Wednesday, 26 October 2016

AAJ KA JAMANA

आज का जमाना

तेज रफ़्तार ज़माने की समझां इसकी चाल हे
नासमझी मैं उतरे बेबे म्हारी सबकी खाल हे
गफलत पडे छोड़नी करा हकां की रुखाल हे
अपना गम स्कूल अपना करें इसकी संभाल हे
म्हारे स्कूल कोलेजां पै टपकै बदेशिया की राल हे
जनता एका करकै बनैगी या मजबूत सी ढाल हे
जात पात और धरम पर करा लड़न की टाल हे
वैजानिक नजर के सहारे रचै नयी मिसाल हे
मानवता सिखर पर पहोंचे सजा पावें चंडाल हे
कार्य कारण की होवे फेर सही सही पड़ताल हे

क्या क्यों और कैसे बरगे उठें दिलों मैं सवाल हे
धार्मिक कटरता की हार होजयागी फिलहाल हे
संघर्ष करना बहोत जरूरी ठा हाथों में मशाल हे
मानवता की करें सेवा नहीं रहे कोई मलाल हे
एक दूजे का प्राणी राखै हमेश्या पूरा ख्याल हे
आए अकेले अकेले जाना बाकि सब जंजाल हे
प्रकर्ति गेल्यें करें दोस्ती पर्यावरण हो बहाल हे
पानी की कमी नही रह्वै नहीं होंगे सुने ताल हे
भूखा कोए नहीं सोवैगा नहीं पडेंगे अकाल हे
समतावादी विचार सबके नहीं मचै बबाल हे 

फोर लेन

फोर लेन और माल म्हारे चेहरा खूब चमकाया रै
लिंग अनुपात अनीमिया नै म्हारे कालस लगाया
रै दो छोर म्हारे हरयाने के नहीं मेरी समझ मैं आवें
एक कान्ही सबते बाढ़ कार हरियानावासी बनावें
महिला भ्रूण हत्या करके सबते तेज कार चलावें
गर्भ वती महिला खून कमी जापे के माह मर
जयावेंसोच सोच इन बातां नै दिमाग मेरा चकराया रै
आर्थिक विकास घना सामाजिक विकास थोडा बताते
विकास मॉडल मै मोजूद कमी नहीं खोल कै दिखाते
सचाई नै आंकड़ो बीच कई बुद्धिजीवी बी छिपाते
म्हारे नेता बी सचाई तै बहोत घना आज घबराते
पांचो घी मैं जिसकी सें हरियाणा नंबर वन भाया रै
आर्थिक विकास की माया देखो पिसा छागया चारो और
नंबर वन हरियाणा का मचाया चारो कान्ही शोर
धरती बिकती जा म्हारी औरो के बीके डांगर ढोर
शाह नै मात देवें ये समाज सेवी बनके ठग चोर
चोर दवारा साह खुले के मैं जाता रोजाना धमकाया रै
कई बाई सोचूँ लोट खाट मैं आज हुआ किसा विकास यो
दिमाग भन्नाया सै मेरा सोचै कदे होरया हो विनास यो
ठेकेदारी का बोलबाला सै मदत म्हारा उपहास यो
विकास हुआ या विनास हिल गया मेरा विश्वास यो
रणबीर बरोने वाला ना इनकी बहका मैं आया रै

बोल बख्त के


हरियाणा में पंचायतों की सख्ती और रोक के बावजूद भी बढ़ रहे हैं प्रेम विवाह के मामले | सच्चा प्यार कभी नहीं झुकता |
क़्या लिखा कवि ने भला--------
सच्चा प्यार करणियां नै कदे पाछै कदम हटाये कोन्या |
एक बर जो मन धार लिया मुड़्कै फेर लखाये कोन्या |
हीर रांझा नै अपने बख्तां मैं पूरा प्यार निभाया कहते
लीलो चमन हुये समाज मैं घणा ए लोड़ उठाया कहते
सोनी महिवाल सच्चे प्रेमी मौत को गले लगाया कहते
आज के पंचायती बेरा ना प्रेमियां नै क्यों नहीं सहते
सुण फरमान पंचायतियां के कदे प्रेमी घबराये कोन्या |
नल दमयन्ती का किस्सा हम कदे कदीमी सुणते आवां
दमयन्ती नै वर माला घाली या सच्चाई कैसे भुलावां
अपना वर आपै ए चुन्या क्यों इस परम्परा नै छुपावां
अपनी मर्जी तै जो ब्याह करैं उनकै फांसी क्यों लगावां
हरियाणा के प्रेमी जोड़े पंचायतां कै काबू आये कोन्या |
सत्यवान और सावत्री का किस्सा बाजे लख्मी गागे आड़ै
सावत्री लड़ी यमराज तै वे कहते पिंड़ा छुड़ा भागे आड़ै
सावत्री तै इतनी आजादी देकै लिखणियां बी छागे आड़ै
हरियाणा के आज के जोड़े फेर क़्यों फांसी पागे आड़ै
हरियाणा नम्बर वन प्यार मैं इसे गाने गाये कोन्या |
जातां बीच मैं प्रेम विवाह का चलन यो बढ़ता आवै सै
फांसी का फंदा दीखै साहमी पर प्यार की पींग बढ़ावै सै
इसी के चीज बताई प्यार मैं जो प्रेमियां नै उकसावै सै
रणबीर सोचै पड़्या खाट मैं बात समझ नहीं पावै सै 
तहे दिल तै साथ सूं थारै मनै झूठे छन्द बनाये कोन्या |

असमंजस


पता नहीं आज का जमाना किधर को जा रहा है ||
सुबह कहीं शाम कहीं अगली सुबह कहीं पा रहा है ||
नई तकनीक ने कब्ज़ा जमाया पूरे इस संसार पर 
माणस माणस को दिन दिहाड़े नोच नोच खा रहा है ||
दूसरों के कन्धों पर पैर रख कर आसमान छू रहे हैं 
फ्री सेक्स का फैशन आज नई पीढी पर छा रहा है ||
दारू समाज के हर हिस्से में सम्मान पाती जा रही 
अच्छा  खासा हिस्सा आज दारू पीके  गाने गा रहा है||
लालच फरेब धोखा धडी का दौर चारों तरफ छाया 
नकली दो नंबर का इंसान हम सबको ही भा रहा है  ||
बाजार व्यवस्था का मौसम है मुठ्ठी भर मस्त इसमें 
बड़ा हिस्सा दुनिया का आज नीचे को ही आ रहा है ||||
भाई भाई के सिर का बैरी आतंक वाद बढ़ गया है 
पुलिश और अफसर दायें बाएं से पैसे खूब बना रहा है|| 
पूर्व के पूरे सिस्टम को दीमक खाती जा रही देखो 
आज भ्रष्टाचार चारों तरफ डंक अपना चला रहा है ||
एक तरफ माल खड़े हुए दूजी तरफ टूटी सड़कें हैं 
तरक्की का यह माडल दूरियां कितनी बढ़ा रहा है ||
अपने भार तले एक दिन मुश्किल होगा साँस लेना 
तलछट की जनता जागेगी रणबीर उसे जगा रहा है ||

हरियाणा तरक्की करग्या रै


दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||
सब चीजां के ठाठ लग्गे कोठा नाज का भर ग्या रै|| 
जीरी गिन्हूं कपास अर इंख की खेती बढती जावै सै
देश के सुब्याँ मैं नंबर वन यो हरयाणा का आवै सै
सड़क पहोंचगी सारै गाम गाम बिजली लसकावै सै 
छैल गाभरू छोरा इसका लड़न फ़ौज के म्हें जावै सै
खेतां के म्हें नया खाद बीज ट्रेक्टर घराटा ठावै सै 
फरीदाबाद सोनेपत हिसार पिंजौर मील सिटी लावै सै 
सारे भारत मैं भाइयो इंका सूरज शिखर मैं चढ़ग्या रै ||
ये बात तो भाई हर रोज बता बता दिल डाटे जाँ रै 
इस चकाचौंध के पाछै सै घोर अँधेरा नाटें जाँ रै 
जो भी हुआ फायदा बेईमान आपस मैं बांटें जाँ रै 
भका भका जातां के चौधरी नाड़ म्हारी काँटें जाँ रै 
अपनी काली करतूतां नै जात के तल्ले ढान्पें जाँ रै 
बोलै जो उनके खिलाफ वे झूठे केसां मैं फांसे जाँ रै 
कुछ परवाने भाइयो फिर भी इनके करतब नापें जाँ रै 
बिन धरती अर दो किल्ले आला ज्यां तैं मरग्या रै ||
खम्बे मीटर गाम गाम मैं बिजली के इब तार गए 
ओवर सीयर एस सी सब कर बंगले अपने त्यार गए 
चार पहर भी ना बिजली आवै बाट देख देख हार गए 
बिना जलाएं बिजली के बिल कर कसूती मार गए 
ट्यूबवेल कोन्या चालै ट्रानस्फोर्मार के जल तार गए 
पैसे आल्यां के ट्यूबवेल थ्रेशर चल धुआं धार गए 
गरीबां की गालाँ मै दूना कीचड देखो आज भरग्या रै ||
गाम गाम मैं सड़क बनाई फायदा कौन उठावैं सें
बस आवै जावै कदे कदे लोग बाट मैं मुंह बावैं सें
पैसे आल्यां के छोरट ले मोटर साईकिल धूल उड़ावें सें
टरैक्टर ट्राली सवारी ढोवें मुंह मांगे किराये ठहरावै सें 
सड़क टूटरी जागां जागां साईकिल मैं पंकचर हो ज्यावें सें 
रोड़ी फ़ोडै पां गरीबां के जो मजबूरी मैं पैदल जावैं सें 
बस नै रोकें कोन्या रोकें तो भाडा गोज नै कसग्या रै ||
बिन खेती आल्यां का गाम मैं मुश्किल रहना होग्या
मजदूरी उप्पर चुपचाप दबंगा का जुल्म सहना होग्या 
चार छः महीने खाली बैठ पेट की गेल्याँ फहना होग्या 
चीजां के रेट तो बढ़गे प़र पुराने प़र बहना होग्या 
फालतू मतना मांगो नफे दबंग का नयों कहना होग्या 
गाम छोड़ शहर पडे आना घर एक तरियां ढहना होग्या 
भरे नाज के कोठे फेर भी पेट कमर कै मिलग्या रै ||
खेती करणिया मैं भी लोगो जात कारगर वार करै
एक जागां बिठावै गरीब अमीर नै ना कोए विचार करै
किसान चार ठोड बँट लिया कैसे नैया इब पार तिरै 
ट्रैक्टर आले बिना ट्रैक्टर आल्यां की या लार फिरै
इनकी हालत किसी होगी बिलखता यो परिवार फिरै 
बिना धरती आल्यां का आज नहीं कोए भी एतबार करै 
जात मैं जमात पैदा होगी बेईमान नै खतरा बधग्या रै ||
घन्याँ की धरती लाल स्याही मैं बैंक के महां चढ्गी थी
दो लाख मैं बेचे किल्ला चेहरे की लाली सारी झडगी थी 
चूस चूस कै खून गरीब का अमीर के मुंह लाली बढगी थी 
कर्जे माफ़ होगे एक ब़र तो फेर कीमत धरती की बधगी थी 
आगे कैसे काम चलैगा रै एक ब़रतो इसतैं सधगी थी 
आगली पीढ़ी के करैगी म्हारी तै क्यूकरै ए धिकगी थी
हँसना गाना भूल गए जिन्दा रहवन का सांसा पड़ग्या रै|| 
शहरों का के जिकरा करूँ मानस आप्पा भूल रहया यो 
आप्पा धापी माच रही आज पैसे के संग झूल रहया यो 
याद बस आज रिश्वत खोरी जमा नशे मैं टूहल रहया यो 
इन्सान तै हैवान बनग्या मिलावट में हो मशगूल रहया यो 
चोरी जारी ठगी बदमाशी सीख भूल सब उसूल रहया यो
इसी तरक्की कै लगे गोली पसीना बह फिजूल रहया यो 
फेर भी रुके मारे तरक्की के कलाम लिखना बंद करग्या रै ||

AANDEE SADDAM

सर्वाधिकार
शीतल प्रकाशन

     वार्ता: नफे सिंह गांव बिलासपुर का रहने वाला है। भारत में नौकरी नहीं मिली तो दे ले के इराक सन् 1988 में चला जाता है। पहले इराक पर हमले में भी वह वहां था। उसकी घरवाली सरतो गांव में ही है। नफे सिंह अब फिर देखता है अमरीका की दादागिरी का खेल। अपने दोस्त अमन से चरचा करता है। अमरीकी राष्ट्रपति जार्ज बुश ने इराक के खिलाफ एक तरफ युद्ध का ऐलान कर रखा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के नियमों और अनुरोधों को भी ताक पर रखकर अमरीका इराक पर धवा बोलने की घोषणएं कर रहा है। पूरी दुनिया में केवल ब्रिटेन ही अमरीका का पैरोकार बना हुआ है। दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र के हथियार निरीक्षक दल को इराक में जन-संहारक हथियारों की मौजूदगी का कोई सबूत नहीं मिला है। इराक की जनता में साम्प्रदायिक समुदायों के मतभेदों को अमरीका हवा देता रहता है। क्या बताया कवि ने भला:
     यू एन ओ कती पढ़ण बिठादी कर दिया गुड़ का राला रै।।
     कहै जिसकी लाठी भैंस उसी की रोप्या मोट्टा चाला रै।।

     निरीक्षण कमेटी नै इराक जमा दोषी नहीं पाया रै
     एक तरफा हमले का अमरीका नै बिगुल बजाया रै
     झूठा प्रचार फैलाया रै कहै इराक का मैं रुखाला रै।।

     सारी दुनिया खड़ी कर दी मौत के आज किनारे पै
     महाघोर प्रलय हो ज्यागी बुश के एक इशारे पै
     फांसी लाई इराक बेचारे पै ना हो जंग का टाला रै।।

     अमरीकी सेना नै जुलमी प्लान क्यों बनाया बता
     सारा संसार सेना के दम पै इनै क्यों डराया बता
     छल प्रपंच क्यों रचाया बता बुन मकड़ी का जाला रै।।    
   
     तेल भण्डारां पै कब्जा यो अमरीका जमाना चाहवै
     सद्दाम या मानता कोण्या ज्यां इसनै भजाना चाहवै
     रणबीर सिंह कराना चाहवै अमरीका का मुंह काला रै।।

     वार्ता: सरतो सुबह का काम करके चारपाई पर बैठ कर अखबार पढ़ने लगती है। अमरीका को बुश का ऐलान इराक के खिलाफ पढ़ती है तो नफेसिंह की बहोत याद आती है। वह पढ़ती है कि अमरीका का यह दावा कि इराक के खिलाफ जंग आतंकवाद के खिलाफ अन्तर्राष्ट्रीय अभियान का हिस्सा है, सफेद झूठ है। यह प्रचार भी गलत है कि इराक पश्चिमी दुनिया के लिए बड़ा भारी फौजी खतरा है। सच्चाई तो यह है कि अमरीका सभी अमन पसन्द गरीब देशों के लिए खतरा बना हुआ है। वह पूरी दुनिया को धमका रहा है, शेखी खोरी दिखा रहा है और घमण्ड में चूर है। सच तो यह है कि अमरीका के पास दुनिया के सबसे घातक हथियारों का जखीरा है। वह क्या सोचती है भला -
     इराक के खिलापफ जंग के क्यों पागल घोड़े छोड़ दिये।।
     सद्दाम पै तोहमद लगाकै मुंह तोपां के क्यों मोड़ दिये।।

     कब्जा करना इराक के उपर या युद्ध की जड़ मैं दीखै
     तेल के बदले खून बहाना मामला गड़बड़ मैं दीखै
     बम्बां की अकड़ मैं दीखै गरीब देशां के मुंह फोड़ दिये।।

     आज तलक ना देखे सुने इसे हथियार पिना राखै
     कहै दो दिनां मैं सीधा कर द्यूं इराक नै पंख फैला राखै
     बुश नै ये देश भका राखै कइयां के बांह मरोड़ दिये।।

     कहै बुश जो अमरीका चाहवै वो करकै नै दिखावै गा
     सद्दाम घणा आण्डी पाकै इसनै सही सबक सिखावैगा
     इराक नै ध्ूाल चटावैगा ये घाटे नफे सब जोड़ लिये।।

     बगदाद तबाह करकै नै लंगोट घुमाया चाहवै सै
     दानव आला रूप यौ अपणा छल तै छिपाया चाहवै सै
     रणबीर नै दबाया चाहवै सै काढ़ सही निचोड़ लिये।।

     वार्ता: नफेसिंह की चिट्ठी नहीं आई। सरतो को चिन्ता होने लगती है। जंग आजकल में होने वाला है। टी.वी. पर परमाणु बम के खतरे की भी बात चलती है कि सब कुछ तबाह हो जाएगा। वह नफेसिंह को बहुत याद करती है और मन में क्या सोचती है भला:
     परमाणु बम्ब कहैं पिया दुनियां मैं तबाही मचा देगा।।
     परमाणु की अग्नि मारै क्यूकर यो भगवान बचा देगा।।

