Wednesday, 25 December 2024

876..900

 876

दो किल्ले धरती सै मेरी मुश्किल हुया गुजारा रै।।

खाद बीज सब महंगे होगे कुछ ना चालै चारा रै।।


बुलध तो पड़या बेचना ट्रैक्टर की मार पड़ी या 

मैं एकला कोण्या लोगो मेरे जिसां की लार खड़ी या

स्वाद प्याज की चटनी का भी पाछै सी होग्या खारा रै

।1।

मिन्ह बरस्या कोण्या  ट्यूबवैल का खर्चा खूब हुया

धान पिटग्या मंडी के मां इसका चर्चा खूब हुया

चावल का भा ना तलै आया देख्या ईसा नजारा रै

।2।

भैंस बाँध ली दूध बेचूं यो दिन रात एक करां

तीन हजार भैंस बीमारी के डॉक्टर कै गए घरां 

सिर पै कर्जा तीस हजार टूट्या पड़या यो ढारा रै

।3।

बालक म्हारे धक्के खावैं इणनै रोजगार नहीं 

छोरी सै बिन ब्याही बिन दहेज़ कोए तैयार नहीं 

छोरे हांडैं गालां मैं घरक्या का चढ़ज्या पारा रै

।4।

घरआली करै सिलाई दिन रात करै वा काले 

या खुभात फालतू बचत नहीं हुए कसूते चाले

दारू पी दिल डाटूं चंदकौर कहवै आवारा रै

।5।

कर्जा जिसपै लिया उंकी नजर घणी बुरी सै

घरां आकै जमज्या सै दिल मेरे पै चालै छुरी सै

रणबीर बरोनिया का बिकग्या घर का हारा रै

।6।

 877

आजकाल के नेता दिल म्हारे तैं उतर लिए ।।

कहते किमैं करते किमैं पर म्हारे कुतर लिए ।।

दिन मैं तारे दिखला देवैं ,जेल भीतर करवा देवैं जात धर्म पर लड़वा देवैं टूट म्हारे सबर लिए।। करतूतों की लिस्ट गिणाऊं पापी माथे पे गुदाऊं चौंक पै खूब छिताऊं म्हारे बरगे ना टकर लिए।। सही राजनीति हो सीखाणी हो इसपै क्लास लगाणी राही होगी सही दिखाणी पिछाण सही डगर लिए।।

 कुछ नेता सही म्हारे देश चल्या उनके सहारे रणवीर सिंह कलाम घिसारे समझ सही डगर लिए।।

