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: कई साल पहले लिखी एक रचना**********
हरियाणा तरक्की करग्या रै
दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||
सब चीजां के ठाठ लग्गे कोठा नाज का भर ग्या रै||
1
जीरी गिन्हूं कपास अर इंख की खेती बढती जावै सै
देश के सुब्याँ मैं नंबर वन यो हरयाणा का आवै सै
सड़क पहोंचगी सारै गाम गाम बिजली लसकावै सै
छैल गाभरू छोरा इसका लड़न फ़ौज के म्हें जावै सै
खेतां के म्हें नया खाद बीज ट्रेक्टर घराटा ठावै सै
फरीदाबाद सोनेपत हिसार पिंजौर मील सिटी लावै सै
सारे भारत मैं भाइयो इंका सूरज शिखर मैं चढ़ग्या रै ||
सब चीजां के ठाठ लग्गे कोठा नाज का भर ग्या रै||
2
ये बात तो भाई हर रोज बता बता दिल डाटे जाँ रै
जो भी हुआ फायदा बेईमान आपस मैं बांटें जाँ रै
भका भका जातां के चौधरी नाड़ म्हारी काँटें जाँ रै
अपनी काली करतूतां नै जात के तल्ले ढान्पें जाँ रै
बोलै जो उनके खिलाफ वे झूठे केसां मैं फांसे जाँ रै
कुछ परवाने भाइयो फिर भी इनके करतब नापें जाँ रै
बिन धरती अर दो किल्ले आला ज्यां तैं मरग्या रै ||
सब चीजां के ठाठ लग्गे कोठा नाज का भर ग्या रै||
3
खम्बे मीटर गाम गाम मैं बिजली के इब तार गए
ओवर सीयर एस सी सब कर बंगले अपने त्यार गए
चार पहर भी ना बिजली आवै बाट देख देख हार गए
बिना जलाएं बिजली के बिल कर कसूती मार गए
ट्यूबवेल कोन्या चालै ट्रानस्फोर्मार के जल तार गए
पैसे आल्यां के ट्यूबवेल थ्रेशर चल धुआं धार गए
गरीबां की गालाँ मै दूना कीचड देखो आज भरग्या रै ||
सब चीजां के ठाठ लग्गे कोठा नाज का भर ग्या रै||
4
गाम गाम मैं सड़क बनाई फायदा कौन उठावैं सें
बस आवै जावै कदे कदे लोग बाट मैं मुंह बावैं सें
पैसे आल्यां के छोरट ले मोटर साईकिल धूल उड़ावें सें
टरैक्टर ट्राली सवारी ढोवें मुंह मांगे किराये ठहरावै सें
सड़क टूटरी जागां जागां साईकिल मैं पंकचर हो ज्यावें सें
रोड़ी फ़ोडै पां गरीबां के जो मजबूरी मैं पैदल जावैं सें
बस नै रोकें कोन्या रोकें तो भाडा गोज नै कसग्या रै ||
सब चीजां के ठाठ लग्गे कोठा नाज का भर ग्या रै||
5
बिन खेती आल्यां का गाम मैं मुश्किल रहना होग्या
मजदूरी उप्पर चुपचाप दबंगा का जुल्म सहना होग्या
चार छः महीने खाली बैठ पेट की गेल्याँ फहना होग्या
चीजां के रेट तो बढ़गे प़र पुराने प़र बहना होग्या
फालतू मतना मांगो नफे दबंग का नयों कहना होग्या
गाम छोड़ शहर पडे आना घर एक तरियां ढहना होग्या
भरे नाज के कोठे फेर भी पेट कमर कै मिलग्या रै ||
सब चीजां के ठाठ लग्गे कोठा नाज का भर ग्या रै||
6
खेती करणिया मैं भी लोगो जात कारगर वार करै
एक जागां बिठावै गरीब अमीर नै ना कोए विचार करै
किसान चार ठोड बँट लिया कैसे नैया इब पार तिरै
ट्रैक्टर आले बिना ट्रैक्टर आल्यां की या लार फिरै
इनकी हालत किसी होगी बिलखता यो परिवार फिरै
बिना धरती आल्यां का आज नहीं कोए भी एतबार करै
जात मैं जमात पैदा होगी बेईमान नै खतरा बधग्या रै ||
सब चीजां के ठाठ लग्गे कोठा नाज का भर ग्या रै||
7
घन्याँ की धरती लाल स्याही मैं बैंक के महां चढ्गी थी
दो लाख मैं बेचे किल्ला चेहरे की लाली सारी झडगी थी
चूस चूस कै खून गरीब का अमीर के मुंह लाली बढगी थी
कर्जे माफ़ होगे एकब़र तो फेर कीमत धरती की बधगी थी
आगे कैसे काम चलैगा रै एक ब़रतो इसतैं सधगी थी
आगली पीढ़ी के करैगी म्हारी तै क्यूकरै ए धिकगी थी
हँसना गाना भूल गए जिन्दा रहवन का सांसा पड़ग्या रै||
सब चीजां के ठाठ लग्गे कोठा नाज का भर ग्या रै||
8
शहरों का के जिकरा करूँ मानस आप्पा भूल रहया यो
आप्पा धापी माच रही आज पैसे के संग झूल रहया यो
याद बस आज रिश्वत खोरी जमा नशे मैं टूहल रहया यो
इन्सान तै हैवान बनग्या मिलावट में हो मशगूल रहया यो
चोरी जारी ठगी बदमाशी के सीख रणबीर उसूल रहया यो
इसी तरक्की कै लगे गोली पसीना बह फिजूल रहया यो
फेरभी रुके मारे तरक्की के कलम लिखना बंद करग्या रै।
सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै||
प्रस्तुतकर्ता ranbir dahiya
25-------
15 अगस्त के मौके पर जनता को आह्वान अपनी लड़ाई लड़ने का
बिना लड़ाई सुणले भाई पार हमारी जाणी ना ।।
हमनै भाई मारै महंगाई काटया मांगै पाणी ना ।।
1
या महंगाई बेकरी तो घणी ए कसूती मार करै
लुटेरे की जात मुनाफा समझ बूझ तैं वार करै
राम नाम की माला लेकै बेड़ा अपना पार करै
राजनीति तैं हमनै लूटै दूर रहो यो प्रचार करै
महंगाई अडानी की जाई या नब्ज पिछाणी ना।।
बिना लड़ाई सुणले भाई पार हमारी जाणी ना ।।
2
आज महारी थारी तन्खा दो तीन गुणी घटज्या
हमनै खाटा शीत मिलै वो नूनी घी पूरा चटज्या
दबकै बाहणा कोण्या खाणा जिंदगी पूरी कटज्या
मंडी में फसल की कीमत क्यों म्हारी घटज्या
नए लुटेरे पैदा होगे ये पुराणे राजा राणी ना ।।
बिना लड़ाई सुणले भाई पार हमारी जाणी ना ।।
3
जाट बाह्मण का खटका फुट गेरज्यां सैं म्हारे मैं
पंजाबी लोकल का झटका हम सुणते गलियारे मैं
चलै इलाके का फटका म्हारे हरियाणे के बारे मैं
यो प्रमोशन का लटका कहै कोण्या रलता थारे मैं
गुटबंदी कहते होसै गंदी रोकै कुनबा घाणी ना।।
बिना लड़ाई सुणले भाई पार हमारी जाणी ना ।।
4
चौधर कितै माल बिकाऊ घर कसूते घालै भाई
हिरण की डार भली हो रल मिलकै चालै भाई
माणस जूनी लेकै नै भी क्यों एकला हालै भाई
बैरी एकता तोड़ण ताहिं बीज फूट का डालै भाई
ये कमजोरी हमनै खोरी या समझण मैं हाणी ना।।
बिना लड़ाई सुणले भाई पार हमारी जाणी ना ।।
24---------
: पी वी सिंधु का मैडल पक्का
मार दिया इसनै आज छक्का
ओकिहारा को दिया धक्का
थोड़ा सा दिल नै थाम लियो ।।
बैंडमिंटन मैं रियो मैं खेल दिखाया देखो
फाइनल मैं पहोंच कै मान बढ़ाया देखो
मीडिया न्यों अंदाज लगावै
मैडल पक्का जरूर बतावै
यो देश थारी तरफ लखावै
सिंधु लगा जोर तमाम दियो ।।
जापान की लड़की हरा अपने पैर जमाये
स्पेनी लड़की गेल्याँ पेचे फाइनल मैं बताये
राष्ट्रपति म्हारे नै दी सै बधाई
प्रधानमन्त्री नै करी सै बड़ाई
परिवार नै खूब खुशी मनाई
काल थकन का मत नाम लियो ।।
रात नै सोईये सिंधु थकान बी तार लिए
काल कौनसे गुर लाने कर विचार लिए
पूरे दम खम तैं खेलिए सिंधु
वार स्पेन की के झेलिये सिंधु
नम्बर तो फालतू लेलिए सिंधु
जितना हार का ना नाम लियो ।।
गोल्ड मैडल पै तूँ ध्यान राखिये पूरा हे
एक गोल्ड देश ले ख्याल राखिये पूरा हे
म्हारे देश की छोरी छारी सैं
रणबीर खूब जोर लगारी सैं
बेशक पेट मैं चलैं कटारी सैं
बुलंद कर देश का नाम दियो ।।
23---------
फौजी मेहर सिंह कई साल तक छुट्टी नहीं आ पाया || प्रेम कौर को याद आती है उसकी || क्या सोचती है उस मौके पर भला-----
तर्ज---------सखी री आज रूत साम्मण की आई----
रिमझिम रिमझिम बादल बरसै, खडी प्रेमकौर पिया बिन तरसै
जल बिन मीन तिसाई ||
ज्यूं चकवी चकवे बिन तरसै, न्यों सूना तेरे बिन मेरा घरसै
ना जाती ये बात लिखाई ||
जिस दिन तै फौज मैं तूं गया , उस दिन तै मेरै चैन नहीं हुया
तेजी बहौतै ए याद आई ||
तनै चिठी लिखदी धीरज धारो, कहना सै आसान दिल मत हारो
होती नहीं और समाई ||
मुशिकल तै दिन बीत रहे सैं, हम दिन रात गा तेरे गीत र्हे सैं
तेरी बात ना जाती भुलाई ||
रण्रबीर वोह माणस कहलाता, मानवता से जो दूरी नहीं बनाता
करी साच्ची कविताई ||
- September 16, 2008
22---------
मनुवाद
अनादि ब्रह्म नै धरती पै यो संसार रचाया कहते।।
मुंह बांह जांघ चरणों तैं सै सबको बसाया कहते।।
1
मुंह तैं बाह्मण पैदा करे चर्चा सारे हिंदुस्तान मैं
बाँहों से क्षत्रीय जन्मे जो डटते आये जंगे मैदान मैं
जांघ से वैश्य पैदा करे लिख्या म्हारे ग्रन्थ महान मैं
चरणों से शुद्र जन्म दिये आता वर्णों के गुणगान मैं
चार वर्णों का किस्सा यो जातों का जाल फैलाया कहते।।
मुंह बांह जांघ चरणों तैं सै सबको बसाया कहते।।
2
भगवान नै शुद्र के ज़िम्मे यो एक काम लगाया
बाक़ी तीनों वर्णों की सेवा शुद्र का फर्ज बताया
शुद्र जै इणनैं गाली देदे जीभ काटो विधान सुनाया
नीच जात का बता करकै उसतैं सही स्थान दिखाया
मनुस्मृति ग्रन्थ मैं पूरा हिसाब गया लिखाया कहते।।
मुंह बांह जांघ चरणों तैं सै सबको बसाया कहते।।
3
शुद्र जै किसे कारण तै इणनैं नाम तैं बुला लेवै
दस ऊँगली लोहे की मुंह मैं कील ठुका देवै
भूल कै उपदेश देदे तै उसके कान मैं तेल डला देवै
लाठी ठाकै हमला करै तो शुद्र के वो हाथ कटा देवै
मनु स्मृति नै शुद्र खातर नर्क कसूत रचाया कहते।।
मुंह बांह जांघ चरणों तैं सै सबको बसाया कहते।।
4
बाबा अम्बेडकर जी नै मनुस्मृति देश मैं जलाई थी
उंच नीच की या कुप्रथा मानवता विरोधी बताई थी
कमजोर तबके कट्ठे होल्यो देश मैं अलख जगाई थी
आरएसएस मनुवाद चाहवै असली शक्ल दिखाई थी
रणबीर महात्मा बुद्ध भी इसपै सवाल ठाया कहते।।
मुंह बांह जांघ चरणों तैं सै सबको बसाया कहते।।
21-----------
धन्ना सेठों और हिंदुत्व की दुग्गी देश मैं छाई रै।।
आम आदमी की इसनै कसूती रेल बनाई रै।।
1
बहु विविधता भाईचारे पै खतरा खूब बढ़ाया
संसद भारत देश की इसका मखौल उड़ाया
तर्क सत्य विवेक म्हारा भीड़ नै पढण बिठाया
गौरक्षा के नाम ऊपर उधम घणा सै मचाया
देश मैं अन्धविश्वसां की बाढ़ कसूती आई रै।।
आम आदमी की इसनै कसूती रेल बनाई रै।।
2
बेरोजगारी पै चुप्पी साधी नहीं चिंता किसानी की
जात धर्म पै बाँटे घृणा बढ़ाई बेउँमानी की
इलाज म्हारे की चिंता ना घणी चिंता अडाणी की
शिक्षा का भट्ठा बिठाया चांदी होरी आज अज्ञानी की
असली मुद्दे घुमा दिए रूलती हांडे भरपाई रै।।
आम आदमी की इसनै कसूती रेल बनाई रै।।
3
फासीवाद का हमला आग्या यो मनै तनै सालैगा
ज्यूकर पूंजीपति कहैगा हुक्म उसका पालैगा
जात धर्म पै लड़वाकै नै म्हारे पै जाल घालैगा
संविधान पाड़ बगाया जा हुक्म राजा का चालैगा
या काट फासीवाद की जनता का मोर्चा बताई रै।।
आम आदमी की इसनै कसूती रेल बनाई रै।।
4
छोड़ बाँट जात पात पै एक मंच पै आणा होगा
नबै दस की लड़ाई का नारा मिलकै लाणा होगा
पूंजीपति देशी बदेशी को सबक सिखाना होगा
सबनै इंक़लाब जिंदाबाद मिलकै गाणा होगा
कहै रणबीर समझो म्हारी असल लड़ाई रै।।
आम आदमी की इसनै कसूती रेल बनाई रै।।
****
20-------
*किसान कहवै खोल बतादे यो थारा के ठा राख्या रै।।*
*खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।*
1
किसान मरया खेत में तो कैसे देश महान बचैगा
किसान बरबाद हुया तो जरूरी यो घमशान मचैगा
*दर दर का भिखारी क्यों यो अन्नदाता बणा राख्या रै।।*
*खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।*
2
काले धन के नाम पर म्हारा धौला काबू कर लिया
पुराने जमा कराकै तनै बैंकां का भोभा भर दिया
*म्हारी खेती चौपट होगी काढ़न पै रोक लगा राख्या रै।।*
*खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।*
3
ब्याह शादी की मुश्किल होरी दाल सब्जी का टोटा होग्या
थारा नोटबंदी का फैसला यो जी का फांसा मोटा होग्या
*देश भक्ति का नाम लेकै यो देश जमा भका राख्या रै।।*
*खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।*
4
इसे ढाल बात करै सै बण गरीबों का हिमाती रै
इब बेरा लाग्या हमनै घणा कसूता सै उत्पाती रै
*रणबीर सिंह इब क्यों बढ़ा कैशलेश का भा राख्या रै।।*
*खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।*
19----------
तीन बिल ल्याकै नै किसान धरती कै मारया रै।।
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया रै।।
1
बुलध तो पड़या बेचना ट्रैक्टर की मार पड़ी या
मैं एकला कोण्या रै मेरे जिसां की लार खड़ी या
एमएसपी का जिकरा ना जी हुया घणा खारया रै।।
कारपोरेट सिर पै बिठाए कुछ ना चालै चारा रै।।
2
लागत खेती की बढ़गी यो म्हारा खर्चा खूब होवै
तीन बिल और पास करे जिनका चर्चा खूब हुया
म्हारी गेल्याँ कोये चर्चा ना देख्या ईसा नजारा रै।।
कारपोरेट सिर पै बिठाए कुछ ना चालै चारा रै।।
3
भैंस बाँध ली दूध बेचूं यो दिन रात एक करां
तीन हजार भैंस बीमारी के डॉक्टर कै गए घरां
सिर पै कर्जा तीस हजार टूट्या पड़या यो ढारा रै।।
कारपोरेट सिर पै बिठाए कुछ ना चालै चारा रै।।
4
बालक म्हारे धक्के खावैं इण ताहिं रोजगार नहीं
छोरी सै बिन ब्याही बिन दहेज़ कोए तैयार नहीं
छोरे हांडैं गालां मैं घरक्यां का चढ़ज्या पारा रै।।
कारपोरेट सिर पै बिठाए कुछ ना चालै चारा रै।।
5
घरआली करै सिलाई दिन रात करै वा काले
या खुभात फालतू बचत नहीं हुए कसूते चाले
किसान यूनियनां नै लाया इंकलाब का नारा रै।।
कारपोरेट सिर पै बिठाए कुछ ना चालै चारा रै।।
6
किसान मजदूर छोटे व्यापारी नजर धरी बुरी सै
तीन बिलां के खिलाफ सांझा संघर्ष सही धुरी सै
रणबीर बरोनिया दिल तैं यो गीत बनाया थारा रै।।
कारपोरेट सिर पै बिठाए कुछ ना चालै चारा रै।।
18-------------
भगत सिंह तेईस साल का यो नौजवान हुया क्रांतिकारी।।
इंकलाब जिंदाबाद नारा लाया कांपी गोरी सरकार सारी।।
1
नौजवान सभा बनाकै सारे क्रन्तिकारी एक मंच पै आये
गोरयां की गुलामी खिलाफ पूरे देश मैं अलख जगाये
आजाद राजगुरु सुखदेव पड़े थे गोरयां ऊपर भारी।।
इंकलाब जिंदाबाद नारा लाया कांपी गोरी सरकार सारी।।
2
गोरयां नै आतंकवादी ये सारे क्रांतिकारी बताये दखे
म्हारी आजाद सरकारां नै नहीं ये इल्जाम हटाये दखे
देखी म्हारी सरकारां की आज पूरे हिंदुस्तान नै गद्दारी।।
इंकलाब जिंदाबाद नारा लाया कांपी गोरी सरकार सारी।।
3
फांसी का हुक्म सुनाया सारे देश नै विरोध करया था
यो विरोध देख कसूता अंग्रेज बहोत घणा डरया था
एक दिन पहलम ए फांसी तोड़े जनता नै भरी हूंकारी ।।
इंकलाब जिंदाबाद नारा लाया कांपी गोरी सरकार सारी।।
4
इंसानी समाज का सपना भगत सिंह हर नै लिया यो
गोरे गए ये देशी आगे सपन्यां पै ध्यान नहीं दिया यो
कहै रणबीर बरोने आला म्हारै थारी याद घणी आरी ।।
इंकलाब जिंदाबाद नारा लाया कांपी गोरी सरकार सारी।।
17-------
धोल कपड़िये
मित्र बण कै वार करैं आज के धोल कपड़िये रै।
बेटा इन आली राही तूं मतना कदे पकड़िये रै।
1
बिना हेरा फेरी चोरी जारी ये जमा नहीं जी पावैं रै
मिलावट कर सब क्याहें मैं मुनाफा खूब कमावैं रै
बिना बात की बातां पै ये बणज्यां सैं अकड़िये रै।
बेटा इन आली राही तूं मतना कदे पकड़िये रै।
2
बिन मेहनत कमा मुनाफा पीस्से नै पीस्सा खींचै रै
काले धन पर ऐष करैं सच्चाई तैं आंख मींचै रै
अरदास म्हारी सै इनके धोरे कै ना लिकड़िये रै।
बेटा इन आली राही तूं मतना कदे पकड़िये रै।
3
काला धन कई तरियां के घर मैं ऐब ल्यावै फेर
दारू की लत पड़ज्या पराई बीर पै लखावै फेर
यो काला धन माणस नै घणा कसूता जकड़िये रै।
बेटा इन आली राही तूं मतना कदे पकड़िये रै।
4
काली नैतिकता आज या धोली पै छाती आवै सै
सच्चाई कै गोला लाठी देकै रोजाना धमकावै सै
रणबीर काले की दाब मैं जमा नहीं सिकुड़िये रै।
बेटा इन आली राही तूं मतना कदे पकड़िये रै।
16-----------
लिए कर्ज के मैं डूब, हमनै तिरकै देख्या खूब,
ना भाजी म्हारी भूख,लुटेरयां नै जाल बिछाया,हे मेरी भाण
1.
ज्यों-ज्यों इलाज करया मर्ज बढ़ग्या म्हारा बेबे
पुराने कर्जे पाटे कोण्या नयां का लाग्या लारा बेबे
झूठे सब्जबाग दिखाये, अमीरां के दाग छिपाये
गरीबां के भाग लिवाये,कर सूना ताल दिखाया,हे मेरी भाण
2.
विश्व बैंक चिंघाड़ रहया घरेलू निवेश कम होग्या
म्हंगाई ना घटती सखी, गरीबी क्यों बढ़ती सखी
जनता भूखी मरती सखी,नाज का भण्डार बताया हे मेरी भाण
3.
जल जंगल और जमीन खोस लिए म्हारे क्यों
सिरकै उपर छात नहीं दिए झूठे लारे क्यों
आदिवासी तै मार दिया, किसानां उपर वार किया
कारीगर धर धार दिया,बेरोजगारी नै फंख फैलाया,हे मेरी भाण
4.
इलाज करणिया डाक्टर बी खुद हुया बीमार फिरै
सुआ लवाल्यो सुवा लवाल्यो करता या प्रचार फिरै
होगी महंगी आज दवाई, लुटगी सारी आज कमाई
रणबीर सिंह बात बताई,खोल कै भेद बताया, हे मेरी भाण
15-----
बहु की सासु से संवाद
आई आज तुम्हारे पास , थारे तैं बहोत घणी आस
मनै मुक्ति दिलादे जरूर सासु री।।
1
बिगड़ी मैं सगा भाई बी आंख बदलज्या,डरता कोये बला गल मैं ना घलज्या
देवर की नजर ठीक नहीं , लगती सही उंकी नीत नहीं
चोरी जारी ना हमको मंजूर सासु री।।
2
लेल्यो इम्तिहान रण से ना भाजूं, मरज्यां पर कदे प्रण ना त्यागूं
मांगूं इज्जत मेरी बचाले, छोटे बेटे नै तूं ईब समझाले
ना तो वो कर बैठैगा कसूर सासु री।।
3
आपस की तकरार जा ना ल्हकोई,अवैध रिश्ता बना चाही इज्जत खोई
कोई रास्ता नहीं दे दिखाई , इज्जत माट्टी मिलानी चाही
होरया था शराब नशे मैं चूर सासु री।।
4
थोड़ी कही नै थाम ज्यादा समझियो,मतना उसकी बातां मैं उलझियो
करियो बात राह पै आ ज्यावै, नहीं तो कदे पाछै पछतावै
रणबीर तोड़ूं उसका गरूर सासु री।।
14-------
भर्ती*
*पीस्याँ का जुगाड़ बनाया या धरती गहणै धरकै नै।।*
*नौकरी दिवावण चाल दिया लाखां गोज मैं भरकै नै।।*
1
दोनों जणे आगै पाछै चाले ज्यूँ घोड़ी कै पाछै बछेरा
कितना दुखी पाग्या मेरी खातर भाईयो बाप यू मेरा
कहया सिपाही बणकै बाबू मैं दुःख दूर करूंगा तेरा
दस के बनाऊँ बीस लाख जै कदे बस चालैगा मेरा
*सपने मैं चढ़ घोड़ी पै चल्या धर्मबीर सिपाही बणकै नै।।*
नौकरी दिवावण चाल दिया लाखां गोज मैं भरकै नै।।
2
बाबू के दिल मैं धड़का था कदे बिचौलिया पीसे खाज्या
धरती खोयी पीसे भी जाँ कदे ज्यान मरण मैं ना आज्या
कदे झूठ बहका कै बिचौलिया म्हारै थूक कसूता लाज्या
सोचै बिस्वास करना होगा न्यूएँ क्यूकर नौकरी थ्याज्या
*बाबू घबराया नहीं देख्या था इसे रासे के मैं पड़कै नै।।*
नौकरी दिवावण चाल दिया लाखां गोज मैं भरकै नै।।
3
टूटे से ऑटो मैं बैठकै नै दोनूं शहर बीच आगे कहते
एस पी दफ्तर मैं भीड़ देखी भोत घणे चकरागे कहते
माणस ऊपर माणस चढ़रया वे एकबै घबरागे कहते
बोली चढ़गी पंदरा पै कई बिचौलिए बतलागे कहते
*सी एम की सिफारिस आले वे चालें घणे अकड़कै नै।।*
नौकरी दिवावण चाल दिया लाखां गोज मैं भरकै नै।।
4
साठ सीट बतावैं थे सिफारिशों का भाईयो औड़ नहीं था
कई सीएम के कुछ पीएम के टेलीफोनों का तोड़ नहीं था
गाभरू छोरे छह फिट के उड़ै उनका कोय जोड़ नहीं था
पढ़ाई लियाकत अर गातकै कोय उड़ै बांधै मोड़ नहीं था
*लाइन मैं धर्मबीर लाग्या लत्ते काढण एक एक करकै नै।।*
नौकरी दिवावण चाल दिया लाखां गोज मैं भरकै नै।।
5
जिले जिले मैं पुलिस की भर्ती रूका रोला माच गया
असनाई रिश्तेदारी टोहवैं मामला दिखा साच गया
कई सिफारशी हुए भर्ती बाकि पै यो पीसा नाच गया
बिचौलियाँ के पौ बारा हरेक कर तीन दो पांच गया
*बिचौलिया नै नोट गिनाये चाय का कप सुपड़ कै नै।।*
नौकरी दिवावण चाल दिया लाखां गोज मैं भरकै नै।।
6
भर्ती होवण की खातर उड़ै हजारां छोरे आरे देखे
सुथरा छैल गात रै उनका चेहरे कति मुरझारे देखे
रिश्वत खोरी खुली होरी छोरयां कै पसीने आरे देखे
गेल्याँ हिम्मती भी ये रणबीर पाँ कै पाँ भिड़ारे देखे
*लिस्ट मैं आग्या बिचौलिया लेग्या बाकि के गिण कै नै।।*
नौकरी दिवावण चाल दिया लाखां गोज मैं भरकै नै।।
13--------
: सबका देश हमारा देश
सबका हरयाणा हमारा हरयाणा
मशीन नै तरीके बदले खेत क्यार की कमाई के ।।
गाड्डी की जागां या बाइक बदलाव दीखैं पढ़ाई के ।।
1
बाइक उप्पर चढ़कै नै छोरा खेत मैं जावै देखो
ज्वार काट खेत म्हां तैं भरौटा बणा छोड्यावै देखो
भरौटा ल्यावां ट्रेक्टर मैं दिन गए सिर पै ढवाई के।।
गाड्डी की जागां या बाइक बदलाव दीखैं पढ़ाई के ।।
2
जिसकै ट्रेक्टर कोण्या उड़ै आज झोटा बुग्गी आगी रै
घरके काम गैल छोटा बुग्गी या औरत नै खागी रै
घणखरे काम औरत जिम्मै मर्द के काम ताश खिलाई के।।
गाड्डी की जागां या बाइक बदलाव दीखैं पढ़ाई के ।।
3
प्रवासी मजदूर पै कई का टिक्या खेत क्यार का काम
म्हणत तैं घिन्न होगी चाहवै चौबीस घण्टे आराम
दारू बीमारी घर घर मैं आगी करे हालात तबाही के ।।
गाड्डी की जागां या बाइक बदलाव दीखैं पढ़ाई के ।।
4
सबका हरियाणा अपना ल्याकै भाईचारा बणावांगे
मानवता का झंडा हरेक गाम शहर पहोंचावांगे
कहै रणबीर बरोने आला छंद लिखै ना अंघाई के ।।
गाड्डी की जागां या बाइक बदलाव दीखैं पढ़ाई के ।।
12 ----------
खेती नै बचावैगी, रोटी बी दिलावैगी, देश नै बचावैगी
इसी लहर उठगी सै भाइयो।।
अडानी अम्बानी टोल बनारे,सरकार की रेल बनारे
बिगाड़ी म्हारी चाल,तारली जमकै खाल,सरकार सै दलाल
इसकी काट बिछगी सै भाइयो।।
ये मंदिर नै हटकै लियाये, जिब ये रोटी दे नहीं पाये
जात पै हम बांटे, धर्म पै खूब काटे, मन करे सैं खाटे
लड़ाई पूरी कसगी सै भाइयो।।
कारपोरेट की दया पै छोड़ दिये, म्हारे तैं नाते तोड़ लिए
पीट दिया किसान क्यों, काढ़ी म्हारी ज्यान क्यों,ना कोए ध्यान क्यों
कसक म्हारी बढ़गी सै भाइयो।।
किसान संघर्ष जितैगा रै , अडानी अम्बानी नै पिटैगा रै
रणबीर की सुण ले, एके की राही चुन ले, कर पक्की धुन ले
सरकार हमतें डरगी सै भाइयो।।
11-------
सुण नेता जी सम्राट तनै, कर दिया बारा बाट तनै
मूंधी मार दी खाट तनै, लिया कालजा चाट तनै
बनाई राज की हाट तनै, जनता दर दर ठोकर खावै।।
शेर बकरी का मेल नहीं, या राजनीति कोई खेल नहीं
तूं नीति घटिया चाल रहया, म्हारी इज्जत उछाल रहया
म्हारे बैरी नै तूं पाल रहया, क्यों लुटवा म्हारा माल रहया
ईबी ना कर तूं टाल रहया, जनता सारी खोल दिखावै।।
लोक राज नारा कड़ै गया, लोक लाज म्हारा कड़ै गया
क्यों करवाया मखौल बता, क्यों तेरा पाट्या झोल बता
क्यों खुलवाई पोल बता,क्यों रहया सै जनता नै सत्ता,
ईब पाट लिया सबनै पता हर कोए यो सवाल उठावै।
खेती का बना घास दिया, किसानों का कर नाश दिया
किसानों कै मारी चोट, जनता का बता के सै खोट
क्यों बिल ल्याया मारी चोट, क्यों दिए म्हारे तनै गल घोट
क्यों खोज रहया म्हारे रोट, ना म्हारी समझ मैं आवै।।
कुछ ना साथ मैं जाणा सै, आड़ै ए हिसाब चुकाणा सै,
जो हां भरकै नै नाटैगा, ना उसके कदे पूरा पाटैगा
तेरे वाद्यां नै कूण चाटैगा, रणबीर दिल मेरे नै डाटैगा
बणा रागनी गम नै बांटैगा, तनै साची साच बतावै।।
10---------
*एक बार आजाद हिन्द फ़ौज में धर्मों को लेकर फौजियों में चर्चा होने लगी | बात सुभाष चन्दर बोस तक पहुंचती है*
*तो सुभाष बोस फौजियों से एक बात द्वारा धर्म के बारे में क्या पूछते हैं भला ---*
*धरम के सै माणस का मनै कोण बतादयो नै।*
*माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोण दिखाद्यो नै।।*
*माणस तै मत प्यार करो कौणसा धरम सिखावै*
*सरेआम अत्याचार करो कौणसा धरम सिखावै*
*तम दारू का ब्यौपार करो कौणसा धरम सिखावै*
*रोजाना नर संहार करो कौणसा धरम सिखावै*
*धरम क्यों खून के प्यासे मनै कोण समझाद्यो नै।।*
*ईसा राम और अल्लाह जिब एक बताये सारे रै*
*इनके चाहवण आले बन्दे क्यूं खार कसूती खारे रै*
*क्यों एक दूजे नै मारण नै एके जी हाथां ठारे रै*
*अमीर देस हथियार बेच कै खूबै मौज उड़ारे रै*
*बैर करो मारो काटो लिखै वो ग्रंथ भुलाद्यो नै।।*
*मानवता का तत कहैं सब धरमां की जड़ मैं सै*
*प्रेम कुदरत का सारा सब धरमां की लड़ मैं सै*
*कदे कदीमी प्रेम का रिस्ता माणस की धड़ मैं सै*
*कट्टरवाद नै घेर लिया यो धरम जकड़ मैं सै*
*लोगां तै अरदास मेरी क्यूकरै इनै छटवाद्यो नै।।*
*यो जहर तत्ववाद का सब धरमां मैं फैला दिया*
*कट्टरवाद घोल प्याली मैं सब तांहि पिला दिया*
*स्कीम बणा दंगे करे इन्सान खड़या जला दिया*
*बड़ मानवता का आज सब धर्मां नै हिला दिया*
*रणबीर रोवै खड़या इनै चुप करवाद्यो नै।।*
9
मोदी का यो असली चेहरा , चौड़े कै मह दिखाई देरया,
आज तोड़ खुलासा होग्या रै।
1
नबै की मर आगी या दस की चांदी कर राखी देखो
म्हारी खाली करकै गोज अम्बानी की भर राखी देखो
किसानी संघर्ष बढ़ता जावै
थारी सरकार दबाया चाहवै
घणा मोटा रास्सा होग्या रै।
2
डेरे गेर दिए किसानी नै देखो दिल्ली के मैं
रास्ते घेर लिए किसानी नै देखो
दिल्ली के मैं
घणे सब्ज बाग दिखाए भाई
लगाकै जोर हम भकाये भाई, घणा तमाशा होग्या रै।
3
अम्बानी तै प्यार मुलाहजा थारा जनता और नहीं झेलैगी
संघर्ष करैगी मिलजुल कै
थारे बिलों नै जरूर पेलैगी
हमतो खेत खलिहान बनावां
महल अटारी आलीशान बनावां
म्हारा जोरका पासा होग्या रै।
4
किसानी संघर्ष आगै बढ़ैगी
इतना जान ल्यो रै
तीन बिल वापसी की मांग
तावले से मान ल्यो रै
रणबीर सिंह नै बात बनाई
गाम गाम मैं अलख जगाई
बेरा सबनै खासा होग्या रै।
8--------
: किसानी खातर भारत बंद काल कसूता होवैगा।।
काल हिंदुस्तानी किसान बीज एकता के बोवैगा।।
कारपोरेट के खिलाफ छेड़ दई जंग पूरी देखो
सरकार इसकी तलहडू सै करै जी हजूरी देखो
आर पार की लड़ाई होगी मोदी नई झूठ टोहवैगा।।
काल हिंदुस्तानी किसान बीज एकता के बोवैगा।।
2
जात धर्म इलाके पर लड़वा कै तेज कररे लूट म्हारी
किसानों और मजदूरों कै दे दी आछे ढाल बुहारी
तीन बिल किसान विरोधी मोदी देश नै डबोवैगा।।
काल हिंदुस्तानी किसान बीज एकता के बोवैगा।।
3
निजीकरण करकै सारे महकमे बेच रहया सै
अडानी अम्बानी के निशाने पै टेक रहया सै
संविधान की परवाह कोण्या सम्मान देश का खोवैगा।।
काल हिंदुस्तानी किसान बीज एकता के बोवैगा।।
4
समझ बूझ तै सँघर्ष को आगै लेज्यावैंगे भाई
या नब्बे दस की लड़ाई जीत कै दिखावैंगे भाई
रणबीर सिंह बरोने आला नए नए छंद पिरोवैगा।।
काल हिंदुस्तानी किसान बीज एकता के बोवैगा।।
7----
चौदह दिन होगे किसानों नै दिल्ली मैं डेरे डाल रहे।
तीन बिल जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे।
1
पूरी और लाम्बी तैयारी करकै आज किसान आये सैं
अनुशासन घणे गजब का समझदार घणे पाये सैं
किसानी और जनता एकता बणा गजब की ढाल रहे।
तीन बिल जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे।
2
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में हैं भाई भाई
इसकी ताकत के आगै भाजपा सरकार घबराई
या एकता घणे गजब की इसके ऊपर चाल रहे।
तीन बिल जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे।
3
अडानी अम्बानी की खातिर किसानों की कड़ तोड़ दई
सब किमैं बायपास करकै क्यों तीन बिल जोड़ दई
कारपोरेट खेती की खातिर
कर जनता को बेहाल रहे।
तीन बिल जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे।
4
संघर्ष की रही पकड़ी आर पार की लड़ाई होवैगी
फुट गेरो संघर्ष पीटो भाजपा सब किमैं झोवैगी
रणबीर सिंह की कलम तै उठ सही सवाल रहे।
तीन बिल जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे।
6--------
