Monday, 2 December 2024

810..819

810

किसान आंदोलन के चरचे पूरी दुनिया के मैं होये रै।।

बीज किसानों के भाईचारे के  आंदोलन  नै बोये रै।।

1

जात धर्म तैं ऊपर उठकै हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई

किसान मजदुर कट्ठे होकै कानूनों की वापसी चाही

कारपोरेट तबके ताहिं भाई झगड़े कानूनों के झोये रै।।

बीज किसानों के भाईचारे के  आंदोलन  नै बोये रै।।

2

जमाखोरी या बेअंत करदी ईसा कानून बनाया देखो

एमपीएससी तीजे कानूनं का कसूता तीर चलाया देखो

घणा फतूर मचाया देखो जनतंत्र के तरीके ये खोये रै।।

बीज किसानों के भाईचारे के  आंदोलन  नै बोये रै।।

3

खालिस्तानी माओवादी बरगे ओछे हथकंडे अपनाये

किसान समझगे चाल इनकी कोण्या बहका मैं आये

झूठ के घणे तीर चलाये इसके खूबै बोरे ढोये रै।।

बीज किसानों के भाईचारे के  आंदोलन  नै बोये रै।।

4

फूट गेरो राज करण का मोहरा इनका फेल किये

फासीवाद तैं लड़ने के तरीके किसानों नै पेश किये

हो कट्ठे ये पेल दिए रणबीर नै छंद पिरोये रै।।

बीज किसानों के भाईचारे के  आंदोलन  नै बोये रै।।

 811

चलो गाजी बॉर्डर बुलावै ईब नहीं घबराना हे।।

संघर्ष के दम पै अपणा आज हक पाना हे।।

1

जल्दी करलयो पीणा खाणा 

इस जिसा ना मौका थ्याणा

फेर हमनै ना पड़ै पछताणा

संघर्ष करकै हक पाणा, यो पूरा हाँगा लाणा हे।।

संघर्ष के दम पै हमनै अपणा हक पाणा हे।।

2

जमा नाट गये देखो हाँ भरकै

धरने जलूसों से इणनै डरकै

मंत्री भकाजया कदे आ करकै

फ़ाइल फेर जमा नहीं सरकै, रोज का ही फरमाणा हे।।

संघर्ष के दम पै हमनै अपणा हक पाणा हे।।

3

बुलंद होवेंगे उड़ै म्हारे नारे

निजीकरण नै घाले सैं घारे

घणे दुखी मजदूर कर्मी सारे

ठेकेदारी प्रथा सारे कै ल्यारे, मिलकै पाठ पढ़ाणा हे।।

संघर्ष के दम पै हमनै अपणा हक पाना हे।।

4

संघर्ष बिना नहीं सै गुजारा

जल्दी चालां हजारों हजारां 

सरकार हैरान हो देख नज़ारा

रणबीर लिखता साथी म्हारा, ना पाछै कदम हटाणा हे।।

संघर्ष के दम पै हमनै अपणा हक पाना हे।।

 812

आस बंधी भोर होवैगी शोषण जारी रहै नहीं ।।

लोकलाज तैं राज चलै रिश्वत भारी रहै नहीं।।

1

 चेहरा सूखा मरै भूखा या मजबूरी नहीं रहै

शरीफ बसैंगे उत मरैंगे झूठी गरूरी नहीं रहै

गरीब कमावै उतना पावै जी हजूरी नहीं रहै

मुनाफाखोरां की फेर स्वर्ण तिजूरी नहीं रहै

फूट गेर कै राज करो इसी बीमारी रहै नहीं ।।

लोकलाज तैं राज चलै रिश्वत भारी रहै नहीं।।

2

कर्जे माफ़ होज्यां साफ़ आवैगा दौर सच्चाई का

बेरोजी भत्ता कपड़ा लत्ता हो प्रबन्ध दवाई का

पैंशन होवै सुख तैं सोवै काम होज्या भलाई का 

जच्चा बच्चा सेहत अच्छा मौका मिलै पढ़ाई का

मीठा पाणी चालै नल मैं यो पाणी खारी रहै नहीं ।।

लोकलाज तैं राज चलै रिश्वत भारी रहै नहीं।।

3

भाईचारा सबतै न्यारा ना कोये धिंगताना हो

बदली खातर ठाकै चादर ना मंत्री पै जाना हो

हक मिलै घीसा घलै सही ठौर ठिकाना हो

सही वोट डलैं ना नोट चलैं इसा ताना बाणा हो

हमनै चाहया देश मैं यो अत्याचारी रहै नहीं ।।

लोकलाज तैं राज चलै रिश्वत भारी रहै नहीं।।

पड़कै सोज्यांगे चाले होज्यांगे ना कुछ भी होवैगा

भीतर बड़ माथा पकड़ बूक मार कै नै रोवैगा

नया मदारी करै होश्यारी हमनै बेच कै सोवैगा

जागू रहियो मत सोईयो काटैगा जिसे बोवैगा

रणबीर बरोने आला कितै दरबारी रहै नहीं ।।

लोकलाज तैं राज चलै रिश्वत भारी रहै नहीं।।

 813

सबका हरियाणा 

लूट खसोट बचै ना ईसा हरियाणा बनावांगे।।

धर्मांधता बढ़ै नहीं ईसा हरियाणा बसावांगे।।

1

यो भरपूर इंसान उभरै प्यारे हरियाणा मैं

सही बोल कहे जावैंगे म्हारे हरियाणा मैं

हो रोक थाम बीमारी की पूरा इलाज करावांगे।।

धर्मांधता बढ़ै नहीं ईसा हरियाणा बसावांगे।।

2

खात्मा हो दोगली शिक्षा का सबनै शिक्षा मिलै पूरी

नाड़ काट दौड़ रहै ना हो ना पीसे की मजबूरी

नशा खोरी नहीं टोही पावै यो अभियान चलावांगे।।

धर्मांधता बढ़ै नहीं ईसा हरियाणा बसावांगे।।

3

मुनाफा मंजिल नहीं रहै ना कितै घमासान मचै

जिसकी लाठी बैंस उसकी जुमला फेर नहीं बचै

प्रदूषण घटाकै धरती बाँझ होण तैं बचावांगे।।

धर्मांधता बढ़ै नहीं ईसा हरियाणा बसावांगे।।

4

महिला नै इंसान समझाँ ना मानैं दूजे दर्जे की

दलित उत्पीड़न खत्म हो मार बचै ना कर्जे की 

सबनै रोजगार मिलैगा यो बिगुल बजावांगे।।

धर्मांधता बढ़ै नहीं ईसा हरियाणा बसावांगे।।

814

जाइये मनै बताकै

घसे कसूते दुःखी होरे सां देख मुरारी आकै।

अपणे हाथां क्यूं ना गेरता कुएं के मां ठाकै।।

1. देश दम म्हाटीरे पै फल्या यो

  अमीर घर दीवा बल्या यो

  म्हारा सब किमै छल्या यो घिटी मैं गूंठा लाकै।।

2. तेरा चेला दुखड़ा

  मेहनत कर भूखा सोवै सै

  तनै सारे कै टोहवै सै सोग्या अमीरां कै जाकै।।

3. तनै गरीब क्यों नहीं भाता

  क्यों ना म्हारी तरफ लखाता

  तूं कद खोलै म्हारा खाता जाइये मनै बताकै।।

4. बचया छिदा इन्सान आड़ै

  सब देखै भगवान आडै़

  घर होगे शमशान आड़ै रणबीर कथा सुणाई गाकै।।

 815

उल्टी गंगा पहाड़ चढा दी इसा नजारा देख लिया

खेती करता भूखा मरता किसान बिचारा देख लिया


एक मिन्ट की फुरसत ना तूं 24 घन्टे काज करै

रोटी ऊपर नूण मिर्च फेर धरया मिलै सै प्याज तेरै

काम की बाबत सब कुणबे की गेल्यां भाजो भाज करै

फेर भी पेट भराई घर म्हं मिलता कोन्या नाज तेरै

घर म्हं बड़रे बाज तेरै ना हुवै गुजारा देख लिया


उठ सबेरे हळ जोड़ै तूं थारा बूढ़ा जावे पाळी सै

छोरा भेज दिया पाणी पै बुढ़िया गई रूखाळी सै

रोटी और जुआरा ले आवे तेरी घर आळी सै

सारा कुणबा मंड्या रहै फिर भी घर मैं कंगाली सै

तू रहै खाली का खाली सै तेरै टोटा भारया देख लिया


भूखा मरता करजा लेणे फेर बैंक मैं जावे सै

बाबु जी बाबु जी करकै छीदे दांत दिखावे सै

रिश्वत ले ले ठोक म्हारे पै फेर म्हारा केस बणावे सै

धरती तक गहणैं धरलें जब हमनै कर्ज थ्यावे सै

लूट लूट खावै सै उनका पड़ता लारा देख लिया


न्यूं म्हारा पैंडा छुटै कोन्या चाहे दिन रात कमाए जा

हमैं लुटेरा लूट लूट कै बैठ ठाठ तै खाए जा

बामण बणिया जाट हरिजन कहकै हमैं लड़ाए जा

हरिचन्द तेरी बी बा यूनियन न्यूएं लूट मचाए जा

टूटे लीतर पाट्या कुरता फुट्या ढारा देख लिया

816

 थारी हिम्मत ने सलाम सारा देश देव थारे तैं बधाई

 सिल्वर मेडल ताहीं पहोंची कई तरीयां की लड़ी लड़ाई

विनेश फौगाट हर नै जंतर मंतर पै डेरे लगाए थे

पहलवानों के हकों की खातर धर ने ऊपर आए थे

सरकार और बृजभूषण की ना थी पार बसाई।।

बड़ी मुश्किल तैं इजाजत पाई पेरिस जावण की

पूरी तयारी करी थामनै उड़ै अपने हुनर दिखावण की

तीन कुश्ती जीत कै फाइनल खातर कदम बढ़ाई।।

चाण चनक सौ ग्राम बोझ करी डिस्कवालीफाई रै

कोए साजीस सै इसमें जनता नै मांग उठाई रै

दबाव बनया देश दुनिया का यो कास करो सूनवाई।।

CAS की मीटिंग होंन लागरी देखो के फैंसला होवैगा 

सिल्वर मेडल मिलियो विनेश नै रणबीर छंद पिरोवैगा

विनेश की कुश्ती नै देश की जनता हटकै जगाई।।

 817

6 अगस्त को तीज है, इस मौके की एक रागनी 

लाल चूंदड़ी दामण काला, झूला झूलण चाल पड़ी।

कूद मारकै चढ़ी पींग पै देखै सहेली साथ खड़ी।।

