Sunday, 15 December 2024

किस्सा 1857

 किस्सा 1857

1857 का स्वतन्त्रता संग्राम भारत के इतिहास की महत्वपूर्ण घटना ही नहीं थी यह साम्राज्यवाद के विरू़़द्ध उस दौर की विश्व की सबसे बड़ी जंग थी भले ही इसमें षामिल लोग इसे इस रुप में नहीं समझते थे। इसी कारण माक्र्स ने अपने समकालीन लेखकोें मंे इस जंग की ‘फांस की क्रान्ति’ 1789 के युद्ध से तुलना की है और इसे फौजी बगावत न मानकर राष्ट्रीय विद्रोह की संज्ञा दी है। 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का घटना क्षेत्र और फलक अत्यन्त व्यापक था । आज भी इतिहास का वह दौर पूरी तरह से सामने नहीं आ सका है।  भारत वर्ष मंे बहुत से लोग आये। हुन, शक, कुशान, अरबी, तुर्क सभी आये मगर वह यहां की कल्चर में घुल-मिल गये। अंग्रेजों का भारत आगमन व्यावारियों के रुप में हुआ। समंदर के जरिए खामोषी से कारोबार षुरु किया गया। आहिस्ता आहिस्ता ईस्ट इन्डिया कम्पनी जिसने अपनी प्रतिरक्षा में सैनिकों की कमान तैयार की थी, एक सैन्य और मजबूत कारोबारी ताकत के रुप में उभर कर सामने आई। अंग्रेज जब भारत आये तो वह अपनी कल्चर भी साथ ले कर आये और भारत के जनजीवन को गहरे तक प्रभावित किया। क्या बताया भलाः

रागनी 1

बिदेशी बहोत आये भारत मैं वे देशी होगे आड़ै आकै।।

फिरंगी तो खुद रहया फिरंगी रंग म्हारा बदल्या हांगा लाकै।।

हून शक कुशान आये तो पहण लिया भारत का बाण़ा

अरबी तुर्क आये भारत मैं धारया म्हारा पीणा खाणा

कई-कई कल्चर मिली आपस मैं मिला लिया नया पुराणा

कई देशों का भारत यो म्हारा सबतै न्यारा इसका ताणा

फिरंगी नै राज जमाया या जात पात की खाई बढ़ाकै।।

अपणी कल्चर लयाया देश में म्हारा भेस अपनाया ना 

म्हारे अंध विश्वास पै खेल्या पीछे मुड़कै लखाया ना

मैकाले ल्याया किसी शिक्षा यो खेल समझ में आया ना

रेल बिछाई पूरे देश मैं भारतवासी फुल्या समाया ना

कच्चा माल लेग्या लंदन मैं बेच्या पक्का भारत ल्याकै।।

सस्ते मैं लिया म्हारा कच्चा महंगे भाव दिया पक्का माल

दोनूं कान्यहां फिरगी नै भारत देश की तारी खाल 

देख बायो डाय वर सिटी म्हारी अंग्रेजां ने गेरी राल

लूटे हम गेर फिरंगी नै श्याम दाम दण्ड भेद का जाल 

बिठाये हम भगवान भरोसे ना देख्या हिसाब लगाकै।।


वार्ता------

भारत उन दिनों सामन्तों, राजा, नवाबों, जमीदारांे व तालुक दारों की रियासतों व जागीरों, जायदादों में बंटा हुआ था। इनके निहित स्वार्थों के चलते आपस में टकराव और विरोध था। रैयत भी विभिन्न धर्मों, संप्रदायों, जातियों एवं गोत्रों में विभाजित थी। और इन तबकों के खाते-पीते पंडे-पुरोहित, चैधरी, सरदार, मुल्ला मौलवी और सामाजिक व साम्रदायिक इकाइयों के नेताओं में भी निहित स्वार्थों के कारण अपने-अपने समुदाय वाली गोल बन्दी बनाई हुई थी,हालांकि 18 वीं सदी और पहले के भी भक्ति आन्दोलन, सन्त सूफी परम्परा ने पुराण पंथी नजरिये की सामाजिक सास्कृतिक दिवारों को कुछ कमजोर तो किया था। इस माहौल का अंग्रेजों ने बहुत फायदा उठाया। एक समय था जब भारत में तीन सिपाहियों पर एक बरतानवी की नियुक्ति की गई थी। अलग अलग रैजमैंट तैयार की थी। क्या बताया भलाः

रागनी-2

फूट गेरो राज करो का गुर अंग्रेजों ने अपनाया था।।

म्हारे लाडले भरती करकै उनको खूब दुलराया था।।

भारत की छाती पै मूंग दलंै इसकी पूरी तैयारी करली

मार-काट मची राज्यां मैं सबकी गद्यी पै नजर धरली 

अंध विश्वास बढ़ा म्हारे मैं सोच्चण की ताकत हरली

जात-पात पै बंटे हुए थे हमनै नाष की कोली भरली 

देशी गाभरू बनाकै फौजी अपने साथ मिलाया था। 

भरती हो कै म्हारा बेटा बणग्या ताबेदार सिपाही फेर 

मात पिता तैं मुंह मोड़ण मैं उसनै कति नहीं लाई देर 

अंग्रेजां का गुणगाण करै दिन रात और श्याम सबेर

पाइया मुश्किल तै था बढ़ाकै होग्या कति सवा सेर

टूटे लीतर पाट्टे लत्ते अंग्रेजों ने वर्दी तै सजाया था।।

ये यू पी हरियाणा के छोरे फिरंगी के हुक्म बजावैं रै

अड़ौसी-पड़ौसी चाचा ताउ दरबारां  मैं शीश झुकावैं रै

माल उगाही होज्या उसकी जो हम खेता मैं कमावैं रै

सिर भी म्हारा जूती म्हारी म्हारे अपणे डण्डे बरसावैं रै

सिपाही बेटा उनका होग्या बेराना के घोल पिलाया था।।

बढ़िया खाणा पीणा फौज मैं झोटे बरगे पुट्ठे होगे रै

दो दिन बिताये फौज मैं म्हारे बिराणे खूट्टे होगे रै

उनकी तै लागै स्वाद मिठाई म्हारे खारे बुट्टे होगे रै

अंग्रेजां के उनके दम पै म्हारी घिट्टी पै गूंठे होगे रै

कहै रणबीर बरोने आला न्यों अंग्रेज घणा बौराया था।


वार्ता-------

भारत वर्ष मंें अंग्रेजांे ने एक ईस्ट इंडिया कम्पनी के रूप में व्यापारी बनकर कदम रखे थे। इस प्रकार  आहिस्ता-आहिस्ता पूरे भारत पर अंग्रेजों ने कब्जा जमा लिया। दौ सौ साल तक भारत वर्ष पर राज किया। यह दौ सौ साल का इतिहास मानवता के इतिहास पर कालिख लगाने वाला, असमानतापूर्ण लूटों को बचाये रखने वाला था।भारत में अंग्रेजों को स्थापित करने में ईस्ट इन्डिया कम्पनी की बहुत अहम भूमिका रही। एक समय के बाद ईस्ट इण्डिया कम्पनी को हटाकर होम गर्वन मैंट की स्थापना कर ली गई थी। ईस्ट इंडिया कम्पनी के बारे में क्या बताया भलाः

रागनी-3

ईस्ट इंडिया कम्पनी आई, व्यापारी बणकै छाई 

अंग्रेजी अपणे संग मैं ल्याई, दाब्या म्हारा प्यारा हिंदुस्तान।।,

भारत देश के मल-मल ये घणे मशहूर हुया करते

मिरच मसाले भारत के दुनिया भर मैं लिया करते

कारीगरां के गूंठे कटवाये, ढाका जिसे शहर उजड़वाये

मानचैस्टर उभार कै ल्याये, दाब्या म्हारा प्यारा हिंदुस्तान।।

सहज-सहज ये राजे रजवाड़े कम्पनी की दाब मानगे

अंग्रेज काइयां बहोत घणे म्हारे सारे राज जानगे 

कम्पनी ने चक्कर चलाया रै, व्यापार गेल्यां राज जमाया रै

चारो कान्ही लगांेट घूमाया रै, दाब्या म्हारा प्यारा  हिंदुस्तान।।

पढ़े लिखे हुश्यार घणे थे म्हारे उपर राज जमाया फेर 

कर कै राज रजवाड़े काबू कम्पनियों नै डंका घुमाया फेर

प्रचार करया सभ्य समाज का, ना बेरा लग्या इनके अन्दाज का  

चिड़िया उपर झपटा बाज का, दाब्या म्हारा प्यारा हिंदुस्तान।।,

एक ईस्ट इंडिया कम्पनी पूरे भारत उपर छागी देखो

म्हारी कमजोरी का ठाकै फायदा अपना राज जमागी देखो

मन मानी लूट मचाई फेर, सोने की चिड़िया चिल्लाई फेर 

या बंगाल आर्मी बनाई फेर, दाब्या म्हारा प्यारा हिंदुस्तान।।


वार्ता-------

अंग्रेजों ने धीरे-धीरे पूरी देशी फौज तैयार करली। जिसे बंगाल आर्मी के नाम से जाना गया। देसी लोगों की सेना से जिसे अंग्रेजों के ड्रिलसार्जेंट ने संगठित तथा प्रशिक्षित किया वह जहां अंग्रेजों के काम आई वहीं वह हिंदुस्तानी आत्मोत्थान की आवश्यक शर्त भी थी। देसी सेना अंग्रेजों की वफादार फौज मानी गई उस आर्मी में हिंदु व मुसलमान दोनों थे। कई साल तक इस आर्मी ने कई लड़ाइयां लड़ी जिसके चलते दोनों सम्प्रदाय के फौजियों में एकता और मजबूत हुई। एक समय के बाद सन् 1856 के आते आते देषी और बरतानवी फौजी के बीच का अनुपात घट कर दह भारतीय सिपाहियों पर एक ब्रिटिष का रह गया। इस बिगड़े हुए सैनिक अनुपात को भी कालान्तर में आने वाले समय की बगावत के मुख्य कारणों में से माना गया।ै क्या बताया भला:

रागनी-4

बंगाल आर्मी अंग्रेजां की उसका पूरा इतिहास सुणो।।

फिरंगी राज की नींव बताई इसपै था पूरा विश्वास सुणो।।

सवा लाख सिपाही इसमैं यू पी बिहार और हरियाणे के 

खड़ग हस्त बने ब्रिटिस के सिपाही पूरे इस समाणे के 

हिंदु मुस्लिम टिवाणे के बढ़िया सबका इकलास सुणो।।

ठारा सौ बत्तीस मैं आर्मी नै ग्वालियर मैं लड़ी लड़ाई 

ठारा सौ चवालिस मैं सिंघ पै विजय पताका जा फैहराई

पंजाब की फेर बारी आई हुई आर्मी बदहवास सुणो।।

ठारा सौ बावण मैं बर्मा की लड़ाई दूसरी लड़ी फेर

दक्षिण बर्मा जीत दिखाया दुश्मन कर दिए हजारों ढेेर

डटे ंफ्रट पै लखमी शमशेर नहीं हुये ये निराश सुणो।।

अफीम यु़द्ध चीन देश का इसके सिर पै आण पड़या

ठारा सौ चालीस ब्यालिस मैं आर्मी सिपाही खूब लड़या

ठारा सौ छप्पण मैं फेर भिड़या बिछी हजारां लाश सुणो।।

लगातार लड़ाइयां मैं रही जो वा बंगाल आर्मी बताई 

सिर धड़की या बाजी लाकै हमेशा लड़ती रही लड़ाई

रणबीर की कविताई नै जाणै गाम बरोणा खास सुणो।।


वार्ता------

बंगाल सेना में अधिकांष सेनिक चाहे वे हिन्दू हों या मुस्लिम अवध में पंजीकृत थे। वही विषालप्रान्त जो उतर प्रदेष कहलाता है और जिसकी राजधानी लखनउ थी । वे लोग आमतौर पर अंग्रेज सैनिक से उंचे थे, कुछ ही थे जिनकी उंचाई पांच फुट आठ इंच से कम रही हो। तीन में से चार सैनिक हिन्दू और इनमें से अधिकांष उच्च वर्गीय ब्राहम्ण या राजपूत थे। किसी कवि की तरह सैनिक का कार्य भी हिन्दूओं द्वारा श्रेश्ठ तथा सम्मनित माना जाता था। अंग्रेजों ने भारत वासियों पर बहुत जुलम ढाये। पहले जमीन पर किसान का पूरा हक था मगर उन्हें जमीन से अलग कर दिया गया। जमीनों पर लगान वसूली बढ़ा दी गई। इतना लगान बढ़ा दिया जो भुगतान सामथ्र्य से बाहर था। औजार गिरवी रखने पर मजबूर किया जाने लगा। खेती करना असम्भव बना दिया। हल नहीं चला जमीन पर, फसल नहीं पर कर देने पर मजबूर किया गया। मंागी जा रही रकम नहीं दी तो यातनाएं दी गई। दिन की तपती दोपहर में पांव से बांधकर उल्टे लटकाया गया। लकड़ी की पैनी छिप्पटें नाखूनों में घुसाई गई। बाप और बेटों को एक साथ बांधकर कोड़े बरसाये गये। औरतों को कोड़े मारे जाते थे। आँखो में लाल मिर्च का चूरा बुरक दिया जाता था। गुनाहो का प्याला लबरेज हो गया। औरतों के स्तनों पर बिछू बांध दिये जाते थे। यह सब जुलमों की खबरे बंगाल आर्मी के फौजियों के पास भी पहंुची। क्या बताया गयाः

रागनी-5

बल्यू आइड आर्मी कहैं बगावत उपर आगी फेर।।

दम-दम मैं जो उठी चिन्गारी फैलण मैं ना लागी देर।।

ठारा सौ सतावण साल था जनवरी का म्हिना बताया रै

विद्रोह की जब लाली फूटी फिरंगी घणा ए घबराया रै

मंगल पाण्डे आगे आया रै नींद अंग्रेजां की भागी फेर।।

इसकी लपट मई के मैं मेरठ छावनी मैं पहोंच गई

मेरठ छावनी तै कूच करया दिल्ली आकै दबोच लई 

फिरंगी की सोच बदल दई छाती मैं गोली दागी फेर।।

हिंदु मुस्लिम सिपाही सारे थे कठ्ठे लड़े सतावण मैं

पहले भी एकता थी उनकी मिलकै भिडे़ सतावण मैं

डटकै अड़े सतावण मैं या देश भावना जागी फेर।।

किसान और जमींदार दोनों फिरंगी खिलाफ खड़े होगे

दुनिया के साहसी खड़े इसपै ये सवाल बड़े होगे

फिरंगी और कड़े होगे मदद लंदन तै मांगी फेर।।


वार्ता------- 

इस प्रकार इस विद्रोह के ज्यादा व्यापकता वाले कारण थे। देश प्रेम की भावना और अंग्रेजों के जुल्मों के खिलाफ गुस्सा था। अंग्रेजों के प्रति सहानुभ्ूाति खत्म होती जा रही थी। ऐसी राष्ट्रीय भावना गौ और सुअर की चर्बी लगे कारतूसों के इस्तेमाल से पैदा नहीं की जा सकती थी। ध्यान देने योग्य बात यह हैं कि अंग्रेजों के विरूद्ध जंग में हमारे फौजियों ने इन्ही कारतूसों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया था। मेरठ से देसी फौज दिल्ली के लिए चल पड़ी। क्या बताया भलाः

रागनी-6

बंगाल आर्मी फौज के सिपाही डटगे रणभूमि मैं आकै।।

हिंदु मुस्लिम साथ लडंे फिरंगी पड़या तिवाला खाकै।।

हर जवान फौजी के दिल मंे उमंग भरी घणी भारी रै

सारै फौजी पाछै-पाछै चाले आगै  पांडे क्रान्तिकारी रै

न्यों सोचैं थे फौजी तिरंगा लहरा दयां दिल्ली जाकै।।

तिल-तिल करकै आगे बढ़ते देश आजाद कराया चाहवैं

धर कांधे बन्दूक फौजी सभी कदम तै कदम मिलावैं

  थी नई-नई तकरीब भिड़ाई सारै भाज्या फिरंगी घबराकै।।

महिला कति पाछै रही कोन्या हर जगां वो साथ लड़ी

अंग्रेजां नै होई धरती भीड़ी ये देखी औरत साथ खड़ी

पहली आजादी की जंग फिंरगी छोड़या कति रंभा कै।।,

बंगाल आर्मी फोजी सेना नया इतिहास रचाया था 

तन-मन-धन सब लाकै देश आजाद कराना चाहया था

रणबीर सिंह करै कविताई  रै कलम अपनी या ठाकै।।

वार्ता---------

मेरठ के बागियों ने 11 मई 1857 को दिल्ली पर कब्जा कर लेने के बाद मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को शंहशाह ए हिंदुस्तान बना दिया गया। इसके साथ ही बागी सैनिकों की निगाहें दिल्ली के आसपास के इलाके पर पड़ी। दिल्ली के तीन तरफ हरियाणा का क्षेत्र का है और 1803 कम्पनी राज ने दिल्ली समेत  इसे महाराजा सिंधिया से छीनकर बंगाल प्रै्र्रसीडेंसी के उत्तर पश्चिमी प्रान्त का दिल्ली डिविजन बना दिया था। इसमें गुड़गांव रोहतक, हिसार, पानीपत और अंबाला के जिले शामिल थे। 11 मई को गुड़गावां पर कब्जा कर लिए जाने से शुरू हुई। एक मेव किसान सदरूद्दीन ने बागी सेना और किसानों व कारीगरों को नेतृत्व प्रदान किया। क्या बताया भलाः

रागनी-7

बढ़ां आगाड़ी भाई लड़ण का मौका है फिलहाल

वीर महिला भारत मां के लाल।।

दुश्मन का सामना करना है, फिरंगी के जुल्म तै के डरना है

एक रोज जरूरी मरना है, इसे आज मरे इसे काल

वीर महिला भारत मां के लाल।।

नींव आजादी की हम धरज्यावां, हम नाम भारत का कर ज्यावां

देश की खातर कट कै मरज्यावां, म्हारा सबका योहे ख्याल

वीर महिला भारत मां के लाल।।

कदम बढ़ावा फर्ज बुलावै सै, वीर मरद मिल बतलावै सै

देश गुलाम रखना चाहवै सै, यू अंग्रेज फिरंगी चाण्डाल

वीर महिला भारत मां के लाल।।

सदरूद्दीन नै लाया नारा, यो हिंदुस्तान सै सबनै प्यारा 

बीर मरद रणबीर देश सारा, आजादी की उठैं झाल

वीर महिला भारत मां के लाल।।

दिल्ली पर 13 सितम्बर के बाद अंग्रेजीं सेना का कब्जा हो जाने पर भी मेवात के शूरवीर दिल्ली के हालात से बेखबर आजादी का परचम उठाये दो महीने तक अंग्रेजीं सेना के मशहूर जनरल शावर का मुकाबला करते रहे। राय सीमा के यु़द्ध में अंगेेज क्लेक्टर कोर्ड को 13 अक्टूबर को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इस सब के बावजूद देश आजाद कराने का जुनून था उनमें।

रागनी-8

फौजीं हैं देश दिवाने अब आजाद करा कर मानैंगे।।

हम आजादी पाने आये आजादी पाकर मानैंगे।।

गुलामी की जंजीरे टूटेगीं उस वक्त तसल्ली पायेंगे

पीछे हटने वाले नहीं लड़ते-लड़ते ही मर जायेंगे

हम भी किसी से कम नहीं तूफान उठाकर मानैंगे।।

फिरंगी ने जुलम ढाये कारीगरों के हाथ कटवायें 

सोने की चिड़िया को फिरंगी कंगाल बनाना चाहे

एक बार कदम बढ़े हमारे तो मंजिल जाकर मानैंगे।।

मैदाने जंग में डटे हुए ज्यान की बाजी लगा रहे

देश की आजादी की खातर गोली सीने मैं खा रहें

नये तराने दिल में हैं हम इनको गाकर मानैंगे।।

कटते रहें बढ़ते रहें ये लाल खून रंग लायेगा

बंगाल आर्मी का फौजी आगे कदम बढ़ाता जायेगा

दे बड़ी से बड़ी से कुर्बानी हम दुश्मन को हिलाकर मानैंगे।।

1857 की क्रान्ति में कानपुर के योगदान की जब चर्चा होगी तो सबसे पहले नाना राव पेशवा, तात्या टोपे, और अजी मुल्ला का नाम आयेगा लेकिन नाच गाकर अंग्रेजी अफसंरो का मन बहलाने वाली तवायफ अजीजन बाई और उसकी मस्ताना टोली की सदस्य हुसैनी खानम के योगदान और बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता। अजीजन को हुस्न का जादू और घुंघरूओं की खनक अंग्रेज पर वह असर डालती थी जिससे शराब के नशे में मदहोश होकर अंग्रेज कई महत्वपूर्ण राज अजीजन के सामने ब्यान कर देते थे जो वह क्रान्तिकारियों को पहुंचाकर उनके आन्दोलन को मजबूत बना रही थी। बाद में अंग्रेजों ने इन्हें माफी मांगने तथा उनके सामने जमीन पर नाक रगड़ कर रहम की प्रार्थना करने को कहा। आजादी की इन सिपाहियों ने यह तो कबूल किया कि उन्होंने अंग्रेजों के खून से होली खेली है लेकिन देश का माथा ऊंचा रखते हुए माफी माँगने और रहम की  भीख मांगने से इन्कार कर दिया।

