Wednesday, 8 February 2023

बी टी कॉटन की कथा कई साल पुरानी बताई।।

 

बी टी कॉटन की कथा कई साल पुरानी बताई।।

दो हजार दो मैं या बीटी कपास बीमारी थमाई।।

1

या कपास उजला सोना किसानों से बताया देखो

फेर इसका सौदा खेत मैं काला पात्थर पाया देखो

उत्पादन भी होगा फालतू या बात सारै पहुंचाई।।

दो हजार दो मैं या बीटी कपास बीमारी थमाई।।

2

बीस साल का अनुभव खेत कुछ और बतावैं सैं

कुछ साल मैं नुकसानी कीड़े ये छाये दिखावैं सैं

बीटी के खेल मैं हजारों किसानों नै फांसी खाई।।

दो हजार दो मैं या बीटी कपास बीमारी थमाई।।

3

कम लागत आवैगी इसपै सरकार का प्रचार हुया

फालतू लागत होंती जावै किसान यो लाचार हुया

पैदावार कम लागत घणी फ्रंटलाइन मैं या आई।।

दो हजार दो मैं या बीटी कपास बीमारी थमाई।।

4

कीटनाशक का इस्तेमाल यो बढ़ता गया कहते

कैंसर जैसी बीमारियों का पारा चढ़ता गया कहते

हो कट्ठे विरोध करांगे रणबीर नै करी कविताई।।

दो हजार दो मैं या बीटी कपास बीमारी थमाई।।

मेहनत कश जमाने मैं तूँ घणा पाछै जा लिया ।

 #अपनीरागनी 

मेहनत कश किसान

मेहनत कश जमाने मैं तूँ घणा पाछै जा लिया ।

देख इस महंगाई करकै यो कति तौड़ आ लिया ।

1

चार घड़ी के तड़कै उठ रोज खेत मैं जावै सै

दोपहरी का पड़ै घाम या सर्दी घणी सतावै सै

दस बजे घर आली तेरी रोटी लेकै नै आवै सै

सब्जी तक मिलती कोण्या ल्हूखी सूखी खावै सै

नून मिर्च धरकै रोटी पै लोटा लाहसी का ठा लिया।

देख इस महंगाई करकै यो कति तौड़ आ लिया ।

2

थारा पूरा पटता कोण्या तूँ दिन रात कमावै सै

बीज बोण के साथै तूँ आस फसल पर लावै सै

लेकै अपनी फसल कमाई तूँ फेर मंडी के मैं जावै सै

उड़ै भी सुख का सांस कोण्या खूबै धक्के खावै सै

ब्याज ब्याज मैं नाज तेरा लाला जी नै पा लिया ।

देख इस महंगाई करकै यो कति तौड़ आ लिया ।

3

कदे तनै सूखा मारै कदे या बाढ़ रोपज्या सै चाला

सूखे मैं तेरी फसल सूखज्या होवै ज्यान का गाला

कदे कति बेढंगा बरसै भाई यो लीले तम्बू आला

कदे फसल तबाह होज्या कदे होवै गुड़ का राला

बिजली तक आती कोण्या माच्छरां नै रम्भा लिया।

देख इस महंगाई करकै यो कति तौड़ आ लिया ।

4

बड़ी आशा से तमनै सै या सरकार बनाई देखो

कई काम करैगी थारे तमनै आस लगाई देखो

सरकार नै आँते ही बालक की नौकरी हटाई देखो

थारा माल खरीद सस्ते मैं और कीमत बढ़ाई देखो

रणबीर तेरी हुई तबाही सै आच्छी तरियां ढा लिया।

देख इस महंगाई करकै यो कति तौड़ आ लिया ।

वोट देवां  जिब राखते हम सही गलत का ध्यान नहीं ॥ 

 चमेली पड़ौस की महिलाओं के बीच दोपहर को बात करती है । 

सभी महिलाएं महंगाई के बारे में बताती हैं । लैक्सन आगे पर महंगाई फेर 

बी कम नहीं हुई । चमेली क्या कहती है ----

वोट देवां  जिब राखते हम सही गलत का ध्यान नहीं ॥ 

नाश करैंगे वे नेता जिनकै धोरै आज ईमान नहीं ॥ 

1

नजर घुमा कै देख लियो नित पेड़ झूठ का फलै सै 

सच का तेल घलै दीवे मैं तो यो ज्ञान उजाला जलै सै 

सच के दायरे मैं रहकै मन नहीं हिलाया हिलै सै 

सच पै खड्या रहवै उसनै दिलां मैं जगां मिलै सै 

विचार करै बुद्धि चेतन बिन चेतन मिलै ज्ञान नहीं ॥ 

नाश करैंगे वे नेता जिनकै धोरै आज ईमान नहीं ॥ 

2

भगत सिंह का नाम सुण्या धूम मचाई हिन्द म्हारे मैं 

तेईस बरस का फांसी चढग्या सोचो कदे इस बारे मैं 

सुणो आसान बात नहीं होती या ज्यान देनी आरे मैं 

घर बार कति छोड़ दिया उसनै देश के प्रेम इशारे मैं  

म्हणत करकै दौलत पैदा करां समझे जां इंसान नहीं ॥ 

नाश करैंगे वे नेता जिनकै धोरै आज ईमान नहीं ॥ 

3

साच्ची बात कहूँ थारे तैं हम सच्चाई मंजूर करावैं 

हाथ जोड़ कहूँ थारे तैं सच का साथ जरूर निभावैं

सच्चाई पै चलना चाहिए सच्चाई का घर दूर बतावैं 

बनावटी मिलावटी की जागां इंसानियत का नूर खिलावैं

सच्चा सौदा ए बिकवावेंगे झूठ की चलै दुकान नहीं ॥ 

नाश करैंगे वे नेता जिनकै धोरै आज ईमान नहीं ॥ 

4

वो मानस ना किसे काम का जो सच पै सिर धुनै नहीं 

अपनी कमाई का हिसाब वो बैठ कै कदे बी गिनै नहीं 

वोहे मानस सदा सुख पावै सै जो बात झूठी सुनै नहीं 

आज जो ठीक नहीं वो उस परम्परा का जाल बुनै नहीं 

छुआछात की जो बात करै वो इंसान की संतान नहीं ॥

नाश करैंगे वे नेता जिनकै धोरै आज ईमान नहीं ॥

बिना बात के रासे मैं इब बख्त गंवाणा ठीक नहीं।।

 1983 और 1986 के दौर में लिखी एक रागनी 

बिना बात के रासे मैं इब बख्त गंवाणा ठीक नहीं।।

अपने संकट काटण नै  यो जात का बाणा ठीक नहीं ।।

1

महंगाई गरीबी बेरूजगारी हर दिन बढ़ती  जावै सै

जो भी मेहनत करने आला तंग दूना होता आवै सै

जब हक मांगै अपना तो वो ताण बन्दूक दिखावै सै

कितै भाई कितै छोरा उसके बहकावे मैं आवै सै

खुद का स्वार्थ, देश कै बट्टा यूं तो लाणा ठीक नहीं ।।

अपने संकट काटण नै  जात का बाणा ठीक नहीं ।।

2

म्हारी एकता तोड़ण खातिर बीज फूट का बोवैं सैं

मैं पंजाबी तूँ बंगाली यो जहर कसूता ढोवैं सैं

मैं हरिजन तूँ जाट सै न्यारा नश्तर खूब चुभोवैं सैं

आपस कै महं करा लड़ाई नींद चैन की सौवैं सैं

इनके बहकावे मैं आकै खुद भिड़ जाणा ठीक नहीं।।

अपने संकट काटण नै  जात का बाणा ठीक नहीं ।।

3

म्हारी समझ नै भाइयो दुश्मन ओछी राखणा चाहवै

म्हारे सारे दुखां का दोषी यो हमनै ए आज ठहरावै 

खलकत घणी बाधू होगी कहै इसनै इब कौन खवावै

झूठी बातां का ले सहारा उल्टा हमनै ए वो धमकावै

इन सबके बहकावे के मैं मजदूर का आणा ठीक नहीं।।

अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं ।।

4

दे हमनै दूर रहण की शिक्षा दे राजनीत तैं राज करै

वर्ग संघर्ष की राही बिन यो म्हारा कोण्या काज सरै

कट्ठे होकै देदयाँ घेरा यो दुश्मन भाजम भाज मरै

झूठे वायदां की गेल्याँ म्हारा क्यूकर पेटा आज भरै

रणबीर मरैं सब यारे प्यारे इसा तीर चलाणा ठीक नहीं।।

अपने संकट काटण नै जात का बाणा ठीक नहीं।।

इब तो जागज्या किसान, देख हमनै कौण लूट रहया।।

 इब तो जागज्या किसान, देख हमनै कौण लूट रहया।।

1

दिन और रात काम करैं, फेर भी मुश्किल पेट भरैं

करैं मौज यहां धनवान, तूँ पाणी से रोटी घूंट रहया।।

2

ये पंडे और पुजारी लूटैं, ये अमरीकी ब्योपारी लूटैं

लुटैं क्यों हम भगवान, क्यों अमरीका खागड़ छूट रहया।।

इब तो जागज्या किसान

3

बिजली चमकै पाला पड़ता, तूँ पाणी के भीतर बड़ता

लड़ता सरहद पै जवान, वो चांदी महलां मैं कूट रहया।।

इब तो जागज्या किसान

4

धनवानों के महल अटारी, खोस लेज्यां मेहनत म्हारी

उतारी म्हारे घर की छान, बांस ऊँका बीच तैं टूट रहया।।

इब तो जागज्या किसान

5

जब जब ठाये हमनै झंडे, पुलिस के खाये गोली डंडे

बनादें मरघट का शमशान, घाल कमेरयां भित्तर फूट रहया।।

इब तो जागज्या किसान 

6

आज इंसान करया लाचार, नाव फंसी बीच मंझदार

हरबार लड़ावै यो बेईमान, म्हारा सब किमै यो चूट रहया।।

इब तो जागज्या किसान 

7

सुन रणबीर सिंह का गाणा, रोवै बूढ़ा और याणा स्याणा

बताणा करे दारू नै गलतान ,भाइयो बोल ना झूठ रहया।।

इब तो जागज्या किसान

कैसा घर 

 