     धमाका होवै गरमी छाज्या शहर राख हो ज्यां जल कै
     तबाह मानवता हो ज्यागी खतम जंगल होज्या बल कै
     संसार बचाना होज्या रल कै अमरीका आग लगा देगा।।

     धुंए की परत का काम्बल आसमान मैं आ ज्यागा
     सूरज की रोशनी नै चूसै घनघोर अन्धेरा छाज्यागा
     घणा बैरी ठारा खाज्यागा जीव जन्तू नै गला देगा।।

     बरफ तै सीली होवै धरती उतर तै दक्षिण लहर चलै
     उतर का जिब नाश होवै नहीं दक्षिण का कहर टलै
     पूरा गांव और शहर गलै फेर खेती कौण उगा देगा।।

     खाणे की चेन समुन्द्र मैं तहस नहस भाई हो ज्यागी
     मानव पेड़ और पौध्यां की भूख में तबाही हो ज्यागी
     बचे नै बीमारी माई खोज्यागी रणबीर कौण जिवादेगा।।

     वार्ता: नफेसिंह को सरतो की लिखी चिट्ठी मिलती है। सरतो ने नफेसिंह के लिए चिन्ता जताई है। वह लिखता है कि पहले हमले के बाद से इराक पर प्रतिबन्ध लगा है। 5 लाख बच्चे भूख के कारण व बीमारी में दवाई की कमी के कारण मर चुके हैं। पिछले हमले से ही इराक उबर नहीं पाया है। इराक के तेल को दूसरे देशों में भेजने पर रोक है। परन्तु फिर भी लोग सद्दाम को बहुत चाहते हैं। हां कुर्द लोग तथा एकाध सम्प्रदाय के लोग जरूर सद्दाम को दूसरी नजर से देखते हैं। इराक के लोग व सद्दाम वे बारे में क्या सोचते हैं वह लिख कर भेजता है।
     धन-धन सै सद्दाम तनै, बुश की थामी लगाम तनै
     विश्व याद करै तमाम तनै, यो तेरा नाम अमर होग्या।।

     दोगली नीति अमरीका की, धौंस पट्टी अमरीका की
     बुश नै डंडे का जोर दिखाया, इराक बिना बात चोर बताया
     तनै संघर्ष का दौर सिखाया, यो तेरा नाम होग्या।।

     अमरीका की सेना भारी सै, बेशरमी चौड़े मैं दिखारी सै
     इराक झुकाना आसान कड़ै, बुश तनै यो उनमान कड़ै
     फांसी तै मरया सद्दाम कड़ै, उसका नाम अमर होग्या।।

     सद्दाम नै हंस कै फांसी खाई, नकाब ओढण की करी मनाही
     दुनिया तै दिया सही पैगाम, बुश तो चाहता तेल तमाम
     अमरीका कै कसो लगाम, यो तेरा नाम अमर होग्या।।

     इराकी बहादुरी दिखावैंगे, कोन्या अपना शीश झुकावैंगे
     रणबीर सिंह का गाम बरोना, सिख्या मुश्किल छन्द पिरोना
     अमरीका का काम घिनोना, ये तेरा नाम अमर होग्या।।

     वार्ता: सद्दाम को फांसी की सजा सुनाई गई तो सरतो को बहुत बुरा लगता है। फिर अगले दिन खबर आती है कि कोई दलील, अपील नहीं मानी गई और फांसी का वक्त तय कर दिया गया। 30 दिसम्बर को टी.वी. पर फांसी का सीन देखती है तो रो पड़ती है सरतो और क्या कहती है:
     सद्दाम नै पूरा इराक चाहवै, नफेसिंह नहीं झूठ भकावै,
     एकाध बै कुर्दां पै जुलम

     जनता खातर पूरी हमदर्दी, अमरीका दीखै उसनै खुदगर्जी
     ब्रिटेन फ्रांस जर्मनी सारे कै, कहैं युद्ध मत थोपो म्हारे पै
     कट्ठे हों सद्दाम के इशारे पै, याहे सै असली तसवीर गोरी।।

     देश भीतर बंदर बांट मचाकै, कुर्दां गेल्या सद्दाम लड़वाकै
     अमरीका चाहता मैं बैठूं आकै, याहे तो सै तसवीर गोरी।।
     पर इराकी बहादुरी दिखावैं, कोन्या अपना शीश झुकावैं
     दुनिया रोकैगी युद्ध घमसान, राम रहीम और रहमान
     शान्ति का करते गुणगान, याहे सै असली तसवीर गोरी।।

     अमरीका की सेना छारी सै, जुलमों सितम या
     इराक दबाना आसान कोन्या, बुश नै यो उनमान कोन्या
     रणबीर शैतान सै इन्सान कोन्या, याहे सै असली तसवीर गोरी।।

     वार्ता: एक दिन बिलासपुर गांव में ज्ञान विज्ञान समिति के चर्चा मण्डल की बैठक होती है। उसमें चर्चा अमरीका की दादागीरी पर होती है। वहां बताते हैं कि अमरीका बनाम शेष विश्व का मामला है यह! अमरीका किसी भी कीमत पर इराक में सरकार परिवर्तन चाहता है। सन् 1991 से अन्तहीन युद्ध इराक के खिलाफ चलाया जा रहा है। उस युद्ध में अमरीका के लड़ाकू विमानों और मिसाइलों ने 1,10,000 हवाई उड़ानें भरी थी और 88,500 टन बम गिराये थे। उस युद्ध में 1,50,000 इराकी मारे गये थे। घर, अस्पताल, स्कूल कुछ भी नहीं बख्शा था। मामला अमरीका और इराक का नहीं है। मसला ये है कि पूरी दुनिया में अमन बराबरी और मानवता वादी मूल्यों को स्थापित करना है या अमरीका का गलबा कायम होना है। वापिस आते हुए सरतो अपने मन-मन में नफेसिंह को याद करती है और क्या सोचती है भला:
     अमरीका मनै बतादे नै क्यों हुया इसा अन्याई तूं।।
     इराक देश नै मिटाकै नै किसकी चाहवै भलाई तूं।।

     खुद हथियार जखीरे लेरया ओरां पै रोक लगावै
     दस साल तै पाबन्दी लाकै इराक नै भूखा मारना चाहवै
     मतना इतने जुलम कमावै बणकै बकर कसाई तूं।।

     जमीनी लड़ाई बिना तेरै इराक हाथ नहीं आणे का
     इराक खतम करे बिना ना जमीनी कब्जा थ्याणे का
     गाणा सही गाणे का क्यों दुश्मन बण्या जमाई तूं।।

     खून मुंह कै लाग्या तेरै फिर अफगानिस्तान के मां
     मानवता कती पढ़ण बिठादी तनै सारे जहान के मां
     बची सै इन्सान के मां या खत्म करै अच्छाई तूं।।

     सब देशां मैं नारे उठे जंग हमनै चाहिये ना
     तेल की खातर ओ पापी लहू मानवता का बहाइये ना
     आगै फौज बढ़ाइये ना बस करणी छोड़ बुराई तूं।।

     वार्ता: सरतो को ज्ञान विज्ञान वालों का निमन्त्राण मिलता है रोहतक आने का, अमरीका के खिलाफ युद्ध के विरोध में जुलूस में शामिल होने का। सरतो अपनी सहेली सरोज के साथ मानसरोवर पार्क में पहुंच जाती है। वहां ज्ञान विज्ञान की नेता शुभा बताती है कि हम समझते हैं कि ज्ञान और विज्ञान का प्रयोग दुनिया को बेहतर बनाने के लिए, जरूरतों को पूरा करने में होना चाहिये न कि उनके भविष्य को छीनने के लिए। हैरानी की बात यह है कि युद्ध,आतंक, हिंसा और नशे का पूरी दुनिया में जाल बिछाने वाला अमरीका दूसरे देशों को दण्डित कर रहा है, उन पर आर्थिक प्रतिबन्ध लगा रहा है, तलाशियां ले रहा है और फतवे जारी कर रहा है।
     एक सर्वेक्षण के अनुसार 65 प्रतिशत अमेरिका जनता सुरक्षा परिषद की अनुमति के बिना हमले का विरोध करती है। बुश प्रशासन इराक पर व्यापक विनाश के हथियारों को रखने और इन हथियारों के उत्पादन की सहूलियतों को छिपाने का आरोप लगा रहा है। दूसरा झूठ है कि बिना किसी थोड़े से सबूत के इराकी सरकार को अलकायदा से जोड़ने की कोशिश में है ताकि उसे हमला करने का बहाना मिल सके। तीसरा झूठ यह है कि बुश ने घोषणा की है कि इराक को उसके राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन की निरंकुशता से मुक्त कराने के लिए युद्ध की जरूरत है। इस सरकार को बदल कर इराक में जनतन्त्रा लागू करने का वायदा किया गया है।
     इराक पर हमले के बहाने खोज रहा है अमरीका। मगर दुनिया की जनता ने सड़कों पर आकर बता दिया कि हमें युद्ध नहीं चाहिये। सरतो वापिस आ जाती है। रात को उसे सपना आता है। सुबह वह अपनी जिठानी से सुपने का जिकर करती है। क्या बताती है भला:
     के बताउं जिठानी तनै तेरा देवर सपने म्हां आया री।।
     देख कै हालत उसकी आई नहीं पहचान के म्हां काया री।।

     बिखरे बिखरे बाल थे उसके मूंछ और दाढ़ी बढ़ी हुई
     ना न्हाया ना खाया दीखै चेहरे की हड्डी कढ़ी हुई
     नींद एक गाड्डी चढ़ी हुई घणी चिन्ता के म्हां पाया री।।

     बैठी होले न्यों बोल्या जंग के पूरे आसार होगे
     सारी दुनिया युद्ध ना चाहवै अमरीकी मक्कार होगे
     माणस लाखां हजार होंगे मिलकै सबने नारा लाया री।।

     चीं करकै जहाज हवाई आसमान मैं आन्ता दिख्या
     बटन दाब कै बम्ब गेरया पति मनै कराहन्ता दिख्या
     दरद मैं चिल्लान्ता दिख्या उनै हाथ हवा मैं ठाया री।।

     इतना देख कै मनै अपनी छाती पै हाथ फिरा देख्या
     आंख उघड़गी मेरी घबराकै घोर अन्ध्ेरा निरा देख्या
     रणबीर सिंह नै घिरा देख्या तुरत मदद कै म्हां आया री।।

     वार्ता: नफेसिंह उसका दोस्त अमर और तीन-चार इराक निवासी आपस में चरचा कर रहे हैं। नफे सिंह कहता है कि अमरीका इराक पर हमला करके उसके तेल के श्रोतों पर कब्जा करना चाहता है और पूरे एशिया में अमरीका हितों को आगे बढ़ाना चाहता है। सद्दाम हुसैन को हटाकर अपनी पिट्ठू सरकार थोंपने का मंसूबा अमरीका ने बना लिया लगता है। इराक के बाद उत्तरी कोरिया को भी सबक सिखाने का ऐलान किया है। असल में अमरीका पूरी दुनिया में अपना गलबा कायम करना चाहता है। क्या बताया कवि ने:
     फौज के दम पै बुश नै अमरीका नम्बर एक बनाया।।
     चौदहा लाख सतरा हजार का मिलट्री बेड़ा कसूत सजाया।।

     चालीस तै लेकै आज ताहिं का पैंटागन का खरचा गिणाउं
     उन्नीस ट्रिलियन डालर खर्चे सुनियो सब खोल सुणाउं
     आगले चार साल मैं एक ट्रिलियम डालर खर्च बताउं
     सारी दुनिया मुट्ठी मैं करले झुकते सबके सिर दिखाउं
     बोल्या खबरदार जो किसै नै म्हारे कामां मैं रोड़ा अटकाया।।

     अमरीका क्ै सरमाये दारां की जंगी फौज रूखाल करैगी
     इनक्ै मुनाफै बचावण नै या दुनिया नै कंगाल करैगी
     इन बरगे हथियार जिनपै उनकी पूरी पड़ताल करैगी
     कर दुनिया की मण्डी काबू अमरीका नै मालोमाल करैगी
     पैंटागन क्ै धेंास पै संसार के म्हां लंगोट घुमाया।।

     जंग की मशीनां उपर खरचा इसनै खूब बढ़ाया आज
     चार सौ बिलियन डालर का खरचा बजट बनाया आज
     जिन देशां नै बी आंख उठाई उनको सबक सिखाया आज
     अमरीका नै दुनिया ताहिं मानवता का पाठ पढ़ाया आज
     बुश बोल्या जाहिल जगत तै विकास का सबका सिखाया।।

     एक की उसे बात पर देखी खूब लड़ाई करती रै
     दूजे की उसे बात पर देखी घणी बुराई करती रै
     कई बै जालम फौज उसकी घणी अंघाई करती रै
     दूजे के हथियार देखैं ना अपनी सफाई करती रै
     रणबीर सिंह साची लिखै ना झूठा का साथ निभाया।।

     वार्ता: सरतो अखबार में पढ़ती है कि 1998 से इराक को बुनियादी तौर पर शस्त्राविहीन कर दिया गया। इराक की व्यापक विनाश के हथियारों की 90-95 प्रतिशत क्षमता को खत्म कर दिया गया है जिसकी पुष्टि की जा सकती है। इसमें रासायनिक, जैविक और नाभिकीय हथियार बनाने तथा लम्बी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों का निर्माण करने वाली सभी फैक्ट्रियों से सम्बन्ध्ति उपकरण और इन फैक्ट्रियों से बाहर आने वाले उत्पादों की भारी संख्या शामिल है। सरतो सोचती है कि इस सबके बावजूद अमरीका क्यों अड़ा हुआ है हमले करने पर। उसकी अपने देवर से चर्चा होती है। देवर अपने
     जमा ज्यान तै मारे देवर अमरीका अन्याई नै।।
     भाभी तेरा के खोस्या सै के दुख सरतो भरपाई नै।।

     इस साल का सुणले मिलट्री का खर्च गिणाउं
     बे उनमाना खर्च हुआ इन हथियारों पै दिखाउं
     कमाई खून पसीने की लूटै सै अमरीका बताउ
     नाश हुया सुणाउं बुश के जानै पीर पराई नै।।

     इराक के म्हां के होरया सै मनै सारी खोल बतादे
     क्यों बुश और सद्दाम भिड़े किसकी रोल बतादे
     भाभी क्यों दुखी होरी सै बात सही तोल बतादे
     किसके गलत बोल बतादे दिखा खोल बुराई नै।।

     टी.वी. अखबार रुक्के मारैं मेरे पै क्यों कुहावै सै
     आहमी साहमी कड़ै सेना एक तरफा धैंास जमावै सै
     उल्टा सुल्टा सुल्टा उल्टा इराक नै यो फंसावै सै
     सब नै सबक सिखावै सै सद्दाम की कर पिटाई नै।।

     हाली पानी और लंफगे हमनै लड़ते देखे थे
     डाकू फीमची रणबीर धक्का करते देखे थे
     सुधां खोसड़यां दूजै पै देश ना चढ़ते देखे थे
     ये गुण्डे ना पुजते देखे थे चमेली धापां मां जाई नै।।

     वार्ता: सरतो को चिट्ठी लिखने की तैयारी करता है नफेसिंह। वह लिखता है कि इराक पर हमला करके अमेरिका विश्व को यह बताना चाहता है कि कोई भी देश यदि महाशक्ति की इच्छा का उल्लंघन करने की कोशिश करेगा तो दंड से नहीं बच सकता। बाकी यहां हम अपने बचाव की पूरी तैयारी में हैं। तुम चिन्ता मत करना, मगर चिट्ठी लिखती रहना। क्या लिखता है भला:
     नहीं कोए चिट्ठी आई तेरी आन्ता मेरै सबर नहीं सै।।
     के होरया सै मेरी गेल्यां इसकी तनै खबर नहीं सै।।

     ठीक ठाक सही सलामत सूं फिकर मेरा करिये मतना
     पढ़ अखबारां नै सुबो सबेरी खामखा मैं डरिये मतना
     चिन्ता गात मैं भरिये मतना आच्छा घणा फिकर नहीं सै।।

     पीस्सा भेजूं तावल करकै बालकां का ध्यान करिये
     दोष अमरीका का सै सारा ना ओरां की कान धरिये
     तूं सद्दाम का बखान करिये आन्डी मैं कसर नहीं सै।।

     ब्रिटेन और अमरीका नै सिर अपना जोड़ लिया
     इटली अरब और जापान सबनै मिल तोड़ किया
     भारत ने मुंह मोड़ लिया समझ आवै हसर नहीं सै।।

     खाड़ी मैं किसका हुकम चलै इस बात पै जंग जारी
     रणबीर ताकत देख दुनिया की बुश कै अधरंग मारी
     इराक मैं उमंग भारी छोड्डी अपनी डगर नहीं सै।।

