Monday, 16 October 2023

कण कण मैं बसै

 त्याग तपस्या जनसेवा हरेक धर्म का सार बताया रै।।

कण कण मैं बसै रामजी किसनै पत्थर पूजवाया रै।।

कौनसे धर्म मैं लिख दिया दूजे धर्म तैं लोगो घृणा करो 

अपने नै महान बताओ दूजे धर्म के ऊपर नाम धरो 

उसको ढूंढ़ो अपने अंदर  मुक्ति का यो राह दिखाया रै।1।

कण कण मैं बसै ......

समाज सुधरै जीवन सुधरै है धर्मों का अंजाम यही 

फेर क्यों मारकाट धर्मों पै कबीर नै दी  पैगाम यही 

सूफी संतों नै अंधभक्तों को यो रास्ता सही समझाया रै।2।

कण कण मैं बसै ......

प्यार से सब रहते आये हैं गंगा जमुनी संस्कृति म्हारी

अंग्रेजों नै बांटो राज करो करी सोच समझ कै त्यारी

धार्मिक कट्टरता नै मानस दुनिया का आज कँपाया रै।3|

कण कण मैं बसै ......

धार्मिकता के सिद्धान्त सारे  धर्मों के कुछ लोग भूले

एक दूजे तैं नफरत करो की मारा मारी मैं क्यों झूले 

धर्म व्यक्तिगत मसला सै पां क्यों राजनीति मैं फंसाया रै।4।

कण कण मैं बसै ......

कोए सुणता होतै सुणियो

 एक गरीब परिवार की बहू खेत में घास लेने गई। वहां दो पड़ौस के लड़के उसे दबोच लेते हैं। क्या बनती है~~

