Sunday, 6 June 2021

घर के अंदर और बाहर

 घर के अंदर और बाहर


घर भीतर इज्जत दा पर बाहर बुरी नजर छाई।।
महिला भोग की वस्तु पूरे ज़माने नै आज बनाई।।
1
किसा बख्त आग्या आज हम कितै महफूज नहीं
हवस छागी या बड़े भाग पै मानवता की बूझ नहीं
हम हार नहीं मानांगी लडांगी धुर ताहिं लड़ाई।।
महिला भोग की वस्तु पूरे ज़माने नै आज बनाई।।
2
राम बी ना म्हारा हिम्माती हजारों चीर हरण होवैं
एक द्रोपदी महाभारत होगी आज शाषक ताण कै सोवैं
भतेरी बाट देखी राम तेरी खुद अपनी बांह संगवाई।।
महिला भोग की वस्तु पूरे ज़माने नै आज बनाई।।
3
गैंग रेप बढे हरयाणा मैं समाज खड़्या लखावै
भाई चारे के नाम पै दबंग रेप की कीमत लगावै
सामंती या बाजारी सोच दुश्मन समझ मैं आई।।
महिला भोग की वस्तु पूरे ज़माने नै आज बनाई।।
4
समझौते के नाम पै दुखिया नै दो लाख दिवादे
करवाकै समझौता रेपीस्ट नै सजा तैं यो बचादे
कहै रणबीर हार ना मानैं हम चढ़ी जीत की राही।।
महिला भोग की वस्तु पूरे ज़माने नै आज बनाई।।

किसान उठ लिए

 किसान उठ लिए 

राजस्थान और महाराष्ट्र का किसान उठ लिया बताया।।
पंजाब हरियाणे के किसान कै थोड़ा सा समझ मैं आया।।
1
पैदल भूखे प्यासे किसान महाराष्ट्र की सड़कों पै आये
महिलाओं नै कांधे तैं कांधा मिलाकै आज कदम बढाये
किसान एकता के नारे लाये सड़कों पै झंडा लहराया।।
पंजाब हरियाणे के किसान कै थोड़ा सा समझ मैं आया।।
2
खाद बिजली और बीज की कई गुणा कीमत बधाई रै
कई गुणा महंगी करदी देखो म्हारी आज या पढ़ाई रै
किसान की इलाज दवाई रै लूट नै घनघोर मचाया।।
पंजाब हरियाणे के किसान कै थोड़ा सा समझ मैं आया।।
3
किसानों के बालक फिरते बेरोजगार एम् ए पास ये
झूठे वायदे रोज भकावैं करते नौजवानों का नास ये
किसान बाँटे जात्याँ मैं खास ये हरियाणा मैं कहर ढाया।।
पंजाब हरियाणे के किसान कै थोड़ा सा समझ मैं आया।।
4
किसान पूरा हिंदुस्तान का यो समझ रहया इन बातां नै
किसनी मांगों पै लडें लड़ाई भूलकै आपस की जात्याँ नै
खोलैगा अमीरों के खात्याँ नै रणबीर नै कलम उठाया।।
पंजाब हरियाणे के किसान कै थोड़ा सा समझ मैं आया।।

कट्ठे होल्यां

 कट्ठे होल्यां

बहोत दिन होगे पिटत्यां नै ईब कट्ठे होकै देख लियो।।
बैर भूल कै आपस का प्रेम के बीज बो कै देख लियो।।
1
करड़ी मार नई नीतियां की या सबपै पड़ती आवै सै
देश नै खरीदण की खातर बदेशी कंपनी बोली लावै सै
या ठेकेदारी प्रथा सारे कै बाहर भीतर छान्ती जावै सै
बदेशी कंपनी पै कमीशन यो नेता अफसर खावै सै
मन्दिर का छोड़ कै पैण्डा भूख गरीबी पै रोकै देख लियो।।
बैर भूल कै आपस का प्रेम के बीज बो कै देख लियो।।
2
जड़ै जनता की हुई एकता उड़ै की सत्ता घबराई सै
थोड़ा घणा जुगाड़ बिठाकै जनता बहकानी चाही सै
जड़ै अड़कै खड़ी होगी जनता लाठी गोली चलवाई सै
लैक्शनां पाछै कड़ तोड़ैंगे या सबकी समझ मैं आई सै
ये झूठे बरतन जितने पावैं ताम सबनै धोकै देख लियो।।
बैर भूल कै आपस का प्रेम के बीज बो कै देख लियो।।
3
हालात जटिल हुये दुनिया मैं समझणी होगी बात सारी
ईब ना समझे तो होज्या नुकसान म्हारा बहोतैए भारी
पैनी नजर बिना दीखै दुश्मन हमनै घणा समाज सुधारी
हम सब की सोच पिछड़ी नजर ना नये रास्ते पै जारी
भीतरले मैं अपणे भी दिल दिमाग गोकै देख लियो।।
बैर भूल कै आपस का प्रेम के बीज बो कै देख लियो।।
4
जात धरम इलाके पै हम न्यारे-न्यारे बांट दिये रै
कुछ की करी पिटाई कुछ लालच देकै छांट लिये रै
म्हारी एकता तोड़ बगादी ये पैर जड़ तै काट दिये रै
ये देशी बदेशी लुटेरे म्हारे हकां नै नाट लिये रै
रणबीर सिंह दुख अपणे के ये छन्द पिरोकै देख लियो।।
बैर भूल कै आपस का प्रेम के बीज बो कै देख लियो।।
Rajesh Nandal and 1 other
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तीन कानून बणाकै