रागनी-9

देश भक्ति की घणी निराली या मिशाल अजीजन बाई।।

फिरंगी के किले मैं नाच गाने के दम पै सेंध लगाई।।

कानपुर में तवायफ का वा जीवन बिताया करती 

नाचना गाना कमाल का था अंग्रेजों नै रिझाया करती 

नशे मैं धुत करने के वास्ते दारू खूब पिलाया करती

भीतर की सारी सी आई डी बागियों नै पहुंचाया करती 

अजीजन के साथी हैरान तवायफ औरत गजब बताई।।

अंग्रेजां के छबके मारै अजीजन तरफ लखाले नै

चापलूसी छोड़ फिरंगी की देशप्रेम का झण्डा ठाले नै

तो जमींदार इलाके का ईब उल्टे कदम हटाले नै

देश प्रेम की बहार चली सुर गेल्यां सुर मिलाले नै

देख अजीजन की दलेरी तनै चाहिये बदलनी राही।।

कानपुर दिया छोड़ फिरंगी चारों तरफ लखाया

महिला बच्चों को उननै बीवी घर में पहोंचाया

अजीजन बाई ने घेरा दे उनका खात्मा चाहया

बागी फौजी तो नाट गये बाई नै गुस्सा आया

अजीजन बाई ने तुरत फेर बुलाये च्यार कसाई।।

इस जनम के करमां का फल इसे जनम मैं थ्याया

तवायफां नै डेढ़ सौ मारे फौज का पूरा साथ निभाया

फिरंगी का साथ नहीं देउं न्यों नसीब नै मन बनाया

जन विद्रोह देख फिरंगी रणबीर सिंह घणा घबराया

कई किताब पढ़कै नै रागनी अजीजन की बनाई।।

अजीजन का जब बगावत का दौर था तो बहुत दिलेरी के साथ फौजियों के साथ अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी। एक दिन सोते वक्त अजीजन बाई सपने के अन्दर क्या देखती हैं भलाः

रागनी-10

ये अपने चाल पड़े हैं फौजी भारत देश के।।

बगावत पै जमे खड़े हैं फौजी भारत देश के।।

पूछती है झोपड़ी और पूछते हैं खेत भी

अब तक गुलाम पड़े हैं फौजी भारत देश के।।

बिना लड़े कुछ नहीं मिलता यहां यह जानकर

फिरंगी से सही भिड़े हैं फौजी भारत देश के।।

चीखती हैं रुकावटे ठोंकरों की मार से ही 

ये होंसले लिए बड़़़े हैं फौजी भारत देश के।।

गुमान है इनकी खून से लतपथ लाशों पर

मोरचे पर खूब अड़े हैं फौजी भारत देश के।।

रोहतक को मुक्त कराने के लिए मुगल बादशाह बहादुर शाह जपफर ने 24 मई 1857 को सेना की एक टुकड़ी के साथ तफजुल हुसैन को रोहतक भेजा। विद्रोही सेना का मुकाबला न कर पा रोहतक का डिप्टी कमिश्नीर जी.डी. लाक व दूसरे अफसर पानीपत की छावनी की तरफ भाग निकले। कचहरी और सरकारी दफतर जला डाले। बागियों ने महम और मदीने पर कब्जा कर लिया। एक दिन एक किसान और उसकी पत्नी अंग्रेजों के बारे में बात करते हैं। पति अंग्रेजों के हक में था मगर पत्नी खिलाफ थी। क्या बताया भलाः

रागनी-11

नहीं देता तनै दिखाई इननै सिर पै चढ़ावै क्यों।।

भारत देश आगे बढ़ाया अंग्रेजां ने बिसरावै क्यों।।

न्यारे-न्यारे रजवाड़े थे कई देश आड़े बस्या करते

एक नै लेते अपनी गोदी दूंजे उपर ये हंस्या करते

तीर निशाने आपस के मैं ये रजवाड़े कस्या करते 

बन्दर बांट मचा फिरंगी भारत नै ये डस्या करते

नीच फिरंगी मनै बता पिया तनै इतना भावै क्यों।।

अंग्रेजां ने सुण गोरी भारत राज्य एक बनाया सै

रेल और सड़को का इननै गहरा जाल बिछाया सै

बिदेशां नै मेहनत करी ना पाछै कदम हटाया सै

देख इनकी जीवन शैली मेरा तो सिर चकराया सै

कहै अंग्रेज नै फिरंगी इननै लुटेरे बतावै क्यों।।

भारत बणा कई देशां का भोतै बढ़िया काम करया 

रेल बिछाकै म्हारे देश मैं अपने देश का गोदाम भरया

कच्चा माल लेग्या लाद कै म्हारा मजदूर तमाम मरया

लगान के कानून बदले निशानै लजवाणा गाम धरया

भूरा निंघाइया लड़े पिया बता उननै तूं भुलावै क्यों।।

मनै के बेरा जो कुछ देख्या वोहे मनै बताया गोरी

इतनी गहरी बात कदे मै समझ नहीं पाया गोरी

इनका जमींदार सै सूरता उसनै मैं बहकाया गोरी

रणबीर बरोने आला कहै तनै मैं समझाया गोरी

सारे सोचा मिल बैठ कै फिरंगी लूट कै खावैं क्यों।।

तफजुल हुसैन अब वापिस लौटते समय सांपला और मांडौठी के सरकारी दफतरों को भी आग देते गए। अंग्रेज अफसरों ने लिखा है कि उच्य वर्ग के लोगों से छोंटों तक सबकी हमदर्दी बादशाह के सैनिकों और बागियों के साथ है। परन्तु ज्यों ही रोहतक जिले में अंग्रेजी सत्ता समाप्त हुई किसान लोग कबिलाई आधार पर आपस में लड़ने लग गये। इन्हीं हालात में कम्पनी सरकार ने जी.डी लाक डिप्टी कमिश्नर को भारतीय रैजीमेंट वेफ साथ रोहतक पर काबू पाने के लिए दोबरा रवाना कर दिया। खिड़वाली गांव के लोग आपस में इन बातों पर चर्चा करते हैं और गाम गुहांड में एकता बनाने की बात करते हैं। क्या बताया भलाः

रागनी-12

सारस बरगी जोट बणाकै, सब हों कट्ठे नर और नारी हो

खान फैक्टरी स्कूल मैं जाकै, साझा सघर्ष का बिगुल बजाकै

देश नै माना आजाद कराकै, यो फिरंगी घणा अत्याचारी हो।।

मजबूत यूनियन बणाकै, आपस के सब मतभेद भुलाकै

टी सी चमचा गिरी मिटाकै, बणै ढाल एकता न्यारी हो।।

न्यारे-न्यारे कड़ नै तड़वाकै, बैठे अपने घर नै जाकै

एक दूजे की चुगली खाकै, कुल्हाड़ी अपनंे पाहयां पर मारी हो।।

देखो उत्तर प्रदेश मैं जाकै, आंख खोल चारो तरफ लखाकै

हरियाणे तै चिट्ठी मंगवाकै, बूझो जो झूठी बात म्हारी हो।।

या जात पात की खाई हटाकै, सही गलत का अन्दाज लगाकै 

साझे हकां की लिस्ट बणाकै, करां आजादी की तैयाारी हो।।

इनके राज ना सूरज छिपता, इनके साहमी कोए ना टिकता

नहीं इनका यो भकाना दिखता, म्हारी सबकी खाल उतारी हो।।

ईस्ट इडिंया पै लुटवाकै, कई हजार करोड़ मुनाफा दिवाकै

म्हारे कान्ही फेर हाथ हिलाकै, कहते किस्मत माड़ी थारी हो।।

उल्टे सीधे म्हारे पै कानून लाकै, साथ जेल का डर दिखलाकै

फेर पुलिस पै गोली चलवाकै, फिरंगी करेगा हमला भारी हो।।

पूरी जनता साथ मिलाकै, हरतबके नै या बात समझाकै

ना रहै रणबीर कहै कसम उठाकै फेर फिरंगी भ्रष्टाचारी हो।।

17 अगस्त को बाबर खान के तहत 300 रांघड़ घुडसवारों और 1000 पैदल सैनिकों ने अंग्रेजी सेना पर  रोहतक पर धावा बोल दिया। लड़ाई बड़ी भीषण थी। परन्तु कुछ समय बाद अंग्रेजी सैनिक शक्ति की और अधिक कुमुक आ जाने के  बाद बागियों को रोहतक छोड़कर हांसी के पास बसी गांव मंे मोर्चा जमाना पड़ा। हडसन खरखोदा, सांपला, पानीपत, महम गोहाना आदि कस्बों का दबाने के  बाद इलाके को जींद के महाराजा और चैधारियों के हाथ सौंप कर चला गया। इस लड़ाई में खिडवाली के कई शहीद हुए थे। क्या बताया भलाः

रागनी-13

ठारा सौ सतावण में आजादी की पहली जंग लड़ी।।

खिडवाली की पलटन नै तोड़ी कई मजबूत कड़ी।।

माणस खिडवाली के भिड़गं अंग्रेजां के साहमी जाकै

दो फिरंगी तहसील मैं मारे मेम पड़ी तिवाला खाकै

भीतरला जमा भरया पड़या बाट देखैं थे एडडी ठाकै

पाछले जुल्मां का सारा हिसाब फेर धरा लिया आकै

फिरंगी से लड़णे की पूरी गुप्त योजना सही घड़ी।।

बही शेख और लालू वाल्मिकी जमकै लड़ी लड़ई थी

तिरखा बाल्मिकी मोहमा शेख हिम्मत खूब दिखाई थी

जुलफी मोची सुनार राम बक्स आजादी पानी चाही थी

बेमा बाल्मिकी इदुर मौची ने ज्यान की बाजी लााई थी

मुफी औला पठान लडया साथ मैं जनता खूब भिड़ी।।

मोहर नीलगर खिडवाली का ना मुड़कै कदे लखाया 

सायर बाल्मिकी लड़ाकू नै फिरंगी तै सबक सिखाया

सुनाकी बाल्मिकी साथ लड़या वो कदे नहीं घबराया 

बीर मरद जितने सबनै धुर ताहिं का साथ निभाया

फिरंगी राज के कफन मैं इस जंग नै कील जड़ी।।

खिडवाली ना रहया एकला साथ गामड़ी आया था

एक बै कब्जा रोहतक पै सबने मिलकै जमाया था

फिरंगी भाज लिया था नहीं कोए रास्ता पाया था

बहादुर शाह जफर को राजा सबने ही अपनाया था

रणबीर बरोने आला बतावै जंग की बात बड़ी।।

अलीपुरा और सोनीपत के बीच लिबास पुर कुंडली, मुरथल, बहाल गढ़, खानपुर, हमीद पुर सराय के वीरों ने बार-बार अंग्रेजी सेना और उनकी कानवाई पर हमले करने शुरू कर दिये। लिबास पुर के उदमीराम की युवको की टोली के कारनामें आज भी लोक गीतों में याद किये जाते हैं। इन छोटी-छोटी लड़ाइयों में इलाके के अनेक लोक शहीद हुए। अलीपुर गांव के 70-75 लोग शहीद हुए थे। लोगों को दो बातों का अहसास इस लड़ाई ने करवा दिया था। एक तो मजबूत संगठन की कमी और दूसरे मजबूत नीडर का अभाव। बागी देहात के हमलों का ही नतीजा था कि कम्पनी राज को अपनी पानीपत की छावनी करनाल ले जानी पड़ी थी। उदमीराम को यातनाएं दी गई उसे पेड़ पर लटका कर हाथों पैरों मंे कीले गाड़ दी गई। उदमीराम ने उस वक्त भारत वर्ष के लिए लोगों को संदेश दिया था। क्या बताया भलाः

