Tuesday, 1 May 2018

नया नव जागरण --440 ----

नया नवजागरण
दलित महिला नौजवान मिलकै आज नया हरियाणा बणावैंगे ।।
अपना खोया आत्म सम्मान हांसिल कर दुनिया नै दिखावैंगे।।
1
पूंजीवादी विकास की राही या देखियो खाई और बढावैगी रै
गरीब जावै और भी सताया अमीर की पीठ थप थपावैगी रै
कुप्रचार समाज वाद के बारे हम जनता के साहमी ल्यावैंगे।।
2
इस राही नै देखो अमरीका आज कति पढ़ण बिठा दिया रै
हटकै मंदी का दौर छाया दुनिया मैं तहलका मचा दिया रै
किसान मजदूर सब कट्ठे होकै क्रांति का बिगुल बजावैंगे।।
3
देशी और अमरीकी कारपोरेट नै बणा यो गठजोड़ लिया
एसी जिंदगी जीवैं खुद ये गरीब तैं कति नाता तोड़ लिया
जात धर्म पै बांट कै दुनिया ये कितने दिन ऐश उड़ावैंगे।।
4
राज बदलना आसान आड़े सिस्टम बदलना आसान नहीं
सिस्टम ना बदलै जिब तक हो कट्ठा मजदूर किसान नहीं
कहै रणबीर ये दोनूं मिलकै साझला नया साज बजावैंगे।।

सुभाष बोस

पार्क मैदान में युवक कांग्रेस के अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने कहा तो फिर क्या हमें बैलगाड़ी के बीते युग की ओर वापस जाना है? आत्मा के पाखण्ड को इतना पुष्ट किया जा रहा है कि भौतिक संस्कृति और फौजी प्रशिक्षण की उपेक्षा करके भी उन्हें लगता है सब ठीक चल रहा है। इस पावन भूमि के लिए मठ और आश्रम की कल्पना कोई नई नहीं है। सन्यासियों और सुपात्रों को इस माट्टी में सदैव आदर का स्थान प्राप्त होता रहा है और आगे भी होता रहेगा । परन्तु मैं युवाओं को चेतावनी देता हूँ कि यदि एक आधुनिक , स्वतंत्र , सुखी और शक्ति -सम्पन्न भारत का निर्माण करना है , तो हमें इस मंडली का अनुशरण नहीं करना है। इसके लिए पुरातन प्रभाव से मुक्त होकर नवयुग का शंख फूंको।
क्या बताया भला कवि ने------
पार्क मैदान मैं सुभाष नै ये अपने विचार सुनाये रै।।
युवाओं को ललकारया उसनै क्रांति के नारे गूँजाये रै।।
1
बोस नै युवा संगठन का उड़ै मतलब समझाया था
निठल्ले बेजान युवाओं का यो संगठन नहीं बताया था
सामाजिक सेवासंघ भी कोण्या बोस नै पाठ पढ़ाया था
अंग्रेज राज का विरोधी धधकता अंगार सुझाया था
रूस चीन जर्मनी के किस्से उड़ै पूरे खोल कै बताये रै।।
2
बोल्या अंग्रेजों नै चौतरफा करदी घेरेबंदी म्हारी वीरो
इम्पीरियल बैंक नै देश की करदी नाके बंदी भारी वीरो
कर्ज देने की करी मनाही जनता घणी दुख पारी वीरो
अंग्रेजों तैं छुटकारा पाल्यो ये देगे देश मैं बुहारी वीरो
ठारा सौ सत्तावन मैं भी संघर्ष के बिगुल बजाये रै।।
3
या आवाज बोस की उठी ऊंचे स्तर तलक बताई
साबरमती अर अरविंद के मतां पै सवाल उठाई
आधुनिक स्वतंत्र सुखी देश की या तीजी राह दिखाई
मठ आश्रम बीते समों की उनको सब बात समझाई
पुराने तैं मुक्त होवण नै नवयुग का शंख बजाया रै।।
4
युवकों के दिलो दिमाग मैं सुभाष पूरी तरियां छाग्या रै
भगत सिंह जतीनदास  इनका दस्ता मंच पै आग्या रै
दाढ़ी मूंछों आला नौजवान उड़ै पूरे पण्डाल नै भाग्या रै
सिर्फ अहिंसा के राह पै वो भगत सिंह सवाल ठाग्या रै
कहै रणबीर बरोणे आला सुण कै सुभाष मुस्कुराये रै।।