Thursday, 7 September 2017

3 OCTOBER

किसान मजदूरों की होवैगी हिसार मैं या रैली बताई
तीन अक्टूबर नै देश के किसानों की बैठक बुलाई।।
1
बणा नीति किसान विरोधी किसानी जमा बणा दी बोड़ी
मजदूरों पै संकट छाग्या म्हारी महंगाई नै कड़ तोड़ी
बिना लड़ाई पार ना जावै चालो सरतो और भरपाई।।
2
लागत फालतू खेती मैं आवत उसतैं कम होरी या
रोज कर्जा बढ़ता जावै सरकार असल राही खोरी या 
सब्सिडी पै नजर गाडरी सरकार हुई सै हड़खाई।।
3
बिना लड़ाई सुणल्यो भाईयो पार म्हारी जाणी ना
शासक तंत्र दुश्मन म्हारा इंका काट्या मांगै पाणी ना
किसान मजदूर की देखो आड़े होसै खाल तराई।।
4
मजदूर किसान मिलकै जन क्रांति इब ल्यावैंगे
किसान मजदूर की एकता इसनै मिलकै बचावैंगे
कहै रणबीर चालो रैली मैं जै चाहो सो ज्यान बचाई।।

सोचें मिलकै

किसान मजदूर सोचें मिलकै क्यों लुटगी मेहनत म्हारी।।
किसान फसल उगावै मजदूर बणावै महल अटारी।।
1
उबड़ खाबड़ खेत क्यार किसान की मेहनत नै सँवारे
मजदूर सड़क डैम बणाकै पूरे भारत नै चमकारे
किसान मजदूर की मेहनत क्यों मौज करता साहूकारी।।
किसान मजदूर सोचें मिलकै क्यों लुटगी मेहनत म्हारी।।
2
किसान और मजदूर की एकता बख्त की बात बताई जा
इन दोनों की एकता भाईयो जात गोत इलाके मैं खिंडाई जा
न्यारे न्यारे किसान मजदूर नुकसान ठारे सैं घणा भारी।।
किसान मजदूर सोचें मिलकै क्यों लुटगी मेहनत म्हारी।।
3
देश आगै बढ़या आज मेहनत करी मजदूर किसान
इनके बालक भूखे फिरते न्याकारी कोण्या पाया भगवान
काम करनिये रूलगे देखो पिटी सारै कै या ईमानदारी ।।
किसान मजदूर सोचें मिलकै क्यों लुटगी मेहनत म्हारी।।
4
सिस्टम लूट पाट का होग्या नीति खड़ी विरोध म्हारे थारे मैं
म्हारी लूट का तोड़ बताया किसान मजदूर के भाईचारे मैं
सोच समझ कै रणबीर की कलम दोनों का एका चाहरी।।
किसान मजदूर सोचें मिलकै क्यों लुटगी मेहनत म्हारी।।

व्यवस्था हुई हड़खाई

समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।
इसका काटया मांगै पाणी ना कोये नर और नारी हे।।
1
सिरकी घाल करैं गुजारा जिननै देखो ताजमहल बनाये
उनके बालक मरते भूखे जिननै ये खेत क्यार कमाए
तनपै उनके लत्ता कोण्या जिननै कपड़े के मील चलाये
बिना दूध शीत के रहते वे जिननै ये डांगर ढोर चराये
भगवान भी आंधा कर दिया ना दिखता भ्रष्टाचारी हे।।
समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।
2
जितना करड़ा काम म्हारा उतना नहीं सम्मान मिलता
दस नम्बरी माणस जितने उनका हुक्म सारै पिलता 
नकली फूल सजावैं पाखंडी ना असली उनकै खिलता
कहते उसके बिना आड़े यो पत्ता तक बी नहीं हिलता
सबकै उप्पर उसका ध्यान नहीं फेर किसे न्याकारी हे।।
समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।
3
डांगर की कद्र फालतू यो माणस बेक़दरा संसार मैं
छोरे की कद्र घणी सै छोरी पराया धन परिवार मैं
किसे जुलम होण लागरे ये छपते रोज अखबार मैं
माणस खानी म्हारी व्यवस्था लादे बोली सरेबाजार मैं
कति छाँट कै इसनै चलाई महिला भ्रूण पै कटारी हे।।
समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।
4
इस व्यवस्था मैं मुट्ठी भर तै हो घणे मालामाल रहे 
इसा जाल पूर दिया चला इसनै अपणी ढाल रहे
सोच समझ कै बढियो आगै माफिया कसूते पाल रहे
फौजी और पुलिसिया रणबीर कर इनकी रूखाल रहे
सही सोच के संघर्ष बिना जनता आज पिटती जारी हे।
समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।

28 NOV

अठाईस नवम्बर के दिन विरोध दर्ज कराणा चाहिए ।
देश भक्त नागरिक जितने सबनै बाहर आणा चाहिए ।
आक्रोश प्रकट करकै हम सुनावां सरकार लुटेरी नै 
खामखा दुखी करण लागरी देखो जनता कमेरी नै 
गरीब गुरबे क्यूकर जीवैं यो मुश्किल जीना भतेरी नै 
मजदूरी कितै कितै बची सै भूख खावै शाम सबेरी नै 
मोदी जी अहंकार छोड़ कै गरीब तनै बचाणा चाहिए ।
देश के इतिहास का यो सबतै काला दौर बताया देख 
मोदी जी तनै सनक मैं जनता का यो मोर नचाया देख 
काले धन के नाम पै क्यों जनता का धोला कढाया देख 
पन्दरा बीस धन कुबेरों का तनै भोभा भरना चाह्या देख
अमीराँ की खातर गरीबों पै ना इसा तीर चलाना चाहिए।
आर्थिक जाम पूरे हिंदुस्तान मैं  घणा कसूता लगा दिया रै
कारखाने फैक्ट्री बन्द हुए कईयों को विदेश भगा दिया रै
काले धन का इलाज पक्का नोट बन्दी को बता दिया रै
निर्माण कार्य ठप्प होंगे कईयां कै दीवा यो बुझा दिया रै
दुकानदार बैठे माखी मारैं ना घणा कहर ढाणा चाहिए ।
भूल्या भटक्या आया गाहक तो दो हजार का नोट देवै
खुले कोन्या व्यापारी पै तो चीज किस तरियां वो लेवै 
खोमचे रेहड़ी पटरी आला मार सबतै ज्यादा वो खेवै
मीडिया में प्रधानमंत्री रो कै आँख कई बरियाँ यो भेवै
सब्ज बाग़ दिखा जनता को नयों नहीं बहकाना चाहिए।
अपने पीसे कढ़ावण नै जनता क्यों भिखारी बनादी
कई घण्टे लाम्बी लाइन मैं या जनता खड़ी करवादी
इस नोट बंदी के रासे मैं छः दर्जन ज्यान ये गंवादी
बईमान खुश हांड रहे सैं ईमानदारों कै फांसी लवादी
कहै कुलदीप मोदी जी ना गरीब इतना दबाना चाहिए ।

KHATTAR SAHAB

दलित अत्याचार पर, महिला के बलात्कार पर 
फैल रहे व्यभिचार पर, खट्टर जी बताओ हमनै।।
1
दलित अत्याचार आज बी कम होंते दें दिखाई ना
महिला का यौन शोषण इसमें कोए कमी आई ना
महंगाई के उभार पर, रूढ़िवाद के प्रचार पर 
कालेधन की मार पर, खट्टर जी बताओ हमनै।।
दलित अत्याचार पर, महिला के बलात्कार पर 
फैल रहे व्यभिचार पर, खट्टर जी बताओ हमनै।।
2
कालेज स्कूलों मैं यो भगवाकरण क्यों फैलाया सै
सारे कै बिठा कै संघी इतना उधम क्यों मचाया सै
पढ़ाई के व्यापार पर , नकल की भरमार पर 
नॉन अटैंडिंग कतार पर,खट्टर जी बताओ हमनै।।
दलित अत्याचार पर, महिला के बलात्कार पर 
फैल रहे व्यभिचार पर, खट्टर जी बताओ हमनै।।
3
मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना देती नहीं दिखाई
पीजीआई मैं खाली सीट इनपै नौकरी नहीं लाई
बीमारी के उभार पर, मरीजों के उपजार पर
डॉक्टरों के भ्रष्टाचार पर, खट्टर जी बताओ हमनै।।
दलित अत्याचार पर, महिला के बलात्कार पर 
फैल रहे व्यभिचार पर, खट्टर जी बताओ हमनै।।
4
बेरोजगारी घणी बढादी किसान क्यों फांसी खावै
महिला कितै महफूज ना किस आगै दुखड़ा गावै
बेरोजगारी की मार पर, पोर्नोग्राफी के बाजार पर
इस लूटू साहूकार पर, खट्टर जी बताओ हमनै।।
दलित अत्याचार पर, महिला के बलात्कार पर 
फैल रहे व्यभिचार पर, खट्टर जी बताओ हमनै।।

प्रदूषण


म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया रै।।
दुनिया मैं दिल्ली शहर , ग्याहरवें नम्बर पै बताया रै।।
1
यमुना पढ़ण बिठादी या , ईब गंगा की बारी कहते रै
तालाब घनखरे सूख लिए, विकास की लाचारी कहते रै
संकट पाणी का कसूता , भारत प्यारे पै मंडराया रै।।
म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया रै।।
2
जंगल साफ करण लागरे ,विनाश के लगा गेर दिए
वायु प्रदूषण बढ़ता जावै, विकास के नारे टेर दिए
जंगल जमीन खान बेचे,  विकास का खेल रचाया रै।।
म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया रै।।
3
प्रदूषण कारण लाखों लोग बख्त तैं पहल्यां मरज्यावैं
ये प्रदूषण उम्र करोड़ों की कई साल कम कर ज्यावै
पूरे भारत देश म्हारे मैं, प्रदूषण नै कहर मचाया रै।।
म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया रै।।
4
विकास की जागां देखो विनास की राही चाल रहे
पाणी सपड़ाया पेड़ काटे घणे कसूते घर घाल रहे
संभलो जनता कहै रणबीर प्रदूषण नै देश रम्भाया रै।।
म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया रै।।