Tuesday, 21 February 2023

पगड़ी सम्भाल का दिन आज देश मैं मनाया जावै।।*

 *पगड़ी सम्भाल का दिन आज देश मैं मनाया जावै।।*

*अजीत सिंह किशन सिंह थारी याद बहोत घणी आवै।।*

1

एंग्लो सिख युद्ध मैं भाग लिया परदादा फते सिंह नै 

आधी जायदाद जब्त करी गोरयां नै म्हारे हिन्द मैं

*दादा अर्जुन सिंह उन बख्तों का  समाज सुधारक कहावै।।*

अजीत सिंह किशन सिंह थारी याद बहोत घणी आवै।।

2

किशन सिंह पिता चाचा अजीत लड़ी आजादी की लड़ाई

चाचा स्वर्ण सिंह साथ मैं इंकलाब जिंदाबाद गूंजाई

*अंग्रेज गोरा इनकै ऊपर सारे तरां के यो जुल्म ढ़ावै।।*

अजीत सिंह किशन सिंह थारी याद बहोत घणी आवै।।

3

घर की महिलावां नै भी इनका धुर ताहिं साथ निभाया

दादी जयकौर मां विद्यावती कदम तैं था कदम मिलाया

*चाची हरनाम कौर हुक्म कौर भी सारै आगै खड़ी पावै।।*

अजीत सिंह किशन सिंह थारी याद बहोत घणी आवै।।

4

अंग्रेजों के जुल्मों के खिलाफ लाया पगड़ी सम्भाल का नारा

बालक भगत सिंह नै आंख्या देख्या था यो सारा नजारा

*रणबीर यो किसान आंदोलन पगड़ी सम्भाल याद दिलावै।।*

अजीत सिंह किशन सिंह थारी याद बहोत घणी आवै।।

मैडीकल के छात्र के कत्ल के वक्त लिखी एक रागनी 

 मैडीकल के छात्र के कत्ल के वक्त लिखी एक रागनी 

क्यों खिलता फूल तोड़ दिया घणा बुरा जमाना आग्या।।

यार नै यार का कत्ल करया मेरा दिमाग तिवाला खाग्या।।

1

तीनों यारां नै मैना में मौज मस्ती खूब मनाई थी नींद की गोली यतेन्द्र नै बीयर बीच मिलाई थी कई दिन पहलम कत्ल की उनै स्कीम बनाई थी गल घोंटकै मार दिया आवाज कती ना आई थी   

सारी डॉक्टर कौम कै यतेंद्र यो कसूती कालस लाग्या।

यार नै यार का कत्ल करया मेरा दिमाग तिवाला खाग्या।।

2

माता कै के बाकी रही जब खबर कत्ल की आई टेलीफोन पै बात हुई ईबीसी फेटण भी नहीं पाई कोर्स पूरा होग्या सोचै थी मैं कर दयूं इब सगाई

क्यों कत्ल हुया बेटे का ना करी कदे कोये बुराई

खुद तै चल्या गया सोनी फेर पूरे घर नै जमा ढाग्या।।

यार नै यार का कत्ल करया मेरा दिमाग तिवाला खाग्या।।

3

क्यों यार का यार बैरी करते क्यों विचार नहीं 

दारू नशे हिंसा का रोक्या क्यों यो व्यापार नहीं 

कांफ्रेंस प्यावैं जमकै दारू न्यों होवै उद्धार नहीं 

या हिंसा ना रोकी तो बचै किसे का घरबार नहीं

दारू नशे हिंसा का पैकेज यो चारों तरफ आज छाग्या।

यार नै यार का कत्ल करया मेरा दिमाग तिवाला खाग्या।।

4

एक औड़ नै कुआं दीखै दूजे औड़ खाई मैं धसगे

घणे जण्यां के अरमानों नै ये नाग काले डसगे

बैर ईर्ष्या लोभ मोह जनूँ तो रग रग के मैं बसगे 

हरियाणे के छोरे छोरी कसूते भंवर के मैं फ़सगे

मैडीकल ऊपर सोचो मिलकै रणबीर सवाल यो ठाग्या।।

यार नै यार का कत्ल करया मेरा दिमाग तिवाला खाग्या।।

हम दिए धरती कै मार, कसूते

 हम दिए धरती कै मार, कसूते विश्व बैंक के वार, करने हाथ पड़ें दो चार , सुनियो भारत के नर नारी।।

1

खेती पर काले बादल छाए कमर तोड़ कै धरी रै धान कपास गेहूं पिटया जमा नाड़ मोड़कै धरी रै सब्सिडी खत्म कर दी ,क्यों हांडी पाप की भरदी असली नहीं हम दरदी विश्व बैंक में घणी डांडी मारी।। 

2

कारखाने लाखां बंद होगे ना बच्या कितै रोजगार नेता अपराधी माफिया का यो खाली जा ना वार काला धन बाजार मैं आया, अमेरिका ने जाल बिछाया,मध्यम वर्ग खूब भकाया, दिखाकै सपने बड़े भारी।।

3

टीवी पै घणे चैनल आगे ये भुंडी फ़िल्म दिखावैं

औरत दी एक चीज बणा बाजार मैं बोली लावैं

महिला भी इंसान होसै, न्यों उसका अपमान होसै, ना हमनै उन्मान होसै,पुरानी रीत कई अत्याचारी।।

4

पढ़ाई लिखाई महंगी करी यो गरीब कड़ै जावै

पढ़ लिख कै बिना पहोंच दफ़्तरां के धक्के खावै

अनैतिकता मैं पलै बढ़ै, वो नैतिकता के नारे गढ़ै

रणबीर की छाती पै चढै, छलनी करदी छाती सारी।।