कैसा घर 

ना मनै पीहर देख्या होगे तीन साल सासरै आई नै।

भूल गई मैं परिवार सारा भूली बाहण मां जाई नै।।

बीस बरस रही जिस घर में उस घर तै नाता टूट गया

खेली खाई जवान हुई सब किमै पाछै छूट गया

मेरे सुख नै कौण लूट गया बताउं कैसे रूसवाई नै।।

आज तक अनजान था जो उंतै सब कुछ सौंप दिया

विश्वास करया जिसपै उनै छुरा कड़ मैं घोंप दिया

ससुर नै लगा छोंक दिया ना समझया बहू पराई नै।।

मनै घर बसाना चाहया अपणा आप्पा मार लिया

गलत बात पै बोली कोण्या मनै मौन धार लिया

फेर बी तबाह घरबार किया ना देखैं वे अच्छाई नै।।

किसे रिवाज बनाये म्हारे इन्सान की कदर रही नहीं

सारी बात बताउं क्यूकर समझो मेरी बिना कही

के के ईब तलक सही आई ना रणबीर की लिखाई मैं।।

संदीप सिंह मंत्री नै अपमानित करी महिला खिलाड़ी।।*

 *संदीप सिंह मंत्री नै अपमानित करी महिला खिलाड़ी।।*

*महिला नै दुखी होकै थारी सारी काली करतूत उघाड़ी।।*

1

चंडीगढ़ पुलिस नै मुश्किल तैं एफआईआर दर्ज करया

छेड़छाड़ के आरोपों बीच मंत्री साहब तू पाया घिरया

*पूरे हरियाणा के म्हं महिला संगठनों नै रोष मार्च लिकाड़ी।।*

2

कहती महिला खिलाड़ी मेरे को मंत्री नै अपने घर बुलाया

आफिस की बजाय उसनै न्यारे कमरे मैं लेजा कै बिठाया

*कैह खुश रैह खुश राख़ चाही चाही यौन शोषण की जुगाड़ी।।*

3

महिला नै पुरजोर विरोध करया तो जबरदस्ती करनी चाही 

धक्का मार कै मंत्री के वा अपना पिंड छुटा कै घर नै आयी

*इसे करकै मंत्री नै कई तरियां चाही उंकि हालत बिगाड़ी।।*

4

नौकरी मिली फेर बी दुखी राखी तो प्रशासन को बताया

फेर प्रशासन भी नहीं उसकी मदद करण खातर आया

*पुलिस मैं दरखास्त दी रणबीर करी जनता नै करड़ी जाड़ी।।*

5

न्याय मिलना चाहिए खिलाड़ी नै जन संगठन आगै आये 

सरकार पै दबाव नै मंत्री के पुतले दहन करकै विरोध जताये

*रणबीर भी मदद मैं कलम ठाई मंत्री की सरकार भी लताड़ी।।*

यो दिखावा चारों कान्ही सबके दिल पै छाया रै।।

 यो दिखावा चारों कान्ही सबके दिल पै छाया रै।।

जिसकै सूत आरी कहता सब ईश्वर की माया रै।।

1

यो ईश्वर दुभान्त करता ना हमनै देता दिखाई

खूब ईमानदारी तैं कमाते पर रहते बिना दवाई

म्हारे पड़े फूटे ढारे देखो ईश्वर नै महल भाया रै।।

जिसकै सूत आरी कहता सब ईश्वर की माया रै।।

2

जो काला बाजारी करैं उनकी मानता भगवान यो

शैतानों की चांदी होरी भूखा मरता क्यों इंसान यो

मन्दी मैं गरीब मरया अमीर सरकार नै बचाया रै।।

जिसकै सूत आरी कहता सब ईश्वर की माया रै।।

3

अडानी के पाले मैं जाकै सरकार खड़ी होगी म्हारी

जिस राही मरणा लाजमी उसे रास्ते चलती जारी

जनता की दाब के कारण भारत किमैं बच पाया रै।।

जिसकै सूत आरी कहता सब ईश्वर की माया रै।।

4

भ्रष्टाचार नै म्हारे देश मैं सब रिकार्ड तोड़ दिए

भ्रष्ट नेता पुलिस अफसर तीनों नै सूत्र जोड़ लिए

रणबीर सिंह नाश हो लिया दुख मैं गीत बनाया रै।।

जिसकै सूत आरी कहता सब ईश्वर की माया रै।।

सन 14 की तीज का सुण्लयो हाल सुणाउं मैं।।---170 ----

 सन 14 की तीज 

सन 14 की तीज का सुण्लयो हाल सुणाउं मैं।।

बोहर भालोठ आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।

1

गुलगुले सुहाली मनै कितै टोहै पाये कोण्या सुनियो

नीम पीपल झूलैं जिनपै नजर आये कोण्या सुनियो

काला दामण लाल चूंदड़ी ल्याकै कड़े तैं दिखउं मैं।।

बोहर भालोठ आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।

2

नीम पीपल के डाहले पै जेवड़यां की पींग घालते रै

झूल झूलते तो ये पते टहनी उनकी गैल हालते रै

मिलकै पड़ौसन झूल्या करती ईब कड़े तैं ल्याउं मैं।।

बोहर भालोठ आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।

3

कोथली मैं सुहाली आन्ती ये पूड़े घरां बनाया करते 

कई दिन सुहानी घेवर रल मिलकै सब खाया करते 

लंगर बांध देवर झोटे देता ये के के बात गिणाउं मैं।।

बोहर भालोठ आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।

तीजां का त्यौहार साम्मण मैं मौसम बदल जावै देखो

अकेलापन दूर होज्या सै मेल मिलाप यो बढ़ावै देखो

क बोहर भालोठ आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।

कहै रणबीर हुड्डा पार्क मैं तीस नै तीज मणाउं मैं।।

मिलकै नै आवाज लगावां बुनियादी हक क्यों खोस लिए।।

 मिलकै नै आवाज लगावां बुनियादी हक क्यों खोस लिए।।

के सोच कै नै तमनै संविधान के पन्ने मोस दिए।।

1

शिक्षा का अधिकार म्हारा आज पढन क्यों बिठाया

स्वास्थ्य का अधिकार म्हारा कर हवन क्यों भकाया

रोजगार खोस करोड़ों के उड़ा उनके होंस दिए।।

के सोच कै नै तमनै संविधान के पन्ने मोस दिए।।

2

भ्रष्टाचार के पंख क्यों ये चारों कांहीं फैला दिए

बेरोजगारों के कॉन्ध्यां पै कावड़ क्यों टिका दिए

आजादी की लड़ाई नहीं लड़ी वे शहीद बना ठोस दिए।।

के सोच कै नै तमनै संविधान के पन्ने मोस दिए।।

3

जिणनै भी आवाज उठाई वे दमन का शिकार बनाये

मजदूर किसानों के ऊपर बहोत घणे कहर ढाये

दबे नहीं लाठी गोली तैं  जनता नै

बढ़ा रोष दिए।।

के सोच कै नै तमनै संविधान के पन्ने मोस दिए।।

4

जात धर्म पै कलह कराकै एकता जनता की तोड़ी

बेरोजगारी भुखमरी तैं आज ध्यान

जनता की मोड़ी

रणबीर लांबे चौड़े वायदे जनता साहमी परोस दिए।।

के सोच कै नै तमनै संविधान के पन्ने मोस दिए।।

आजादी

 आजादी

खतरे मैं आजादी म्हारी जिंदगी बणा मखौल दी।

इसकी खातर भगत सिंह नै जवानी लूटा निरोल दी।

1

आजादी पावण की खातर असली उठया तूफ़ान था

लाठी गोली बरस रही थी जेलां मैं नहीं उस्सान था

एक तरफ बापू गांधी दूजी तरफ मजदूर किसान था

कल्पना दत्त भगत सिंह नै किया खुल्ला ऐलान था

इंक़लाब जिंदाबाद की उणनै या ऊंची बोल दी ।

2

सत्तावन की असल बगावत ग़दर का इसे नाम दिया

करया दमन फिरंगी नै उदमी राम रूख पै टांग दिया

सैंतीस दिन रहया जूझता कोये ना मिलने जाण दिया

हंस हंस देग्या कुर्बानी हरियाणे का रख सम्मान दिया

हिन्दू मुस्लिम एकता नै गौरी फ़ौज या खंगोल दी।

3

भारतवासी अपने दिलां मैं नए नए सपने लेरे थे

नहीं भूख बीमारी रहने की नेता हमें लारे देरे थे

इस उम्मीद पै हजारों भाई गए जेलों के घेरे थे

दवाई पढ़ाई का हक मिलै ये नेक इरादे भतेरे थे

गौरे गए आगे काले रणबीर की छाती छोल दी।

4

फुट गेरो और राज करो ये नीति वाहे चाल रहे रै

कितै जात कितै धर्म नै ये बना अपनी ढाल रहे रै

आपस मैं लोग लड़ाए लूट की कर रूखाल रहे रै

वैज्ञानिक नजर जिसकी जी नै कर बबाल रहे रै

इक्कीसवीं की बात करैं राही छटी की खोल दी।

2003.2004

क्लाइमेट चेंज 

 क्लाइमेट चेंज 

इस क्लाइमेट चेंज नै ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाई रै।।

पूरी दुनिया मैं देवै जलवायु प्रदूषण दिखाई रै।।

1

वातावरण पै घणा कसूता इसनै असर दिखाया

जल यो पूरी दुनिया का प्रदूषित हुया बताया

जमीन तले के पाणी मैं कीटनाशक दवा पाई रै।।

पूरी दुनिया मैं देवै जलवायु प्रदूषण दिखाई रै।।

2

कीटनाशक शरीर मैं घणे नुकसान करै कहते

कैंसर का प्रकोप घणा हम इसके करकै सहते

विकास यो टिक्या मुनाफे पै म्हारे नाश की राही रै।।

पूरी दुनिया मैं देवै जलवायु प्रदूषण दिखाई रै।।

3

खेती आली धरती पै जलवायु संकट छाग्या भाई

इसकी उपज की ताकत पूरे तरियां खाग्या भाई

लागत बढ़ी पैदावार की कीमत थोड़ी थयाई रै।।

पूरी दुनिया मैं देवै जलवायु प्रदूषण दिखाई रै।।

4

विकसित देश कार्बन नाइट्रोजन घणी छोड़ रहे

क्लाइमेट चेंज के फैंसले कसूती ढालां तोड़ रहे

रणबीर इब जनता नै पड़ै कमर कसनी भाई रै।।

पूरी दुनिया मैं देवै जलवायु प्रदूषण दिखाई रै।।

बुरा हाल देख देश का आज मेरा जिगरा रोया।।

 बुरा हाल देख देश का आज मेरा जिगरा रोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

1

मेल मिलाप खत्म हुया पकड़या राह तबाही का

जात पात धर्म के ऊपर गल काटै भाई भाई का

मारकाट बिना बात की यो सै काम बुराई का 

पर फिकर सै किसनै देखै खेल जो अन्याई का

माता खड़ी बिलख रही जिगर का टुकड़ा खोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

2

पंजाब मैं लीलो लुटगी चमन दिल्ली मैं रोवै सै

धनपत तूँ कड़ै डिगरग्या चमन गली गली टोह्वै सै

यो सारा चमन उजड़ चल्या तेरा साज कित सोवै सै

ना मन की बुझनिया कोय लीलो बैठ एकली रोवै सै

कित तैं ल्याऊं लख्मीचंद जिसनै सही छंद पिरोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

3

चौड़े कालर फुट लिया यो भांडा इस कुकर्म का

धर्म पै हो लिए नँगे नहीं रहया काम शर्म का 

लाजमी हो तोड़ खुलासा इस छिपे हुए भ्रम का

घड़ा भर लिया पाप का यो खुलग्या भेद मरम का 

देखी रोंवती हीर मनै जन सीने मैं तीर चुभोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

4

इसे कसूते कर्म देखकै सूख गात का चाम लिया

प्रीत लड़ी बिखर गई अमृता नै सिर थाम लिया

शशि पन्नू की धरती पै कमा कसूता नाम लिया 

भगत सिंह का देश भाई हो बहोत बदनाम लिया

असली के सै नकली के सै यो सच गया पूरा धोया ।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

5

फिरकापरस्ती दिखै सै इन सब धर्मां की जड़ मैं

लुटेरा राज चलावै सै बांट कै धर्मां की लड़ मैं

जितनी ऊपर तैं धौली दीखै कॉलस उतनी धड़ मैं

जड़ दीखें गहरी हों जितनी गहरी हों बड़ मैं

या धर्म फीम इसी खाई दुनिया नै आप्पा खोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

6

सिर ठाकै जीणा हो तै धर्म राजनीति तैं न्यारा हो 

फेर मेहनत करणीया का आपस मैं भाईचारा हो

फेर नहीं कदे देश मैं लीलो चमन का बंटवारा हो

कमेरयां की बनै एकता ना चालै किसे का चारा हो

रणबीर बी देख नजारा ठाडू बूक मार कै रोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

दीवाली

 दीवाली

कितै मनै दीवाली चौखी कितै लिकड़या दीखै दिवाला ।।

कुछ घर मैं हुया चांदना, घणे घरों मैं हुया अँधेरा काला ।।

1

बनवास काट वापिस आये जिब दीवाली मनाई जावै

अच्छाई पिटे चारों कान्ही आज बुराई बढ़ती आवै 

इसे माहौल मैं दीवाली कोये माणस कैसे आज मनावै

राम की नगरी मैं किसान यो लाम्बा आंदोलन चलावै 

म्हारी बदरंगी दुनिया का यो कोण्या पाया राम रुखाला ।।

कुछ घर मैं हुया चांदना, घणे घरों मैं हुया अँधेरा काला ।।

2

क्युकर खील पतासे मैं ल्याऊं, घर मैं मुस्से कुला करैं 

मेहनत करकै रोटी खावाँ सां , श्याम सबेरी दुआ करैं

फेर बी उनकी चांदी होरी सै दिन रात जो बुरा करैं 

हमनै या दुनिया रचाई , हमतें रामजी क्यों गिला करैं 

राम कै तौ मिटादे अँधेरा , नातै  होगा दुनिया मैं चाला ।।

कुछ घर मैं हुया चांदना, घणे घरों मैं हुया अँधेरा काला ।।

3

राम राज मैं बढै गरीबी या बात समझ मैं आई कोण्या

इसा के चाला हुया बता, ख्याल मैं म्हारी पढ़ाई कोण्या

थारे राज मैं हमनै रामजी मिलती आज दवाई कोण्या

क्यों थारे राज मैं सुरक्षित आज ये लोग लुगाई कोण्या

दुनिया का मालिक बणन का  करदे राम जी इब टाला ।।

कुछ घर मैं हुया चांदना, घणे घरों मैं हुया अँधेरा काला ।।

4

बता क्यूकर दीवाली मनावैं, रास्ता मनै  बता दे तूं 

समता होज्या दुनिया मैं इसा , रास्ता मनै दिखा दे तूं 

औरत नै इन्सान समझां म्हारा हरियाणा इसा बनादे तूं 

तेरे बस का ना यो करना तै  म्हारे जिम्मै लगादे तूं 

लोगां का भरोसा उठता जावै , कहै रणबीर बरोने आला ।।

कुछ घर मैं हुया चांदना, घणे घरों मैं हुया अँधेरा काला ।।

भूख बीमारी घणी कलिहारी

 भूख 

भूख बीमारी घणी कलिहारी कहैं इसका कोये इलाज नहीं।।

बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।

1

भूख रूआदे भूख सुआदे भूख बिघन का काम करै

भूख सतादे भूख मरादे भूख ये जुल्म तमाम करै

कितना सबर इंसान करै उनकै माचै खाज नहीं ।।

बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।

2

शरीर बिकादे खाड़े करादे भूख कति बर्बाद करै

आछे भुन्डे काम सिखादे मानस हुया बर्बाद फिरै

आज कौन किसे नै याद करै दीखै कोये हमराज नहीं 

बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।

3

भूख पैदा करै भिखारी पैदा बड़े बड़े धनवान करै

एक नै भूख दे करकै दूजा पेट अपना बेउन्मान भरै

एक तै इत्तर मैं स्नान करै दूजे धोरै दो मुट्ठी नाज नहीं ।।

बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।

4

लूट नै दुनिया भाइयो दो पाल्यां बिचाळै बांट दई 

मेहनत करने आला भूखा मक्कारी न्यारी छाँट दई

लूट नै सच्चाई आँट दई रणबीर सुनै धीमी आवाज नहीं ।।

बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।

त्याग तपस्या जनसेवा हरेक धर्म का सार बताया रै।।

 त्याग तपस्या जनसेवा हरेक धर्म का सार बताया रै।।

कण कण मैं बसै रामजी किसनै पत्थर पूजवाया रै।।

1

कौनसे धर्म मैं लिख दिया दूजे धर्म तैं लोगो घृणा करो 

अपने नै महान बताओ दूजे धर्म के ऊपर नाम धरो 

उसको ढूंढ़ो अपने अंदर  मुक्ति का यो राह दिखाया रै।।

कण कण मैं बसै ......

2

समाज सुधरै जीवन सुधरै है धर्मों का अंजाम यही 

फेर क्यों मारकाट धर्मों पै कबीर नै दी  पैगाम यही 

सूफी संतों नै अंधभक्तों को यो रास्ता सही समझाया रै।।

कण कण मैं बसै ......

3

प्यार से सब रहते आये हैं गंगा जमुनी संस्कृति म्हारी

अंग्रेजों नै बांटो राज करो करी सोच समझ कै त्यारी

धार्मिक कट्टरता नै मानस दुनिया का आज कँपाया रै।।

कण कण मैं बसै ......

4

धार्मिकता के सिद्धान्त सारे  धर्मों के कुछ लोग भूले

एक दूजे तैं नफरत करो की मारा मारी मैं क्यों झूले 

धर्म व्यक्तिगत मसला सै पां क्यों राजनीति मैं फंसाया रै।।

कण कण मैं बसै ......

आगळा पाछला

 आगळा पाछला

आगळा पाछला कुछ कोन्या योहे जन्म सब कुछ बताया।

म्हारी मत मारण खात्तर आगळा पाछला गया समझाया।

1

मनुष्य तैं बड्डी कोय ताकत नहीं इस दुनिया मैं बताई

मनुष्य नै भगवन गढ़या जित बात समझ नहीं आई

भगवान अल्लाह के रूप बदले मानस धुर तैँ इसा पाया।

2

कुदरत के अपने नियम जिनतैं यो संसार चलै भाई

माणस कुदरत का संघर्ष एक मिनट नहीं टलै भाई

कुदरत के नियम तोड़े तो माणस नै हमेश दुःख ठाया।

3

माणस माणस नै लूटै इस खातर पाखंड ये रचाये

आगळा पाछला ईश्वर खोज्या लिखकै नै ग्रन्थ बनाये

आज तलक भटका राखे यो अन्धविश्वास फैलाया।

4

पाखंड के हर धर्म मैं जाले ये जनता टांड पर बिठाई

किस किस का जिक्र करूं या मानवता गई दबाई

रणबीर बरोने आले नै यो चेहरा असली दिखलाया ।

आजाद हिंद फौज के सिपाही , डटगे रणभूमि मैं आकै।।

 तर्ज-सिर मैं भड़कै--

आजाद हिंद फौज के सिपाही , डटगे रणभूमि मैं आकै।।

लक्ष्मी सहगल साथ लड़ी , बैरी पड़या तिवाला खाकै।।

1

हर जवान फौजी के दिल मैं , उमंग भरी हुई खुशहाली

सारे फौजी पाछै पाछै चाले, सबतैं आगै बोस बंगाली

फौजियों नै मन मैं साली, तिरंगा लहरावां दिल्ली जाकै।।

लक्ष्मी सहगल साथ लड़ी , बैरी पड़या तिवाला खाकै।।

2

तिल तिल करकै आगै बढ़ते देश आजाद कराना चाहया

धर कांधै बंदूक सभी नै अपना कदम तैं कदम मिलाया

चाहते बैरी नै कति मिटाया कोये नई तरकीब भिड़ाकै।।

लक्ष्मी सहगल साथ लड़ी , बैरी पड़या तिवाला खाकै।।

3

महिला कति पाछै रही ना पलटन न्यारी करी खड़ी

बीर मरद चले मिलकै महिला भी रण मैं साथ लड़ी 

दूसरी लड़ाई आण छिड़ी देख्या चारों तरफ लखाकै।।

लक्ष्मी सहगल साथ लड़ी , बैरी पड़या तिवाला खाकै।।

4

आईएनए की फौज निराली नया इतिहास रचाया सै

तन मन धन सब अर्पण करकै देश आजाद कराया सै

रणबीर नै छंद बनाया सै अपनी कलम हाथ मैं ठाकै।।

लक्ष्मी सहगल साथ लड़ी , बैरी पड़या तिवाला खाकै।।

जाल अमरीका का ---180 ----

 2008 की रचना आज और प्रासंगिक हो गयी लगती है 


जाल अमरीका का 


अमरीका तनै जाल बिछाया , 

हिंसा नशा नंगापन फैलाया, 

हरेक देश दबाना चाहया, 

तेरी चाल समझ  मैं आई  सै।।



फीम सुल्फा चरस बिकादी , हथियारों की होड़ बढ़ादी ,


तेरे तै होंगे सही पौ बारा , यो नौजवान फंसग्या म्हारा 

म्हारी तबियत होगी खारया ,करी खूब काली कमाई सै।।



उदारीकरण के नारे लगाए , शिकंजे मैं कई देश फंसाये 


तूफ़ान अश्लीलता का ल्याया , 

गाभरू कै खून मुँह लगाया 

चैनल पै चैनल चलवाया , आतंकवाद कसूत फैलाई सै।। 



पोर्न फिल्मों की बाढ़ सी ल्यादी , 

काली कमाई इसमें भी लगादी 

हिंसा नै रिकार्ड तोड़ दिये , म्हारे छोरा छोरी मरोड़ दिए 

ये हिंसा के घोड़े खुल्ले छोड़ दिए , सोच समझ चाल चलायी सै ।। 



एक हाथ तैं लूटै हमनै देखो , 

दूजे हाथ तैं चूमै हमनै देखो 


म्हारा धयान हटावै सच्चाई तैं , ऐश करता म्हारी कमाई पै,रणबीर सिंह की कविताई पै ,उम्मीद जनता नै लाई सै ।।

किस्सा चौधरी छोटू राम 

 किस्सा चौधरी छोटू राम 

****1***

पंजाब मैं हिन्दू मुस्लिम सिख की पूरी एकता बनाई थामनै ॥ 

कट्टर वादियां तैं उन दिनां मैं थी जमकै धुल चटाई थामनै ॥ 

1

बीस मैं कांग्रेस छोड़ कै या यूनियनिस्ट पार्टी बनाई थी

पूरे पंजाब मैं यूनियनिस्ट पार्टी की लहर चलाई  थी

महाजन संस्कृति की उन दिनाँ बही की लूट मिटाई थामनै ।।

कट्टर वादियां तैं उन दिनां मैं थी जमकै धुल चटाई थामनै ॥ 

2

गरीब किसान की जमीन कुड़की होवण तैं बचाई थी  

हजारों हजार नौजवानां की फ़ौज मैं भर्ती कराई थी 

भाखड़ा डैम बनवा करकै भाखड़ा नहर लिकड़वाई थामनै ॥ 

कट्टर वादियां तैं उन दिनां मैं थी जमकै धुल चटाई थामनै ॥ 

3

दोनों महायुद्धां मैं गोरयां की कहैं गलत मेर कटाई थी

कुछ भी हो छोटू राम पंजाब की सोयी जनता जगाई थी 

कांग्रेस और मुस्लिम लीग तैं लेकै टक्कर दिखाई थामनै ॥ 

कट्टर वादियां तैं उन दिनां मैं थी जमकै धुल चटाई थामनै ॥ 

वकालत के बदले तौर तरीके नयी रीत निभाई थी 

पाकिस्तान ना बनने देवां कठ्ठे होकै आवाज उठाई थी 

रणबीर बरोणिया के बाबू की मदद खूब करी बताई थामनै।।

कट्टर वादियां तैं उन दिनां मैं थी जमकै धुल चटाई थामनै ॥ 


***2***

जन्म दिवस पर 

#चौधरी छोटू राम लाला घासीराम से दो चार 

क्यूकरै झज्जर के स्कूल मैं छोटूराम नै दाखला पाया।।

संकट झेल झेल कै भी उसनै पढ़ाई मैं ध्यान लगाया।।

1

स्कूल बीस किलोमीटर दूर गढ़ी सांपले तैं बताते

पैदल चाल कै आसंडे कै छारा जौन्धी म्हां कै जाते

मिहने मैं दो दिन तै बालक आण जाण मैं वे खपाते

आटा दाल घी घर तैं होस्टल मैं लेजाकै जमा कराते

छुटियाँ मैं घर नै आकै नै खेती बाड़ी मैं हाथ बंटाया।।

संकट झेल झेल कै भी उसनै पढ़ाई मैं ध्यान लगाया।।

2

मोहम्मद खान होस्टल मैं कई बात बताया करता

छोटू राम खेत मैं भी किताब लेकै नै जाया करता 

सारे सूबे मैं फस्ट आईये मास्टर न्यों चाहया करता

वोहे अखबार पढ़ता रोज जो स्कूल मैं आया करता

छोटू राम का कठोर परिश्रम आखिर तै रंग ल्याया।।

संकट झेल झेल कै भी उसनै पढ़ाई मैं ध्यान लगाया।।

3

रिजल्ट नै छोटूराम का हौंसला घना बढ़ाया देखो

आगै जरूरी पढ़ना सै यो पक्का मन बनाया देखो 

मौका देखकै बाबू तैं पढण का जिक्र चलाया देखो

आगै पढ़ने की सुनकै नै बाबू नै नाक चढ़ाया देखो 

नौकरी टोहले छोटी मोटी बाबू नै छोटू समझाया।।

संकट झेल झेल कै भी उसनै पढ़ाई मैं ध्यान लगाया।।

4

पसीनयां मैं नहाए पहोंचे लाला जी जाकै ठाया था

इशारा कर डोरी कान्ही पंखा बाबू खीचै चाहया था

उसका बेटा खाली बैठया  छोटूराम कै छोह आया था

छोटूराम नै लाला जी को कसूती ढालाँ धमकाया था 

रणबीर पंखे की  घटना नै छोटू राम को दहलाया।।

संकट झेल झेल कै भी उसनै पढ़ाई मैं ध्यान लगाया।। 


**3*** 


आज चौधरी छोटू राम की जयन्ती के मौके पर ।

बताते हैं कि चौधरी छोटू राम किसान को  दो बातें सीखने की सीख देते थे। क्या बताया भला-------

