कैसा घर
ना मनै पीहर देख्या होगे तीन साल सासरै आई नै।
भूल गई मैं परिवार सारा भूली बाहण मां जाई नै।।
बीस बरस रही जिस घर में उस घर तै नाता टूट गया
खेली खाई जवान हुई सब किमै पाछै छूट गया
मेरे सुख नै कौण लूट गया बताउं कैसे रूसवाई नै।।
आज तक अनजान था जो उंतै सब कुछ सौंप दिया
विश्वास करया जिसपै उनै छुरा कड़ मैं घोंप दिया
ससुर नै लगा छोंक दिया ना समझया बहू पराई नै।।
मनै घर बसाना चाहया अपणा आप्पा मार लिया
गलत बात पै बोली कोण्या मनै मौन धार लिया
फेर बी तबाह घरबार किया ना देखैं वे अच्छाई नै।।
किसे रिवाज बनाये म्हारे इन्सान की कदर रही नहीं
सारी बात बताउं क्यूकर समझो मेरी बिना कही
के के ईब तलक सही आई ना रणबीर की लिखाई मैं।।
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