रागनी-14

संगठन के आधार बिना म्हारा ऊट मटिल्ला हो ज्यागा।।

भाइचारे के प्र्रसार बिना म्हारा ऊट मटिल्ला हो ज्यागा।।

फिरंगी नै कर दिये चाले घरां कै लवा दिये ताले

आपस के रै प्यार बिना म्हारा ऊट मटिल्ला हो ज्यागा।।

बच्चे और बूढ़े होगें तंग बुरा महिलावां का यो ढंग 

समता के व्यवहार बिना म्हारा ऊट मटिल्ला हो ज्यागा।।

फिरंगी के राज मैं जुल्म बढ़े बहोत माणस फांसी पै चढ़ै

आजादी के उभार बिना म्हारा ऊट मटिल्ला हो ज्यागा।।

मानवता का खून करया सै, म्हारा कालजा भून गिरया सै

लीडर की पतवार बिना म्हारा ऊट मटिल्ला हो ज्यागा।।

फिरंगी कै घेरी देनी होगी, बिपता सबनै या खेणी होगी

रणबीर एतबार  बिना, म्हारा ऊट मटिल्ला हो ज्यागा।।

1857 की आजादी की पहली जंग हुई। चार महीने तक दिल्ली पर हमारा राज्य स्थापित हो गया। बहुत से कारणों से चलते अंग्रेजों ने फिर कब्जा कर लिया। इतना तसदुद किया कि रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यह जंग उस वक्त तक के सबसे महान आंदोलनों में एक थी। अंग्रेजों के पिठूओं को इनाम दिये गये तथा विद्रोहियों पर कहर ढाया गया। उसी दौर में एक मुहावरा चला साहब की अगाड़ी और घोड़े की पिछाड़ी नहीं होनी चाहिये। मगर एक बात साप हो गई कि अंग्रेजों का भारत से जाना शत प्रतिशत तय हो गया था जो कि सौ साल बाद हुआ। देश के शहीदो को दुनिया की कोई ताकत नहीं मार सकती। क्या बताया भलाः

रागनी-15

समाज की खातर मरने वाले आज तलक तो मरे नहीं।।

कुरबान देश पर होने वाले कदे किसी से डरे नहीं।।

अजीजन की हंसी हवा में आज भी न्योंए गूंज रही

चारों धाम यो मच्या तहलका हो दुनिया मैं बूझ रही

बैरी को नहीं सूझ रही पिछले गढे इबै भरे नहीं।।

फौजियां मैं जगा बनाई सी आई डी बढ़िया ढाल करी 

उन बख्तां मैं अजीजन नै पेश कुरबानी की मिशाल धरी

जवानी मैं हुंकार भरी कदे होंसले म्हारे गिरे नहीं

मेरठ आम्बाला और मेवात एक बर ली अंगड़ाई थी

मिलकै लड़ी लड़ाई थी न्यारे रहे लाल पीले हरे नहीं।।

बेशक पहली जंग हारे अंगेे्रज का जाना लाजमी होग्या

ठारा सौ सतावण बीज देश मैं म्हारी आजादी के बोग्या

अंगेेे्रज का सूरज डबोग्या बेशक हम भी पार तिरे नहीं।।

सतावण नै राह दिखाई हजारा मंगल पांडे आगै आये

सौ साल पाछै बलिदान सैंतालिस मैं हटकै रंग ल्याये 

रणबीर सिंह नै छन्द बनाये कलम दवात जरे नहीं।।


अंग्रेजां के बंगले देख कै कोए भी घणा दंग रैहज्या।।

राजा नवाब पाछै छोड्डे बाकी ना कोए उमंग रैहज्या।।

कई कई नौकर बंगले के मैं हुकम बजाया करते 

घंटों चुप खड़े रहते जमीन कानही लखाया करते 

बदेषी फूल बाग मैं वे हांगा लवाकै उगवाया करते

मेम साहिबा की करैं चाकरी खूबे डांट खाया करते

व्यवहार इसा उनका कैसे षान्ति होए बिना भंग रैहज्या।।

हुकम चलाना डांट मारना  आदत मैं षुमार देख्या

सजा सुनादें माणस मरादें रोज का त्यौहार देख्या

तीन देषीज पै एक गोरा फौज का इसा व्यौहार देख्या

तीन तैं छह पै एक करया अंग्रेजां का यो विचार देख्या

इस संघ्या मैं बीज क्रान्ति के 


वैज्ञानिक दृष्टिकोण के संदर्भ में कुछ रागनियां

 वैज्ञानिक दृष्टिकोण के संदर्भ में कुछ रागनियां

रागनी 1

Dr Dabholkar 

डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर थारी क़ुरबानी रंग ल्यावैगी।।