878

के जुलम करया इसा

के जुलम करया इसा मेरे नहीं बात समझ मैं आयी।। 

प्यार करया सोहनदास तै नहीं खोदी सै कोए खाई।। 

छोरा छोरी बरोबर हों हम कोए भेद नहीं करते 

छोरी नै पूरी आजादी सै देखे रोजाना दम भरते 

आज के होग्या सबकै क्यों कलंकनी सबनै बताई ||

प्यार करया सोहनदास तै नहीं खोदी सै कोए खाई।। 

संस्कृति कै बट्टा लाया इल्जाम मेरे ऊपर लगाते

प्यार करना गलत बेटी सारे बैठ मने समझाते 

चुनाव मेरा मन चाहया गलत कैसे प्यार क़ी राही||

प्यार करया सोहनदास तै नहीं खोदी सै कोए खाई।। 

घर क़ी इज्ज़त राखी प्यार अपने पर डटी हुयी 

कहैं म्हारी इज्ज़त खोदी बात सबनै या रटी हुयी

जात पात के खिलाफ स्वामी दयानंद आवाज उठाई ||

प्यार करया सोहनदास तै नहीं खोदी सै कोए खाई ।।

जात तै बाहार लिकड़कै देखता ना परिवार मेरा 

सुनके बात प्यार क़ी मेरे चारों तरफ दिया घेरा 

रणबीर बारोने आले नै बी प्यार क़ी मेर कटाई||

प्यार करया सोहनदास तै नहीं खोदी सै कोए खाई ।।

879

कमेरा

मेरी कोए ना  सुनता आज छाया सारै यो लुटेरा ॥ 

भक्षक बनकै रक्षक देखो देरे किसान कै घेरा ॥ 


ट्रेक्टर की बाही मारै  ट्यूबवैल का रेट  सतावै

थ्रेशर की कढ़ाई मारै  भा फसल का ना थ्यावै 

फल सब्जी ढूध  सीत सब ढोलां मैं घल ज्यावै 

माटी गेल्याँ माटी होकै बी सुख का साँस ना आवै 

बैंक मैं सारी धरती जाली दीख्या चारों कूट अँधेरा॥ 

भक्षक बनकै रक्षक देखो देरे किसान कै घेरा ॥ 

निहाले पै रमलू तीन रूपया सैकड़े पै ल्यावै

वो साँझ नै रमलू धोरे दारू पीवन नै आवै

निहाला कर्ज की दाब मैं बदफेली करना चाहवै

विरोध करया तो रोज पीस्याँ की दाब लगावै

बैंक अल्यां की जीप का बी रोजाना लग्या फेरा॥ 

भक्षक बनकै रक्षक देखो देरे किसान कै घेरा ॥ 

बेटा बिन ब्याह हाँडै सै घर मैं बैठी बेटी कंवारी

रमली रमलू नयों बतलाये मुशीबत कट्ठी  होगी सारी 

खाद बीज नकली मिलते होगी ख़त्म सब्सिडी  म्हारी

माँ टी बी की बीमार होगी बाबू कै दमे  की बीमारी

रौशनी कितै दीखती कोन्या घर मैं टोटे का डेरा॥ 

भक्षक बनकै रक्षक देखो देरे किसान कै घेरा ॥ 

माँ अर बाबू म्हारे  नै  यो जहर धुर की नींद सवाग्या

माहरे घर का जो हाल हुआ वो सबके साहमी आग्या  

जहर क्यूं खाया उनने यो सवाल कचौट कै खाग्या   

म्हारी कष्ट कमाई उप्पर कोए दूजा दा क्यों लाग्या

कर्जा बढ़ता गया म्हारा मरग्या रणबीर सिंह कमेरा  ॥

भक्षक बनकै रक्षक देखो देरे किसान कै घेरा ॥

 880

ज्योतिबा फुल्ले

ज्योतिबा फुल्ले नै बीड़े समाज सुधार के ठाये।।

समाज करो पढ़ाई सारै ये सन्देश पहोंचाये।।

स्कूल में कई ढाल के ज्योतिबा नै झटके खाये

गफ्फार बेग नै दोबारा वे स्कूल मैं भिजवाए

गुलाम क्यों देश म्हारा फुल्ले जी सवाल उठाये।।

2

समाज के मठाधीशों नै जमकै विरोध करया

धमकी दी उन ताहिं ज्योतिबा जी जमा ना डरया

स्कूल खोल दिया फेर वे पाछै नै नहीं लखाये।।

समाज करो पढ़ाई सारै ये सन्देश पहोंचाये।।

3

विद्या बिना मीत गई, मीत बिना या नीति गई

नीति बिना गति गई गति बिना या वित्त गई

बिना वित्त शुद्र गए कारण अविद्या के बताये।।

समाज करो पढ़ाई सारै ये सन्देश पहोंचाये ।।

4

अछूतो द्धार नारी शिक्षा इन पर काम किया 

विधवा विवाह खातर प्रचार सरे आम किया

रणबीर किसानों खातर संघर्ष खूब चलाये।।

समाज करो पढ़ाई सारै ये सन्देश पहोंचाये  ।।


881

मेरा संकट 

मन बेचैन कसूता कारण समझ मैं आवै ना।।

सत्संग मैं जाण लाग्या शांति उड़े थयावै ना।।

1

बालक चूंघैं टीवी नै रोज रुक्का रोला फेर होज्या 

सारी रात फिल्म देखैं आच्छा बिछा बोला होज्या

सोले का ओला होज्या काम करणा चाहवै ना।।

2

घर आली करै सै नौकरी दुखी  कई बर  हो ज्यावै 

घर का काम करणा पडै़  आप्पा कई बर खो ज्यावै 

उसका जी घणा रो ज्यावै सुबकन बी पावै ना।।

3

बेटी सुसराल मैं घिरी सासू तकरार करै सुन 

बेबे

मां बाप नै के सिखाया सासू ये वार करै सुन 

बेबे

पति मार करै सुन बेबे हाथ काम कै लावै ना।।

4

स्कूटर का तेल घणा महंगा होग्या जमा खटारा यो 

तन्खाह पड़ज्या सै थोड़ी मुश्किल होवै गुजारा यो

जीवन हुया सै भारया यो रणबीर रोटी भावै ना।।


882

*खोल नया पिटारा तीन कानूनों तैं ये चाहवैं हमनै भकाणा ।।*

*नया कृषि विधेयक नई बोतल मैं ल्याये कानून पुराणा।।*

1


राष्ट्रीय नीति की रूप रेखा तैयार करी कृषि व्यापार पै 

पच्चीस नवंबर नै अंग्रेजी मैं चाही टिप्पणी इस विचार पै

*पन्दरा दिन दिए इस खातर किया किसानों गेल धिंगताणा।।*

2

 इस विधेयक तैं कहते हम किसानों की आय बढ़ावैंगे 

कृषि क्षेत्र नै आधुनिक बणावां ज्यां ये सुधार ल्यावैंगे 

*अधिक खुली बाजार प्रणाली बदल दे किसानों का बाणा।।*

3

इस विधेयक के म्हांकै ये किसानी मैं कॉर्पोरेट नै ल्यावैं

मंडी की सुविधा की जागां इब यो खुला बाजार बढ़ावैं 

*सिर्फ अंग्रेजी मैं लिखवाकै सब धोरै चाहवै इनै पढ़वाणा।।*

4

इसके विरोध मैं खड़या  आशा किसान स्वराज हुया सै 

मंत्रालय को यो प्रारूप रद्द करण का सुझाव दिया सै 

*जनहित मैं कट्ठे होकै रणबीर इब चाहिए संघर्ष चलाणा।।*


883

साम्राज्यवाद नै दुनिया करी घणी बदहवाश

देखियो के होगा।।

1

अपणी लूट बढ़ावण खातर हथियार उद्योग बढ़ाया

पूरी दुनिया पै इसनै आज खुलकै नै धौंस जमाया 

दूजे देशों पर हमले करवाकै बहोत बिछाई लाश 

देखियो के होगा।।

2

मजदूर किसानों को चूस्या इसी नीति ले कै आया

अपनी फौज मिल्ट्री के दम पै तलहैड़ू हमें बनाया

देशी पूंजी तैं मिला हाथ दुनिया कै चढ़ाई सांस

देखियो के होगा।।

3

मुनाफा खोरी बाजार व्यवस्था पूरे संसार मैं ल्याया

शर्मयादारों का यो मुनाफा तनै सब देशों मैं बढ़वाया

अपणा संकट मेंटण नै गरीबों की ढाई आस 

देखिए के होगा।।

4

ईसा बम्ब बणाया जो जीव का तै सत्यानाश करैगा

निर्जीव नै बचावैगा  अमरीका अपना भोभा भरैगा

रणबीर अपणी बुझावण नै म्हारी बधाई प्यास

देखियो के होगा।।


884

ऊट मटिल्ला

बराबरी के आधार बिना ऊंट मटिल्ला होज्यागा।। 

संगठन के प्रसार बिना,ऊट मटिल्ला होज्यागा।। महंगाई ने कर दिए चाले, घराँ कै लवा दिए ताले जनता की सरकार बिना, ऊट मटिल्ला होज्यागा।। 

बच्चे बुढ़े आज होंगे तंग सुरक्षा प्रदेश की होगी भंग, सरकार की रफ्तार बिना ऊट मटिल्ला होज्यागा ।।

औरतों नै आगै कदम बढ़ाया, कईयों को पसंद ना आया ,जोड़ी के भरतार बिना ऊट मटिल्ला होज्यागा।।

रुकती काली करतूत नहीं सैं, औरत क्यों महफूज नहीं सैं, एकता के हथियार बिना ऊट मटिल्ला होज्यागा ।।

जोर-जुल्म के दम पर , हुकम चलाते हैं हम पर इब इनके उपचार बिना, ऊंट मटिल्ला होज्यागा।। 

जन आंदोलन की यही पुकार, मिले हर नारी को अधिकार, संघर्ष की तलवार बिना ऊंट मटिल्ला होज्यागा।।


885

मिलकै आवाज उठाई हे सखी महिला समिति नै।। 

हमारी श्यान बढ़ाई हे सखी महिला समिति 

नै।।

हमको कति ए ध्यान नहीं था कैसे चलै संसार ज्ञान नहीं था डटकै अलग जगाई है सखी महिला समिति नै ।।

जींद जिले का गांव पड़ाणा ,जुल्मी हिला दिया पूरा समाणा, हिम्मत म्हारी बंधाई हे सखी महिला समिति नै।।

म्हारे मुंह मैं आवाज नहीं थी , किसे नै सुनी फरियाद नहीं थी, चिट्ठी लिखनी सिखाई हे सखी ,महिला समिति नै ।।

अपणा शब्द किमैं भूल रही , परिवार की साथ  टूहल रही ,अपनी पहचान कराई हे सखी महिला समिति नै।।


