैर भारती है। हल्के के एम एल ए के पास जाती है और स्था कहती है :






(27)

कहण चमेली का

तर्ज हो आज मन चेहरे से परदा हटा लिया

रागनी 23

तेरे दरवाजे पे दुखिया आई करिये मेरी सुणाई । 

बैंक नाल्यां ने भीतर कर दिया कति शरम ना खाई ।। 


दिन रात कमाए दुख पाए क्यों दूना टोटा आया यो 

ऐल फेल नहीं करया कोए खरया खोटा क्यों पाया यो 

वो सोटा मार बिठाया क्यों करी कुण्बे की रूसवाई । 


दस दिन हो लिए उनै गए नै कुछ ना लाग्या बेरा 

ना सूधे मुंह कोए बात करै मेरै दिया चिन्ता नै घेरा 

मनै दीखें से कुआं झेरा सब साची बात बताई । 


मनै सुणों से गोहाने मैं तार दिया उसका चाम कहै 

सूधी मूधी यो सोल्हू भी पूरा का पूरा गाम कहें 

संकटरी ने लिया नाम कहैं अपनी खुन्दक काढ़ी चाही । 


अन्नदाता कहें सैं तो फेर क्यों म्हारा इसा हाल हुया 

तेरै धोरै आई नेता जी यो कुण्बा कति निढ़ाल हुया 

घणा थानेदार चण्डाल हुया रणवीर की करै पिटाई । 


वार्ता - एम एल ए कहता है-वोट तै गेरो दूसरे के अर ईब काम करवावण बाबो बाई । चमेली के जी में आया बक कहदे बोट तो हम आगे बी बढ़ ए बेरांगे। पर बीते पाछे तो एम एल ए सबका ए होना चाहिए। चमेली कुछ नहीं बोली। वापिस आ जाती है। चम्पा साथ में थी। रास्ते में घर पड़ता है, चम्पा चमेली को अपने घर से जाती है। चम्पा ढाढस बंधवाने की कोशिश करती है । 




(28)

कहण चम्पा का

तर्ज : सत्यवान के घरां चाल दुख भरया करेंगी सावित्री

रागनी 24

तेरी हालत देख चमेली मनै रात नींद नहीं आवै हे मेरी बाहूण 

थानेदार का नाश जाइयो घणी सही ना जाने हे मेरी बाहण 

जेवर अपने कठ्ठ करकै बेबे में ये ल्याई सू 

देख तेरे हालात मैं बेबे बहुत घणी घबराई सू 

टूम बेच के किश्त भरां या बात समझ मैं पाई सू 

कुड़की हो घरती जावं मैं इस चिन्ता नै खाई सू 

कैंडे सर की बात रहो ना या दुनिया बही पावै हे मेरी वाहण । 


गरीबां का जीना भारया या मेरे समझ मैं आगी हे 

अमीरां के ठाठ बताये या विस्कुट कुतिया खागी हे 

राजा नल दमयन्ती ने क्यों सारी दुनिया गागी है 

रूलती हांडै आज चमेली ना कसक किसे कै लागी हे 

अमीरा की सब मेर करें ना कोए गरीब नै चाहवं हे मेरी बाहण । 


बीस हजार की टूम मेरी दस हजार मैं घर दयांगे 

गहने धरकै पोस्से ल्यावां पूरी किश्त नै भर दयांगे  

रल मिल बांटा दुख अपणा बदले के मा सिर दयांगे 

गिरते पड़ते हंसते रोते पार भव सागर कर दयांगे 

राम जी तै बूझूगी क्यों गरीबां कै फांसी लागै है मेरी बहाण । 


फौजी की चिन्ता कोन्या उसनै मैं आप मना ल्यू'गी 

सास मेरी घणी कलिहारी उसतै मैं गात छिपा ल्यू गी । 

तीज त्यौहार की देखी जा फेर तै मैं बाल बणा ल्यू गी







 

(29)

रिसाल सिंह उल्टा आज्या उसपै सात घड़ा ल्यूगी 

रणबीर सिह का गाम बरोना रागनो ठही बणाव हे मेरी वाहण । 


दोहा : टूम बेच पीस्से लेके किश्त भरी बैंक के म्हां । 

रिसाल सिंह पड़या छोड़ना पांच मिन्ट के म्हां ।। 


वार्ता - चमेली रिसाल सिह को चम्पा की टूमों के बारे में बताती है। रिसाल सिंह कहता है - है राम इसे माणस क्यों बचरे से ? चम्पा का यो शान में क्यूकर तारूंगा ? फेर चमेली से पूछता है-चमेली किभे करल्यां पर धरती बचनी मुश्किल दीखें से! क्या कहता है रिसाल सिह । 

कहण रिसाल सिंह का

तर्ज : भंवरे ने खिलाया फूल-

रागनी 25

कुड़की आगी जरदी छागी नाश होण मैं कसर नहीं । 

धरती जागी चिन्ता खागी डले ढ़ोण में विसर नहीं ।। 


धरती गई तो के रहज्या गुलामी करनी दीख से 

दिहाड़ी ऊपर जाणा होज्या बदनामी भरनी दीखें सै 

गाम छोड जाणा पड़ज्या गुमनामी करनी दीखै से 

घरबासे ताहि मनै या सलामी करनी दीखै से 

अफसर आगै फरियाद करी कुछ हुया कान पै असर नहीं । 


क्यों माड़ा मन कररया से धरती अपणी बचाणी सै 

नहीं अकेले सां हम आड़े मिलके अलख जगाणी से 

गाम गाम मैं कुड़की आरी सही गलजोट बणाणी से 

आप्पा मारें पार पड़ेगी सही तसवीर दिखाणी से 

हों करजवान किसान कट्ठे और कोए तो डगर नहीं। 



(30)

आंसू आरे धीर बंधावै तू' ईब तक हिम्मत हारी ना 

कहै कुड़की ना होण दयू जब तक उठे लाश हमारी ना 

क्यों पागल होरी सै तू कोए जावै पार हमारी ना 

चारों तरफ खड़े लखावां कोए दीले यो रहबारी ना 

वे म्हारे नेता कित से के उननै कोए खबर नहीं । 


कोए मखौल करें से मेरा कोए कसूता मारै तान्ना 

कोए दिखावै दया घणी और कोए कहै मत दे आन्ना 

दारू मैं पीग्या कोए कहै क्यों सोध्या नहीं रकाना 

भांत भीत की चरचा होरी कोए नहीं खालो खान्ना 

इन हालां अर इन चालां तो रणबीर होवै बसर नहीं ।

 

वार्ता - चमेली और चम्पा आपस में बात करती हैं-आगे क्या होगा ? इतनी ही देर में हरियाणा राज्य में चुनाव होने की वोषणा हो जाती है और कुड़की फिलहाल रोक दी जाती हैं। चम्पा व चमेली को थोड़ी राहत मिलती है मगर उनके दिल में भय ज्यों का त्यों है। बस उन्हें चुनाव का इन्तजार हैं, देखो उसके बाद क्या होता है । 














(31)

तर्ज : उस बैरण न ताह दिया धमका कै

रागनी

हम सबने कठ्ठे होकै यू मिलके नारा लाणा से । 

जन आन्दोलन के दम पै नया भारत हमे बणाणा से ।।

 

दिन दोगुनी रात चोगुनी या बढ़ती जा महंगाई 

किते सूखा कितै बाढ़ मची से चारों तरफ तबाही 

किसान कुमावै लुटता जा कीमत नै रोल मचाई 

सबको शिक्षा सबको काम ना होती कितै सुनाई 

मिलबन्दी तालाबन्दी तै मिलकै मजदूर बचाणा सै ।

 

यूनियन का अधिकार म्हारा खतरे में पड़ता जाने से 

महिलाओं का हक समान तनखा थोड़ी मैं टकराने से

खेत मजदूर कानून बिना दुख सबतै ज्यादा ठाने से 

भूमि सुधार की मांग के ऊपर अगर मगर क्यों लाने से 

केन्द्र और राज्यों का रिश्ता हटकै हमनै उठाणा सै

 

चुनाव सुधार हों लागू या आवाज उठाई जागी 

धर्म के ठेकेदारां की सही जड़ दिखलाई जागी 

देश का एका कोण तोड़ता या बात बताई जागी 

उग्रवाद का कोण हिम्माती या खोल सुनाई जागी 

इन बातों की खातर जनता की अदालत आणा से ।

 

मजदूर किसानों के संग छात्र नौजवान भी कदम घरैगा 

महिला पीछे ना रहैगी रैली का न्यारा ढंग फिरैंगा 

इन्कलाब का नारा प्यारा सबके अन्दर उमंग भरैगा 

शीशे के महलों मैं बैठे उन चोरों को दंग करेगा वै

ज्ञानिक सोच के दम पै सब अन्धकार मिटाणा से ।। 








(32)

वेद प्रिय

आदरणीय डॉ साहब  नमस्ते 
आपका लेख हरियाणा का सामाजिक सांस्कृतिक परिदृश्य पढ़ा। आपने इस लेख में काफी डिटर्मिननेंट्स कवर किए हैं। इनसे संबंधित आंकड़े प्रस्तुत किए हैं। इस दृष्टि से यह लेख काफी अच्छा बन पड़ा है।
मैं दो-तीन कॉर्नर से इस पर अपनी टिप्पणी करना चाहता हूं। कई मुद्दों पर आपने लिखा है ऐसा क्यों हुआ? यह एक गंभीर सवाल है और अलग से एक गंभीर बहस की मांग करता है। इससे एक अर्थ तो यह निकलता है कि ऐसे मुद्दों पर और अध्ययन चाहिए। यानी कई और परचे लिखे जाने अभी बाकी है । यह सही भी है। इस अर्थ में यह परचा (सामाजिक सांस्कृतिक परिदृश्य) और बड़ा बनेगा । यह बनना भी चाहिए।
  यद्यपि हरियाणा कोई बड़ा प्रदेश नहीं है, फिर भी भिन्नताओं का अंतर बहुत ज्यादा है ( आपने स्वीकारा है)। नए गुरुग्राम और लोहारू में जमीन आसमान का अंतर है।
पंचकूला और मेवात में बहुत कम समानता है। इसी तरह डबवाली और नारनौल आदि और भी उदाहरण हैं। इसके चलते हरियाणा की एक औसत तस्वीर बनाना काफी मुश्किल काम है। आंकड़ों को आधार बनाकर परिदृश्य पढ़ना एक और चुनौती है। एक तो ये आंकड़े बहुत जल्दी बदल जाते हैं, दूसरा आंकड़ों के स्रोत अलग-अलग आंकड़े प्रस्तुत करते हैं। तीसरे बेजान आंकड़े कभी भी जीवंत तस्वीर नहीं गढ़ सकते । लेकिन अध्ययन के लिए यह जरूरी भी होते हैं।
    कुछ और रुझान भी देखें हरियाणा में भीख मांग कर खाने वाले अपेक्षाकृत कम मिलेंगे। (अभी आंकड़े नहीं है) अधिकतर भिखारियों  की संख्या या तो मठों के आसपास या पर्यटन स्थलों पर मिलती है।
इस प्रदेश में यह पर्यटन उद्योग भी एक कमजोर पक्ष रहा है। दूसरे इतने धाम या मठ (बेड़ ) यहां नहीं पनपे हैं।(हालांकि मंदिर छोटे कहें संख्या कम नहीं)। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि हरियाणा, पंजाब का एक भाग अलग हुआ है। प्राय ऐसा कहा जाता है कि सिख भीख नहीं मांगते। सिख परम्परा मनुवाद के विद्रोह स्वरूप भी बनी है। इन्होंने अपनी भाषा लिपि (गुरुमुखी) इसीलिए अलग बनाई है ताकि संस्कृत के उच्चारणों (कर्मकांडो) से काफी हद तक बचा जा सके। यह कोई छोटी बात नहीं है। हरियाणा को इसका फायदा भी मिला है।
इस प्रदेश में रूढ़िवाद की जड़ें अपेक्षाकृत ढीली हैं।एक पक्ष वृद्धाश्रमों  का भी लिखा जाना चाहिए। इस समय पूरे देश में सरकारी वृद्धाश्रमों की संख्या 700 से ऊपर है।।केरल में सर्वाधिक 124 हैं तथा हरियाणा में केवल एक है।चेरिटेबल संस्थाएं तो अनेक मिल जाएंगी।वृद्धों का गरिमापूर्ण बुढ़ापा गुजरना अब इस प्रदेश में मुश्किल होता जा रहा है।युवाओं के स्वतंत्र जीवन जीने की भावना कुछ ज्यादा पनप रही है।
    हरियाणा में कामगारों व कारीगरों की स्थिति बड़ी दयनीय हो गई है। पुराने समय की हवेलियां (वास्तुकला) व उनकी लकड़ी की कारीगरी तथा छत के निकट नीचे रंगीन कलाकृतियां -- कहीं बची हुई मिल जाएंगी।उनमें जो हाथ का हुनर होता था  आज ऐसे कारीगर सीमित हो गए हैं। ऐसे काम फुर्सत के दिहाड़ी पर ही हो सकते हैं।इनके कद्रदान पुराने सेठ भी आज नहीं रहे।पत्थर पर संगतरासी व लकड़ी पर खुदाई आज शायद ही मिले। इसी प्रकार तांबे - पीतल के  देग - टोकनी - सागर आज शायद ही मिलें। इस प्रकार ठठेरे अधिकतर रेडीमेड  आइटमों पर आकर रुक गए हैं। मिट्टी का काम (कुम्हार)  pottery आज दम तोड़ रहा है। मिट्टी के खुदाने ही नहीं रहे। अधिकांश मिट्टी  highways/ byepas में लग जाती है।कुम्हार का चाक जो कभी शगुन में पूजा जाता था  आज कोने में टोकन का रखा राज्य है।हरियाणा में आज कौन पैर का नाप देकर चमड़े का  जूता - जूती बनवाता है?  कंपनियों के ' use and thro' जूते हैं। वो चर्मकर्मी भी नहीं रहे। गली बाजारों के चौराहों पर बैठ कर जूतों की मुरम्मत  करने वाले आज कहां दिखाई देते हैं । ऐसे कारीगरों की बुरी हालत है। बड़े व्यवसाय करने की उनकी हैसियत नहीं । लोहार आदि का भी आज यही हाल  है। Theory of alienation में पहले तो  इस प्रकार के कामगार अपने उत्पाद से अलग होते थे। काम के बोझ के कारण  ( या व्यस्त)अपने समुदाय के अलगाव महसूस करते थे। अब तो वे  शक्तिहीन, लाचार व पूरी तरह , दया आधारित  meaningless जीवन जीने को मजबूर हैं। कुछ  जातियों (कामगारों ) में आरक्षण के कारण इक्का दुक्का कोई नौकरी पा भी गया तो अहम भाव से वह अपने समुदाय में elite मानने लग गया। यह एक नए प्रकार का alienation है।
      ।हाल ही के कुछ वर्षों में हरियाणा के युवाओं में कावड़ लाने की प्रवृति बढ़ी है।मोटे रूप में देखा गया है कि इसका अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि उनकी आस्थाएं मजबूत हुई हों। ऐसे अधिकतर युवाओं के पास न कोई काम है , न कोई सार्थक एजेंडा। बड़ा  एजेंडा यहीं तक सिमटा होता है कि लगभग पंद्रह दिन की पिकनिक व मुफ्त के लंगर बस। इसी तरह हरियाणा में रात्री जागरणों का प्रचलन भी बढ़ा है।इनकी प्रकृति अधिकतर व्यवसायिक होती है। इसी तरह धार्मिक शोभा यात्राएं भी कुछ ज्यादा बढ़ी है। कुछ नए प्रकार के उत्सवों का भी प्रवेश हुआ है।
    गणेश पूजा में छठ पूजा आदि इस क्षेत्र के नहीं थे फिर भी इनका पर्सनल इधर बढ़ गया है मुझे नहीं लगता कि हमारे यहां के 30 गूगल आदि दूसरे प्रदेशों में गए हो एक कारण तो समझ में आता है यहां के शहरों में हर तीसरे चौथे घर में झाड़ू पोछा करने वाली बिहारन या यूपी से हैं इसी तरह इन प्रदेशों की माइग्रेंट लेवल इधर बढ़ गई है शहर के लेबर चौक के चौराहे पर बड़ी तादाद मिली थी मिलेगी उनके साथ उनकी पत्नियों भी कंस्ट्रक्शन के कामों पर जा रहे हैं। जिस तरह दिल्ली जैसे शहरों में जेजे कॉलोनी जोगी झोपड़ी में आज हरियाणा के अधिकांश शहरों में आउटसाइड में यह यूपी बिहार आदि के आए मजदूर बड़ी संख्या में बहुत ही कठिन हालातो में रह रहे हैं कुछ छोटे स्तर के रोजगार के काम जैसे फल सब्जियों की रेडी पानी पुरी के कौन से जून तकनीकी कब कर खरीदने वाले कबाड़ खरीदने वाले नल पानी विसर्जन आदि के छोटे-छोटे काम यहां हरियाणा वशी काम ही कर रहे हैं 
हरियाणा प्रदेश मोहनजोदड़ो व हड़प्पा की सभ्यता का इलाका रहा है । राखी गढीं मिताथल आदि में कुछ पूरातत्व साक्ष्य मिले हैं । परंतु इस दिशा में जितने शोध होने चाहिए थे वे हुए नहीं । दूसरी और कुरुक्षेत्र और करनाल आदि में महाभारत( इतिहास) के नाम पर बहुत कुछ manupulated लेबल लगाए जा रहे हैं ।  यह हरियाणा की ऐतिहासिक व सांस्कृतिक धरोहर को विकृत करने की कोशिश हैं ।
   सॉन्ग व रागनियां  इस क्षेत्र की folk संस्कृति रही हैं। लेकिन सॉन्ग कला लगभग विलुप्त होने के कगार पर है। रागिनियो का  चरित्र आज भोंडी सकल अख्तियार कर चुका है । इस क्षेत्र में लड़कियों का प्रवेश एक नयापन है। साक्षरता आंदोलन के प्रयासों में इस दिशा में कुछ मूल्य स्थापित करने की कोशिश हुई थी । वह तर्ज की दृष्टि से तो आज भी आकर्षण का केंद्र है लेकिन vontent की दृष्टि से ज्यादा नहीं लुभा रहा। इन पर उतनी सीटियां नहीं बजती जितनी भौंडी रागनियां के कंपीटीशन में बजती हैं। इससे यहां के जनमानस के  चरित्र व पसंद का अंदाजा लगाया जा सकता है।हफ्तों भर रातों को घूमने वाली भजन मंडलियां आज बीते युग की बात लगती हैं। हरियाणा का फिल्म उद्योग अभी नया है। हरियाणवी में बहुत कम फिल्में ही सामने आई हैं। एक चंद्रावल फिल्म ही ऐसी फिल्म रही है जिसने एक खास मुकाम हासिल किया था।
     खेलों की संस्कृति में यहां (कुश्ती-कब्बडी) आदि का बोलबाला रहा है।यहां के गबरू जवान सेहत की दृष्टि से तो श्रेष्ठ रहे, परंतु  कोचिंग (तकनीक) के मामलों में अभी हाल ही मैं कुछ  हासिल कर पाए हैं। ओलंपिक में हरियाणा का दबदबा  विशेषकर (कबड्डी) में साफ दिखता है। मास्टर  चन्दगी राम व कपिल देव की उपलब्धियां भी कम नहीं रही। कपिलदेव ने सर्वप्रथम  क्रिकेट जैसे खेल में  बंबई के वर्चस्व को न केवल तोड़ा अपितु विश्वकप प(हली बार)  भी  जिताया।हॉकी में भी यहां का प्रदर्शन सराहनीय रहा है।
इस प्रदेश  के अधिकांश खिलाड़ी  (ख्यातिप्राप्त) अवसरवाद की राजनीति का शिकार बने हैं।
   रीति रिवाजों ,खानपान,पहनावे आदि में बड़े परिवर्तन  आए हैं। पींग कहीं कहीं ही देखने को मिलती है। बारातियों का रुपया गिलास  आज की पीढ़ी जानती नहीं।कोथली की सुहालियाँ तो कब की गायब हो गई।धोती कुर्ता , कमरी खंडका बहुत कम देखने को मिलते हैं। खीर चूरमा , बाजरे की खिचड़ी आज की पसंद की खुराक नहीं रही। चना बाजरा कम हो गया है।चावल का प्रचलन बढ़ गया है। आज भातीयों  का खांड कसार भी कहां है। आज यहां के लोग सत् पीना भूल गए हैं।
   पहले हरियाणा में उद्योग बहुत ज्यादा तो नहीं थे। परंतु इधर उधर बिखरे हुए थे।आज उद्योग क्षेत्र कुछ स्थानों पर concentrate हो गए हैं। नया गुरुग्राम व फरीदाबाद  आज हरियाणा का हिस्सा लगते ही नहीं। अधिकांश उद्योग GT Road की बेल्ट पर आ गए हैं।  जहां तक बिजली पानी का सवाल है, दक्षिण हरियाणा इस मामले में पिछड़ा हुआ  है। अंबाला करनाल आदि की तरफ की लड़कियां दक्षिण हरियाणा में कम ब्याही जा रही हैं।यह एक अलग प्रकार का socialA alienation है।
      एक दो बातें और हैं जिन पर मैं अभी ठीक ठीक कह नहीं सकता । पिछले  दिनों हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन ने  हरियाणा के सामाजिक ताने बाने  को एक dent दिया। प्रतिक्रियावादी ताकतों ने इसे Encash कर लिया। यह सामाजिक अविश्वास एक नया phenomenon है। इसके संज्ञान की जरूरत है। (For damage control)
     दूसरी बातवाई कि पिछले लगभग चालीस वर्षों से  ज्ञान विज्ञान आंदोलन हरियाणा में बड़ी ताकत लगा कर एक नवजागरण की दिशा में अग्रसर है। उत्तर भारत (विशेषकर हिंदी भाषी) में यह एक उदाहरण है। इसके क्या social impactsw हैं, अभी अध्ययन होना बाकी है।।डॉ साहब विशेष आग्रह यदि हो सके तो आप अपने प्रभाव के विश्वविद्यालयों के किसी Guide profesdor के तहत किसी शोधार्थी का topic for PHD बनवा सकें । इससे यह काम डॉक्यूमेंट भी हो जाएगा।
वेद प्रिय

        



भाजपा

इस पाले का कै उस पाले का माणस जो मारया जावै।।
मानवता के माथे पै कलंक दोनों काँहीं  का आज आवै।।
1
आहमी  साहमी  बैठ कै नै संकट मोचण होना चाहिए
कोई भी हो मामला भाई युद्ध नहीं कदे भी
झोना चाहिए
आतंकवाद को बढ़ावा  देना मानवता नै सारे कै ढावै।।
2
आपरेशन सिंदूर नै देश की कहैं‌ श्याम खूब बढ़ाई देखो
भारत नै सोच समझ कै पहलगाम की काट बनाई देखो
एलओसी पै के होरया आम देशवासी नहीं समझ पावै ।।
3
दोनों देशों मैं बेरोजगारी नै कसूता धूमां यो ठा राख्या 
महंगाई सिर चढ़ कै बोलै दोनों काँहीं फ़तूर मचा राख्या
ये बात दोनों काँहीं का शाषक  जनता तैं छिपाया चाहवै ।।
4
युद्ध तो हों मानवता के दुश्मन इतिहास बतावै देखो
हिटलर नै नाश करया हीरोशिमा नागासाकी रुलावै‌ देखो
रणबीर कहै दुनिया कद बात ये दिमाग मैं अपने लियावै।।



21***40
 जात नै माणस का माणस बैरी बणा जबर राख्या सै।
एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।
1
दो किले आला जाट बी आज जाट सभा की कोली मैं
भूखा मरदा ब्राह्मण बी यो ब्राह्मण सभा की झोली मैं
फिरै भरमता रोड़ बिचारा आज रोड़ सभा की टोली मैं
दलित भी बन्ट्या हुया देखो यो कई रंगों की रोली मैं
जात पात का घणा कसूता दखे विष यो भर राख्या सै ।
एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।
2
जात के रंग ढंग मैं सै या मानवता बाँटण की मक्कारी
कथनी घणी सुहानी लागै सै पर पाई करणी मैं गद्दारी
काली नाग और पीत नाग ये भाई बिठाये एक पिटारी
मुँह मैं राम बगल मैं छुरी भाई सै या बुझी जहर दुधारी
जात्यां के बुगळे भगतां नै यो मिला सुर मैं सुर राख्या सै।
एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।
3
ब्राह्मण खत्री वैश्य और शुद्र ये चार वरण बताये सुणो
मनु जी नै फेर वरणां कै जात्यां के पैबन्द लगाये सुणो
गोत नात कबिल्यां भितर बेरा नहीं कद सी आये सुणो
जन्म कारण जात माणस की ग्रन्थ लिख़कै ल्याये सुणो
इसकी आड़ मैं लुटेरे लूटैं माणस बणा सिफर राख्या सै।
एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।
4
ढेरयां आला कुड़ता म्हारा या जात पात बताई आज
गेहूं के खेत मैं ऊग्या हुया बथुआ जात सुझाई आज
ठेके कै म्हां लागी सुरसी गिहूँआं की मर आई आज
ये कमेरे दुखी जात्यां मैं नेतावां नै चादर घुमाई आज
काढ बगादे यो कुड़ता इसनै आज कर बेघर राख्या सै।
एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।
5
जात छोड़ कट्ठे होंवैं काम करणिये भुखे मरणीये भाई
गोत नात छोड़ कट्ठे हों ये जितने नौकरी चढ़निये भाई
टूचावाद छोडकै कट्ठे हों सब बेरोजगार फिरणीये भाई
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ये मानवता पर चलनिये भाई
म्हारै ना जात किसे काम की कर क्यों सबर राख्या सै।
एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।
6
सारी दुनिया रुके देकै नै ईब दो जमात बतारी देख
एक कमेरा जिसकी मेहनत दुनिया मैं रंग दिखारी देख
दूजा लुटेरा जिसनै लूटी म्हारी सजाई दुनिया सारी देख
या पाले बंदी छिपाने खातर चलै जात की आरी देख
म्हारे माल के हम भिखमंगे यो बना आडम्बर राख्या सै।
एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।

22****
 *चलो जींद ठाइस मई नै भाई बहनों हुड्डा मैदान बुलावै सै।।*
*एसकेएस बहरी सरकार के आज कान खोल्या चाहवै सै।।*
1
पुरानी पेन्सन बहाल करो मिलकै आवाज लगाई देखो
ठारा महिने के बकाया डीए उसकी भुगतान चाही देखो
*संघर्ष का रास्ता अपना कै यो सरकार कै सांस चढ़ावै सै ।।*
2
आठवां वेतन आयोग करो या मांग जोर लाकै
ठाइ रै
कच्चे कर्मचारी सारे पक्के करो या मांग जरूरी बताई रै
*घणे दिनों तैं सड़क पै आकै नै संघर्ष की बिगुल बजावै सै ।।*
3
हरियाणा की सरकार निजीकरण करती नहीं शर्मावै देखो
कॉर्पिरेट की चांदी करदी कर्मचारियां नै कति रंभावै देखो
*निजीकरण इलाज संकट का कैह कै जनता नै भकावै सै।।*
4
किसान,जवान पहलवान कर्मचारी सबनै पढ़ण बिठावैगी या
जन आंदोलन की हुंकार इसका मुकाबला कर पावैगी या
*रणबीर की कलम भी आंदोलन की कविता बनावै सै।।*

23*****
 भटेरी गांव की भंवरी बाई, संघर्ष की जिनै राह दिखाई,सारे देश मैं छिड़ी सै लड़ाई, साथ मैं चालो सारी बहना।।
1
साथिन भंवरी नहीं अकेली हम कसम आज उठाते सारे
बाल विवाह की बची बुराई इसके खिलाफ जंग चलाते सारे
जालिमों की क्यों ज्यान बचाई, कचहरी क्यों मदद पै आई, सब छिपा रहे हैं सच्चाई,भंवरी साथिन पुकारी बहना।।
2
देकर झूठी दलीलें देखो बलात्कारियों को बचाते क्यों
परम्परा का ढोंग रचाकर असल सच्चाई को दबाते क्यों
भंवरी ने सही आवाज उठाई,जुल्मी चाहते उसे दबाई,समझ गई भरतो भरपाई, भंवरी नहीं बिचारी बहना।।
3
इस तरह से नहीं झुकेंगी जुल्मो सितम से टकरायेंगी
परम्परा की गली सड़ी जंजीरें आज हम तोड़ बगायेंगी
भटेरी ने नई लहर चलाई, समता की है पुकार लगाई, जयपुर में हूंकार उठाई, यह जंग रहेगी जारी बहना।।
4
फासीवाद का खूनी चेहरा इससे हरगिज ना घबरायेंगी
आगे बढ़े हैं कदम हमारे हम नया इतिहास बनायेंगी
रणबीर सिंह ने कलम चलाई, अपने डिक्ल की बात बताई,सच की हुई जीत दिखाई, ना सेखी है बघारी बहना।।

24****
 म्हारा समाज 
एकबै नजर घुमाकै देखां म्हारा समाज कड़ै जा लिया ।
आंधी गली मैं बड़गे लोग इस चिंता नै आज खा लिया।
1
घर घर देखां घणा कसूता माहौल हुया सै सारे कै
शहर गाम देश दुनिया ब्लड प्रेसर हुया हुशियारे कै
लग्या टपका चौबारे कै माणस घणा काल पा लिया।
एकबै नजर घुमाकै देखां म्हारा समाज कड़ै जा लिया ।
2
रोज माणस भित्तर तैं टूटै इसा जमाना आन्ता जावै 
घर बाहर भाण बेटी की इज्जत पै हाथ ठान्ता पावै
और तले नै जान्ता जावै बदमाशी नै कब्जा जमा लिया।
एकबै नजर घुमाकै देखां म्हारा समाज कड़ै जा लिया ।
3
दारू पीकै पड़े रहवाँ हमनै शर्म लिहाज ना कोये 
ताशां पै बैठ करां मशखरी कहवाँ इलाज ना कोये 
दीखै सही अंदाज ना कोये खापां नै मजाक बना लिया।
एकबै नजर घुमाकै देखां म्हारा समाज कड़ै जा लिया ।
4
रिश्वत की कमाई भूंडी फेर भी इसको स्वीकार लिया 
दहेज नै बीमारी बतावैं सारे फेर बी क्यों चुचकार लिया
विरोध कर ना इंकार किया रणबीर फेर औड़ आ लिया। 
एकबै नजर घुमाकै देखां म्हारा समाज कड़ै जा लिया ।

25****
 नई सदी के खूनी कीड़े 
नई सदी के खूनी कीड़े गुलाम बनाया चाहवैं बेबे ।।
ये हमनै निहत्थे करकै नै तीर चलाया चाहवैं बेबे।।
1
ट्रेक्टर की बाही मारै ट्यूबवैल का रेट सतावै देखो
हार्वेस्टर की कटाई मारै भा गिहूँ का ना थ्यावै देख़ो
म्हारे कष्टों का दोषी ये हमनै ठहराया चाहवैं बेबे।।
ये हमनै निहत्थे करकै नै तीर चलाया चाहवैं बेबे।।
2
पाणी खाद बिजली पै ये सब्सिडी खत्म सारी क्यों
ये सारी चीज महंगी होगी सस्ती फसल म्हारी क्यों 
देशी बिदेशी मिलकै लूटैं बात छिपाया चाहवैं बेबे।।
ये हमनै निहत्थे करकै नै तीर चलाया चाहवैं बेबे।।
3
सच की बूझ रही कोण्या झूठ का होग्या राज आड़ै
प्यार पै वासना छागी खत्म हुये सही अंदाज आडै 
महिला कितै महफूज नहीं इनै बोच दबाया चाहवैं बेबे।।
ये हमनै निहत्थे करकै नै तीर चलाया चाहवैं बेबे।।
4
क्युकर ज्यान बचावां अपणी जीणा होग्या दुश्वार सखी
सुख दुख हारी बीमारी का मिलै कड़ै यो उपचार सखी
रणबीर गैल मिलकै गीत आज नया गाया चाहवैं बेबे ।।
ये हमनै निहत्थे करकै नै तीर चलाया चाहवैं बेबे।।

26*****
 आज हम देखें औरत की जो सही तस्वीर सखी।। 
दिया समाज ने जो हमें उसको कहती तकदीर सखी।। 
घर में खटना पड़ता मर्दों की नजर में मोल नहीं औरत भी समझे इसे किस्मत लगा सकी तोल नहीं 
करती हम मखौल नहीं हमारी हालत है गंभीर सखी।।
घर खेत में काम करें जुताई और बुवाई करती बहना 
चारा पानी झोटा बुग्गी दिन और रात मरती बहना 
बैठी आहें भरती बहना समझें किस्मत की लकीर सखी।।
कैसा सलूक करते हमसे मालिक बंधवा का व्यवहार यहां 
खाना दोयम कपड़ा दोयम मिले सारा दोयम संसार यहां 
करोड़ों महिला बीमार यहां इलाज की नहीं तदबीर सखी।।
अहम फैंसले बिना हमारे मरद बैठ कर क्यों करते देखो 
जुल्म ढाते भारी हम पर नहीं किसी से डरते देखो 
हम नहीं विचार करते देखो तोडे़ं कैसे यह जंजीर सखी ।।
खुद चुपचाप सहती जाती मानें कुदरत का खेल इसको 
सदियों से सहती आई समझें राम का मेल इसको 
क्यों रही हो झेल ईसको मसला बहोत गम्भीर सखी।।
सदियों से होता ही आया पर किया मुकाबला है हमने 
सिर धड़की बाजी लगा नया रास्ता अब चुना है हमने 
जो सपना बुना है हमने होगा पूरा लिखे रणबीर सखी।।

27*****
 पांच छह नर्सें मिलकर एक समूह गान गाती हैं।

तर्ज– झूठी शरम की चादर फैंको

टेक– बिना संगठन इब नहीं गुजारा हो जाओं तैयार सखी।।

शोषण क्यों होता है म्हारा करना सही विचार सखी।।

मरीजों का आज नहीं होता सही सही इलाज यहाँ

मरीज चिल्लाते रहते हैं ना सुणता कोए आवाज यहाँ

उदारीकरण के  मन्दिर में इब बलि चढ़ा परिवार सखी।।

स्वास्थय की गलत नीति सैं समझणा बहुत जरूरी हे

बजट घट्या क्यूं आज हमारा के  उनकी मजबूरी हे

बिकती सेहत दिखावैं सबको आज बीच बाजार सखी।।

महिलाओं का हरियाणे में क्यूं होता सही सम्मान नहीं

नर्सों की गिरती हालत पै किसे का भी ध्यान नहीं

सुन्दर समाज का लेवैफ सपना सम्भालों पतवार सखी।।

तेहरा शोषण खतम करै जो इसा समाज बणाणा हे

सही जगां मिलै मानवता को इसा संघर्ष चलाणा हे

हो सै शोषण खतम करण का संगठन ही हथियार सखी।।

28******
 दिन काटे चाहूं
दिन काटे चाहूं मैं ये कोण्या सुख तैं कटण देवैं।।
चुपचाप जीणा चाहूं मैं फेर कोण्या टिकण देवैं।।
1
झाड़ झाड़ बैरी होगे आज हम बरगी बीरां के
मोह माया तैं दूर पड़े फेर दिल डिगें फकीरां के
नामी बदमाश पाल राखे बाबा ना पिटण देवैं।।
अच्छाई के बोये बीज ये जमा नहीं पकण देवैं।।
2
कई बै जी करै फांसी खालयूं इनकै अकल लागै
सहेली बोली मेरी बात मान मत प्राणां नै त्यागै
किसे कै कसक ना जागै हमनै नहीं बसण देवैं।।
आगै बढ़े कदम म्हारे उल्टे हम नहीं हटण देवैं।।
3
बताओ पिया के करूं मैं इणपै तूँ गीत बनादे नै
द्रोपदी चीर हरण गाओ म्हारे चीर हरण पै गादे नै
बणा रागनी सुनादे नै हम तेज नहीं घटण देवैं।।
हरयाणे मैं शोर माचज्या दबा इसा यो बटन देवैं।।
4
गाम के गोरै खड़े पावैं भैंस के म्हां कै ताने मारैं
इंसानियत जमा भूलगे भों किसे की इज्जत तारैं
बिना बात ये खँगारैं हमनै और घणी घुटण देवैं।।
रणबीर सिंह बरगे म्हारी इज्जत ना लुटण देवैं।।

29****
 *युवा का म्हारे देश मैं यो कसूता भूत बनाया रै।।*
*बेरोजगारी बढ़ाते रोजाना जावै रोज भकाया रै।।*
1
शिक्षा का ज़िकरा ना सरकारी स्कूल बंद होते जावैं
सेहत की परवाह कोण्या बीमारी रोज बढ़ती आवैं
*आउट ऑफ पॉकेट खर्चे नै सबकै सांस चढ़ाया रै।।*
2
सुलटे काम मिलते कोण्या उल्टे काम रोज बुलाते रै
पीसा उड़ै दीखै चौखा लाचारी मैं उड़ै युवा जाते रै
*जेलों मैं युवा का नम्बर आज यो बढ़ता पाया रै।।*
3
मानसिक तनाव युवा का हमनै देता दिखाई कोण्या
रोजाना फांसी की खबर होती जमा समाई कोण्या
*फांसी कोए इलाज नहीं संघर्ष इलाज बताया रै।।*
4
जात पात और धर्म के भेद भूलकै एक मंच पै आणा हो
किसान आंदोलन जिसा डेरा रोजगार मांग पै लाणा हो
*कहै रणबीर भगत सिंह नै योहे पाठ था पढ़ाया रै।।*

30******
 इब तो जागज्या किसान, देख हमनै कौण लूट रहया।।
1
दिन और रात काम करैं, फेर भी मुश्किल पेट भरैं
करैं मौज यहां धनवान, तूँ पाणी से रोटी घूंट रहया।।
2
ये पंडे और पुजारी लूटैं, ये अमरीकी ब्योपारी लूटैं
लुटैं क्यों हम भगवान, क्यों अमरीका खागड़ छूट रहया।।
इब तो जागज्या किसान
3
बिजली चमकै पाला पड़ता, तूँ पाणी के भीतर बड़ता
लड़ता सरहद पै जवान, वो चांदी महलां मैं कूट रहया।।
इब तो जागज्या किसान
4
धनवानों के महल अटारी, खोस लेज्यां मेहनत म्हारी
उतारी म्हारे घर की छान, बांस ऊँका बीच तैं टूट रहया।।
इब तो जागज्या किसान
5
जब जब ठाये हमनै झंडे, पुलिस के खाये गोली डंडे
बनादें मरघट का शमशान, घाल कमेरयां भित्तर फूट रहया।।
इब तो जागज्या किसान 
6
आज इंसान करया लाचार, नाव फंसी बीच मंझदार
हरबार लड़ावै यो बेईमान, म्हारा सब किमै यो चूट रहया।।
इब तो जागज्या किसान 
7
सुन रणबीर सिंह का गाणा, रोवै बूढ़ा और याणा स्याणा
बताणा करे दारू नै गलतान ,भाइयो बोल ना झूठ रहया।।
इब तो जागज्या किसान
 31****
 बाबा साहेब अम्बेडकर ने बौद्ध धर्म का धारण कर लिया तो कई बार हिन्दू उनको घर वापस आ जाने की बात करते थे तो क्या जवाब होता था बाबा साहेब का, क्या बताया भला:-
बाबा साहेब नै कहया कौनसे घर की बात करो।।
मनुवाद मजबूत करो चर्चा दिन रात करो।।
1
जिस घर का सपना हम सबनै दिखलाओ सो 
दुःस्वपन नै सपना कैह दिन रात भकाओ सो 
यो थारा घर का सपना जानवराँ नै भी मात करो।।
मनुवाद मजबूत करो चर्चा दिन रात करो।।
2
घर इसा बनाया परिवार नहीं कट्ठा हो खावै
कुछ की झूठन घर मैं भोज बाकी का बणज्यावै
इसे घर नै के चाटें  रोजाना जड़ै उत्पात करो।।
मनुवाद मजबूत करो चर्चा दिन रात करो।।
3
म्हारे समाज मैं यो सब कुछ न्यारा न्यारा देखो
कुआँ न्यारा भांडे न्यारे न्यारा सबका हारा देखो
यो घर जड़ै तूँ ठाली बाकी मिलकै खुभात करो।।
मनुवाद मजबूत करो चर्चा दिन रात करो।।
4
घर वापसी चाहो सो लालच देदे कई लाख की
चूल हिलादी परवाह नहीं मानव की साख की
बाबा साहेब की गेल्याँ रणबीर ना दुभान्त करो।।
मनुवाद मजबूत करो चर्चा दिन रात करो।।

32*****
 पढ़ाई लिखाई व्यापार बणादी देश के सरमायेदार नै।
या फीस कई गुणा बधा दी मारे म्हंगाई की रफ्रतार नै।।
1.
 स्कूल बक्से ना बक्से कालेज इस बढ़ती फीस के जाल तैं
 कश्मीर तै केरल तक बींधे यो मांस तार लिया सै खाल तै
 चारों कान्ही हाहाकार माचग्या इस आण्डी बाण्डी चाल तैं
 जमा धरती कै मार दिये के तम वाकफ ना म्हारे हाल तै
 एक चौथाई साधण जुटाओ कहवैं लूटो जनता लाचार नै।।
2. 
यूजीसी कटपुतली बणादी उल्टे नियम बणवाये जावैं
 दो सी बीस फीस थी पहलम तेरां हजार भरवाये जावैं
 दिल्ली यूनिवर्सिटी मैं सात हजार शुरू मैं धरवाये जावैं
 बन्धुओ थारी बढ़ी फीस या लेगी खोस कै म्हारी बहार नै।।
3.
 दो हजार आटोनोमस कालेज पूरे भारत में चलाये सैं
 नये कोर्स कम्प्यूटर बरगे इनके अन्दर ये खुलवाये सैं
 इन कोर्सों के रूपये लाखां इन कालजां नै भरवाये सैं
 गरीब बालक माखी की ढालां काढ़ कै बाहर बगाये सैं
 युद्ध कान्हीं ध्यान बंटा कै चाहो बढ़ाना इस भ्रष्टाचार नै।।
4. 
विश्व बैंक के कहने पै बन्धुओ क्यों गोड्डे टेके तमनै
 उनके फायदे खातर क्यों म्हारे फायदे नहीं देखे तमनै
 सब्सिडी खत्म गरीबां की बर्बादी पै परोंठे सेके तमनै
 जनता साथ जान बूझ कै ईब फंसा लिये पेचे तमनै
 रणबीर सिंह की कलम बचावै देश की पतवार नै।।

