Tuesday, 14 February 2023

विभाजन के वक्त

 विभाजन के वक्त मुख्तियार सिंह और प्रीतम कौर का गांव पाकिस्तान में चला जाता है । दो जवान लड़कियां हैं उनकी। दंगे फसाद के डर से वे अपनी दोनों बेटियों को जहर देकर मारने पर मजबूर हो जाते हैं । क्या बताया भला:

 दिल लोगों के छेद रही खबर देश के बंटवारे की ।।

चारों कानी खून खराबा थी हालत हिन्द म्हारे की ।।

गांव उन लोगों ने सुन्या यो पाकिस्तान मैं अाग्या दखे 

हिंदू सिख जितने गांव के जीवन का भय खाग्या दखॆ 

दंगे शुरू हो गए देश मैं चूल हिली हिंद सारे की ।।

प्रीतम कौर का चेहरा सुनकै पीला पडग्या था 

दो जवान उनके घर में छोरी उनका पेच एडग्या था 

इनकी इज्जत कैसे बचैगी मनै चिंता इस बारे की ।।

पति बोला मनै भी प्रीतम इनकी चिंता घणी खावै 

दंगाई इज्जत पर हाथ गेरते ईसा सुनने मैं आवै

शरीर में जान जिब तक आंख फोडूं हत्यारे की ।।

एक अकेला कद ताहीं लडेगा इज्जत लुटज्या म्हारी 

जहर देदयां छोरियां नै चाही इजाजत पति मुख्तयारेे की।।

दो-चार दिन सोच सोच कै इस नतीजे पर आए थे 

जहर खरीद कै बाजार तैं मजबूरी मैं ल्याए थे 

छोरी पड़ी खाटों पै रोवै कलम रणबीर बेचारे की।।

इसी किताब

 इसी किताब 

म्हारे हाथों मैं मात मेरी या इसी किताब दे दे री।।

उलझे औड़ सवालां का जो सीधा जवाब दे दे री।

1

इसी मिशाल दुनिया मैं कदे किसे नै पाई हो

राम के घर मैं आग कदे खुद खुदा नै लाई हो

रामराज का नाम लेकै क्यों राज करै अन्याई हो

धर्म के नाम पै बस्ती क्यों गुजरात मैं जलाई हो

आजाद भगत सिंह सा जो इंकलाब दे दे री।।

2

बोले क्यों बेकूफ़ी करो तमनै के दीखता कोण्या

अंग्रेज के राज मैं सूरज कदे भी छिपता कोण्या

देख्या हमनै साच्चा माणस कदे बिकता कोण्या 

नेक कमाई सही राही तैं कदे बी डिगता कोण्या 

म्हारी कमाई कित जावै सारा हिसाब दे दे री।।

3

अच्छाई पै बुराई आज अपना रोब जमावै क्यों

सल्फास गोली मजबूरी मैं यो माणस खावै क्यों

महिला भी सुरक्षित कोण्या दोष इसे कै लावै क्यों

नौजवान बेरोजगार घूमता सारे देश मैं पावै क्यों

बढ़िया दुनिया बणावण का जो ख्वाब दे दे री।।

4

माणस क्युकर सुखी रहवै रास्ता सही दिखादे नै

झूठ साच का भेद खोल कै सबनै आज बतादे नै

धर्म नाम पै क्यों मारामारी भेद खोल समझादे नै

दुनिया सुख तैं बसज्या कुछ नई बात सिखादे नै

रणबीर कहै ऊतां कै समाज नकाब का दे दे री।।

ब्याह--100 ---

 ब्याह

मां बाप नै  छोड एकली अनजान लोगों बीच मैं आई।।

पीहर भूल अपनाइए सासरा मां नै मैं खूब समझाई।।

1

बीस साल के गाढ़े रिश्ते खत्म सब किमैं दो पल के म्हां

नया घर खिड़की और दरवाजे भरे लागते छल के म्हां

इस सारे दल बल के म्हां नहीं हिम्माती दिया दिखाई।।

पीहर भूल अपनाइए सासरा मां नै मैं खूब समझाई।।

2

शरीर मेरे पै चर्चा होई जन चर्चा डांगर की होवै बेबे

रूंढी खूंडी काली धोली मेरे कद नै यो कुनबा रोवै

बेबे

सास न्यारी चाक्की झोवै बेबे कहै बहु ना सुथरी थ्याई।।

पीहर भूल अपनाइए सासरा मां नै मैं खूब समझाई।।