886

या महंगाई मारै , रूप कसूते धारै , जमा खाल नै तारै , मुश्किल पर पड़ै म्हारी।।

1

ट्रैक्टर की बाही रपीये तीस तैं 

आज चढगी एक सौ बीस पै

ट्यूबवैल की सिंचाई , थ्रेशर की कढ़ाई, मन्डी की लुटाई, इणनै करी मुशीबत भारी।।

2

गोहाने तैं रोहतक का बस भाड़ा 

पचास साल मैं करया सै कबाड़ा

पाट्या कूड़ता म्हारा, दुख होग्या भारया, पाया ना किनारा, म्हारी होगी तबियत खारी।।

3

बजट तैं पहलमै क्यों भा बढ़ाये

जनता कै खूब पसीने लिवाये

डीजल माट्टी तेल , महंगी करदी रेल, मचाई धक्का पेल,घणी दुखी हुई सवारी।।

4

कई गुणा महंगी हुई दवाई

बिना डोनेशन ना बची पढ़ाई

यो टीचर दुखी ना छात्र सुखी, संकट चहूँ मुखी, रणबीर की कलम पुकारी।।


887

लड़े हैं जीते हैं , लड़ेंगे जीतेंगे

एक साल की कुर्बानी,म्हारी पूरा रंग ल्याई रै।।

इस आंदोलन की दुनिया मैं दे रही गूंज सुनाई रै।।

1

बढ़ता गया आंदोलन धरती, सरकार नै भिड़ी होगी

कई सौ किसान सहादत देगे जनता की आत्मा रोगी

केंद्र की सरकार होंश खोगी , किसानां नै धूल चटाई रै।।

2

पंजाब नै थी हुंकार भरी गैल हरियाणा भी आया  

राजस्थान और यूपी भी फेर कोन्या पाछै पाया

यो पूरे देश मैं छाया , सरकार घणी घबराई रै।।

किसानी एकता तोडण नै घणे हथकंडे अपनाये

किसान समझगे चाल थारी नहीं बहकावे मैं आये 

हर कदम पै हौंसले दिखाये , एकता कसूत बढ़ाई रै।।

4

एक लड़ाई हारे सै ये आगै भी नाक रगडैंगे 

दिल्ली के डेरे याद रहैं हम आगै भी लडैंगे 

लाठी गोली कै सामही अडैंगे, रणबीर करी कविताई रै।।


888

असली चेहरा 

हुकुमत का असली चेहरा , चौड़े मैं दिखाई देरया, आज तोड़ खुलासा होग्या रै।।

1

नब्बै तै कति  मार दिए या दस की चांदी करदी

म्हारी गौज खाली करकै या अंबानी की भरदी

किसान मजदूर आवाज उठावै,थारी सरकार दबाया चाहवै, घणा  मोटा रास्सा होग्या रै।।

2

किसान नै डेरे गेर दिए दखे दिल्ली के मां जाकै  

सरकार नै मुंह फेर लिए दखे ये बैरीकेट लगाकै

घणे सब्ज बाग दिखाए थे, लाकै घणा जोर बहकाए थे, घणा तमाशा होग्या रै।।

3

अंबानी  तैं थारा मुल्हाजा जनता और ना झेलैगी

संघर्ष करैगी मिलजुल थामनै जरूर दखे पेलैगी

हमतो खेत खलिहान कमावैं,थारे बंगले आलीशान बनावैं,म्हारा मुश्किल बासा होग्या रै।।

4

जनता के संघर्ष बढैंगे पक्का जानो मोदी जी

तीन बिल वापसी की मांग दिलतैं मानो मोदी जी

रणबीर सिंह नै या बात बताई, गाम गाम मैं अलख जगाई, बेरा सबनै खासा होग्या रै।।


889

युवा लड़के और लड़की निशाने पै 

राज दरबारां के निशाने पै युवा लड़के और लड़की ।

हिंसा और नशे की गेल्याँ लाई सैक्स की भी तड़की।

अरब पति के सपने गरीबाँ नै आज दिखाए जावैं रै

थारी किस्मत भी चमकेगी कहकै नै बहकाये जावैं रै

चाहवैं लाटरी साहरै तोड़ना म्हारे जीवन की कड़की ।

ज्ञान विज्ञान नै विकास के नए नए तरीके सिखाये 

इसनै जनहित मैं लावणिया बार बार गए धमकाये

इसपै कब्जा करकै नै करदी बन्द हवा की खिड़की।

कारपोरेट अर राजदरबारी आनन्द खूब भोग रहया 

बाकि लोगों के दुखां नै बता भाग का सन्जोग रहया

आज बतादयूं थारे खिलाफ भारत की जनता भड़की।

अपणी चीज बेचण खातर त्योहारां का लिया साहरा रै

मीडिया पै कब्जा जमाकै  दिमाग फेर दिया म्हारा रै