33****
 मोदी मोदी होरी थी बता के काढ़या मोदी ल्याकै।।
करी धरती खोसण की त्यारी काले कानून बणाकै।।
1
देश गिरवी टेक दिया ये बदेशी कम्पनी बुलाई 
विकास का मुखौटा लाकै अम्बानी नै लूट मचाई
अडाणी खुली लूट मचावै मोदी का ठप्पा लाकै।।
करी धरती खोसण की त्यारी काले कानून बणाकै।।
2
देश का भाई चारा यो करवा कै दंगे तोड़ दिया
कश्मीर मैं किनकी गेल्याँ राज मैं नाता जोड़ लिया
सेकुलर खतरे मैं गेरया हिन्दू का नारा भड़काकै।।
करी धरती खोसण की त्यारी काले कानून बणाकै।।
3
मुजफ्फर नगर मैं मरवाये दंगा इसा फैलाया
कई सौ साल का भाईचारा चंद घण्टे मैं खिंडाया
देशी बदेशी की लूट छिपावै राष्ट्रवाद का नारा ठाकै।।
करी धरती खोसण की त्यारी काले कानून बणाकै।।
4
कर कटौती हेल्थ बजट मैं गरीब यो मार दिया
शिक्षा मैं अन्धविश्वास का नक्शा पूरा डार दिया 
रणबीर साच्ची बात लिखै अपनी कलम घिसाकै।।
करी धरती खोसण की त्यारी काले कानून बणाकै।।

34*****
 बदली आंख युद्ध जीत कै अंग्रेजों की सरकार नै।।
अपमानित करे भारतवासी उस फिरंगी बदकार नै।।
1
फिरंगी की हालत खराब हुई  शुरू पहला वल्र्ड वार हुया 
भारत देश नै करां आजाद अंग्रेजों का यो प्रचार हुया
इसे शर्त पै मदद गार हुया ले सारे घर परिवार नै।।
2
जर्मन चढ़ता आवै लन्दन पै अंग्रेजों नै हाथ फैलाया था
मदद करो रै अंग्रेजों की गांधी जी नै नारा लाया था
रंगरूट भर्ती करवाया था यो देख्या सारे संसार नै।।
3
वायदा करकै नाट गया यो विश्वास खोया म्हारा था
काले कानून करे लागू माइकल ओ डायर हत्यारा था
होमरूल का नारा था हुई मुश्किल फिरंगी दरबारर नै।।
4
कलकत्ता कोर्ट मैं जज भारतवासी हसन इमाम रै
किलेटन बेहूदे गोरे नै गाली देदी थी सरेआम रै
देश उठ लिया तमाम रै देख फिरंगी अत्याचार नै।।
6.11.1990

35******
 बेमौसम की बरसात हुई है कैसा कहर ढाया है
गेहूं हुआ खराब खेत में मण्डी ने गुल खिलाया है 
मौसम हुआ ठंडा कहते मगर ठंडा हुआ किसान भी 
ख़राब पकी पकाई खेती ढह गए सब अरमान भी 
मन्दी की मार ने मारा आज बरसात ने हिलाया है
किसान कब तक सहे इसको मान किस्मत का खेल 
किस्मत नहीं ये सरमायेदारी ने बनाई उसकी रेल
ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते ये मौसम में बदलाव आया है
क्लाइमेट चेंज के दोषी ज्यादा अमीर देश  बताये हैं 
फार्म हाउस गैसों के अम्बार उन्ही ने लगाए हैं 
बेमौसम बादल हुए तो किसान पे संकट छाया है 
किस्मत की बात नहीं  सिस्टम का खेल समझ आया
सिस्टम असली दोषी छिपाये झूठ का प्रपंच फ़ैलाया 
किसान समझ रहा खेल सड़कों पे आके बताया है

36*****
 किसान मजदूर आंदोलन जिंदाबाद
गरीब और गरीब होग्या इसा तरीका महारे विकास का
अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का
1
कहते गरीबी दूर करांगे कई नई स्कीम चलाई गई
विकेंद्रीकरण कर दिया देखो बात खूब फैलाई गई
सल्फास किसान क्यों खावै के कारण उसके सत्यानाश का
अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का
2
नाबरॉबरी और कितनी या भारत मैं बधांते जावांगे
भगत सिंह के सपन्यां आल्या समाजवाद कद ल्यावांगे
छल कपट छाग्या देश मैं के होगा भ्रीष्टाचारी घास का
अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का
3
माणस अपणा आप्पा भूल गया पीस्से का आज दास हुया
बेईमानी बढ़ती जावै सै बाजार का दबाव आज खास हुया
स्कॉच चलै पांच *सितारा मैं ख्याल ना म्हारी प्यास का
अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का
4
प्यार की जगां हवस छागी नँगे होवण की होड़ लगी रै
शरीर बेचकै एश करो बाजार मैं या दौड़ लगी रै
रणबीर सिंह बरोने आला साथ निभावै सोहनदास का
अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का

37*****
 बेमौसम की बरसात हुई है कैसा कहर ढाया है
गेहूं हुआ खराब खेत में मण्डी ने गुल खिलाया है 
मौसम हुआ ठंडा कहते मगर ठंडा हुआ किसान भी 
ख़राब पकी पकाई खेती ढह गए सब अरमान भी 
मन्दी की मार ने मारा आज बरसात ने हिलाया है
किसान कब तक सहे इसको मान किस्मत का खेल 
किस्मत नहीं ये सरमायेदारी ने बनाई उसकी रेल
ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते ये मौसम में बदलाव आया है
क्लाइमेट चेंज के दोषी ज्यादा अमीर देश  बताये हैं 
फार्म हाउस गैसों के अम्बार उन्ही ने लगाए हैं 
बेमौसम बादल हुए तो किसान पे संकट छाया है 
किस्मत की बात नहीं  सिस्टम का खेल समझ आया
सिस्टम असली दोषी छिपाये झूठ का प्रपंच फ़ैलाया 
किसान समझ रहा खेल सड़कों पे आके बताया है

38******
 या बढ़गी बेरोजगरी, यो करजा चढ़ग्या भारी, हुई दुखी जनता सारी, महान हुया हरियाणा।
1
म्हारे बालक मरैं बिना दवाई, महंगी होंती जावै पढ़ाई
नाबराबरी साँस चढ़ारी , कारपोरेट अत्याचारी, मीडिया इसका प्रचारी, महान हुया हरियाणा।
2
जात पात मैं बाँटी जनता, विरोध किया तो काटी जनता
किसान की श्यामत आरी, महिला की इज्जत जा तारी, बढ़ती जावै चोरी जारी
महान हुया हरियाणा।
3
झूठे जुमले रोजाना देते,खबर म्हारी कदे ना लेते, 
होंती जा तबियत खारी, जनता हिम्मत नहीं  हारी, शासक हुया भ्रष्टाचारी, 
महान होया हरियाणा। 
4
महिला वंचित सुणल्यो सारे, बिना संघर्ष के नहीं गुजारे
लड़े हैं जीत हुयी म्हारी, जीतैंगे भरतू  भरतारी , यो रणबीर म्हारा लिखारी, 
महान हुया हरियाणा ।

39*****
 अपने नेता सही छाँटियो सोच समझ कै भाइयो
हांडें फ्राड भकाते इनके मत बहका मैं आइयो
1
इन भ्रष्टाचारी लुटेरयां तैं आज देश बचाना सै
अत्याचारी दरिंदयां का नहीं साथ निभाना सै
बोट का इस्तेमाल क़रण मैं नहीं धोखा खाणा सै
साफ और सुथरा अपने देश का राज बनाना सै
जो बणै हितैषी गरीबों का उनै जरूर सफल बनाइयो।।
हांडें फ्राड भकाते इनके मत बहका मैं आइयो
2
कई आपस के बैर भाव मैं काम करें सैं रिस्की
जित गेरै बोट मेरा दुश्मन मैं बोट नहीं दयूं उसकी
मतना उल्टी जिद्द लाइयो ये बात सैं थारे बसकी
बोट देवण मैं ठाड़े की मत कति माणियों धसकी
थारे हाथ डोर देश की ना भूल मैं धोखा खाईयो।।
3
धन के लोभी लालची ना जनता का कल्याण करैं 

हाथ जोड़कै बोट मांगलें फेर तानाशाही आण करैं
लूट खसोट देश नै खाज्यां पूरी धन की खाण भरैं
फेर मन मान्या राज चलावैं नहीं म्हारी पहचान करैं
भेड़ चाल की रो मैं बहकै मत देश गिरवी धराइयो।।
4
तरहां तरहां की बोली बोलैं झूठा लोभ दिखा कै
अपना स्वार्थ करते पूरा हम सबनै बहका कै
हम आपस मैं बैर बांधां इनकी बहका मैं आकै
थारे भले की कहरया सै यो किशन चंद समझाकै
आच्छा कैंडीडेट छांटकै गीत खुशी के गाईयो।।

40****
 बात पते की 
क्यों दो आंख लेकै भी आंधे हमनै सड़ांध देवे दिखाई ना ।।
बिल्ली देख कबूतर आंख मूँद कै कहवै आड़े  बिलाई ना।।
1
ईमानदारी का पाठ पढावें नेता अफसर संसार मैं
इनकम टैक्स  की चोरी करना बालक सीखें परिवार मैं
इस काले धन की बहार मैं दीखे फेर कति सच्चाई ना ।।
बिल्ली देख कबूतर आंख मूँद कै कहवै आड़े  बिलाई ना।।
2
ऊपर बैठे अफसर नेता लेरे बदेशी बैंकं मैं खाते ये
जड़ मैं भ्रष्टाचार पणपै तो क्यूकर हारे रहवैं पाते ये 
इननै चाहियें चिमटे ताते ये इनकी कोए और दवाई ना ।।
बिल्ली देख कबूतर आंख मूँद कै कहवै आड़े  बिलाई ना।।
3
साठ हजार करौड़ का कर्जा म्हारे देश के अमीरां पै  
सरकार म्हारी चालती देखो इनकी काढी लकीरां पै
हम खंदाये संत और फकीरां पै साच समझ मैं आई ना ।।
बिल्ली देख कबूतर आंख मूँद कै कहवै आड़े  बिलाई ना।।
4
दारू सुल्फा नशा खोरी हमतैं  इनकी राही पकड़ा दी
बिना सोचें समझें हमनै भकड़ बाल कै नै दिखा दी 
रणबीर सिंह नै छंद बना  दी या साच जमा छिपाई ना ।।
बिल्ली देख कबूतर आंख मूँद कै कहवै आड़े  बिलाई ना।।


किसान की हालत देख कै कालजा धड़के  म्हारा रै।।
इसके  संघर्ष मैं साथ निभाना फर्ज म्हारा थारा रै।।
1
उनके बालक भूखे मरते जिणनै खेत खूबै कमाये
बिना दूध सीत रहवैं सैं जिणनै डांगर खूब चराये
सिरकी घाल करैं गुजारा जिणनै ताज महल बनाये
तन पै उनके लत्ता ना जिणनै कपड़े के मील चलाये
सरकार कती विरोधी होरी  करती नौ दो ग्यारा रै।।
2
जितना करड़ा काम इसका नहीं सम्मान उतना मिलता
दस नम्बरी मानस जितने उनका हुक्म देख्या पिलता
नकली फूल सजावैं देखो यो क्यों ना असली खिलता
कहैं उसके बिना आड़ै यो पत्ता तक बी नहीं हिलता
किसान का जमा ख्याल ना अमीर आज यो  छारया  रै।।
3
डांगर की कद्र फालतू माणस बेक़दरा संसार मैं
छोरे की कद्र घणी सै छोरी धन पराया परिवार मैं
किसे किसे जुल्म होण लागरे छपते रोज अखबार  मैं
माणस खानी म्हारी व्यवस्था लादे बोली बाजार मैं
कति छांट कै इसनै चलवाया महिला भ्रूण पै कटारा रै।।
4
इस व्यवस्था मैं मुट्ठी भर तै हो घणे माला माल रहे 
अम्बानी हर नै जाल पूरया चला ये अपनी ढाल रहे 
सोच समझ कै बढियो आगै माफिया कसूते पाल रहे 
फौज और पुलिस नै बणा रणबीर ये अपनी ढाल रहे
सहीसोच कै संघर्ष नै हिंदुस्तानी किसान चलारया रै।।



***
कुंभ की दुर्घटना 
यूपी अर केंद्र सरकार सच्चाई छिपान्ती हांडैं देखो।।
कुंभ मेले की दुर्घटना पै बेरा ना के के ये 
बांडैं देखो।।
1
एक हादसा फेर दूजा हादसा जनता हुया बतावै भाई
कितने लोग मारे गए उडै़ नहीं संख्या पूरी गिनावै भाई
सरकार अर अफसर आंकड़े झूठ मूठ के 
मांडैं भाई।।
2

कई चैनल हकीकत बतारे इस दुर्घटना की सारी भाई
कुंभ मेले की या दुर्घटना पूरी दुनिया के मां छारी भाई
सरकार अपने ढंग तैं इस दुर्घटना नै भाइयों 
चाँडैं देखो।।
3
तीस मारे गए सौ दो सौ घायल हुए सरकार बतावै सै 
मीडिया इसतैं न्यारी संख्या वीडियो अंदर दिखावै सै 
जो जनता गई नहावण रौवै खड़ी गंगा के काँडैं देखो।।
4
यकीन पूरा पत्रकार म्हारे साच पूरी सहमी ल्यावैंगे 
कितना दुखड़ा झेल्या वापिस आकै यात्री 
बतावैंगे
रणबीर सिंह भी दुखी हो कै उनके दुखडे़
भांडैं देखो।।

**//
आस बंधी ईब भोर हुई सै शोषण जारी रहै नहीं ।।
लोक लाज तैं राज चलै ईब रिश्वत भारी रहै नहीं ।।
1
रिश्वतखोर मुनाफाखोर की सवर्ण तिजूरी नहीं रहै 
चेहरा सुखा मरता भूखा इसी मजबूरी नहीं रहै 
गरीब कमावै उतना पावै बेगार हजूरी नहीं रहै
शरीफ बसैंगे ऊत मरैंगे या झूठी गरूरी नहीं रहै 
फूट गेर कै राज करो फेर इसी बीमारी रहै नहीं।।
2
करके माफ हौज्यांगे साफ चालैगा दौर कमाई का
बेरोजगारी भत्ता कपड़ा लता प्रबंध होवै दवाई का
पेंशन होज्या सुख तैं सोज्या मौका मिलै पढ़ाई का
जच्चा बच्चा होज्या अच्छा हो सम्मान लुगाई का
मीठा पानी चालै नल मैं पाणी खारी रहै नहीं।।
3
भाईचारा सबतैं न्यारा नहीं कोए धींगताना हो
बदली खातर ठाकै चादर ना चंडीगढ़ जाना हो
हक मिल्जया घीसा घलज्या सबनै ठोर ठिकाना हो
सही वोट डलै ना नोट चलै सीधा आना जाना हो
हम सबनै नारा लाया सै यो भ्रष्टाचारी रहै नहीं ।।
4
पढ़कै सोगे चाले होगे कोन्या कुछ भी होवैगा
माथा पकड़ कै भीतर बड़कै बुक मार कै रोवैगा
नया मदारी करै हुशयारी हमनै बेच कै नै सोवैगा 
चौकस रहियो मतना सोइयो कटेगा जिसे बोवैगा
रणबीर सिंह बरोने आला कितै दरबारी रहै नहीं।।




ट्रंप थारे लोक राज का फुटया ढारा देख लिया।।
विदेशियों को भगाओ का लाया नारा देख लिया।।
1
भारतीय करते ज्यान खपाई ट्रंप अमरीका थारे मैं
इननै ज्यान की बाजी लाई ट्रंप अमरीका थारे मैं 
क्योंना इनकी साथ निभाई बुरा नजारा देख लिया।।
2
घोर विरोध करणीया नै जेलों मैं सुन्या सै डालोगे
ठीक नहीं जो बादशाही की राही पै थाम 
चालोगे
मीडिया कै लगाम घालोगे खेल थारा देख लिया।।
3
रक्षक बणकै  भक्षक आगे जनता समझ ना पाई
नेग जोग भिड़ा करकै हटकै थामनै कुर्सी हथियाई
विदेशियों की होगी खिंचाई चढ़्या पारा देख लिया।।
4
सब किमै निजीकरण की क्यों भेंट चढ़ाया चाहवै 
देशी बदेशी का रगड़ा जान बूझ कै बढ़ाया चाहवै
रणबीर फ़तूर मचाया चाहवै खेल सारा देख लिया।।



/////
धमकी कितनी ए देल्यो थारी कोन्या पार जावै ।।
म्हारी एकता तोड़ण की चाल सफल ना हो पावै ।।
1
महिला पुरुष खिलाड़ी ये म्हारे देश की शान
यौन शोषण करकै नै हुए बहोत घने परेशान
खिलाड़ी देश का ये मान इननै सांसद क्यों धमकावै।।
2
इननै ये झेलनी पड़ती मुश्किल बहोत तमाम
ओलंपिक मैं पदक जीतकै करते ऊंचा नाम
प्रैक्टिस करते सूबो शाम तंगी मैं भी कदम बढ़ावै।।
3
महिला खिलाड़ी की राह और मुश्किल बताई
यौन शोषण की तलवार  मचाती जीवन मैं तबाही
नहीं होती कि सुनाई किसनै या दुखड़ा बतावै 
4
कितै संदीप सिंह मंत्री कितै बृजभूषण सतारे
कितै सुनाई कोन्या होरी जंतर मंतर पै धरना लारे 
फुटपाथ पै रात बितारे रणबीर इनका साथ निभावै।।






बीस साल पुराना दूरदर्शन क्यों हिसार तैं ठवाया  रै।।
क्यों लेगे चंडीगढ़ इसनै नहीं कोए कारण
बताया रै।।
1
एकला केंद्र हरियाणे का एक नवंबर दो नै शुरू करया 
सुषमा स्वराज जी नै देवीलाल जी को डेडीकेट करया
प्रसार भारती नै हुक्म भेज्या  चाहवै थी शिफ्ट कराया  रै।।
2
रेगुलर कर्मचारी जो इसके चंडीगढ़ का राह दिखाया
कुछ भेजे औने पौनै इनके जी नै घमासान मचाया
एक दम पड़या हिसार छोड़ना पसीना खूब ए आया रै।।
3
घणे डेलीवेज कर्मचारी घर का रस्ता दिखा दिया  रै
दुखी होकै उननै हिसार मैं धरना यो लगा
दिया  रै
उल्टा आवै हिसार के मैं सबनै यो नारा गुंजाया रै।।
4
एक दूरदर्शन केंद्र भी बर्दाश्त हुया नहीं सरकार कै 
सारा हिसार थूक्कण  लागरया इसके इस व्यवहार पै
बात सही यो रहवै हिसार मैं रणबीर ज्यां कलम घिसाया  रै।।





26 जनवरी 2025 किसान मजदूर ट्रैक्टर मार्च 
मजदूर किसान मिलकर के लुटेरों से आज टकराएंगे।
ट्रैक्टर मार्च निकाल कर ताकत अपनी हम दिखलाएंगे। 

जितना दबाओगे आप हमें इतना जोश बढ़ेगा हमारा 
एकता हमारी मजबूत होगी जुलम हारेगा तुम्हारा 
चैन खोस लिया हमारा अब हम सबक सिखाएंगे।।
2
तुम्हारी लाठी गोली जो चले उनसे नहीं घबराने के  
हमारा संघर्ष जोर पकड़ेगा उल्टे कदम नहीं हटाने के 
लुटेरे फिर नहीं टोहे पाने के नारे मिलकर लगाएंगे ।।
3
किसानी एकता तोड़ने  को हिंदू-मुस्लिम लाए हैं 
जाति धर्म गोत नात पर चाहते जनता को लड़ाए हैं 
कितनी झूठ भकाए हैं हम सब खोल के बताएंगे।।
हिंदुस्तान के नर नारी हिंदू मुस्लिम सिख इसाई 
इनकी एकता के सामने ना होएगी तुम्हारी सुनाई 
रणबीर करे कविताएं दुनिया में अलख जगायेंगे।।

