Friday, 1 July 2022

कुछ तथ्य

 अपने सुख का निर्माण दूसरे लोगों की तकलीफों के ऊपर करने वाला आदमी इंसान नहीं हो सकता।

क्या हमारी नैतिकता का यही तकाजा है और महानता है कि गिने-चुने लोगों के लिए विशेष सुविधाएं और विशेष सुख आराम जुटाने के लिए पूरी मानव समाज अथवा जनता के विशाल बहुमत के सुख आराम का खून करके उनको भूखा तथा वस्त्र हीन रखा जाए।
    यही हमारे समाज के उच्च चरित्र का आधार है । जो इसे मानने से इनकार करेगा वह देशद्रोही करार दे दिया जाएगा।
   अपने सुख का निर्माण अपने सुख को सब के साथ बांटने के आधार पर करना चाहिए। मुट्ठी भर लोगों के विशेष अधिकारों का खात्मा तो होना ही चाहिए ना ।
    समानता, विनम्रता और शराफत का बर्ताव, सत्य की तलाश, सत्य की रक्षा और उसके लिए संघर्ष । सामूहिक सच्ची दृढ़ एकता,  सच्ची पारस्परिक सहायता और सच्ची मानवीय  सहानुभूति के माध्यम से।
1990

ठेका प्रथा के खिलाफ

 आह्वान नौजवानों को ठेका प्रथा के खिलाफ

चलो भाइयो धरने ऊपर ईब नहीं घबराना सै।।
मिलकै संघर्ष के दम पै अपणा हक पाना सै।।
1
जल्दी करलयो पीणा खाणा
इस जिसा ना मौका थ्याणा
फेर हमनै ना पड़ै पछताणा
संघर्ष करकै हक पाणा, यो पूरा हाँगा लाणा सै।।
मिलकै संघर्ष के दम पै अपणा हक पाणा सै।।
2
जमा नाट गये देखो हाँ भरकै
धरने जलूसों से इणनै डरकै
मंत्री भकाज्या कदे आ करकै
या फ़ाइल जमा ना सरकै, रोजका फरमाणा सै।।
मिलकै संघर्ष के दम पै अपणा हक पाणा सै।।
3
बुलंद होवेंगे उड़ै म्हारे नारे
निजीकरण नै घाले सैं घारे
घणे दुखी मजदूर कर्मी सारे
ठेकेदारी प्रथा सारे कै ल्यारे, मिलकै पाठ पढ़ाणा सै।।
मिलकै संघर्ष के दम पै अपणा हक पाना सै।।
4
संघर्ष बिना नहीं सै गुजारा
जल्दी चालां हजारों हजारां
सरकार हैरान हो देख नज़ारा
रणबीर लिखता साथी म्हारा, ना पाछै कदम हटाणा सै।।
मिलकै संघर्ष के दम पै अपणा हक पाना सै।।