विरोध करां सारे मिलकै रणबीर बाजी लाकै धड़की ।


 890

मिलजुल कै नया हरयाणा हम घणा आलीसान बनावांगे

नाबराबरी खत्म करकै नै हरयाणा आसमान पहोंचावांगे

बासमती चावल हरयाणे का दुनिया के देशां मैं जावै आज

चार पहिये की मोटर गाड़ी यो सबतैं फालतू बणावै आज

खेल कूद मैं हम आगै बढ़गे एशिया मैं सम्मान बढ़ावांगे

चोरी जारी ठग्गी नहीं रहवैंगी भ्रष्टाचार नहीं टोहया पावै

मैरिट तैं मिलैं दाखिले सबनै शिक्षा माफिया खड़या लखावै

मिलकै सारे हरयाणा वासी इन बातों नै परवान चढ़ावांगे

ठेकेदारां की ठेकेदारी खत्म होज्या खत्म थानेदारी होवै

बदमाशों की बदमाशी खत्म हो फेर खत्म ताबेदारी होवै

निर्माण और संघर्ष का नारा यो पूरे हरयाणा मैं गूंजावांगे

दहेज़ खातिर दुखी होकै नहीं औरत फांसी खा हरयाणा मैं

कदम बढ़ाये एकबै जो आगै फेर ना पाछै जाँ हरयाणा मैं

बराबर के माहौल मैं महिलाओं के अरमान खिलावांगे

छुआ छूत का नहीं नाम रहै सब रल मिल रहैं गामां मैं

त्याग तपस्या और मोहबत की ये फुहार बहैं गामां मैं

दिखा मानवता का रास्ता जातधर्म का घमासान मिटावांगे

हरयाणा के लड़के और लड़की कन्धे तैं कन्धा मिला चालैंगे

देकै कुर्बानी ये छोरी छोरे नए हरयाणा की नींव डालैंगे

गीत रणबीर सिंह नै बनाया मिलकै हम सारे ही गावांगे


891

जीएसटी वापिस ल्यो जो दूध उत्पादां उप्पर लगाई

।।

दूध तैं बनी चीजां उप्पर स्वामीनाथन सिफारिस चाही।।

1

हरियाणा के सारे पशु पालक संसद पै धरना लगारे

विदेशी दूध उत्पादां पै आयात शुल्क बढ़वाया

चाहरे

पशुपालन मनरेगा तहत ल्याओ मांग सारे कै पहूंचाई।।

दूध तैं बनी चीजां उप्पर स्वामीनाथन सिफारिस चाही।।

2

दूध के उत्पादन कि लागत कम करै केंद्र की सरकार

याहे योजना शहरां मैं भी लागू होवै या म्हारी

दरकार

पशुआं के हरे चारे उप्पर या सब्सिडी की मांग गूँजाई।।

दूध तैं बनी चीजां उप्पर स्वामीनाथन सिफारिस चाही।।

3

दूध समितियों का मुनाफा यो सदस्यों मैं बाँटया 

जावै

दूध उत्पादां का बंटवारा मेम्बरां का ना कांटया जावै

संसद भवन पै कट्ठे होकै मांग पशु पालनां की उठाई।।

दूध तैं बनी चीजां उप्पर स्वामीनाथन सिफारिस चाही।।

4

आवारा पशुआं पै या सरकार पूरी तरियां रोक लगावै

पशुआं के मेले खोले जां इतनै सरकार खरीद करावै

इंतजाम होवै अस्पताल का रणबीर पूरी मिलै दवाई।।

दूध तैं बनी चीजां उप्पर स्वामीनाथन सिफारिस चाही।।


 892

मतना लाओ वार किसानों , हो जाओ तैयार किसानों

ले ऐकता का हथियार किसानों , लड़नी धुर की लड़ाई रै।।

1. 

गांव शहर और खेतों मैं किसान कितै महफूज नहीं

लागत फालतू आमदनी थोड़ी होती कितै बूझ नहीं

कोन्या संघर्ष आसान दखे,होगा संघर्ष घमासान दखे,पिटैगा अडानी शैतान दखे,बची ना कति समाई रै।।

2

सरकारी कानून क्यों देखो करे बणाकै दीवार खड़े रै

कहवण नै किसानों खातर योजनावां के प्रचार बड़े रै

जाल साज तैं फूट गिरावैं, सारे कै ये लूट मचावैं

करी तरक्की झूठ बहकावैं, कितनी सहवांगे पिटाई रै।।

3

किसान निर्माता कहने आले आज कडै़ ये चले गए

किसान बहोत महान कैहकै दिन रात हम छले गए

कोन्या सहवाँ अपमान भाई, चलावां मिलकै अभियान भाई,समाज का पावां सम्मान भाई, डंके की चोट बताई रै।।

