Tuesday, 2 May 2017


दो सौ साल गोरया नै भारत गुलाम राख्या म्हारा था
गूंठे कटाये
भारत देश
यो गणतंत्र सबतै बड्डा भारत आवै कुहाणे मैं।
भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।
दो सौ साल गोरया नै भारत गुलाम राख्या म्हारा था
गूंठे कटाये कारीगरां के मलमल  दाब्या म्हारा था
फूट गेर कै राज जमाया कही जाती बात समाणे मैं।।
वीर आजाद हिन्द फ़ौज के ज्यान की बाजी लाई फेर
दुर्गा भाभी अंगरेजां तै जमकै आड़ै टकराई फेर
कल्पना नै ना वार लाई गोरयां पै पिस्तौल चलाणे मैं ||  
आवाज ठाई जिननै उनके फांसी के फंदे डार दिये
घणे नर और नारी देस के ये काले पाणी तार दिये
नेवी रिवोल्ट हुया बम्बी मैं अंग्रेज लगे दबाणे मैं।।
भगत सिंह सुखदेव राजगुरु देश ऊपर कुर्बान हुए
जन जन की जागरूकता अंग्रेज देखकै हैरान हुए 
हिसाब लगावैं देश भक्ति का रणबीर के गाणे मैं || 
 कारीगरां के मलमत दाब्या म्हारा था
सब रंगा का समोवश था फल मीठा चाख्या म्हारा था
भांत-भांत की खेती म्हारी नहीं ढंग फाब्या म्हारा था
फूट गेर कै राज जमाया कही जाती बात समाणे मैं।।
वीर सिपाही म्हारे देस के ज्यान की बाजी लाई फेर
लक्ष्मी सहगल आगै आई महिला विंग बनाई फेर
दुर्गा भाभी अंगरेजां तै जमकै आड़ै टकराई फेर
याणी छोरियां नै गोरयां पै थी पिस्तौल चलाई फेर
गोले लागे राजे रजवाड़यां नै अपणे साथ मिलाणे मैं।।
आवाज ठाई जिननै उनके फांसी के फंदे डार दिये
घणे नर और नारी देस के काले पाणी तार दिये
मेजर जयपाल नै लाखां बागी फौजी त्यार किये
फौज आवै बगावत पै म्हारे बड्डे नेता इन्कार किये
नेवी रिवोल्ट हुया बम्बी मैं अंग्रेज लगे दबाणे मैं।।
आजादी का सपना था सबकी पढ़ाई और लिखाई का
आजादी का सपना था सबका प्रबन्ध हो दवाई का
आजादी का सपना था खात्मा होज्या सारी बुराई का
आजादी का सपना था आज्या बख्त फेर सचाई का
हिसाब लगावां आजादी का रणबीर सिंह के गाणे मैं।।
सपना जो पूरा होगा

जो रूकै नहीं जो झुकै नहीं जो दबै नहीं जो मिटै नहीं
हम वो इंक़लाब रै जुल्म का जवाब रै।
हर शहीद का हर रकीब का हर गरीब का हर मुरीद का
हम बनें ख्वाब रै हम खुली किताब रै।
लड़ते हम इसके लिए प्यार जग मैं जी सकै
आदमी का खून कोई फेर शैतान ना पी सकै
मालिक मजूर के नौकर हजूर के रिश्ते गरूर के जलवे शरूर के
ईब छोडै नवाब रै सरूर और शराब रै।
हम मानैं नहीं हुक्म जुल्मी हुक्मरान का
युद्ध छिड़ लिया आज आदमी शैतान का
सच की ढाल लेके मशाल हों ऊंचे ख्याल करें कमाल
खिलैं लाल गुलाब रै सीधा हो जनाब रै।
मानते नहीं हम फर्क हिन्दू मुसलमान का
जानते हम तो रिश्ता इंसान से इंसान का
जो टूटै नहीं जो छूटै नहीं जो रुठै नहीं जो चूकै नहीं
ना चाहवै खिताब रै बरोबर का हिसाब रै।
भोर की आँख फेर नहीं डबडबाई होगी
कैद महलां मैं नहीं या म्हारी कमाई होगी
जो छलै नहीं जो गलै नहीं जो ढलै नहीं जो जलै नहीं
रणबीर की आब रै या नहीं मानैगी दाब रै।