बहुविविधता म्हारे देश की सुनियो आज सुणाऊं मैं ॥
जिस पत्थर की मूर्ती के पाहयों के मां पड़ते देख
उन मूर्तियों को मुसलमान कारीगर ही घड़ते देख
किस कारण फेर ये दोनूं क्यों आपस मैं भिड़ते देख
हिन्दू देवी देवताओं का मुसलमान ही व्यापर करते
हर सिंगार मूर्तियों का सब मुसलमान तैयार करते
ताजा ताजा फूल तोड़कै तैयार गले का हार करते
कदे कदीमी चलती आयी या कारोबार दिखाऊं मैं ॥
बहुविविधता म्हारे देश की सुनियो आज सुणाऊं मैं ॥
देवी देवताओं उप्पर हिन्दू जो प्रसाद चढ़ाते देखो
खील पतासे बूरा मखाने मुस्लिम भाई बनाते देखो
भोग लगाकै देवता का इणनै सारे हिन्दू खाते देखो
साधु जी जो खड़ाऊँ पहरे मन्दिर के मैं फिरता देख
भगवा कपडे मुस्लिम रंगता रँगरेज ही करता देख
दूकान लगाते मुस्लिम भाई जिब मेला भरता देख
कोए भावना नहीं सै द्वेष की कोन्या झूठ भकाऊँ मैं ॥
कदे यात्रा करी सै तमनै कैलाश मानसरोवर जाकै
हिन्दू यात्रियों का बोझा मुस्लिम ढोता सिर पै ठाकै
हिन्दू मुस्लिम रहे सैं मिलकै देखल्यो पाछे नै लखाकै
हिन्दू नारी के हाथों मैं चूड़ी सुहाग की पहचान कहैं
मांग मैं सिन्दूर भरणा महिला का होता सम्मान कहैं
इन दोनों का बनाने आला उसे भाई मुसलमान कहैं
इस विविधता का आड़ै हुया खूब आदर समझाऊँ मैं ॥