चमन भाई क्यों रोवै ढूंढा लीलो नै चाल हिम्मत मतना हारै तू रोवण की कर टाल



"""
करया घोषणा पत्र जारी इलेक्शन का बम।।
झूठे गोले गिरड़ावै है मनै लगै सच्चाई कम।।
1
कोए कहै मनै जिता दयो करूं दूर समस्या थारी
कोए कहै दयूं लवा नौकरी मिटज्या बेरोजगारी
थारे गाम बणा दयूं शहरां केसे इज्जत बढ ज्या थारी
कोए कहै उद्योग खोल दयूं सीख लियो दस्तकारी
नहीं भका कै झूठे साच्चे वायदे करते हम।।
2
कहै कर दयूं मौज थारे ख़ेताँ मैं पानी चक्कर काटै
थारे बिजली के बिल माफ करा दयूं जब मेरा बेरा पाटै
कोए कहै मैं थारा हितैषी मत वोट देवण तैं नाट
कोए देसी दारू के भर भर कट्टे जनता के मां बांटै
आज बणे सपोर्टर ग़ामाँ के मां पी पी कै रम।।
3
कोए कहै थारे बुढ़यां के मैं सब रंग ठाठ करा दयूं
कोए कहे थारी पोली के म्हां मूढ़े आठ धरा दयूं
कोए कहै थारे घर की सारी टूटी खाट भरा दयूं
कोए कहै दियो साथ मेरा बना मुल्की लाट सराह दयूं
किसे तैं भी पाटै कोन्या ईसा गाड़ दयूं खम्ब।।
कोए कहै दयूं लवा घरां मैं थारै पाणी की टूटी
थारै गैस सिलेंडर लगवा दयूं हो चूल्हयां की छुट्टी
सुणले ताऊ कान खोल कै मेरी बात नहीं सैं झूठी
दयूं बीरां खातर बना पखाने नहीं हांडैं उठी उठी
इसतें आगै छोडूं कोन्या किसे बात का गम ।।
5
म्हारे राज मैं सारे भाई लियो मौज और मस्ती
थारे घरां मैं बरतन आली सब चीज करा 
दयूं सस्ती
थारी पक्की गली शिवर लगवा दयूं गंदी रैह ना बस्ती
थारे कामां नै कौन रोक दे रणबीर किसकी हस्ती
जीते पाछै काम करण मैं तोड़ दयूं कलम।।
6
सब वोटां के गरजू सैं ये किसका काम 
करावैं 
इब फंसी मैं हां भररे फेर पाछै आंख 
दिखावैं 
मतलब लिकडे़ पाछै तै ये भाजे कोन्या थ्यावैं
तोते के ज्यूं आंख बदलज्याँ कति नहीं शरमावैं 
फेर कोठी कै मां बैठे देखैं मौज तैं फिल्म।।
7
झूठे भाषण देहरे सैं ये कति नहीं शरमाते 
जीते पाछै फेर आप कै कोन्या शक्ल 
दिखाते
ये ईबै मीठे बोलैं सैं फेर बणैं भिरड़ा के छाते
सब झूठे लोभ दिखाकै म्हारे सहम बांधरे बाते
कहै किश्न चंद इनकी बातां मैं कोन्या लाग्या दम।।
**/***//
चौबीस का हिसाब लगा कै पच्चीस की करां तैयारी।।
खूब खाल तारी चौबीस मैं पच्चीस की लड़ाई भारी।।
1
म्हारे हाथ बांध कै  देखो बनाए कति बेकार चौबीस मैं
म्हारे दिमाग कर काबू तीर चलाए बेशुमार चौबीस मैं
बढ़ा महंगाई चौबीस मैं करी दुर्गती देखो खूब म्हारी।।
2
कहया ना सोचो ना सवाल करो जयजय कार करो
जात धर्म और इलाके की बात म्हारी थाम  स्वीकार करो
पच्चीस मैं लागै सै जनो या फुट जावैगी और उभारी।।
3
लोक तंत्र के मलबे पै खड़या करना चाहया था निजाम
फरक झूठ और साच का मिटाना चाहया था तमाम
पच्चीस मैं लोकतंत्र तैं और दिवावैंगे ये कसूत उडारी।।
4
हिंदू राष्ट्र का नारा और जोर तैं पच्चीस मैं लगावैंगे ये
जात धर्म इलाके पै लड़वा मनुवाद और बढ़ावैंगे ये
रणबीर कठे हो करो संघर्ष या बहुविविधता आज पुकारी।।




*****
घणी दुखी करी  बहना इस छोटे से परिवार नै।।
कड़ तोड़ कै धरदी मेरी बालकां की पुकार नै।।
1
जिस घर मैं थोड़े बालक सुन्या आच्छा घर हो सै
पढ़ना लिखना हो बढ़िया ना करके का डर हो सै 
क्याहें चीज का तोड़ा ना सुरग मैं कहैं नर हो सै
मदद करैं एक दूजे की पर मुश्किल या डगर हो सै
इतना ध्यान करया फेर भी दुखी करी करतार नै।।
2
पांच बालक जामे थे मनै आज तीन इब आगै सैं
नहीं मिलै दवाई बख्त पै जिब दिन उल्टे लागैं सैं
आस पड़ोसी देख यो सब बोल घणे कसूते दागैं सैं
सारे कमा कै ल्यावां सां पर म्हारे भाग ना जागैं सैं
बड्डा कुन्बा साहरा देंता मैं समझाऊं अपने भरतार नै।।
3
मनै चिंता रहवै रोजाना बेबे इनकी पढ़ाई की
सेहत ठीक कोन्या रहती पड़ती मार दवाई की
साफ सुथरा मकान हो चिंता पानी सप्लाई की
घरां काम बाहर छोटी नौकरी औटूं डॉट थारे जमाई की

बालक टी वी नै चूंघैं  मार दिए चैनलों की मार नै।।
4
पड़ौसन का बड्डा परिवार उनकै बात काबू ना आई
छोटे बड़े  का ना रोला विकास मैं या रोल बताई
मेहनत के फल का ठीक बंटवारा ना देता सही दिखाई
माणस का माणस बैरी औरत जावै घणी सताई
अडानी बार्ज खोस कै लेगे सारी म्हारी बहार नै।।
5
जनसंख्या का रोला कोन्या इस कारण ना दुख म्हारे
म्हारे दुखों का कारण दिखैं जिंदगी के ये बंटवारे 
इसी रची समाज व्यवस्था गरीब धरती कै ये मारे
विकास का बेढ़ंगा तरीका इसकी असल ये छिपारे 
बेबे बैठ कै सोचां क्यूकर करां सुखी हम घरबार नै।।
6
ईसा विकास हो देश मैं जिसमें सही बंटवारा हो
प्यार बढै़ आपस मैं ना भाई का भाई हत्यारा हो
बलात्कारी ना टोहे पावैं म्हारा सुखी हर गलियारा हो
जनसंख्या समस्या ना दिखै सबके घर उजियारा हो
फेर परिवार नियोजन की ना जरूरत हो सरकार नै।।
******
गरीबी अनपढ़ता बेरोजगारी माणस की करतूत बतावैं रै।।
माणस करया माणस का बैरी  अभाव अर  दुख दिए जतावैं रै।।
1
बाजार मैं खागड़ठा सूने छोड़ दिए एक दूजे नै ठाठा पटक रहे
बछिया बाछड़े रंभाते हांडैं इनके खुरों मैं पड़े सिसक रहे
इंसानियत तैं जमा खिसक रहे हैवानियत का साथ निभावैं रै।।
2
 विज्ञान पै कब्जा जमाकै मुनाफे खातर इस्तेमाल बेईमान करैं
मानव सुख पढ़ण बिठाया खर्च हथियारों पर बेउनमान करैं
मानवता का नुकसान करैं विज्ञान नै विनाश राही चलावैं  रै।।
3
मानवता के हित मैं जिस दिन ज्ञान विज्ञान खड़या दिखैगा
उस दिन दुनिया का सबनै कायाकल्प चौडै़
पड़या दिखैगा
समाज नहीं सड़या दिखैगा मिलकै प्यार की पींघ बधावैं  रै।।
4

माणस माणस के बीच की असमानता फेर दूर जरूर होवैगी 
राष्ट्र राष्ट्र के बीच की फेर रणबीर कहवै दूर ग़रूरी होवैगी 
फेर आबाद आडै़ अंगूरी होवैगी ईमानदार दुनिया मैं छावैं रै।।








किसानों का संघर्ष और तेज करने का शमों आया।।
दूसरे कमेंरे तबके साथ ले पूरे देश मैं बिगुल बजाया।।
1
इस पार्टी या उस पार्टी का नहीं यो मामला कहते हैं 
कॉर्पोरेट और सांप्रदायिकता इसकी मार हम सहते हैं
सिस्टम का मालिक कॉर्पोरेट यो लुटेरा असल बताया।।
2
शिक्षा बेची स्वास्थ्य बेच्या सब कुछ बेच रहे आज
निजीकरण की लहर फैलाई झूठ को सच कहे आज
आमजन के जीवन पर संकट आज गहरा है छाया।।
3
अमरीका से दोस्ती देश की मीडिया पूरा उछाल रहा
असल मातहती अमरीका की छिपाने का कर कमाल रहा
बातों बातों में देश को आज आसमान पर पहुंचाया।।
4
रणबीर बहुविविधता देश की पूरी दुनिया करे बड़ाई 
एक देश एक पहचान इस पर छेड़ी गई क्यों लड़ाई
बहुविविधता हार नहीं मानेगी संघर्ष का बिगुल बजाया।।




किस्सा अजीजन बाई
क्रांतिकारी पूरी के दिखूं सूं जमूरी मेरी बात ना अधूरी, जानू सूं सबकी बातां नै ।।
तूं मलखान इसी बात राहण दे 
मनै अपनी राही पै जाण दे
लाण दे भीतर घात, म्हारी बीरां की जात   
 काटां नाच गा कै रात मिलां रोज पांच सातां  नै।।
हम कोठे कै ऊपर बिठा दी 
म्हारी करी सै घनी बर्बादी 
मचादी सै हाहाकार ,जुल्मी सै सरकार करै सै अत्याचार ना देखै दिन रातां नै ।।
भेष बदल लड़ी जंग मैं
 रंगी थी क्रांति के रंग मैं 
ढंग मैं चलाए सही निशाने लाये अंग्रेज थे घबराये छेड़  भिरड़ां के छात्यांं नै
 कानपुर की ईंट तैं ईंट बोलै 
अजीजन बाई उड़े कै डोलै
घोले मिठास वा, धारै अहसास वा लिखे इतिहास वा रणबीर के खात्यां मैं।।

*********
अंग्रेजों के राज में एक गरीब की पुकार 
फिरंगी के दरबार मैं भूखा खड़या सतबीर चावल घाल दे मेरै ।।
म्हारी बीत रही दुख की घड़ी 
साथ मेरी घरवाली भी खड़ी 
पड़ी हुई या बेकार मैं दुखकी काट दे जंजीर जै कुछ रहम हो तेरै ।।
नई नीतियां करकै भुगत रहे 
कर क्यूकरै हम जुगत रहे 
सुबक रहे सां  लाचार हम मरती जा जमीर मतना कूंए के मैं गेरै ।।
मुसीबत मैं परिवार मेरा चारों और सै अंधेरा लुटेरा ना सरकार मैं भोजन मांगै सै शरीर  सुबह शाम और सबेरै ।।
सुन्या तुम बड़े दयावान 
अव्वल दर्जे के इंसान 
सम्मान ना व्यवहार मैं जान गया रणबीर क्यों चारों कान्हीं तैं घेरै।।
******


****/
सल्फास की गोली दुख में बेटा काल सांझ नै खाग्या।।
देखी जब हालात उसकी मनै ठोड़  तिवाला खाग्या।।
 मेडिकल मैं बोले छोरा ब्रॉट इन डेड सै थारा यो 
पुलिस केस बणग्या सारा दिन घुलग्या म्हारा यो
 चौबीस साल का गाभरू था घर मैं अंधेरा 
छाग्या।।
एमएससी में मैरिट साथ क्लास पास करी उसनै 
धक्के खानता हांडै था फॉर्म बीसमी बार भरी उसनै 
मैरिट हुई सिफारिश दूजा तो पिस्सा रंग दिखाग्या ।।
 क्याबन  हजार माला घाल नेता तैं पकड़ाए थे
सिफारिश की खातर खूब हाथ पैर चलाए थे 
तेरा नाम नहीं ट्रिब्यून मैं उसका दोस्त या सुनाग्या।।
रिजल्ट सुन बेटा मेरे कान्हीं लखाया था रणबीर देख चेहरा मेरा दिल घबराया था 
मैरिट की बात कति थोथी मेरा बेटा मनै बताग्या।।

**//***
चारों कान्हीं तैं  ख़ावण लागरे  क्यों देता कति दिखाई कोन्या।।
 म्हारी सारी कमाई कित जावै हमने सवाल उठाई कोन्या ।।
कमा कमा कै अपने खेत मैं कर लिए हाड काले आज 
हालत म्हारी बदली कोन्या क्यों भक्षक बने रूखाले आज 
चौड़े मैं लई लूट कमाई म्हारी टोही सही दवाई कोन्या।।
ये लूटैं बन कै जात चौधरी हम आंख जमा मूंद रहे
भर राखी जात कै कोली इस मैं हम मुक्ति ढूंढ रहे
ढेरयां आला सै जात कुड़ता म्हारी समझ मैं आई कोन्या।।
अपनी अपनी जात्याँ के चौधरी मुट्ठी भर तो ऐस करैं 
म्हारे बालक सल्फास खाकै बिन आई ये मौत मरैं
खान लागरी दीमक की ढालां चाहवै जात भलाई कोन्या।।

 इसने हमारी एकता तोड़ दी न्यारे न्यारे हम घूम रहे 
जात-पात गोत के नारयां पै पीकै दारू हम   झूम रहे 
रणबीर बराने आले की समझी कदे कविताई कोन्या।।
*****
हमारी मेहनत के दम पर अमीर होने का खेलते खेल
इसके सहारे अदानी अंबानी ने हमारी है बनाई रेल



सुनल्यो नै ध्यान लगा कै, एक बै देखो नजर घुमा कै, शरीफ लोगों नै जितवा कै, अपना विकास सही करां ।।
1
बढ़िया से एमएलए बना कै चैन मिलै गरीबां नै
काले धन नै मुश्किल होज्या चैन मिलै शरीफां नै 
ज्ञान विज्ञान की यही पुकार, बराबर हों सब नर नार , या दी हरियाणे मैं ललकार ,अपना विकास सही करां ।।
2
बदेशी कंपनी अर  देशी ये मिलकै नै लूट रही रै
किसे की काबू की ना जन सांड मरखना छूट रही रै
म्हारी एकता नाथ घालदे,उनका पकड़ चोर माल दे,या गरीबां नै देख भाल दे,अपना विकास सही करां ।।
3
महिलावां का दोयम दर्जा गलत विकास के कारण सै 
गरीब देशों के सिर कर्जा गलत विकास के कारण सै 
नहीं होसै हरजा सुनने मैं, सोच समझ कै गुणने मैं, यो सही मानस चुनने मैं,अपना विकास सही करां ।।
4
हरियाणे  की  विधान सभा मै़ं  सारै ईमानदार ल्याने हों
इसके बिना सुनल्यो बालक बिन जुतयां के उभाने हों
खींची सै सही तस्वीर देखो, लिखने आला रणबीर देखो, काढ़ी सै नई लकीर देखो, अपना विकास सही करां।।


******
हरियाणे में बेरोजगारों की आज लार क्यों बढ़ती जावै।।
बेरोजगारी की बढ़ती झोल ढाल ढाल के नशे मैं धक्कावै।।
1
बिन ब्याहे  नौजवानों की बढ़ी संख्या आज बता`वै` भाई
बिहार अर दूजे प्रदेशों तैं बहू खरीद खरीद ल्यावैं भाई
गाम शहर का माहौल यो नौजवानों की मुसीबत बढ़ावै।।
2
दारू और नशे तैं घर तो आज कोए नहीं बच्या देखो
बाबू की बोतल बेटा टोहवै बेटे की तैं बाबू 
खस्या देखो
सरकार भी नए नए देशी अंग्रेजी की ठेके आज खुलवावै।।
3

घर गली मोहल्ले का माहौल भिडंत का यो पावै देखो
गोली चला मारया ढाल ढाल की खबर रोज
आवै देखो
राजपाट का बड़ा हिस्सा  बदमाशों की आज मेर कटावै।।
4
नशे का व्यापार यो अमरीका जोर शोर तैं चलारया सै
विकासशील देश घेर लिए मीडिया भी बात छुपारया सै
यो रणबीर सिंह बरोने आला सोच समझ कै नै छंद बनावै।।






*****
थारी हिम्मत नै सलाम सारा देश देवै सै विनेश बधाई।।
 सिल्वर मेडल ताहीं पहोंची कई तरीयां की लड़ी लड़ाई।।
1
विनेश फौगाट हर नै जंतर मंतर पै डेरे लगाए थे
पहलवानों के हकों की खातर धरने ऊपर आए थे
सरकार और बृजभूषण की ना थी कति पार बसाई।।
2
बड़ी मुश्किल तैं इजाजत पाई पेरिस जावण की
पूरी तयारी करी थामनै उड़ै अपने हुनर दिखावण की
तीन कुश्ती जीत कै फाइनल की खातर कदम बढ़ाई।।
3
चाण चनक सौ ग्राम बोझ फालतू करी डिस्कवालीफाई रै
कोए साजिश सै इसमें जनता नै या मांग उठाई रै
दबाव बनया देश दुनिया का अक यो कैश करो सूनवाई।।
4
CAS की मीटिंग होंवन लागरी देखो के फैंसला होवैगा 
सिल्वर मेडल मिलियो विनेश नै रणबीर छंद पिरोवैगा
विनेश की कुश्ती नै देश की जनता हटकै देखो जगाई।।




चलो रै साथियो सब्जी मंडी इब नहीं घबराणा सै।।
संघर्ष के दम पै हमनै अपना हक जरूरी पाणा सै।।
1
जल्दी करलयो पीणा खाणा
ट्रैक्टर लेकै सब्जी मंडी जाणा
एकता के दम पर हक पाणा
सरकार चाहवै देखो भरमाणा, यो पूरा हांगा लाणा सै।।
2
धरने जलूसों पै हमनै डटकै
कानून वापिस कराए लड़कै
वापिस करने तैं नाटे हां भरकै
फ़ाइल कानूनों की ना सरकै, सरकार का यो भरमाणा सै।।
3
बुलंद होवैं सब्जी मंडी मैं नारे
वापसी कानूनों की ये भुलारे
दुखी किसान मजदूर कर्मी सारे
हम भी नहीं पाछै कदम हटारे, यो एमएसपी लागू करवाणा सै।।
4
संयुक्त किसान मोर्चा बतावै सै
संघर्ष बिना नहीं कुछ थ्यावै सै
मजदूर किसान की साथ आवै सै
रणबीर सिंह कविताई बनावै सै, नहीं पाछै कदम हटाणा सै।।








********
आह्वान 8और 9 जनवरी की हड़ताल क्यों ?
चलो रै साथियो दिल्ली ईब नहीं घबराना सै।।
संघर्ष के दम पै हमनै अपणा हक पाना सै।।
1
जल्दी करलयो पीणा खाणा 
इस जिसा ना मौका थ्याणा
फेर हमनै ना पड़ै पछताणा
संघर्ष करकै सै हक पाणा, यो पूरा हाँगा लाणा सै।।
संघर्ष के दम पै हमनै अपणा हक पाणा सै।।
2
जमा नाट गये देखो हाँ भरकै
धरने जलूसों से इणनै डरकै
मंत्री भकाजया कदे आ करकै
फ़ाइल फेर जमा नहीं सरकै, रोज का ही फरमाणा सै।।
संघर्ष के दम पै हमनै अपणा हक पाणा सै।।
3
बुलंद होवेंगे दिल्ली में नारे
निजीकरण नै घाले सैं घारे
घणे दुखी मजदूर कर्मी सारे
ठेकेदारी प्रथा सारे कै ल्यारे, मिलकै पाठ पढ़ाणा सै।।
संघर्ष के दम पै हमनै अपणा हक पाना सै।।
4
संघर्ष बिना नहीं सै गुजारा
दिल्ली चालां हजारों हजारां 
सरकार हैरान हो देख नज़ारा
रणबीर लिखता साथी म्हारा, ना पाछै कदम हटाणा सै।।
संघर्ष के दम पै हमनै अपणा हक पाना सै।।


********
*छब्बीस जनवरी की रैली लाखां किसान आये देखो।।*
*काले कानून वापिस करो जोर के नारे लगाए देखो।।*
1
ट्रैक्टर ले आये रैली मैं पूरी पूरी तैयारी करकै
बहोत घणे पहोंचे दिल्ली गाड्डी मैं तेल पूरा भरकै
*ट्रेक्टरां की गिणती नहीं हजारों लाखों बताये देखो।।*
काले कानून वापिस करो जोर के नारे लगाए देखो।।
2
दिल्ली की रैली मैं आये कई कार ऊपर झंडा लाकै
मीडिया नै नहीं दिखाये बैठग्या तीन बातां नै ठाकै
*इसनै भी सच पूरे म्हारे तैं कति नहीं दिखाये देखो।।*
काले कानून वापिस करो जोर के नारे लगाए देखो।।
3
लाल किले पै जो हुया वो बहोत गलत करया रै
पुलिस नै भी नहीं रोके उड़ै कट्ठ कैसे जान मरया रै
*उनपै एक्शन होना चाहिए गलत कदम उठाये देखो।।*
काले कानून वापिस करो जोर के नारे लगाए देखो।।
4
चाल बदनाम करण की उणनै खूब चलाई सै
उनकी चाल फेल होगी कति ना पार बसाई सै
*रणबीर करी कविताई दो चार छंद बनाये देखो ।।*
काले कानून वापिस करो जोर के नारे लगाए देखो।।

