ठारा सौ सतावन से पहले का दौर कहते
समाज में सब लोग सहमे सहमे रहते
कैदियों को तोप के सामने खड़ा करके
उड़ा देते वे गोरे पीठ पर तोप अड़ा करके
हिर्दय विदारक दृश्य देख सब कांप जाते
तोप की मार से कोई अंग नहीं बच पाते
धमाके के साथ ही सर हवा में उड़ जाता
ऊपर पहुँच धडाम से फिर नीचे पड़ जाता
तब तक कालिख से होता मुंह भी काला
सिहर जाता यह दृश्य वहां पे देखने वाला
फिर बाहें और टाँगें अलग अलग गिरते
कुछ देर तक खून के थक्के हवा में फिरते
आसमान में उडती गिधें करती थी इंतजार
भूख मिटने को बढ़ती जाती वहां पर कतार
इस सबके बावजूद लोगों ने कदम बढ़ाये
अंग्रेजों की हकुमत पर बहुत सवाल उठाये
ठारा सौ सतावन में गुप्त योजना घड़ी गयी
आजादी की पहली जंग हिन्द में लड़ी गयी
समाज में सब लोग सहमे सहमे रहते
कैदियों को तोप के सामने खड़ा करके
उड़ा देते वे गोरे पीठ पर तोप अड़ा करके
हिर्दय विदारक दृश्य देख सब कांप जाते
तोप की मार से कोई अंग नहीं बच पाते
धमाके के साथ ही सर हवा में उड़ जाता
ऊपर पहुँच धडाम से फिर नीचे पड़ जाता
तब तक कालिख से होता मुंह भी काला
सिहर जाता यह दृश्य वहां पे देखने वाला
फिर बाहें और टाँगें अलग अलग गिरते
कुछ देर तक खून के थक्के हवा में फिरते
आसमान में उडती गिधें करती थी इंतजार
भूख मिटने को बढ़ती जाती वहां पर कतार
इस सबके बावजूद लोगों ने कदम बढ़ाये
अंग्रेजों की हकुमत पर बहुत सवाल उठाये
ठारा सौ सतावन में गुप्त योजना घड़ी गयी
आजादी की पहली जंग हिन्द में लड़ी गयी