Saturday, 1 October 2022

बुरा हाल देख देश का

 


बुरा हाल देख देश का आज मेरा जिगरा रोया।।
चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।
1
मेल मिलाप खत्म हुया पकड़या राह तबाही का
जात पात धर्म के ऊपर गल काटै भाई भाई का
मारकाट बिना बात की यो सै काम बुराई का
पर फिकर सै किसनै देखै खेल जो अन्याई का
माता खड़ी बिलख रही जिगर का टुकड़ा खोया।।
चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।
2
पंजाब मैं लीलो लुटगी चमन दिल्ली मैं रोवै सै
धनपत तूँ कड़ै डिगरग्या चमन गली गली टोह्वै सै
यो सारा चमन उजड़ चल्या तेरा साज कित सोवै सै
ना मन की बुझनिया कोय लीलो एकली दुखी होवै सै
कित तैं ल्याऊं लख्मीचंद जिसनै सही छंद पिरोया।।
चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।
3
चौड़े कालर फुट लिया यो भांडा इस कुकर्म का
धर्म पै हो लिए नँगे नहीं रहया काम शर्म का
लाजमी हो तोड़ खुलासा इस छिपे हुए भ्रम का
घड़ा भर लिया पाप का यो खुलग्या भेद मरम का
देखी रोंवती हीर मनै जन सीने मैं तीर चुभोया।।
चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।
4
इसे कसूते कर्म देखकै सूख गात का चाम लिया
प्रीत लड़ी बिखर गई अमृता नै सिर थाम लिया
शशि पन्नू की धरती पै कमा कसूता नाम लिया
भगत सिंह का देश भाई हो बहोत बदनाम लिया
असली के सै नकली के सै यो सच गया पूरा धोया ।।
चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।
5
फिरकापरस्ती दिखै सै इन सब धर्मां की जड़ मैं
लुटेरा राज चलावै सै बांट कै धर्मां की लड़ मैं
जितनी ऊपर तैं धौली दीखै कॉलस उतनी धड़ मैं
जड़ दीखें गहरी हों जितनी गहरी हों बड़ मैं
या धर्म फीम इसी खाई दुनिया नै आप्पा खोया।।
चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।
6
सिर ठाकै जीणा हो तै धर्म राजनीति तैं न्यारा हो
फेर मेहनत करणीया का आपस मैं भाईचारा हो
फेर नहीं कदे देश मैं लीलो चमन का बंटवारा हो
कमेरयां की बनै एकता ना चालै किसे का चारा हो
रणबीर नै बी देख नजारा  कलम का रास्ता टोहया।।
चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

जेब कतरे धर्मात्मा

 




जेब कतरे धर्मात्मा
इब भूरा बण्या भूरसिंह , उसकै मोहर लगी सरकारी।
ना मानस नै मानस थापै, पुलिस की गेल्याँ लाई यारी।

पल  मैं तोला पल मैं माशा, कदे टाडै कदे छेरै खासा 
चित बी मेरी पिट बी मेरी ना पड़ै कदे उल्टा पासा
ठाडे आगै होज्या म्याऊं पर हीने नै धमकावै खासा
घर मैं रहवै गऊ की ढालाँ बाहर करै यो पूरा तमाशा
पहरावे का नहीं ठिकाना हो पेंट कदे हो खद्दर धारी।

पूरा ज्ञानी ध्यानी बनै आरती हनुमान की तारै देखो
पिस्से नै भगवान मानै शेखी दिन रात बघारै देखो
दया धर्म दिखावे ताहिं पराई बीर पै तान्ने मारै देखो
बिना टूम धरें उधार दे ना ब्याज मैं खाल उतारै देखो
चुगली मैं बाप नारद का इनै लोगाँ की अक्कल मारी।

नीत डिगादे एक पैग पै हुया बिन पैंदे का लौटा रै
यार  का बनै यारी बख्त पै बिन बख्त मारै सौटा रै
बात घड़दे तुरत फुरत टोहले कोए बाहणा मौटा रै
अपने मुँह मियाँ मिठू कहै मैं सूँ सिक्का खौटा रै
यारे प्यारे उप्पर चलै उसकी भाई या तलवार दुधारी।

माखी भिंणकैं छिकमा सिनकै जब सत्ता तैं दूरी होज्या
पड़या खाट मैं रहै बाट मैं खत्म सारी गरूरी होज्या
हो बुरा हाल जनों सूने ताल मछली सी मजबूरी होज्या
ना चमक रहे ना दमक रहै अपन्यां तैं घणी दूरी होज्या
लिखै रणबीर जब झूरे पै उसकी आंख्यां मैं चिंगारी।

22 से 34

 22


शहीद भगतसिंह
भगत सिंह विचार थारे, देश के शासक भूल गये।
सबकी शिक्षा काम सबको ,पकड़ मामले  तूल गये।
1
थारी तीनों और हजारों की क़ुरबानी आजादी ल्याई रै
देश भक्तों कै देश द्रोही की या कालस जावै लगाई रै
हिन्दू राष्ट्र का यो देकै नारा राज नशे मैं टूहल गये।
सबकी शिक्षा काम सबको ,पकड़ मामले  तूल गये।
2
बहुविविध्ता की थामनै रूखाल करनी बताई रै
नफरत फैला जात धर्म पै एकता पढण बिठाई रै
भूल समाजवाद का नारा हिन्दू के नारे पै झूल गये।
सबकी शिक्षा काम सबको ,पकड़ मामले  तूल गये।
3
नाबराबारी चाही तमनै हिंदुस्तान तैं खत्म होवै रै
किसान की हालत सुधरै मजदूर ना भूखा  सोवै रै
या सरमायेदारी छागी चढ़ फांसी सच्चे असूल गये।
सबकी शिक्षा काम सबको ,पकड़ मामले  तूल गये।
4
बड़ा हिस्सा जनता का थारे विचारों को आगे लेजारया
सेहत शिक्षा सामाजिक न्याय ये मुद्दे डटकै ठारया
रणबीर घणे जणे थारे विचार कर कबूल गये।
सबकी शिक्षा काम सबको ,पकड़ मामले  तूल गये।

23

शहीद भगत सिंह
एक दिन भगत सिंह नै दोस्तों को बात बताई कहते।।
धर्म पै बात खोलकै उनै अपने दिल की सुनाई कहते।।
1
जो धर्म दोस्तो जुदा इंसान को इंसान से कर देता भाई
मोहब्बत की जागां म्हारे मैं नफरत जो भर देता भाई
जरूरत ना इसे धर्म की दोस्तों को बात सिखाई कहते।।
2
एक दूजे नै मारण नै जो धर्म हमनै तैयार करै सै
भगत सिंह मेरे साथियो आज उसतै इनकार
करै सै
इन धर्मों नै मारकाट की जगत मैं या रीत चलाई कहते।।
3
जो धर्म म्हारे दिल मैं अंधविश्वास को फैलाता भाई
ऐसे धर्म के नजदीक यो भगत सिंह ना जाता भाई
धर्मों की पोल भगत सिंह नै सारी खोल दिखाई कहते।।
4
जो धर्म लोगों के बौद्धिक विकास मैं बाधक बनता भाई
क्या क्यों और कैसे की सोच जो धर्म कुंद करता भाई
कहै रणबीर इसे धर्म तैं भगत सिंह नै दूरी बनाई कहते ।।

वार्ता

साइमन कमीशन भारत में आता है। उसका विरोध पूरे भारत में होता है। पंजाब में भी विरोध किया जाता है। अंग्रेजों की पुलिस अत्याचार करती है। लाला लाजपतराय पर लाठियां बरसाई जाती हैं। वे शहीद हो गये। बदला लेने को क्रान्तिकारियों ने साइमन को मारने का प्रण किया। साण्डरस मारा जाता है। चानन सिपाही क्रान्तिकारियों के पीछे भागता है भगतसिंह और राजगुरु के पीछे। आजाद गोली चलाता है चानन सिंह को गोली ठीक निशाने पर लगती है। आजाद को बहुत दुख होता है चानन सिंह की मौत का। क्या बताया भला:
रागनी 24
तर्ज: चैकलिया
                साइमन कमीशन गो बैक नारा गूंज्या आकाश मैं।।
                साण्डर्स कै गोली मारकै पहोंचा दिया इतिहास मैं।।

                राजगुरु की पहली गोली साण्डर्स मैं समा गई थी
                भगतसिंह की पिस्तौल निशाना उनै बना गई थी
                चानन सिंह सिपाही कै लाग इनकी हवा गई थी
                पाछै भाज लिया चानन बन्दूक उसनै तना दई थी
                दोनूआं के बीच कै लाया अचूक निशाना खास मैं।।
                थोड़ी सी चूक निशाने की घणा पवाड़ा धर जाती
                भगतसिंह कै राजगुरु का सीना छलनी कर जाती
                आजाद जीवन्ता मरता क्रान्तिकारी भावना मर जाती
                आजादी के परवान्यां के दुर्घटना पंख कतर जाती
                आजाद गरक हो ज्याता आत्मग्लानि के अहसास मैं।।
                चानन सिंह के मारे जाने का अफसोस हुया भारी था
                आजाद नै जीवन प्यारा था वो असल क्रान्तिकारी था
                खून के प्यासे आतंकवादी प्रचार यो सरकारी था
                सूट एट साइट का उड़ै फरमान हुया जारी था
                विचलित कदे हुया कोन्या भरया हुआ विश्वास मैं।।
                कठिन काम तै घबराया ना चन्द्रशेखर की तासीर थी
                आजाद भारत की उसकै साहमी रहवै तसबीर थी
                इसकी खातर दिमाग मैं कई ढाल की तदबीर थी
                आजाद नै चैबीस घन्टे दीखैं गुलामी की जंजीर थी
                रणबीर आजाद कैहरया फायदा म्हारे इकलास मैं।।
वार्ता

25
शहीद भगत सिंह नै दिया आजादी का पैगाम सुणो।।
भारत के सब नर और नारी उनकी बात तमाम सुणो।।
1
  व्यापार करने की खातिर ईस्ट इंडिया कम्पनी आई
सहज सहज भारत पै इसनै फेर थी पूरी धाक जमाई
व्यापारी वे हाकिम बनगे थामी देश की लगाम सुणो।।
2
ये न्यारी न्यारी रियासत एक एक करकै कब्जाई थी
ठा फायदा म्हारी कमजोरी का बांदर बांट मचाई थी
शाम दाम दंड भेद रचाकै यो बनाया देश गुलाम सुणो।।
3
भारत वासी घणे करहावैं थे भगत सिंह हर सब  देखैं रै
सोच विचार करे मिलकै क्युकर दुख देश का
मेटैं रै
नौजवान सभा बना शुरू करया आजादी का काम सुणो।।
4
क्रांतिकारी संगठन बना कै आजादी की लहर चलाई
आजाद देश हिंदुस्तान की बढ़िया सी तस्बीर बनाई
रणबीर करी भगत हर नै गोरयाँ की नींद हराम सुणो।।

26

आजादी के लिए कुर्बान हुये, भगत सिंह से इंसान हुए, ये गोरे बहोत परेशान हुये, बांटो राज करो नीति अपनाई।।
1
जात धर्म इलकवाद पै बांटे भारत के हर और नारी
म्हारी फूट का फायदा ठाकै नै दो सौ साल खाल उतारी
उनके सारे कै गुणगान हुए, चमचे भी थे बेउन्मान हुए, जारी बहोत से फरमान हुए ,कच्चे माल ताहिं रेल चलाई।।
2
राजे राजवाड़े सब जीत लिए भारत राष्ट्र गया बनाया रै
अंगरेज सबनै लूटन खातिर एक सीमा भीतर ल्याया रै
युद्ध कई घमासान हुए, फेर व्यापारी राजे महान हुए, भारत वासी थे दरबान हुए, फेर गुलामी गई खूब सिखाई।।
3
देश का माहौल गरमाया हिंदुस्तान नै ली फेर अंगड़ाई
कुर्बानी की खूब लहर चली असैम्बली मैं बम्ब गिराई
सब कट्ठे एक मचान हुये, नयों देश प्रेम के ध्यान हुए, आजादी खातिर घमासान हुए, मार भगाया गोरा आत्मताई।।
4
बहोत घणा दबाव बण्या जिब पड़या गोरयाँ नै जाणा
हर देशवासी गाया करता स्वदेसी भारत का गाणा
आजाद हुए अरमान म्हारे, तोड़े चाहे आसमान तारे, ले आजादी की पहचान सारे, रणबीर मिलकै खुशी मनाई।।

27
बुलेट की जागां बैलेट तैं हम बदल जरूर ल्यावांगे।।
भगतसिंह हर के सपन्यां का यो हिंदुस्तान बणावांगे।।
1
जनतंत्र का मुखौटा पहर कै या राज करै सै सरमायेदारी
जल जंगल जमीन की धरोहर बाजार मैं बेचै सै म्हारी
लोगां का लोगां की खातिर लोगां द्वारा राज चलावांगे।।
भगतसिंह हर के सपन्यां का यो हिंदुस्तान बणावांगे।।
2
हम जनता की ताकत इब सहज सहज पहचान रहे
आज घोटाले पै घोटाले कर आज अमीर बेईमान रहे
देख लियो एक दिन इन सबनै हम जेल मैं पहूंचावांगे।।
भगतसिंह हर के सपन्यां का यो हिंदुस्तान बणावांगे।।
3
जनता जाओ भाड़ मैं आज साम्राज्यवाद तैं हाथ मिलाया
उन ताहिं खोल दिये दरवाजे गरीबां का  सै भूत बनाया
हिम्मत नहीं हारां जमा बी मिलकै नै सबक सिखावांगे।।
भगतसिंह हर के सपन्यां का यो हिंदुस्तान बणावांगे।।
4
जात पात गोत नात मैं बांटे या चल समझनी होगी
इननै छोड़ कै एकता की रणबीर ढाल बरतनी होगी
इंकलाब जिंदाबाद का नारा पूरे देश के मैं गुंजावांगे ।।
भगतसिंह हर के सपन्यां का यो हिंदुस्तान बणावांगे।।





28


लेखक भगत सिंह को आह्वान करके क्या कहता है ------
देख ले आकै सारा हाल , क्यों देश की बिगड़ी चाल, सोने की चिडया सै कंगाल , भ्रष्टाचार नै करी तबाही ।।
1
अंग्रेज तैं लड़ी लडाई , थारी कुर्बानी आजादी ल्याई
देश के लुटेरों की बेईमानी फेर म्हारी बर्बादी ल्याई
क्यों भूखा मरता कमेरा , इसनै क्यूकर लूटै लुटेरा, करया चारों तरफ अँधेरा,माणस मरता बिना दवाई ।।
2
चारों कान्ही आज दिखाऊँ , घोटालयां की भरमार दखे
दीमक की तरियां खावै सै समाज नै यो भ्रष्टाचार दखे
ये चीर हरण रोजाना होवें , नाम देश का जमा ड़बोवैं , लुटेरे आज तान कै सोवें, शरीफों की श्यामत आई ।।
3
थारे विचारों के साथी तो डटरे सें जमकै मैदान के माँ
गरीबों की ये लड़ें लडाई म्हारे पूरे हिंदुस्तान के माँ
भगत सिंह ये साथी थारे , तेरी याद मैं कसम उठारे, संघर्ष करेँ यो बिगुल बजारे ,चाहते ये मानवता बचाई ।।
4
बदेशी कंपनी थारे देश नै फेर गुलाम बनाया चाहवैं
मेहनत लूट मजदूर किसानों की ये पेट फुलाया चाहवैं
भारी दिल तैं साथी रणबीर, लिखै देश की सही तहरीर, भगत तमनै जो बनाई तस्बीर, देख जमा ए पाड़ बगाई।।


29

शहीद भगतसिंह
भगत सिंह विचार थारे, देश के शासक भूल गये।
सबकी शिक्षा काम सबको ,पकड़ मामले  तूल गये।
1
थारी तीनों और हजारों की क़ुरबानी आजादी ल्याई रै
देश भक्तों कै देश द्रोही की या कालस जावै लगाई रै
हिन्दू राष्ट्र का यो देकै नारा राज नशे मैं टूहल गये।
सबकी शिक्षा काम सबको ,पकड़ मामले  तूल गये।
2
बहुविविध्ता की थामनै रूखाल करनी बताई रै
नफरत फैला जात धर्म पै एकता पढण बिठाई रै
भूल समाजवाद का नारा हिन्दू के नारे पै झूल गये।
सबकी शिक्षा काम सबको ,पकड़ मामले  तूल गये।
3
नाबराबारी चाही तमनै हिंदुस्तान तैं खत्म होवै रै
किसान की हालत सुधरै मजदूर ना भूखा  सोवै रै
या सरमायेदारी छागी चढ़ फांसी सच्चे असूल गये।
सबकी शिक्षा काम सबको ,पकड़ मामले  तूल गये।
4
बड़ा हिस्सा जनता का थारे विचारों को आगे लेजारया
सेहत शिक्षा सामाजिक न्याय ये मुद्दे डटकै ठारया
रणबीर घणे जणे थारे विचार कर कबूल गये।
सबकी शिक्षा काम सबको ,पकड़ मामले  तूल गये।

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लेखक भगत सिंह को आह्वान करके क्या कहता है ------
देख ले आकै सारा हाल , क्यों देश की बिगड़ी चाल, सोने की चिडया सै कंगाल , भ्रष्टाचार नै करी तबाही।।
1
अंग्रेज तैं लड़ाई लड़ी थारी कुर्बानी आजादी ल्याई,
छाई लुटेरों की बेईमानी या फेर म्हारी बर्बादी ल्याई
क्यों भूखा मरता कमेरा , इसनै क्यूकर लूटै लुटेरा,करया चारों तरफ अँधेरा,माणस मरता बिना दवाई ।।
2
चारों कान्ही आज दिखाऊँ , घोटालयां की भरमार दखे
दीमक की तरियां खावै सै समाज नै यो भ्रष्टाचार दखे
ये चीर हरण रोजाना होवें , नाम देश का जमा ड़बोवैं, लुटेरे आज तान कै सोवें, शरीफों की श्यामत आई ।।
3
थारे विचारों के साथी तो डटरे सें जमकै मैदान के माँ
गरीबों की ये लड़ें लडाई म्हारे पूरे हिंदुस्तान के माँ
भगत सिंह ये साथी थारे , तेरी याद मैं कसम उठारे,संघर्ष करेँ यो बिगुल बजारे ,चाहते ये मानवता बचाई ।।
4
बदेशी कंपनी तेरे देश नै फेर गुलाम बनाया चाहवैं
मेहनत लूट मजदूर किसानों की ये पेट फुलाया चाहवैं
भारी दिल तैं साथी रणबीर, लिखै देश की सही तहरीर, भगत तनै जो बनाई तस्बीर, देख जमा ए पाड़ बगाई।।

31

भगत सिंह राजगुरु सुखदेव सबको है प्रणाम म्हारा।।
शोषण रहित समाज का सपना चकनाचूर तमाम थारा।।
1
बेरोजगारी ने कहर मचाया आसमानां जाकै चढ़गी देख
गरीब की चटनी रोटी खुसली अमीराँ की खुराक बढ़गी देख
हर पांच मिनट में फांसी खाज्यां लूट की लकीर कढ़गी देख
पढ़ाई लिखाई और इलाज मैं  कारस्तानी जनता पढ़गी देख
अमीर थे वे घणे अमीर होगे रै झूठा लेवैं आज नाम थारा।।
शोषण रहित समाज का सपना चकनाचूर तमाम थारा।।
2
महिला कितै महफूज रही ना असुरक्षा का माहौल छाया
गाम शहरों मैं बदमाशां नै इनकै उप्पर घणा कहर ढाया
यारे प्यारे भी कोण्या शर्मावैं औरत को एक चीज बनाया
ऑनर किलिंग होवै सै रोजाना ज़िकरा अखबारों मैं आया
थारे सपन्यां की अर्थी ठवा दी झूठा कोण्या इल्जाम म्हारा।।
शोषण रहित समाज का सपना चकनाचूर तमाम थारा।।
3
नम्बर वन हरियाणा के मैं दलितों पै अत्याचार बढ़े रै
दुलिना और गोहाना ना भूले मिर्चपुर मैं फेर सांस चढ़े रै
दबंगों की चालै आज बी नजदीक तैं गए सब पढ़े रै
आईडेन्टिटी राजनीति के गए इल्जाम दलितों पै मढ़े रै
छुआ छूत बारे लिख्या थामनै अनदेखा हुया सब काम थारा।।
शोषण रहित समाज का सपना चकनाचूर तमाम थारा।।
4
समाजवाद का पाठ पढ़या उसकी खातर फांसी खाई रै
माणस का ना माणस बैरी हो थामनै सही राह दिखाई रै
आज के काले गोरयाँ नै अमीराँ की खूब  मेर कटाई रै
आम आदमी नै लूटण नै फासीवाद की राह अपनाई रै
कहै रणबीर बरोने आला  सारे कै पहूंचावैंगे पैगाम थारा।।
शोषण रहित समाज का सपना चकनाचूर तमाम थारा।।
32
भगत सिंह ब्याह करवाले, अंग्रेज कोण्या जावैं देख।।
बिना शादी किसी दुनिया घरके तनै समझावैं देख ।।
1
ब्याह शादी इस दुनिया के बेटा भगत दस्तूर बताये सैं
ये रिश्ते सदियां तैं चालकै एकनिष्ठ परिवार पै आये सैं
घरबार संस्था घणी पुरानी सबनै ब्याह करवाये सैं
कबीले हुया करैं थे कदे आज हम आड़ै आ पाये सैं
क्रांति के नाम पै नाटै सै बात समझ नहीं पावैं देख।।
बिना शादी किसी दुनिया घरके तनै समझावैं देख ।।
2
करतार सिंह सराभा तैं प्रभावित नौजवान होरे देखो
देश आजाद करावांगे कहते ना पाछै छोरी छोरे देखो
बीर मर्द सब कट्ठे होकै जंग आजादी की झोरे देखो
दोनूं मिलकै करैं लड़ाई ज्यां छोरे छोरी टोहरे देखो
तेरी मां भी दिल तैं शादी चाहरी सारे घरके चाहवैं देख।।
बिना शादी किसी दुनिया घरके तनै समझावैं देख ।।
3
दुर्गा भाभी बरगी महिला ढूंढ लियो क्रांतिकारी बेटा
क्रांति मैं नहीं बनैं रोड़ा वे लड़ेंगी साथ मैं थारी बेटा
बराबर खड़ी होकै लड़ेंगी ये कई बनैंगी प्रचारी बेटा
कल्पना दत्त का नाम सुण्या हथियार कद की ठारी बेटा
सोच लियो बेटा आच्छी ढ़ालां कदे पाछै पछतावैं देख।।
बिना शादी किसी दुनिया घरके तनै समझावैं देख ।।
4
बिना महिला साथ लिये क्रांति सफल कैसे होज्यागी
आई एन ए की महिला पलटन आजादी के बीज बोज्यागी
थाम लड़ो गुरिल्ला युद्ध महिला कैसे पड़कै सोज्यागी
दोनों की ताकत मिलकै नै या गोरी सेना नै डबोज्यागी
रणबीर बरोनिया बरगे भी सोच कै छन्द बनावैं देख ।।
बिना शादी किसी दुनिया घरके तनै समझावैं देख ।।

33
भगत सिंह तेईस साल का यो नौजवान हुया क्रांतिकारी।।
इंकलाब जिंदाबाद नारा लाया कांपी गोरी सरकार सारी।।
1
नौजवान सभा बनाकै सारे क्रन्तिकारी एक मंच पै आये
गोरयां की गुलामी खिलाफ पूरे देश मैं अलख जगाये
आजाद राजगुरु सुखदेव पड़े थे गोरयां ऊपर भारी।।
इंकलाब जिंदाबाद नारा लाया कांपी गोरी सरकार सारी।।
2
गोरयां नै आतंकवादी ये सारे क्रांतिकारी बताये दखे
म्हारी आजाद सरकारां नै नहीं ये इल्जाम हटाये दखे
देखी म्हारी सरकारां की आज पूरे हिंदुस्तान नै गद्दारी।।
इंकलाब जिंदाबाद नारा लाया कांपी गोरी सरकार सारी।।
3
फांसी का हुक्म सुनाया सारे देश नै विरोध करया था
यो विरोध देख कसूता अंग्रेज बहोत घणा डरया था
एक दिन पहलम ए फांसी तोड़े जनता नै भरी हूंकारी ।।
इंकलाब जिंदाबाद नारा लाया कांपी गोरी सरकार सारी।।
4
इंसानी समाज का सपना भगत सिंह हर नै लिया यो
गोरे गए ये देशी आगे सपन्यां पै ध्यान नहीं दिया यो
कहै रणबीर बरोने आला म्हारै थारी याद घणी आरी ।।
इंकलाब जिंदाबाद नारा लाया कांपी गोरी सरकार सारी।।
34


