 *******
छब्बीस जनवरी का दिन लाखां क़ुरबानी देकै आया रै।।
आज हटकै  म्हारे देश पै गुलामी का बादल छाया रै।।
आजाद देश के सपने म्हारे सबनै मिलै पढाई या
बिना इलाज ना कोए मरै सबनै मिलै दवाई या 
भूखा कोए बी रहवै नहीं इसा हिन्दुस्तान चाहया रै।।
मजदूर किसान नै फेर उब्बड़ खाबड़ खेत संवारे 
सबको शिक्षा काम सबको पूरे करने चाहे ये नारे 
पब्लिक सैक्टर के कारखाने देश का आधार बनाया रै।।
साधनां मैं गरीब नहीं दरबरां की नियत खोटी होगी 
मेहनत लूट किसानां की पेट सहूकारां की मोटी होगी
अमीर घने अमीर होगे यो गरीब खड़या लखाया रै।।
अमीरी लूट छिपावन नै हम जात धर्म मैं बाँट दिए
सपने भगत सिंह के तोड़े गरीबाँ के पर काट दिए 
बिना फल की चिंता कर्म किया फल अम्बानी नै खाया रै।।
आर्थिक संकट छाग्या उदारीकरण का रह दिखाया
बदेशी पूँजी खातर देश का मूल आधार खिसकाया 
विश्व बैंक का रिमोट कण्ट्रोल गुलामी का जाल बिछाया रै।।
गरीबाँ नै दल कै नै सपना महाशक्ति बनन का देखैं
देशी बदेशी कारपोरेट परोंठे म्हारे दम पै सेंकै
कहै रणबीर बरोने आला ओबामा ज्यां करकै भाया रै।।
रणबीर~25 जनवरी 2015
छब्बीस जनवरी के मौके पर
******
छब्बीस जनवरी की रैली लाखां किसान आये देखो।।
काले कानून वापिस करो जोर के नारे लगाए देखो।।
1
ट्रैक्टर ले आये रैली मैं ये पूरी पूरी तैयारी करकै
बहोत घणे पहोंचे दिल्ली गाड्डी मैं तेल यो पूरा भरकै
ट्रेक्टरां की गिणती नहीं हजारों लाखों बताये देखो।।
काले कानून वापिस करो जोर के नारे लगाए देखो।।
2
दिल्ली की रैली मैं आये कई कार ऊपर झंडा लाकै
मीडिया नै नहीं दिखाये बैठग्या तीन बातां नै ठाकै
इसनै भी सच पूरे म्हारे तैं कति नहीं दिखाये देखो।।
काले कानून वापिस करो जोर के नारे लगाए देखो।।
3
लाल किले पै जो हुया वो बहोत गलत करया रै
पुलिस नै भी नहीं रोके उड़ै कट्ठ कैसे जान मरया रै
उनपै एक्शन होना चाहिए गलत कदम उठाये देखो।।
काले कानून वापिस करो जोर के नारे लगाए देखो।।
4
चाल बदनाम करण की उणनै खूब चलाई सै
उनकी चाल फेल होगी कति ना पार बसाई सै
रणबीर करी कविताई दो चार छंद बनाये देखो ।।
काले कानून वापिस करो जोर के नारे लगाए देखो।।
*******
छब्बीस जनवरी
छब्बीस जनवरी का दिन यो लाखां ज्याण खपा कै आया
घणे हुए कुर्बान देश पै जिब यो आजादी का राह पाया
1
सैंतालीस की आजादी ईब यो दो हजार चौबीस आ लिया
बस भाड़ा था कितना याद करो आज कड़ै सी जा लिया
एक सीमेंट कट्टा कितने का आज कौनसे भा ठा लिया
एक गेहूं की बोरी देकै आज यो खाद कितना पा लिया
चिंता नै मैं घेर लिया जिब यो सारा लेखा जोखा लाया
घणे हुए कुर्बान देश पै जिब यो आजादी का राह पाया
2
आबादी तो बढ़ी तीन गुणी पर नाज चौगुना पैदा करया
सैंतालीस मैं थी जो हालत उसमें बताओ के जोड़ धरया
बिना पढ़ाई  दवायी के यो खजाना सरकारी रोज भरया
ईमानदारी तैं करी मेहनत हमनै फेरभी तमनै नहीं सरया
भ्रष्टाचार बेईमानी नै यो क्यों सै सतरंगा जाल बिछाया
घणे हुए कुर्बान देश पै जिब यो आजादी का राह पाया
3
यो दिन देखण नै के सुभाष बोस नै फ़ौज बनाई थी
यो दिन देखण नै के  भगत सिंह नै फांसी पाई थी
यो दिन देखण नै के गांधी बापू जी नै गोली खाई थी
यो दिन देखण नै के  आंबेडकर नै संविधान रचाई थी
नए नए घोटाले देख कै आम आदमी का सिर चकराया
घणे हुए कुर्बान देश पै जिब यो आजादी का राह पाया
4
हरियाणा की धरती पै कसम ठावां नया हरियाणा बनावांगे
भगत सिंह का सपना अधूरा उनै करकै पूरा दिखावांगे
ना हो लूट खसोट देश मैं या घर घर अलख जगावांगे
या दुनिया घणी ए सुन्दर होज्या मिलकै हाँगा लावांगे
रणबीर सिंह मिलकै सोचो गया बख्त किसकै थ्याया
घणे हुए कुर्बान देश पै जिब यो आजादी का राह पाया
*******
युवा दिवस पर युवाओं द्वारा एक
नए हरियाणा की परिकल्पना करते हुए एक रागनी --
मिलजुल कै नया हरियाणा हम घणा आलीशान बनावेंगे।।
नाबराबरी खत्म करकै हम हरियाणा आसमान पहोंचावेंगे।।
1
बासमती चावल हरियाणे का दुनिया के देशों मैं जावै आज
चार पहिये की मोटर गाड़ी यो सबतैं फालतू बणावै आज
खेल कूद मैं आगै बढ़गे हम एशिया मैं सम्मान बढावेंगे।।
नाबराबरी खत्म करकै हम हरियाणा आसमान पहोंचावेंगे।।
2
चोरी जारी ठगी नहीं रहवेंगी भ्रष्टाचार नहीं टोहया  पावै
हिसाब सर मिलैं दाखिले सबनै शिक्षा माफिया खड़या लखावै
मिलकै सारे हरियाणा वासी इन बातों नै परवान चढावेंगे।।
नाबराबरी खत्म करकै हम हरियाणा आसमान पहोंचावेंगे।।
3
ठेकेदारों की ठेकेदारी खत्म होज्या या खत्म थानेदारी होवै
बदमाशों की बदमाशी खत्म हो फिर खत्म ताबेदारी होवै
निर्माण और संघर्ष का नारा यो पूरे हरियाणा मैं गुंजावेंगे।।
नाबराबरी खत्म करकै हम हरियाणा आसमान पहोंचावेंगे।।
4
दहेज़ कारण दुखी होकै औरत ना फांसी खा हरियाणा मैं
कदम बढ़ाये एक बै जो आगै ना पाछै जाँ हरियाणा मैं 
कांधे तैं कांधे कै मिला चलैं महिलाओं के अरमान खिलावेंगे।।
नाबराबरी खत्म करकै हम हरियाणा आसमान पहोंचावेंगे।।
5
छूआ छूत का नही नाम रहै रल मिल रहैं शहर और गामां मैं
त्याग तपस्या और भाईचारे की ये फुहार बहैं शहर गामां मैं
दिखा मानवता का रास्ता जात धर्म का घमासान मिटावेंगे।।
नाबराबरी खत्म करकै हम हरियाणा आसमान पहोंचावेंगे।।
6
हरियाणे के लड़के और लड़की ये घाल कब्बड्डी की घालैंगे
देकै क़ुरबानी ये छोरी छोरे नए हरियाणा की नींव डालैंगे
यो गीत रणबीर सिंह नै बणाया मिलकै हम सारे ही गावेंगे।।
नाबराबरी खत्म करकै हम हरियाणा आसमान पहोंचावेंगे।।
*****
स्वीडन के विश्वविद्यालय नै एक अध्ययन कराया।।
भारत के प्रजातन्त्र के बारे इस सर्वे मैं गया बताया।।
1
भारत मैं राजनैतिक फैंसले किस तरियां होते बताए
 भावनात्मकआह्वान एक तरीका यो दबाव मैं कराए
जन विवेक  तैं फैंसले का तरीका भी जानना चाहया।।
2
के सै पहोंच बरोबर सबकी आजादी और अधिकारों पै
गरीब की अनदेखी तो ना सै ध्यान घणा तो ना  साहूकारों पै
हा या नाइन बातों पै सर्वे का हिस्सा गया बनाया।।
3
चुनाव  बिना हेरा फेरी के क्या करवाये जाते भारत मैं
जनता के अधिकार कितने आज मिल पाते भारत मैं
पांच बिंदुओं पर यो अध्ययन संस्था द्वारा गया करवाया।।
4
इस अध्ययन मैं साफ कहया इणमैं देखी गिरावट जारी 
दो हजार चौदाँ तैं इब ताहिं उत्थल पुत्थल हुई भारी
विकसित भारत का सपना रणबीर रोजाना जाता दिखाया।।



*****
राजे रजवाड़यां के किस्से सालों साल सुण लिए।।
अपने बारे मैं किस्से भी ध्यान लगा कै चुण लिए।।
1
आणे आले दिनों मैं घणी खाल तारी जावै म्हारी
जात पात गोत नात पै लड़वावैं धर्म की चलैगी कटारी
उत्थल पुत्थल कसूती होवैगी समझ इसकी धुण लिए।।
2
किसान और मजदूरों पर हमले घणे जबर करावैंगे रै
मध्यम वर्ग भी भींच्या जागा टैक्स बहोत बढ़ावैंगे रै
संघर्ष बिना कोए चारा ना यो दिल अपने पै बुण लिए।।
3
ईडी के हमले और बढ़ाएंगे विरोध सुर जागा दबाया
पुलिस मिल्ट्री कर काबू फासीवादी राज जागा बढ़ाया
कमेरे जात पात भुला कै बढ़ा एकता का गुण लिए।।
4
सत्ता आले लठ तन्त्र तैं और फतूर मचावैंगे देखो
बेरोजगारी की जागां थाली धर्म की बजावैंगे देखो
रणबीर साथ खड़या तेरे दिल पै या बात खिण लिए।।



*****
वैज्ञानिक दृष्टिकोण के संदर्भ में कुछ रागनियां
रागनी 1
Dr Dabholkar 
डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर थारी क़ुरबानी रंग ल्यावैगी।।
स्वतंत्र हिन्दुस्तान मैं या जरूर नया इतिहास रचावैगी।।
अग्रगामी चेतना की हत्या करकै हत्यारे बच ना पावैंगे
हर जागां डॉक्टर नरेंद्र पावैं जिस मोड़ पै ये लखावैंगे
अंध श्रद्धा उन्मूलन खातिर कतार इब बढ़ती जावैगी।।
आहात सां सन्तप्त सां सुण्या जब थारे कत्ल बारे डॉक्टर
गुस्सा हमनै घणा आरया सै हिम्मत कोण्या हारे डॉक्टर
तेरी क़ुरबानी यकीन मेरै घर घर मैं मशाल जलावैगी।।
लेखक संस्कृतकर्मी वैज्ञानिक कट्ठे हुए सैं कलाकार 
पूरे हिन्दुस्तान के नर नारी हम देवां मिलकै ललकार
रूढ़िवाद की ईंट तैं ईंट देश मैं इब तावली बज पावैगी।।
हमनै बेरा उन ताकतों का जिणनै कत्ल करया थारा रै
होंश ठिकाणै सैं म्हारे जबकि खून खोल गया म्हारा रै
रणबीर सिंह नै कलम ठाई पूरी दुनिया नै जगावैगी ।।
रागनी 2
क्या क्यों और कैसे बिना
क्या क्यों और कैसे बिना मिलै दुनिया का सार नहीं।।
ज्ञान विज्ञान के प्रकाश बिना होवै दूर अन्धकार नहीं।।
नीले आसमान मैं क्यों ये चकमक करते तारे भाई
क्यों इन्द्रधनुष के म्हां ये रंग बिरंगे प्यारे भाई
मोर के पंख न्यारे भाई क्यों लाया कदे विचार नहीं।।
तोता कोयल फर फर करकै क्यूकर गगन मैं उडज्यां
क्यों ना बिल्ली के तन पै भी पंख मोर के उगज्यां
क्यों मकड़ी जाला बुणज्यां म्हारी समझ तैं बाहर नहीं।।
क्यों जुगनू की कड़ के उपर जलती हुई मशाल भाई
क्यों गैंडे अर हाथी की पीठ सै उनकी ढाल भाई
विज्ञान के ये कमाल भाई झूठा इसका प्रचार नहीं।।
क्यों फूल गुडहल का हो सुर्ख एक दम लाल कहैं
क्यों झिलमिल करता ये मकड़ी का जाल कहैं
विज्ञान ठावै सवाल कहैं या माया अपरम पार नहीं।।
आम नीम अर इमली क्यों हमनै खड़े दिखाई दें
क्यों समुन्द्र मैं ऊंची नीची उठती लहर दिखाई दें
मछली क्यों रंगीन दिखाई दें जानै सै नम्बरदार नहीं।।
जुबां पै लाग्या ताला यो हमनैं पड़ै तोड़ना सुनियो
सवालां का यो पिटारा तो हमनै पड़ै खोलना सुनियो
हमनै पड़ै बोलना सुनियो क्यों बिना म्हारा उद्धार नहीं।।
रागनी 3
गलत विज्ञान
मानवता का विनाश करै जो इसा शैतान चाहिये ना।
संसार नै गलत दिशा देवै इसा विज्ञान चाहिये ना।।
1
विज्ञान पै पाड़या बेरा अणु मैं ताकत बहोतै भारी सै
अणु भट्टी तै बणै बिजली जगमगावै दुनिया सारी सै
अणु बम तो विनासकारी सै इसा शैतान चाहिये ना।।
2
मानवता नै बड़ी जरूरत सै आज अन्न और वस्त्रां की
जंग की जरूरत जमा नहीं ना जरूरत अणु शस्त्रां की
जो पैरवी करै अस्त्रां की इसा भगवान चाहिये ना।।
3
कड़ै जरूरत सै उनकी कारखाने जो हथियार बणावैं
बणे पाछै चलैं जरूरी ये दुनिया मैं हाहाकार मचावैं
विज्ञान कै तोहमद लावैं इसा घमासान चाहिये ना।।
4
हिरोशिमा की याद आवै शरीर थर-थर कांपण लाग्गै
विज्ञान का गलत प्रयोग मानवता सारी हांफण लाग्गै
दुनिया टाडण लाग्गै रणबीर इसा कल्याण चाहिये ना।।
रागनी 4
विवेक
सूरज साहमी कोहरा टिकै ना अज्ञान विवेकमयी वाणी कै।
अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।
1
ढोंग अर अन्ध विश्वास पै टिक्या चिन्तन फेर बचै कोण्या
यज्ञ हवन वेद शास्त्र फेर पत्थर पूजा प्रपंच रचै कोण्या
पुरोहित की मिथ्या बात का दुनिया मैं घमशान मचै कोण्या
मन्द बुद्धि लालची माणस कै विवेकमय दया पचै कोण्या
शिक्षित अनपढ़ धनी निर्धन बीच मैं आवैं फेर कहाणी कै।।
अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।
2
आत्मा परमात्मा सब गौण होज्यां सामाजिक दृष्टि छाज्या फेर
समानता एक आधार बणै औरत सम्मान पूरा पाज्या फेर
मानवता पूरी निखर कै आवै दुनिया कै जीसा आज्या फेर
कार्य काररणता नै समझकै माणस कैसे गच्चा खाज्या फेर
माणस माणस का दुख समझै ना गुलाम बणै राजराणी कै।।
अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।
3
संवेदनशील समाज होवै ईश्वर केंद्र मैं रहवै नहीं
मानव केन्द्रित संस्कृति हो पराधीनता कोए सहवै नहीं
स्वतंत्रता बढ़ै व्यक्ति की परजीवी कोण कहवै नहीं
खत्म हां युद्ध के हथियार माणस आपस मैं फहवै नहीं
विवेक न्याय करूणा समानता खरोंच मारैं सोच पुराणा कै।।
अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।
4
अदृश्य सत्ता का बोझ आड़ै फेर कति ना टोहया पावै
सोच बिचार के तरीके बदलैं जन चेतना बढ़ती जावै
मनुष्य खुद का सृष्टा बणै कुदरत गैल मेल बिठावै
कर्म बिना बेकार आदमी जो परजीवी का जीवन बितावै
रणबीर बरोने आला नहीं लावै हाथ चीज बिराणी कै।।
अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।