झोटा लेकै पींग बधाई, हवा मैं चुंदड़ी लाल लहराई

उपर जाकै तले नै आई, उठैं दामण की झाल बड़ी।।

पींग दूगणी बढ़ती आवै, घूंघट हवा मैं उड़ता जावै

झोटे की हिंग बधावै, बाजैं पायां की छैल कड़ी।।

मुश्किल तै आई तीज, फुहारां मैं गई चुंदड़ी भीज

नई उमंग के बोगी बीज, सुख की देखी आज घड़ी।।

रणबीर पिया की आई याद, झूलण मैं आया नहीं स्वाद

नहीं किसे नै सुनी फरियाद, आंसूआं की या लगी झड़ी।।

 818

विवेक

सूरज साहमी कोहरा टिकै ना अज्ञान विवेक मयी वाणी कै।।

अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।

ढोंग अर अन्धविश्वास  पै टिक्या चिन्तन फेर बचै कोण्या

यज्ञ हवन वेद शास्त्र फेर पत्थर पूजा प्रपंच रचै कोण्या

पुरोहित की मिथ्या बात का दुनिया मैं तहलका मचै कोण्या

मन्द बुद्धि लालची माणस कै विवेकमय दया पचै कोण्या

शिक्षित अनपढ़ अज्ञानी निर्धन  बीच मैं आवैं फेर कहाणी कै।।

अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।

आत्मा परमात्मा सब गौण होज्यां सामाजिक दृषिट छाज्या फेर

समानता एक आधार  बणै औरत सम्मान पूरा पाज्या फेर

मानवता पूरी निखर कै आवै दुनिया कै जीसा आज्या फेर

कार्य कारणता नै समझकै माणस कैसे गच्चा खाज्या फेर

माणस माणस का दुख समझै ना गुलाम बणै राजाराणी कै।।

अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।

संवेदनशील समाज होवै र्इश्वर केंद्र मैं रहवै नहीं

मानव केंद्रित संस्कृति हो पराधीनता  कोए सहवै नहीं

स्वतंत्रता बढ़ै व्यकित की परजीवी कोण कहवै नहीं

खत्म हाें युद्ध के हथियार माणस आपस मैं फहवै नहीं

विवेक न्याय करूणा समानता खरोंच मारैं सोच पुराणी कै।।

अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।

अदृश्य सत्ता का कोढ़ आड़ै फेर कति ना टोहया पावै

सोच बिचार के तरीके बदलैं जन चेतना बढ़ती जावै

मनुष्य खुद का सृष्टा बणै कुदरत गैल मेल बिठावै

कर्म बिना बेकार आदमी जो परजीवी का जीवन बितावै

रणबीर बरोने आला ना लावै हाथ चीज बिराणी कै।।

अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।

 819

ज्ञान विज्ञान का पैगाम

सुखी जीवन हो म्यारा ज्ञान विज्ञान का पैगाम सुणो।

हरियाणे के सब नर-नारी चूच्ची बच्चा तमाम सुणो।।

सारे पढ़े लिखे होज्यां नहीं अनपढ़ टोहया पावै फेर

खाण पीण की मौज होज्या ना भूख का भूत सतावै फेर

बीर मरद का हक बरोबर हो इसा रिवाज आवै फेर

यो टोटा गरीब की चौखट पै भूल कै बी ना जावै फेर

सोच समझ कै चालांगे तो मुशिकल ना सै काम सुणो।।

हरियाणे के सब नर-नारी चूच्ची बच्चा तमाम सुणो।।

मिलकै नै सब करां मुकाबला हारी और बीमारी का

बरोबर के हक होज्यां तै ना मान घटै फेर नारी का

भार्इचारा फेर बढ़ैगा नहीं डर रहै चोरी जारी का

सुख कै सांस मैं साझा होगा इस जनता सारी का

भ्रष्टाचार की पूरी तरियां कसी जावै लगाम सुणो।।

हरियाणे के सब नर-नारी चूच्ची बच्चा तमाम सुणो।।

आदर्श पंचायत बणावां हरियाणा मैं न्यारी फेर

दांतां बिचालै आंगली देकै देखै दुनिया सारी फेर

गाम स्तर पै बणी योजना लागू होज्या म्हारी फेर

गाम साझली धन दौलत सबनै होज्या प्यारी फेर

सुख का सांस इसा आवैगा नां बाजै फेर जाम सुणो।।

हरियाणे के सब नर-नारी चूच्ची बच्चा तमाम सुणो।।

कोए अनहोनी बात नहीं ये सारी बात सैं होवण की

बैठे होल्यां लोग लुगार्इ घड़ी नहीं सै सोवण की

इब लड़ां ना आपस मैं या ताकत ना खोवण की

बीज संघर्ष का बोवां समों सही सै बोवण की

कहै रणबीर गूंजैगा चारों कूठ यो नाम सुणो।।

हरियाणे के सब नर-नारी चूच्ची बच्चा तमाम सुणो।।

820..829

 820

बैर क्यों ?