किस्सा शहीद भगत सिंह

 किस्सा शहीद भगत सिंह

शहीद भगत सिंह
शहीद भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को जिला लायलपुर (अब फैसलाबाद ) पाकिस्तान के बंगा नामक गांव में हुआ। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम श्रीमती विद्यावती था। उनके पुश्तैनी गांव का नाम खटकड़ कलां (जिला नवांशहर/ शहीद भगत सिंह नगर )है। भगत सिंह के पुर्वजों में शुरू से ही देश भक्ति और जनपक्षीय भावनाएं  बहुत मजबूत थी । उनके पड़दादाओं  में एक सरदार फतेह सिंह को ब्रिटिश सरकार ने उनकी एंगलो सिख युद्ध (1748-49) में सक्रिय भागीदारी के कारण उनकी जायदाद का आधा हिस्सा जब्त कर लिया  था । ब्रिटिश सरकार की जनविरोधी नीतियों के कारण वे उनके पक्के दुश्मन बन गए । स्वतंत्रता संग्राम के पहले संग्राम 1857 में अंग्रेजों ने पंजाब के सिख सामन्तों  को अधिक जमीन देने का लालच देकर क्रांतिकारियों का विरोध करने के लिए प्रेरित किया। सरदार फतेह सिंह को एक नजदीकी सामन्त ने ब्रिटिश हुक्मरान  का इस प्रकार का एक संदेश देकर अपने पुत्र को उनके पास भेजा । सरदार फतेह सिंह ने उससे कहा कि "उनके पूर्वज हमेशा गुरु गोविंद सिंह के दिखाए रास्ते पर चले हैं । क्रांतिकारियों का विरोध आंतों का क्या का क्या करने के बराबर है , जो मैं कभी नहीं करूंगा ।"यही सिद्धांत उनके पौत्रों को बताया गया जिन्होंने इसका पालन किया ।
             भगत सिंह के दादा सरदार अर्जुनसिंह एक समाज सुधारक थे और सामंती दमन  के विरुद्ध गरीबों के सच्चे रक्षक थे ।उनके तीनों बेटे किशन सिंह, अजीत सिंह और स्वर्ण सिंह प्रतिबद्ध स्वतंत्रता सेनानी बने । लाला लाजपत राय के साथ सरदार अजीत सिंह को किसान विरोधी कानून के खिलाफ 1907 में एक शक्तिशाली जनमोर्चे की अगुआई करने के जुर्म में देश निकाला दिया गया था। अंग्रेजों को इस कानून को वापस लेना पड़ा । सरदार अजीत सिंह की देश की आजादी के लिए संघर्ष में सेवाओं की प्रशंसा करते हुए बाल गंगाधर तिलक ने सूरत में अखिल भारतीय कांग्रेस अधिवेशन के दौरान उन्हें ताज पहनाकर सम्मानित किया था। अजीत सिंह ने 40 वर्ष तक विदेश में रहते हुए स्वतंत्रता संघर्ष जारी रखा। भगत सिंह के दूसरे चाचा सरदार स्वर्ण सिंह को देश भक्ति पूर्ण पुस्तिकाएं  प्रकाशित करने के लिए 1910 में जेल में यंत्रणाएं दी गई जिसके कारण उनका मात्र 23 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।    भगत सिंह अपने दादा की देखरेख में पले बढ़े और उन्होंने उनसे सामाजिक बराबरी , तर्कसंगत होना और दमन का विरोध करना सीखा । परिवार में सभी धर्मों के लिए समान देने और हर मनुष्य को प्यार देने की परंपरा थी ।
भगत सिंह ने अपने जन्मस्थल 105 जीबी (बंगा) नामक गांव से प्राथमिक शिक्षा हासिल की और लाहौर के डीएवी हाई स्कूल  में दाखिला लिया । अंग्रेजों ने अब तक का सबसे दमनकारी कानून रोलेट एक्ट पास किया जिसका पूरे देश में व्यापक विरोध हुआ । 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक शांतिपूर्ण सभा पर गोलीबारी में सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों जख्मी हो गए । इस घटना की विश्व भर में निंदा हुई । नन्हा भगत सिंह अमृतसर पहुंचा और खून से सनी मिट्टी ईकट्ठी करके ले आया , वह बहुत गंभीर हो गया।
   1921 जन जागरण का वर्ष था जब महात्मा गांधी ने पूरे राष्ट्र को अंग्रेज  सरकार का बायकाट करने का आह्वान किया था । भगत सिंह इस आंदोलन में शामिल हो गए और उन्होंने इसमें सक्रिय भागीदारी की । गांधी जी के आह्वान पर उन्होंने स्कूल की पढ़ाई छोड़ दी । फिर उन्होंने नेशनल कॉलेज लाहौर में दाखिला लिया जो ऐसे छात्र सत्याग्रहियों के लिए बनाया गया था । यहां उन्हें एक क्रांतिकारी भाई परमानंद जी ने शिक्षा दी। भाई परमानंद जी ने 1915 में गदर पार्टी द्वारा चलाए गए आंदोलन में हिस्सेदारी की थी जिसके कारण उन्हें अंडमान भेजा गया था । 19 वर्षीय नौजवान करतार सिंह सराभा ने गदर पार्टी का नेतृत्व किया था , वे स्वदेश लौटे, उनका लक्ष्य था -अंग्रेज सरकार को उखाड़कर समानता,भ्रातृत्व  और स्वतंत्रता का शासन कायम  करना। सराभा को  अंग्रेजों ने फांसी दे दी । सराभा ने भगत सिंह पर बहुत अधिक प्रभाव छोड़ा। नेशनल कालेज ने स्वतंत्रता संग्राम के बारे में भगत सिंह के दृष्टिकोण को और अधिक व्यापक बनाया । यहां उनकी मुलाकात संग्राम  के दीवाने नौजवानों जैसे भगवती चरण वोहरा, सुखदेव, यशपाल इत्यादि से हुई । दादी मां द्वारा दिए शादी के प्रस्ताव से बचने के लिए 1923 में भगत सिंह घर से कानपुर निकल लिए थे । कानपुर में गणेश शंकर विद्यार्थी की देखरेख में उन्होंने पत्रकारिता और स्वतंत्रता सेनानी बनने की ट्रेनिंग ली । इसमें उन्हें जमीनी वास्तविकता से रूबरू होने और विश्व भर के स्वतंत्रता आंदोलनों का अध्ययन  करने का शुभ अवसर मिला । यहां वह हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन नामक क्रांतिकारी ग्रुप के संपर्क में आए । इस ग्रुप के नेता थे राम प्रसाद बिस्मिल , अशफाक उल्ला खाँ, जोगेश चंद्र चटर्जी । यहां उन्हें बटुकेश्वर दत्त , विजय कुमार सिन्हा,  शिव वर्मा , जयदेव कपूर व अन्य कई नौजवान क्रांतिकारी मित्र मिले।    
         लाहौर वापस आने पर भगत सिंह ने सिंह ने नौजवान भारत सभा की स्थापना के लिए पहल की ताकि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में नौजवानों की ताकत को संगठित किया जा सके। नौजवान भारत सभा ने घोषित किया कि नौजवानों को स्वतंत्रता संग्राम में नेतृत्व कारी भूमिका निभानी चाहिए और उन्हें अपने जीवन में धर्म निरपेक्षता , समाजवाद और स्वतंत्र ढंग से सोच विचार करने की प्रक्रिया को उतारना चाहिए । उन्हें 'सेवा करने, तकलीफ सहने और बलिदान देने ' के आदर्श को मानना चाहिए । इस अवधि में काकोरी ट्रेन केस (0 9 अगस्त 1925) में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के वरिष्ठ नेताओं जैसे राम प्रसाद बिस्मिल ,अशफाक उल्ला खाँ, राजेंद्र लाहिड़ी एवं ठाकुर रोशन सिंह को गिरफ्तार कर दिसंबर 1927 में फांसी दी गई । इसके बाद भगत सिंह व चंद्रशेखर आजाद के कंधों पर क्रांतिकारी पार्टी के पुनर्निर्माण का दायित्व आ गया ।
        भगत सिंह के अपने शब्दों में ,"मेरे मन मस्तिक के कोने -कोने  में अध्ययन करने की तीव्र इच्छा अंगड़ाइयां ले रही थी । विपक्ष द्वारा पूछे गए सवालों का सामना करने के लिए अपने आप को अध्ययन के जरिए सक्षम करो । अपने दर्शन के पक्ष में तर्क देने के लिए अपने आप को अध्ययन से तैयार करो । मैंने अध्ययन करना शुरू किया । मेरे पहले विश्वासों और निष्ठाओं में जबरदस्त बदलाव आए । हमारे पूर्वजों में केवल हिंसात्मक तरीकों के बारे में जो एक रोमांटिक धारा थी , उसकी जगह गंभीर विचारों ने ले ली । अब कोई रहस्यवाद नहीं और नहीं कोई अंधविश्वास। यथार्थवाद हमारा दर्शन बन गया ।" उन्होंने आगे नोट किया कि , " हमें उस आदर्श का बहुत आदर्श का बहुत स्पष्ट ज्ञान होना चाहिए जिसके लिए हमें संघर्ष करना है ।"
       1927 में भगत सिंह को पहली बार केवल शक के आधार पर पुलिस द्वारा लाहौर में गिरफ्तार किया गया और बाद में ₹60000 की भारी-भरकम जमानत पर छोड़ा गया ।  इससे उन्हें घर पर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा । घर में उन्हें व्यस्त रखने के लिए एक डेयरी फार्म खोला गया । उनके पिता ने खेत मजदूरों के वेतन  से संबंधित हिसाब किताब रखने के लिए एक रजिस्टर भी दे दिया ।उन दिनों  भगत सिंह ने टालस्टाय की पुनरूत्थान नामक  पुस्तक पढ़ी । भगत सिंह ने पाया कि सभी खेतिहर मजदूर कर्ज में हैं । उसने पूछताछ की और पाया कि उनके दुखों का कारण उन्हें मिल रहा कम वेतन है । भगत सिंह ने अपने खेत मजदूरों का सारा कर्ज माफ कर दिया। उन्होंने अपने पिता से कहा -क्योंकि हम इन मजदूरों के श्रम से लाभ कमाते हैं, इन्हें हो रही हानि भी हमारी चिंता का विषय होना चाहिए , इसलिए इन का कर्ज माफ कर दिया है ।
भगत सिंह ने विश्व क्रांतिकारी आंदोलन और विजय स्वतंत्रता संघर्षों के बारे में बड़ी गहराई से अध्ययन किया। उनके अध्ययन में अप्टॉन सिंक्लेयर , जैक लंडन , एम्मा गोल्डमैन , बर्नार्ड शॉ , चालर्स डिकनज, एंगेल्स, प्रिन्स क्रांपटन, बाकुनिन, मार्क्स और ऐसे कई और लेखक शामिल थे ।

वार्ता
शहीद भगत सिंह की याद में
रागनी 1
हट कै क्यूकर बुलाऊँ मैं , पुनर्जन्म नहीं गया बताया ।।
तेरे विचारों पै चले हजारों ज्यां आजादी का दिन आया ।।
1
तेईस साल का था जिब तूं फांसी का फंदा चूम गया
इन्कलाब जिंदाबाद का नारा फिरंगी का सिर घूम गया
पगड़ी सम्भाल जट्टा का गाना इनपै भारतवासी झूम गया
बम्ब गेरया असम्बली के मैं तूं मचा देश मैं धूम गया
समतावादी समाज बानावां इसका विचार यो बढाया ||
तेरे विचारों पै चले हजारों ज्यां आजादी का दिन आया ।।
2
मार्क्सवाद तैं ले कै प्रेरणा शोषण ख़त्म करना चाहया था
सबके हक़ बराबर होंगे इंकलाबी नारा यो लाया था
यानी सी उमर भगत सिंह तेरी गाँधी को समझाया था
गोरे जा कै काले आज्यांगे  सवाल तनै यो ठाया था
क्रांतिकारी नौजवानों का संगठन तमनै मजबूत बनाया ||
तेरे विचारों पै चले हजारों ज्यां आजादी का दिन आया ।।
3
ढाल ढाल के भारत वासी सबकी भलाई चाही तनै
यो सपना पूरा होज्या म्हारा नौजवान सभा बनाई तनै
अंध विश्वासी भारत मैं लड़ी विचारों की लडाई तनै
वर्ग संघर्ष सही रास्ता जिसपै थी  शीश चढ़ाई तनै 
तेरा रास्ता भूल गये ना सबकै आजादी का फल थ्याया ||
तेरे विचारों पै चले हजारों ज्यां आजादी का दिन आया ।।
4
तेरे सपनों का भारत देश भगत सिंह हम बना वांगे
मशाल जो तनै जलाई वा घर घर मैं हम ले ज्यावांगे
थाम नै फांसी खाई थी हम ना पाछै कदम हटा वांगे
जात पात गोत नात पै ना झूठा झगडा हम ठा वांगे
रणबीर सिंह बरोने आले नै दिल तैं यो छंद बनाया ||
तेरे विचारों पै चले हजारों ज्यां आजादी का दिन आया ।।