इस गोदी मीडिया नै किसानों के खिलाफ जहर फैलाया ।।
जमीनी हकीकत देख कै मोदी भी बहोत घणा घबराया।।
1
वार्ता मैं झुके नहीं किसान अपनी मांग पै अड़े खड़े सै
सरकार के हथकंडे एकता आगै ओछे घणे पड़े सैं
गोदी मीडिया रोज घड़ कै दखे झूठी खबर सै ल्याया।।
2
कसूता अनुशाषन किसानों का दुनिया देख कै दंग रैहगी
भाजपा की सरकार इनकी गेल्याँ जान बूझ कै क्यों फैहगी
आर पार की लड़ाई खिंचगी किसान नै पूरा प्लान बनाया।।
3
तीन कानून वापसी बिना किसान नहीं
उल्टा जावैगा रै
सांस दिल्ली की सरकार कै यो घणे कसूते चढ़ावैगा रै
कई महिन्यां का इंतजाम करकै किसान दिल्ली मैं आया।।
4
हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई आपस मैं सब सैं भाई भाई
जवान किसान जनता एकता की
मिशाल बनाई
रणबीर सिंह सोच समझ कै नै यो छंद तुंरत बनाया।।
5---------
इस गोदी मीडिया नै किसानों के खिलाफ जहर फैलाया।
जमीनी हकीकत देख कै मोदी भी बहोत घणा घबराया।।
1
वार्ता मैं झुके नहीं किसान अपनी मांग पै अड़े खड़े सै
सरकार के हथकंडे एकता आगै ओछे घणे पड़े सैं
गोदी मीडिया रोज घड़ कै दखे झूठी खबर सै ल्याया।।
जमीनी हकीकत देख कै मोदी भी बहोत घणा घबराया।।
2
कसूता अनुशाषन किसानों का दुनिया देख कै दंग रैहगी
भाजपा की सरकार इनकी गेल्याँ जान बूझ कै क्यों फैहगी
आर पार की लड़ाई खिंचगी किसान नै पूरा प्लान बनाया।
जमीनी हकीकत देख कै मोदी भी बहोत घणा घबराया।।
3
तीन कानून वापसी बिना किसान नहीं उल्टा जावैगा रै
सांस दिल्ली की सरकार कै यो घणे कसूते चढ़ावैगा रै
कई महिन्यां का इंतजाम करकै किसान दिल्ली मैं आया।।
जमीनी हकीकत देख कै मोदी भी बहोत घणा घबराया।।
4
हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई आपस मैं सब सैं भाई भाई
जवान किसान जनता एकता की देखो मिशाल बनाई
रणबीर सिंह सोच समझ कै नै यो छंद तुंरत बनाया।।
जमीनी हकीकत देख कै मोदी भी बहोत घणा घबराया।।
4-------
शोषण हमारा
अम्बानी कम्पनी आगी, हमनै चूट-चूट कै खागी
अमीर हुए घणे अमीर, यो मेरा अनुमान सै।।
1
मोदी सरकार नै गोड्डे टेक दिये,
साधन अम्बानी आगै फेंक दिए,
अडानी देखो साथ मैं रलगे, कारपोरेट कै घी के दीवे बलगे
संघर्ष बदलैगा तदबीर, यो किसानों का ऐलान सै।।
2
पहली चोट मारी रूजगार कै, हवालै कर दिये सां बाजार कै
निजीकरण मुहिम चलाई क्यों, मासूम जनता आज भकाई क्यों
या गई कड़ै थारी जमीर, घणा मचाया घमसान सै।।
3
म्हारी खेती कती बरबाद करदी,
ये तीन काली कानून पास करदी
किसानों नै ली आज अंगड़ाई रै,
नारा कानून वापिस कराई रै
तोड़ दी आज सारी जंजीर,
घाली गुरबत की जंजीर,दिल्ली मैं छारया किसान सै।।
4
या सल्फाश की गोली सत्यानासी,
हर दूजे घर मैं ल्याई थी उदासी
एकजुट हिंदुस्तान का देखो किसान , साथ खड़या हुया हर कमेरा इंसान,
लिखै साची सै रणबीर, नहीं झूठा बखान सै।।
3-----
आजादी पाछै बहोत कमाए भारत के किसान कमेरे।।
ज्यान लगा कै खेत सँवारे कारखाने चलाये शाम सवेरे।।
1
किसान करी मेहनत तो खेतां मैं फसल लहलाण लगी
स्टील थर्मल प्लांट लगाए बिजली घरां मैं आण लगी
स्कूल अस्पताल खुले फेर जनता स्कूल मैं जाण लगी
नेहरू का जमाना बीत गया संकट घड़ी या छाण लगी
आजादी के नेता पाछे नै रैहगे आगै आवण लगे लुटेरे
2
पचहत्तर मैं एक दौर यो एमरजेंसी का बी आया था
नशबंदी जबरदस्ती का आड़े गया अभियान चलाया था
मुधे मूंह पड़े ये हिम्माती जनता नै सबक सिखाया था
राज पाट सब बदल दिये जनता का राज बनाया था
बैल गऊ तैं करी कमाई सारी नै ज़िमगे जुल्मी बछेरे।।
3
सब जानैं मेहनतकश की मेहनत खूबै रंग ल्याई सै
किसान ख़टया खेतां मैं अन्न की पैदावार बढ़ाई सै
कारखाने ऊंची सीटी मारैं स्मृद्धि अमीराँ मैं आई सै
सौ मां तैं पन्दरा मोटे होगे बाकी पै सांकै घणी छाई सै
धन दौलत तो घणी कमाई म्हारै बांटै आये पटेरे।।
4
दिनों दिन बढ़ती जावै देश मैं गरीब अमीर की खाई क्यों
म्हारे पैरां पटरी सैं बवाई उनके सैं जहाज हवाई क्यों
म्हारे बालक सूकी रोटी खावैं उनके उड़ाते दूध मलाई क्यों
किसा बंटवारा यो देस मैं अडानी अम्बानी पेट फुलाई क्यों
रणबीर बरोने आला कहै घोड़ी खोसी साथ मैं बछेरे।।
2-----
: बेटी हुई सिवासन जब तैं घरां रोजाना झगड़ा होवै हे।।
मनै कति ना बेरा पटता क्यूं उसका भाग नपूता सोवै हे।।
1
समझदार कोये वर ना मिलता होगी घणी लाचारी बेबे
सीधे मूंह कोये कोई बात ना करता होगी मुश्किल भारी बेबे
छोरियां की कदर रही नहीं आज फिरती मारी मारी बेबे
दहेज बिना कोये हां ना भरता चाली किसी या बीमारी बेबे
रोजाना कमनूँ चेहरा दीखै वा कदे सूबकै कदे रोवै हे।।
मनै कति ना बेरा पटता क्यूं उसका भाग नपूता सोवै हे।।
2
गऊ सी दुधारू चाहवैं सारे चारों तरफ पीसा नाच रहया
पशु माणस मैं फर्क रहया ना में धन रिस्तयाँ नै जांच रहया
नाश होण में कसर नहीं पिट झूठ कै साहमी साच रहया
कार लेकै भी जला कै मारैं चारों कांहीं हाहाकार माच रहया
परिवार सारा पड़या चिंता में खड़या हाथ कालजा होवै हे।।
मनै कति ना बेरा पटता क्यूं उसका भाग नपूता सोवै हे।।
3
भैंस बीमार होवै जब सैड़ देसी डॉक्टर नै टोहवैं ये
छोरी मरै बिलख बिलख कै ना दवन्नी ऊंपै खोवैं ये
आज पढ़े लिखे जमाने मैं सरे आम कत्ल होवें ये
दिन रात फिकर लगी रहै नहीं नींद चैन की सौवैं ये
किस्मत का खेल बतावैं काटै जो जिसे बीज बोवै हे।।
मनै कति ना बेरा पटता क्यूं उसका भाग नपूता सोवै हे।।
4
ये रंग ढंग देख जमाने के जी घणा दुखी पाग्या मेरा हे
काले धन नै दिया म्हारै चौगिरदें यो किसा घेरा हे
कोये बी राह ना दिखता मनै टोहनाहो कुआं झेरा हे
घर नै बेटी आज बोझ बनी यो दीखता घोर अंधेरा हे
वैष्णो देबी पूज कै आयी सुनी वा बढ़िया वर टोहवै हे।।
मनै कति ना बेरा पटता क्यूं उसका भाग नपूता सोवै हे।।
5
सारे खोट की जड़ डूँगै रणबीर न्यों मनै समझावै सै
मेरी समझ मैं आँती कोण्या वो सही तसवीर दिखावै सै
कहै सरमायेदारी खेल रचारी म्हारे संकट रोज बढ़ावै सै
समुन्दर किनारै बैठ कदे ना असली मोती यो थयावै सै
वैज्ञानिक सोच जरूरी बेबे नहीं सूके थूक बिलोवै हे।।
मनै कति ना बेरा पटता क्यूं उसका भाग नपूता सोवै हे।।
1-----
नया साल इक्कीस
किसा हो नया साल इक्कीस आदान प्रदान हो विचारां का।।
किसानी सघर्ष जीत कै नक्सा बदलै कमेरे किरदारां का।।
1
सर्व समावेशी शिक्षा हो स्कूल होवैं एक समान रै
हरेक जात का सम्मान हो भाईचारा हो बलवान रै
मरीज डॉक्टर का मेल हो इलाज पावै हर इंसान रै
फसल की कीमत ठीक मिलै फलैं फुलैं किसान रै
पर्दाफाश होज्या आज म्हारी लूट के ठेकेदारां का।।
किसानी सघर्ष जीत कै नक्सा बदलै कमेरे किरदारां का।।
2
मिलावट म्हारे समाज म्हैं नहीं टोही पावै यो चाहवां
नफरत का जहर समाज नै आज ना खावै यो चाहवां
बेरोजगारी कम होवै इसा माहौल आवै यो चाहवां
कोये माणस प्रदेश म्है ना भूखा रह ज्यावै यो चाहवां
होवै महिला महफूज ना जिकरा बचै बलात्कारां का।।
किसानी सघर्ष जीत कै नक्सा बदलै कमेरे किरदारां का।।
3
म्हारा यो सबका हिंदुस्तान, गूँज उठै यो नारा भाई
छुआछूत खत्म हो सुधरै यो वातावरण म्हारा भाई
सरकार करै ख्याल बणकै गरीबां का साहरा भाई
अंधविश्वास और नशे तैं मिलै सबनै छुटकारा भाई
या जनता राह बाँधेगी, देश भर म्हैं इन बदकारां का ।।
किसानी सघर्ष जीत कै नक्सा बदलै कमेरे किरदारां का।।
4
युवा नै रोजगार मिलै, कति नहीं फिरै आवारा रै
सुख का सांस लेवै सरतो, सुखी हो करतारा रै
विकास चालै सही राही पै,सही होवै बंटवारा रै
संविधान के अनुसार चलै, हिंदुस्तान देश म्हारा रै
रणबीर साल इक्कीस हो, मेहनतकाश किरदारां का ।।
किसानी सघर्ष जीत कै नक्सा बदलै कमेरे किरदारां का।।
27----------
सावित्री बाई फुल्ले
छोरियां का सबतैं पहला सावित्रीबाई नै स्कूल चलाया ॥
समाज के घणे ताने सुणे पर ना पाछै कदम हटाया ॥
1
महिला नै समाज मैं पूरे मिलने चाहिए सै अधिकार
पूरा जीवन लगा दिया किया जन जन के मैं प्रचार
बारा साल मैं ब्याह होग्या फेर भी अपना फर्ज निभाया ॥
छोरियां का सबतैं पहला सावित्रीबाई नै स्कूल चलाया ॥
2
लिंग भेद का विरोध करया पति नै पूरा साथ दिया था
जाति भेद के खिलाफ उणनै यो खुल्ला ऐलान किया था
बाल हत्या प्रतिबन्धक गृह यो सुरक्षा सेंटर बनाया ॥
छोरियां का सबतैं पहला सावित्रीबाई नै स्कूल चलाया ॥
3
महिलाओं को पढ़ाने जब सावित्री स्कूल मैं जाया करती
जनता गोबर फ़ैंकती बहोतै क्रोध या जताया करती
स्कूल जा साड़ी रोज बदली महिलाओं को जरूर पढ़ाया।
छोरियां का सबतैं पहला सावित्रीबाई नै स्कूल चलाया ॥
4
दत्तक पुत्र डॉक्टर बणग्या पुणे मैं अस्पताल चलाया
सावित्री बाई मरीज सेवा मैं अपना काफी बख्त लगाया
समाज सुधार मैं रणबीर अपना पूरा जीवन बिताया ॥
छोरियां का सबतैं पहला सावित्रीबाई नै स्कूल चलाया ॥