इसी कोए मिशाल भाई  कदे दुनिया मैं पाई  हो।

हिन्दु के घर मैं आग खुद कदे खुदा न लाई  हो।।

राम रहिम नानक  ईसा  ये तो दीखैं नर्म देखो

चमचे इनके हमेश पावैं पतीले से गर्म देखो

याद हो किसे कै बस्ती कदे राम नै जलाई  हो।।

हिन्दु के घर मैं आग खुद कदे खुदा न लाई  हो।।

ब्रूनो मारया मारया  धर्म की इस राड़ नै

किसे धर्म सैं जित रूखाला खुद खा बाड़ नै

एक दूजे की मारी मारी किसे धर्म नै सिखाई  हो।।

हिन्दु के घर मैं आग खुद कदे खुदा न लाई  हो।।

घरां मैं बुढ़ापा ठिठरै मजार पै चादर चढ़ावैं

बिकाउ सैं जो खुद वे  म्हारी कीमत लगावैं

खड़े मंदिर मस्जिद  सूने बस्ती दे वीरान दिखाई  हो।।

हिन्दु के घर मैं आग खुद कदे खुदा न लाई  हो।।

सूरज हिन्दू चन्दा मुसिल्म तारयां की के जात

किसकी साजिश ये बिचारे क्यों टूटैं आधी  रात

रणबीर धर्म पै करां क्यों बिन बात लड़ाई  हो।

हिन्दु के घर मैं आग खुद कदे खुदा न लाई  हो।।

821

बदेशी पूंजी जो हम ल्याण लागरे 

नकेल बिना बदेशी पूंजी देश मैं धुम्मा ठा देगी।।

खान जल जंगल जमीन सबनै चूसकै बगा आरडीदेगी।।

सौ रुपये लगावैगी तो पांच हजार लूटकै लेज्यागी 

खून पसीने की कमाई नै बैरण चूट कै लेज्यागी

अमीर गरीब की खाई या दिन ब दिन बढ़ा देगी।।

नकेल बिना........

अपणे दलाल बणा कै गामां ताहिं या पहोंच गई

कर दारू नशे तैँ हमला इज़्ज़त म्हारी नोच लई

पोर्नोग्राफी मोबाईल मैं घर घर मैं पहोंचा देगी।।

नकेल बिना ......

मुठ्ठी भर नै देकै नौकरी पालतू पशु बनावैं सैं

जात पात पै बाँट कै कारपोरेट मौज उड़ावैं सैं

दंगे करवाकै देश मैं मानस घणे मरवा देगी।।

नकेल बिना .......

गरीब और गरीब होवें अमीरां की चाँदी होज्यागी

देश की घनखरी जनता या इसकी बांदी होज्यागी

कहै रणबीर भका भका कै म्हारै सांस चढ़ा देगी।।

17 मई 2015 

822

एक बख्त इसा आवैगा ईब किसान तेरे पै।

राहू केतू बणकै चढ़ज्यां ये धनवान तेरे पै।।

म्हारी कमाई लूटण खातर झट धेखा देज्यां रै

भाग भरोसे बैठे रहां हम दुख मोटा खेज्यां रै

धरती घर कब्जा लेज्यां रै बेइमान तेरे पै।।

सारी कमाई दे कै भी ना सूद पटै तेरा यो

ठेठ गरीबी मैं सुणले ना बख्त कटै तेरा यो

करैगा राज लुटेरा यो फेर शैतान तेरे पै।।

ध्रती गहणै धर लेंगे तेरी सारी ब्याज ब्याज मैं

शेर तै गादड़ बण ज्यागा तू इसे भाजो भाज मैं

कौण देवै फेर इसे राज मैं पूरा ध्यान तेरे पै।।

इन्सानां तै बाधू ओड़े डांगर की कीमत होगी

सरकार फिरंगी म्हारे देश मैं बीज बिघन के बोगी

अन्नदाता नै खागी ना बच्या ईमान तेरे पै।।

सही नीति और रस्ता हमनै ईब पकड़ना होगा

मेहनत करने आले जितने मिलकै लड़ना होगा

हक पै अड़ना होगा यो भार श्रीमान तेरे पै।।

मेहनतकश नै बी हक मिलै इसी आजादी चाहिये

आबाद होज्या गाम बरोना ना कति बर्बादी चाहिये

रणबीर सा फरियादी चाहिये जो हो कुर्बान तेरे पै।। 

823

याहे दुनिया

जोसै वो सै इस दुनिया मैं जानल्यां हम सच्चाई नै।

बाकी बात झूठ सारी नहीं आवां किसे की भकाई मैं।।

आज की दुनिया का अपना एक इतिहास बताया

झूठे कामचोरों नै अपना यो मुखौटा न्यारा बनाया

साच झूठ मैं जंग होती, कुदरत नै पाठ पढ़ाया

साच छिप नहीं सकती, झूठ की हो नश्वर काया

पदार्थ तै बनी दुनिया, समझां विद्वानां की लिखाई नै।।

बाकी बात झूठ सारी नहीं आवां किसे की भकाई मैं।।

पदार्थ के कई गुण सैं, हर बख्त गतिमान रहै

कदे नष्ट नहीं हो सकता, दुनिया का विद्वान कहै

परिवर्तनशीलता गुण सै, न्यां साइंसदानकहै

वैज्ञानिक सोच जिसकी उनै गुणां की पहचान रहै

पदार्थ का ज्ञान लेना हो सरतो चमेली भरपाई नै।।

बाकी बात झूठ सारी नहीं आवां किसे की भकाई मैं।।

या दुनिया कुदरत के नियमां के हिसाब मैं चलती

माणस करै छेड़खानी तो आंख कुदरत की बलती

जै नियमां का पालन हो कुदरत साथ म्हारे रलती

इसको नष्ट करता बाजार या बात इसकै खलती

बाजार नै माणस लूटे, लूटी कुदरत अन्याई नै।।

बाकी बात झूठ सारी नहीं आवां किसे की भकाई मैं।।

विज्ञान नै कुदरत की सच्चाई के भेद खोल दिये

मानव श्रम करै दौलत पैदा लगा सही तोल दिये

वैज्ञानिक सोच उफंचा गुण सै बता सच्चे बोल दिये

इस सोच के दम पै देखो पाप के हांडे फोड़ दिये

रणबीर बरोने आला समझै विज्ञान की गहराई नै।।

बाकी बात झूठ सारी नहीं आवां किसे की भकाई मैं।। 

824

 कहानी घर घर की--नौकरानी की नजर से  

मरे गरीबी के बोझ तलै , तेरी बी ना कोए पार चलै  

अमीरी हमनै रोज छलै , शरीर  को कसूत सताऊँ मैं ||

दो घरों में जाकै मैं करूँ यो पूरा काम सफाई का 

एक घर डाक्टर का सै दूजा घर वकील अन्यायी का 

दोनों घरों का के जिकरा सै , मेरे पै ना कोए फिकरा सै 

ख़राब सबका जिगरा सै , पेट पकड़ बैठे दिखाऊँ मैं ||

वकील साहब की वकालत बस इसी चलती  बतावें 

ओला बोला पीसा उन धौरे धंधा कई ढाल का चलावैं  

घर मैं पीटता  घरआली नै , बाहर देखो शान निराली नै 

बेटा ठाएँ हाँडै  दुनाली नै , के के सारी खोल सुनाऊँ मैं ||

डाक्टरनी दुखी कई बर बैठी रोंवती  वा पाई बेबे  

शौतन का दुःख झेल रही कई बै चुप कराई बेबे  

बड्डी कोठ्ठी पर दिल छोट्टे, बाहर शरीफ भित्तर खोट्टे

कुछ तो अकल के बी मोट्टे  , कई बै अंदाज लगाऊं मैं ||

घूर घूर कै देखै मने ना डाक्टर का एतबार बेबे 

उसकी आँख्यां  मैं दीखे यो शैतान हरबार बेबे 

डाक्टर का घर छोड़ दिया , तीजे घर मैं बिठा जोड़ लिया 

काढ मने यो निचोड़ लिया रणबीर यो बख्त पुगाऊँ मैं .. 

825

एक महिला की मई दिवस के मौके पर दास्तान । क्या कहती है वह भला:- 

बेरोजगार बेटी की जिंदगानी दुखी घणी संसार मैं।।

बेटा मेरा फिरै सै भरमता नौकरी की इंतजार मैं।।

1

म्हारी गेल्याँ के बनरी होन्ती नहीं कितै सुनाई हे

घरां बाहर जुल्म नारी पै जड़ बिघणां की बताई हे

शरीर पै नजर गड़ाई हे इस पुरुषवादी संसार मैं।।

2

बिना नौकरी पति पत्नी उल्टे काम पड़ें करने हे

घर आले मारैं तान्ने कानां होज्यां डाटे भरने हे

ये सूकगे बहते झरने हे आपस की तकरार मैं।।

3

म्हारी गेल्याँ भुंडी बणै किसे नै बता नहीं पावां

गरीबी की या मार कसूती चुपचाप सहते जावां 

दिन रात ज्यान खपावां ना हो खबर अखबार मैं।।

4

घणे दुखी सां ब्याह पाछै हम दोनूं घर के धौरी 

बिना काम बैठे सैं ठाली आज घणी दुर्गति होरी 

दोनूं दुखी छोरे छोरी रणबीर सरतो के परिवार मैं ।।

826

मई दिवस एक मई नै दुनिया मैं मनाया जावै।।

दुनिया के मजदूरो एक हो नारा यो लगाया जावै।।

1

लड़ी मजदूरां नै कट्ठे होकै दुनियां मैं लड़ाई बेबे

लाल झण्डा रहवै सलामत छाती मैं गोली खाई बेबे

पूरी एकता दिखाई बेबे यो एहसास कराया जावै।।

दुनिया के मजदूरो एक हो नारा यो लगाया जावै।।

2

दी शहादत मजदूरां नै अपने हक लेने चाहे थे

कई सौ मजदूर कट्ठे होकै शिकागे के मैं आये थे

एकता के नारे लाये थे म्हारा हक नहीं दबाया जावै।।

दुनिया के मजदूरो एक हो नारा यो लगाया जावै।।

4

समाजवाद की दुनियां मैं नई सी एक लहर चली

चीन साथ वियतनाम या हर गली और शहर चली

दिन रात आठ पहर चली इतिहास मैं बताया जावै।।

दुनिया के मजदूरो एक हो नारा यो लगाया जावै।।

5

उस दिन तै मजदूर दिवस मेहनत कश मणाण लगे

मजदूर एकता जिन्दाबाद सुण मालिक घबराण लगे

रणबीर सिंह गीत बणाण लगे एक मई नै गाया जावै।।

दुनिया के मजदूरो एक हो नारा यो लगाया जावै।।

 827

एक मई नै  मजदूर बतलाए उत्थल पुत्थल रहवै जारी।।

अमीर गरीब की बढ़ती खाई ना बसकी रहवै म्हारी।।

1

बेरोजगारी नहीं आवै काबू या ऊधम घणा मचावैगी

शहर गाम घर घर मैं या अपने भूंडे असर दिखावैगी

सही विकास राही ना पकड़ी या सांस चढ़ावै भारी।।

अमीर गरीब की बढ़ती खाई ना बसकी रहवै म्हारी।।

2

मजदूरों की जिंदगी पै हमला ईब घणा जबर करैंगे 

दिहाड़ी ऊपर चला चाकू अमीर अपनी तिजौरी भरैंगे

बढ़ैंगे संघर्ष देश के मैं यो इंकलाब नारा लेवैगा उभारी।।

अमीर गरीब की बढ़ती खाई ना बसकी रहवै म्हारी।।

3

किसानों नै देकै बतौले शाशक न्योंये भकाएँ राखैंगे 

जीवण देवैं ना ये मरण देवैं बस न्योंये दबाएँ राखैंगे 

जात पात भूल कै करनी हो आज बड़े मंच की तैयारी।।

अमीर गरीब की बढ़ती खाई ना बसकी रहवै म्हारी।।

4

यो सत्ता तंत्र लठ तंत्र तैं रणबीर रोजाना फतूर मचावैगा

संघर्ष किसान और मजदूर का लाठी गोली तैं दबावैगा

आज पूरे हिंदुस्तान की जनता सड़कों के ऊपर आरी।।

अमीर गरीब की बढ़ती खाई ना बसकी रहवै म्हारी।।

01.05.2024

 828

एक मई नै हटकै कसम खावां खत्म हुई सै लड़ाई कोन्या

मजदूर किसान लूट लिए सरकार चाहती भलाई कोन्या

1

चार मई ठारा सौ छियासी मैं शिकागो मैं हुई थी लड़ाई

भिडंत हुई कई मजदूर पुलिसिया नै अपनी ज्यान खपाई

विरोध आंदोलन पै हमला मजदूरों कै हुई समाई कोन्या।।

2

उस चार मई के संघर्ष की याद मैं एक मई मनाया जावै 

मजदूर संघर्ष का इतिहास जन जन तक पहोंचाया जावै 

मजदूर मालिक का संघर्ष मजदूरों नै पाछै कदम हटाई कोन्या।।

3

होज्यावांगे कुर्बान नहीं झुकां नयूं मिलकै कसम खावां 

मेहनतकश के संघर्ष की आज आवाज पूरे देश मैं 

लेज्यावां

अडानी अंबानी की सुनै सरकार करै म्हारी सुनाई कोन्या।।

4

लूटें हमनै हितैषी बनकै आंख आज म्हारी खुलगी भाई

धर्म जात गोत पै बांटकै लूटो थारी बानगी मिलगी भाई

रणबीर सिंह झूठे वायदे थारे चाहते म्हारी भलाई कोन्या।।

829

शिकागो मैं चार मई ठारा सौ नवासी मैं मीटिंग गई बुलाई।।