वार्ता

भगत सिंह (जन्म: 28  सितम्बर 1907 , मृत्यु: 23 मार्च 1931) भारत के एक प्रमुख क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी थे। भगतसिंह ने देश की आज़ादी के लिए जिस साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया, वह आज के युवकों के लिए एक बहुत बड़ा आदर्श है। इन्होंने केन्द्रीय संसद (सेण्ट्रल असेम्बली) में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया। जिसके फलस्वरूप इन्हें 23 मार्च 1931 को इनके दो अन्य साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ फाँसी पर लटका दिया गया। सारे देश ने उनके बलिदान को बड़ी गम्भीरता से याद किया। पहले लाहौर में साण्डर्स-वध और उसके बाद दिल्ली की केन्द्रीय असेम्बली में चन्द्रशेखर आजाद व पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ बम-विस्फोट करके ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध खुले विद्रोह को बुलन्दी प्रदान की। भगत सिंह ने मार्क्सवादी विचारधारा का गहन मंथन किया और इसी को संघर्ष का आधार बनाया |
रागनी 2
सोने की चिड़िया भारत इसका भगत सिंह हाल देखले आकै  ॥
जिसा चाहया थामनै कोन्या हमनै देख्या हिसाब लगाकै ॥
1
मेहनत कश देशवासियों नै यो खून पसीना एक करया
खेत कारखाने खूब कमाए यो देश खजाना खूब भरया
टाटा अम्बानी लूट कै लेगे आज अपने प्लान बनवाकै ॥
जिसा चाहया थामनै कोन्या हमनै देख्या हिसाब लगाकै ॥
2
तीनों फांसी का फन्दा चुम्मे दुनिया मैं इतिहास बनाया
थारी क़ुरबानी नै भारत मैं  आजादी का अलख जगाया
दिखावा करैं थारे नाम का असल मैं धरे टांड पै बिठाकै ॥
जिसा चाहया थामनै कोन्या हमनै देख्या हिसाब लगाकै ॥
3
भ्रष्टाचार ठाठे मारै देखो दिल्ली के राज दरबारों मैं
कुछ भृष्ट नेता भ्रष्ट अफसर मौज करैं सरकारों मैं
बाट आजादी के फ़लां की आज  हम देखां सां मुंह बाकै ॥
जिसा चाहया थामनै कोन्या हमनै देख्या हिसाब लगाकै ॥
4
प्रेरणा लेकै थारे तैं हम आज कसम उठावां सारे रै
ज्यान की बाजी लाकै नै सपने पूरे करां थारे रै
लिखै रणबीर साची सारी आज एक एक बात जमाके ॥
जिसा चाहया थामनै कोन्या हमनै देख्या हिसाब लगाकै ॥



वार्ता

भगत सिंह राज गुरु सुखदेव के सपने अभी तक पूरे नहीं हो पाए हैं। इसके कारणों में जाना और विचार करना जरूरी है। क्या बताया भला--
रागनी 3
सपने चकनाचूर करे थारे देश की सरकारां नै।
जल जंगल जमीन कब्जाए देश के सहूकारां नै ।
1
शिक्षा हमें मिलै गुणकारी , भगत सिंह सपना थारा
मरै ना बिन इलाज बीमारी, भगत सिंह सपना थारा
भ्रष्टाचार कै मारांगे बुहारी, भगत सिंह सपना थारा
महिला आवै बरोबर म्हारी, भगत सिंह सपना थारा
बम्ब गेर आवाज सुनाई, बहरे गोरे दरबारां नै।
2
समाजवाद ल्यावां भारत मैं, भगत सिंह थारा सपना
कोए दुःख ना ठावै भारत मैं, भगत सिंह थारा सपना
दलित जागां पावै भारत मैं, भगत सिंह थारा सपना
अच्छाई सारै छावै भारत मैं, भगत सिंह थारा सपना
जनता चैन का सांस लेवै बिन ताले राखै घरबारां नै।
3
थारी क़ुरबानी के कारण ये आजादी के दिन आये
उबड़ खाबड़ खेत संवारे देश पूरे मैं खेत लहलाये
रात दिन अन्न उपजाया देश अपने पैरों पै ल्याये
चुनकै भेजे जो दिल्ली मैं उणनै हम खूब बहकाये
आये ना गोरयां कै काबू कर लिए अपने रिश्तेदारां नै।
4
समाजवाद की जगां अम्बानीवाद छाता आवै देखो
थारे सपने भुला कै धर्म पै हमनै लड़वावै देखो
मुजफ्फरनगर हटकै भगत सिंह थामनै बुलावै देखो
दोनों देशों मैं कट्टरवाद आज यो बढ़ता जावै देखो
रणबीर खोल कै दिखावै साच आज के नम्बरदारां नै।



वार्ता
भारत देश बहुत सालों तक गुलाम रहा। देश भक्तों ने संघर्ष किया तो 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ। सबसे बड़ा गणतन्त्र है। क्या बताया भला--
रागनी 4
यो गणतंत्र सबतै बड्डा भारत आवै कुहाणे मैं।।
भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।
2
दो सौ साल गोरया नै भारत गुलाम राख्या म्हारा था
गूंठे कटाये कारीगरां के मलमत दाब्या म्हारा था
सब रंगा का समोवश था फल मीठा चाख्या म्हारा था
भांत-भांत की खेती म्हारी नहीं ढंग फाब्या म्हारा था
फूट गेर कै राज जमाया कही जाती बात समाणे मैं।।
भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।
2
वीर सिपाही म्हारे देस के ज्यान की बाजी लाई फेर
लक्ष्मी सहगल आगै आई महिला विंग बनाई फेर
दुर्गा भाभी अंगरेजां तै जमकै आड़ै टकराई फेर
याणी छोरियां नै गोरयां पै थी पिस्तौल चलाई फेर
गोरे लागे राजे रजवाड़यां नै अपणे साथ मिलाणे मैं।।
भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।
3
आवाज ठाई जिननै उनके फांसी के फंदे डार दिये
घणे नर और नारी देस के काले पाणी तार दिये
मेजर जयपाल नै लाखां बागी फौजी त्यार किये
फौज आवै बगावत पै म्हारे बड्डे नेता इन्कार किये
नेवी रिवोल्ट हुया बम्बी मैं अंग्रेज लगे दबाणे मैं।।
भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।
4
आजादी का सपना था सबकी पढ़ाई और लिखाई का
आजादी का सपना था सबका प्रबन्ध हो दवाई का
आजादी का सपना था खात्मा होज्या सारी बुराई का
आजादी का सपना था आज्या बख्त फेर सचाई का
हिसाब लगावां आजादी का रणबीर सिंह के गाणे मैं।।
भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।

वार्ता
पन्दरा अगस्त आजादी का दिन --एक लेखा जोखा उन कुर्बानियों का जिनके दम पर देश आजाद हुआ---
रागनी 5
कितने गये काला पानी कितने शहीद फांसी टूटे रै।।
पाड़  बगा दिए  गोरयां के गढ़रे थे जो देश मैं खूंटे रै ।।
1
पहली आजादी की जंग थारा सो सतावन  मैं लड़ी थी
बंगाल आर्मी करी बगावत जनता भी साथ भिड़ी थी
ठारा  सौ सतावन के मैं जन क्रांति के बम्ब फूटे रै ।।
2
भगत सिंह सुख देव राजगुरु फांसी का फंदा चूमे
उधम सिंह भेष बदल कै लन्दन की गालाँ  मैं घूमे
चंदर शेखर आजाद साहमी गोरयां के छक्के छूटे रै।।
3
सुभाष चन्द्र बोश नै आजाद हिंद फ़ौज बनाई थी
महिला विंग खडी करी लक्ष्मी सहगल संग आई थी
धुर तैं आजादी खातिर ये किसान मजदूर भी जुटे रै ।।
4
गाँधी की गेल्याँ जनता जुड़गी हर तरियां साथ दिया 
चाल खेलगे गोरे फेर बी देश मैं बन्दर बाँट किया
बन्दे मातरम अलाह हूँ अकबर ये हून्कारे उठे रै ।।
5
सोच घूमै इब्बी जिसने देख्या खूनी खेल बंटवारे का
लाखां घर बर्बाद हुए यो क़त्ल महमूद मुख्त्यारे का
दो तिहाई नै आज बी रोटी टुकड़े पानी संग घूंटे रै ।।
6
छियासठ साल मैं करी तरक्की नीचे तक गई नहीं
ऊपरै ऊपर गुल्पी आजादी नीचै जावन दई नहीं
रणबीर सिंह टोह कै ल्यावै खुये मक्की के भूट्टे  रै ।।


वार्ता

भगत सिंह हर के सपनों के बारे में क्या बताया भला-
रागनी 6
जिन सपन्यां खातर फांसी टूटे हम मिलकै पूरा करांगे ।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
1
सबको मिलै शिक्षा पूरी यही तो थारा विचार बताया
समाज मैं इंसान बराबर तमनै यो प्रचार बढ़ाया
एक दूजे नै कोए ना लूटै थामनै समाज इसा चाहया
मेहनत की लूट नहीं होवै सारे देश मैं अलख जगाया
आजादी पाछै कसर रैहगी हम ये सारे गड्ढे भरांगे।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
2
फुट गेरो राज करो का गोरयां नै खेल रचाया था
छूआ छूत पुराणी समाज मैं लिख पर्चा समझाया था
समाजवाद का पूरा सार सारे नौजवानों को बताया था
शोषण रहित समाज होज्या इसा नक्शा चाहया था
थारे विचार आगै लेज्यावांगे हम नहीं किसे तैं डरांगे।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
3
नौजवानो को भगत सिंह याद आवै सै थारी क़ुरबानी
देश की खातर फांसी टूटे गोरयां की एक नहीं मानी
देश की आजादी खातर तकलीफ ठाई थी बेउन्मानी
गोरयां के हाथ पैर फूलगे जबर जुल्म करण की ठानी
क्रांतिकारी कसम खावैं देश की खातर डूबाँ तिरांगे।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
4
बहरे गोरयां ताहिं हमनै बहुत ऊंची आवाज लगाई
जनता की ना होवै थी सुनायी ज्यां बम्ब की राह अपनाई
नकाब फाड़ना जरूरी था गोरे खेलें थे  घणी चतुराई
गोरयां की फ़ौज म्हारी माहरे उप्पर करै नकेल कसाई
रणबीर कसम खावां सां चाप्लूसां तैं नहीं घिरांगे।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।

वार्ता
भगत सिंह के रास्ते को अपनाना  होगा। क्या बताया भला-
रागनी 7
एक दिन जनता जागैगी, भ्रष्ट राजनीति भागैगी, घोटाल्याँ पाबंदी लागैगी, इन सबकी सै आस मनै।।
1
असल मैं तो नौकरी आज बहोत घणी बची कोण्या
बिना सिफारिश पीसे मिलज्या या बात जँची कोण्या
यो हिसाब जनता माँगैगी,या कसूरवारां नै टाँगैगी,
ठेकेदारां नै पूरा छांगैगी, इसका सै अहसास मनै।।
2
जो भी परिवर्तन आया वा या जनता ल्याई देखो
शोषण का रूप बदल्या जब जनता ली अंगड़ाई देखो
लगाम अमीरों कै लागैगी,हथकड़ी उनकै फाबैगी,
जनता उस दिन नाचैगी,उलगी आवैगी सांस मनै।।
3
जनता की जनवादी क्रांति सुधार आवै पूरे समाज मैं
कोये भूखा नहीं सोवै अमन शांति छावै पूरे समाज मैं
छुआछूत ना टोही पावैगी ,भ्रष्टाचार ना भाजी थ्यावैगी, भूख ना फेर सतावैगी , बनता दीखै इतिहास मनै।।
4
यो हासिल करने खातर  भगत सिंह बनना होगा
जनतंत्र असली खातर संघर्ष मैं उतरना होगा
अर्थ नीति बदली जावैगी,फेर सांस मैं सांस आवैगी,दुनिया मैं शांति छावैगी, रणबीर देवै विश्वास मनै।।


वार्ता
लेखक भगत सिंह को आह्वान करके क्या कहता है ------
रागनी 8
देख ले आकै सारा हाल , क्यों देश की बिगड़ी चाल, सोने की चिडया सै कंगाल , भ्रष्टाचार नै करी तबाही ।।
1
अंग्रेज तैं लड़ी लडाई , थारी कुर्बानी आजादी ल्याई
देश के लुटेरों की बेईमानी फेर म्हारी बर्बादी ल्याई
क्यों भूखा मरता कमेरा , इसनै क्यूकर लूटै लुटेरा, करया चार

भगत सिंह 8 से 21

 वार्ता

लेखक भगत सिंह को आह्वान करके क्या कहता है ------
रागनी 8
देख ले आकै सारा हाल , क्यों देश की बिगड़ी चाल, सोने की चिडया सै कंगाल , भ्रष्टाचार नै करी तबाही ।।
1
अंग्रेज तैं लड़ी लडाई , थारी कुर्बानी आजादी ल्याई
देश के लुटेरों की बेईमानी फेर म्हारी बर्बादी ल्याई
क्यों भूखा मरता कमेरा , इसनै क्यूकर लूटै लुटेरा, करया चारों तरफ अँधेरा,माणस मरता बिना दवाई ।।
2
चारों कान्ही आज दिखाऊँ , घोटालयां की भरमार दखे
दीमक की तरियां खावै सै समाज नै यो भ्रष्टाचार दखे
ये चीर हरण रोजाना होवें , नाम देश का जमा ड़बोवैं , लुटेरे आज तान कै सोवें, शरीफों की श्यामत आई ।।
3
थारे विचारों के साथी तो डटरे सें जमकै मैदान के माँ
गरीबों की ये लड़ें लडाई म्हारे पूरे हिंदुस्तान के माँ
भगत सिंह ये साथी थारे , तेरी याद मैं कसम उठारे, संघर्ष करेँ यो बिगुल बजारे ,चाहते ये मानवता बचाई ।।
4
बदेशी कंपनी थारे देश नै फेर गुलाम बनाया चाहवैं
मेहनत लूट मजदूर किसानों की ये पेट फुलाया चाहवैं
भारी दिल तैं साथी रणबीर, लिखै देश की सही तहरीर, भगत तमनै जो बनाई तस्बीर, देख जमा ए पाड़ बगाई।।


वार्ता-- 23 मार्च को फांसी की सजा दी गई और तीनों को सतलुज के किनारे पर जलाया गया। क्या बताया भला-