     वार्ता: सरतो नफेसिंह की चिट्ठी पढ़कर क्या सोचती है भला:
     कई स्वारथ साध्ेा चाहवै अमरीका जंग की आड़ मैं।।
     दुनिया नै डराना चाहवै लगा टीका सब की जाड़ मैं।।
                                                   
     इराक को बुश नै ध्ुारी बुराई की बताया आज
     काल ताहिं सद्दाम बढ़िया भूण्डा क्यों दिखाया आज
     इराक इरान उत्तर कोरिया एक साथ बिठाया आज
     आतंकवाद के बाबू नै देखो इराक सताया आज
     क्यूकर होवै तेल बंटाई फंसगे आपस की राड़ मैं।।

     उसके पिट्ठू इराकी जितने सबमैं लाखां डालर बांटे
     कटपुतली सरकार ताहिं उसनै अपने गुर्गे छांटे
     गुप्त योजना घड़ी बताई सब ताहि बतावण तै नाटे
     जिननै सवाल करया कोई वे घणी कसूती
     अपणी मण्डी बधवण ताहि आग लाई देशां की बाड़ मैं।।

     नब्बे मैं बम्ब बरसाकै इराक मैं लाखां लोग मार दिये
     महिला बच्चे और बूढ़े बिन मौत के घाट उतार दिये
     दो हजार पाउंड का बम्ब इराक पै कसूते वार किये
     पाबन्दी चाली आवै जिबतै भूख नै लोग बीमार किये
     अमरीका देखै स्वारथ अपना बाकी जाओ सब भाड़ मैं।।

     इजराइल फिलीस्तीन नै घणी कसूती
     अमरीका इजराइल का क्यों जमकै नै साथ निभावै
     प्रधानमंत्राी मारया जिसनै उनै शांति पुरुष बतावै
     बिन लादेन का यारी बता सद्दाम नै सबक सिखावै
     कहै रणबीर भरैगी बुड़का जनता बुश की नाड़ मैं।।

     वार्ता: अमरीका की पीस आन्दोलन की महिला भारी युद्ध विरोधी जलूस में शामिल होती है। कई लाख लोगों का जलूस था। ब्रिटेन में भी उसी दिन 20 लाख से ज्यादा लोग युद्ध विरोधी आन्दोलन की पुकार पर सड़कों पर उतर आते हैं। वह महिला बुश को एक पत्रा लिखती है। उसमें क्या लिखा भला:
     तीन झूठ बुश तेरे सबकै साहमी ल्याउंगी।।
     चेहरे पीछे की कालस सबनै आज दिखाउंगी।।

     पहला झूठ तनै बताया इराक के हथियारां का
     ये तेरे भरे जखीरे निरीक्षण दूजे गलियारां का
     तेरे तिरछे इशारयां का भेद आज बताउंगी।।

     दूसरा झूठ अलकायदा की इराक गेल्यां यारी का
     कोए सबूत पाया कोण्या तेरी झूठी होशियारी का
     तेल की बीमारी का राज सबनै समझाउंगी।।

     तीजा झूठ तेरा जालिम बताया आज सद्दाम तनै
     तख्ता पलट के तरीवेफ सोचे घटिया तमाम तनै
     खुलवाई सै लगाम तनै चाबुक तेरै लगाउंगी।।

     मानवता का बैरी सै तूं इसका मनै बेरा बताउं
     ना अपणी बुराई देखै सद्दाम कै दिया घेरा बताउं
     सारा कसूर तेरा दिखाउं रणबीर पै लिखवाउंगी।।


किस्सा चन्द्रद्रशेखर आजाद

                
     अठारह सौ सतावण की आजादी की पहली जंग में लाखों लोगों ने कुर्बानियां दीं। उसके बाद अंग्रेजों का दमन का दौर और तेज हो जाता है। देश में पनपी हिन्दू-मुस्लिम एकता को तोड़ने के कुप्रयास किये जाते हैं। किसानों पर उत्पीड़न बेइन्तहा किया जाता है। ऐसे समय में भावरा गांव में चन्द्रशेखर आजाद का जन्म होता है। क्या बताया भला:
रागनी 1
तर्ज: चौकलिया
टेक  दूर दराज का गाम भावरा, पैदा चन्द्रशेखर आजाद हुया।।
     दुपले पतले बालक तै घर, तेईस जुलाई नै आबाद हुया।।

     मुगलां के पिट्ठू यूरोप के, सारे कै व्यौपारी छाये फेर दखे
     ईस्ट इन्डिया कम्पनी नै चारों, कान्हीं पैर फैलाये फेर दखे
     अंग्रेजां नै भारत उपर शाम, दाम, दण्ड भेद चलाये फेर दखे
     देश के नवाबां नै फिरंगी साहमी, गोड्डे टिकाये फेर दखे
     किसानां नै करया मुकाबला उनका तै न्यारा अन्दाज हुया।।
     ठारा सौ सत्तावण मैं आजादी की पहली जंग आई फेर
     आजादी के मतवाले वीरां नै कुर्बानी मैं नहीं लाई देर
     फिरंगी शासक हुया चौकन्ना गद्दारां की थी कटाई मेर
     हटकै म्हारे भारत देश पै घणी कसूती छाई अन्ध्ेार
     भारत की जनता नहीं मानी चाहे सब कुछ बरबाद हुया।।
     भुखमरी आवै थी तो भूख तै कदे लोग मरे नहीं थे
     अंग्रेजां के राज मैं अकाल खेत बचे हरे भरे नहीं थे
     टैक्स वसूल्या गाम उजाड़े लोग फेर बी डरे नहीं थे
     वुफछ हुये गुलाम कई नै जमीर गिरवी धरे नहीं थे
     विद्रोह की राही पकड़ी कुछ नै क्रान्ति का आगाज हुया।।
     युगान्तर अनुशीलन संगठन उभर कै आये बंगाल मैं
     कांग्रेस मैं गान्धी का स्वदेशी सहज सहज आया उफान मैं
     चोरा चोरी मैं गोली चाली चौकी जलाई इसे घमसान मैं
     गान्धी नै वापिस लिया निराशा छाई थी नौजवान मैं
     रणबीर चन्द्रशेखर इसे बख्त क्रान्ति की बुनियाद हुया।।
     गांव के हालात काफी खराब थे। चन्द्रशेखर का परिवार भी आर्थिक स्तर पर कमजोर था। चन्द्रशेखर गांव से चलकर शहर में आ जाता है और छोटा-मोटा काम
रागनी-2
तर्ज: चौकलिया
     गाम तै चाल चन्द्र शेखर शहर कै मैं आया फेर।।
     छोटा मोटा काम मिल्या रैहण का जुगाड़ बनाया फेर।।

     एक कमरे मैं कई रहवैं मुश्किल सोना होज्या था
     आधी बारियां भूखे प्यासे भीतरला सबका रोज्या था
     आजाद देखकै हालत नै वो अपणा आप्पा खोज्या था
     बीड़ी पी पी कै धुमा भरज्या कौन नींद चैन की सोज्या था
     देख हालत मित्रा प्यारयां की आजाद दुख पाया फेर।।
     दिल मैं सोची शहर मैं खामखा आकै ज्यान फंसाई
     उल्टा जांगा गाम मैं तो कसूती होवैगी जग हंसाई
     आड़े क्यूकर रहूं घुट कै कोन्या बात समझ मैं आई
     तिरूं डूबूं जी होग्या उसका हुई मन तै खूब लड़ाई
     न्यों तो बात बणैगी क्यूकर उसनै दिल समझाया फेर।।
     गरीबी के के काम करवादे इसका बेरा पाट गया
     फिरंगी की लूट का अहसास उंका कालजा चाट गया
     सोच सोच इन बातां नै वो दिल अपणे नै डाट गया
     जी हजूरी उनकी करने तै आजाद जमा नाट गया
     क्रान्ति का झन्डा आजाद नै पूरे मन तै ठाया फेर।।
     भगतसिंह राजगुरु तै उसनै तार भिड़ाये फेर
     सुखदेव शिव वर्मा हर बी उनकी गेल्यां आये फेर
     कई महिला साथ आई इन्कलाब के नारे लाये फेर
     जनून छाया सबमैं घणा मुड़कै नहीं लखाये फेर
     रणबीर मरने तक उसनै था वचन निभाया फेर।।
     वहां शहर में चन्द्रशेखर सहज सहज क्रान्तिकारियों के सम्पर्क में आ जाता है। सुखदेव, राजगुरु, शिव वर्मा, भगतसिंह के साथ उसका तालमेल बनता है। वह आजादी की लड़ाई का एक बहादुर सिपाही का सपना देखने लगता है। वह अपनी जिन्दगी दांव पर लगाने की ठान लेता है। क्या बताया फिर-
रागनी-3
तर्ज: चौकलिया
     चन्द्रशेखर आजाद नै अपणी जिन्दगी दा पै लादी रै।।
     फिरंगी गेल्या लड़ी लड़ाई उनकी जमा भ्यां बुलादी रै।।

     फिरंगी राज करैं देश पै घणा जुलम कमावैं थे
     म्हारे देश का माल कच्चा अपणे देश ले ज्यावैं थे
     पक्का माल बना कै उड़ै उल्टा इस देश मैं ल्यावैं थे
     कच्चा सस्ता पक्का म्हंगा हमनै लूट लूट कै खावैं थे
     भारत की फिरंगी लूट नै आजाद की नींद उड़ादी रै।।
     किसानां पै फिरंगी नै बहोत घणे जुलम
     खेती उजाड़ दई सूखे नै फेर बी लगान बढ़ाये थे
     जो लगान ना दे पाये उनके घर कुड़क कराये थे
     किसानी जमा मार दई नये नये कानून बनाये थे
     क्रान्तिकारियां नै मिलकै नौजवान सभा बना दी रै।।
     जात पात का जहर देश मैं इसका फायदा ठाया था
     आपस मैं लोग लड़ाये राज्यां का साथ निभाया था
     व्हाइट कालर आली शिक्षा मैकाले लेकै आया था
     साइमन कमीशन गो बैक नारा चारों कान्हीं छाया था
     म्हारी पुलिस फिरंगी नै म्हारी जनता पै चढ़ा दी रै।।
     जलियां आला बाग कान्ड पापी डायर नै करवाया था
     गोली चलवा मासूमां उपर आतंक खूब फैलाया था
     मनमानी करी फिरंगी नै अपना राज जमाया था
     जुल्म के खिलाफ आजाद नै अपना जीवन लाया था
     रणबीर नै तहे दिल तै अपणी कलम चलादी रै।।
     1921 में असहयोग आन्दोलन की लहर उठती है पूरे देश में। जगह-जगह पर प्रदर्शन, धरने किये जाते हैं। महात्मा गान्धी इस आन्दोलन के अग्रणी नेता थे। उधर ज्योतिबा फुले अपने
रागनी 4
     उन्नीस सौ इक्कीस मैं असहयोग आन्दोलन की जंग छिड़ी।।
     सारे हिन्दुस्तान की  जनता फिरंगी गेल्या आण भिड़ी।।

     जलूस काढ़ते जगां जगा पै गांधी की सब जय बोलैं
     भारत के नर नारी जेल गये जेल के भय तै ना डोलैं
     कहैं जंजीर गुलामी की खोलैं आई संघर्ष की आज घड़ी।।
     नौजवान युवक युवती चाहवैं देश आजाद कराया रै
     कल्पना दत्त नै कलकत्ता मैं चला गोली सबको बतलाया रै
     आजादी की उमंग उनमैं भरी नौजवान सभा बनी कड़ी।।
     ज्योतिबा फुले का चिंतन दलितां नै बार बार पुकारै था
     मनु नै जो बात लिख दी उन बातां नै जड़ तै नकारै था
     नवजागरण की चिंगारी देश मैं सुलगी कई जगां बड़ी।।
     एक माहौल आजादी का चारों कान्हीं जन जन मैं छाया रै
     गांधी और भगतसिंह का विचार आपस मैं टकराया रै
     रणबीर सिंह नै सोच समझ कै नये
     चन्द्रशेखर आजाद अपना रहने का स्थान बदलता रहता था। पुलिस क्रान्तिकारियों के पीछे लगी रहती। सातार नदी के किनारे आजाद एक कुटिया में साधु के भेष में रहने लगता है। पास के गांव में कत्ल हो जाता है। पुलिस की आवाजाही बढ़ जाती है। चन्द्रशेखर कैसे बचाता है अपने आपको:
रागनी 5
     सातार नदी के काठै आजाद एक कुटिया मैं आया।।
     साधु भेष धार लिया नहीं पता किसे ताहिं बताया।।

     जिब बी कोए साथी पुलिस की पकड़ मैं आज्या था
     आजाद ठिकाना थोड़ी वार मैं कितै और बणाज्या था
     इसे सूझबूझ के कारण पुलिस तै ओ बच पाया।।
     पास के गाम मैं एक बै किसे माणस का कत्ल हुया
     चरचा होगी सारे कै फेर पुलिस का पूरा दखल हुया
     पुलिस दरोगा तफतीस करी कुटी मैं फेरा लाया।।
     दरोगा नै देख कै आजाद बिल्कुल ही शान्त रहया
     ध्यान तै सुण्या सब कुछ जो दरोगा नै उंतै कहया
     बोल्या धन्यवाद दरोगा जी आगै फेर जिकर चलाया।।
     साध्ुाआं का ठोर ठिकाना यू सारा संसार दरोगा जी
     छोड़ दिया बरसां पहलम यू घर परिवार दरोगा जी
     रणबीर आजाद नै न्यों दरोगा तै पीछा छटवाया।।
     बाबा जी की मढ़ी में पुलिस अपना डेरा डाल देती है। क्रान्तिकारी मढ़ी का निरीक्षण करने पहुंचते हैं कि पुलिस वालों को क्या ठिकाने लगाया जा सकता है। क्या बताया भला:
रागनी 6
     क्रान्तिकारी टोली आई रै बाबा जी की मढ़ी मैं।।
     दोनूआं नै शीश नवाई रे बाबा जी की मढ़ी मैं।।

     भगतां की टोली मैं उननै पूरी सेंध लगाई फेर
     चीलम की उनकी बी थोड़ी वार मैं बारी आई फेर
     आजाद तै चीलम पकड़ाई रै बाबा जी की मढ़ी मैं।।
     कदे बीड़ी बी पी कोन्या चीलम हाथ मैं आई
     घूंट मारकै चीलम फेर राजगुरु तै पकड़ाई
     राजगुरु नै दम लगाई रै बाबा जी की मढ़ी मैं।।
     मढ़ी का पूरा पूरा उसनै हिसाब लगाया फेर
     माणस घणे मारे जांगे उनकी समझ आया फेर
     आंख तै आंख मिलाई रै बाबा जी की मढ़ी मैं।।
     प्रणाम करकै बाबा जी नै दोनूं उल्टे आये थे
     बाकी टोली आल्यां तै मढ़ी के हालात बताये थे
     रणबीर करै कविताई रै बाबा जी की मढ़ी मैं।।
     दो पुलिस वालों से आजाद व राजगुरु का आमना सामना मढ़ी में हो जाता है। साधु को अपनी चिन्ता होती है। पुलिस वाले अपने अपने
रागनी 7
     आहमी साहमी होगे चारों एक पल तक आंख मिली।।
     न्यारे न्यारे दिमागां मैं न्यारे  

     साधु सोचै फंसे खामखा यो आजाद मनै मरवावैगा
     आजाद सोचै दोनूं पुलिसिया क्यूकर इनतै टकरावैगा
     एक सिपाही सोचै आजाद पै इनाम तै थ्यावैगा
     दूजा सोचै नाम हो मेरा इनाम सारा मेरे बांटै आवैगा
     के तूं आजाद सै सुण कै बी चेहरे पै उसके हंसी खिली।।
     नहीं चौंक्या आजाद जमा सादा भोला चेहरा बनाया
     साध्ुा तो हमेशा आजाद हो सै कोए भाव नहीं दिखाया
     पुलिसिया कै शक होग्या पुलिस थाने का राह बताया
     हनुमान की पूजा करनी हमनै वार हो बहाना बनाया
     दरोगा तै हनुमान बडडा कैहकै उसकी थी दाल गली।।
     आगरा शहर क्रान्तिकारियों के शहर की तरह जाना जाने लगा था। आजाद कभी आगरा कभी कानपुर अपने डेरे बदलता रहता था। दूसरों को भी चौकन्ना रहने को कहता था। एक बार एक जगह आजाद फंस जाता है तो कैसे निकलता है। क्या बताया भला:
रागनी 8
तर्ज: चौकलिया
     आगरा शहर एक बख्त क्रान्तिकारियां का शहर बताया।।
     फरारी जीवन बिता रहे चाहते अपणा आप छिपाया।।

     कदे झांसी और कदे आगरा मैं आकै रहवै आजाद
     जितने दिन रहै आगरा रहो चौकन्ने कहवै आजाद
     बारी बारी सब पहरा देते
     साथी रात पहरे पै सोग्ये उठकै सब लहवै आजाद
     पहरा देने आला साथी फेर बहोत करड़ा धमकाया।।
     साथी सुणकै चुप रैहग्या उसकी आंख्या पानी आग्या रै
     देख कै रोवन्ता उस साथी नै आजाद घणा दुख पाग्या रै
     ड्यूटी पहलम खत्म करादी खुद पै बेरा ना के छाग्या रै
     कोली भरली प्यार जताया उसनै अपनी छाती लाग्या रै
     अनुशासन और प्यार का आजाद नै जज्बा दिखाया।।
     कानपुर मैं दोस्त धेारै आजाद नै कुछ दिन बिताये
     कांग्रेसी माणस व्यापारी लेन देन करते बतलाये
     सलूनो का दिन पत्नी नै बूंदी के लड्डू बनवाये
     परांत मैं भरकै चाल पड़ी पुलिस दरोगा घर मैं आये
     पुलिस आले कै बांध राखी उसनै भाई तत्काल बनाया।।
     बोली माड़ा झुकज्या नै च्यार लाड्डू उसतै थमा दिये
     परांत सिर पै आजाद कै दरोगा जी बेवकूफ बना दिये
     इसा बर्ताव देख दरोगा नै सब भेद बता दिये
     फिरंगी नजर राखता जिनपै नाम सबके गिना दिये
     रणबीर बरोने आले नै यो आजाद घणा कसूता भाया।।
     झांसी के पास राजा का पिछलग्गू एक सरदार था। उसके यहां रहकर आजाद ने कुछ वक्त बिताया। यहां कई लोगों को निशानेबाज बनाया। राजा के बैरी क्रान्तिकारियों को उकसाते थे कि राजा को मारकर धन लूट लो। मगर आजाद इसे ठीक नहीं मानता - क्या बताया भला:
रागनी 9
तर्ज: चौकलिया
     झांसी धौरे एक राजा का चमचा सरदार बताया रै।।
     आजाद नै थोड़े दिन उड़ै अपणा बख्त बिताया रै।।

     झांसी के क्रान्तिकारी निशाना लाणा सिखा दिये
     अचूक निशाना साधन मैं पारंगत सभी बना दिये
     राजा मार कै धन जुटाओ रास्ते कुछ नै बता दिये
     बैरी राजा के सलाह देवैं अन्दाजे आजाद लगा लिये
     टाल मटौल कर आजाद नै मौका टाल्या चाहया रै।।
     राजा के बैरी बोले के पाप जुल्मी नै मारण का
     कंस मारण खातर के पाप कृष्ण रूप धारण का
     के हरजा खोल बता मौत के घाट तारण का
     आजाद बोल्या मसला सै गहराई तै विचारण का
     हिंसा म्हारी मजबूरी सै आजाद नै समझाया रै।।
     या मजबूरी म्हारे पै शासक आज के थोंप रहे
     झूठ भकावैं और लूटैं चाकू कसूते घोंप रहे
     सच्चाई का लाग्या बेरा माणस सारे चोंक रहे
     हम चटनी गेल्यां खाते ये लगा घीके छोंक रहे
     हत्यारे कोन्या हम दोस्तो चाहते देश आजाद कराया रै।।
     नेक इरादा नेक काम का ध्येय सै म्हारा यो
     नेक तौर तरीके अपणावां सार बात का सारा यो
     आजादी म्हारी मंजिल सै फरज म्हारा थारा यो
     रणबीर सिंह की कविताई सही लिखै नजारा यो
     नरहत्या का आजाद विरोधी उसनै इसा जज्बा दिखाया रै।।
     साधु बाबा के पास अमूल्य रतन था। उसे बाबा से हथिया कर क्रान्तिकारी हथियार खरीदना चाहते थे। सलाह की। बाबा की कुटी देखने गये। मगर कई आदमी मारे जाने के भय से उन्होंने यह योजना नहीं बनाई। आजाद और क्रान्तिकारी किसी के जीवन से खिलवाड़ नहीं करते थे। क्या बताया भला:
रागनी 10
तर्ज: चौकलिया
     अमूल्य रतन उसके धौरे साधु  का बेरा पाड़ लिया।।
     गंगा जी के घाट कुटिया राह गोन्डा ताड़ लिया।।

     बैठ कै बतलाये सारे बाबा जी पै रतन ल्यावां
     बेच कै उसनै हथियारां का हम भण्डार खूब बढ़ावां
     योजना बना घणी पुख्ता रात अँधेरी  मैं जावां
     डरा धमका बाबा जी नै योजना सिरै चढ़ावां
     सोच हथियारां का फेर थोड़ा घणा जुगाड़ लिया।।
     गुलाबी ठण्ड का मौसम रात जमा अन्धेरी थी
     अँधेरे  बीच चसै दीवा छटा न्यारी बखेरी थी
     रात नौ बजे भगतां की संख्या उड़ै भतेरी थी
     चरस की चीलम चालैं दुनिया तै आंख फेरी थी
     गांजा पीवैं जोर लगाकै कर घर कसूता बिगाड़ लिया।।
     राजगुरु आजाद नै तुरत स्कीम एक बनाई थी
     शामिल होगे साधुआं मैं चीलम की बारी आई थी
     मारी घूंट अपणी बारी पै देर कति ना लाई थी
     चीलम पीगे जिननै कदे बीड़ी ना सुलगाई थी
     सारी बात निगाह लई देख कुटी का कबाड़ लिया।।
     वापिस आकै न्यों बोले काम नहीं सै होवण का
     माणस घणे मारे जावैंगे माहौल बणैगा रोवण का
     रतन बदले इतने माणस तुक नहीं सै खोवण का
     चालो उल्टे चालांगे समों नहीं जंग झोवण का
     रणबीर नहीं आजाद नै जीवन से खिलवाड़ किया।।
     साइमन कमीशन भारत में आता है। उसका विरोध पूरे भारत में होता है। पंजाब में भी विरोध किया जाता है। अंग्रेजों की पुलिस अत्याचार करती है। लाला लाजपतराय पर लाठियां बरसाई जाती हैं। वे शहीद हो गये। बदला लेने को क्रान्तिकारियों ने साइमन को मारने का प्रण किया। साण्डरस मारा जाता है। चानन सिपाही क्रान्तिकारियों के पीछे भागता है भगतसिंह और राजगुरु के पीछे। आजाद गोली चलाता है चानन सिंह को गोली ठीक निशाने पर लगती है। आजाद को बहुत दुख होता है चानन सिंह की मौत का। क्या बताया भला:
रागनी 11
तर्ज: चौकलिया
     साइमन कमीशन गो बैक नारा गूंज्या आकाश मैं।।
     साण्डर्स कै गोली मारकै पहोंचा दिया इतिहास मैं।।

     राजगुरु की पहली गोली साण्डर्स मैं समा गई थी
     भगतसिंह की पिस्तौल निशाना उनै बना गई थी
     चानन सिंह सिपाही कै लाग इनकी हवा गई थी
     पाछै भाज लिया चानन बन्दूक उसनै तना दई थी
     दोनूआं के बीच कै लाया अचूक निशाना खास मैं।।
     थोड़ी सी चूक निशाने की घणा पवाड़ा धर जाती
     भगतसिंह कै राजगुरु का सीना छलनी कर जाती
     आजाद जीवन्ता मरता क्रान्तिकारी भावना मर जाती
     आजादी के परवान्यां के दुर्घटना पंख कतर जाती
     आजाद गरक हो ज्याता आत्मग्लानि के अहसास मैं।।
     चानन सिंह के मारे जाने का अफसोस हुया भारी था
     आजाद नै जीवन प्यारा था वो असल क्रान्तिकारी था
     खून के प्यासे आतंकवादी प्रचार यो सरकारी था
     सूट एट साइट का उड़ै फरमान हुया जारी था
     विचलित कदे हुया कोन्या भरया हुआ विश्वास मैं।।
     कठिन काम तै घबराया ना चन्द्रशेखर की तासीर थी
     आजाद भारत की उसकै साहमी रहवै तसबीर थी
     इसकी खातर दिमाग मैं कई
     आजाद नै चौबीस घन्टे दीखैं गुलामी की जंजीर थी
     रणबीर आजाद कैहरया फायदा म्हारे इकलास मैं।।
     एक दिन राजगुरु एक महिला की तसवीर वाला एक कैलेंडर लाकर कमरे में टांग देता है। आजाद कैलेंडर देखकर नाराज होता है और उतार कर फैंक देता है। दोनों में कहासुनी होती है। क्या बताया भला:
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     आगरा मैं थे क्रान्तिकारी उस बख्त की बात सुणाउं मैं।।
     आजाद और राजगुरु बीच छिड़या यो जंग दिखलाउं मैं।।