मजदूरों के संगठनों नै हो कट्ठे संघर्ष की उड़े बिगुल बजाई।।

1

एक मई ठlरा सौ छियासी अमरीका मैं इननै बिगुल बजाया

पुलिस नै चला गोली आंदोलन को चाहया तत्काल दबाया

कई मजदूर घायल होगे कइयां नै उड़े अपनी ज्यान

खपाई।।

2

तीन साल बाद रंग अपना इस आंदोलन नै दिखाया फेर

अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन था गया बुलाया फेर

रोजाना आठ घंटे काम लिया जावै या थी मांग उठाई।।

3

एक मई नै मजदूर दिवस यो हर साल इब जावैगा मनाया

इस दिन की छुट्टी होवैगी  यो फैसला मिलकै किया बताया

मजदूरों नै इस तरियां देखो दुनिया मैं इतिहास बनाई।।

4

आज भी पूरी दुनिया मैं एक मई दिवस जारया सै मनाया 

मजदूर एकता जिंदाबाद नारा दुनिया मैं जारया सै

गुंजाया

रणबीर सिंह नै इसपै आज हटकै अपनी कलम घिसाई।।

830...839

  830

आवण आले बख्तां मैं उत्थल पुत्थल रहवै जारी।।

अमीर गरीब की बढ़ती खाई ना बसकी रहवै म्हारी।।

1

बेरोजगारी नहीं आवै काबू या ऊधम घणा मचावैगी

शहर गाम घर घर मैं या अपने भूंडे असर दिखावैगी

सही विकास राही ना पकड़ी या सांस चढ़ावै भारी।।

अमीर गरीब की बढ़ती खाई ना बसकी रहवै म्हारी।।

2

मजदूरों की जिंदगी पै हमला ईब घणा जबर करैंगे 

दिहाड़ी ऊपर चला चाकू अमीर अपनी तिजौरी भरैंगे

बढ़ैंगे संघर्ष देश के मैं यो इंकलाब नारा लेवैगा उभारी।।

अमीर गरीब की बढ़ती खाई ना बसकी रहवै म्हारी।।

3

किसानों नै देकै बतौले शाशक न्योंये भकाएँ राखैंगे 

जीवण देवैं ना ये मरण देवैं बस न्योंये दबाएँ राखैंगे 

जात पात भूल कै करनी हो आज बड़े मंच की तैयारी।।

अमीर गरीब की बढ़ती खाई ना बसकी रहवै म्हारी।।

4

यो सत्ता तंत्र लठ तंत्र तैं रणबीर रोजाना फतूर मचावैगा

संघर्ष किसान और मजदूर का लाठी गोली तैं दबावैगा

आज पूरे हिंदुस्तान की जनता सड़कों के ऊपर आरी।।

अमीर गरीब की बढ़ती खाई ना बसकी रहवै म्हारी।।

30.09.2023 

831

किसान मजदूर की ऊपरा तली की रागनी

मजदूर-ना गश लावै भाई बिगाड़या तेरा मिजान नहीं ।।

किसान- मजदूरी बाधू मांगें जावै करै म्हारा ध्यान नहीं ।।

1

मजदूर-करकै गाड़ी त्यार राज की दो पहिये इसमैं डाल दिये

किसान-हम जोड़ दिए लागू पूरे मजदूर कर माला माल दिये

मजदूर-असवार हुया सै मोटा दोनों के मरण के हाल किये

किसान- थारे मैं बांट म्हारी कमाई हम उसनै कंगाल किये

मजदूर- बण्या डलेवर पूंजीपति हम करते यो ध्यान नहीं।।

किसान- मजदूरी बाधू मांगें जावै करै म्हारा ध्यान नहीं ।।

2

मजदूर-बैठ्या बैठ्या बंगळ्यां मैं ओ मौज उड़ावै सै

किसान- मेहनत हम करां सां क्यूकर लूट ले जावै सै

मजदूर- कमाई तीस की करवाकै देकै आठ भकावै सै

किसान-ओ क्यूकर लूटै सै जब भा सरकार ठहरावै सै

मजदूर- ये टोटके समझे बिना होवै कति कल्याण नहीं।।

किसान- मजदूरी बाधू मांगें जावै करै म्हारा ध्यान नहीं ।।

3

मजदूर-उठ सवेरे ही हम दोनों अपने अपने काम पै जावैं सैं

किसान-मर पिट कै सांझ ताहिं ये गण्ठा रोटी थ्यावैं सैं

मजदूर-टूट्या फूट्या घर म्हारा मुश्किल  गुजारे हो पावैं सैं  

किसान-रच दिया संसार उसनै ये थाह किसनै थ्यावैं सैं

मजदूर- रूस लिया कमेरयां तैं म्हारा यो भगवान नहीं ।।

किसान- मजदूरी बाधू मांगें जावै करै म्हारा ध्यान नहीं ।।

4

मजदूर- इतनी मैं ना पार पड़ै हमनै आपस मैं कटवावै यो

किसान-किसान नै मजदूर खाग्या यही हमनै बतलावै यो

मजदूर- एक डाँडी तैं मारै मनै दूजी तैं तनै खावै यो

किसान-मारै क्यूकर मनै बता अन्नदाता मनै बतावै यो

रणबीर बिना म्हारे मेल होवै कोये समाधान नहीं ।।

किसान- मजदूरी बाधू मांगें जावै करै म्हारा ध्यान नहीं ।।

 832

रिश्ते 

परिवार के रिश्ते सड़ते जावैं कसूता संकट छाया हे।।

म्हारे देश मैं औरत का वजूद गया बहोत दबाया हे।।

अन्याय नै समझन खातर या न्याकारी समझ होवै 

न्यायकारी समझ होतै माणस होश हवास नहीं खोवै 

औरत भी एक इंसान होसै सच यो गया छिपाया हे।।

किस पापी नै शरीर औरत का बाजार मैं दां पै लाया

