Monday, 20 January 2020

संविधान पढ़ण बिठाया ||

 संविधान पढ़ण बिठाया
धरम की करकै तेज धार , नफरत की चला कटार
देश दिया धरती कै मार , संविधान पढ़ण बिठाया ||
1
बेरोजगारी घणी आज बढ़ादी यो दुखी फिरै नौजवान
कृषि संकट घणा बढ़ाया फांसी खाता आज किसान
तीन सौ सत्तर के  तार , कश्मीर करया और बीमार
कैब पै करादी हाहाकार , संविधान पढ़ण बिठाया ||
2
जितनी सरकारी कंपनी सबनै बेचण की त्यारी रै
शिक्षा महंगी दवाई महंगी जनता की खाल तरी रै
यो जुमले बाजी का प्रचार , जनता भकाई बारम्बार
निजीकरण की बढ़ा रफ्तार , संविधान पढ़ण बिठाया ||
3
आधार कार्ड के म्हाँकै सबकै सांस कसूते चढ़ाये रै
खाते मोबाईल सारे जरूरी आधार कै बांधने चाहे रै
धर्म जात का ले हथियार , बढ़ाई समाज मैं तकरार
बहु विविधता पै कर वार ,संविधान पढ़ण बिठाया ||
4
एक राष्ट्र और एक भाषा एक संस्कृति का नारा लाया
फासीवादी हिन्दू राष्ट्र का नारा हटकै गया सै ठाया
कमेरे पै चलाकै कटार , कारपोरेट के बन ताबेदार
बदेशी खातर खोले द्वार ,संविधान पढ़ण बिठाया ||