3

पांच सात दिन करया दिखावा थे बहोतै लाड लडाये

खाट तैं नीचै पां ना टिकावै सारे मदद नै भाजे आये

फेर असली रंग दिखाये मैं घणी वारी समझण पाई।।

पीहर भूल अपनाइए सासरा मां नै मैं खूब समझाई।।

4

औरत के हक मैं ना जो ससुराल का रिश्ता चलाया 

इसमैं बदल जरूरी सै रणबीर सौ का तोड़ लगाया

छोटा मोटा गीत बनाया या असलियत खोल बताई।।

पीहर भूल अपनाइए सासरा मां नै मैं खूब समझाई।।

36 दिन हड़ताल

 36 दिन *********

समाई कोण्या
फीस बढ़ा कै खावण लागरे बची इब कति समाई कोण्या।।
छत्तीस दिन होगे हड़ताल पै सरकार नै करी  सुनाई कोण्या।।
1
कुर्बान होज्यांगे पर झुकां नही नयूं मिलकै कसम खाई
डॉक्टर छात्रों की आवाज आज पूरे देश मैं पहूंचाई
बांड कानून मंजूर नहीं हम होण देवैं और तबाही कोण्या।।
छत्तीस दिन होगे हड़ताल पै सरकार नै करी  सुनाई कोण्या।।
2
लूटैं बनकै म्हारे हितेषी इब आंख आज म्हारी खुलगी
फीस अर बांड कानूनों मैं जमा लूटैं तस्वीर हमनै मिलगी
कहते यो बांड थारे भले मैं हमनै पाई वा भलाई कोण्या।।
छत्तीस दिन होगे हड़ताल पै सरकार नै करी  सुनाई कोण्या।।
3
एमबीबीएस की फीस बढ़ाई तैं म्हारी जेब पै बोझ धरैं
बालक क्युकर बनेंगे डॉक्टर ना इस बात नै हम  सोच मरैं
खावैं हमनै दीमक की ढालां चाहते म्हारी भलाई कोण्या।।
छत्तीस दिन होगे हड़ताल पै सरकार नै करी  सुनाई कोण्या।।
4
सारे कालेजों नै करी एकता संघर्ष जबरदस्त चला रहे
कितणी ए लाठी गोली चलाओ नहीं पाछै कदम हटा रहे
रणबीर बरोणे आले की रहै पाछै आज कविताई कोण्या।।
छत्तीस दिन होगे हड़ताल पै सरकार नै करी  सुनाई कोण्या।।

कमला का सपना

 कमला का सपना तोड़ दिया

डॉक्टर बनूं पढ़ लिख कै यो मन का सपना मेरा।
मरीजां का इलाज करूंगी हो घरका दूरअन्धेरा।।
1.
मां बाबू अनपढ़ म्हारे घणे लाड प्यार तैं पढ़ाई
खेती मैं नहीं पूरा पाटै उल्टी सीधी ना कोए कमाई
धरती गहणे धरकै पढ़े दो बाहण और एक भाई
मेहनत कर आगै बढ़िये मेरे तैं या सीख सिखाई
दो भैंस बांध दूध बेचैं करजे का बढ़ता आवै घेरा।।
मरीजां का इलाज करूंगी हो घर का दूर अन्धेरा।।
2.
भाई नै एम ए करकै बी नहीं कितै नौकरी थ्याई
गाम मैं किरयाणे की फेर उसकी दुकान खुलाई
बड्डी बाहण बीएड कर बैठी या घर मैं बिन ब्याही
मेरी पी एम टी टैस्ट मैं सत्तरहवीं पोजीसन आई
काउंसलिंग खातर गई उड़ै दिया दिखाई झेरा।।
मरीजां का इलाज करूंगी हो घर का दूर अन्धेरा।।
3.
दस लाख का बांड अर पहले साल की फीस बताई
पसीना आया गात मेरे मैं धरती घूमती नजर आई
मेरै आंख्यां मैं आंसूं आगे फेर मां की तरफ लखाई
हाल क्यूकर ब्यां करूं मैं ना कलम मैं ताकत पाई
अपने दलाल बिठारया दीखै यो उडै़ वर्ग लुटेरा।।
मरीजां का इलाज करूंगी हो घर का दूर अन्धेरा।।
4.
फीस देण की आसंग कोण्या मन मारकै आगी फेर
गाम मैं यकीन करैं ना बोले माच्या किसा अन्धेर
इस सरकार मैं बैठे जितने ना कटावैं गरीबां की मेर
बेरा ना या कद  होवैगी हम गरीब लोगां की सबेर
रणबीर न्यों बूझै ये बालक क्यूकर पढ़ावै कमेरा।।
मरीजां का इलाज करूंगी हो घर का दूर अन्धेरा।।

अम्बानी नै कपास पीट दी हम देखां खड़े खड़े 

 अम्बानी नै कपास पीट दी हम देखां खड़े खड़े 

उसनै म्हारा धान खोस लिया हम सोवां पड़े पड़े

1

म्हारी या कस्ट कमाई आंख्यां के साहमी लुटगी

कपास कदे धान की खेती ये आज चोड़ै पिटगी 

सब्सिडी ये सारी घटगी लागते नेता सड़े सड़े 

2

बालक हांडैं बिना नौकरी बिघन घणा होग्या रै

एक छोरे नै खाई गोली सहम ज्यान यो खोग्या रै

म्हारा भीतरला जमा रोग्या रै हाथ होगे जड़े जड़े

3

बेटी रैहगी बिन ब्याही ये गोड्डे म्हारे टूट लिए

बिना दहेज ब्याह कड़ै म्हारे पसीने छूट लिए

सांडां नै खेत लूट लिए बुलध मरैं ये बड़े बड़े

4

मां बेटी बाहण आज जमा महफूज रही नहीं

समाज जावैगा पाताल मैं आगै जा कही नहीं

बदमाशी जा सही नहीं रणबीर गीत घड़े घड़े

मेडिकल छात्र जाग लिया थारा घमंड टूटैगा जरूर।।

 घड़ा भर लिया पाप का यो एक दिन फूटैगा जरूर।

मेडिकल छात्र जाग लिया थारा घमंड टूटैगा जरूर।।
1
चालीस लाख के बांड पै सरकार तैं तकरार ठनी
जनता की गर्दन के उपर आज नंगी तलवार तनी
विधान सभा मैं भी बॉण्ड ऊपर सवाल उठैगा जरूर।।
2
चालीस लाख का बॉण्ड म्हारे घर मैं काली रात करी
भोली जनता की कड़ पै क्यों थमने अपनी लात धरी
कूबध जारी राखी तो सारा जन थारे पै थूकैगा  जरूर
3
थारे चाटूकार गुण गावैं गलत नै सही ठहरावैं थारी
बॉन्ड करकै जनता दुखी ना साची बात बतावैं सारी
तानाशाही कसूत चलारे  इसतैं पैंडा छूटैगा जरूर।।
4
म्हंगी शिक्षा, महंगा स्वास्थ्य महंगाई तीनों ही मां जाई ये
सारे मिलकै इनकै देवां घेरा ना मुश्किल फेर लड़ाई ये
बॉण्ड वापिस नहीं हुया तै रणबीर जन नै लूटैगा जरूर।।

एक काउन्सिलिंग में सात साल पहले पाया।।

 


एक काउन्सिलिंग में सात साल पहले पाया।।
एम बी बी एस छोड़ के बी डी एस को चाहया।।
समझ ना सका लड़की ने क्यों किया ऐसा
बाद में पूछा तो माली हालत कारण बताया
बहुत से मैरिट वाले बच्चे छोड़ते देखे हैं
टैस्ट पास पर नाम एम बी बी एस से कटाया।।
कोटा आजकल ट्रेनिंग के लिए मषहूर है
मगर वहां का खर्चा बहुतों को रास ना आया।।
कई ऐसे भी बताए विदेषों में लोन लेते
वोम्ब बेचकर अपना वो लोन जाता लौटाया।।
मेहनत करके दिन रात बने जो डाक्टर
भूल रहे अपना अतीत मरीज से पैसा कमाया।।
षायद यही दस्तुर हमारे समाज का यारो
टागे बढे जिस मेहनत के दम उसे ही भुलाया।।
काबिल डाक्टर बना मरीजों पे सीख करके
फिर उसी काबलियत को बाजार में भुनवाया।।
क्या करुं बच्चे को बिना कैपिटेषन दाखिला नहीं
रस्ता तो है पर बच्चों को वह रस्ता न सिखाया।।
काश उनको भी अपना रास्ता सिखा पाते यारो
मैंने कोषिष से ही पहला रास्ता ही पढ़ाया।।
इतना मंहगा इलाज सपने में नहीं सोचा था
मुफत इलाज के नाम गया क्वालिटी को गिराया।।
एम्पैनलमैंट के रास्ते प्राईवेट को लाये हैं
सरकारी संस्थाओं को बैक सीट पर बैठाया।।
बिना नीति और नियत के हम चल दिये हैं
मुफत इलाज का दे नारा नब्बे को है बहकाया।।
बीमा योजना करी लरगू सब फेल हो रही हैं
गरीब साथ खेल हुआ कम्पनी धन कमाया।।
जनता को भी थ्री डी का गल्त रास्ता दिखा रहे
डीजीज डाक्टर और ड्रग नुस्खा गल्त थमाया।।
साफ पानी और हवा पौष्टिक खाना मिले तो
अस्सी प्रतिषत बीमारी होगी ही नहीं बताया।।
संसाधनों का टोटा नहीं नियत साफ नहीं है
संसाधनों में भारत सबसे अमीर है गिनवाया।।
सिस्टम का मसला है नहीं समझ पाई जनता
नब्बे दस का खेल सारा हमसे गया छिपाया।।
नब्बे को बांट दिया जात गोत मजहब पर
नब्बे कैसे आयें एक मंच सवाल ये उठाया।।