4

जीणा सै तो लड़ना होवै, संघर्ष हमारा नारा होगा

संयुक्त किसान मोर्चे का संघर्ष हथियार प्यारा होगा

इब तो ऊंचा बोल भाई, झिझक ले सारी खोल भाई, जावै अडानी डोल भाई, रणबीर चाहवै अलख जगाई रै।।


893

मनुवाद 

अनादि ब्रह्म नै धरती पै यो संसार रचाया कहते

मुंह बांह जांघ चरणों तैं सै सबको बसाया कहते

1

मुंह तैं बाह्मण पैदा करे चर्चा सारे हिंदुस्तान मैं

बाँहों से क्षत्रीय जन्मे जो डटते आये जंगे मैदान मैं

जांघ से वैश्य पैदा करे लिख्या म्हारे ग्रन्थ महान मैं 

चरणों से शुद्र जन्म दिये आता वर्णों के गुणगान मैं 

चार वर्णों का किस्सा यो जातों का जाल फैलाया कहते

2

भगवान नै शुद्र के ज़िम्मे यो एक काम लगाया 

बाक़ी तीनों वर्णों की सेवा शुद्र का फर्ज बताया

शुद्र जै इणनैं गाली देदे जीभ काटो विधान सुनाया

नीच जात का बता करकै उसतैं सही स्थान दिखाया

मनुस्मृति ग्रन्थ मैं पूरा हिसाब गया लिखाया कहते

3

शुद्र जै किसे कारण तै इणनैं नाम तैं बुला लेवै

दस ऊँगली लोहे की मुंह मैं कील ठुका देवै

भूल कै उपदेश देदे तै उसके कान मैं तेल डला देवै 

लाठी ठाकै हमला करै तो शुद्र के वो हाथ कटा देवै 

मनु स्मृति नै शुद्र खातर नर्क कसूत रचाया कहते

4

बाबा अम्बेडकर जी नै मनुस्मृति देश मैं जलाई थी

उंच नीच की या कुप्रथा मानवता विरोधी बताई थी

कमजोर तबके कट्ठे होल्यो देश मैं अलख जगाई थी

आरएसएस मनुवाद चाहवै असली शक्ल दिखाई थी

रणबीर महात्मा बुद्ध भी इसपै सवाल ठाया कहते।

894

*अंतरजातीय ब्याह*

*ब्राह्मन छोरी हरिजन छोरा ब्याह का फैंसला करया दखे*

*छोरी के बाबू नै अपना साफा छोरे पाहयाँ बीच धरया दखे*

1

बाबू बोल्या मैं फांसी खालयूं घर कै कलास लावै मतना

ब्याह रिश्ते सब बंद होजयाँ जीनते जी मरवावै मतना

छोटे भाई नै कोण ब्याहवै छोरी जुलम कमावै मतना

ऊंच नीच कुछ सोच किमै म्हारी नाक कटावे मतना

*काली नागन की तरियाँ क्यों तेरे भीतर जहर भरया दखे*

छोरा छोरी जब माने कोन्या छोरी घराँ ताले मैं कैद करी

पीट पीट कै सीधी करणी चाही छाती बन्दूक लयान धरी

छोरी नै घने कष्ट सहे पर किसे और की नहीं हाँ भरी

बोली मरना सै मंजूर मने कुनबे कै नहीं या बात जरी

*कचहरी मैं दरखास देदी घर कुनबा थोडा ड़रया दखे*

3

माँ पिता की पार बसाई कोन्या उनने ब्याह रचाया फेर

ना किसे नै फांसी खाई पर मातम घर मैं छाया फेर

म्हारा कोए वास्ता नहीं तेरे तै बाबू नै हुकम सुनाया फेर

माँ तै आखिर माँ ठहरी लुह्क छिप मिलना चाहया फेर

*छोरी इतनी करड़ी लिक्डैगी कुनबे कै नहीं जरया दखे* 

4

दो साल पाछै बाबू मरग्या इस बाहने घरां आये थे

कोए मुंह तै बोल्या कोन्या वे  घर मैं हुए पराए थे

खाली घर मैं बैठकै आगे

चेहरे कति मुरझाए थे

म्हारे कांहीं तैं मरगे थाम घणे कड़वे बोल सुनाए थे

*कहै रणबीर सिंह बारोनिया उनका प्यार फेर बी ना मरया दखे* 


 895

वास्तव में हिन्दुस्तान तरक्की पर है। क्या बताया भला:


जमीन जल और जंगल पै अमीर कब्जा बढ़ावै सै।

गरीब लाचार खड़या आसमान तरफ लखावै सै।।

1

जमीन पै कब्जा करकै हाईटैक सिटी बनाते आज

उजड़ कै जमीन तै कित जावै ना खोल बताते आज

बीस लाख मैं ले कै किल्ला बीस करोड़ कमाते आज

इनके बालक तै ऐश करैं म्हारे ज्यान खपाते आज

आदिवासी नै जंगल मां तै हांगा करकै हटावै सै।।

गरीब लाचार खड़या आसमान तरफ लखावै सै।।

2

जंगल काट-काट कै गेरे ये मुनापफा घणा कमागे रै

आदिवासी दिये भजा उड़ै तै बहुत से ज्यान खपागे रै

मान सम्मान खातर लड़े वे ज्यान की बाजी लागे रै

देशी लुटेरे बदेशी डाकुआं तै ये चौड़ै हाथ मिलागे रै

किसान की आज मर आगी यो संकट मैं फांसी लावै सै।।

गरीब लाचार खड़या आसमान तरफ लखावै सै।।

3

बिश्लेरी पानी की बोतल बाजार मैं दस की मिलती रै

दूध सस्ता और पानी महंगा बात सही ना जंचती रै

साफ पानी नहीं पीवण नै बढ़ती बीमारी दिखती रै

पानी म्हारा दोहन उनका पीस्से की भूख ना मिटती रै

जमीन जंगल जल गया संकट बढ़ता ए आव सै।।

गरीब लाचार खड़या आसमान तरफ लखावै सै।।

4

औरत दी एक चीज बना बाजार बीच या बिकती रै

म्हंगाई बढ़ती जा कीमत एक जगहां ना टिकती रै

घणा लालची माणस होग्या हवस कदे ना मिटती रै

अमीरी गरीबां नै खाकै बी आज मा ना छिकती रै

रणबीर बरोने आला घणी साची लिखता घबरावै सै।।

गरीब लाचार खड़या आसमान तरफ लखावै सै।।


896

शोषण हमारा

बदेशी कम्पनी आगी, हमनै चूट-चूट कै खागी

अमीर हुए घणे अमीर, यो मेरा अनुमान सै।।

हमनै पूरे दरवाजे खोल दिये,बदेशियां नै हमले बोल दिये

ये टाटा अम्बानी साथ मैं रलगे, उनकै घी के दीवे बलगे

बिगड़ी म्हारी तसबीर, या संकट मैं ज्यान सै।।

पहली चोट मारी रूजगार कै, हवालै कर दिये सां बाजार कै

गुजरात मैं आग लवाई क्यों, मासूम जनता या जलाई क्यों

गई कड़ै तेरी जमीन, घणा मच्या घमसान सै।।

या म्हारी खेती बरबाद करदी, धरती सीलिंग तै आजाद करदी

किसे नै भी ख्याल ना दवार्इ का, भटठा बिठा दिया पढ़ार्इ का

घाली गुरबत की जंजीर, या महिला परेशान सै।।

या सल्फाश की गोली सत्यानासी, हर दूजे घर मैं ल्यादे उदासी

आठ सौ बीस छोरी छोरा हजार यो, बढ़या हरियाणे मैं अत्याचार यो

लिखै साची सै रणबीर, नहीं झूठा बखान सै।।


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दिल्ली आल्यो

गिणकै दिये बोल तीन सौ साठ दिल्ली आल्यो।

नहीं सुणते बात हम देखैं बाट दिल्ली आल्यो।।

किसानी सड़कों पै आई उनतैं बोलते कोण्या

मोदी म्हारी कष्ट कमाई कति तोलते कोन्या

कति बोलते कोण्या बनरे लाट दिल्ली आल्यो।।

इसी नीति अपनाई किसान यो बरबाद करया

घर उजाड़ कै म्हारा अपणा यो आबाद करया।

घणा यो फसाद करया तोल्या घाट दिल्ली आल्यो।।

म्हारे बालक सरहद पै अपनी ज्यान खपावैं

थारे घूमैं जहाज्यां मैं म्हारे खेत खान कमावैं

भूख मैं टेम बितावैं थारे सैं ठाठ दिल्ली आल्यो।।

किसान विरोधी बिल ल्याये रणबीर किसानी मार दई

रोक रास्ते म्हारे दिल्ली के थामनै ये कर हद पार दई

पुलिस कर वार गई गया बेरा पाट दिल्ली आल्यो।।


898

विश्व बैंक 

विश्व बैंक हमारा रक्षक हमने रक्षक माना इसको। 

निकला यह पूरा ही भक्षक अनुभव से जाना इसको।   

  गरीबी और बेकारी सबके खत्म होने की आस उठी

मगर पन्दरा साल के भीतर जवान बेटे की लाश उठी

विश्वबैंक के कान हों तो गरीब की व्यथा सुनाना इसको।

शिक्षा जगत में गुणवत्ता का इसने ही प्रचार किया  

जैसी शिक्षा थी अपनी उस पर जमकर प्रहार किया

महंगी शिक्षा गुणवत्ता नहीं इतना तो बताना इसको।

स्वस्थ जगत का रंग बदला बड़े अस्पताल ले आए 

मेरे जैसे गरीब गुरबा तो इनके अंदर नहीं घुस पाए 

अपोलो फोर्टिस की कल्चर ये जरा समझाना इसको।  

   बहुराष्ट्रीय कंपनियों का यह रक्षक असल में पाया 

मुखौटा हमारी मदद का रंग रंगीला इसने लगाया 

रणबीर का पैन खोसने का ना मिला बहाना इसको।


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अमरीका तेरी चाल देख कै धरती का दिल धडकै रै

दुनिया पूरी नै हांक रहया एक एक के कान पकड़ कै रै 

1

इस धरती का हिया तनै अपने कर्मों तैं यो हिला दिया

अपने सुख की खातर तनै दुनिया तैं जहर पिला दिया

पृथ्वी का संकट बढ़ा दिया बाली के मैं तनै अकड़ कै रै।।

2

तनै आवाम दुनिया का सबक जरूर सिखावैगा रै

बंब और बेड़े कोन्या काम आवैं एक दिन पछतावैगा रै 

तेरा सिर यो झुक जावैगा रै रोवैगा कोठे मैं बड़कै रै ।।

3

जनता जागरूक होंती आवै सच्चाई सारी जान रही या

नाटक खेल कै तेरे ऊपर सही निशाना इब ताण रही या

धरती का बैरी पिछाण रही या दखे सांझ और तड़कै रै ।।

4

पूरी दुनिया हल्ला बोलै धरती नै हम जरूर बचावाँगे

दुनिया के कमेरे मिलकै दुनिया के म्हा अलख जगावांगे

हम ईसा माहौल बनावांगे रणबीर रहवै तेरे तैं लड़कै रै ।।


900

ग्लोबल वार्मिंग

बादल ग्लोबल वार्मिंग के आज भारत मैं मण्डरावैं।।

गंगा नदी लुप्त होज्यागी साइंसदान अंदाज यो लगावैं ।।

विकासशील देशां ऊपर आज खतरा घणा बताया

मार कसूती पड़ण लागरी ना जाता नुकसान सँगवाया

तीस प्रतिशत जीरी कम हो किसानों नै अंदाज लगाया

गेहूँ पै भी असर पड़ैगा यो चार प्रतिशत दिखलाया 

पर्यावरण और बिगड़ता जा सांस मुश्किल तैं ले पावैं।।

गंगा नदी लुप्त होज्यागी साइंसदान अंदाज यो लगावैं ।।

अर्थ व्यवस्था भारत की पै घनघोर संकट छाग्या

सकल उत्पाद कम होग्या माणस घणा दुख पाग्या

बरसात घणी बेढंगी होगी हमनै दोफारा जड़ तैं खाग्या 

राजस्व मैं गिरावट बढ़ी खुदरा व्यापार तंगी मैं आग्या

कई करोड़ टन खेती का घाटा साइंसदान बतावैं।।

गंगा नदी लुप्त होज्यागी साइंसदान अंदाज यो लगावैं ।।

समुंदर स्तर फेर एक मीटर ऊंचा यो होज्यागा

छह लाख हेक्टेयर धरती इसनै तो पानी 

डबोज्यागा

सत्तर लाख लोग उजडेंगे बीज बिघण के बोज्यागा

भूख तैं लोग मरेंगे लाखों यो माणस आपा खोज्यागा

खासकर मुम्बई आले घणा कसूता नुकसान ठावैं।।

गंगा नदी लुप्त होज्यागी साइंसदान अंदाज यो लगावैं ।।

लगाम बढ़ते तापमान पै मिलजुलकै लाणी होगी

बढ़या तापमान क्यों घर घर अलख जगानी होगी

पेड़ लगावां हम छिकमा हटकै रीत चलानी

होगी

अमरीका यूरोप पै भी मिलकै दबाव बनाणी होगी

रणबीर ग्लोबल वार्मिंग तैं मिलजुल दुनिया नै बचावैं।।

गंगा नदी लुप्त होज्यागी साइंसदान अंदाज यो लगावैं ।।