तीन कानून बणाकै यो किसान धरती कै मारया हे॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया हे॥
1.
बुलध और गाड्डी पड़े बेचने ट्रैक्टर की मार पड़ी हे
हम एकले कोण्या म्हारे जिसां की लार खड़ी हे
एमएसपी का जिकरा ना जी हुया घणा खारया हे॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया हे॥
2.
लागत खेती की बढ़गी म्हारा ख़र्चा ख़ूब होवै हे
तीन बिल ये पास करे जिनका चर्चा ख़ूब होवै हे
म्हारी गेल्याँ कोये चर्चा ना देख्या ईसा नजारा हे॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया हे॥
3.
भैंस बाँध ली दूध बेचां यो दिन रात एक करां
तीन हज़ार भैंस बीमारी के डॉक्टर जी कै गए घरां 
सिर पै कर्जा तीस हज़ार टूट्या पड़या यो ढारा हे॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया हे॥
4.
बालक म्हारे धक्के खावैं इण ताहिं रोजगार नहीं 
छोरी भी बिन ब्याही रहगी बिन दहेज़ कोए तैयार नहीं 
छोरे हांडैं गालां मैं घरक्याँ का चढ़ज्या पारा हे॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया हे॥
5.
पशू पालां करैं सिलाई दिन रात करैं हम काले 
खुभात फालतू बचत नहीं ये हुए कसूते चाले
किसान यूनियनां नै लाया इंकलाब का नारा हे॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया हे॥
6.
किसान मज़दूर छोटे व्यापारी पै नज़र धरी बुरी हे
तीन बिलां के खिलाफ सांझा संघर्ष सही धुरी हे
रणबीर बरोनिया दिल तैं यो गीत बनाया थारा हे॥ 
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया हे॥ 

उन्नीस सौ सात

उन्नीस सौ सात
*उन्नीस सौ सात आंदोलन बारे जब हम किताब ठावैं रै।।*
*यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।*
1
लाला जी और अजित सिंह इस आंदोलन के अगाड़ी थे
पगड़ी सम्भाल आंदोलन के वे घणे तगड़े खिलाड़ी थे
*पढ़कै पगड़ी सम्भाल जट्टा बांके दयाल कवि सुनावैं रै।।*
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।
2
गीत नै अभिमान किसानों का उन बख्तों मैं ललकार दिया
इस कविता के भाव को किसानों नै कर अंगीकार लिया
*गोरे दबावण की खातर किसानों ऊपर घणे जुल्म ढावैं रै।।*
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।
3
गोरी सरकार कृषि कानून उन्नीस सौ सात के मैं ल्याई थी
चुपके चुपके पास करया नहीं चर्चा किसे तैं चलाई थी
*नहर कालोनियां मैं रहवनियाँ के वे हक खोसे चाहवैं रै।।*
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।
4
बे उल्लादे जमींदार के मरे पाछै जमीन खोसी चाही थी
जिला अफसर मालिक होगा या काली कानून बनाई थी
*लायलपुर मैं होकै कट्ठे ये हजारों किसान विरोध जतावैं रै।।*
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।
5
अजित सिंह लाला जी नै किसानों साथ मिलकै विरोध जताए
अनदेखी करी गोरयां नै और घणे उनपै जुल्म थे ढाये
*दोनूं मांडले जेल भेज दिए गोरे आंदोलन दबाया चाहवैं रै।।*
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।
6
पूरा पंजाब कट्ठा होकै नै विरोध जतावण के ऊपर भिड़ग्या
बढ़ता गया विरोध गोरयां का कानून खारिज करणा पड़ग्या
*ऐतिहासिक हुया वो आंदोलन जब हम हिसाब लगावैं रै ।।*
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।
7
गदर लहर बब्बर अकाली इणनै ये विचार आगै बढ़ाये थे
भगत सिंह हर बरगे क्रांतिकारी आजादी जंग मैं छाये थे
*उन्नीस सौ सैंतालीस मैं गोरयां तैं आजादी भारतवासी पावैं रै।।*
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।
8
रणबीर फेर दी गूंज सुनाई पगड़ी सम्भाल सरोकारों की
काले कानून ल्याई सरकार नहीं पूछ म्हारे विचारों की
*पगड़ी सम्भाल स्वाभिमान पै ये गायक गीत सुनावैं रै।।*
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।