रागनी 5

ब्रह्माण्ड महारा
इस ब्रह्माण्ड का बेरा ना सोच-सोच घबराउं मैं।
धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।
1
वैज्ञानिक दृष्टि का पदार्थ नै आधार बताते
नाश हो सकता बदलै ना आकार सुणाते
निर्जिव तै जीव की उत्पत्ति डारविन जी सिखाते
कुदरत के अपने नियम जो दुनिया को चलाते
हमेश रहै बदलता क्यूकर या समझाउं मैं।।
धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।
2
जिज्ञासा और खोज तै उपजै उसनै ग्यान कहैं
क्रम बद्ध ग्यान नै फेर दुनिया मैं विग्यान कहैं
जिज्ञासा नै मारै सै जो उसको सारे अग्यान कहैं
गुण दोष पै जांचै परखै वैज्ञानिक इन्सान कहैं
पूर्वाग्रह तै टकराकै बणै नयी सोच दिखाउं मैं।।
धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।
3
मत विश्वास करो क्योंकि मां बाप नै बताया सै
शिक्षक नै कैहदी ज्यांतै आंख मूंद अपणाया सै
परीक्षण विश्लेषण पै जो सर्वहित कारी पाया सै
प्रयोग तै करैं दोबारा वो सिद्धांत आगै आया सै
भाग्यवाद पै कान धरै ना उसके धोरै जाउं मैं।।
धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।
4
वैज्ञानिक दृष्टि गुरू अपना चेला बताया होज्या
तीव्र ग्राही मन होवै जो कदे ना पड़कै सोज्या
सत्य का खोजी माणस बीज नई खोज के बोज्या
प्रमाण पै टिक्या विवेक सारे अन्धविश्वास नै खोज्या
रणबीर जोर लगाकै बात खोज कै ल्याउं मैं।।
धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।
रागनी 6
वैज्ञानिक नजर
वैज्ञानिक नजर के दम पै जिन्दगी नै समार लिये।
जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।
1
सादा रैहणा उचे विचार साथ मैं पौष्टिक खाणा यो
मानवता की धूम मैच चाहिये इसा संसार बसाणा यो
सुरग की आड़ै नरक की आड़ै ना कितै और ठिकाणा यो
पड़ौसी की सदा मदद करां दुख सुख मैं हाथ बंटाणा यो
धरती सूरज चौगरदें घूमै ब्रूनो नै सही प्रचार किये।।
जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।
2
साच बोलणा चाहिये पड़ै चाहे थोड़ा दुख बी ठाणा रै
नियम जाण कुदरत के इसतै चाहिये मेल बिठाणा रै
हाथ और दिमाग तै कामल्यां चाहिये दिल समझाणा रै
गुण दोष तै परखां सबनै अपणा हो चाहे बिराणा रै
जांच परख की कसौटी पै चढ़ा सभी संस्कार लिये।।
जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।
3
इन्सान मैं ताकत भारी सै नहीं चाहिये मोल घटाणा
सच्चाई का साथ निभावां पैड़े चाहे दुख बी ठाणा
लालची का ना साथ देवां सबनै चाहिये धमकाणा
मारकाट की जिन्दगी तै ईब चाहिये पिंड छटवाणा
पदार्थ तै बनी दुनिया इसनै चीजां को आकार दिये।।
जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।
4
दुनिया बहोतै बढ़िया इसनै चाहते सुन्दर और बणाणा
जंग नहीं होवै दुनिया मैं चाहिये इसा कदम उठाणा
ढाल-ढाल के फूल खिलैं चाहिये इनको आज बचाणा
न्यारे भेष और बोली दुनिया मैं न्यारा नाच और गाणा
शक के घेरे मैं साइंस नै रणबीर सिंह सब डार दिये।।
जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।
रागनी 7
ज्ञान विज्ञान का पैगाम
सुखी जीवन हो म्यारा ज्ञान विज्ञान का पैगाम सुणो।
हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।
1
सारे पढ़े लिखे होज्यां नहीं अनपढ़ टोहया पावै फेर
खाण पीण की मौज होज्या ना भूख का भूत सतावै फेर
बीर मरद का हक बरोबर हो इसा रिवाज आवै फेर
यो टोटा गरीब की चौखट पै भूल कै बी ना जावै फेर
सोच समझ कै चालांगे तो मुश्किल ना सै काम सुणो।।
हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।
2
मिलकै नै सब करां मुकाबला हारी और बीमारी का
बरोबर के हक होज्यां तै ना मान घटै फेर नारी का
भाईचारा फेर बढ़ैगा नहीं डर रहै चोरी जारी का
सुख कै सांस मैं साझा होगा इस जनता सारी का
भ्रष्टाचार की पूरी तरियां कसी जावै लगाम सुणो।।
हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।
3
आदर्श पंचायत बणावां हरियाणा मैं न्यारी फेर
दांतां बिचालै आंगली देकै देखै दुनिया सारी फेर
गाम स्तर पै बणी योजना लागू होज्या म्हारी फेर
गाम साझली धन दौलत सबनै होज्या प्यारी फेर
सुख का सांस इसा आवैगा नां बाजै फेर जाम सुणो।।
हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।
4
कोए अनहोनी बात नहीं ये सारी बात सैं होवण की
बैठे होल्यां लोग लुगाई घड़ी नहीं सै सोवण की
इब लड़ां ना आपस मैं या ताकत ना खोवण की
बीज संघर्ष का बोवां समों सही सै बोवण की
कहै रणबीर गूंजैगा चारों कूठ यो नाम सुणो।।
हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।
रागनी 8
विज्ञान ज्ञान के दम पै
विज्ञान ज्ञान के दम पै देखो उड़ते जहाज गगन मैं।ं
टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।
1
कदे कदे वा चेचक माता खूब सताया करती
रोज रोज फिरैं धोक मारते दुनिया सारी डरती
फेर भी काणे भोत हुए थे कोए भरतू कोए सरती
विज्ञानी जब गैल पड़े देखी शीतला मरती
सूआ इसा त्यार करया वा माता धरी कफन मैं।।
टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।
2
कुता काटज्या इलाज नहीं था हड़खा कै मरज्यावैं थे
रोग कोढ़ का बिना दवाई फल कर्मां का बतावैं थे
खून का रिश्ता था जिनतैं भाई वें भी दूर बिठावैं थे
टी बी आली बुरी बीमारी गल गल ज्याण खपावैं थे
आज इलाज सबका करदें ना रती झूठ कथन मैं।।
टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।
3
अग्नि के म्हां धुम्मा कोन्या बिजली चानणा ल्यावै सै
टी वी पै तसवीर बोलती देख अचम्भा आवै सै
समंदर के म्हां भर्या खजाना बंदा लुत्फ उठावै सै
राकेट के म्हां बैठ मनुष्य भाई चन्द्रमा पै जावै सै
एक्सरे तैं जाण पाटज्या के सै रोग बदन मैं।।
टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।
4
एक जीव का अंग काट कै दूजे कै इब फिट करदें
मिसाइल छोड्डैं बटन दाबकै हजार कोस पै हिट करदें
सौ सौ मंजिली बणी इमारत अपनी छाप अमिट करदें
कम्प्यूटर जबान पकड़ कै देसी तैं गिटपिट करदें
सुख सुविधा हजार तरहां की साईंस लगी जतन मैं।।
टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।
5
नई नस्ल के पशू बणा लिए नई किस्म की फसल उगाई
नये नये औजार बणा कै पैदावार कई गुणा बढ़ाई
फेर बी भूखे रहैं करोड़ों बिन कपड़े बिन छत के भाई
हबीब भारती कारण को ढूंढ़ो आपस में क्यूं करैं लड़ाई
साइंस कै मत दोष मढ़ो ना इसका हाथ पतन मैं।।
टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।
रागनी 9
विज्ञान की अच्छाई भूल
विज्ञान की अच्छाई भूल कै इसनै बैरी बतावण लागे।।
माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।
1
कलयुग पापी बता बता कवियांे नै शोर मचाया
कल का नाम कहैं पुरजा युग माने बख्त बताया
बढ़ी चेतना इन्सानां की जब जरुरत पै आया
इस कुदरत तैं खोज खोज पुरजे का खेल रचाया
आप बनाया आप चलाया अपने आप उडावण लागे।।
माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।
2
कुदरत के सब जीवों मैं इन्सान पवित्र पाया
जीवन की वस्तु सारी खुद आप खोज कै ल्याया
ऐसे यन्त्र तैयार बणा लिए अजब कमाल दिखाया
करकै खोज पृथ्वी की आसमान ढूंढ़ना चाहया
बणा बणा कै पुरजे पै सारा काम करावण लागे।।
माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।
3
कलयुग इतना छाज्या इसका कोए अन्त ना पाया
फेर मुनाफे नै इस कलयुग पै अपना जोर जमाया
सब कुछ कर लिया कब्जे मैं ऐसा महाघोर मचाया
इस पापी की करनी नै दुख मैं यो संसार फंसाया
विज्ञान तैं बम बणा बणा कै नरक बणावण लागे।।
माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।
4
हरिचन्द कहै कलयुग जैसी ओर समों ना आणी
सब प्रजा ने समझाद्यां चाहे याणी हो चाहे स्याणी
साइंस असली राही चालै हमनै होगी अलख जगाणी
फेर ना रहै कोए भूखा नहीं सै या झूठी बाणी
न्यों पाप खत्म होज्यागा हम साच बतावण लागे।।
माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।
रागनी 10
ब्रूनो
 *ब्रूनो नै चर्च में पढ़कै कहते पादरी बनना चाहया था।।*
*कॉपरनिकस की किताब पढ़कै उसनै पल्टा खाया था।।*
1
सवाल उठाकै वो क्यों  धरती सूरज पै बहस चाहवै
आगै अध्ययन करकै नै क्यों नहीं पता लगाया जावै
ज्यों ज्यों अध्ययन करै सूरज चौगरदें धरती  घुमती  पावै
चर्च की ताकत और गुस्सा पूरी ढ़ालां समझ मैं आवै
*ब्रूनो नै इसे कारण तैं इटली छोडण का मन बनाया था।।*
2
कुछ विद्वान सहमत होगे फेर साथ कदम नहीं धरया
दिन दूनी रात चौगुनी प्रचार करता ब्रूनो नहीं डरया
आम जनता का दिल उसनै यो पूरी तरियां दखे हरया
प्रयाग पैरिस इंग्लैंड जर्मनी मैं उसनै  था प्रचार करया
*चर्च की दाब नहीं मानी हारकै चर्च नै भगोड़ा बताया था।।*
3
ज्यों ज्यों प्रचार करया चर्च का गुस्सा बढ़ावै था
ब्रूनो भी बढ़ता गया आगै ना पाछै कदम हटावै था
चर्च की छलां तैं बताओ कितने दिन बच पावै था
वैचारिक समझौता ना करूंगा यो सन्देश पहूंचावै था
*चर्च नै पकड़ण की खातर फेर कसूता जाल बिछाया था।।*
4
चर्च मानस तैयार किया वो ब्रूनो धोरै पढ़ना चाहवै सै
फीस तय करदी उसकी फेर एक पते कै ऊपर बुलावै सै
ब्रूनो भी शिष्य एक बनैगा मेरा सोच कै नै सुख पावै सै
चर्च की चाल सोची समझी समझ उसकी ना आवै सै
*गिरफ्तार कर लिया चर्च नै बहोत घणा गया सताया था ।।*
5
अमानवीय यातना दी चर्च नै ब्रूनो अपने मत नै छोड़ दे
पहले आली सोच कांहीं अपनी सोच नै ब्रूनो मोड़ दे
छह साल ताहिं मंड्या रहया चर्च ब्रूनो की कड़ तोड़ दे
लोहे के सन्दूक मैं राख्या ताकि मौसम यो शरीर निचौड़ दे
*यो अत्याचार चर्च का ब्रूनो का मनोबल गिरा ना पाया था ।।*
6
न्यायालय का ड्रामा रच कै घनी भूंडी सजा सुनवाई
इसी सजा दयो इसनै एक बी खून की बूंद ना दे दिखाई
ब्रूनो उलट कै बोल्या था सरकार घणी डरी औड़ पाई
रोम के चौंक मैं ब्रूनो खम्भे कै ल्याकै बांध्या था भाई
*रणबीर कपड़ा ठूंसकै मूंह मैं ब्रूनो जिंदा उड़ै जलाया था ।।*
रागनी 11
जलवायु प्रदूषण
कार्बन साइकल नै समझां जै दुनिया बचाणी रै।।
धरती संकट बढ़ता आवै होज्या कुनबा घाणी रै।।
1
पौधे करैं ऑक्सीजन पैदा ये सूरज के प्रकाश मैं
कार्बन डाइऑक्साइड सौखैं ये भोजन की आस मैं
संघर्ष और निर्माण का इतिहास बनाया प्राणी रै।।
2
इस ब्रह्मांड को समझैँ इसमैं हम सां कड़े खड़े
कुदरत के नियम जाणे म्हारे कदम भी सही पड़े
इसका जब मजाक उड़ाया पड़ी मूंह की खाणी रै।।
3
आस पास और दुनिया मैं कैसे यह संसार चलै
कुदरत और जनता को कैसे यो धनवान छलै
इस धनवान लुटेरे की कोन्या चाल पिछाणी रै।।
4
चल चल पूंजी खावैगी या म्हारे पूरे ही समाज नै
धरती का संकट बढ़ाया सै इसके तेज मिजाज नै
विकास टिकाऊ बचा सकता म्हारी सबकी हाणी रै।।
रागनी 12
एक आह्वान रागनी 
हम कदम मिलजुलके मंजिल की तरफ बढ़ाएंगे ॥ 
हमारी बहुविविधता को दे हर क़ुरबानी बचाएंगे ॥ 
गुणवत्ता वाली पढ़ाई वास्ते  जनता लाम बन्द करेंगे 
सबको सस्ता इलाज मिले ऐसा मिलके प्रबंध करेंगे
निर्माण के उदाहरण हम करके सबको दिखाएंगे ॥ 
अन्ध विश्वास के खिलाफ लंबा चलाएं एक अभियान 
सबका मिलके होगा प्रयास बने संवेदनशील इंसान 
प्रति गामी विचार को  वैज्ञानिक आधार से  हराएंगे ॥ 
मिल करके करेंगे विरोध  सभी दलित अत्याचार का 
महिला समता समाज में हो मुद्दा बनायेंगे प्रचार का 
रोजगार मिले सबको ये हम सब अभियान चलाएंगे ॥ 
सद्भावना बढे समाज में नफरत का विरोध करेंगे 
पूरे समाज का विकास हो इस पे पूरा शोध करेंगे 
बढ़े हुए कदम हमारे रणबीर आगे बढ़ते ही जायेंगे ॥
रागनी 13
 
म्हारी खोज म्हारी सभ्यता
घड़ी बंधी जो हाथ पै इटली मैं हुई खोज बताई।।
भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।
1
खुर्दबीन की खोज कदे नीदरलैंड मैं हुई बताई सै
बैरोमीटर तै टारिसैली नै मौसमी खबर सुणाई सै
गुबारा सतरा सौ तिरासी मैं यो हमनै दिया दिखाई सै
टेलीग्राफ की खोज नै फेर फ्रांस की श्यान बढ़ाई सै
गैस लाइट के आणे तै जग मैं हुर्इ घणी रूसनाई।।
भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।
2
इटली के पी टैरी नै टाइप राइटर फेर बणाया रै
हम्फ्री डेवी नै लैंप सेफटी बणा माडल दिखलाया रै
माचिस की खोज नै ठारा सौ छब्बीस याद कराया रै
साइकिल के बणाणे आला मैकलिन नाम बताया रै
ठारा सौ तितालिस सन मैं फैक्स मशीन बणाई।।
भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।
3
ज्ञान विज्ञान आगै बढ़ग्या करे नये-नये आविष्कार
अमरीका नै लिफट खोजी मंजिलां की फेर लागी लार
ठारा सौ बावण मैं वायुयान नै फ्रांस मैं भरी उडार
टेलबेट नै फोटो खींचण की विधि कर दी तैयार
वैज्ञानिक सोच के दम पै नई-नई तरकीब सिखाई।।
भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।
4
थामसन नै वैलिडंग मशीन अमरीका मैं त्यार किया
एडीसन नै बलब बिजली जगमगा पूरा संसार दिया
मोटर साइकिल डैमलर नै सड़कां पै फेर उतार दिया
उन्नीस सौ बावण मैं हाइड्रोजन बम बी सिंगार लिया
रणबीर आगे की फेर कदे बैठ करैगा कविताई।।
भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।
रागनी 14

हिरोशिमा नागाशाकी
लिटिल बॉय और फैटमेंन परमाणु बम्ब गिराये रै।।
हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं
धकाये रै।। 
1
हिरोशिमा मैं छह अगस्त को अमरीका नै बम्ब गिराया
नौ अगस्त नै नागाशाकी पै दूजा फैटमैन बम्ब भड़काया
जापान देख हैरान रैहग्या अमरीका नै रोब जमाया
जमा उजाड़ दिए शहर दोनूं लाशां के ढेर लगाये रै।।
हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं
धकाये रै।। 
2
लाखों निर्दोष लोगों की इसमैं हुई मौत बताई देखो
दूसरे विश्व युद्ध मैं अमरीका नै फतूर मचाई देखो 
आत्म समर्पण जापान का फेर भी हेकड़ी दिखाई देखो
बिना बात बम्ब गिरा दिया अमरीका घना कसाई देखो
दो बम्ब गेर दादा गिरी का सारे कै सन्देश
पहोंचाये रै।।
हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं
धकाये रै।। 
3
औरत मर्द बच्चे इसके हजारों लाखों शिकार हुये
सालों साल बालकों कै जामनू कई विकार हुये
दौड़ रूकी ना हथियारों की सौला हजरत तैं पार हुये
एक हजार तैं फालतू अड्डे अमरीका के तैयार हुये
जीव मरैं निर्जीव बचैं इसे बम्ब आज बनाये रै।।
हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं
धकाये रै।। 
4
हिरोशिमा नागाशाकी तैं कोये सबक लिया कोण्या
हथियारों की होड़ बढ़ाई शांति सन्देश दिया कोण्या
हथियार मुक्त दुनिया का आधार तैयार किया कोण्या
ईनके डर पै अमरीका नै खून किसका
पीया कोण्या
रणबीर नागाशाकी दिवस पै ये चार छन्द बनाये रै।।
हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं
धकाये रै।।
रागनी 15

मानस का धर्म 
धर्म के सै माणस का मनै कोए बतादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।
1
माणस तैं मत प्यार करो कौणसा धर्म सिखावै
सरे आम बलात्कार करो कौणसा धर्म सिखावै
रोजाना नर संहार करो कौणसा धर्म सिखावै
तम दारू का व्यापार करो कौणसा धर्म सिखावै
धर्म क्यों खून के प्यासे मनै कोए समझादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।
2
ईसा राम और अलाह जिब एक बताये सारे रै
इनके चाह्वण आले बन्दे क्यूँ खार कसूती खारे रै
क्यों एक दूजे नै मारण नै एकेजी हाथां ठारे रै
अमीर देश हथियार बेच कै खूबै मौज उड़ारे रै
बैर करो मारो काटो लिखै वो ग्रन्थ भुलादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।
3
मानवता का तत कहैं सब धर्मां की जड़ में सै
कुदरत का प्रेम सारा सब धर्मां की लड़ मैं सै
कदे कदीमी प्रेम का रिश्ता माणस की धड़ मैं सै
कट्टरवाद नै घेर लिए यो हर धरम जकड़ मैं सै
लोगां तैं अरदास मेरी क्युकरै इनै छटवादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै ।।
4
यो जहर तत्ववाद का सब धर्मों मैं फैला दिया 
कट्टरवाद घोल प्याली मैं सब ताहिं पिला दिया
स्कीम बणा दंगे करे इंसान मासूम जला दिया
बड़ मानवता का आज सब धर्मों नै हिला दिया 
रणबीर सिंह रोवै खड़या इनै चुप करवादयो नै ।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए समझादयो नै ।।
2001 की रचना
रागनी 16

#अपनीरागनी 
सोलां सोमवार के ब्रत राखे मिल्या नहीं सही भरतार 
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घना सै करतार
1
बालकपन तैं चाहया करती मन चाहया भरतार मिलै
बराबर की इंसान समझै ठीक ठयाक सा घरबार मिलै
उठते बैठते सोच्या करती बढ़िया सा मनै परिवार मिलै
मेरे मन की बात समझले नहीं घणा वो थानेदार मिलै
इसकी खात्तर मन्नत मानी चढ़ावे चढ़ाए मनै बेसुमार
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार
मेरी सहेली नै ब्याह ताहिं एक खास भेद बताया था 
सोलां सोमवार के ब्रत करिये मेरे को समझाया था
बोली मनचाहया वर मिलै जिसनै यो प्रण पुगाया था
मनै पूरे नेग जोग करे एक बी सोमवार ना उकाया था
बाट देखै बढ़िया बटेऊ की यो म्हारा पूरा ए परिवार 
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार
3
कई जोड़ी जूती टूटगी फेर जाकै नै यो करतार पाया
पहलम तै बोले बहु चाहिए ना चाहिए सै धन माया
ब्याह पाछै घणे तान्ने मारे छोरा बिना कार के खंदाया
सपने सारे टूटगे मेरे बेबे सोमवार ब्रत काम ना आया
पशु बरगा बरतावा सै ना करै माणस बरगा व्यवहार
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार
4
ये तो पाखण्ड सारे पाये ना भरोसा रहया भगवान मैं
उसकी ठीक गलत सारी पुगायी ना दया उस इंसान मैं 
फेर न्यों बोले पाछले मैं कमी रही भक्ति तनै पुगाण मैं
आंधा बहरा राम जी भी नहीं आया पिटती छुड़ाण मैं
कहै रणबीर बरोने आला आज पाखंडाँ की भरमार 
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार
*********
रिवाज घूँघट का
बुजुर्ग महिला चौपाड़ धोरे कै घूँघट मैं जाया करती ॥
चौपाड़ मैं चढ़ना दूर इस कान्ही नहीं लखाया करती ॥
1
ज्येठ ससुर तैं घूँघट करकै लिहाज शर्म निभावें थी
नीची नजर करकै चालें थी ऊपर नै नहीं लखावें थी
सासू पितस तैं  भी कई घूँघट रिवाज निभाया करती ॥
2
नयी नवेली बहु जिब गाम मैं पाणी भरने जाती भाई
सिर पर दोघड पाणी की उसकी घूँघट थी भाती भाई
घर कै भित्तर बाहर बहु घूँघट मैं आया जाया करती ॥
3
सिर उभाणी  या बहु अन्घानी  कदे कदीमी सुणते आये
बेपर्दा लुगाई ल्यादे तबाही बड़े बड़ेरे न्यूँ गुणते आये
या घूँघट पढ़े लिखे की भी घिघी सी बन्धवाया करती ॥
4
रणबीर घूँघट का रिवाज खींची सै  सही तस्वीर दखे
बिन घूँघट गाती के कोए कैसे रह्वै गाम मैं  बीर दखे
इस घूँघट के कारण ये बहु कई बै ठोकर खाया करती ॥
*********
लेगे उडारी देखो
मियां बीबी रहगे ऐकले तीनो बालक लेगे उडारी देखो।
के के सपने संजोये थे जिब हुई ये संतान म्हारी देखो ।
1
बचपन उनका सही बीते करे दीन रात काले हमनै
क्याहें की परवाह करी ना बहा पसीना पाले हमनै
पढ़न खंदाये लाड लड़ाए तनखा खर्ची सारी देखो।
के के सपने संजोये थे जिब हुई ये संतान म्हारी देखो ।
2
कदे रुसजया कदे कुबध करै यो छोरा सबते छोटा मेरा
बड़ी छोरी हुई सयानी शादी का दुःख था मोटा मेरा
बिचली छोरी का के जिकरा वा तिनुओं मैं न्यारी देखो।
के के सपने संजोये थे जिब हुई ये संतान म्हारी देखो ।
3
एक अम्बाला दूजी सूरत मैं परिवार अपने चला रही
ये मोबाइल साँझ सबेरी हमते रोजाना ही मिला रही
बात करें दुनिया भर की उमर बीतती जारी देखो।
के के सपने संजोये थे जिब हुई ये संतान म्हारी देखो ।
4
कई बार बहोत ऐकले मियां बीबी हम हो ज्यावें सें
झगडा करल्याँ छोटी बात पै लड़भीड़ सो ज्यावें सें
रणबीर सिंह आप बीती सै कलम मेरी पुकारी देखो।
के के सपने संजोये थे जिब हुई ये संतान म्हारी देखो।
********
परिवार के रिश्ते सड़ते जावैं कसूता संकट छाया हे।
मां और बेटी का रिश्ता टिकया अन्याय पै बताया हे।
1
अन्याय नै समझण खातिर या न्यायकारी समझ होवै
न्यायकारी समझ होतै मानस होंश हवाश नहीं खोवै
औरत भी एक इंसान होसै सच यो गया छिपाया हे।
2
किस पापी नै शरीर औरत का बाजार मैं दाँ पै लाया
शरीर के म्हां कै ऐश करो औरत को किनै समजगया
उपभोग की वस्तु किनै बनाई यो किनै जाल बिछाया हे।
3
पितृसत्ता की ताकत भारी पुत्र लालसा इंकि जड़ मैं सै
औरत पुत्र पैदा करकै मुक्ति पावै या वेदां की लड़ मैं सै
पुत्री मार कर पुत्र पैदा यो सबक जाता रोज पढाया हे।
4
घर भीतर अन्याय होंता किसे तैं छिपया रहया कड़ै
घर परिवार सब दिखावा रणबीर किसकै घरां बड़ै
छोरी कै लील गेर दिए जब धरती का डां ठाया हे।
********
लालच और स्वार्थ मैं माणस हो घणा चूर रहया।।
रोज दलाली करता हाँडै हो मानवता तैं दूर रहया।।
1
एक दूजे का गल काटकै आगै बढ़ना चाहवैं
देखो
भरी घृणा भितरले मैं ऊपर तैं प्यार दिखावैं देखो
काला धन छिपावैं देखो पापी हो घना मशहूर रहया।।
रोज दलाली करता हाँडै हो मानवता तैं दूर रहया।।
2
झूठ बोल कै काम काढ़ते साच पढण बिठाई आज
पेट में चलै छोरी पै कटारी करते नहीं समाई आज
लिहाज शर्म बगाई आज औरत का शरीर घूर रहया।।
रोज दलाली करता हाँडै हो मानवता तैं दूर रहया।।
3
पुत्र लालसा बढ़ती जावै या घर घर की बात बताऊँ
पुत्री की रोजाना बलि चढ़ै द्रोपदी चीर हरण दिखाऊँ
के के जुल्म गिनाऊँ लालच पूरा ताणा पूर रहया।।
रोज दलाली करता हाँडै हो मानवता तैं दूर रहया।।
4
काला धन काली संस्कृति इसका डंका बाज रहया
बेईमान अहंकारी के सिर पै टिक जीत का ताज रहया
बिगड़ सुर और साज रहया रणबीर ना कर मंजूर रहया ।।
रोज दलाली करता हाँडै हो मानवता तैं दूर रहया।।
*******
जाल बिछा हमनै लूट रही कारपोरेट की मकड़ी रै।।
गरीब जनता इसके फंदे मैं घणी कसूती जकड़ी रै।।
1
म्हारी मेहनत के दम पै और अमीर होंते जावैं देखो
खून पसीना म्हारा बहता ये बैठ एसी मौज उडावैं देखो
के के दुख गिनावैं देखो कड़ म्हारी जमा अकड़ी रै।।
गरीब जनता इसके फंदे मैं घणी कसूती जकड़ी रै।।
2
म्हारी लूट का तोड़ खुलासा कार्ल मार्क्स करग्या बताया
मेहनत म्हारी करै पैदा पूंजी कैपिटल किताब मैं समझाया 
सारे जग मैं सच पाया भारी पूंजीवाद की तकड़ी रै ।।
गरीब जनता इसके फंदे मैं घणी कसूती जकड़ी रै।।
3
दुनिया के घणे देश ये पूंजीवाद की पूजा करते देखो
अपनी कूबध लहकोवण नै घनी ए झूठ घड़ते देखो
अपनी करी मैं घिरते देखो विकास राह गलत पकड़ी रै।।
गरीब जनता इसके फंदे मैं घणी कसूती जकड़ी रै।।
4
भारत मैं भी आज कारपोरेट साम्प्रदायिकता तैं हाथ मिलारया
कमेरयां की एकता तोड़ण नै यो धर्मांधता खूब फैलारया 
लिख रणबीर भी समझारया तोड़ो नफरत की लकड़ी रै।।
गरीब जनता इसके फंदे मैं घणी कसूती जकड़ी रै।।
*********
मोदी का यो असली चेहरा , चौड़े कै मह दिखाई देरया, आज तोड़ खुलासा होग्या रै।
1
नबै की मर आगी या दस की  चांदी कर राखी देखो
म्हारी खाली करकै गोज अम्बानी की भर राखी देखो 
किसानी संघर्ष बढ़ता जावै
थारी सरकार दबाया चाहवै
घणा मोटा रास्सा होग्या रै।
2
डेरे गेर दिए किसानी नै देखो दिल्ली के मैं
रास्ते घेर लिए किसानी नै देखो दिल्ली के मैं
घणे सब्ज बाग दिखाए भाई
लगाकै जोर हम भकाये भाई, 
घणा तमाशा होग्या रै।
3
अम्बानी तै मुलाहजा थारा जनता और नहीं झेलैगी
संघर्ष करैगी मिलजुल कै थारे बिलों नै जरूर पेलैगी
हमतो खेत खलिहान बनावां
महल अटारी आलीशान बनावां
म्हारा जोरका पासा होग्या रै।
4
किसानी संघर्ष आगै बढ़ैगी इतना जान ल्यो रै
तीन बिल वापसी की मांग  तावले से मान ल्यो रै
रणबीर सिंह नै बात बनाई
गाम गाम मैं अलख जगाई
बेरा सबनै खासा होग्या रै।
*******
सीढ़ी घड़ादे चन्दन रूख की सासड़ तीज ये मेरी आई री।।
चन्दन रूख ना म्हारै क्यों ना पीहर तैं घड़ा कै ल्याई री।।
1
अपनी तैं दे दी झूल पाटड़ी म्हारे तैं  दिया यो पीसणा
फोडूँ री सासड़ चाक्की के पाट क्यों चाहवै मनै घिसणा
आज तो दिन त्योहार का सै चाहिए ऊंच नीच भुलाई री।।
2
मनै खन्दा दे री मेरे बाप कै बीर आया यो माँ जाया
बहु इबकै यहीं तीज मना री तेरा पिया छुट्टी आया
गगन गरजै बिज्जल पाटै या मरती फसल तिसाई री।।
3
लरज लरज कै जावै बहू या जाम्मन की डाहली देख
पड़कै नाड़ ना तुड़ा लिए तेरी मां देगी मनै गाली देख
नन्द भी हचकोले मारैगी कहवैगी पहलम ना बताई री।।
4
मन मैं गुद गुद सी माच रही झूलण जाऊं बाग मैं हे
चढ़ पींघ पै जोर लगा कै मैं पींघ बधाऊँ बाग मैं हे
तीज रल मिलकै मनावां सारे रणबीर की या कविताई री।।
*******
हरियाणा के समाज मैं औरत कै घली जंजीर, क्यों हमनै दीखती नहीं।।
1
पहलम दुभान्त हुया करती
दुखी सुखी हम जिया करती
पीया करती इलाज मैं यो परम्परा का नीर, चिता तैं उठती नहीं।।
2
पेट मैं ए मारण की तैयारी
घनखरी दुनिया हुई हत्यारी
गांधारी आज भी लिहाज मैं
पीटती जावै वाहे लकीर,नई राही दीखती नहीं।।
3
बचावनिया और मारनिया के 
घले पाले खेल करनिया के
घेरनिया के मिजाज मैं यो 
मामला सै गम्भीर, क्यों हमनै सूझती नहीं।
4
समाज करना  चाहवै सफाया
सैक्स सेलेक्शन औजार बनाया
बताया सही अंदाज मैं, झूठ नहीं सै रणबीर, कलम चूकती नहीं।
******
सौलां छात्र संगठन कट्ठे होकै ये संघर्ष का बिगुल बजारे।।
यूनाइटेड स्टूडेंट्स ऑफ इंडिया संयुक्त छात्र मोर्चा बनारे।।
1
बारा जनवरी नै संसद मार्च का मिलकै नै प्लान बनाया
एनईपी रद्द करो शिक्षा बचाओ भारत बचाओ नारा गूंजाया
भाजपा की केंद्र सरकार के शिक्षा ऊपर हमले बढ़ते जारे।।
2
सबको शिक्षा काम सबको का बताया कानून लागू करो
फीस बढ़ा बढ़ा कै नै म्हारे कांधै मतना घणा यो बोझ धरो
मुफ्त गुणवत्ता आली शिक्षा  छात्र मिलकै नै मांग उठारे।।
3
अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़ा वर्ग के अधिकार बचावाँ
प्राइवेट सेक्टर मैं आरक्षण हो जमकै हम मांग उठावां
शिक्षा का साम्प्रदायिकता निजीकरण हम कति नहीं चाहरे।।
4
जाति और आर्थिक आधार पै भेदभाव करना बंद करो
हाशिये के समूहों की निशुल्क  शिक्षा का प्रबंध करो
रोहित एक्ट लागू होज्या जीएसकैश का नारा लगारे।।
5
छात्र संघ चुनाव फेर तैं शैक्षणिक संस्थानों मैं बहाल करो
शिक्षा और रोजगार मिलै सबनै यो इंतजाम तत्काल करो
धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील वैज्ञानिक शिक्षा के हम नारे गूंजारे।।
6
संयुक्त छात्र मोर्चे नै शिक्षा बचाओ यो अभियान चलाया 
बारा जनवरी नै संसद मार्च का रणबीर यो कदम उठाया
एक फरवरी नै चैन्नई मैं संयुक्त रैली करैंगे मिलकै नै सारे।।



******
नए साल का सपना 
नया साल 2024
दो हजार तेईस चल्या गया यो कोरोना के वारां का ।।
दो हजार चौबीस मैं हो आच्छा  हाल मेहनत कारां का।।
1
सर्व समावेशी शिक्षा हो स्कूल होवैं एक समान 
हरेक जात का सम्मान हो भाईचारा हो बलवान 
मरीज डॉक्टर का मेल हो इलाज पावै हर इंसान 
फसल कीमत मिल पावै फलें फुलें म्हारे किसान 
पर्दाफाश होज्या धर्म के आज के इन ठेकेदारां का।।
दो हजार चौबीस मैं हो आच्छा  हाल मेहनत कारां का।।
2
मिलावट म्हारे समाज मैं नहीं टोही पावै चाहवां
नफरत का जहर समाज नै आज ना खावै चाहवां
बेरोजगारी कम होवै इसा माहौल आवै चाहवां 
कोये मानस प्रदेश में ना भूखा सो ज्यावै चाहवां 
होवै महिला महफूज ना जिकरा बचै बलात्कारां का।।
दो हजार चौबीस मैं हो आच्छा  हाल मेहनत कारां का।।
3
म्हारा यो सबका हरियाणा गूँज उठै यो नारा भाई
छुआछूत खत्म हो सुधरै यो वातावरण म्हारा भाई
सरकार करै ख्याल बणै गरीबां का साहरा भाई
पोर्न फिल्म पै रोक लागै नशे तैं मिलै छुटकारा भाई
या जनता राह बाँधेगी देश भर मैं इन बदकारां का ।।
दो हजार चौबीस मैं हो आच्छा  हाल  मेहनत कारां का।।
4
युवा नै रोजगार मिलै कति ना फिरै आवारा भाई
सुख का सांस लेवै सरतो सुखी हो करतारा भाई
विकास चालै सही राही सही होवै बंटवारा भाई
संविधान के अनुसार चलै हिंदुस्तान यो म्हारा भाई
रणबीर चौबीस का साल हो मेहनत के अदाकाराँ का ।।
दो हजार चौबीस मैं हो आच्छा  हाल  मेहनत कारां का।।
******
कोर्ट कचहरी राज पाट का फुटया ढ़ारा देख लिया।
माणस बिकै दिन धौली कसूता नाजारा देख लिया।
1
पुलिस बचावै कातिल नै मेरी समझ मैं आई ना
सरकार मदद पै आज्या सै क्यों जमा सरमाई ना
अफसर बिक़ज्यां चौड़े मैं वो मानै कति बुराई ना
घड़ा पाप का भरग्या सै ईब होती जमा समाई ना
लोक लाज लोक राज का तमाशा आज देख लिया।।
माणस बिकै दिन धौली यो उल्टा नाजारा देख लिया।
2
कातिल और चोर लुटेरे मंत्री पुलिस के तलियार बनैं
सही आवाज दबावण नै साहूकारों के हथियार बनैं
आम आदमी डरकै इनतैं चुप रैहकै नै होशियार बनैं
म्हारी चुप्पी नाश करैगी न्यों कोण्या घर परिवार बनैं
इनकी कड़ थेपड़ता मनै सरकारी इशारा देख लिया।।
माणस बिकै दिन धौली यो उल्टा नाजारा देख लिया।
3
बीमारियां नै ऊधम मचाया न्यों क्यूकर पार घलैगी रै
कॉपोरेट हुया म्हरा लुटेरा न्यों क्यूकर दाल गलैगी रै
सरकार नै गोड्डे टेक दिए न्यों क्यूकर बात चलैगी रै
खेती उद्योग तबाह होज्यांगे न्यों क्यूकर मार टलैगी रै
ये जहरीले नाग डंक मारैं मरै कमेरा बेचारा देख लिया।
माणस बिकै दिन धौली यो उल्टा नाजारा देख लिया।
4
आज के समाज म्हारे की या असली घुंडी खोल दई
चारों स्तम्भ म्हारे जनतंत्र के लिकड़ सबकी पोल गई
सरकार भी जुल्म कमावै न्यों छाती म्हारी छोल दई
रणबीर नै बरोने के मैं सारी साच्ची साच्ची बोल दई
जनता जागै फेर जुल्मी भागै निचोड़ सारा देख लिया।
माणस बिकै दिन धौली यो उल्टा नाजारा देख लिया।
********
वैज्ञानिक दृष्टिकोण के संदर्भ में कुछ रागनियां
रागनी 1
Dr Dabholkar 
डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर थारी क़ुरबानी रंग ल्यावैगी।।
स्वतंत्र हिन्दुस्तान मैं या जरूर नया इतिहास रचावैगी।।
अग्रगामी चेतना की हत्या करकै हत्यारे बच ना पावैंगे
हर जागां डॉक्टर नरेंद्र पावैं जिस मोड़ पै ये लखावैंगे
अंध श्रद्धा उन्मूलन खातिर कतार इब बढ़ती जावैगी।।
आहात सां सन्तप्त सां सुण्या जब थारे कत्ल बारे डॉक्टर
गुस्सा हमनै घणा आरया सै हिम्मत कोण्या हारे डॉक्टर
तेरी क़ुरबानी यकीन मेरै घर घर मैं मशाल जलावैगी।।
लेखक संस्कृतकर्मी वैज्ञानिक कट्ठे हुए सैं कलाकार 
पूरे हिन्दुस्तान के नर नारी हम देवां मिलकै ललकार
रूढ़िवाद की ईंट तैं ईंट देश मैं इब तावली बज पावैगी।।
हमनै बेरा उन ताकतों का जिणनै कत्ल करया थारा रै
होंश ठिकाणै सैं म्हारे जबकि खून खोल गया म्हारा रै
रणबीर सिंह नै कलम ठाई पूरी दुनिया नै जगावैगी ।।
रागनी 2
क्या क्यों और कैसे बिना
क्या क्यों और कैसे बिना मिलै दुनिया का सार नहीं।।
ज्ञान विज्ञान के प्रकाश बिना होवै दूर अन्धकार नहीं।।
नीले आसमान मैं क्यों ये चकमक करते तारे भाई
क्यों इन्द्रधनुष के म्हां ये रंग बिरंगे प्यारे भाई
मोर के पंख न्यारे भाई क्यों लाया कदे विचार नहीं।।
तोता कोयल फर फर करकै क्यूकर गगन मैं उडज्यां
क्यों ना बिल्ली के तन पै भी पंख मोर के उगज्यां
क्यों मकड़ी जाला बुणज्यां म्हारी समझ तैं बाहर नहीं।।
क्यों जुगनू की कड़ के उपर जलती हुई मशाल भाई
क्यों गैंडे अर हाथी की पीठ सै उनकी ढाल भाई
विज्ञान के ये कमाल भाई झूठा इसका प्रचार नहीं।।
क्यों फूल गुडहल का हो सुर्ख एक दम लाल कहैं
क्यों झिलमिल करता ये मकड़ी का जाल कहैं
विज्ञान ठावै सवाल कहैं या माया अपरम पार नहीं।।
आम नीम अर इमली क्यों हमनै खड़े दिखाई दें
क्यों समुन्द्र मैं ऊंची नीची उठती लहर दिखाई दें
मछली क्यों रंगीन दिखाई दें जानै सै नम्बरदार नहीं।।
जुबां पै लाग्या ताला यो हमनैं पड़ै तोड़ना सुनियो
सवालां का यो पिटारा तो हमनै पड़ै खोलना सुनियो
हमनै पड़ै बोलना सुनियो क्यों बिना म्हारा उद्धार नहीं।।
रागनी 3
गलत विज्ञान
मानवता का विनाश करै जो इसा शैतान चाहिये ना।
संसार नै गलत दिशा देवै इसा विज्ञान चाहिये ना।।
1
विज्ञान पै पाड़या बेरा अणु मैं ताकत बहोतै भारी सै
अणु भट्टी तै बणै बिजली जगमगावै दुनिया सारी सै
अणु बम तो विनासकारी सै इसा शैतान चाहिये ना।।
2
मानवता नै बड़ी जरूरत सै आज अन्न और वस्त्रां की
जंग की जरूरत जमा नहीं ना जरूरत अणु शस्त्रां की
जो पैरवी करै अस्त्रां की इसा भगवान चाहिये ना।।
3
कड़ै जरूरत सै उनकी कारखाने जो हथियार बणावैं
बणे पाछै चलैं जरूरी ये दुनिया मैं हाहाकार मचावैं
विज्ञान कै तोहमद लावैं इसा घमासान चाहिये ना।।
4
हिरोशिमा की याद आवै शरीर थर-थर कांपण लाग्गै
विज्ञान का गलत प्रयोग मानवता सारी हांफण लाग्गै
दुनिया टाडण लाग्गै रणबीर इसा कल्याण चाहिये ना।।
रागनी 4
विवेक
सूरज साहमी कोहरा टिकै ना अज्ञान विवेकमयी वाणी कै।
अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।
1
ढोंग अर अन्ध विश्वास पै टिक्या चिन्तन फेर बचै कोण्या
यज्ञ हवन वेद शास्त्र फेर पत्थर पूजा प्रपंच रचै कोण्या
पुरोहित की मिथ्या बात का दुनिया मैं घमशान मचै कोण्या
मन्द बुद्धि लालची माणस कै विवेकमय दया पचै कोण्या
शिक्षित अनपढ़ धनी निर्धन बीच मैं आवैं फेर कहाणी कै।।
अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।
2
आत्मा परमात्मा सब गौण होज्यां सामाजिक दृष्टि छाज्या फेर
समानता एक आधार बणै औरत सम्मान पूरा पाज्या फेर
मानवता पूरी निखर कै आवै दुनिया कै जीसा आज्या फेर
कार्य काररणता नै समझकै माणस कैसे गच्चा खाज्या फेर
माणस माणस का दुख समझै ना गुलाम बणै राजराणी कै।।
अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।
3
संवेदनशील समाज होवै ईश्वर केंद्र मैं रहवै नहीं
मानव केन्द्रित संस्कृति हो पराधीनता कोए सहवै नहीं
स्वतंत्रता बढ़ै व्यक्ति की परजीवी कोण कहवै नहीं
खत्म हां युद्ध के हथियार माणस आपस मैं फहवै नहीं
विवेक न्याय करूणा समानता खरोंच मारैं सोच पुराणा कै।।
अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।
4
अदृश्य सत्ता का बोझ आड़ै फेर कति ना टोहया पावै
सोच बिचार के तरीके बदलैं जन चेतना बढ़ती जावै
मनुष्य खुद का सृष्टा बणै कुदरत गैल मेल बिठावै
कर्म बिना बेकार आदमी जो परजीवी का जीवन बितावै
रणबीर बरोने आला नहीं लावै हाथ चीज बिराणी कै।।
अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।