रागनी 9
राज गुरु सुख देव भगत सिंह तेईस मार्च नै फांसी पै लटकाये।।
हुसैनी वाला में अधजले तीनूं  सतलुज नदी के मैं गये बहाए।।
1
धार्मिक कट्टरवाद और अंधविश्वास समाज के बैरी बताये
विकास के पक्के रोड़े सैं इनपै लिख कै संदेश घर घर पहूंचाये
लिख मैं नास्तिक क्यों सूं एक पुस्तिका मैं अपने विचार बताये।।
2
इंसान के छूने से सवाल करया हम अपवित्र कैसे हो ज्यावैं
पशु नै रसोई मैं ले जाकै क्यों हम अपनी गोदी के मैं बिठावैं
कति शर्म नहीं आती हमनै क्यों इसे रिवाज समाज मैं चलाये।।
3
जो चीज आजाद विचारों नै बर्दाश्त नही कर पावै देखो रै
हों इसी चीज खत्म समाज तैं तीनूं नौजवान चाहवैं देखो रै
समाजवाद के पढ़े विचार इंकलाब जिंदाबाद के नारे लाये।।
4
लोग नहीं लड़ें आपस के मैं जरूरत वर्ग चेतना की बताई
किसान मजदूर की असली बैरी पूंजीपति की वर्ग समझाई
सुखदेव राजगुरु भगत सिंह नै रणबीर ना पाछै कदम हटाये ।।


वार्ता
शहीद भगत सिंह पर रचित एक रागनी
रागनी 11
भगतसिंह नै अपनी निभाई ईब हम अपनी निभावांगे ।।
इंसानियत का विचार उनका पूरी दुनिया मैं पहोंचावांगे।।
1
इंसानियत भूलकै समाज हैवानियत कान्ही चाल पड़या
शोषण रहित समाज का सपना चौराहे पै बेहाल खड़या
थारा संगठन जिस खातर लड़या उस विचार का परचम फैहरावांगे।।
इंसानियत का विचार उनका पूरी दुनिया मैं पहोंचावांगे।।
2
तेईस साल की कुल उम्र चरों कान्ही तैं इतना ज्ञान लिया
बराबर हों इंसान दुनिया के मिलकै तमनै ब्यान दिया
मांग महिला का सम्मान लिया थारी क्रांति का झंडा लैहरावांगे।।
इंसानियत का विचार उनका पूरी दुनिया मैं पहोंचावांगे।।
3
हंसते हंसते फांसी चूमगे इंकलाब जिंदाबाद का नारा लाया
बम्ब गैर कै एसैम्बली मैं नारा अंग्रेजां कै था याद दिलवाया
मिलकै सबनै प्रण उठाया गोरयां नै हम बाहर भजावांगे।।
इंसानियत का विचार उनका पूरी दुनिया मैं पहोंचावांगे।।
4
जेल मैं पढी किताब के थोड़ी नोट किया सब डायरी मैं
आतंकवादी का मतलब समझां फर्क समझां क्रांतिकारी मैं
कहै रणबीर बरोने आला घर घर थारा सन्देश लेज्यावांगे।।
इंसानियत का विचार उनका पूरी दुनिया मैं पहोंचावांगे।।
11.9.2016

वार्ता
भगत सिंह जेल से अपने पिताजी के नाम एक पत्र लिखकर सरकार को उनके द्वारा भेजी अपील का सख्त विरोध करते हैं । क्या बताया इस रागनी में :-
रागनी 11
अर्जी पिता किशनसिंह नै ट्रिब्यूनल ताहीं दी बताई थी।।
दलील दे बचाव खातर  कोर्ट जाणे की प्लान बनाई थी ।।
1
भगत सिंह और उसके साथी इसतैं सहमत नहीं बताये
अंग्रेजां की बदले की नीति बोले पिता समझ नहीं पाये
जिंदगी की भीख नहीं मांगां सन्देश बाबू धोरै भिजाई थी।।
दलील दे बचाव खातर-------
2
हम तो हैरान पिताजी क्यों आपनै आवेदन भेज दिया
बिना मेरे तैं सलाह करें इसा गल्त क्यों काम किया
राजनितिक विचारों की दूरी कई बारियां समझाई थी।।
दलील दे बचाव खातर-------
3
थारी हाँ ना के ख्याल बिना मैं अपना काम करता आया सूँ
मुकद्दमा नहीं लड़ूंगा इसपै मैं धुर तैं खड़या पाया सूँ
अपने सिद्धान्त कुर्बान करकै नहीं बचना कसम खाई थी।।
दलील दे बचाव खातर---------
4
आप पिता मेरे ज्यां करकै मनै सख्त बात नहीं लिखी सै
थारी या बड़ी कमजोरी बात साफ़ मनै कहनी सिखी सै
रणबीर इस्सी उम्मीद कदे मनै आपतैं नहीं लगाई थी।।
दलील दे बचाव खातर---------
16.9.16

वार्ता
इतिहास गवाह है कि जब जब जनता में जागरूकता आई उसने उस दौर के अपने शासकों को झुकाया है।क्या बताया भला-
रागनी 12
जब जब जनता जागी  यो जुल्मी शोषक झुका दिया ।।
भारत तैं जुल्मी गोरा मिलकै सबनै भगा दिया ।।
1
आजाद देश का सपना पहुंचा शहर और गांव मैं
भगत सिंह फांसी टूटा जोश था  देश तमाम मैं
दुर्गा भाभी गेल्याँ  जुटगी इस आजादी के काम मैं
लाखाँ नर और नारी देगे या कुर्बानी गुमनाम मैं
कुर्बानी बिना नहीं आजादी गांधी अलख जगा दिया ।।
भारत तैं जुल्मी गोरा मिलकै सबनै भगा दिया ।।
2
गोरे गये आगे काले गरीबी जमा मिटी नहीं सै
बुराई बढती आवै सै भिद्द इसकी पिटी नहीं सै
अच्छाई संघर्ष करण लागरी आस जमा घटी नहीं सै
जनता एक दिन जीतेगी या उम्मीद छुटी नहीं सै
म्हारी एकता तोडण़ खातिर जात पात घणा फैला दिया।।
भारत तैं जुल्मी गौरा मिलकै सबनै भगा दिया।।
3
जात पात हरियाणा की सै सबतैं बड्डी बैरी भाइयो
विकास पूरा होवण दे ना दुनिया याहे कैहरी भाइयो
वैज्ञानिक सोच काट सै इसकी जड़ घणी गहरी भाइयो
अमीराँ की जात अमीरी म्हारै गरीबी फैहरी भाइयो
समता वादी समाज होगा संघर्ष का डंका बजा दिया ।।
भारत तैं जुल्मी गोरा मिलकै सबनै भगा दिया ।।
4
दारू माफिया मुनाफा खोर इनकी पक्की यारी देखो
भ्रष्ट पलसिया औछा नेता करता चौड़े गद्दारी देखो
बिचोलिया घणे पैदा होगे म्हारी अक्ल मारी देखो
लंबे जन संघर्ष की हमनै कर ली तैयारी देखो
रणबीर भगत सिंह ने रास्ता सही दिखा दिया।।
भारत तैं जुल्मी गोरा मिलकै सबनै भगा दिया ।।


वार्ता
23 मार्च को जब शहादत का दिन आता है तो लेखक के मन में बहुत से विचार इन शहीदों के बारे में आते हैं। क्या बताया भला-
रागनी 13
देख हालत आज देश की थारी याद घणी आवै सै।।
आज तो देशद्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।
1
सबको शिक्षा काम सबको का नारा थामने लाया था
इंकलाब जिंदाबाद देश में जोर लगा गुंजाया था
शोषण रहित समाज थारी डायरी लिखा पावै सै।।
आज तो देशद्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।
2
अंग्रेजों के खिलाफ थाम नै जीवन दा पै लगा दिया

आजादी का संदेश यो घर घर के में पहुंचा दिया
तीनों साथी फांसी चढ़गे  देश शहादत मना वै सै।।
आज तो देशद्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।
3
सरफरोशी की तमन्ना बोले इब म्हारे दिल मैं सै
देखना सै जोर कितना बाजू ए कातिल थारे मैं सै
एक नौजवान तबका थाम नै उतना ए चाहवै सै।।
आज तो देशद्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।
4
धर्म के नाम पर समाज बांटें आज देश भगत बनरे
हिंदू मुस्लिम के नाम पै बना कै पाले बन्दी तनरे
रणबीर थारी कुर्बानी हम सब मैं जोश लयावै सै।।
आज तो देशद्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।

वार्ता
शहादत का दिन मनाया जाता है। कई गायक आते हैं । भगत सिंह सुखदेव राजगुरु की शहादत को याद करते हुए एक गायक यह रागनी गाता है--
रागनी 14
जनता की जनवादी क्रांति हम बदल जरूर ल्यावाँगे रै ॥ 
भगतसिंह राजगुरु सुखदेव का यो देश बणावांगे रै ॥
1
जनतन्त्र का मुखौटा पहर कै राज करै सरमायेदारी या
जल जंगल जमीन धरोहर बाजार के मैं बेचै म्हारी या
हम लोगां का लोगां की खातर लोगां का राज चलावांगे रै ॥
भगतसिंह राजगुरु सुखदेव का यो देश बणावांगे रै ॥
2
कौन लूटै जनता नै इब सहज सहज पहचान रहे
आज घोटाले पर घोटाले कर ये कारपोरेट बेईमान रहे
एक दिन मिलकै इन सबनै हम जेल मैं पहोंचावांगे रै  ॥
भगतसिंह राजगुरु सुखदेव का यो देश बणावांगे रै ॥
3
जनता जाओ चाहे भाड़ मैं बिदेशी पूंजी तैं हाथ  मिलाया
दरवाजे खोल दिए उन ताहिं गरीबाँ का सै भूत बनाया
जमा बी हिम्मत नहीं हारां मिलकै नै सबक सिखावांगे रै ॥
भगतसिंह राजगुरु सुखदेव का यो देश बणावांगे रै ॥
4
बढ़ा जनता मैं  बेरोजगारी ये नौजवान भटकाये देखो 
जात पात गोत नात मैं बांटे आपस मैं भिड़वाये देखो
किसान मजदूर के दम पै करकै संघर्ष दिखावांगे रै ॥
भगतसिंह राजगुरु सुखदेव का यो देश बणावांगे रै ॥
वार्ता
23 साल की उम्र का जिक्र करते हुए लेखक इस प्रकार से अपने विचार व्यक्त करता है-
रागनी 15
भगत सिंह तेईस साल का यो नौजवान हुया क्रांतिकारी।।
इंकलाब जिंदाबाद नारा लाया कांपी गोरी सरकार सारी।।
1
नौजवान सभा बनाकै सारे क्रन्तिकारी एक मंच पै आये
गोरयां की गुलामी खिलाफ पूरे देश मैं अलख जगाये
आजाद राजगुरु सुखदेव पड़े थे गोरयां पै भारी।।
इंकलाब जिंदाबाद नारा लाया कांपी गोरी सरकार सारी।।
2
गोरयां नै आतंकवादी ये सारे क्रांतिकारी बताये दखे
म्हारी आजाद सरकारां नै नहीं ये इल्जाम हटाये दखे
देखी म्हारी सरकारां की आज पूरे देश नै गद्दारी।।
इंकलाब जिंदाबाद नारा लाया कांपी गोरी सरकार सारी।।
3
फांसी का हुक्म सुनाया सारे देश नै विरोध करया था
यो विरोध देख कसूता अंग्रेज बहोत घणा डरया था
एक दिन पहलम फांसी तोड़े जनता नै भरी हूंकारी ।।
इंकलाब जिंदाबाद नारा लाया कांपी गोरी सरकार सारी।।
4
इंसानी समाज का सपना भगत सिंह हर नै लिया यो
गोरे गए ये देशी आगे सपन्यां पै ध्यान नहीं दिया यो
कहै रणबीर बरोने आला म्हारै थारी याद घणी आरी ।।
इंकलाब जिंदाबाद नारा लाया कांपी गोरी सरकार सारी।।
वार्ता
शहीदों के सपनों को आजादी के बाद धीरे धीरे भुला दिया गया। दो भारत बना दिये जाते हैं। क्या बताया भला--

रागनी 16
साइनिंग और सफरिंग देखो दो भारत बणा राखे रै।।
भगत सिंह सुखदेव राजगुरु थारे सपने भुला राखे रै।।
1
सफरिंग का कितै जिकरा ना साइनिंग खूब चढ़ाया रै
सफरिंग नै लूट लूट कै देखो यो साइनिंग गया बनाया रै
भगत सिंह थारे सारे सपने मिट्टी मैं मिला राखे रै।।
भगत सिंह सुखदेव राजगुरु थारे सपने भुला राखे रै।।
2
समाजवाद का सपना थारा ना देता कितै दिखाई रै
सबको शिक्षा काम सबको होती ना कितै सुनाई रै
महिला कितै सुरक्षित ना कसूते साँस चढ़ा राखे रै।।
भगत सिंह सुखदेव राजगुरु थारे सपने भुला राखे रै।।
3
दलितों नै हक मांगे तो इन पर अत्याचार बढ़गे रै
तत्ववादी हिन्दू मुस्लिम म्हारी छाती पै चढ़गे रै
धामिर्कता की जगां धर्मान्धता के पाठ पढ़ा राखे रै।।
भगत सिंह सुखदेव राजगुरु थारे सपने भुला राखे रै।।
4
महंगाई बेकारी असुरक्षा नै कड़ तोड़ कै धरदी रै
किसान फांसी खा खा मरते बुरी हालत करदी रै
कहै रणबीर घोटाळ्यां नै आज ऊधम मचा राखे रै ।।
भगत सिंह सुखदेव राजगुरु थारे सपने भुला राखे रै।।
वार्ता
तीनों शहीदों को याद करते हुए आज के हिंदुस्तान की हालत ब्यान करते हुए क्या बताया भला-
रागनी 17

