Wednesday, 8 February 2023

बिना बात के रासे मैं इब बख्त गंवाणा ठीक नहीं।।

 1983 और 1986 के दौर में लिखी एक रागनी 

बिना बात के रासे मैं इब बख्त गंवाणा ठीक नहीं।।

अपने संकट काटण नै  यो जात का बाणा ठीक नहीं ।।

1

महंगाई गरीबी बेरूजगारी हर दिन बढ़ती  जावै सै

जो भी मेहनत करने आला तंग दूना होता आवै सै

जब हक मांगै अपना तो वो ताण बन्दूक दिखावै सै

कितै भाई कितै छोरा उसके बहकावे मैं आवै सै

खुद का स्वार्थ, देश कै बट्टा यूं तो लाणा ठीक नहीं ।।

अपने संकट काटण नै  जात का बाणा ठीक नहीं ।।

2

म्हारी एकता तोड़ण खातिर बीज फूट का बोवैं सैं

मैं पंजाबी तूँ बंगाली यो जहर कसूता ढोवैं सैं

मैं हरिजन तूँ जाट सै न्यारा नश्तर खूब चुभोवैं सैं

आपस कै महं करा लड़ाई नींद चैन की सौवैं सैं

इनके बहकावे मैं आकै खुद भिड़ जाणा ठीक नहीं।।

अपने संकट काटण नै  जात का बाणा ठीक नहीं ।।

3

म्हारी समझ नै भाइयो दुश्मन ओछी राखणा चाहवै

म्हारे सारे दुखां का दोषी यो हमनै ए आज ठहरावै 

खलकत घणी बाधू होगी कहै इसनै इब कौन खवावै

झूठी बातां का ले सहारा उल्टा हमनै ए वो धमकावै

इन सबके बहकावे के मैं मजदूर का आणा ठीक नहीं।।

अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं ।।

4

दे हमनै दूर रहण की शिक्षा दे राजनीत तैं राज करै

वर्ग संघर्ष की राही बिन यो म्हारा कोण्या काज सरै

कट्ठे होकै देदयाँ घेरा यो दुश्मन भाजम भाज मरै

झूठे वायदां की गेल्याँ म्हारा क्यूकर पेटा आज भरै

रणबीर मरैं सब यारे प्यारे इसा तीर चलाणा ठीक नहीं।।

अपने संकट काटण नै जात का बाणा ठीक नहीं।।

No comments: