मानस तो बनै बिचारा कहैं बीघनों क़ी जड़ नारी
बतावें वासना छिपाने को चोट कामनी क़ी हो न्यारी
योग ध्यान करनीया नारद पूरा योगी गया जताया
विश्व मोहिनी पै गेरी लार काया मैं काम जगाया
पाप लालसा डटी ना उसकी मोहिनी का कसूर बताया
सदियाँ होगी औरत उप्पर हमेशा यो इल्जाम लगाया
आगा पाछा देख्या कोन्या सही बात नहीं बिचारी ||
कीचक बी एक हुआ बतावें विराट रूप का साला
दासी बणी द्रोपदी पै दिया टेक पाप का छाहला
अपनी बुरी नजर जमाई करना चाहया मुंह काला
भीम बलि नै गदा उठाई जिब देख्या जुल्म कुढाला
सारा राज पुकार उठया था नौकरानी क़ी अक्कल मारी ||
पम्पापुर मैं रीछ राम का एक बाली बेटा होग्या रै
सुग्रीव क़ी बहु खोस लई बीज कसूते बोग्या रै
गेंद बना दी जमा बीर क़ी उसका आप्पा खोग्या रै
ज़मीन का हक़ खोस लिया मोटा रास्सा होग्या रै
सबते घनी सताई जावै घर मैं हो चाहे कर्मचारी ||
पुलस्त मुनि का पोता हांगे मैं पूरा मगरूर था
पंचवटी तैं सीता ठा कै घमंड नशे मैं चूर था
सीता बणी कलंकिनी थी धोबी का वचन मंजूर था
उर्मिला का तप फालतू था जिकरा चाहिए जरूर था
झूठी श्यान क़ी बाली चढ़ाई रणबीर या सबला नारी ||