पगड़ी संभाल ---280---

 पगड़ी सम्भाल 

*पगड़ी सम्भाल का दिन आज देश मैं मनाया जावै।।*
*अजीत सिंह किशन सिंह थारी याद बहोत घणी आवै।।*
1
एंग्लो सिख युद्ध मैं भाग लिया परदादा फते सिंह नै
आधी जायदाद जब्त करी गोरयां नै म्हारे हिन्द मैं
*दादा अर्जुन सिंह उन बख्तों का समाज सुधारक कहावै।।*
अजीत सिंह किशन सिंह थारी याद बहोत घणी आवै।।
2
किशन सिंह पिता चाचा अजीत लड़ी आजादी की लड़ाई
चाचा स्वर्ण सिंह साथ मैं इंकलाब जिंदाबाद गूंजाई
*अंग्रेज गोरा इनकै ऊपर सारे तरां के यो जुल्म ढ़ावै।।*
अजीत सिंह किशन सिंह थारी याद बहोत घणी आवै।।
3
घर की महिलावां नै भी इनका धुर ताहिं साथ निभाया
दादी जयकौर मां विद्यावती कदम तैं था कदम मिलाया
*चाची हरनाम कौर हुक्म कौर भी सारै आगै खड़ी पावै।।*
अजीत सिंह किशन सिंह थारी याद बहोत घणी आवै।।
4
अंग्रेजों के जुल्मों के खिलाफ लाया पगड़ी सम्भाल का नारा
बालक भगत सिंह नै आंख्या देख्या था यो सारा नजारा
*रणबीर यो किसान आंदोलन पगड़ी सम्भाल याद दिलावै।।*
अजीत सिंह किशन सिंह थारी याद बहोत घणी आवै।।

सम्पूर्ण क्रांति दिवस

 *5 जून सम्पूर्ण क्रांति दिवस* 

पांच जून नै काले कानून ऑर्डिनेंस पास करया रै।।
एक साल हो ज्यागा जब सरकार नै नाश करया रै।।
1
उन्नीस सौ चुहत्तर के मैं पांच जून नै बीड़ा ठाया
जयप्रकाश नारायण नै सम्पूर्ण क्रांति नारा लाया
जेपी नै इस तरियां शुरू नया इतिहास करया रै।।
एक साल हो ज्यागा जब सरकार नै नाश करया रै।।
2
सम्पूर्ण क्रांति दिवस देश के ये किसान मनावैंगे
तीन कानूनाँ की प्रति किसान मजदूर जलावैंगे
भाजपा नेता के दफ्तर पै यो प्रोग्राम खास धरया रै।।
एक साल हो ज्यागा जब सरकार नै नाश करया रै।।
3
जत्था दोआबा तैं चालकै सिंघु बार्डर पै पहोंच्या रै
बार्डरों पर डटे किसानां नै मिलकै यो दिन
सोच्या रै
खेती बचाओ कारपोरेट भगाओ फैंसला पास करया रै।।
एक साल हो ज्यागा जब सरकार नै नाश करया रै।।
4
तीन कानून बिल बिजली रणबीर रद्द करवावैंगे
चारों लेबर कोड रद्द हों किसान मजदूर जोर लगावैंगे
इनकी गलत नीतियों नै फसल का घास करया रै।।
एक साल हो ज्यागा जब सरकार नै नाश करया रै।।