भगत सिंह राजगुरु सुखदेव सबको है प्रणाम म्हारा।।
शोषण रहित समाज का सपना चकनाचूर तमाम थारा।।
1
बेरोजगारी नै कहर मचाया आसमानां जा कै चढ़गी देख
गरीब की रोटी चटनी खुसगी किसानों की पींग बधगी देख
हर पांच मिनट मैं फांसी खावैं लूट की लकीर कढ़गी देख
पढ़ाई लिखाई और इलाज की  कसूती कीमत बढ़गी देख
अमीर थे वे घने अमीर होगे झूठा लेवैं आज नाम थारा।।
शोषण रहित समाज का सपना चकनाचूर तमाम थारा।।
2
महिला कितै महफूज रही ना असुरक्षा का माहौल छाया
बदमाशों नै गाम शहरों मैं महिलावां पै घना कहर ढाया
यारे प्यारे भी नहीं शर्मावैं महिलाओं को चीज बनाया
आनर किलिंग होवैं सैं रोजाना जिकरा अखबारों मैं आया
थारे सपनों की अर्थी ठवा दी झूठा नहीं सै इल्जाम म्हारा ।।
शोषण रहित समाज का सपना चकनाचूर तमाम थारा।।
3
नंबर वन हरियाणा के मैं दलितों पै अत्याचार बढ़े रै
दुलिना और गोहाना ना भूले मिर्चपुर मैं फेर सांस चढ़े  रै
दबंगों की चा लै आज बी उनके नखरे जमा नहीं घटे रै
पहचान की राजनीति मैं आज दलित भी कसूते फंसे  रै
छुआछूत बारे लिख्या थामनै अनदेखा हुया सब काम थारा।।
शोषण रहित समाज का सपना चकनाचूर तमाम थारा।।
4
समाजवाद का सपना देखया उसकी खातर फांसी खाई रै
मानस का मानस ना बैरी हो थामनै सही राह दिखाई  रै
आज के काले गोरयां नै गोरे गोरयां की रीत निभाई रै
बेरोजगारी और महंगाई पै फासीवाद की नीव धराई  रै
कहै रणबीर बरोने आला सारै पहोंचावंगे पैगाम थारा ।।
शोषण रहित समाज का सपना चकनाचूर तमाम थारा।।
वार्ता
भगत सिंह और उनके साथियों का समाजवाद का सपना था। भगत सिंह ने विस्तार से इस बारे लिखा भी। क्या बताया भला-
रागनी 17
थारा समाजवाद का सपना भगत सिंह आगै बढ़ावैं रै।।
थोड़े सां पर बुलन्द होंसले सैं जमा नहीं झूठ भकावैं रै।।
1
इस बाजार व्यवस्था नै सारे कै उधम घणा मचाया सै
मानवता पाछै छोड़ दई यो विज्ञान तकनीक बनाया सै
पर्यावरण का सत्यानाश करया लालच घणा छाया सै
कुदरती संसाधन का दोहन बेहिसाब आज करवाया सै
पूंजीवादी बाजार की जड़ दीखली या सबनै समझावैं रै।।
थोड़े सां पर बुलन्द होंसले सैं जमा नहीं झूठ भकावैं रै।।
2
हिंदुस्तान मैं बाजारवाद के टाटा अम्बानी पुजारी देखो
इनके तलहैडू म्हारी सरकार जमा ए अक्कल मारी देखो
गोड्डे टिकवाये किसानां के मजदूर बनाये भिखारी देखो
अम्बानी की अमीरी बधाई गरीबां की हुई लाचारी देखो
भगत सिंह थारी राही चालां नहीं पाछै कदम हटावैं रै।।
थोड़े सां पर बुलन्द होंसले सैं जमा नहीं झूठ भकावैं रै।।
3
शहीदों थारी या कुर्बानी एक दिन अपना रंग दिखावैगी
बेरोजगारी खत्म होज्यागी महिला पूरा सम्मान पावैगी
जंगी हथियार खत्म करे जावैं दुनिया मैं शांति छावैगी
जात गोत मजहब ताहिं या मानवता सबक सिखावैगी
दुनिया मैं समाजवाद का नारा मिलकै नै सारे लगावैं रै।।
थोड़े सां पर बुलन्द होंसले सैं जमा नहीं झूठ भकावैं रै।।
4
सिर्फ बात नहीं सैं कहवण की ये होवण की बात सारी
लुटेरे कमेरे की लड़ाई असली बाकी लड़ाई खाई बधारी
वर्ग संघर्ष का रास्ता सही रणबीर की कलम भी पुकारी
आज इसपै चलने का मौका दुनिया मैं संकट आया भारी
भगत सिंह जन्म दिन थारा हम जोश खरोश तैं मनावैं रै।।
थोड़े सां पर बुलन्द होंसले सैं जमा नहीं झूठ भकावैं रै।।

वार्ता


भगत सिंह जेल से अपने पिताजी के नाम एक पत्र लिखकर सरकार को उनके द्वारा भेजी अपील का सख्त विरोध करते हैं । क्या बताया इस रागनी में :-
रागनी 18
अर्जी पिता किशनसिंह नै ट्रिब्यूनल ताहीं दी बताई थी।।
दलील दे बचाव खातर  कोर्ट जाणे की प्लान बनाई थी ।।
भगत सिंह और उसके साथी इसतैं सहमत नहीं बताये
अंग्रेजां की बदले की नीति बोले पिता समझ नहीं पाये
जिंदगी की भीख नहीं मांगां सन्देश बाबू धोरै भिजाई थी।1।
दलील दे बचाव खातर-------
हम तो हैरान पिताजी क्यों आपनै आवेदन भेज दिया
बिना मेरे तैं सलाह करें इसा गल्त क्यों काम किया
राजनितिक विचारों की दूरी कई बारियां समझाई थी।2।
दलील दे बचाव खातर-------
थारी हाँ ना के ख्याल बिना मैं अपना काम करता आया सूँ
मुकद्दमा नहीं लड़ूंगा इसपै मैं धुर तैं खड़या पाया सूँ
अपने सिद्धान्त कुर्बान करकै नहीं बचना कसम खाई थी।3।
दलील दे बचाव खातर---------
आप पिता मेरे ज्यां करकै मनै सख्त बात नहीं लिखी सै
थारी या बड़ी कमजोरी बात साफ़ मनै कहनी सिखी सै
रणबीर इस्सी उम्मीद कदे मनै आपतैं नहीं लगाई थी।।
दलील दे बचाव खातर---------
16.9.16
वार्ता
शहीद भगत सिंह को याद करते हुए लेखक क्या लिखता है भला--
रागनी 19
तेरी याद सतावै सै, दुख बढ़ता आवै सै
कानां पर कै जावै सै, म्हारी कोये ना सुणता।।
1
एक ओड़ नै तो सती का जश्न खूब मनाया जावै
औरत को दूजे कांहीं बाजार बीच नचाया जावै
जड़ै होज्या सै सुनवाई,इंसानियत जड़ै बताई, समाजवाद की राही, भगत कोये ना चुनता।।
2
मुनाफाखोरी की संस्कृति जिस समाज मैं आ ज्यावै
मानवता उड़ै बचै कोण्या या जड़ मूल तैं खा ज्यावै
पूंजी का खेल बताया, नहीं समझ मैं आया
आपस मैं भिड़वाया, भगत भेद नहीं खुलता।।
3
और मुनाफा चाहिए चाहे लाश गेरणीं हो ज्यावैं
साइनिंग दुनिया आले एयरकंडिसन्ड मैं सो ज्यावैं
गरीब क्यों भूखा मरै,मेहनत भी खूब करै
साइनिंग ऊंपै नाम धरै,भगत नहीं चैन मिलता।।
4
आपा धापी माच रही भाई का गल भाई काट रहया
नयेपन के नाम पै नँगापन चाला भुण्डा पाट रहया
जात पात की राही नै, ऊंच नीच की खाई नै, देख गरीब की तबाही नै, रणबीर देख दिल  हिलता।।
वार्ता
शहीद ए आजम भगत सिंह
रागनी 20
माता जी मनै आज्ञा देदे देश नै आजाद कराऊँ मैं
री माता दूध तेरा यो करकै सफल दिखाऊं मैं ।।
1
माता तनै लाड प्यार तैं देश भक्ति का पाठ पढ़ाया
जिसकी खातर तैयार किया सुण माता बख्त वो आया
अपनी छाती का दूध पिलाया नहीं कोख लजाऊं मैं।।
री माता दूध तेरा यो करकै सफल दिखाऊं मैं ।।
2
शेर बबर की तरियां सीना खोल चलैं क्रांतिकारी
गाजर मूली समझैँ गोरे क्यों उनकी अक्कल मारी
बढ़ती जागी ताकत म्हारी साची साच बताऊँ मैं।।
री माता दूध तेरा यो करकै सफल दिखाऊं मैं ।।
3
देश मैं अलख जगावैं क्रांतिकारी देकै नै क़ुरबानी
कई बरस हो लिए माता गोरी ताकत नहीं मानी
नहीं डरते हम हिंदुस्तानी कोण्या झूठ भकाऊं मैं।।
री माता दूध तेरा यो करकै सफल दिखाऊं मैं ।।
4
अंग्रेज गोरे फुट गेरै अपणा राज बचावण नै रै
देश की जनता मिलकै लड़ैगी देश छुडावण नै रै
रणबीर छंद बणावण नै रै या कलम घिसाऊं मैं ।।
री माता दूध तेरा यो करकै सफल दिखाऊं मैं ।।



21

भगत सिंह हर के सपने
जिन सपन्यां खातर फांसी टूटे हम मिलकै पूरा करांगे ।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
1
सबको मिलै शिक्षा पूरी यही तो थारा विचार बताया
समाज मैं इंसान बराबर तमनै यो प्रचार बढ़ाया
एक दूजे नै कोए ना लूटै थामनै समाज इसा चाहया
मेहनत की लूट नहीं होवै सारे देश मैं अलख जगाया
आजादी पाछै कसर रैहगी हम ये सारे गड्ढे भरांगे।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
2
फुट गेरो राज करो का गोरयां नै खेल रचाया था
छूआ छूत पुराणी समाज मैं लिख पर्चा समझाया था
समाजवाद का पूरा सार सारे नौजवानों को बताया था
शोषण रहित समाज होज्या इसा नक्शा चाहया था
थारे विचार आगै लेज्यावांगे हम नहीं किसे तैं डरांगे।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
3
नौजवानो को भगत सिंह याद आवै सै थारी क़ुरबानी
देश की खातर फांसी टूटे गोरयां की एक नहीं मानी
देश की आजादी खातर तकलीफ ठाई थी बेउन्मानी
गोरयां के हाथ पैर फूलगे जबर जुल्म करण की ठानी
क्रांतिकारी कसम खावैं देश की खातर डूबाँ तिरांगे।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
4
बहरे गोरयां ताहिं हमनै बहुत ऊंची आवाज लगाई
जनता की ना होवै थी सुनायी ज्यां बम्ब की राह अपनाई
नकाब फाड़ना जरूरी था गोरे खेलें थे  घणी चतुराई
गोरयां की फ़ौज म्हारी माहरे उप्पर करै नकेल कसाई
रणबीर कसम खावां सां चाप्लूसां तैं नहीं घिरांगे।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।

22

शहीद भगतसिंह
भगत सिंह विचार थारे, देश के शासक

किस्सा चन्दर शेखर आजाद

 23 July Birth Day of Chander Sekhar Ajad

kissa ---18 Ragni
किस्सा चन्द्रद्रशेखर आजाद                 
     अठारह सौ सतावण की आजादी की पहली जंग में लाखों लोगों ने कुर्बानियां दीं। उसके बाद अंग्रेजों का दमन का दौर और तेज हो जाता है। देश में पनपी हिन्दू-मुस्लिम एकता को तोड़ने के कुप्रयास किये जाते हैं। किसानों पर उत्पीड़न बेइन्तहा किया जाता है। ऐसे समय में भावरा गांव में 23 जुलाई 1906 को  चन्द्रशेखर आजाद का जन्म होता है। क्या बताया भला:
रागनी 1
तर्ज: चौकलिया
टेक  दूर दराज का गाम भावरा, जित  चन्द्रशेखर आजाद हुया।।
     दुपले पतले बालक तै घर, तेईस जुलाई नै आबाद हुया।।

     पूरी दुनिया मैं  यूरोप के, सारे कै व्यौपारी छाये थे
     ईस्ट इन्डिया कम्पनी नै चारों, कान्हीं पैर फैलाये थे
     अंग्रेजां नै भारत उपर शाम, दाम, दण्ड भेद चलाये थे
     देश के नवाबां नै फिरंगी साहमी, गोड्डे टिकाये थे
     किसानां नै करया मुकाबला उनका तै न्यारा अन्दाज हुया।।
     ठारा सौ सत्तावण मैं आजादी की पहली जंग आई फेर
     आजादी के मतवाले वीरां नै कुर्बानी मैं नहीं लाई देर
     फिरंगी शासक हुया चौकन्ना गद्दारां की थी कटाई मेर
     हटकै म्हारे भारत देश मैं  चौगरदे कै हुया अंधेर
     भारत की जनता नहीं मानी चाहे सब कुछ बरबाद हुया।।
  भुखमरी आवै थी तो भूख तै के घने लोग मरे नहीं थे
     अंग्रेजां का  राज  अकाल पड़े खेत बचे हरे भरे नहीं थे
     टैक्स वसूल्या गाम उजाड़े लोग फेर बी डरे नहीं थे
     कुछ हुये गुलाम कई नै जमीर गिरवी धरे नहीं थे
     विद्रोह की राही पकड़ी कुछ नै क्रान्ति का उन्माद  हुया।।
     युगान्तर अनुशीलन संगठन बढ़े बंगाली मैदान मैं
     कांग्रेस मैं गान्धी का स्वदेशी सहज सहज आया उफान मैं
     चोरा चोरी मैं गोली चाली चौकी जलाई घमसान मैं
     गान्धी नै वापिस लिया फैंसला निराशा छाई थी नौजवान मैं
     रणबीर चन्द्रशेखर इसे बख्त क्रान्ति की बुनियाद हुया।।
     गांव के हालात काफी खराब थे। चन्द्रशेखर का परिवार भी आर्थिक स्तर पर कमजोर था। चन्द्रशेखर गांव से चलकर शहर में आ जाता है और छोटा-मोटा काम ढूंढ लेता है। एक कमरा रहने वाले कई। क्या बताया भला:
रागनी-2
तर्ज: चौकलिया
     गाम तै चालकै चन्द्र शेखर शहर कै मैं आया फेर।।
     छोटा मोटा काम मिल्या रैहण का जुगाड़ बनाया फेर।।

     एक कमरे मैं कई रहवैं मुश्किल सोना होज्या था
     आधी बारियां भूखे प्यासे भीतरला सबका रोज्या था
     आजाद देखकै हालत नै वो अपणा आप्पा खोज्या था
     बीड़ी पी पी कै धुमा भरज्या कौन चैन तै  सोज्या था
     देखकै  हालत मित्र प्यारयां की आजाद घणा दुख पाया फेर।।
     दिल मैं सोची शहर मैं खामखा आकै ज्यान फंसाई
     उल्टा जांगा गाम मैं तो कसूती होवैगी जग हंसाई
     आडे क्यूकर रहूं घुट घुट कै ना बात समझ मैं आई 
     तिरूं डूबूं जी होग्या उसका हुई मन तै खूब लड़ाई
     न्यों तो बात बणैगी क्यूकर उसनै दिल समझाया फेर।।
     गरीबी के के काम करवादे इसका बेरा पाट गया
     फिरंगी की लूट का अहसास उंका कालजा चाट गया
     सोच सोच इन बातां नै वो दिल अपणे नै डाट गया
     जी हजूरी उनकी करने तै चंद्रशेखर  जमा नाट गया
     क्रान्ति का झन्डा आजाद नै पूरे मन तै ठाया फेर।।
     भगतसिंह राजगुरु तै उसनै तार भिड़ाये फेर
     सुखदेव शिव वर्मा हर बी उनकी गेल्यां आये फेर
     कई महिला साथ आई इन्कलाब के नारे लाये फेर
     जनून छाया सबमैं घणा मुड़कै नहीं लखाये फेर
     रणबीर मरने तक उसनै था अपना वचन निभाया फेर।।
     वहां शहर में चन्द्रशेखर सहज सहज क्रान्तिकारियों के सम्पर्क में आ जाता है। सुखदेव, राजगुरु, शिव वर्मा, भगतसिंह के साथ उसका तालमेल बनता है। वह आजादी की लड़ाई का एक बहादुर सिपाही का सपना देखने लगता है। वह अपनी जिन्दगी दांव पर लगाने की ठान लेता है। क्या बताया फिर-
रागनी-3
तर्ज: चौकलिया
     चन्द्रशेखर आजाद नै अपणी जिन्दगी दा पै लादी रै।।
     फिरंगी गेल्या लड़ी लड़ाई उनकी जमा भ्यां बुलादी रै।।

     फिरंगी राज करैं देश पै घणा जुलम कमावैं थे
     म्हारे देश का माल कच्चा अपणे देश ले ज्यावैं थे
     पक्का माल बना कै उड़ै उल्टा इस देश मैं ल्यावैं थे
     कच्चा सस्ता पक्का म्हंगा हमनै लूट लूट कै खावैं थे
     भारत की फिरंगी लूट नै आजाद की नींद उड़ादी रै।।
     किसानां पै फिरंगी नै बहोत घणे जुलम ढाये थे
     खेती उजाड़ दई सूखे नै फेर बी लगान बढ़ाये थे
     जो लगान ना दे पाये उनके घर कुड़क कराये थे
     किसानी जमा मार दई नये नये कानून बनाये थे
     क्रान्तिकारियां नै मिलकै नौजवान सभा बना दी रै।।
     जात पात का जहर देश मैं इसका फायदा ठाया था
     आपस कै मैं लोग लड़ाये राज्यां का साथ निभाया था
     व्हाइट कालर आली शिक्षा मैकाले लेकै आया था
     साइमन कमीशन गो बैक नारा चारों कान्हीं छाया था
     म्हारी पुलिस फिरंगी नै म्हारी जनता पै चढ़ा दी रै।।
     जलियां आला बाग कान्ड पापी डायर नै करवाया था
     गोली चलवा मासूमां उपर आतंक खूब फैलाया था
     मनमानी करी फिरंगी नै अपना राज जमाया था
     जुल्म के खिलाफ आजाद नै अपना जीवन लाया था
     रणबीर नै तहे दिल तै अपणी कलम चलादी रै।।
     1921 में असहयोग आन्दोलन की लहर उठती है पूरे देश में। जगह-जगह पर प्रदर्शन, धरने किये जाते हैं। महात्मा गान्धी इस आन्दोलन के अग्रणी नेता थे। उधर ज्योतिबा फुले अपने ढंग से समाज सुधार आन्दोलन में सक्रिय थे। पुर्नुत्थान के साथ साथ नवजागरण का एक माहौल पूरे देश में बन रहा था। क्या बताया भला:
रागनी 4
     उन्नीस सौ इक्कीस मैं असहयोग आन्दोलन की जंग छिड़ी।।
     सारे हिन्दुस्तान की  जनता फिरंगी गेल्या आण भिड़ी।।

     जलूस काढ़ते जगां जगा पै गांधी की सब जय बोलैं
     भारत के नर नारी जेल गये जेल के भय तै ना डोलैं
     कहैं जंजीर गुलामी की खोलैं आई संघर्ष की आज घड़ी।।
     नौजवान युवक युवती चाहवैं देश आजाद कराया रै
     कल्पना दत्त नै कलकत्ता मैं चला गोली सबको बतलाया रै
     आजादी की उमंग उनमैं भरी नौजवान सभा बनी कड़ी।।
     ज्योतिबा फुले का चिंतन दलितां नै बार बार पुकारै था
     मनु नै जो बात लिख दी उन बातां नै जड़ तै नकारै था
     नवजागरण की चिंगारी देश मैं सुलगी कई जगां बड़ी।।
     एक माहौल आजादी का चारों कान्हीं जन जन मैं छाया रै
     गांधी और भगतसिंह का विचार आपस मैं टकराया रै
     रणबीर सिंह नै सोच समझ कै नये ढंग की कली घड़ी।।
     चन्द्रशेखर आजाद अपना रहने का स्थान बदलता रहता था। पुलिस क्रान्तिकारियों के पीछे लगी रहती। सातार नदी के किनारे आजाद एक कुटिया में साधु के भेष में रहने लगता है। पास के गांव में कत्ल हो जाता है। पुलिस की आवाजाही बढ़ जाती है। चन्द्रशेखर कैसे बचाता है अपने आपको:
रागनी 5
     सातार नदी के काठै आजाद एक कुटिया मैं आया।।
     साधु भेष धार लिया नहीं पता किसे ताहिं बताया।।

     जिब बी कोए साथी पुलिस की पकड़ मैं आज्या था
     आजाद ठिकाना थोड़ी वार मैं कितै और बणाज्या था
     इसे सूझबूझ के कारण पुलिस तै ओ बच पाया।।
     पास के गाम मैं एक बै किसे माणस का कत्ल हुया
     चरचा होगी सारे कै फेर पुलिस का पूरा दखल हुया
     पुलिस दरोगा तफतीस करी कुटी मैं फेरा लाया।।
     दरोगा नै देख कै आजाद बिल्कुल ही शान्त रहया
     ध्यान तै सुण्या सब कुछ जो दरोगा नै उंतै कहया
     बोल्या धन्यवाद दरोगा जी आगै फेर जिकर चलाया।।
     साधूआं  का ठोर ठिकाना यू सारा संसार दरोगा जी
     छोड़ दिया बरसां पहलम यू घर परिवार दरोगा जी
     रणबीर आजाद नै न्यों दरोगा तै पीछा छटवाया।।
     बाबा जी की मढ़ी में पुलिस अपना डेरा डाल देती है। क्रान्तिकारी मढ़ी का निरीक्षण करने पहुंचते हैं कि पुलिस वालों को क्या ठिकाने लगाया जा सकता है। क्या बताया भला:
रागनी 6
     क्रान्तिकारी टोली आई रै बाबा जी की मढ़ी मैं।।
     दोनूआं नै शीश नवाई रे बाबा जी की मढ़ी मैं।।

     भगतां की टोली मैं उननै पूरी सेंध लगाई फेर
     चीलम की उनकी बी थोड़ी वार मैं बारी आई फेर
     आजाद तै चीलम पकड़ाई रै बाबा जी की मढ़ी मैं।।
     कदे बीड़ी बी पी कोन्या चीलम हाथ मैं आई
     घूंट मारकै चीलम फेर राजगुरु तै पकड़ाई
     राजगुरु नै दम लगाई रै बाबा जी की मढ़ी मैं।।
     मढ़ी का पूरा पूरा उसनै हिसाब लगाया फेर
     माणस घणे मारे जांगे उनकी समझ आया फेर
     आंख तै आंख मिलाई रै बाबा जी की मढ़ी मैं।।
     प्रणाम करकै बाबा जी नै दोनूं उल्टे आये थे
     बाकी टोली आल्यां तै मढ़ी के हालात बताये थे
     रणबीर करै कविताई रै बाबा जी की मढ़ी मैं।।
     दो पुलिस वालों से आजाद व राजगुरु का आमना सामना मढ़ी में हो जाता है। साधु को अपनी चिन्ता होती है। पुलिस वाले अपने अपने ढंग से इनाम पाने की सोचते हैं। वहां कैसे क्या होता है। क्या बताया भला:
रागनी 7
     आहमी साहमी होगे चारों एक पल तक आंख मिली।।
     न्यारे न्यारे दिमागां मैं न्यारे  ढाल की बात चली।।

     साधु सोचै फंसे खामखा यो आजाद मनै मरवावैगा
     आजाद सोचै दोनूं पुलिसिया क्यूकर इनतै टकरावैगा
     एक सिपाही सोचै आजाद पै इनाम तै थ्यावैगा
     दूजा सोचै नाम हो मेरा इनाम सारा मेरे बांटै आवैगा
     के तूं आजाद सै सुण कै बी चेहरे पै उसके हंसी खिली।।
     नहीं चौंक्या आजाद जमा सादा भोला चेहरा बनाया
     साधु तो हमेशा आजाद हो सै कोए भाव नहीं दिखाया
     पुलिसिया कै शक होग्या पुलिस थाने का राह बताया
     हनुमान की पूजा करनी हमनै वार हो बहाना बनाया
     दरोगा तै हनुमान बडडा कैहकै उसकी थी दाल गली।।
     आगरा शहर क्रान्तिकारियों के शहर की तरह जाना जाने लगा था। आजाद कभी आगरा कभी कानपुर अपने डेरे बदलता रहता था। दूसरों को भी चौकन्ना रहने को कहता था। एक बार एक जगह आजाद फंस जाता है तो कैसे निकलता है। क्या बताया भला:
रागनी 8
तर्ज: चौकलिया
     आगरा शहर एक बख्त क्रान्तिकारियां का शहर बताया।।
     फरारी जीवन बिता रहे चाहते अपणा आप छिपाया।।

     कदे झांसी और कदे आगरा मैं आकै रहवै आजाद
     जितने दिन रहै आगरा रहो चौकन्ने कहवै आजाद
     बारी बारी सब पहरा देते ढील नहीं सहवै आजाद
     साथी रात पहरे पै सोग्ये उठकै सब लहवै आजाद
     पहरा देने आला साथी फेर बहोत करड़ा धमकाया।।
     साथी सुणकै चुप रैहग्या उसकी आंख्या पानी आग्या रै
     देख कै रोवन्ता उस साथी नै आजाद घणा दुख पाग्या रै
     ड्यूटी पहलम खत्म करादी खुद पै बेरा ना के छाग्या रै
     कोली भरली प्यार जताया उसनै अपनी छाती लाग्या रै
     अनुशासन और प्यार का आजाद नै जज्बा दिखाया।।
     कानपुर मैं दोस्त धेारै आजाद नै कुछ दिन बिताये
     कांग्रेसी माणस व्यापारी लेन देन करते बतलाये
     सलूनो का दिन पत्नी नै बूंदी के लड्डू बनवाये
     परांत मैं भरकै चाल पड़ी पुलिस दरोगा घर मैं आये
     पुलिस आले कै बांध राखी उसनै भाई तत्काल बनाया।।
     बोली माड़ा झुकज्या नै च्यार लाड्डू उसतै थमा दिये
     परांत सिर पै आजाद कै दरोगा जी बेवकूफ बना दिये
     इसा बर्ताव देख दरोगा नै सब भेद बता दिये
     फिरंगी नजर राखता जिनपै नाम सबके गिना दिये
     रणबीर बरोने आले नै यो आजाद घणा कसूता भाया।।
     झांसी के पास राजा का पिछलग्गू एक सरदार था। उसके यहां रहकर आजाद ने कुछ वक्त बिताया। यहां कई लोगों को निशानेबाज बनाया। राजा के बैरी क्रान्तिकारियों को उकसाते थे कि राजा को मारकर धन लूट लो। मगर आजाद इसे ठीक नहीं मानता - क्या बताया भला:
रागनी 9
तर्ज: चौकलिया
     झांसी धौरे एक राजा का चमचा सरदार बताया रै।।
     आजाद नै थोड़े दिन उड़ै अपणा बख्त बिताया रै।।

     झांसी के क्रान्तिकारी निशाना लाणा सिखा दिये
     अचूक निशाना साधन मैं पारंगत सभी बना दिये
     राजा मार कै धन जुटाओ रास्ते कुछ नै बता दिये
     बैरी राजा के सलाह देवैं अन्दाजे आजाद लगा लिये
     टाल मटौल कर आजाद नै मौका टाल्या चाहया रै।।
     राजा के बैरी बोले के पाप जुल्मी नै मारण का
     कंस मारण खातर के पाप कृष्ण रूप धारण का
     के हरजा खोल बता मौत के घाट तारण का
     आजाद बोल्या मसला सै गहराई तै विचारण का
     हिंसा म्हारी मजबूरी सै आजाद नै समझाया रै।।
     या मजबूरी म्हारे पै शासक आज के थोंप रहे
     झूठ भकावैं और लूटैं चाकू कसूते घोंप रहे
     सच्चाई का लाग्या बेरा माणस सारे चोंक रहे
     हम चटनी गेल्यां खाते ये लगा घीके छोंक रहे
     हत्यारे कोन्या हम दोस्तो चाहते देश आजाद कराया रै।।
     नेक इरादा नेक काम का ध्येय सै म्हारा यो
     नेक तौर तरीके अपणावां सार बात का सारा यो
     आजादी म्हारी मंजिल सै फरज म्हारा थारा यो
     रणबीर सिंह की कविताई सही लिखै नजारा यो
     नरहत्या का आजाद विरोधी उसनै इसा जज्बा दिखाया रै।।
     साधु बाबा के पास अमूल्य रतन था। उसे बाबा से हथिया कर क्रान्तिकारी हथियार खरीदना चाहते थे। सलाह की। बाबा की कुटी देखने गये। मगर कई आदमी मारे जाने के भय से उन्होंने यह योजना नहीं बनाई। आजाद और क्रान्तिकारी किसी के जीवन से खिलवाड़ नहीं करते थे। क्या बताया भला:
रागनी 10
तर्ज: चौकलिया
     अमूल्य रतन उसके धौरे साधु का बेरा पाड़ लिया।।
     गंगा जी के घाट कुटिया राह गोन्डा ताड़ लिया।।

     बैठ कै बतलाये सारे बाबा जी पै रतन ल्यावां
     बेच कै उसनै हथियारां का हम भण्डार खूब बढ़ावां
     योजना बना घणी पुख्ता रात अंधेरों  मैं जावां
     डरा धमका बाबा जी नै योजना सिरै चढ़ावां
     सोच हथियारां का फेर थोड़ा घणा जुगाड़ लिया।।
     गुलाबी ठण्ड का मौसम रात जमा अन्धेरी थी
     अन्ध्ेारे बीच चसै दीवा छटा न्यारी बखेरी थी
     रात नौ बजे भगतां की संख्या उड़ै भतेरी थी
     चरस की चीलम चालैं दुनिया तै आंख फेरी थी
     गांजा पीवैं जोर लगाकै कर घर कसूता बिगाड़ लिया।।
     राजगुरु आजाद नै तुरत स्कीम एक बनाई थी
     शामिल होगे साधुआं मैं चीलम की बारी आई थी
     मारी घूंट अपणी बारी पै देर कति ना लाई थी
     चीलम पीगे जिननै कदे बीड़ी ना सुलगाई थी
     सारी बात निगाह लई देख कुटी का कबाड़ लिया।।
     वापिस आकै न्यों बोले काम नहीं सै होवण का
     माणस घणे मारे जावैंगे माहौल बणैगा रोवण का
     रतन बदले इतने माणस तुक नहीं सै खोवण का
     चालो उल्टे चालांगे समों नहीं जंग झोवण का
     रणबीर नहीं आजाद नै जीवन से खिलवाड़ किया।।
     साइमन कमीशन भारत में आता है। उसका विरोध पूरे भारत में होता है। पंजाब में भी विरोध किया जाता है। अंग्रेजों की पुलिस अत्याचार करती है। लाला लाजपतराय पर लाठियां बरसाई जाती हैं। वे शहीद हो गये। बदला लेने को क्रान्तिकारियों ने साइमन को मारने का प्रण किया। साण्डरस मारा जाता है। चानन सिपाही क्रान्तिकारियों के पीछे भागता है भगतसिंह और राजगुरु के पीछे। आजाद गोली चलाता है चानन सिंह को गोली ठीक निशाने पर लगती है। आजाद को बहुत दुख होता है चानन सिंह की मौत का। क्या बताया भला:
रागनी 11
तर्ज: चौकलिया
     साइमन कमीशन गो बैक नारा गूंज्या आकाश मैं।।
     साण्डर्स कै गोली मारकै पहोंचा दिया स्वर्गवास  मैं।।

     राजगुरु की पहली गोली साण्डर्स मैं समा गई थी
     भगतसिंह की पिस्तौल निशाना उनै बना गई थी
     चानन सिंह सिपाही कै लाग इनकी हवा गई थी
     पाछै भाज लिया चानन बन्दूक उसनै तना दई थी
     दोनूआं के बीच कै लाया अचूक निशाना खास मैं।।
     थोड़ी सी चूक निशाने की घणा पवाड़ा धर जाती
     भगतसिंह कै राजगुरु का सीना छलनी कर जाती
     आजाद जीवन्ता मरता क्रान्तिकारी भावना मर जाती
     आजादी के परवान्यां के दुर्घटना पंख कतर जाती
     आजाद गरक हो ज्याता आत्मग्लानि के अहसास मैं।।
     चानन सिंह के मारे जाने का अफसोस हुया भारी था
     आजाद नै जीवन प्यारा था वो असल क्रान्तिकारी था
     खून के प्यासे आतंकवादी प्रचार यो सरकारी था
     सूट एट साइट का उड़ै फरमान हुया जारी था
     विचलित कदे हुया कोन्या भरया हुआ विश्वास मैं।।
     कठिन काम तै घबराया ना चन्द्रशेखर की तासीर थी
     आजाद भारत की उसकै साहमी रहवै तसबीर थी
     इसकी खातर दिमाग मैं कई ढाल की तदबीर थी
     आजाद नै चौबीस घन्टे दीखैं गुलामी की जंजीर थी
     रणबीर आजाद कैहरया फायदा म्हारे इकलास मैं।।
     एक दिन राजगुरु एक महिला की तसवीर वाला एक कैलेंडर लाकर कमरे में टांग देता है। आजाद कैलेंडर देखकर नाराज होता है और उतार कर फैंक देता है। दोनों में कहासुनी होती है। क्या बताया भला:
रागनी 12
     आगरा मैं थे क्रान्तिकारी उस बख्त की बात सुणाउं मैं।।
     आजाद और राजगुरु बीच छिड़या यो जंग दिखलाउं मैं।।

     राजगुरु नै फोटो आला कलैण्डर ल्याकै टांग दिया
     आजाद नै टंग्या देख्या अखाड़ बाढ़ै वो छांग दिया
     बोल्या उलझ तसबीरां मैं फिसलैंगे न्यों समझाउं मैं।।
     राजगुरु आया तो बूझया कलैंडर क्यों पाड़ बगाया
     आजाद बोल्या क्रान्ति का क्यों तनै बुखार चढ़ाया
     क्यों सुन्दर तसबीर पाड़ी यो सवाल बूझणा चाहूं मैं।।
     सुन्दर महिला की थी ज्यांतै पाड़ी सै तसबीर मनै
     दोनूं काम साथ ना चालैं पाई अलग तासीर मनै
     राजगुरु भाई गुस्सा थूक दे कोन्या झूठ भकाउं मैं।।
     एक गाडडी के दो पहिये बीर मरद बतलाये सैं
     सुन्दरता बिना संसार किसा सवाल सही ठाये सैं
     आजाद मुलायम हो बोल्या आ बैठ तनै समझाउं मैं।।
     सन् 1921 में असहयोग आन्दोलन बड़े पैमाने पर शुरू हो जाता है। नवजागरण की लौ शहर गाम हर जगह पहोंचने लगती है। गांधी और भगतसिंह के विचार लोगों के सामने आते हैं। उनके बीच टकराव भी सामने आता है। क्या बताया भला:
रागनी 13
     उन्नीस सौ इक्कीस मैं असहयोग आन्दोलन की जंग छिड़ी।।
     पूरे भारत की जनता फिरंगियां गेल्यां फेर आण भिड़ी।।

     जलूस काढ़ते जगां जगां पै गांधी की सब जय बोलैं
     भारत के नर नारी जेल गये जेल के भय तैं ना डोलैं
     कहैं जंजीर गुलामी की खोलैं आई संघर्ष की आज घड़ी।।
     नौजवान युवक युवती चाहवैं देश आजाद कराया
     कल्पना दत्त नै कलकत्ता मैं चला गोली सबको बताया
     आजादी की उमंग सबमैं भरी नौजवान सभा बनी कड़ी।।
     ज्योतिबा फुले का चिंतन दलितां नै बार बार पुकौर था
     मनु नै जो बात लिख दी उन बातां नै जड़तै नकारै था
     नवजागरण की चिंगारी देश मैं सुलगै जगां जगां पड़ी।।
     एक माहौल आजादी का चारों कान्ही जन जन मैं छाया फेर
     गांधी भगतसिंह का विचार आपस मैं टकराया फेर
     कहै रणबीर बरोने आला ढीली होई फिरंगी की तड़ी।।
     एक हिस्सा क्रान्तिकारियों को आतंकवादी के रूप में देखता है। फिरंगी भी क्रांतिकारियों के बारे में आतंकवाइी कर इस्तेमाल करके तरह तरह की भ्रान्तियां फैलाने का पुरजोर प्रयास करते हैं। खूनी संघर्ष और अहिंसा के बीच बहस तेज होती है। क्या बताया भला:
रागनी 14
     क्रान्किारी हत्यारे कोन्या सन्देश दुनिया मैं पहोंचाया रै।।
     जीवन तै प्यार घणा सै परचे मैं लिख कै बतलाया रै।।

     जीवन तै प्यार ना होतै बढ़िया जीवन ताहिं क्यों लड़ैं
     अत्याचार और जुलम के साहमी हम क्रान्तिकारी क्यों अड़ैं
     फिरंगी साथ जरूर भिड़ैं आजादी का सपना भाया रै।।
     शोषणकारी चालाक घणा पुलिस फौज के बेड़े लेरया
     म्हारे साथी कर कर भरती भारत देश नै गेड़े देरया
     खूनी संघर्ष कमेड़े लेरया फिरंगी समझ पाया रै।।
     तख्ता पलट करने नै हथियार उठाने पड़ ज्यावैं
     घणा नरक हुया जीवन सब घुट घुट कैनै मर ज्यावैं
     नींव जरूरी धरज्यावैं समाज बराबरी का चाहया रै।।
     समतावादी समाज होगा ये शोषण भारी रहै नहीं
     बिना ताले के घर होंगे कितै चोरी जारी रहै नहीं
     लूट खसोट म्हारी रहै नहीं रणबीर छन्द बनाया रै।।
क्रांतिकारियों ने आपस में बात करके स्कीम बनाई कि