रागनी 5

ब्रह्माण्ड महारा
इस ब्रह्माण्ड का बेरा ना सोच-सोच घबराउं मैं।
धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।
1
वैज्ञानिक दृष्टि का पदार्थ नै आधार बताते
नाश हो सकता बदलै ना आकार सुणाते
निर्जिव तै जीव की उत्पत्ति डारविन जी सिखाते
कुदरत के अपने नियम जो दुनिया को चलाते
हमेश रहै बदलता क्यूकर या समझाउं मैं।।
धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।
2
जिज्ञासा और खोज तै उपजै उसनै ग्यान कहैं
क्रम बद्ध ग्यान नै फेर दुनिया मैं विग्यान कहैं
जिज्ञासा नै मारै सै जो उसको सारे अग्यान कहैं
गुण दोष पै जांचै परखै वैज्ञानिक इन्सान कहैं
पूर्वाग्रह तै टकराकै बणै नयी सोच दिखाउं मैं।।
धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।
3
मत विश्वास करो क्योंकि मां बाप नै बताया सै
शिक्षक नै कैहदी ज्यांतै आंख मूंद अपणाया सै
परीक्षण विश्लेषण पै जो सर्वहित कारी पाया सै
प्रयोग तै करैं दोबारा वो सिद्धांत आगै आया सै
भाग्यवाद पै कान धरै ना उसके धोरै जाउं मैं।।
धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।
4
वैज्ञानिक दृष्टि गुरू अपना चेला बताया होज्या
तीव्र ग्राही मन होवै जो कदे ना पड़कै सोज्या
सत्य का खोजी माणस बीज नई खोज के बोज्या
प्रमाण पै टिक्या विवेक सारे अन्धविश्वास नै खोज्या
रणबीर जोर लगाकै बात खोज कै ल्याउं मैं।।
धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।
रागनी 6
वैज्ञानिक नजर
वैज्ञानिक नजर के दम पै जिन्दगी नै समार लिये।
जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।
1
सादा रैहणा उचे विचार साथ मैं पौष्टिक खाणा यो
मानवता की धूम मैच चाहिये इसा संसार बसाणा यो
सुरग की आड़ै नरक की आड़ै ना कितै और ठिकाणा यो
पड़ौसी की सदा मदद करां दुख सुख मैं हाथ बंटाणा यो
धरती सूरज चौगरदें घूमै ब्रूनो नै सही प्रचार किये।।
जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।
2
साच बोलणा चाहिये पड़ै चाहे थोड़ा दुख बी ठाणा रै
नियम जाण कुदरत के इसतै चाहिये मेल बिठाणा रै
हाथ और दिमाग तै कामल्यां चाहिये दिल समझाणा रै
गुण दोष तै परखां सबनै अपणा हो चाहे बिराणा रै
जांच परख की कसौटी पै चढ़ा सभी संस्कार लिये।।
जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।
3
इन्सान मैं ताकत भारी सै नहीं चाहिये मोल घटाणा
सच्चाई का साथ निभावां पैड़े चाहे दुख बी ठाणा
लालची का ना साथ देवां सबनै चाहिये धमकाणा
मारकाट की जिन्दगी तै ईब चाहिये पिंड छटवाणा
पदार्थ तै बनी दुनिया इसनै चीजां को आकार दिये।।
जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।
4
दुनिया बहोतै बढ़िया इसनै चाहते सुन्दर और बणाणा
जंग नहीं होवै दुनिया मैं चाहिये इसा कदम उठाणा
ढाल-ढाल के फूल खिलैं चाहिये इनको आज बचाणा
न्यारे भेष और बोली दुनिया मैं न्यारा नाच और गाणा
शक के घेरे मैं साइंस नै रणबीर सिंह सब डार दिये।।
जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।
रागनी 7
ज्ञान विज्ञान का पैगाम
सुखी जीवन हो म्यारा ज्ञान विज्ञान का पैगाम सुणो।
हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।
1
सारे पढ़े लिखे होज्यां नहीं अनपढ़ टोहया पावै फेर
खाण पीण की मौज होज्या ना भूख का भूत सतावै फेर
बीर मरद का हक बरोबर हो इसा रिवाज आवै फेर
यो टोटा गरीब की चौखट पै भूल कै बी ना जावै फेर
सोच समझ कै चालांगे तो मुश्किल ना सै काम सुणो।।
हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।
2
मिलकै नै सब करां मुकाबला हारी और बीमारी का
बरोबर के हक होज्यां तै ना मान घटै फेर नारी का
भाईचारा फेर बढ़ैगा नहीं डर रहै चोरी जारी का
सुख कै सांस मैं साझा होगा इस जनता सारी का
भ्रष्टाचार की पूरी तरियां कसी जावै लगाम सुणो।।
हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।
3
आदर्श पंचायत बणावां हरियाणा मैं न्यारी फेर
दांतां बिचालै आंगली देकै देखै दुनिया सारी फेर
गाम स्तर पै बणी योजना लागू होज्या म्हारी फेर
गाम साझली धन दौलत सबनै होज्या प्यारी फेर
सुख का सांस इसा आवैगा नां बाजै फेर जाम सुणो।।
हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।
4
कोए अनहोनी बात नहीं ये सारी बात सैं होवण की
बैठे होल्यां लोग लुगाई घड़ी नहीं सै सोवण की
इब लड़ां ना आपस मैं या ताकत ना खोवण की
बीज संघर्ष का बोवां समों सही सै बोवण की
कहै रणबीर गूंजैगा चारों कूठ यो नाम सुणो।।
हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।
रागनी 8
विज्ञान ज्ञान के दम पै
विज्ञान ज्ञान के दम पै देखो उड़ते जहाज गगन मैं।ं
टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।
1
कदे कदे वा चेचक माता खूब सताया करती
रोज रोज फिरैं धोक मारते दुनिया सारी डरती
फेर भी काणे भोत हुए थे कोए भरतू कोए सरती
विज्ञानी जब गैल पड़े देखी शीतला मरती
सूआ इसा त्यार करया वा माता धरी कफन मैं।।
टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।
2
कुता काटज्या इलाज नहीं था हड़खा कै मरज्यावैं थे
रोग कोढ़ का बिना दवाई फल कर्मां का बतावैं थे
खून का रिश्ता था जिनतैं भाई वें भी दूर बिठावैं थे
टी बी आली बुरी बीमारी गल गल ज्याण खपावैं थे
आज इलाज सबका करदें ना रती झूठ कथन मैं।।
टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।
3
अग्नि के म्हां धुम्मा कोन्या बिजली चानणा ल्यावै सै
टी वी पै तसवीर बोलती देख अचम्भा आवै सै
समंदर के म्हां भर्या खजाना बंदा लुत्फ उठावै सै
राकेट के म्हां बैठ मनुष्य भाई चन्द्रमा पै जावै सै
एक्सरे तैं जाण पाटज्या के सै रोग बदन मैं।।
टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।
4
एक जीव का अंग काट कै दूजे कै इब फिट करदें
मिसाइल छोड्डैं बटन दाबकै हजार कोस पै हिट करदें
सौ सौ मंजिली बणी इमारत अपनी छाप अमिट करदें
कम्प्यूटर जबान पकड़ कै देसी तैं गिटपिट करदें
सुख सुविधा हजार तरहां की साईंस लगी जतन मैं।।
टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।
5
नई नस्ल के पशू बणा लिए नई किस्म की फसल उगाई
नये नये औजार बणा कै पैदावार कई गुणा बढ़ाई
फेर बी भूखे रहैं करोड़ों बिन कपड़े बिन छत के भाई
हबीब भारती कारण को ढूंढ़ो आपस में क्यूं करैं लड़ाई
साइंस कै मत दोष मढ़ो ना इसका हाथ पतन मैं।।
टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।
रागनी 9
विज्ञान की अच्छाई भूल
विज्ञान की अच्छाई भूल कै इसनै बैरी बतावण लागे।।
माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।
1
कलयुग पापी बता बता कवियांे नै शोर मचाया
कल का नाम कहैं पुरजा युग माने बख्त बताया
बढ़ी चेतना इन्सानां की जब जरुरत पै आया
इस कुदरत तैं खोज खोज पुरजे का खेल रचाया
आप बनाया आप चलाया अपने आप उडावण लागे।।
माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।
2
कुदरत के सब जीवों मैं इन्सान पवित्र पाया
जीवन की वस्तु सारी खुद आप खोज कै ल्याया
ऐसे यन्त्र तैयार बणा लिए अजब कमाल दिखाया
करकै खोज पृथ्वी की आसमान ढूंढ़ना चाहया
बणा बणा कै पुरजे पै सारा काम करावण लागे।।
माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।
3
कलयुग इतना छाज्या इसका कोए अन्त ना पाया
फेर मुनाफे नै इस कलयुग पै अपना जोर जमाया
सब कुछ कर लिया कब्जे मैं ऐसा महाघोर मचाया
इस पापी की करनी नै दुख मैं यो संसार फंसाया
विज्ञान तैं बम बणा बणा कै नरक बणावण लागे।।
माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।
4
हरिचन्द कहै कलयुग जैसी ओर समों ना आणी
सब प्रजा ने समझाद्यां चाहे याणी हो चाहे स्याणी
साइंस असली राही चालै हमनै होगी अलख जगाणी
फेर ना रहै कोए भूखा नहीं सै या झूठी बाणी
न्यों पाप खत्म होज्यागा हम साच बतावण लागे।।
माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।
रागनी 10
ब्रूनो
 *ब्रूनो नै चर्च में पढ़कै कहते पादरी बनना चाहया था।।*
*कॉपरनिकस की किताब पढ़कै उसनै पल्टा खाया था।।*
1
सवाल उठाकै वो क्यों  धरती सूरज पै बहस चाहवै
आगै अध्ययन करकै नै क्यों नहीं पता लगाया जावै
ज्यों ज्यों अध्ययन करै सूरज चौगरदें धरती  घुमती  पावै
चर्च की ताकत और गुस्सा पूरी ढ़ालां समझ मैं आवै
*ब्रूनो नै इसे कारण तैं इटली छोडण का मन बनाया था।।*
2
कुछ विद्वान सहमत होगे फेर साथ कदम नहीं धरया
दिन दूनी रात चौगुनी प्रचार करता ब्रूनो नहीं डरया
आम जनता का दिल उसनै यो पूरी तरियां दखे हरया
प्रयाग पैरिस इंग्लैंड जर्मनी मैं उसनै  था प्रचार करया
*चर्च की दाब नहीं मानी हारकै चर्च नै भगोड़ा बताया था।।*
3
ज्यों ज्यों प्रचार करया चर्च का गुस्सा बढ़ावै था
ब्रूनो भी बढ़ता गया आगै ना पाछै कदम हटावै था
चर्च की छलां तैं बताओ कितने दिन बच पावै था
वैचारिक समझौता ना करूंगा यो सन्देश पहूंचावै था
*चर्च नै पकड़ण की खातर फेर कसूता जाल बिछाया था।।*
4
चर्च मानस तैयार किया वो ब्रूनो धोरै पढ़ना चाहवै सै
फीस तय करदी उसकी फेर एक पते कै ऊपर बुलावै सै
ब्रूनो भी शिष्य एक बनैगा मेरा सोच कै नै सुख पावै सै
चर्च की चाल सोची समझी समझ उसकी ना आवै सै
*गिरफ्तार कर लिया चर्च नै बहोत घणा गया सताया था ।।*
5
अमानवीय यातना दी चर्च नै ब्रूनो अपने मत नै छोड़ दे
पहले आली सोच कांहीं अपनी सोच नै ब्रूनो मोड़ दे
छह साल ताहिं मंड्या रहया चर्च ब्रूनो की कड़ तोड़ दे
लोहे के सन्दूक मैं राख्या ताकि मौसम यो शरीर निचौड़ दे
*यो अत्याचार चर्च का ब्रूनो का मनोबल गिरा ना पाया था ।।*
6
न्यायालय का ड्रामा रच कै घनी भूंडी सजा सुनवाई
इसी सजा दयो इसनै एक बी खून की बूंद ना दे दिखाई
ब्रूनो उलट कै बोल्या था सरकार घणी डरी औड़ पाई
रोम के चौंक मैं ब्रूनो खम्भे कै ल्याकै बांध्या था भाई
*रणबीर कपड़ा ठूंसकै मूंह मैं ब्रूनो जिंदा उड़ै जलाया था ।।*
रागनी 11
जलवायु प्रदूषण
कार्बन साइकल नै समझां जै दुनिया बचाणी रै।।
धरती संकट बढ़ता आवै होज्या कुनबा घाणी रै।।
1
पौधे करैं ऑक्सीजन पैदा ये सूरज के प्रकाश मैं
कार्बन डाइऑक्साइड सौखैं ये भोजन की आस मैं
संघर्ष और निर्माण का इतिहास बनाया प्राणी रै।।
2
इस ब्रह्मांड को समझैँ इसमैं हम सां कड़े खड़े
कुदरत के नियम जाणे म्हारे कदम भी सही पड़े
इसका जब मजाक उड़ाया पड़ी मूंह की खाणी रै।।
3
आस पास और दुनिया मैं कैसे यह संसार चलै
कुदरत और जनता को कैसे यो धनवान छलै
इस धनवान लुटेरे की कोन्या चाल पिछाणी रै।।
4
चल चल पूंजी खावैगी या म्हारे पूरे ही समाज नै
धरती का संकट बढ़ाया सै इसके तेज मिजाज नै
विकास टिकाऊ बचा सकता म्हारी सबकी हाणी रै।।
रागनी 12
एक आह्वान रागनी 
हम कदम मिलजुलके मंजिल की तरफ बढ़ाएंगे ॥ 
हमारी बहुविविधता को दे हर क़ुरबानी बचाएंगे ॥ 
गुणवत्ता वाली पढ़ाई वास्ते  जनता लाम बन्द करेंगे 
सबको सस्ता इलाज मिले ऐसा मिलके प्रबंध करेंगे
निर्माण के उदाहरण हम करके सबको दिखाएंगे ॥ 
अन्ध विश्वास के खिलाफ लंबा चलाएं एक अभियान 
सबका मिलके होगा प्रयास बने संवेदनशील इंसान 
प्रति गामी विचार को  वैज्ञानिक आधार से  हराएंगे ॥ 
मिल करके करेंगे विरोध  सभी दलित अत्याचार का 
महिला समता समाज में हो मुद्दा बनायेंगे प्रचार का 
रोजगार मिले सबको ये हम सब अभियान चलाएंगे ॥ 
सद्भावना बढे समाज में नफरत का विरोध करेंगे 
पूरे समाज का विकास हो इस पे पूरा शोध करेंगे 
बढ़े हुए कदम हमारे रणबीर आगे बढ़ते ही जायेंगे ॥
रागनी 13
 
म्हारी खोज म्हारी सभ्यता
घड़ी बंधी जो हाथ पै इटली मैं हुई खोज बताई।।
भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।
1
खुर्दबीन की खोज कदे नीदरलैंड मैं हुई बताई सै
बैरोमीटर तै टारिसैली नै मौसमी खबर सुणाई सै
गुबारा सतरा सौ तिरासी मैं यो हमनै दिया दिखाई सै
टेलीग्राफ की खोज नै फेर फ्रांस की श्यान बढ़ाई सै
गैस लाइट के आणे तै जग मैं हुर्इ घणी रूसनाई।।
भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।
2
इटली के पी टैरी नै टाइप राइटर फेर बणाया रै
हम्फ्री डेवी नै लैंप सेफटी बणा माडल दिखलाया रै
माचिस की खोज नै ठारा सौ छब्बीस याद कराया रै
साइकिल के बणाणे आला मैकलिन नाम बताया रै
ठारा सौ तितालिस सन मैं फैक्स मशीन बणाई।।
भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।
3
ज्ञान विज्ञान आगै बढ़ग्या करे नये-नये आविष्कार
अमरीका नै लिफट खोजी मंजिलां की फेर लागी लार
ठारा सौ बावण मैं वायुयान नै फ्रांस मैं भरी उडार
टेलबेट नै फोटो खींचण की विधि कर दी तैयार
वैज्ञानिक सोच के दम पै नई-नई तरकीब सिखाई।।
भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।
4
थामसन नै वैलिडंग मशीन अमरीका मैं त्यार किया
एडीसन नै बलब बिजली जगमगा पूरा संसार दिया
मोटर साइकिल डैमलर नै सड़कां पै फेर उतार दिया
उन्नीस सौ बावण मैं हाइड्रोजन बम बी सिंगार लिया
रणबीर आगे की फेर कदे बैठ करैगा कविताई।।
भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।
रागनी 14

हिरोशिमा नागाशाकी
लिटिल बॉय और फैटमेंन परमाणु बम्ब गिराये रै।।
हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं
धकाये रै।। 
1
हिरोशिमा मैं छह अगस्त को अमरीका नै बम्ब गिराया
नौ अगस्त नै नागाशाकी पै दूजा फैटमैन बम्ब भड़काया
जापान देख हैरान रैहग्या अमरीका नै रोब जमाया
जमा उजाड़ दिए शहर दोनूं लाशां के ढेर लगाये रै।।
हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं
धकाये रै।। 
2
लाखों निर्दोष लोगों की इसमैं हुई मौत बताई देखो
दूसरे विश्व युद्ध मैं अमरीका नै फतूर मचाई देखो 
आत्म समर्पण जापान का फेर भी हेकड़ी दिखाई देखो
बिना बात बम्ब गिरा दिया अमरीका घना कसाई देखो
दो बम्ब गेर दादा गिरी का सारे कै सन्देश
पहोंचाये रै।।
हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं
धकाये रै।। 
3
औरत मर्द बच्चे इसके हजारों लाखों शिकार हुये
सालों साल बालकों कै जामनू कई विकार हुये
दौड़ रूकी ना हथियारों की सौला हजरत तैं पार हुये
एक हजार तैं फालतू अड्डे अमरीका के तैयार हुये
जीव मरैं निर्जीव बचैं इसे बम्ब आज बनाये रै।।
हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं
धकाये रै।। 
4
हिरोशिमा नागाशाकी तैं कोये सबक लिया कोण्या
हथियारों की होड़ बढ़ाई शांति सन्देश दिया कोण्या
हथियार मुक्त दुनिया का आधार तैयार किया कोण्या
ईनके डर पै अमरीका नै खून किसका
पीया कोण्या
रणबीर नागाशाकी दिवस पै ये चार छन्द बनाये रै।।
हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं
धकाये रै।।
रागनी 15

मानस का धर्म 
धर्म के सै माणस का मनै कोए बतादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।
1
माणस तैं मत प्यार करो कौणसा धर्म सिखावै
सरे आम बलात्कार करो कौणसा धर्म सिखावै
रोजाना नर संहार करो कौणसा धर्म सिखावै
तम दारू का व्यापार करो कौणसा धर्म सिखावै
धर्म क्यों खून के प्यासे मनै कोए समझादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।
2
ईसा राम और अलाह जिब एक बताये सारे रै
इनके चाह्वण आले बन्दे क्यूँ खार कसूती खारे रै
क्यों एक दूजे नै मारण नै एकेजी हाथां ठारे रै
अमीर देश हथियार बेच कै खूबै मौज उड़ारे रै
बैर करो मारो काटो लिखै वो ग्रन्थ भुलादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।
3
मानवता का तत कहैं सब धर्मां की जड़ में सै
कुदरत का प्रेम सारा सब धर्मां की लड़ मैं सै
कदे कदीमी प्रेम का रिश्ता माणस की धड़ मैं सै
कट्टरवाद नै घेर लिए यो हर धरम जकड़ मैं सै
लोगां तैं अरदास मेरी क्युकरै इनै छटवादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै ।।
4
यो जहर तत्ववाद का सब धर्मों मैं फैला दिया 
कट्टरवाद घोल प्याली मैं सब ताहिं पिला दिया
स्कीम बणा दंगे करे इंसान मासूम जला दिया
बड़ मानवता का आज सब धर्मों नै हिला दिया 
रणबीर सिंह रोवै खड़या इनै चुप करवादयो नै ।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए समझादयो नै ।।
2001 की रचना
रागनी 16

#अपनीरागनी 
सोलां सोमवार के ब्रत राखे मिल्या नहीं सही भरतार 
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घना सै करतार
1
बालकपन तैं चाहया करती मन चाहया भरतार मिलै
बराबर की इंसान समझै ठीक ठयाक सा घरबार मिलै
उठते बैठते सोच्या करती बढ़िया सा मनै परिवार मिलै
मेरे मन की बात समझले नहीं घणा वो थानेदार मिलै
इसकी खात्तर मन्नत मानी चढ़ावे चढ़ाए मनै बेसुमार
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार
मेरी सहेली नै ब्याह ताहिं एक खास भेद बताया था 
सोलां सोमवार के ब्रत करिये मेरे को समझाया था
बोली मनचाहया वर मिलै जिसनै यो प्रण पुगाया था
मनै पूरे नेग जोग करे एक बी सोमवार ना उकाया था
बाट देखै बढ़िया बटेऊ की यो म्हारा पूरा ए परिवार 
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार
3
कई जोड़ी जूती टूटगी फेर जाकै नै यो करतार पाया
पहलम तै बोले बहु चाहिए ना चाहिए सै धन माया
ब्याह पाछै घणे तान्ने मारे छोरा बिना कार के खंदाया
सपने सारे टूटगे मेरे बेबे सोमवार ब्रत काम ना आया
पशु बरगा बरतावा सै ना करै माणस बरगा व्यवहार
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार
4
ये तो पाखण्ड सारे पाये ना भरोसा रहया भगवान मैं
उसकी ठीक गलत सारी पुगायी ना दया उस इंसान मैं 
फेर न्यों बोले पाछले मैं कमी रही भक्ति तनै पुगाण मैं
आंधा बहरा राम जी भी नहीं आया पिटती छुड़ाण मैं
कहै रणबीर बरोने आला आज पाखंडाँ की भरमार 
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार