Friday, 30 September 2016

NO ONE HARYANA


दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||
सब चीजां के ठाठ लग्गे कोठा नाज का भर ग्या   रै|| 
जीरी गिन्हूं कपास अर इंख की खेती बढती जावै सै 
देश के सुब्याँ मैं नंबर वन यो  हरयाणा का आवै सै 
सड़क पहोंचगी सारै गाम गाम बिजली लसकावै    सै 
छैल गाभरू छोरा इसका लड़न  फ़ौज के म्हें जावै सै 
खेतां के म्हें नया खाद बीज ट्रेक्टर घराटा ठावै सै  
फरीदाबाद  सोनीपत  हिसार पिंजौर मील सिटी लावै सै  
सारे भारत मैं भाइयो इंका सूरज शिखर मैं चढ़ग्या रै ||
ये बात तो भाई हर रोज बता बता दिल डाटे जाँ रै 
इस चकाचौंध के पाछै सै घोर अँधेरा नाटें जाँ रै  
जो भी हुआ फायदा बेईमान आपस मैं बांटें जाँ रै 
भका भका जातां के चौधरी नाड़ म्हारी काँटें जाँ रै 
अपनी काली करतूतां नै जात के तल्ले ढान्पें  जाँ रै 
बोलै जो उनके खिलाफ वे झूठे केसां  मैं फांसे  जाँ रै  
कुछ परवाने भाइयो फिर भी  इनके करतब नापें  जाँ रै 
बिन धरती अर दो किल्ले आला ज्यां तैं मरग्या रै ||
खम्बे मीटर गाम गाम मैं बिजली के इब तार गए 
ओवर सीयर एस सी सब कर बंगले अपने त्यार गए 
चार पहर भी ना बिजली आवै बाट देख देख हार गए 
बिना जलाएं  बिजली के बिल कर कसूती मार गए  
ट्यूबवेल कोन्या चालै ट्रानस्फोर्मार के जल तार गए 
पैसे आल्यां  के ट्यूबवेल थ्रेशर चल धुआं धार  गए 
गरीबां की गालाँ मै दूना कीचड देखो आज भरग्या  रै  ||
गाम गाम मैं सड़क बनाई फायदा कौन उठावैं सें 
बस आवै जावै कदे कदे लोग बाट मैं मुंह बावैं  सें
पैसे आल्यां  के छोरट  ले मोटर साईकिल धूल उड़ावें सें 
टरैक्टर ट्राली सवारी ढोवें मुंह मांगे किराये ठहरावै सें 
सड़क टूटरी  जागां  जागां साईकिल मैं पंकचर हो ज्यावें  सें 
रोड़ी फ़ोडै  पां गरीबां के जो मजबूरी मैं पैदल जावैं सें 
बस नै रोकें कोन्या रोकें तो भाडा गोज नै कसग्या रै ||
बिन खेती आल्यां  का गाम मैं मुश्किल रहना  होग्या
मजदूरी उप्पर चुपचाप  दबंगा का जुल्म सहना होग्या 
चार छः  महीने खाली बैठ पेट की गेल्याँ फहना होग्या 
चीजां के रेट तो बढ़गे प़र पुराने   प़र बहना  होग्या 
फालतू मतना मांगो  नफे  दबंग का नयों  कहना होग्या 
गाम छोड़ शहर पडे आना घर एक तरियां ढहना होग्या 
भरे नाज के कोठे फेर भी पेट कमर कै मिलग्या   रै  ||
खेती करणिया  मैं भी लोगो जात कारगर वार करै 
एक जागां बिठावै  गरीब अमीर नै ना कोए विचार करै 
किसान चार ठोड बँट लिया कैसे नैया इब पार तिरै  
ट्रैक्टर आले  बिना ट्रैक्टर आल्यां  की या  लार फिरै 
इनकी हालत किसी होगी बिलखता यो  परिवार फिरै 
बिना धरती आल्यां का आज नहीं कोए भी एतबार करै  
जात मैं जमात पैदा होगी बेईमान नै खतरा बधग्या रै ||
घन्याँ की धरती लाल स्याही मैं बैंक के महां चढ्गी थी
दो लाख मैं बेच किल्ला चेहरे की लाली  सारी झडगी  थी 
चूस चूस कै खून गरीब का अमीर के मुंह लाली बढगी थी 
कर्जे माफ़ होगे एक ब़र तो फेर कीमत  धरती की बधगी थी 
आगे कैसे काम चलैगा रै   एक ब़रतो इसतैं सधगी थी   
आगली पीढ़ी  के करैगी म्हारी तै क्यूकरै ए  धिकगी थी 
हँसना गाना भूल गए जिन्दा रहवन का सांसा पड़ग्या रै|| 
शहरों का के जिकरा  करूँ  मानस आप्पा भूल रहया यो 
आप्पा धापी माच रही आज पैसे के संग झूल रहया यो  
याद बस आज रिश्वत खोरी  जमा नशे मैं टूहल रहया यो 
इन्सान तै हैवान बनग्या  मिलावट में हो मशगूल रहया यो 
चोरी जारी ठगी बदमाशी सीख भूल सब उसूल रहया यो 
इसी तरक्की कै लागै  गोली पसीना बह फिजूल रहया यो 
फेर   भी रुके मारे तरक्की के कलम  लिखना बंद करग्या रै || 

बख्त पुगाऊँ मैं


कहानी घर घर की--नौकरानी की नजर से  अपने पति को संबोधन 
मरे गरीबी के बोझ तलै , तेरी बी ना कोए पार चलै  
अमीरी हमनै रोज छलै , शरीर  को कसूत सताऊँ मैं ||
दो घरों में जाकै मैं करूँ यो पूरा काम सफाई का 
एक घर डाक्टर का सै दूजा घर वकील अन्यायी का 
दोनों घरों का के जिकरा सै , मेरे पै ना कोए फिकरा सै 
ख़राब सबका जिगरा सै , पेट पकड़ बैठे दिखाऊँ मैं ||
वकील साहब की वकालत बस इसी चलती  बतावैं 
ओला बोला पीसा उन धौरे धंधा कई ढाल का चलावैं  
घर मैं पीटता  घरआली नै , बाहर देखो शान निराली नै 
बेटा ठाएँ हाँडै  दुनाली नै , के के सारी खोल सुनाऊँ मैं ||
डाक्टरनी दुखी कई बर बैठी रोंवती  वा पाई बेबे  
शौतन का दुःख झेल रही कई बै चुप कराई बेबे  
बड्डी कोठ्ठी पर दिल छोट्टे, बाहर शरीफ भित्तर खोट्टे
कुछ तो अकल के बी मोट्टे  , कई बै अंदाज लगाऊं मैं ||
घूर घूर कै देखै मने ना डाक्टर का एतबार बेबे 
उसकी आँख्यां  मैं दीखे यो शैतान हरबार बेबे 
डाक्टर का घर छोड़ दिया , तीजे घर मैं बिठा जोड़ लिया 
काढ मने यो निचोड़ लिया रणबीर यो बख्त पुगाऊँ मैं ||