     राजगुरु नै फोटो आला कलैण्डर ल्याकै टांग दिया
     आजाद नै टंग्या देख्या अखाड़ बाढ़ै वो छांग दिया
     बोल्या उलझ तसबीरां मैं फिसलैंगे न्यों समझाउं मैं।।
     राजगुरु आया तो बूझया कलैंडर क्यों पाड़ बगाया
     आजाद बोल्या क्रान्ति का क्यों तनै बुखार चढ़ाया
     क्यों सुन्दर तसबीर पाड़ी यो सवाल बूझणा चाहूं मैं।।
     सुन्दर महिला की थी ज्यांतै पाड़ी सै तसबीर मनै
     दोनूं काम साथ ना चालैं पाई अलग तासीर मनै
     राजगुरु भाई गुस्सा थूक दे कोन्या झूठ भकाउं मैं।।
     एक गाडडी के दो पहिये बीर मरद बतलाये सैं
     सुन्दरता बिना संसार किसा सवाल सही ठाये सैं
     आजाद मुलायम हो बोल्या आ बैठ तनै समझाउं मैं।।
     सन् 1921 में असहयोग आन्दोलन बड़े पैमाने पर शुरू हो जाता है। नवजागरण की लौ शहर गाम हर जगह पहोंचने लगती है। गांधी और भगतसिंह के विचार लोगों के सामने आते हैं। उनके बीच टकराव भी सामने आता है। क्या बताया भला:
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     उन्नीस सौ इक्कीस मैं असहयोग आन्दोलन की जंग छिड़ी।।
     पूरे भारत की जनता फिरंगियां गेल्यां फेर आण भिड़ी।।

     जलूस काढ़ते जगां जगां पै गांधी की सब जय बोलैं
     भारत के नर नारी जेल गये जेल के भय तैं ना डोलैं
     कहैं जंजीर गुलामी की खोलैं आई संघर्ष की आज घड़ी।।
     नौजवान युवक युवती चाहवैं देश आजाद कराया
     कल्पना दत्त नै कलकत्ता मैं चला गोली सबको बताया
     आजादी की उमंग सबमैं भरी नौजवान सभा बनी कड़ी।।
     ज्योतिबा फुले का चिंतन दलितां नै बार बार पुकौर था
     मनु नै जो बात लिख दी उन बातां नै जड़तै नकारै था
     नवजागरण की चिंगारी देश मैं सुलगै जगां जगां पड़ी।।
     एक माहौल आजादी का चारों कान्ही जन जन मैं छाया फेर
     गांधी भगतसिंह का विचार आपस मैं टकराया फेर
     कहै रणबीर बरोने आला
     एक हिस्सा क्रान्तिकारियों को आतंकवादी के रूप में देखता है। फिरंगी भी क्रांतिकारियों के बारे में आतंकवाइी कर इस्तेमाल करके तरह तरह की भ्रान्तियां फैलाने का पुरजोर प्रयास करते हैं। खूनी संघर्ष और अहिंसा के बीच बहस तेज होती है। क्या बताया भला:
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     क्रान्किारी हत्यारे कोन्या सन्देश दुनिया मैं पहोंचाया रै।। 
     जीवन तै प्यार घणा सै परचे मैं लिख कै बतलाया रै।।

     जीवन तै प्यार ना होतै बढ़िया जीवन ताहिं क्यों लड़ैं
     अत्याचार और जुलम के साहमी हम क्रान्तिकारी क्यों अड़ैं
     फिरंगी साथ जरूर भिड़ैं आजादी का सपना भाया रै।।
     शोषणकारी चालाक घणा पुलिस फौज के बेड़े लेरया
     म्हारे साथी कर कर भरती भारत देश नै गेड़े देरया
     खूनी संघर्ष कमेड़े लेरया फिरंगी समझ पाया रै।।
     तख्ता पलट करने नै हथियार उठाने पड़ ज्यावैं
     घणा नरक हुया जीवन सब घुट घुट कैनै मर ज्यावैं
     नींव जरूरी धरज्यावैं समाज बराबरी का चाहया रै।।
     समतावादी समाज होगा ये शोषण भारी रहै नहीं
     बिना ताले के घर होंगे कितै चोरी जारी रहै नहीं
     लूट खसोट म्हारी रहै नहीं रणबीर छन्द बनाया रै।।

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     फिरंगी सरकार मूंगी तै अपणी बात सुणाणी चाही।।
     असैम्बली मैं बम ंफैंकण की फेर पुख्ता स्कीम बनाई।।

     आठ अप्रैल का दिन छांट्या थोड़ा खुड़का करने का
     अहिंसा वेफ
     जनता मैं जोश भरने का सही रास्ता टोहया भाई।।
     दमनकारी कानून देश पै वे लगाया चाहवैं थे
     क्रान्तिकारी बात अपणी उड़ै पहोंचाया चाहतैं थे
     फिरंगी नै बताया चाहवैं थे तूं सै जुलमी अन्याई।।
     बम पैंफक्या उसकी गेल्यां बांट्या एक परचा था
     पूरी दुनिया मैं उस दिन हुया गजब चरचा था
     कुर्बानी का भारया दरजा था भगतसिंह नै फांसी खाई।।
     परचे मैं लिख राख्या था किसा भारत हम बणावांगे
     सबनै शिक्षा काम सबनै हिन्द की श्यान बढ़ावांगे
     जात पात नै मिटावांगे रणबीर की या कविताई।।
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     शचीन्द्र नाथ की संगिनी प्रतिभा नै शोक जताया था।।
     राख जलूस था बड़ा भारी जो पार्क मैं आया था।।
     बोली खुदीराम बोस की राख का ताबीज बनाया था
     अपणे बालकां के गले मैं जनता नै वो पहनाया था
     प्रतिभा नै समझाया था जनून जनता मैं छाया था।।
     वा बोली राख आजाद की एक चुटकी लेवण आई
     इसा क्रान्तिकारी कित पावै अंग्रेजां की भ्यां बुलाई
     राख नहीं टोही पाई कुछ हिस्सा ए बच पाया था।।
     आजाद इस तरियां फेर आजाद हुया संसार तै
     पुलिस घबराया करै थी आजाद की एक हुंकार तै
     वा बोली सरकार तै आजाद ना कदे घबराया था।।
     फिरंगी का राज रणबीर ईंका खात्मा करां मिलकै
     जात पात नै भुला कै आजादी खातर मरां मिलकै
     शीश अपणे धरां मिलकै आजाद नै न्यों फरमाया था।।
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     जीवन्ते जी हाथ ना आउं आजाद नै किया ऐलान था।।
     कदे पुलिस हाथ ना आया घणा सजग इनसान था।।

     सताईस फरवरी का दिन इसका हाल सुणाउं
     सन उनीस सौ इकतीस का मैं सही साल बताउं
     आजाद घिरया दिखाउं अल्प्रैफड पार्क का मैदान था।।
     बैठ पार्क मैं लिया सपना आजाद भारत देश का
     चित्रा दिल मैं उभरया सब रंगा के समावेश का
     इन्तजार था सन्देश का ना पुलिस का अनुमान था।।
     दोनूं कान्हीं तै दनादन गोली चाली पार्क मैं डटकै
     कैसे बेरा लाया पुलिस नै बात आजाद कै खटकै
     पुलिस पास ना फटकै डर छाया बे उनमान था।।
     अचूक निशाने का माहिर चन्द्रशेखर आजाद था
     भारत देश आजाद कराणा पूरा उसनै आगाज था
     रणबीर नया अन्दाज था देना चाहया फरमान था।
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     अपणी पिस्तौल सिर अपणा जीन्ते जी काबू कोन्या आया।।
     मरे मरे पै गोली दागी इतना डर था पुलिस पै छाया।।

     अल्फ्रेंड  पार्क  मैं आहमी साहमी दनादन गोली चाली
     पुलिसिये कई जणे थे ऐकले नै कमान सम्भाली
     निशाना गया नहीं खाली अंग्रेज अफसर घबराया।।
     यूनिवर्सिटी के छात्रा उड़ै इकट्ठे हुये इतनी वार मैं
     खबर मौत की एक दम फैली सारे ही बाजार मैं
     पार्क के भीतर बाहर मैं कप्तान पुलिस का लखाया।।
     देख भीड़ पार्क के म्हां पुलिस नै गोली चलानी चाही
     कलैक्टर हालात समझग्या गोली की करी मनाही
     पुलिस बदलगी अपणी राही बिना गोली काम चलाया।।
     इलाहाबाद पूरा बन्द होग्या हड़ताल हुई थी भारी
     पान खोमचे आले शामिल थे अर तांगे की सवारी
     रणबीर कठ्ठी जनता सारी नारा इन्कलाब का लाया।।