जिसनै जोत जगाई थी कदे परिवरतन के ख्याल की
याद सदा आवैगी डाक्टर महावीर नरवाल की..
उनका खिलया रहै था चेहरा
भीत्तर म्हं था दर्द घनेरा
कैसे मिटै अंधेरा चिंता रहती थी उनै उजाल की.
डाक्टर किरषी वैज्ञानिक थे
सामाजिक और वैधानिक थे
समझ तै काबिल आधुनिक थे बुद्धि गजब कमाल की.
सदा रूढियों तै टकराए
सुख थोड़े दुख ज्यादा पाए
मगर कदे ना घबराए थी हिम्मत बेमिसाल की.
पापा के कदमां पै चाल्ली
हाकिम नै फेर घेरी घाल्ली
बेट्टी नताशा जेल म्हं डाल्ली हुई शिकार कुचाल की.
कोरोना नै जुल्म ढहाये
सिस्टम नै भी घणे सताये
बेट्टी तक ना फेट्टण पाये आई मौत अकाल की.
मंगतराम रोवता रैह ग्या
एकला जंग झोवता रैह ग्या
गये हुयां नै टोह्वता रैह ग्या गत पाई ना काल की.
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