सुण  भोले से किसान दो बात मेरी मान ले।

बोलना ले सीख और दुश्मन को पहचान ले।

1

म्हारी कमाई कित जावै इसका बेरा लाणा हो

दुश्मन लूटैं मित्तर बणकै इसकी तह मैं जाणा हो

पूरा हिसाब लगाणा हो भले बुरे का सही ज्ञान ले।

बोलना ले सीख और दुश्मन को पहचान ले।

2

चोखी धरती आले का छोरा मनै बेरुजगार दिखा

मेहनत करने आले का मनै भरया परिवार दिखा

अपणे पै इतबार दिखा सुण लगाकै ध्यान ले।

बोलना ले सीख और दुश्मन को पहचान ले।

3

घोड़े घास की यारी या बता क्यूकर मिल ज्यागी

बकरी शेर की यारी या सारी दुनिया हिल ज्यागी

या यारी कैसे खिल ज्यागी तोड़न की ईब ठाण ले।

बोलना ले सीख और दुश्मन को पहचान ले।

4

इस सिस्टम के कारण भरष्टाचार सब होरे सैं 

बाँट कै जात धर्म पै लूटैं मिलकै काले गोरे सैं

भूखे म्हारे छोरी छोरे सैं रणबीर बचा जान ले।

बोलना ले सीख और दुश्मन को पहचान ले। 


***4***

चारों कांहीं 

चारों कांहीं तैं लुट पिट लिया अपणा ठिकाणा पाज्या रै।।

जातपात और इलाके ऊपर के थ्याया मनै बताज्या रै।।

छोटू राम नै राह दिखाया बोलना ले सीख किसान रै

दुश्मन की पहचान करकै तोलना ले सीख किसान रै

तीस साल मैं हिरफिर कै कर्जा हट हट कै नै खाज्या रै।।

2

जात गोत इलाके पर किसान कसूते बांट दिए देखो

किसान की कमाई लूट लई सबतैं न्यारे छांट दिए देखो

आज अन्नदाता क्यों सै भूखा कोए मनै समझाज्या रै।।

3

दो किले धरती बची थी बीस लाख किले के लगवाए 

धरती गई चालीस लाख फेर तनै वे भी खा पदकाये

चकाचौंध मची घणी कसूती आंख जमा चुंधियाज्या रै।।

4

पिस्से आले तेरी कौम के क्यों तनै तड़पता छोड़ गए 

किमैं दलाल बने ठेकेदार तेरे तैं क्यों नाता तोड़ गए

रणबीर किसान सभा मैं सोच समझ कै इब तो आज्या रै।।

फरवरी 2014 


****5***

एक किसान सर छोटू राम को याद करता है 


एक बै हट कै आज्य छोटूराम किसान तनै आज बुलावै  सै ॥ 

सन चालीस का कमेरा तनै आज बी उतना ए तै चाहवै सै ॥ 

1

म्हणत लगन पक्का इरादा थारे मैं गुण पूरी मिकदार मैं 

गढ़ी सांपला मैं पैदा होकै थमनै देखि गरीबी परिवार मैं 

जिक्र हुया थारा संसार मैं छोटूराम किसे कानून बनावै सै ॥

सन चालीस का कमेरा तनै आज बी उतना ए तै चाहवै सै ॥ 

2

धरती कुड़क ना होवै किसानी की यो थामनै कानून  बनाया 

गोड्यां ताहिं कर्जे मैं धँसरे थे थामनै आकै आजाद कराया 

एक बै साँस उलगा सा आया वो खरना आज बी गुण गावै सै ॥

सन चालीस का कमेरा तनै आज बी उतना ए तै चाहवै सै ॥ 

3

खूब जतन  करे हमनै ऊबड़ खाबड़ खेत संवारे फेर दखे 

भाखड़ा डेम का बिजली पानी होगे वारे के न्यारे फेर दखे 

दस तैं बीस मणे  गीहूँ म्हारे फेर दखे म्हणत रंग ल्यावै सै ॥

सन चालीस का कमेरा तनै आज बी उतना ए तै चाहवै सै ॥ 

4

खाद बीज ले कर्जे पै म्हणत तैं खेत क्यार म्हारे लहलागे रै 

फसल ले जिब मण्डी पहोंच्या भा  कति तले नै ये आगे रै 

बहोत किसान फांसी खागे रै रणबीर नहीं झूठ बहकावे सै ॥

सन चालीस का कमेरा तनै आज बी उतना ए तै चाहवै सै ॥ 


****6**** 


चौधरी सर छोटू राम 

रोहतक जिले में गढ़ी सांपला यो नाम सुण्या होगा।।

इसे गाम का रहने आला यो छोटू राम सुण्या होगा।।

1

हलपति को गढ़पति और गढ़पति को छत्रपति बनाऊं 

यो सपना संजोया था थामनै सबनै खोलकै नै सुनाऊं 

सुखीराम सीरिया के घर मैं जन्मया रामरिछपाल बताऊँ 

सबतै छोटा ज्यां बुलाया सबनै यो छोटू राम दिखलाऊँ

नटखट बताया बचपन मैं यो किस्सा आम सुण्या होगा।

इसे गाम का रहने आला यो छोटू राम सुण्या होगा।।

2

गाम के लड़कपन के खेल सीख लिए थे सारे भाई

ग्वाल्यां गेल्याँ आवारागर्दी सूरां कै डण्डे मारे भाई

जोहड़ मैं खूब नहाना गालां मैं दिए किलकारे भाई

पील अर पिच्चू तोड़ कै मिलकै नै दोस्त खारे भाई

पीछा छुड़ाने नै स्कूल भेज्या किस्सा तमाम सुण्या होगा 

इसे गाम का रहने आला यो छोटू राम सुण्या होगा।।

3

होनहार बिरवान के होत चीकने पात बताये लोगो

ग्यारह साल की उम्र मैं फेरे उसतैं थे दिवाये लोगो 

ज्ञानो देवी खेड़ी जट तैं ब्याह कै नै ल्याये लोगो

आगे नै गए बढंते फेर ना पाछै कदम हटाये लोगो

लाला जी के घर तैं जो लिया पैगाम सुण्या होगा

इसे गाम का रहने आला यो छोटू राम सुण्या होगा।।

4

दसवीं करे पाछै पढ़ाई की मुश्किल आई बताई देखो

मिशन कालेज तैं बीच मैं पड़गी छोड़नी पढ़ाई देखो

दो प्रोफेसर की टीम जाकै हटकै दिल्ली ल्याई देखो 

रणबीर हाँगा ला करी एफे गाम की श्यान बढ़ाई देखो

इसतैं आगै मदद करी किस्सा छाजू राम सुण्या होगा 

इसे गाम का रहने आला यो छोटू राम सुण्या होगा।। 


*****7*** 


चौधरी छोटू राम लाला घासीराम से दो चार 

क्यूकरै झज्जर के स्कूल मैं छोटूराम नै दाखला पाया।।

संकट झेल झेल कै भी उसनै पढ़ाई मैं ध्यान लगाया।।

1

स्कूल बीस किलोमीटर दूर गढ़ी सांपले तैं बताते

पैदल चाल कै आसंडे कै छारा जौन्धी म्हां कै जाते

मिहने मैं दो दिन तै बालक आण जाण मैं वे खपाते

आटा दाल घी घर तैं होस्टल मैं लेजाकै जमा कराते

छुटियाँ मैं घर नै आकै नै खेती बाड़ी मैं हाथ बंटाया।।

संकट झेल झेल कै भी उसनै पढ़ाई मैं ध्यान लगाया।।

2

मोहम्मद खान होस्टल मैं कई बात बताया करता

छोटू राम खेत मैं भी किताब लेकै नै जाया करता 

सारे सूबे मैं फस्ट आईये मास्टर न्यों चाहया करता

वोहे अखबार पढ़ता रोज जो स्कूल मैं आया करता

छोटू राम का कठोर परिश्रम आखिर तै रंग ल्याया।।

संकट झेल झेल कै भी उसनै पढ़ाई मैं ध्यान लगाया।।

3

रिजल्ट नै छोटूराम का हौंसला घना बढ़ाया देखो

आगै जरूरी पढ़ना सै यो पक्का मन बनाया देखो 

मौका देखकै बाबू तैं पढण का जिक्र चलाया देखो

आगै पढ़ने की सुनकै नै बाबू नै नाक चढ़ाया देखो 

नौकरी टोहले छोटी मोटी बाबू नै छोटू समझाया।।

संकट झेल झेल कै भी उसनै पढ़ाई मैं ध्यान लगाया।।

4

पसीनयां मैं नहाए पहोंचे लाला जी जाकै ठाया था

इशारा कर डोरी कान्ही पंखा बाबू खीचै चाहया था

उसका बेटा खाली बैठया  छोटूराम कै छोह आया था

छोटूराम नै लाला जी को कसूती ढालाँ धमकाया था 

रणबीर पंखे की  घटना नै छोटू राम को दहलाया।।

संकट झेल झेल कै भी उसनै पढ़ाई मैं ध्यान लगाया।। 


****8*** 


चौधरी छोटू राम की जयंती के मौके पर एक बात। क्या बताया भला--

हरियाणे के रोहतक मैं गढ़ी सांपला गाम सुण्या होगा ।।

इसे गाम का रहने आला चौधरी छोटू राम सुण्या होगा ।।

पैदा होकै गरीब घर मैं गरीबी का कष्ट   झेल्या खूब 

कां डंका और खेल कबड्डी साथ बालकां की खेल्या खूब 

दंश गरीबी का ठेल्या खूब यो किस्सा तमाम सुण्या होगा ।।

उसकै जनून था पढ़ाई का लालटेन रौशनी मैं  पढता 

देख हालात मजदूर किसान की यो छोह घना बढ़ता 

मेहनत की सीढ़ी चढ़ता गया शिखर नाम सुण्या होगा ।।

किसान कर्जे तैँ बाहर आवै इसे कानून बनाये फेर

अंग्रेजां की हकूमत ताहिं ये राह उसनै दिखाए फेर 

इलाके आले समझाए फेर शिक्षा का पैगाम सुण्या होगा।।

सेकुलेरिज्म का हिम्माति था जिन्हा को ललकारया देखो

हिन्दू मुस्लिम का भाईचारा हकीकत मैं उतारया देखो 

आखिर तक नहीं हारया देखो रणबीर सुबह शाम सुण्या होगा ।।

रणबीर 24.1.2014 


***9*** 


चौधरी छोटू राम जयंती पर एक रागनी । क्या बताया भला--

या मैट्रिक की परीक्षा उन्नीस सौ एक मैं पास करी।।

प्रथम श्रेणी आई थी इसतैं ऊंचे की थी आस करी।।

1

कमजोर शरीर करके नै पूरा जोर नहीं लगा पाया

नंबर कम करकै नै छात्रवृति का नम्बर नहीं आया

आगली पढ़ाई की चिंता नै दिमाग उसका खाया

अपने दादा रामदास धोरै दुखड़ा जाकै नै सुनाया

दादा नै दोनों बेटे बुला कै पढाने की दरखास करी।।

प्रथम श्रेणी आई थी इसतैं ऊंचे की थी आस करी।।

2

बड़े बेटे नै नहीं ख्याल किया कानां परकै तारग्या

चाचा राजा राम उस ताहिं अपनी कमाई वारग्या

अपने भाई  माँ आगै भी वो अपने हाथ पसारग्या

कालेज मैं लिया दाखिला सात मिहने मैं हारग्या

खर्चा पाट्या ना पढ़ाई छोडी माँ घणी उदास करी।।

प्रथम श्रेणी आई थी इसतैं ऊंचे की थी आस करी।।

3

गृह परीक्षा मैं अंग्रेजी मैं नम्बर बढ़िया लिए देखो

छात्रवृति मिली पर खर्चे नै घरके रम्भा दिए देखो

रोज चिंता खावै खर्चे की नहीं सुख तैं जिए देखो

नाम काटन की अर्जी देदी घूँट खून के पिये देखो 

कालेज तै छोड़ दिया घराँ आकै लाम्बी साँस भरी।।

प्रथम श्रेणी आई थी इसतैं ऊंचे की थी आस करी।।

4

प्रिंसिपल नै दो प्रोफेसर दफ्तर मैं कहते बुलवाये

लज्जाराम उमरा खेड़ी के उनकी साथ मैं खंदाये

तीनों पहोंचे गढ़ी सांपला देख छोटू राम घबराये

समझा बुझा कै नै छोटूराम नै दिल्ली लेकैे आये

रणबीर बरोने आले नै लिखाई आज खास करी।।

प्रथम श्रेणी आई थी इसतैं ऊंचे की थी आस करी।। 


****10***

भक्षक किसानों के जो सैं वे रक्षक बण खूब भकावैं रै।।

किसानों को बाँट कै जात्यां मैं ये लीडरी खूब चमकावैं रै।।

छोटू राम नै किसानों के हक मैं कई कानून बनाये देखो 

धरती कुड़क नहीं होवैगी कर्जे भी माफ़ करवाये देखो 

भाखड़ा डैम का नक्शा खींच्या पाणी के साधन बढ़ाये देखो 

तनमन धन लगा दिया था सर की उपाधि पाये देखो 

आज ताहिं पूजैं छोटू राम नै किसानों का मशीहा बतावैं रै।।

चौधरी चरण सिंह नै जमींदारी का खात्मा करवाया रै

यूं पी का किसान मशीहा चौधरी चरण सिंह कहाया रै

किसानों की खातर पूरा जीवन उसनै था लगाया रै

किसानों नै भी चौधरी को पलकों कै उप्पर बिठाया रै

पूरे हिन्दुस्तान के किसान उसनै भूल नहीं पावैं रै

छोटू राम चौधरी साहब बी इसा कानून नहीं बना पाये 

किसान कदे बी इस कर्जे की जकड़ मैं नहीं आये 

  कर्जे माफ़ करे हटकै तीस साल मैं कर्जे छाये 

ना इसे कानून बने किसान बार बार ना फंस जाये 

ईसा रास्ता टोहना होगा जिसपै किसान ना फांसी लावैं रै।।

देश के किसानों इन भक्षकां की मिलकै पहचान करां

जात पात पर बांटे जिसनै उस कान्ही ना ध्यान धरां

साँझा मंच किसानों का बनाकै दिल्ली की नींद हरां 

लड़ां उनतैँ जो भक्षक म्हारे खुद फांसी खाकै नहीं मरां

रणबीर मजदूर किसानों की क्रांति का बिगुल बजावैं रै।।

रणबीर -4.5.2015

भारत को सही तस्वीर की फ़िलहाल जरूरत है

 भारत को सही तस्वीर की फ़िलहाल जरूरत है

झलकारी बाई गंभीर की फ़िलहाल जरूरत है

कुरुक्षेत्र के मैदान में कहते सच की जीत हुई थी

द्रोपदी चीर हरण हुआ कलंकित ये रीत हुई थी

एकलव्य वाले तीर की फ़िलहाल जरूरत है

बुराई फैलती जा रही थी इस भारत के समाज में

ज्योतिबाफुल्ले रमाबाई उभरे थे नए अंदाज में

दोहों वाले उस कबीर की फ़िलहाल जरूरत है

अंड वंड पाखंड खिलाफ जमके लड़ी लडाई देखो

सत्य की खोज में त्यार करे थे भाई बहन देखो

स्वामी दयानंद फकीर की फ़िलहाल जरूरत है

ठारा सौ सतावन में लाखों फांसी फंदा चूम गए

राजगुरु सुखदेव भी आजादी की खातिर झूम गए

उस भगत सिंह रणधीर की फ़िलहाल जरूरत है

जलियाँ वाले बैग का बदला दिल में ज्योत जलाई

जालिम डायेर कै जाकै छाती मैं गोली मार दीखाई

उस उधम सिंह बलबीर की फ़िलहाल जरूरत है

जवाहर रविंदर गाँधी देस आजाद करना चाहया

अनगिनत लोग थे जिन्होंने अपना खून बहाया

अहिंसा पुजारी गाँधी पीर की फ़िलहाल जरूरत है

मजदूर किसान की खातिर जिंदगी ही न्योछार दई

मार्क्स नै दुनिया के बारे मैं एक नई सी विचार दई

आज मार्क्सवादी शूरवीर की फ़िलहाल जरूरत है

महिला दलित का दोस्त आज चाहिए समाज इसा

पूंजीवाद राज अन्यायी ख़त्म हो मंदी का राज इसा

एक सही लिखारी रणबीर की फ़िलहाल जरूरत है

सारी दुनिया मनावै आजादी तों क्योँ बैठ्या मूंह नै बाकै।।

 क्यों बैठ्या 

चांदकौर

सारी दुनिया मनावै आजादी तों क्योँ बैठ्या मूंह नै बाकै।।

सुखबीर

क्यों माथे की फूट रही देख  चारों तरफ नजर गडाकै।।

चांदकौर

आजादी पाछै म्हारे देश मैं कहवैं तरक्की हुई सै भारी

खेतों के म्हां फसल लहलावैं देखो हरित क्रांति आरी

बुलध गया ट्रैक्टर आग्या किसान नै जमकै बाजी मारी

टाटा बिड़ला के कारखाने देवैं ये सारे देश मैं किलकारी

कूंए का मिंडक बन्या बैठ्या देख देश तरक्की तूँ जाकै।।

सुखबीर

जो जो तनै ये बात बताई इन सबका तो मनै बेरा सै

म्हारे भारत मैं जमकै आज खूब कमाया कमेरा सै

मेहनत तैं खान खेत मैं देश मैं चाहया नया सबेरा सै

धन दौलत पैदा करकै भी क्यों ना दूर हुया अंधेरा सै

नफा टोटा यो सारा बतादे तों मनै सही सही समझा कै।।

चांदकौर

इतना तो मनै बेरा कोण्या पर उत्सव मनावै सरकार सै

रुक्के मारती हांडै सै के झूठ कही मनै भरतार सै

शिक्षा का पूरे देश मैं कहवै करया हमनै  प्रसार सै

तरां तरां की भजाई बीमारी इसका करै प्रचार सै

या किस्मत का खेल बतावै झांकी न्यारी न्यारी दिखा कै।।

सुखबीर

मेहनत मजदूर किसान की पूड़े टाटा बिड़ला पोगे क्यों

कपड़ा बुन्या लाखों गज फेर भी बालक भूखे सोगे क्यों

त्याग तपस्या और सच्चाई दीन जहान तैं खोगे क्यों

मुखबिर बने जो अंग्रेजों के वे शासक म्हारे होगे क्यों

सूत कसूत तैं नपै आजादी नापी रणबीर नै छंद बनाकै।।

भोर तै कितै खोगी यो हुया घनघोर अंधेरा ।। 

 97*********

किसान भाईयो सुनियो 


भोर तै कितै खोगी यो हुया घनघोर अंधेरा ।। 

किसान भाइयो रूकियो ना एक दिन होवैगा सबेरा ।।

1

बेरोजगारी बढ़ती जावै जुमलयां का औड़ ना

कमेरयो करियो एकता इसका और तौड़ ना

बिना एकता जी काढ़ै म्हारा पूंजीपति लुटेरा।।

किसान भाइयो रूकियो ना एक दिन होवैगा सबेरा ।।

2

लूट म्हारी थारी देश मैं यो बढ़ाता जावै भाई

क्युकर खेल रचावै ना म्हारी समझ मैं आई

समाज का ताणा बाणा बखेर दिया सै भतेरा।।

किसान भाईयो रूकियो ना एक दिन होवैगा सबेरा ।।

3

जोर जबरदस्ती रोजाना म्हारी गेल्याँ होवै सै

संस्कृति के नाम ऊपर सूआ कसूता चुभोवै सै

म्हारी कितै बूझ नहीं बढ़या भुखमरी का घेरा।।

किसान भाइयो रूकियो ना एक दिन होवैगा सबेरा ।।

4

दिखावे दिखावे रैहगे असली बात रही कोण्या

के कसर रहेगी नाश मैं कति झूठ कही कोण्या

रणबीर पिस्ता जावै सै रोजाना देश मैं कमेरा।।

किसान भाईयो रूकियो ना एक दिन होवैगा सबेरा ।।

करजा

 करजा

करजे नै कड़ तोड़ी म्हारी दिया पूरे घर कै घेरा।

एक औड़ गहरा कुआं दीखै यो दूजे औड़ नै झेरा।।

1. 

ट्रैक्टर की बाही मारै ट्यूबवैल का रेट सतावै

थ्रेसर की कढ़ाई मारै भा फसल का ना थ्यावै

फल सब्जी दूध सीत सब उनके बांटे के मैं जावै

माट्टी गेल्यां माट्टी होकै बी सुख का सांस ना आवै

बैंक मैं सारी धरती जाली दीख्या चारों ओर अन्धेरा।।

2. 

निहाले धोरै रमूल तीन रुपइया सैकड़े पै ल्यावै

वो सांझ नै रमलू धोरै दारू पीवण तांहि आवै

निहाला करज की दाब मैं बदफेली करना चाहवै

विरोध करया तो रोजाना पीस्यां की दाब लगावै

बैंक आल्यां की जीप का रोजना लागण लाग्या फेरा।।

3. 

बेटा बिन ब्याहया हांडै सै घर मैं बैठी बेटी कंवारी

रमली रमलू न्यों बतलाये कट्ठी होगी मुसीबत सारी

खाद बीज नकली बिकते होगी खत्म सब्सिडी म्हारी

मां टी बी की बीमार होगी छाग्या हमपै संकट भारी

रोशनी कितै दीखती कोन्या छाया चारों कूट अन्धेरा।।

4. 

मां अर बाबू इनके नै जहर धुर की नींद सवाग्या

इनके घर का जो हाल हुया वो सबकै साहमी आग्या

जहर क्यूं खाया उननै यो सवाल कचौट कै खाग्या

आत्म हत्या ना सही रास्ता रणबीर सिंह समझाग्या

मिलकै सोचां क्यूकर आवै घर मैं सो नया सबेरा।।

अम्बानी नै कपास पीट दी हम देखां खड़े खड़े 

 अम्बानी नै कपास पीट दी हम देखां खड़े खड़े 

उसे नै म्हारी धान पीट दी हम सोवां पड़े पड़े

1

म्हारी या कस्ट कमाई आंख्यां के साहमी लुटगी

कपास कदे धान की खेती ये आज चोड़ै पिटगी 

सब्सिडी ये सारी घटगी लागते नेता सड़े सड़े 

2

बालक हांडैं बिना नौकरी बिघन घणा होग्या रै

एक छोरे नै खाई गोली सहम ज्यान यो खोग्या रै

सुन्न भीतरला जमा होग्या रै हाथ होगे जड़े जड़े

3

बेटी रैहगी बिन ब्याही ये गोड्डे म्हारे टूट लिए

बिना दहेज ब्याह कड़ै म्हारे पसीने छूट लिए

सांड खुल्ले छूट लिए बुलध मरैं ये बड़े बड़े

4

मां बेटी बाहण आज जमा महफूज रही नहीं

समाज जावैगा पाताल मैं आगै जा कही नहीं

बदमाशी जा सही नहीं रणबीर गीत घड़े घड़े

फासीवाद का शिकंजा सत्ता नए साल मैं बढावैगी।।*

 *नए साल 2023 की चुनौती*

*फासीवाद का शिकंजा सत्ता नए साल मैं बढावैगी।।*

*इसके विरोध मैं या जनता सड़कां के ऊपर आवैगी।।*

1

यो बेरोजगारी का मुद्दा इसका कितै बी जिकर कोन्या

फांसी खा खाकै किसान मरैं इसका कोय फिकर कोन्या 

*एमएसपी पै हटकै किसानी 

अपने रंग दिखावैगी।।*

*इसके विरोध मैं या जनता सड़कां के ऊपर आवैगी।।* 


2

शिक्षा म्हंगी इलाज महंगा गरीब जमा निचौड़ दिया

असंगठित मजदूर मारया सारा कानून मरौड़ दिया

*मजदूर कर्मचारी यूनियन दिल्ली मैं विरोध जतावैगी।।*

*इसके विरोध मैं या जनता सड़कां के ऊपर आवैगी।।*

3

पुलवामा कदे सीएए ल्यावैं जात धर्म पै बांट रहे

आर्थिक संकट के हल तैं शाह मोदी जी नाट रहे

*नये साल मैं बैर आपस का सत्ता और घणा बधावैगी।।*

*इसके विरोध मैं या जनता सड़कां के ऊपर आवैगी।।*

4

जात धर्म पै लडां नहीं हम असली मांग उठावांगे

हो एकजुट नए साल मैं हम धर्मान्धता नै हरावांगे

*देश की जनता मिलकै रणबीर बहुविविधता बचावैगी।।*

*इसके विरोध मैं या जनता सड़कां के ऊपर आवैगी।।*

2023 का नया साल* 

 *2023 का नया साल* 

*आज नया साल शुरू होग्या हर हिंदुस्तानी इसमैं के चाहवै रै ।।*

*बेरोजगारी कति खत्म होज्या स्वास्थ्य शिक्षा सबनै मिल ज्यावै रै।।*

1

आंदोलन कारी किसानों को म्हारा सै क्रांतिकारी सलाम भाई  

जो किसान म्हारे शहीद होगे इतिहास मैं होग्या नाम भाई 

*बाइस मैं भी संघर्ष जारी था सरकार  वायदे नहीं पुगावै रै।।*

*बेरोजगारी कति खत्म होज्या स्वास्थ्य शिक्षा सबनै मिल ज्यावै रै।।*

2

देश मैं इंसानियत हटकै उभरै हम इस साल मैं हाँगा लावांगे

म्हारा प्रजातंत्र फेर हुँकार भरै मिलकै संविधान नै बचावांगे

*इस लड़ाई का राह हमनै यो किसानी संघर्ष सही दिखावै रै।।*

*बेरोजगारी कति खत्म होज्या स्वास्थ्य शिक्षा सबनै मिल ज्यावै रै।।*

3

कदर जनता की आवाज की हटकै आवै म्हारे हिंदुस्तान मैं 

इज्जत होवै गरीब कमेंरे की होज्या शांति पूरे ही जहान मैं

*हो गजब का हिंदुस्तान म्हारा जनता ये नारे आज गूंजावै रै।।*

*बेरोजगारी कति खत्म होज्या स्वास्थ्य शिक्षा सबनै मिल ज्यावै रै।।*

इस साल मैं ईसा माहौल बनै इंसान नै पूरा सम्मान मिलै

कहै रणबीर नहीं लुटैं कमेरे उन सबका हट कै चेहरा खिलै 

*इसकी खातर करां संघर्ष शहीद भगत सिंह  राह दिखावै रै।*

सावित्री बाई फुले के पुण्य दिवस के मौके पर 

 सावित्री बाई फुले के पुण्य दिवस के मौके पर 

एक रागनी----

सावित्री बाई फुले आपको शत शत है प्रणाम म्हारा।।

पहली महिला शिक्षक देश की लिया जावै नाम थारा।।

1

तीन जनवरी ठारां सौ कतीस जन्मी दलित परिवार मैं 

नौ साल की की शादी होगी ज्योतिराव फुले के घरबार मैं

उन बख्तों मैं समाज सुधार का था मुश्किल काम थारा।।

पहली महिला शिक्षक देश की लिया जावै नाम थारा।।

2

महिला शिक्षा की खातिर सबतैं पहला स्कूल खोल दिया 

रूढ़िवादी विचारकों नै  डटकै हमला थारे पै बोल दिया

ना पाछै कदम हटाये महिला स्कूल खोले तमाम ठारा।।

पहली महिला शिक्षक देश की लिया जावै नाम थारा।। 


3

बाल विवाह के खिलाफ विधवा विवाह ताहिं छेड़ी जंग

सती प्रथा छुआछूत के किले विचार फैला करे थे तंग

ब्राह्मण विधवा गर्भवती का ज़िम्मै लिया इंतज़ाम सारा।।

पहली महिला शिक्षक देश की लिया जावै नाम थारा।।

4

ब्राह्मण ग्रंथ मत पढ़ो जात पात से बाहर आ जाओ 

मेहनत से जाति बन्धन तोड़ो शिक्षा पूरी तम पा जाओ

लिखै रणबीर बरोने आला महिला शिक्षा का पैगाम थारा।।।

पहली महिला शिक्षक देश की लिया जावै नाम थारा।

ठण्डी बाल*

 *ठण्डी बाल*

*तन ढक्कन नै चादर ना घणी ठण्डी बाल चलै।।*

*एक कून मैं पड़ रहना धरां सिर कै हाथ तलै।।*

1. फुटपाथ सै रैन बसेरा घणे सुन्दर मकान थारे

दो बख्त की रोटी मुश्किल रोज बनैं पकवान थारे

*दीखे इरादे बेइमान थारे सत्ते का जी बहोत जलै।।*

2. होटल मैं बरतन मांजैं करैं छोटी मोटी मजूरी

थारे घरां की करैं सफाई घर अपने मैं गन्द पूरी

*कद समझी या मजबूरी जाड़ी बाजैं ज्यों शाम ढलै।।*

3. थारे ठाठ-बाट देख निराले हूक उठे दिल म्हारे मैं

पुल कै नीचै लेटे देखां लैट चसै उड़ै चौबारे मैं

*गरम कमरे थारे मैं यो साहब मेम का प्यार पलै।।*

4. म्हारी एक नहीं सुनै राम थारे महलां बास करै

इसे राम नै के हम चाटां पूरी ना कोए आस करै

*रणबीर सब अहसास करै दिल मैं आग बलै।।*

शहीद उदमी राम ---190 -----

 शहीद उदमी राम 

*लिबासपुर गाम का उदमी राम आजादी खातर जीवन लाया।।*

*सैंतीस दिन हाथ पायां मैं कील गाड कै पेड़ कै ऊपर लटकाया ।।*

1

सोनीपत जिले मैं जीटी रोड पै यो उसका गाम बताया 

आजादी की लड़ाई का देश मैं उफान था कसूता आया 

*पानीपत करनाल थानेशर अम्बाला इंकलाब का नारा लगाया।।*

कुंडली भालगढ़ अलीपुर गाम भी गोरयां स्याहमी अड़गे

उदमी राम अर बाइस नौजवान गुप्ति ढंग तैं उनतै भिड़गे

*असला लूट्या गोरे सैनिक मारे न्यों गोरयां कै सांस चढ़ाया ।।*

3

मुखबिर सीताराम नै उड़ै आकै नौजवानों की फहरिस्त बनाई

उदमी राम नेता सै इनका गोरयां तैं जाकै उठ बैठ सब बताई

*उदमी राम हर नै घेरण का था पूरा प्लान उसनै बनवाया ।।*

4

गोरे बगावत कुचलने खातर फौज गोला बारूद ले आये थे

उदमी राम हर रणबीर, कील गाड़ हाथों मैं पेड़ पै लटकाए थे

*सैंतीस दिन ताहिं रहया लटकता माफी का नहीं डां ठाया ।।*

लाल बहादुर शास्त्री जी कै आजादी का जनून चढ़या

 #अपनीरागनी 

गांधी जी के साथ लाल बहादुर शास्त्री जी को सलाम 


लाल बहादुर शास्त्री

लाल बहादुर शास्त्री का कद छोटा उंचा घणा बिचार था।।

जय जवान जय किसान का नारा लाया घणा दमदार था।।

1

दुनिया मैं या उत्थल पुथल चारों कान्ही माच रही थी

गुलाम देशां मैं अंग्रेजी सेना खेल नंगा नाच रही थी

गरीब जनता की साथ मैं या कर खींचम ख़ाँच रही थी

लाल बहादुर नै जन्म लिया साल उन्नीस सौ पांच रही थी

शारदा प्रसाद बाप टीचर था सादा गरीब परिवार था।।

जय जवान जय किसान का नारा लाया घणा दमदार था।।

2

डेढ़ साल का जमा बालक याणा पिता स्वर्ग सिधार गये

छोटे से बालक पै जिम्मेदारी परिवार की ये डार गये

चाचा के कहने पै वाराणसी मैं पढ़ खातर पधार गये

मिश्रा जी मिले शहर मैं उनके हो पक्के मददगार गये

आजादी की जंग का मिश्रा नै खाका बताया बारम्बार था।।

जय जवान जय किसान का नारा लाया घणा दमदार था।।

3

लाल बहादुर शास्त्री जी कै आजादी का जनून चढ़या

महात्मा गांधी जी पै उननै असहयोग का पाठ पढ़या

जिब बायकॉट की बात चली शास्त्री सबतै आगै कढ़या

मिश्रा और चाचा नाराज हुये लाल पै गुस्सा खूब बढ़या

माता ललिता देवी नै साथ दिया जताया अपना प्यार था।।

जय जवान जय किसान का नारा लाया घणा दमदार था।।

4

लाहौर सैसन कांग्रेस का शास्त्री अटैंड करकै आया

पूर्ण स्वराज का नारा लाकै जंग का गया बिगुल बजाया

आजादी पाछै जनता का मंत्री पद पै साथ निभाया

नेहरू बाद प्रधानमंत्री बने देश आगै बढ़ाना चाहया

कहै रणबीर बरोने आला वो माणस घणा होनहार था।।

जय जवान जय किसान का नारा लाया घणा दमदार था।।

टुक ध्यान उरे नै लाइयो रे मेरे एमएलए चुननिया भाईयो।।

 टुक ध्यान उरे नै लाइयो रे मेरे एमएलए चुननिया भाईयो।।

बढ़िया सा एमएलए बनाइयो रे मेरे एमएलए चुननिया भाईयो।।

1

चोर जार ठग जितने सबनै उल्टे करकै टांग दियो

शरीफ मेहनती लोगां नै सारे मिलकै तम बांग दियो 

आच्छे करलयो इब एका भुंडयां नै तम छांग दियो

जात के ऊपर मतना जाइयो रे मेरे एमएलए चुननिया भाईयो।।

2

दुख सुख के जो साझी म्हारे उणनै चुणकै ल्यावांगे

भाई भतीजावाद मिटादयां रिश्वत का खोट मिटावांगे

दारू सुल्फा बेच कसाई उणनै मिलकै धूल चटावांगे

इनका करकै इलाज दिखाइयो रे मेरे एमएलए चुननिया भाईयो।।

3

रानी झाँसी बरगी लड़ाकू जिब महिला एमएलए चुणज्यांगी

जुल्म के आगै ढाल बणकै रानी की ढालां वे तनज्यांगी

दे कुर्बानी संघर्षों मैं वे म्हारी असली लीडर बण ज्यांगी

महिलाओं नै आगै ल्याईयो रे मेरे एमएलए चुननिया भाईयो।।

4

आने आला दौर होगा अच्छाई और बुराई का सुणल्यो

खांडा बाजैगा लाजमी यो शरीफ और अन्यायी का सुणल्यो

नँगा नाच होगा आडै़ इस जुल्मी आत्मताई का सुणल्यो

रणबीर ना पाछै मुड़कै लखाइयो रे मेरे एमएलए चुननिया भाईयो।।

छब्बीस जनवरी का दिन लाखां क़ुरबानी देकै आया रै।।*

 *छब्बीस जनवरी का दिन लाखां क़ुरबानी देकै आया रै।।*

*आज हटकै  म्हारे देश पै गुलामी का बादल छाया रै।।*

आजाद देश के सपने म्हारे सबनै मिलै पढाई या

बिना इलाज ना कोए मरै सबनै मिलै दवाई या 

भूखा कोए बी रहवै नहीं इसा हिन्दुस्तान चाहया रै।।

मजदूर किसान नै फेर उब्बड़ खाबड़ खेत संवारे 

सबको शिक्षा काम सबको पूरे करने चाहे ये नारे 

*पब्लिक सैक्टर के कारखाने देश का आधार बनाया रै।।*

साधनां मैं गरीब नहीं दरबरां की नियत खोटी होगी 

मेहनत लूट किसानां की पेट सहूकारां की मोटी होगी

अमीर घने अमीर होगे यो गरीब खड़या लखाया रै।।

अमीरी लूट छिपावन नै हम जात धर्म मैं बाँट दिए

सपने भगत सिंह के तोड़े गरीबाँ के पर काट दिए 

*बिना फल की चिंता कर्म किया फल अम्बानी नै खाया रै।।*

आर्थिक संकट छाग्या उदारीकरण का रह दिखाया

बदेशी पूँजी खातर देश का मूल आधार खिसकाया 

*विश्व बैंक का रिमोट कण्ट्रोल गुलामी का जाल बिछाया रै।।*

गरीबाँ नै दल कै नै सपना महाशक्ति बनन का देखैं

देशी बदेशी कारपोरेट परोंठे म्हारे दम पै सेंकै

*कहै रणबीर बरोने आला ओबामा ज्यां करकै भाया रै।।*

रणबीर~25 जनवरी 2015

छब्बीस जनवरी के मौके पर

छियासी हिस्से खजाने ऊपर बीस उपरले कब्जा कररे सैं।।

 लगभग 30 साल पहले लिखी एक रागनी

छियासी हिस्से खजाने ऊपर बीस उपरले कब्जा कररे सैं।।

खून पसीने की ये लूट कमाई आज सांड 

मरखने पलरे सैं।।

1

एक  गुना चीज म्हारे देश मैं वा आठ गुना अमेरिका मैं मिलती 

उनकै फूलां के खिलैं सैं बगीचे म्हारै एक भी 

कली नहीं खिलती 

म्हारे मुकाबले बतावैं बिजली आज पैंतीस गुना

उड़ै जलती  

तीन तीन सरड़क बनी उड़ै रै जिनपै उनकी जनता चलती 

करकै खाली म्हारे माल खजाने जालिम घर अपना भररे सैं।।

खून पसीने की ये लूट कमाई आज सांड 

मरखने पलरे सैं।।

2

किस किसका मैं जिक्र करूँ जितने उड़ै एशो आराम मिलैं ये 

उनकी  किस्मत वे मेहनत  करते बात  करते  तमाम मिलैं ये 

अपने देश  के दरवाजे  खोलो उनके  हमनै पैगाम मिलैं ये 

जै गोर तैं देखां दिमाग लगाकै इसतैं भुंडे नहीं काम मिलैं ये 

म्हारे देश मैं क्यों काला अंधेरा उनकै क्यों घी के

दीवे बलरे सैं।।

खून पसीने की ये लूट कमाई आज सांड 

मरखने पलरे सैं।।

3

के हाल म्हारे देश मैं बंटवारे का तम करकै थोड़ा ख्याल सुनो 

चौदा फीसदी बचे  संसाधन जो उनका के  हुया ईब हाल सुनो 

ऊपर  के पांच  लेगे सात फीसदी नै हुया  किसा  कमाल सुनो 

पिचहत्तर धौरै बचया पांचवां हिस्सा ज्यां छिड़या यो बबाल सुनो 

इसनै कहैं  भगवान की  माया झूठे प्रचार  खूब  ये चलरे सैं।।

खून पसीने की ये लूट कमाई आज सांड 

मरखने पलरे सैं।।

4

ईब पिचहत्तर फीसदी  का जागना  बहोतै घना जरुरी सैं

जात  पात  मैं  बांट  दिए  हम  ज्यां  बढ़गी म्हारे

बीच  की  दूरी  सै

म्हारी सेहत  की खराबी के  कारण  की  समझ 

म्हारी अधूरी  सै 

निदान म्हारा रहवै अधूरा जब ताहिं ना बणै समझ पूरी सै

कहै रणबीर सिंह बरोने आला ज्यां  हम  बिन आई मररे सैं।।

खून पसीने की ये लूट कमाई आज सांड 

मरखने पलरे सैं।।

दसमीं ताहिं का स्कूल आगै क्युकर करूं पढ़ाई मैं।।*

 2086-87 के वक्त लिखी रागनी 


*दसमीं ताहिं का स्कूल आगै क्युकर करूं पढ़ाई मैं।।*

*माँ तै चाहवै मनै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।*

1

माँ बोली आज जमाने मैं बिना पढ़ाई कोये बूझै ना

शहर मैं क्युकर खंदाऊँ बाबू कहै मनै राही सूझै ना

*बोल्या हाथ पीले करने होंगे सुनकै घणी घबराई मैं।।*

माँ तै चाहवै मनै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।

2

बाबू बोल्या बुरा जमाना शहर ठीक नहीं सै जाणा 

ऊंच नीच कोये होज्यागी तै यो होज्या मोटा उल्हाणा

*क्युकर मनाऊं मेरे बाबू नै हे इस चिंता नै खाई मैं।।*

माँ तै चाहवै मनै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।

3

माँ बोली माहौल गाम का शहर तैं आज न्यारा कोण्या

डर कै घर मैं दुबके तो होवै कति आज गुजारा कोण्या

*मैं बोली मत ठाओ पढ़ण तैं मरज्यांगी बिन आई मैं।।*

माँ तै चाहवै मनै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।

4

पांच सात दिन पाछै बाबू नै मुँह अपना खोल्या 

डर लागै बेटी मनै रणबीर आंख्या पानी ल्या बोल्या

*साच्ची बूझै तो ईब करना चाहूं बेटी तेरी सगाई मैं।।*

माँ तै चाहवै मनै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।

हमने कितनी तरक्की की है कुंभ पर दिखा दिया।।

 हमने कितनी तरक्की की है कुंभ पर दिखा दिया।।

गणेश को लाखों टन दूध एक दिन में पिला दिया।।

आस्था का दामन थामें हम तरक्की करना चाहते मेहनत करके भी भूखे आस्था कारण मरना चाहते 

लाखों टन अनाज गोदामों में आस्था ने सड़ा दिया।।

गणेश को लाखों टन दूध एक दिन में पिला दिया।।

विवेक से काम न लेकर नहीं हम पहचान पाते कौन हमारी मेहनत पूरी सस्ते में लूट ले जाते किसने हमारे सपनों को आज धूल में मिला दिया।।

गणेश को लाखों टन दूध एक दिन में पिला दिया।।

औरत को हमारी आस्था देवी के रूप में तो मानती 

पर उसी औरत को इंसान रूप में नहीं जानती औरत को एक वस्तु बनाकर बाजार में सजा दिया।।

गणेश को लाखों टन दूध एक दिन में पिला दिया।।

यह किस्मत का खेल है इस आस्था ने हमें बताया 

हमने तो किस्मत की ले आड़ काला धन खूब कमाया 

काले धन ने आज रणबीर पूरे भारत को हिला दिया।।

गणेश को लाखों टन दूध एक दिन में पिला दिया।।

बाबा साहब अम्बेडकर 

 बाबा साहब अम्बेडकर 


बाबा साहब अम्बेडकर ने बौद्ध धर्म का धारण

कर लिया था तो कई बार हिन्दू  उनको घर 

वापस आ जाने की बात  करते थे तो क्या 

जवाब होता था बाबा  साहेब का क्या बताया भला --- 


बाबा साहेब नै कहया  तम कौनसे घर की बात करो । 

वर्ण व्यवस्था मजबूत करो चर्चा याहे दिन रात करो । 

जिस घर का सपना तम हम सबनै दिखलाओ सो रै 

दुः स्वपन नै सपना कहकै हमनै दिन रात भकाओ सो रै 

इसा थारा घर का सपना जानवरां नै भी मात करो ।1 । 

घर ईसा बनाया थामनै नहीं परिवार कठ्ठा हो खावै 

कुछ की झूठण जिस घर मैं बाकी का भोज बणज्यावै 

इसे घर नै के चाटां जड़ै व्यभिचार होवै उत्पात करो । 2 । 

म्हारे समाज के घरां मैं यो सब कुछ न्यारा न्यारा देखो 

कुआं न्यारा और भांडे न्यारे न्यारा यो सबका हारा देखो 

ईसा घर जिसमै तूँ ठाली बाकी मिलकै खुभात करो । 3 । 

घर मैं वापसी चाहो रै दखे लालच दे दे कई लाख की 

चूल हिलादी जमा परवाह नहीं मानव की साख की 

कहै रणबीर बाबा साहेब की गेल्याँ मत दुभाँत करो । 4 ।

मिलकै नै आवाज लगावां बुनियादी हक क्यों खोस लिए।।

 मिलकै नै आवाज लगावां बुनियादी हक क्यों खोस लिए।।

के सोच कै नै तमनै संविधान के पन्ने मोस दिए।।

1

शिक्षा का अधिकार म्हारा आज पढन क्यों बिठाया

स्वास्थ्य का अधिकार म्हारा कर हवन क्यों भकाया

रोजगार खोस करोड़ों के उड़ा उनके होंस दिए।।

के सोच कै नै तमनै संविधान के पन्ने मोस दिए।।

2

भ्रष्टाचार के पंख क्यों ये चारों कांहीं फैला दिए

बेरोजगारों के कॉन्ध्यां पै कावड़ क्यों टिका दिए

आजादी की लड़ाई नहीं लड़ी वे शहीद बना ठोस दिए।।

के सोच कै नै तमनै संविधान के पन्ने मोस दिए।।

3

जिणनै भी आवाज उठाई वे दमन का शिकार बनाये

मजदूर किसानों के ऊपर बहोत घणे कहर ढाये

दबे नहीं लाठी गोली तैं  जनता नै

बढ़ा रोष दिए।।

के सोच कै नै तमनै संविधान के पन्ने मोस दिए।।

4

जात धर्म पै कलह कराकै एकता जनता की तोड़ी

बेरोजगारी भुखमरी तैं आज ध्यान

जनता की मोड़ी

रणबीर लांबे चौड़े वायदे जनता साहमी परोस दिए।।

के सोच कै नै तमनै संविधान के पन्ने मोस दिए।।

लखीमपुर खीरी

 *लखीमपुर खीरी मैं गई आज के दिन गोली चलाई।।*

*फोरेंसिक जान ह रिपोर्ट मैं या बात साहमी आई।।*

1

आशीष मिश्रा टेनी की बन्दूक तैं भी गोली चाली थी

बन्दूक उसके सहयोगी की कसर उसनै ना घाली थी

संयुक्त किसान मोर्चे नै कही जो बात वा साची पाई।।

2

राज्य मंत्री अजय मिश्रा उसका बेटा दोषी पाया

मंत्री आज तलक बी मंत्री पद तैं नहीं गया हटाया

*दोषी बेटा बाबू मंत्री देखो किसी गजब की मिशाल बनाई ।।*

3

मोदी अर योगी की सरकार दोषियों की साथ खड़ी रै

संयुक्त किसान मोर्चे नै लड़ाई इनके खिलाफ लड़ी रै

*एक साल होग्या कांड नै सरकार कति नहीं शरमाई।।*

4

अजय मिश्रा टोनी हटाओ गिरफ्तार करो का नारा लाया

संयुक किसान मोर्चे नै देश मैं विरोध दिवस मनाया

*लखीमपुर खीरी कांड पै रणबीर सिंह नै कलम घिसाई।।*

मुनीश्वर---200 ----

 कहैं सारे जहां से अच्छा है हिंदुस्तान हमारा

बेरोजगार कर्जदार फिरैं मांगणियां का लारा


दबे आधे लोग गरीबी की, रेखा कै नीचै रोवैं

बेघरबार करोड़ों लोग सड़कां पै पड़कै सोवैं

करोड़ों बच्चे पशु चरावैं ढ़ाब्यां पै बरतन धोवैं

ईलाज बिना बीमार करोड़ों तड़पै जीवन खोवैं

लाज बेच अबलाएं लाखों, रो रो कै करैं गुजारा


गांधी के चेल्यां नै देखो, या कैसी हवा चलादी

पाखण्ड रिश्वत फिरका परस्ती, की पूरी आजादी

दहेज थोड़ा ल्यावण पै बहू लाकै आग जळादी

रिश्वत के बिन जेळ काटरया थाणे मैं फरियादी

न्याय बिकता मोल यहां पै स्वार्थ का बजै नक्कारा


मुसलमान सिख हिंदू मर रहे आपस म्हं लड़कै

रही नंगी नाच बुराई सच्चाई रोवै घर म्हं बड़कै

चरित्रहीन हो गए मनिस्टर अय्यासी म्हं पड़कै

बदमाश भीरु बोळा होग्या सारा देश बिगड़कै

तुम्हीं बताओ कैसे “मुनीश्वर” यें दे दे झूठा नारा

कि सारे जहां से अच्छा है हिंदुस्तान हमारा

ऐसा वक्त था एक दिन किसान तेरै पै

 ऐसा वक्त था एक दिन किसान तेरै पै

थे राहू बण कर चढ़े हुए धनवान तेरै पै


सारी फसल कमाई लाला ठाकै ले जा था

बैल भैंस करजे म्हं तेरै लाकै ले जै था

एक कच्चा कोठा टूटी बचै थी छान तेरै पै


सारी कमाई जा ले थी ना सूद पाटै था

ठेठ गरीबी के मैं सारी उमर काटै था

वां राज करें थे लुटेरे शैतान तेरै पै


था शेर बणग्या स्यार बट्टा लग ग्या लाज म्हं

जमीन गिरवी धर ली तेरी सब ब्याज ब्याज म्हं

सरकार नै भी दिया नहीं कभी ध्यान तेरै पै


चौधरी सर छोटू राम नै तेरी लड़ी लड़ाई थी

बणवा कर कानून कर्ज जमीन छुड़वाई थी

वां जिंदगी भर नहीं उतरेंगें अहसान तेरै पै


आज फिर किसान पगड़ी संभाळ् खतरे म्हं

जमीन सारी बैकों म्हं दी डाल खतरे म्हं

बाकी बची मरोड़ “मुनीश्वर” श्रीमान तेरै पै

प्रदूषण

 प्रदूषण

म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया रै।।

दुनिया मैं दिल्ली शहर , ग्याहरवें नम्बर पै बताया रै।।

1

यमुना पढ़ण बिठादी या , ईब गंगा की बारी कहते रै

तालाब घनखरे सूख लिए, विकास की लाचारी कहते रै

संकट पाणी का कसूता , भारत प्यारे पै मंडराया रै।।

म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया रै।।

2

जंगल साफ करण लागरे ,विनाश के लगा गेर दिए

वायु प्रदूषण बढ़ता जावै, विकास के नारे टेर दिए

जंगल जमीन खान बेचे,  विकास का खेल रचाया रै।।

म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया रै।।

3

प्रदूषण कारण लाखों लोग बख्त तैं पहल्यां मरज्यावैं

ये प्रदूषण उम्र करोड़ों की कई साल कम कर ज्यावै

पूरे भारत देश म्हारे मैं, प्रदूषण नै कहर मचाया रै।।

म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया रै।।

4

विकास की जागां देखो विनास की राही चाल रहे

पाणी सपड़ाया पेड़ काटे घणे कसूते घर घाल रहे

संभलो जनता कहै रणबीर प्रदूषण नै देश रम्भाया रै।।

म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया रै।।

किस्सा 1857

 किस्सा 1857

1857 का स्वतन्त्रता संग्राम भारत के इतिहास की महत्वपूर्ण घटना ही नहीं थी यह साम्राज्यवाद के विरू़द्ध उस दौर की विश्व की सबसे बड़ी जंग थी भले ही इसमें शामिल लोग इसे इस रुप में नहीं समझते थे। इसी कारण मार्क्स  ने अपने समकालीन लेखकोें में  इस जंग की ‘फांस की क्रान्ति’ 1789 के युद्ध से तुलना की है और इसे फौजी बगावत न मानकर राष्ट्रीय विद्रोह की संज्ञा दी है। 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का घटना क्षेत्र और फलक अत्यन्त व्यापक था । आज भी इतिहास का वह दौर पूरी तरह से सामने नहीं आ सका है।  भारत वर्ष में  बहुत से लोग आये। हुन, शक, कुशान, अरबी, तुर्क सभी आये मगर वह यहां की कल्चर में घुल-मिल गये। अंग्रेजों का भारत आगमन व्यावारियों के रुप में हुआ। समंदर के जरिए खामोशी  से कारोबार शुरु किया गया। आहिस्ता आहिस्ता ईस्ट इन्डिया कम्पनी जिसने अपनी प्रतिरक्षा में सैनिकों की कमान तैयार की थी, एक सैन्य और मजबूत कारोबारी ताकत के रुप में उभर कर सामने आई। अंग्रेज जब भारत आये तो वह अपनी कल्चर भी साथ ले कर आये और भारत के जनजीवन को गहरे तक प्रभावित किया।

मुस्कान बेनीवाल ने जॉर्डन में हुई 

 मुस्कान बेनीवाल ने जॉर्डन में हुई 

एशिया बॉक्सिंग प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता है । क्या बताया भला ---

*धन धन मुस्कान बेनीवाल तनै प्रदेश का नाम चमकाया हे।।*

*हरियाणा और रोहतक का नाम दुनिया मैं लिखवाया हे ।।*

सारा हरियाणा यो देण लग्या बहोत बहोत बधाई

नवीन कोच की अर थारी मेहनत सही रंग ल्याई

*घर परिवार नै भी तेरा यो होंसला खूब बढ़ाया हे ।।*

हरियाणा और रोहतक का नाम दुनिया मैं लिखवाया हे ।। 


माता पिता नै उम्मीद थी तुम्हारे गोल्ड मैडल ल्याणे की

यो शीतल नगर बाट देखरया घर घर ख़ुशी मनाणे की

*जसबीर स्मारक तेरी जीत पै यो खुशी मनाता पाया हे।।*

हरियाणा और रोहतक का नाम दुनिया मैं लिखवाया हे ।।

सारे दांव पेंच सीखण की हिम्मत करती चली गई

एक एक कदम बढ़ा कै तूँ आगै बढ़ती चली गई

*जॉर्डन एशिया बॉक्सिंग मुकाबले मैं स्वर्ण जीतकै दिखाया हे ।।*

हरियाणा और रोहतक का नाम दुनिया मैं लिखवाया हे ।।

बढ़ो हमेशा आगै मुस्कान बेटा मुड़कै कदे देखियो मतना

मुश्किल आवैं राह मैं डरकै थाम गोड्डे टेकियो मतना 

*रणबीर बरोने आले नै तत्काल  यो छंद बनाया हे।।*

हरियाणा और रोहतक का नाम दुनिया मैं लिखवाया हे ।।

14.03.2022

यो गणतंत्र सबतै बड्डा भारत आवै कुहाणे मैं।।

 भारत देश बहुत सालों तक गुलाम रहा। देश भक्तों ने संघर्ष किया तो 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ। सबसे बड़ा गणतन्त्र 74 साल का हो गया  है। क्या बताया भला--

यो गणतंत्र सबतै बड्डा भारत आवै कुहाणे मैं।।

भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।

2

दो सौ साल गोरया नै भारत गुलाम राख्या म्हारा था

गूंठे कटाये कारीगरां के मलमत दाब्या म्हारा था

सब रंगा का समोवश था फल मीठा चाख्या म्हारा था

भांत-भांत की खेती म्हारी नहीं ढंग फाब्या म्हारा था

फूट गेर कै राज जमाया कही जाती बात समाणे मैं।।

भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।

2

वीर सिपाही म्हारे देस के ज्यान की बाजी लाई फेर

लक्ष्मी सहगल आगै आई महिला विंग बनाई फेर

दुर्गा भाभी अंगरेजां तै जमकै आड़ै टकराई फेर

याणी छोरियां नै गोरयां पै थी पिस्तौल चलाई फेर

गोरे लागे राजे रजवाड़यां नै अपणे साथ मिलाणे मैं।।

भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।

3

आवाज ठाई जिननै उनके फांसी के फंदे डार दिये

घणे नर और नारी देस के काले पाणी तार दिये

मेजर जयपाल नै लाखां बागी फौजी त्यार किये

फौज आवै बगावत पै म्हारे बड्डे नेता इन्कार किये

नेवी रिवोल्ट हुया बम्बी मैं अंग्रेज लगे दबाणे मैं।।

भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।

4

आजादी का सपना था सबकी पढ़ाई और लिखाई का

आजादी का सपना था सबका प्रबन्ध हो दवाई का

आजादी का सपना था खात्मा होज्या सारी बुराई का

आजादी का सपना था आज्या बख्त फेर सचाई का

हिसाब लगावां आजादी का रणबीर सिंह के गाणे मैं।।

भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।

सावित्री बाई फुले के जन्म दिन के मौके पर  एक रागनी----

 सावित्री बाई फुले के जन्म दिन के मौके पर 

एक रागनी----

सावित्री बाई फुले आपको शत शत है प्रणाम म्हारा।।

पहली महिला शिक्षक देश की लिया जावै नाम थारा।।

1

तीन जनवरी ठारां सौ कतीस जन्मी दलित परिवार मैं 

नौ साल की की शादी होगी ज्योतिराव फुले के घरबार मैं

उन बख्तों मैं समाज सुधार का था मुश्किल काम थारा।।

पहली महिला शिक्षक देश की लिया जावै नाम थारा।।

2

महिला शिक्षा की खातिर सबतैं पहला स्कूल खोल दिया 

रूढ़िवादी विचारकों नै  डटकै हमला थारे पै बोल दिया

ना पाछै कदम हटाये महिला स्कूल खोले तमाम ठारा।।

पहली महिला शिक्षक देश की लिया जावै नाम थारा।। 


3

बाल विवाह के खिलाफ विधवा विवाह ताहिं छेड़ी जंग

सती प्रथा छुआछूत के किले विचार फैला करे थे तंग

ब्राह्मण विधवा गर्भवती का ज़िम्मै लिया इंतज़ाम सारा।।

पहली महिला शिक्षक देश की लिया जावै नाम थारा।।

4

ब्राह्मण ग्रंथ मत पढ़ो जात पात से बाहर आ जाओ 

मेहनत से जाति बन्धन तोड़ो शिक्षा पूरी तम पा जाओ

लिखै रणबीर बरोने आला महिला शिक्षा का पैगाम थारा।।।

पहली महिला शिक्षक देश की लिया जावै नाम थारा।

महावीर नरवाल

 जिसनै जोत जगाई थी कदे परिवरतन के ख्याल की

याद सदा आवैगी डाक्टर महावीर नरवाल की..


उनका खिलया रहै था चेहरा

भीत्तर म्हं था दर्द घनेरा

कैसे मिटै अंधेरा चिंता रहती थी उनै उजाल की.


डाक्टर किरषी वैज्ञानिक थे 

सामाजिक और वैधानिक थे

समझ तै काबिल आधुनिक थे बुद्धि गजब कमाल की.


सदा रूढियों तै टकराए

सुख थोड़े दुख ज्यादा पाए

मगर कदे ना घबराए थी हिम्मत बेमिसाल की.


पापा के कदमां पै चाल्ली

हाकिम नै फेर घेरी घाल्ली

बेट्टी नताशा जेल म्हं डाल्ली हुई शिकार कुचाल की.


कोरोना नै जुल्म ढहाये

सिस्टम नै भी घणे सताये

बेट्टी तक ना फेट्टण पाये आई मौत अकाल की.


मंगतराम रोवता रैह ग्या

एकला जंग झोवता रैह ग्या

गये हुयां नै टोह्वता रैह ग्या गत पाई ना काल की.

सबका हरियाणा -हमारा हरियाणा

 सबका हरियाणा -हमारा हरियाणा

बड़ा गुणगान होगा शाइनिंग 15 प्रतिशत हरियाणा का

मगर 85 प्रतिशत सफरिंग हरियाणा का जिक्र नहीं होगा

एक नवम्बर के हरयाणा दिवस के मौके पर एक सपना

मेरा भी ~~~~~

मिलजुल कै नया हरयाणा हम घणा आलीसान बनावांगे

नाबराबरी खत्म करकै नै हरयाणा आसमान पहोंचावांगे

बासमती चावल हरयाणे का दुनिया के देशां मैं जावै आज

चार पहिये की मोटर गाड़ी यो सबतैं फालतू बणावै आज

खेल कूद मैं हम आगै बढ़गे एशिया मैं सम्मान बढ़ावांगे

चोरी जारी ठग्गी नहीं रहवैंगी भ्रष्टाचार नहीं टोहया पावै

मैरिट तैं मिलैं दाखिले सबनै शिक्षा माफिया खड़या लखावै

मिलकै सारे हरयाणा वासी इन बातों नै परवान चढ़ावांगे

ठेकेदारां की ठेकेदारी खत्म होज्या खत्म थानेदारी होवै

बदमाशों की बदमाशी खत्म हो फेर खत्म ताबेदारी होवै

निर्माण और संघर्ष का नारा यो पूरे हरयाणा मैं गूंजावांगे

दहेज़ खातिर दुखी होकै नहीं औरत फांसी खा हरयाणा मैं

कदम बढ़ाये एकबै जो आगै फेर ना पाछै जाँ हरयाणा मैं

बराबर के माहौल मैं महिलाओं के अरमान खिलावांगे

छुआ छूत का नहीं नाम रहै सब रल मिल रहैं गामां मैं

त्याग तपस्या और मोहबत की ये फुहार बहैं गामां मैं

दिखा मानवता का रास्ता जातधर्म का घमासान मिटावांगे

हरयाणा के लड़के और लड़की कन्धे तैं कन्धा मिला चालैंगे

देकै कुर्बानी ये छोरी छोरे नए हरयाणा की नींव डालैंगे

गीत रणबीर सिंह नै बनाया मिलकै हम सारे ही गावांगे

हरियाणा नंबर वन कोण्या 

 हरियाणा नंबर वन कोण्या 

मजदूर किसान बिना , इन सबके सम्मान बिना 

चेहरे पर मुस्कान बिना , हरियाणा नंबर वन कोण्या ।।

1

हरया भरया हरियाणा जित दूध दही का खाना

गर्भवती मैं कमी खून की दस प्रतिशत बढ़ जाना

हम सबके उपकार बिना, बसते हुए घरबार बिना

लिंग अनुपात सुधार बिना , हरियाणा नंबर वन कोण्या

मजदूर किसान बिना , इन सबके सम्मान बिना 

चेहरे पर मुस्कान बिना , हरियाणा नंबर वन कोण्या ।।

2

गुण गाते हरित क्रांति के नुक्सान ना कदे बतावैं

जहर घोल दिया पानी मैं कीटनाशक कहर ढावैं

बीमारियों के इलाज बिना, हम गरीबों की आवाज बिना

विकास के सही अंदाज बिना,हरियाणा नंबर वन ।कोण्या ।।

मजदूर किसान बिना , इन सबके सम्मान बिना 

चेहरे पर मुस्कान बिना , हरियाणा नंबर वन कोण्या ।।

3

कीट नाशक तैं हरियाणा बहोत घणा दुःख पाग्या

हुई खाज बीमारी गात मैं ,घणा कसूता संकट छाग्या

इसकी पूरी रोकथाम बिना , पानी के सही इंतजाम बिना 

अमीरों पर कसे लगाम बिना, हरियाणा नंबर वन कोण्या।।

मजदूर किसान बिना , इन सबके सम्मान बिना 

चेहरे पर मुस्कान बिना , हरियाणा नंबर वन कोण्या ।।

4

अमीर गरीब के बीच की बढ़ती जावै या खाई देखो

बिना गरीब की मेहनत छाज्या घणी रुसवाई देखो 

महिलाओं के सम्मान बिना, पढ़े लिखे नैजवान बिना

म्हारे पूरे बुरे अरमान बिना, हरियाणा नंबर वन कोण्या।

मजदूर किसान बिना , इन सबके सम्मान बिना 

चेहरे पर मुस्कान बिना , हरियाणा नंबर वन कोण्या ।।

5

मानस तैं मानस का भाईचारा , हो हर शहर गाम मैं

हम राजी होकै हाथ बँटावां एक दूसरे के काम मैं

भाईचारे की छाप बिना ,सबकी सांझी खुभात बिना

गरीब के सिर पै छात बिना, हरियाणा नंबर वन कोण्या

मजदूर किसान बिना , इन सबके सम्मान बिना 

चेहरे पर मुस्कान बिना , हरियाणा नंबर वन कोण्या ।।

हरियाणा तरक्की करग्या रै

 कई साल पहले लिखी एक रचना**********

हरियाणा तरक्की करग्या रै

दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै|| 

1

जीरी गिन्हूं कपास अर इंख की खेती बढती जावै सै

देश के सुब्याँ मैं नंबर वन यो हरयाणा का आवै सै

सड़क पहोंचगी सारै गाम गाम बिजली लसकावै सै 

छैल गाभरू छोरा इसका लड़न फ़ौज के म्हें जावै सै

खेतां के म्हें नया खाद बीज ट्रेक्टर घराटा ठावै सै 

फरीदाबाद सोनीपत हिसार पिंजौर मील सिटी लावै सै 

सारे भारत मैं भाइयो इंका सूरज शिखर मैं चढ़ग्या रै ||

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै|| 

2

ये बात तो भाई हर रोज बता बता दिल डाटे जाँ रै 

जो भी हुआ फायदा बेईमान आपस मैं बांटें जाँ रै 

भका भका जातां के चौधरी नाड़ म्हारी काँटें जाँ रै 

अपनी काली करतूतां नै जात के तल्ले ढान्पें जाँ रै 

बोलै जो उनके खिलाफ वे झूठे केसां मैं फांसे जाँ रै 

कुछ परवाने भाइयो फिर भी इनके करतब नापें जाँ रै 

बिन धरती अर दो किल्ले आला ज्यान तैं मरग्या रै ||

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै|| 

3

खम्बे मीटर गाम गाम मैं बिजली के इब तार गए 

ओवर सीयर एस सी सब कर बंगले अपने त्यार गए 

चार पहर भी ना बिजली आवै बाट देख देख हार गए 

बिना जलाएं बिजली के बिल कर कसूती मार गए 

ट्यूबवेल कोन्या चालै ट्रानस्फोर्मार के जल तार गए 

पैसे आल्यां के ट्यूबवेल थ्रेशर चल धुआं धार गए 

गरीबां की गालाँ मै दूना कीचड देखो आज भरग्या रै ||

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै|| 

4

गाम गाम मैं सड़क बनाई फायदा कौन उठावैं सें

बस आवै जावै कदे कदे लोग बाट मैं मुंह बावैं सें

पैसे आल्यां के छोरट ले मोटर साईकिल धूल उड़ावें सें

टरैक्टर ट्राली सवारी ढोवें मुंह मांगे किराये ठहरावै सें 

सड़क टूटरी जागां जागां साईकिल मैं पंकचर हो ज्यावें सें 

रोड़ी फ़ोडै पां गरीबां के जो मजबूरी मैं पैदल जावैं सें 

बस नै रोकें कोन्या रोकें तो भाडा गोज नै कसग्या रै ||

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै|| 

5

बिन खेती आल्यां का गाम मैं मुश्किल रहना होग्या

मजदूरी उप्पर चुपचाप दबंगा का जुल्म सहना होग्या 

चार छः महीने खाली बैठ पेट की गेल्याँ फहना होग्या 

चीजां के रेट तो बढ़गे प़र पुराने प़र बहना होग्या 

फालतू मतना मांगो नफे दबंग का नयों कहना होग्या 

गाम छोड़ शहर पडे आना घर एक तरियां ढहना होग्या 

भरे नाज के कोठे फेर भी पेट कमर कै मिलग्या रै ||

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै|| 

6

खेती करणिया मैं भी लोगो जात कारगर वार करै

एक जागां बिठावै गरीब अमीर नै ना कोए विचार करै

किसान चार ठोड बँट लिया कैसे नैया इब पार तिरै 

ट्रैक्टर आले बिना ट्रैक्टर आल्यां की या लार फिरै

इनकी हालत किसी होगी बिलखता यो परिवार फिरै 

बिना धरती आल्यां का आज नहीं कोए भी एतबार करै 

जात मैं जमात पैदा होगी बेईमान नै खतरा बधग्या रै ||

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै|| 

7

घन्याँ की धरती लाल स्याही मैं बैंक के महां चढ्गी थी

दो लाख मैं बेचे किल्ला चेहरे की लाली सारी झडगी थी 

चूस चूस कै खून गरीब का अमीर के मुंह लाली बढगी थी 

कर्जे माफ़ होगे एकब़र तो फेर कीमत धरती की बधगी थी 

आगे कैसे काम चलैगा रै एक ब़रतो इसतैं सधगी थी 

आगली पीढ़ी के करैगी म्हारी तै क्यूकरै ए धिकगी थी

हँसना गाना भूल गए जिन्दा रहवन का सांसा पड़ग्या रै|| 

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै|| 

8

शहरों का के जिकरा करूँ मानस आप्पा भूल रहया यो 

आप्पा धापी माच रही आज पैसे के संग झूल रहया यो 

याद बस आज रिश्वत खोरी जमा नशे मैं टूहल रहया यो 

इन्सान तै हैवान बनग्या मिलावट में हो मशगूल रहया यो 

चोरी जारी ठगी बदमाशी के सीख रणबीर उसूल रहया यो

इसी तरक्की कै लगे गोली पसीना बह फिजूल रहया यो 

फेरभी रुके मारे तरक्की के कलम लिखना बंद करग्या रै। 

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै|| 

प्रस्तुतकर्ता ranbir dahiya