लाजमी जाणा हो

 जो आया दुनियां के म्हां उनै पड़ै लाजमी जाणा हो।

सुरग नरक किसनै देख्या बस होसै फरज पुगाणा हो।।
1
बीर मरद तै हो उत्पत्ति या जाणै दुनिया सारी सै
पांच भूत के योग तै या कहते बणी सृष्टि म्हारी सै
या तासीर खास योग की जीव मैं होवै न्यारी सै
मिजाज जिब बिगड़ै योग का जीव नै हो लाचारी सै
इसकी गड़बड़ मैं मौत कहैं हो बन्द सांस जब आणा हो।।
सुरग नरक किसनै देख्या बस होसै फरज पुगाणा हो।।
2
पहले जनम मैं जिसे करे कहैं इस जनम मैं निबटै
इस जनम मैं जिसे करे कहैं अगले के म्हां लिपटै
दोनों बात गलत लागै क्यों ना इसका इसमें सिमटै
साहमी हुए की चिन्ता ना क्यों बिना हुए कै चिपटै
इसे जनम का रोला सारा बाकी लागै झूठा ताणा हो।।
सुरग नरक किसनै देख्या बस होसै फरज पुगाणा हो।।
3
मनुष्य सामाजिक जीव कहैं बिन समाज डांगर होज्या
लेकै समाज पै चाहिये देणा बिन इसके बांदर होज्या
माली बिना बाग और खेती बिन पाणी बांगर होज्या
मरकै कोए ना आया उलटा जलकै पूरा कांगर होज्या
साइंस नै बेरा पाड़ लिया ईब छोड्डो ढंग पुराणा हो।।
सुरग नरक किसनै देख्या बस होसै फरज पुगाणा हो।।
4
आच्छे भूण्डे करमां करकै या दुनिया हमनै याद करै
या गुणी के गुण गावै आड़ै पापी कंस की यादे तिरै
यो शरीर जल बणै कारबन प्याराकर कर याद मरै
मेहर सिंह फौजी बरोने का रणबीर करता याद फिरै
करमां आला ना मरै कदे ना पाले राम का गाणा हो।।
सुरग नरक किसनै देख्या बस होसै फरज पुगाणा हो।।

साथी वीरेंदर शर्मा

 साथी वीरेंदर शर्मा


सन 1992 में साक्षरता आंदोलन के दौर में साथी ने कार में आग लगने पर अपनी जान जोखिम में डाल कर कर की सवारियों को तो बचा लिया मगर सड़क पर फैले पैट्रोल की आग में बुरी तरह झुलस गया और दो तीन दिन तक मौत से संघर्ष किया।

ज्यान की परवाह की ना कूदया पीड़ा देख परायी रै।।

जवानी खपादी वीरेंद्र नै समझ दूज्यां की भलाई रै।।

1

उसतै बढ़िया दीखै कोण्या भाई अकल इंसान की

म्हारे ताहिं राह दिखाई सै उसनै असल इंसान की

भुलाये तैं भी ना भूली जा भाई शक्ल इंसान की

म्हारे ताहिं तस्वीर बनाई उसनै अटल इंसान की

न्यों कहैया करै था साथी मिलकै लडांगे लड़ाई रै।।

2

लोगों के मोल उसनै रोज घटते बढ़ते देखे भाई

बदमाशों की चांदी आड़ै शरीफ लोग पिटते देखे

लोगों मैं बढ़ी बेरोजगारी सही राह तैं हटते देखे

शहीद भगत सिंह से वीर आजादी पै मिटते देखे

भगत सिंह की राही चल्या वीरेंद्र वीर सिपाही रै।।

3

ज्ञान विज्ञान समिति मैं थी साथी की कताई हुई

एक एक बात कै उप्पर थी समिति मैं सफाई हुई

समाज कैसे चलता म्हारा बैठकै पूरी धुनाई हुई

गया समझाया हमेशा गरीब की क्यूँ पिटाई हुई

शहीद वीरेंद्र समझ गया अनपढ़ता की खाई रै।।

4

साथी तेरे सपनों को हम मंजिल तक ले जायेंगे

सच कहना अगर बगावत हम गीत यही गायेंगे

आज नहीं तो कल साथी पूरी दुनिया पर छायेंगे

मानव का बैरी मानव हो ना ऐसा जमाना लायेंगे

रणबीर ईबे रंग अधूरा बनाई तसबीर जो भाई रै ।।