स्वतंत्र हिन्दुस्तान मैं या जरूर नया इतिहास रचावैगी।।

अग्रगामी चेतना की हत्या करकै हत्यारे बच ना पावैंगे

हर जागां डॉक्टर नरेंद्र पावैं जिस मोड़ पै ये लखावैंगे

अंध श्रद्धा उन्मूलन खातिर कतार इब बढ़ती जावैगी।।

आहात सां सन्तप्त सां सुण्या जब थारे कत्ल बारे डॉक्टर

गुस्सा हमनै घणा आरया सै हिम्मत कोण्या हारे डॉक्टर

तेरी क़ुरबानी यकीन मेरै घर घर मैं मशाल जलावैगी।।

लेखक संस्कृतकर्मी वैज्ञानिक कट्ठे हुए सैं कलाकार 

पूरे हिन्दुस्तान के नर नारी हम देवां मिलकै ललकार

रूढ़िवाद की ईंट तैं ईंट देश मैं इब तावली बज पावैगी।।

हमनै बेरा उन ताकतों का जिणनै कत्ल करया थारा रै

होंश ठिकाणै सैं म्हारे जबकि खून खोल गया म्हारा रै

रणबीर सिंह नै कलम ठाई पूरी दुनिया नै जगावैगी ।।

रागनी 2

क्या क्यों और कैसे बिना

क्या क्यों और कैसे बिना मिलै दुनिया का सार नहीं।।

ज्ञान विज्ञान के प्रकाश बिना होवै दूर अन्धकार नहीं।।

नीले आसमान मैं क्यों ये चकमक करते तारे भाई

क्यों इन्द्रधनुष के म्हां ये रंग बिरंगे प्यारे भाई

मोर के पंख न्यारे भाई क्यों लाया कदे विचार नहीं।।

तोता कोयल फर फर करकै क्यूकर गगन मैं उडज्यां

क्यों ना बिल्ली के तन पै भी पंख मोर के उगज्यां

क्यों मकड़ी जाला बुणज्यां म्हारी समझ तैं बाहर नहीं।।

क्यों जुगनू की कड़ के उपर जलती हुई मशाल भाई

क्यों गैंडे अर हाथी की पीठ सै उनकी ढाल भाई

विज्ञान के ये कमाल भाई झूठा इसका प्रचार नहीं।।

क्यों फूल गुडहल का हो सुर्ख एक दम लाल कहैं

क्यों झिलमिल करता ये मकड़ी का जाल कहैं

विज्ञान ठावै सवाल कहैं या माया अपरम पार नहीं।।

आम नीम अर इमली क्यों हमनै खड़े दिखाई दें

क्यों समुन्द्र मैं ऊंची नीची उठती लहर दिखाई दें

मछली क्यों रंगीन दिखाई दें जानै सै नम्बरदार नहीं।।

जुबां पै लाग्या ताला यो हमनैं पड़ै तोड़ना सुनियो

सवालां का यो पिटारा तो हमनै पड़ै खोलना सुनियो

हमनै पड़ै बोलना सुनियो क्यों बिना म्हारा उद्धार नहीं।।

रागनी 3

गलत विज्ञान

मानवता का विनाश करै जो इसा शैतान चाहिये ना।

संसार नै गलत दिशा देवै इसा विज्ञान चाहिये ना।।

1

विज्ञान पै पाड़या बेरा अणु मैं ताकत बहोतै भारी सै

अणु भट्टी तै बणै बिजली जगमगावै दुनिया सारी सै

अणु बम तो विनासकारी सै इसा शैतान चाहिये ना।।

2

मानवता नै बड़ी जरूरत सै आज अन्न और वस्त्रां की

जंग की जरूरत जमा नहीं ना जरूरत अणु शस्त्रां की

जो पैरवी करै अस्त्रां की इसा भगवान चाहिये ना।।

3

कड़ै जरूरत सै उनकी कारखाने जो हथियार बणावैं

बणे पाछै चलैं जरूरी ये दुनिया मैं हाहाकार मचावैं

विज्ञान कै तोहमद लावैं इसा घमासान चाहिये ना।।

4

हिरोशिमा की याद आवै शरीर थर-थर कांपण लाग्गै

विज्ञान का गलत प्रयोग मानवता सारी हांफण लाग्गै

दुनिया टाडण लाग्गै रणबीर इसा कल्याण चाहिये ना।।

रागनी 4

विवेक

सूरज साहमी कोहरा टिकै ना अज्ञान विवेकमयी वाणी कै।

अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।

1

ढोंग अर अन्ध विश्वास पै टिक्या चिन्तन फेर बचै कोण्या

यज्ञ हवन वेद शास्त्र फेर पत्थर पूजा प्रपंच रचै कोण्या

पुरोहित की मिथ्या बात का दुनिया मैं घमशान मचै कोण्या

मन्द बुद्धि लालची माणस कै विवेकमय दया पचै कोण्या

शिक्षित अनपढ़ धनी निर्धन बीच मैं आवैं फेर कहाणी कै।।

अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।

2

आत्मा परमात्मा सब गौण होज्यां सामाजिक दृष्टि छाज्या फेर

समानता एक आधार बणै औरत सम्मान पूरा पाज्या फेर

मानवता पूरी निखर कै आवै दुनिया कै जीसा आज्या फेर

कार्य काररणता नै समझकै माणस कैसे गच्चा खाज्या फेर

माणस माणस का दुख समझै ना गुलाम बणै राजराणी कै।।

अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।

3

संवेदनशील समाज होवै ईश्वर केंद्र मैं रहवै नहीं

मानव केन्द्रित संस्कृति हो पराधीनता कोए सहवै नहीं

स्वतंत्रता बढ़ै व्यक्ति की परजीवी कोण कहवै नहीं

खत्म हां युद्ध के हथियार माणस आपस मैं फहवै नहीं

विवेक न्याय करूणा समानता खरोंच मारैं सोच पुराणा कै।।

अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।

4

अदृश्य सत्ता का बोझ आड़ै फेर कति ना टोहया पावै

सोच बिचार के तरीके बदलैं जन चेतना बढ़ती जावै

मनुष्य खुद का सृष्टा बणै कुदरत गैल मेल बिठावै

कर्म बिना बेकार आदमी जो परजीवी का जीवन बितावै

रणबीर बरोने आला नहीं लावै हाथ चीज बिराणी कै।।

अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।


रागनी 5


ब्रह्माण्ड महारा

इस ब्रह्माण्ड का बेरा ना सोच-सोच घबराउं मैं।

धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।

1

वैज्ञानिक दृष्टि का पदार्थ नै आधार बताते

नाश हो सकता बदलै ना आकार सुणाते

निर्जिव तै जीव की उत्पत्ति डारविन जी सिखाते

कुदरत के अपने नियम जो दुनिया को चलाते

हमेश रहै बदलता क्यूकर या समझाउं मैं।।

धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।

2

जिज्ञासा और खोज तै उपजै उसनै ग्यान कहैं

क्रम बद्ध ग्यान नै फेर दुनिया मैं विग्यान कहैं

जिज्ञासा नै मारै सै जो उसको सारे अग्यान कहैं

गुण दोष पै जांचै परखै वैज्ञानिक इन्सान कहैं

पूर्वाग्रह तै टकराकै बणै नयी सोच दिखाउं मैं।।

धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।

3

मत विश्वास करो क्योंकि मां बाप नै बताया सै

शिक्षक नै कैहदी ज्यांतै आंख मूंद अपणाया सै

परीक्षण विश्लेषण पै जो सर्वहित कारी पाया सै

प्रयोग तै करैं दोबारा वो सिद्धांत आगै आया सै

भाग्यवाद पै कान धरै ना उसके धोरै जाउं मैं।।

धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।

4

वैज्ञानिक दृष्टि गुरू अपना चेला बताया होज्या

तीव्र ग्राही मन होवै जो कदे ना पड़कै सोज्या

सत्य का खोजी माणस बीज नई खोज के बोज्या

प्रमाण पै टिक्या विवेक सारे अन्धविश्वास नै खोज्या

रणबीर जोर लगाकै बात खोज कै ल्याउं मैं।।

धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।

रागनी 6

वैज्ञानिक नजर

वैज्ञानिक नजर के दम पै जिन्दगी नै समार लिये।

जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।

1

सादा रैहणा उचे विचार साथ मैं पौष्टिक खाणा यो

मानवता की धूम मैच चाहिये इसा संसार बसाणा यो

सुरग की आड़ै नरक की आड़ै ना कितै और ठिकाणा यो

पड़ौसी की सदा मदद करां दुख सुख मैं हाथ बंटाणा यो

धरती सूरज चौगरदें घूमै ब्रूनो नै सही प्रचार किये।।

जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।

2

साच बोलणा चाहिये पड़ै चाहे थोड़ा दुख बी ठाणा रै

नियम जाण कुदरत के इसतै चाहिये मेल बिठाणा रै

हाथ और दिमाग तै कामल्यां चाहिये दिल समझाणा रै

गुण दोष तै परखां सबनै अपणा हो चाहे बिराणा रै

जांच परख की कसौटी पै चढ़ा सभी संस्कार लिये।।

जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।

3

इन्सान मैं ताकत भारी सै नहीं चाहिये मोल घटाणा

सच्चाई का साथ निभावां पैड़े चाहे दुख बी ठाणा

लालची का ना साथ देवां सबनै चाहिये धमकाणा

मारकाट की जिन्दगी तै ईब चाहिये पिंड छटवाणा

पदार्थ तै बनी दुनिया इसनै चीजां को आकार दिये।।

जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।

4

दुनिया बहोतै बढ़िया इसनै चाहते सुन्दर और बणाणा

जंग नहीं होवै दुनिया मैं चाहिये इसा कदम उठाणा

ढाल-ढाल के फूल खिलैं चाहिये इनको आज बचाणा

न्यारे भेष और बोली दुनिया मैं न्यारा नाच और गाणा

शक के घेरे मैं साइंस नै रणबीर सिंह सब डार दिये।।

जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।

रागनी 7

ज्ञान विज्ञान का पैगाम

सुखी जीवन हो म्यारा ज्ञान विज्ञान का पैगाम सुणो।

हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।

1

सारे पढ़े लिखे होज्यां नहीं अनपढ़ टोहया पावै फेर

खाण पीण की मौज होज्या ना भूख का भूत सतावै फेर

बीर मरद का हक बरोबर हो इसा रिवाज आवै फेर

यो टोटा गरीब की चौखट पै भूल कै बी ना जावै फेर

सोच समझ कै चालांगे तो मुश्किल ना सै काम सुणो।।

हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।

2

मिलकै नै सब करां मुकाबला हारी और बीमारी का

बरोबर के हक होज्यां तै ना मान घटै फेर नारी का

भाईचारा फेर बढ़ैगा नहीं डर रहै चोरी जारी का

सुख कै सांस मैं साझा होगा इस जनता सारी का

भ्रष्टाचार की पूरी तरियां कसी जावै लगाम सुणो।।

हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।

3

आदर्श पंचायत बणावां हरियाणा मैं न्यारी फेर

दांतां बिचालै आंगली देकै देखै दुनिया सारी फेर

गाम स्तर पै बणी योजना लागू होज्या म्हारी फेर

गाम साझली धन दौलत सबनै होज्या प्यारी फेर

सुख का सांस इसा आवैगा नां बाजै फेर जाम सुणो।।

हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।

4

कोए अनहोनी बात नहीं ये सारी बात सैं होवण की

बैठे होल्यां लोग लुगाई घड़ी नहीं सै सोवण की

इब लड़ां ना आपस मैं या ताकत ना खोवण की

बीज संघर्ष का बोवां समों सही सै बोवण की

कहै रणबीर गूंजैगा चारों कूठ यो नाम सुणो।।

हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।

रागनी 8

विज्ञान ज्ञान के दम पै

विज्ञान ज्ञान के दम पै देखो उड़ते जहाज गगन मैं।ं

टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।

1

कदे कदे वा चेचक माता खूब सताया करती

रोज रोज फिरैं धोक मारते दुनिया सारी डरती

फेर भी काणे भोत हुए थे कोए भरतू कोए सरती

विज्ञानी जब गैल पड़े देखी शीतला मरती

सूआ इसा त्यार करया वा माता धरी कफन मैं।।

टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।

2

कुता काटज्या इलाज नहीं था हड़खा कै मरज्यावैं थे

रोग कोढ़ का बिना दवाई फल कर्मां का बतावैं थे

खून का रिश्ता था जिनतैं भाई वें भी दूर बिठावैं थे

टी बी आली बुरी बीमारी गल गल ज्याण खपावैं थे

आज इलाज सबका करदें ना रती झूठ कथन मैं।।

टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।

3

अग्नि के म्हां धुम्मा कोन्या बिजली चानणा ल्यावै सै

टी वी पै तसवीर बोलती देख अचम्भा आवै सै

समंदर के म्हां भर्या खजाना बंदा लुत्फ उठावै सै

राकेट के म्हां बैठ मनुष्य भाई चन्द्रमा पै जावै सै

एक्सरे तैं जाण पाटज्या के सै रोग बदन मैं।।

टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।

4

एक जीव का अंग काट कै दूजे कै इब फिट करदें

मिसाइल छोड्डैं बटन दाबकै हजार कोस पै हिट करदें

सौ सौ मंजिली बणी इमारत अपनी छाप अमिट करदें

कम्प्यूटर जबान पकड़ कै देसी तैं गिटपिट करदें

सुख सुविधा हजार तरहां की साईंस लगी जतन मैं।।

टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।

5

नई नस्ल के पशू बणा लिए नई किस्म की फसल उगाई

नये नये औजार बणा कै पैदावार कई गुणा बढ़ाई

फेर बी भूखे रहैं करोड़ों बिन कपड़े बिन छत के भाई

हबीब भारती कारण को ढूंढ़ो आपस में क्यूं करैं लड़ाई

साइंस कै मत दोष मढ़ो ना इसका हाथ पतन मैं।।

टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।

रागनी 9

विज्ञान की अच्छाई भूल

विज्ञान की अच्छाई भूल कै इसनै बैरी बतावण लागे।।

माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।

1

कलयुग पापी बता बता कवियांे नै शोर मचाया

कल का नाम कहैं पुरजा युग माने बख्त बताया

बढ़ी चेतना इन्सानां की जब जरुरत पै आया

इस कुदरत तैं खोज खोज पुरजे का खेल रचाया

आप बनाया आप चलाया अपने आप उडावण लागे।।

माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।

2

कुदरत के सब जीवों मैं इन्सान पवित्र पाया

जीवन की वस्तु सारी खुद आप खोज कै ल्याया

ऐसे यन्त्र तैयार बणा लिए अजब कमाल दिखाया

करकै खोज पृथ्वी की आसमान ढूंढ़ना चाहया

बणा बणा कै पुरजे पै सारा काम करावण लागे।।

माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।

3

कलयुग इतना छाज्या इसका कोए अन्त ना पाया

फेर मुनाफे नै इस कलयुग पै अपना जोर जमाया

सब कुछ कर लिया कब्जे मैं ऐसा महाघोर मचाया

इस पापी की करनी नै दुख मैं यो संसार फंसाया

विज्ञान तैं बम बणा बणा कै नरक बणावण लागे।।

माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।

4

हरिचन्द कहै कलयुग जैसी ओर समों ना आणी

सब प्रजा ने समझाद्यां चाहे याणी हो चाहे स्याणी

साइंस असली राही चालै हमनै होगी अलख जगाणी

फेर ना रहै कोए भूखा नहीं सै या झूठी बाणी

न्यों पाप खत्म होज्यागा हम साच बतावण लागे।।

माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।

रागनी 10

ब्रूनो

 *ब्रूनो नै चर्च में पढ़कै कहते पादरी बनना चाहया था।।*

*कॉपरनिकस की किताब पढ़कै उसनै पल्टा खाया था।।*

1

सवाल उठाकै वो क्यों  धरती सूरज पै बहस चाहवै

आगै अध्ययन करकै नै क्यों नहीं पता लगाया जावै

ज्यों ज्यों अध्ययन करै सूरज चौगरदें धरती  घुमती  पावै

चर्च की ताकत और गुस्सा पूरी ढ़ालां समझ मैं आवै

*ब्रूनो नै इसे कारण तैं इटली छोडण का मन बनाया था।।*

2

कुछ विद्वान सहमत होगे फेर साथ कदम नहीं धरया

दिन दूनी रात चौगुनी प्रचार करता ब्रूनो नहीं डरया

आम जनता का दिल उसनै यो पूरी तरियां दखे हरया

प्रयाग पैरिस इंग्लैंड जर्मनी मैं उसनै  था प्रचार करया

*चर्च की दाब नहीं मानी हारकै चर्च नै भगोड़ा बताया था।।*

3

ज्यों ज्यों प्रचार करया चर्च का गुस्सा बढ़ावै था

ब्रूनो भी बढ़ता गया आगै ना पाछै कदम हटावै था

चर्च की छलां तैं बताओ कितने दिन बच पावै था

वैचारिक समझौता ना करूंगा यो सन्देश पहूंचावै था

*चर्च नै पकड़ण की खातर फेर कसूता जाल बिछाया था।।*

4

चर्च मानस तैयार किया वो ब्रूनो धोरै पढ़ना चाहवै सै

फीस तय करदी उसकी फेर एक पते कै ऊपर बुलावै सै

ब्रूनो भी शिष्य एक बनैगा मेरा सोच कै नै सुख पावै सै

चर्च की चाल सोची समझी समझ उसकी ना आवै सै

*गिरफ्तार कर लिया चर्च नै बहोत घणा गया सताया था ।।*

5

अमानवीय यातना दी चर्च नै ब्रूनो अपने मत नै छोड़ दे

पहले आली सोच कांहीं अपनी सोच नै ब्रूनो मोड़ दे

छह साल ताहिं मंड्या रहया चर्च ब्रूनो की कड़ तोड़ दे

लोहे के सन्दूक मैं राख्या ताकि मौसम यो शरीर निचौड़ दे

*यो अत्याचार चर्च का ब्रूनो का मनोबल गिरा ना पाया था ।।*

6

न्यायालय का ड्रामा रच कै घनी भूंडी सजा सुनवाई

इसी सजा दयो इसनै एक बी खून की बूंद ना दे दिखाई

ब्रूनो उलट कै बोल्या था सरकार घणी डरी औड़ पाई

रोम के चौंक मैं ब्रूनो खम्भे कै ल्याकै बांध्या था भाई

*रणबीर कपड़ा ठूंसकै मूंह मैं ब्रूनो जिंदा उड़ै जलाया था ।।*

रागनी 11

जलवायु प्रदूषण

कार्बन साइकल नै समझां जै दुनिया बचाणी रै।।

धरती संकट बढ़ता आवै होज्या कुनबा घाणी रै।।

1

पौधे करैं ऑक्सीजन पैदा ये सूरज के प्रकाश मैं

कार्बन डाइऑक्साइड सौखैं ये भोजन की आस मैं

संघर्ष और निर्माण का इतिहास बनाया प्राणी रै।।

2

इस ब्रह्मांड को समझैँ इसमैं हम सां कड़े खड़े

कुदरत के नियम जाणे म्हारे कदम भी सही पड़े

इसका जब मजाक उड़ाया पड़ी मूंह की खाणी रै।।

3

आस पास और दुनिया मैं कैसे यह संसार चलै

कुदरत और जनता को कैसे यो धनवान छलै

इस धनवान लुटेरे की कोन्या चाल पिछाणी रै।।

4

चल चल पूंजी खावैगी या म्हारे पूरे ही समाज नै

धरती का संकट बढ़ाया सै इसके तेज मिजाज नै

विकास टिकाऊ बचा सकता म्हारी सबकी हाणी रै।।

रागनी 12

एक आह्वान रागनी 

हम कदम मिलजुलके मंजिल की तरफ बढ़ाएंगे ॥ 

हमारी बहुविविधता को दे हर क़ुरबानी बचाएंगे ॥ 

गुणवत्ता वाली पढ़ाई वास्ते  जनता लाम बन्द करेंगे 

सबको सस्ता इलाज मिले ऐसा मिलके प्रबंध करेंगे

निर्माण के उदाहरण हम करके सबको दिखाएंगे ॥ 

अन्ध विश्वास के खिलाफ लंबा चलाएं एक अभियान 

सबका मिलके होगा प्रयास बने संवेदनशील इंसान 

प्रति गामी विचार को  वैज्ञानिक आधार से  हराएंगे ॥ 

मिल करके करेंगे विरोध  सभी दलित अत्याचार का 

महिला समता समाज में हो मुद्दा बनायेंगे प्रचार का 

रोजगार मिले सबको ये हम सब अभियान चलाएंगे ॥ 

सद्भावना बढे समाज में नफरत का विरोध करेंगे 

पूरे समाज का विकास हो इस पे पूरा शोध करेंगे 

बढ़े हुए कदम हमारे रणबीर आगे बढ़ते ही जायेंगे ॥

रागनी 13

 

म्हारी खोज म्हारी सभ्यता

घड़ी बंधी जो हाथ पै इटली मैं हुई खोज बताई।।

भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।

1

खुर्दबीन की खोज कदे नीदरलैंड मैं हुई बताई सै

बैरोमीटर तै टारिसैली नै मौसमी खबर सुणाई सै

गुबारा सतरा सौ तिरासी मैं यो हमनै दिया दिखाई सै

टेलीग्राफ की खोज नै फेर फ्रांस की श्यान बढ़ाई सै

गैस लाइट के आणे तै जग मैं हुर्इ घणी रूसनाई।।

भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।

2

इटली के पी टैरी नै टाइप राइटर फेर बणाया रै

हम्फ्री डेवी नै लैंप सेफटी बणा माडल दिखलाया रै

माचिस की खोज नै ठारा सौ छब्बीस याद कराया रै

साइकिल के बणाणे आला मैकलिन नाम बताया रै

ठारा सौ तितालिस सन मैं फैक्स मशीन बणाई।।

भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।

3

ज्ञान विज्ञान आगै बढ़ग्या करे नये-नये आविष्कार

अमरीका नै लिफट खोजी मंजिलां की फेर लागी लार

ठारा सौ बावण मैं वायुयान नै फ्रांस मैं भरी उडार

टेलबेट नै फोटो खींचण की विधि कर दी तैयार

वैज्ञानिक सोच के दम पै नई-नई तरकीब सिखाई।।

भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।

4

थामसन नै वैलिडंग मशीन अमरीका मैं त्यार किया

एडीसन नै बलब बिजली जगमगा पूरा संसार दिया

मोटर साइकिल डैमलर नै सड़कां पै फेर उतार दिया

उन्नीस सौ बावण मैं हाइड्रोजन बम बी सिंगार लिया

रणबीर आगे की फेर कदे बैठ करैगा कविताई।।

भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।

रागनी 14


हिरोशिमा नागाशाकी

लिटिल बॉय और फैटमेंन परमाणु बम्ब गिराये रै।।

हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं

धकाये रै।। 

1

हिरोशिमा मैं छह अगस्त को अमरीका नै बम्ब गिराया

नौ अगस्त नै नागाशाकी पै दूजा फैटमैन बम्ब भड़काया

जापान देख हैरान रैहग्या अमरीका नै रोब जमाया

जमा उजाड़ दिए शहर दोनूं लाशां के ढेर लगाये रै।।

हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं

धकाये रै।। 

2

लाखों निर्दोष लोगों की इसमैं हुई मौत बताई देखो

दूसरे विश्व युद्ध मैं अमरीका नै फतूर मचाई देखो 

आत्म समर्पण जापान का फेर भी हेकड़ी दिखाई देखो

बिना बात बम्ब गिरा दिया अमरीका घना कसाई देखो

दो बम्ब गेर दादा गिरी का सारे कै सन्देश

पहोंचाये रै।।

हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं

धकाये रै।। 

3

औरत मर्द बच्चे इसके हजारों लाखों शिकार हुये

सालों साल बालकों कै जामनू कई विकार हुये

दौड़ रूकी ना हथियारों की सौला हजरत तैं पार हुये

एक हजार तैं फालतू अड्डे अमरीका के तैयार हुये

जीव मरैं निर्जीव बचैं इसे बम्ब आज बनाये रै।।

हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं

धकाये रै।। 

4

हिरोशिमा नागाशाकी तैं कोये सबक लिया कोण्या

हथियारों की होड़ बढ़ाई शांति सन्देश दिया कोण्या

हथियार मुक्त दुनिया का आधार तैयार किया कोण्या

ईनके डर पै अमरीका नै खून किसका

पीया कोण्या

रणबीर नागाशाकी दिवस पै ये चार छन्द बनाये रै।।

हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं

धकाये रै।।

रागनी 15


मानस का धर्म 

धर्म के सै माणस का मनै कोए बतादयो नै।।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।

1

माणस तैं मत प्यार करो कौणसा धर्म सिखावै

सरे आम बलात्कार करो कौणसा धर्म सिखावै

रोजाना नर संहार करो कौणसा धर्म सिखावै

तम दारू का व्यापार करो कौणसा धर्म सिखावै

धर्म क्यों खून के प्यासे मनै कोए समझादयो नै।।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।

2

ईसा राम और अलाह जिब एक बताये सारे रै

इनके चाह्वण आले बन्दे क्यूँ खार कसूती खारे रै

क्यों एक दूजे नै मारण नै एकेजी हाथां ठारे रै

अमीर देश हथियार बेच कै खूबै मौज उड़ारे रै

बैर करो मारो काटो लिखै वो ग्रन्थ भुलादयो नै।।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।

3

मानवता का तत कहैं सब धर्मां की जड़ में सै

कुदरत का प्रेम सारा सब धर्मां की लड़ मैं सै

कदे कदीमी प्रेम का रिश्ता माणस की धड़ मैं सै

कट्टरवाद नै घेर लिए यो हर धरम जकड़ मैं सै

लोगां तैं अरदास मेरी क्युकरै इनै छटवादयो नै।।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै ।।

4

यो जहर तत्ववाद का सब धर्मों मैं फैला दिया 

कट्टरवाद घोल प्याली मैं सब ताहिं पिला दिया

स्कीम बणा दंगे करे इंसान मासूम जला दिया

बड़ मानवता का आज सब धर्मों नै हिला दिया 

रणबीर सिंह रोवै खड़या इनै चुप करवादयो नै ।।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए समझादयो नै ।।

2001 की रचना

रागनी 16


#अपनीरागनी 

सोलां सोमवार के ब्रत राखे मिल्या नहीं सही भरतार 

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घना सै करतार

1

बालकपन तैं चाहया करती मन चाहया भरतार मिलै

बराबर की इंसान समझै ठीक ठयाक सा घरबार मिलै

उठते बैठते सोच्या करती बढ़िया सा मनै परिवार मिलै

मेरे मन की बात समझले नहीं घणा वो थानेदार मिलै

इसकी खात्तर मन्नत मानी चढ़ावे चढ़ाए मनै बेसुमार

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

मेरी सहेली नै ब्याह ताहिं एक खास भेद बताया था 

सोलां सोमवार के ब्रत करिये मेरे को समझाया था

बोली मनचाहया वर मिलै जिसनै यो प्रण पुगाया था

मनै पूरे नेग जोग करे एक बी सोमवार ना उकाया था

बाट देखै बढ़िया बटेऊ की यो म्हारा पूरा ए परिवार 

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

3

कई जोड़ी जूती टूटगी फेर जाकै नै यो करतार पाया

पहलम तै बोले बहु चाहिए ना चाहिए सै धन माया

ब्याह पाछै घणे तान्ने मारे छोरा बिना कार के खंदाया

सपने सारे टूटगे मेरे बेबे सोमवार ब्रत काम ना आया

पशु बरगा बरतावा सै ना करै माणस बरगा व्यवहार

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

4

ये तो पाखण्ड सारे पाये ना भरोसा रहया भगवान मैं

उसकी ठीक गलत सारी पुगायी ना दया उस इंसान मैं 

फेर न्यों बोले पाछले मैं कमी रही भक्ति तनै पुगाण मैं

आंधा बहरा राम जी भी नहीं आया पिटती छुड़ाण मैं

कहै रणबीर बरोने आला आज पाखंडाँ की भरमार 

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

किस्सा साथी जसबीर सिंह

 किस्सा साथी शहीद जसबीर सिंह 

साथियों

 साथी जसवीर एक होनहार छात्र था। उसने हमेशा छात्रों के लिए अपनी आवाज बुलंद की । सब को शिक्षा, सबको काम व पढ़ाई और संघर्ष जैसे छात्रों के असली हकों का हमेशा अगवा रहा। इसी संघर्ष के दौरान जसवीर ने एक छात्र होते हुए भी जाना कि किस प्रकार छात्रों के हकों की लड़ाई, नौजवानों, किसानों , कर्मचारियों , महिलाओं व समाज के दबे पिछड़े लोगों के  हकों की लड़ाई के साथ जुड़ी हुई है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में  स्वस्थ शैक्षणिक माहौल के लिए प्राध्यापकों  छात्रों व कर्मचारियों के संयुक्त संघर्ष के दौरान उन ताकतों द्वारा साथी का कत्ल कर दिया जाता है जो इस समाज को, छात्रों को, नौजवानों को गुमराह करके तबाह करने पर उतारू हैं। उसकी मां को खबर मिलती है। वह उसी वक्त कुरुक्षेत्र पहुंच जाती है। वहां जसवीर की लाश को देखकर उसे गश आ जाती है। जब उसे होश आता है तो क्या कहती है वह:- 

रागनी  1

सुन्न होग्या गात सुनकै जब खबर मौत की आई।। 

भोली सूरत या तेरी बेटा मेरी आख्या के मां छाई।।

कौन सै बैरी खिले फूल का ना मेरी समझ मैं आया 

सही बात की लड़ी लड़ाई के उसे बैरी का ठाया 

इक्कीस की उम्र हुई थी मौत नै  वो आन दबाया 

सारे राह मैं  रही सोचती मैं कुछ भी ना भाया 

इब्बे कुछ ना खेल्या खाया उनै ज्याण की बाजी लाई ।।

पोस्टमार्टम की खातिर मेज पै लाश पड़ी थी 

मैं सोचूं थी धोरै खड़ी वा कौन सी नाश घड़ी थी

बाहर बहुत घनी जनता गुमसुम उदास खड़ी थी 

देख्या गौर करकै चेहरा उसपै एक आश जड़ी थी 

बात चेहरै खास अड़ी थी मां मनै ना पीठ दिखाई ।।

लड़ाई लड़ी बढी फीस की किताब का खर्चा देख्या 

फाइलाँ का बोझ  कड़ तोडू कर्मचारी भी लड़ता देख्या 

टोटे के मां मानस का सारा चमन उजड़ता देख्या 

कर्मचारी छात्रों का एक्का जोर पकड़ता देख्या  

वीसी घणा अकड़ता देख्या ना उसकै हुई समाई ।।

बेटे का लहू पुकारे सै नरहरि हॉस्टल के लान मैं 

कर्मचारी छात्र भाई भाई या गूंजी सारे आसमान में 

टक्कर झूठ और सच्चाई की कुरुक्षेत्र के मैदान में 

दुर्योधन नारे छंटगे उड़े  पांडू भी आए पहचान मैं 

हो पैदा पेलपा गाम मैं नहीं मेरी कोख लजाई ।।

वार्ता::

एक जसबीर की मां और जसबीर बैठे बातें कर रहे हैं । आज के दौर पर काफी बातचीत करते हैं । सारी बात सुनकर 

जसबीर की मां एक बात के माध्यम से क्या कहती है। कहना मां का - 

रागनी  2

मित्र बण कै वार करैं आज के धोल कपड़िये बेटा।।

बेटा इन आली राही तूं मतना कदे पकड़िये बेटा।।

 बिना हेरा फेरी चोरी जारी ये जमा नहीं जी पावैं रे 

 मिलावट कर सब क्याहें मैं मुनाफा खूब कमावैं रे

 बिना बात की बातां पै ये बणज्यां सैं अकड़िये बेटा।।

बिन मेहनत कमा मुनाफा पीस्से नै पीस्सा खींचै सै 

काले धन पर ऐश करै सच्चाई तैं आंख मींचै सै 

अरदास म्हारी सै इनके धोरे कै ना लिकड़िये बेटा।।

 काला धन कई तरियां के घर मैं ऐब ल्यावै फेर

 दारू की लत पड़ज्या पराई बीर पै लखावै फेर

 यो काला धन माणस नै घणा कसूता जकड़िये बेटा।।

काली नैतिकता आज या धोली पै छाती आवै सै

सच्चाई कै गोला लाठी देकै रोजाना धमकावै सै

रणबीर काले की दाब मैं जमा नहीं सिकुड़िये बेटा।।


वार्ता

जसबीर की बहन कमला का सोचना जसबीर के साथ हुई बातचीत के बारे में - 

रागनी   3

कमला बेबे बूझे सै बीरा कुछ हमनै भी समझावै नै।।

जसबीर के करै भाई रे तों हमनै भी बतलावै नै।।

न्यों बोल्या सुनले बेबे मुनाफे ऊपर तुलै इमान हे 

विधान मुनाफा ईमान मुनाफा इसतैं बनै बलवान हे

म्हारी कमाई लूट कै बेबे वो बनरया सै धनवान हे

बैठ लुटेरा महलों बीच मैं वो बघारे अपनी स्यान हे

उसके साथ क्यों भगवान हे  या शंका मनै मिटवावै नै।।

म्हारे देश मैं बेबे मेरी धन दौलत ऊपर रोक नहीं 

बने कानून गरीबों की खातर अमीरों पै टोक नहीं

खून पी लिया मेहनतकश का इनतैं बड्डी जोंक नहीं

ये करते बदमाशी जमकै डटे गात  की झोंक नहीं

क्यों लागै इनकै ठोक नहीं गुत्थी या सुलझावै नै।।

मैं बोली किसकी बात करै ना मेरी समझ मैं आरी

किसा मुनाफा कोण कमावै या खोल सुनादे सारी

धन माया किस्मत करकै कितै धन कितै बुहारी 

और किसे का जिकरा ना बात करूं सूं म्हारी

क्यों काढ़ै सै राही न्यारी तूं इसका ज्ञान करवावै नै।।

न्यू बोल्या इन चकरों मैं हम अपने दिन 

टपावां सां 

भाग भरोसै बैठे बैठे छींकमा ए कष्ट हम उठावाँ  साँ 

मेहनत करकै भी हम भूखे हर की तरफ लखवाँ सां

अपना दिमाग नहीं बरतैं ना सही हिसाब लगावाँ सां

क्यों बैरी नै भला बतावाँ सां रणबीर मनै बतलावै नै।।


वार्ता :- 

जसवीर के दोस्त थे सुरेंद्र और संजीव तथा रामचंद्र । कई बार उनसे राजनीति पर, इस वर्तमान समाज पर चर्चा होती थी। जसवीर हमेशा समाज को गरीब और अमीर के नजरिया से देखता था। उसके नजरिया को सभी दोस्त ठीक मानते थे। क्या नजरिया था जसवीर का , कवि के शब्दों में 

कहन कवि का- 

रागनी   4

गरीब अमीर का मेल नहीं, शेर बकरी का खेल नहीं,आड़े खूनी नै जेल नहीं , मर्द की बीर रखैल नहीं, तिलाँ बिन होता तेल नहीं, या जसबीर नै  बात बताई ।।

बिना शिक्षा के ज्ञान नहीं, बिना ज्ञान हो सम्मान नहीं

टोही सै  या असल सच्चाई, कमेरे की हो खाल तराई,या ना देखी जावै  भाई ,जानै सै सरतो और भरपाई,कुरुक्षेत्र मैं गई आजमाई, ना हमनै झूठ भकाई।।

2

बिना मणि के नाग नहीं, बिना माली के बाग नहीं

लुटेरे बिना ना होवे लूट , और कोए ना बोवै फुट,सबर का यो प्यावै घूंट, नयों हमनै यो खावै चूट,यो गद्दारों के सीमावै सूट, म्हारे  समझ नहीं आई।। 

3

बिना सुर के राग नहीं, बिना घर्षण के आग नहीं

दफन सारी फ़रयाद हुई, या मेहनत भी बर्बाद हुई,या गुंडा गर्दी आबाद हुई,क्यों कमजोर याद हुई, प्यारी शेर की मांद हुई

हमनै यूनियन नहीं बनाई।।

4

ना बिना पदार्थ कुछ साकार, ना बिन तत्व गुणां का सार

ये नीति इसी चाल रहे, बिछा म्हारे पै जाल रहे, बिकवा घर का माल रहे, कर सब ढालां  काल रहे, गलूरे बना ये लाल रहे, श्यामत रणबीर की आई।।

1989

 

वार्ता :- 

एक बार यूथ फेस्टिवल होता है तस्वीर भी हिस्सा लेता है वहां बड़ी बद्दी कृष्ण की रागनियां गई जाती हैं मध्य मजाक होते हैं जसवीर देश एकता पर रागनी गाता है सभी लोग मुझे पसंद करते हैं जसवीर को प्रथम पुरस्कार मिलता है क्या बताया भला: 

            देश एकता

रागनी -- 5

जनता का एका टूट गया तो भारत देश  बचै कोन्या।।

जसबीर सिंह रो रो कै गावै थारै या बात जच्चे कोन्या।।

जलरया सै पंजाब कितै इब हिन्दू अर सिख तंग होगे

कितै जलै आसाम भाई देश टूटन के आज ढंग होगे

जलता दिखे  गुजरात कितै हरिजन स्वर्ण के जंग होगे

हम जात धर्म पै नंग होगे न्यों तो देश बचै कोन्या।।

एक तरफ तै बढै महंगाई दूसरी तरफ बेकारी रै

आडै़ रोटी की मुश्किल सै उडै़ सै मौज बहारी रै 

नब्बे लटकें भंवर बीच मैं दस बैठे  सैं महल

अटारी रै 

ये दस म्हारे दुश्मन भारी रै और पै रोल  

मचै कोन्या।।

आग लगा घर म्हारे मैं पानी की बाल्टी थाम रहे

गोरे फिरंगी मिर्च लगावैं न्यूं चूस हमारा चाम रहे

दस अपने फायदे की खातर देश नै कर नीलाम रहे

जनता नै पिला भांग रहे ईसा इन बिन खेल 

रचै कोन्या।।

हाय लागरी इतनी मोटी भला बुरा सब भूल गए

आगा पाछा देख्या कोन्या झूला ईसा ये झूल गए

लांगर बंधया अमरीका का  लेकै झूल ये फूल गए

पढ़के कड़  टूटै भूल गए बात रणबीर की जचै कोन्या।।

रागनी 5

उसी दौर में किसानों का आंदोलन आ जाता है। शुगर मिल में हड़ताल थी। जसबीर गांव आया हुआ था। वहां ताऊ से बातें होती हैं । जसबीर के कत्ल के बाद ताऊ सोचता है कि जसबीर किसानों के बारे में क्या सोचता था।

सोचना ताऊ का - 

रागनी   6

जसबीर न्यू बोल्या मनै दो बात छोटू राम की मान ले।।

बोलना ले सीख ताऊ अर दुश्मन अपना पहचान ले।।

लुटेरा हमनै लूट लूट कै अपने घर नै भर ज्यागा 

काम पड़ेगा जब हम तमनै जमा किनारा करज्यागा

हो काला बाजारी चोरी जारी गरीब ज्यान तैं मरज्यागा

मेहनत कश जब होवै कट्ठा इंका मोर सा झड़ज्यागा

फूट गैर कै राज करै सै सुण लगा कै ध्यान ले।।

बेरोजगारी महंगाई गरीबी हर दिन बढ़ती जावै सै 

जो मेहनत करने आला वो दूना तंग होंता आवै सै 

जिब कट्ठे होकै हक मांगें बैरी तान बंदूक दिखावै सै 

म्हारी एकता तोड़ण खातर पालतू गुंडे 

ल्यावै सै 

और ना किमैं पार बसावै तो अड़ा  मिल्ट्री की छान ले।।

शिक्षा दे हमनै दूर रैहण की  राजनीति तैं राज करै

बिना यूनियन सुनिए ताऊ ना गरीब का काज सरै 

किलकी दे कै नै घेरा दयां दुश्मन भाजम भाज मरै

इन थोथे नारयां तैं कोन्या म्हारा पेटा दखे आज भरै 

भेड़िया सै बकरी के भेष मैं लगा सही सही मिजान ले।।

वार्ता:

एक दिन जसवीर का पिता जी काफी उदास है। जसवीर की मां उससे उदासी का कारण पूछती है तो उसका पिताजी कहता है कि जसवीर की बहुत याद आ रही है। मां समजाती है तो जसवीर का पिता उसे क्या कहता है: 

  कहण   पिताजी का- 

     रागनी 7

ईसा लागै सै जणों मेरे साहमी  खड़या हो जसबीर।।

जणों इब उठ कै बोलै सोया पड़या हो जसबीर।।

बोलती सी आंख और था मासूम चेहरा उसका

लाम्बी सी थी नाक और बदन था इकहरा उसका

मीठी सी जुबान और दिमाग था यो गहरा उसका

हल्की सी मुस्कान और चौकन्ना था पहरा उसका

था छैल गाभरू जणों कुदरत नै घड़या हो जसबीर।।

पढ़ते पढ़ते बेटा म्हारा पढ़ असली गीत गया

पढ़ो और संघर्ष करो मिट इस ऊपर मीत गया

बैरी कै साहमी डटकै लड़कै जस्सू जीत गया 

गलत सही की हमनै सिखला सच्ची रीत गया 

बैरी कै साहमी जणों आज बी अड़या हो जसबीर।।

जसबीर की मां सुणले काम अधूरा छोड़ गया

हुया लड़ता लड़ता शहीद हम तैं  नाता तोड़ गया

छात्र कर्मचारी  की एकता नए सिरे तैं जोड़ गया

कोर्ट कचहरी बैरी के मर कै भांडा फोड़ गया

कई बै पुकारै मनै जणों साहमी खड़या हो जसबीर।।

बाइस बरस का बेटा वो हरियाणे नै राह 

दिखाग्या 

सही असूलों की खातर मिटने की चाह 

सिखाग्या

जुल्मों का विरोध करो मन के म्हां आह 

 बिठाग्या 

कोन्या तेरी गोद लजाई  सिस्टम की थाह 

बताग्या 

ईसा लागै सै जणों तै काल लड़या हो जसबीर ।।


वार्ता::

गांव का माहौल बिगड़ता जा रहा है। एक दिन जसवीर गांव आया हुआ था। वह बड़ी भाभी (घरों में) को उदास देखता है। उदासी का कारण पूछता है तो भाभी क्या जवाब देती है 

जवाब भाभी का-

रागनी   8

के बुझैगा  देवर राहण दे काटूं दिन मर पड़ कै हो

दिन रात परेशान हुई मैं रोऊं भीतर बड़  कै हो

जाण नै होरे  चहनियां मैं पर बदमाशी का ओड़ नहीं

ताना मारते ये घणा कसूता बद चलनी का 

ठोड़ नहीं

देवर के बताऊं नीच घणे रही इंसान की खोड़ नहीं

ये मोटी बुद्धि लेरे सारे भले बुरे का कति जोड़ नहीं 

बोल कालजा  चीर जावै जब लिकडैं ये जड़ कै हो।।

कोए किमै ना बोलै देवर खड़े खड़े मजा लेवैं सैं

पुलिसिया मुंह नै फेर लेवें साथ फेर उनका देवैं सैं

फंसी किश्ती मँझदार बीच मैं हम मुश्किल तैं खेवैं सैं

तेरे जिसे छिदे मानस घने सूका थूक ये बिलोवैं सैं

खेल किसा रचाया राम जी सोचूं खाट मैं पड़ कै हो।।

न्यों बोल्या भाभी जड़ै नहीं हो सही सम्मान लुगाई का

उस देश का नाश जरूरी जित हो अपमान लुगाई का

हर युग मैं भगवान भज्या ना हुया कल्याण लुगाई का

मनू नै भी डांडी मारी कहया हीणा उनमान लुगाई का

मेरा बस इतना कहना भाभी काम चलै लड़ भिड़ कै हो।।

मारो खाओ ना हाथ आओ इस राही के राहगीर हुए

सिर काटो जात धर्म पै झूठी शान के ये शूरवीर हुए

बाहर मेम हो घर मैं सीता इसे ये करमवीर हुए

ना जावै पार भाभी बिना महिला समिति मैं शीर हुए

जसबीर देवर का ख्याल यही लिखै रणबीर घड़ कै हो।।

वार्ता ::

साथी जसबीर का कत्ल हो जाता है। पूरे हरियाणा में शोक की लहर उठती है।हबीब भारती जो कि जनवाद की लड़ाई के कवि हैं जसबीर के बारे में रागनी के जरिए अपनी श्रद्धांजलि पेश करते हैं। क्या कहते हैं-- 

रागनी -- 9


अमर शहीद जसबीर सिंह का आखरी संदेश सुणों ।।

जन जागृति मंजिल म्हारी इच्छा मन मैं 

शेष सुणों।।

छात्र साथियों अपील मेरी थम जमकै करो पढ़ाई

साथ साथ में संघर्ष करो ना जागी व्यर्थ कमाई

पढ़ो और संघर्ष करो भाई का नारा राखियो खूब समाई 

असूल पै जीना मरना सै असूलों की म्हारी लड़ाई

असूलों खातर प्राण त्याग रहया कोन्या कति द्वेष सुणों।।

ये भोले साथी सब प्यारे म्हारे दखे सैं पूत 

कमेरयां के

नासमझी मैं जाणैं कोन्या कोण दलाल लुटेरयाँ के

जो जात मजहब इलाके पै नाचैं  वे सैं सांप स्पेरयां के

एस एफ आई कै खिलाफ एक हुए भिन्न भिन्न चेहरयां के

इस राजनीति नै सही परखल्यो मोहम्मद सिंह महेश सुणों।।

छात्र यूनियन खत्म करण का प्रशाशन नै बीड़ा ठाया रै

हत्यारे गुंडे करकै भर्ती यो गहरा जाल बिछाया रै 

भाई लाखों दी सैं कुर्बानी जिब हक वोटां का पाया रै

हों डायरेक्ट इलेक्शन संघां के या जनतंत्र की काया  रै 

पैगाम पहोंचाइयो हर घर मैं ना रहवै कोए प्रदेश सुणों।।

सबको शिक्षा सबको काम यो नारा धुर पहुंचाना सै 

मजदूर किसान कर्मचारी तैं बढ़िया रसूक बणाणा सै 

जो भी लड़ै लड़ाई हक पै हरदम साथ निभाणा सै 

निष्काम भाव से सेवा करकै जन समर्थन जुटाणा सै 

गुड़यां का इलाज योहे ना रहैगा उनका 

लेश सुणों ।।

निडर होकै सच कहने का कदे करया ना टाला था

फख्र करैं वे रुख अंत तक जिसका वो एक डाहला था

भाई बहाण भी नाज करैं सदा जिननै देख्या भाला था

हबीब भारती संदेश लिख्या  यो मैं लिखवाने आला था

लाल सलाम तुम्हें साथियो मैं छोड़ चल्या जग देश सुणों।।

वार्ता::

जसवीर की याद को अमर बनाने के लिए शहीद जसबीर स्मारक  समिति का गठन होता है।  हर साल 23 अक्टूबर को साथी का शहीदी दिवस मनाया जाता है । शहीद जसवीर स्मारक भी बनकर तैयार हुआ। क जसबीर द्वारा चलाई गई जंग आज भी जारी है ।