कोए सुणता होतै सुणियो दियो मेरी सास नै जाकै बेरा।

ईंख के खेत मैं लूट लई छाग्या मेरी आंख्यां मैं अन्धेरा।

चाल्या कोण्या जाता मेरे पै मन मैं कसूती आग बलै सै

दिमाग तै कति घूम रहया यो मेरा पूरा गात जलै सै

पिंजरे मैं घिरी हिरणी देखो या देखै कितै कुंआ झेरॉ।

म्हारे दो पड़ौसी उड़ै खेत मैं घात लगायें बैठे थे

मुँह दाब खींच ली ईंख मैं ईथर भी ल्यायें बैठे थे

गरीब की बहू ठाड्डे की जोरू मनै आज पाटग्या बेरा।

यो काच्चा ढूंढ रहवण नै भरया गाळ मैं कीचड़ री

पति नै ना दिहाड़ी मिलती घरके कहवैं लीचड़ री

गुजारा मुश्किल होरया सै बेरोजगारी नै दिया घेरा।

नहां धोकै बाळ बाहकै घूमै खाज्या किलो खिचड़

उंकी इसी हालत घर मैं जण होसै भैंस का चीचड़

खिलौने बेच गालाँ मैं दो रोटी का काम चलै मेरा।

घरां आकै रिवाल्वर दिखा धमकाया सारा परिवार 

बोल चुपाके रहियो नातै चलज्यागा यो हथियार

भीतरला रोवै लागै सुना मनै यो बाबयां बरगा डेरा।

मेरे बरगी बहोत घनी बेबे जो घुट घुट कै नै जीवैं 

दाब चौगिरदें तैं आज्यावै हम घूँट जहर का पीवें

यो रणबीर कलम उठाकै कहै हो लिया सब्र भतेरा।

जमीन जल और जंगल पै

 जमीन जल और जंगल पै अमीर कब्जा बढ़ावै सै।

गरीब लाचार खड़या आसमान तरफ लखावै सै।।

1

जमीन पै कब्जा करकै हाईटैक सिटी बनाते आज

उजड़ कै जमीन तै कित जावै ना खोल बताते आज

बीस लाख मैं ले कै किल्ला बीस करोड़ कमाते आज

इनके बालक तै ऐश करैं म्हारे ज्यान खपाते आज

आदिवासी नै जंगल मां तै हांगा करकै हटावै सै।।

गरीब लाचार खड़या आसमान तरफ लखावै सै।।

2

जंगल काट-काट कै गेरे ये मुनाफा घणा कमागे रै

आदिवासी दिये भजा उड़ै तै बहुत से ज्यान खपागे रै

मान सम्मान खातर लड़े वे ज्यान की बाजी लागे रै

देशी लुटेरे बदेशी डाकुआं तै ये चौड़ै हाथ मिलागे रै

किसान की आज मर आगी यो संकट मैं फांसी लावै सै।।

गरीब लाचार खड़या आसमान तरफ लखावै सै।।

3

बिश्लेरी पानी की बोतल बाजार मैं दस की मिलती रै

दूध सस्ता और पानी महंगा बात सही ना जंचती रै

साफ पानी नहीं पीवण नै बढ़ती बीमारी दिखती रै

पानी म्हारा दोहन उनका पीस्से की भूख ना मिटती रै

जमीन जंगल जल गया संकट बढ़ता ए आव सै।।

गरीब लाचार खड़या आसमान तरफ लखावै सै।।

4

औरत दी एक चीज बना बाजार बीच या बिकती रै

म्हंगाई बढ़ती जा कीमत एक जगहां ना टिकती रै

घणा लालची माणस होग्या हवस कदे ना मिटती रै

अमीरी गरीबां नै खाकै बी आज मा ना छिकती रै

रणबीर बरोने आला घणी साची लिखता घबरावै सै।।

गरीब लाचार खड़या आसमान तरफ लखावै सै।।

ठारा ठारा घण्टे मंडे जिब

 ठारा ठारा घण्टे मंडे जिब थाम सपने पूरे कर पाये।।

कुछ का जिकर सुनो ना सारे जाते आज गिणाये ।।

1

जेट एयरवेज कै ताला पूरी तरियां लवा दिया रै

एयर इंडिया का घाटा असमान पै पहुंचा दिया रै

बीएसएनएल के कर्मचारी कै जाडा चढ़ा दिया रै

एचएएल तनखा ना दे पारी कर्मचारी रुआ दिया रै

आंडी पाकैं थे कर्मचारी बाहर के रसते दिखाये।।

कुछ का जिकर सुनो सारे ना जाते आज गिणाये।।

2

पन्दरा हजार के टोटे मैं डाक विभाग पहुंचा दिया

वीडियोकॉन का पूरा दिवालिया ल्याकै दिखा दिया

टाटा डेकोमो ताहिं सांस लेना कति भुला दिया

एयरसेल की गीण्ड बांधी आज बे काम करा दिया

सरकारी के खाते पूरे लगा बहाने पाड़ बगाये।।

कुछ का जिकर सुनो सारे ना जाते आज गिणाये।।

3

जेपी ग्रुप भी आज बन्द होने को मजबूर  किये

ओएनजीसी के कामकाज चकनाचूर किये

छत्तीस बड़े कर्जदार ये भगौड़े मशहूर किए

साढ़े तीन लाख करोड़ कर्ज माफ भरपूर किये 

बड़े कारपोरेट खातर लाल कारपेट गए बिछाये।।

कुछ का जिकर सुनो सारे ना जाते आज गिणाये।।

4

पंजॉब नेशनल बैंक देवै खस्ताहाल दिखाई सै

दूजे बैंकों की हालत भी हुई बेहाल सुनाई सै 

कर्ज एक लाख तीस हजार मिलियन डॉलर बताई सै 

रेलवे का निजीकरण करकै या जनता

फंसाई सै

कहै रणबीर बरोने आला देश वासी पढ़ण बिठाये।।

कुछ का जिकर सुनो सारे ना जाते आज गिणाये।।