सासू जी

 तर्ज--  सखी री आज रूत सामण की आई


आई आज तुम्हारे पास ,
थारे तैं बहोत घणी आस ,
मनै मुक्ति दिवादे जरूर सासू जी।।
1
बिगड़ी मैं सगा भाई भी आंख बदलज्या,
डरता कोये बला गल मैं ना घलज्या,
देवर की नजर ठीक नहीं ,
लगती सही उसकी नीत नहीं,
चोरी जारी ना हमको मंजूर सासू जी।।
2
लेल्यो इम्तिहान रण से ना भागूँ
मरज्यां पर कदे प्रण ना त्यागूं
मांगूं इज्जत मेरी तूँ बचाले री
छोटे बेटे नै ईब समझा ले री
ना तो वो कर बैठैगा कसूर सासू जी।।
3
आपस की तकरार जा ना ल्हकोयी
अवैध रिस्ता बना इज्जत चाहवै खोई
कोई रास्ता नहीं देवै नहीं दिखाई
उसनै इज्जत माट्टी मिलानी चाही
होरया था शराब नशे मैं चूर सासू जी।।
4
थोड़ी कहि नै थाम ज्यादा समझियो
मतना उसकी बाताँ के मैं उलझियो
करियो बात राह पै आवै देवर री
ना तो कदे पाछै पछतावै देवर री
फेर मैं तोड़ूँ उसका गरूर सासू जी ।।

मेंरी कोए ना  सुनता आज छाया सारै यो लुटेरा 

 कमेरा


मेरी कोए ना  सुनता आज छाया सारै यो लुटेरा ॥
भक्षक बनकै रक्षक देखो देरे किसान कै घेरा ॥

ट्रेक्टर की बाही मारै  ट्यूबवैल का रेट  सतावै
थ्रेशर की कढ़ाई मारै  भा फसल का ना थ्यावै
फल सब्जी ढूध  सीत सब ढोलां मैं घल ज्यावै
माटी गेल्याँ माटी होकै बी सुख का साँस ना आवै
बैंक मैं सारी धरती जाली दीख्या चारों कूट अँधेरा॥
भक्षक बनकै रक्षक देखो देरे किसान कै घेरा ॥
निहाले पै रमलू तीन रूपया सैकड़े पै ल्यावै
वो साँझ नै रमलू धोरे दारू पीवन नै आवै
निहाला कर्ज की दाब मैं बदफेली करना चाहवै
विरोध करया तो रोज पीस्याँ की दाब लगावै
बैंक अल्यां की जीप का बी रोजाना लग्या फेरा॥
भक्षक बनकै रक्षक देखो देरे किसान कै घेरा ॥
बेटा बिन ब्याह हाँडै सै घर मैं बैठी बेटी कंवारी
रमली रमलू नयों बतलाये मुशीबत कट्ठी  होगी सारी
खाद बीज नकली मिलते होगी ख़त्म सब्सिडी  म्हारी
माँ टी बी की बीमार होगी बाबू कै दमे  की बीमारी
रौशनी कितै दीखती कोन्या घर मैं टोटे का डेरा॥
भक्षक बनकै रक्षक देखो देरे किसान कै घेरा ॥
माँ अर बाबू म्हारे  नै  यो जहर धुर की नींद सवाग्या
माहरे घर का जो हाल हुआ वो सबके साहमी आग्या 
जहर क्यूं खाया उनने यो सवाल कचौट कै खाग्या  
म्हारी कष्ट कमाई उप्पर कोए दूजा दा क्यों लाग्या
कर्जा बढ़ता गया म्हारा मरग्या रणबीर सिंह कमेरा  ॥
भक्षक बनकै रक्षक देखो देरे किसान कै घेरा ॥