शरीर के म्हां कै ऐस करो औरत को किसनै समझाया

उपभोग की वस्तु किनै बनाई किसनै जाल बिछाया हे।।

पितृसत्ता की ताकत भारी पुत्र लालसा इंकी जड़ मैं सै

औरत पुत्र पैदा कर मुक्ति पांवै या वेदों की लड़ मैं सै 

पुत्री मार कर पुत्र पैदा सबक जान्ता रोज पढ़ाया हे।।

घर भीतर अन्याय होन्ता किसे तैं छिप्या रह्या कड़ै

घर परिवार सब दिखावा रणबीर किसकै घरां बड़ै

छोरी कै लील गेर दिए  जिब धरती का डां ठाया हे ।।

833

 कम बच्चों का सवाल  

जिब फुर्सत होज्या तम नै ,बात ध्यान तैं सुनियो मेरी 

भीडी धरती हो ज्यावै सै उठती नै मने आवें अँधेरी 

खेत मजदूर बाप सै मेहनत कर कै करै गुजारा 

जितनी ढाल की खेती हो वै उस पै सै ज्ञान का भंडारा 

फल सब्जी नाज उगावन मैं किसान कै लाता साहरा

दिहाड़ी पै फेर लठ बा जै संकट होज्या घणा भारया 

घुट घुट कै सहन करण सां ये कडवी बात भतेरी  ||

सात बालक जन्मे थे माता नै  पाँच भान अर दो भाई 

ताप मार ग्य एक जाने नै भान मरगीर्गी बिना दवाई 

दूजी नै बैरन टी बी चाट्ग्यी  घर मैं मची तबाही 

बची दस्तों तैं मरण नै तीजी राम जी के घर तैं आई 

सात मांह तैं तीन बचे मुश्किल तैं इसी घली राम की घेरी ||

यानी सी मैं ब्याह दी थी पति खेत मजदूर मदीने का 

उनका हाल और्व बुरा देख्या ब्योंत नहीं खाने पीने का 

चाह गेल्याँ रोटी घूँट कै खा वें हाल नहीं सै जीने का 

ठाडे की सै दुनिया हे बेबे के सै म्हारे बरगे हीने का 

क्यूकर जी वां सुख चैन तैं चिंता खावै या श्याम सबेरी||

कई बै सोचूँ बालक कम हों ना ठुकता कालजा मेरा  

कितने बचें कितने मरेंगे नहीं पाटता इसका बेरा 

सारे मिलके करैं कमाई जिब हो वै सै म्हारा बसेरा 

मने समझ नहीं आवै क्यूकर केहना मानूं मैं तेरा 

रणबीर सिंह धोरै बूझंगे चल मत करिए देरी ||

 834

निराश मतना होईये बेटी दिखा दे तूं बन कै नै चिंगारी ||

पाछै मतना हटिये जंग तैं छोरी निगाह तेरे पै टिकारी ||

हरयाणा  मैं  महिलावाँ नै आजादी  का  बिगुल  बजा  दिया ||  

खेलां मैं चमकी दुनिया मैं शिक्षा मैं आगै कदम बढ़ा दिया ||

तेरे इस कदम नै पूरा हरयाणा एक बै तो आज डरा दिया ॥ 

कुछ् दकियानूसों नै विरोध मैं अपना झण्डा आज उठा दिया ॥ 

नम्बर वैन नहीं सै पर इसनै हम नम्बर वैन बनावेंगे हे ॥ 

अपने नौजवान भाइयां गैल्यां मिलकै कदम बढ़ावैंगे हे ॥

 835

घूंघट 

घूंघट प्रतीक गुलामी का न्यों जनवादी सोच समझावै।।

घर की इज्जत बन कै घूंघट महिला नै दाबना चाहवै।।

ज्ञान प्राप्ति के पांच तरीके दुनिया मैं गए बताए री

आंख तैं देख इंसान नै ज्ञान के भंडार खूब बढ़ाए री

देख परख कै दुनिया ज्ञान मैं ये चार चांद लगाए री

आंख सबतैं प्यारी इंद्री संसार को अजूबे दिखाए री

बिना आंख माणस आंधा नहीं दुनिया नै देखण पावै।।

कान तैं सुणकै माणस अपना अधूरा ज्ञान बधावै री  

सुणकै बात दुनिया की सुंदर सी तस्वीर बनावै री

बहरा माणस रहवै गूंगा नहीं कुछ सीखन पावै री

कान का कच्चा माणस यो बहोत घणे दुख ठावै री

काम बिना इंसान अधूरा कोण बहरा रहना चाहवै।।

नाक सुआ सा म्हारा दुख सुख मैं साथ निभान्ता यो

खुशबूदार चीज नै सूंघ कै माणस ताहिं बतान्ता यो

बदबू की पहचान करकै कई बीमारियां तैं बचान्ता यो

ज्ञान इंसान का नाक म्हारा चौबीस घंटे बधान्ता यो

नाक बिना क्यूकर काम चलै कोए आकै तो बतावै।।

इस घूंघट नै ये पांचों इंद्री अपने भीतर घोट लई हे

संस्कृति घुंघट करण की नै मार कसूती चोट दई हे

फिल्मों मैं घूंघट दिखा दिखा कर बहोत खोट दई हे

यो घूंघट  मनै तार बगाया पूरे गाम की ओट लई हे

कहै रणबीर बरोने आला चाहिए हर महिला तार बग़ावै।।

836

अमरीका

अमरीका तेरी चाल देखकै धरती का दिल 

धड़कै रै।।

मेरा जी करै आज समझाऊं  तो तेरा कान पकड़कै रै।।

1

इस धरती का हिया तनै अपने कर्मों तैं हिला दिया

अपने सुख की खातर तनै दुनिया तैं जहर पिला दिया

पृथ्वी का संकट बढ़ा दिया बाली मैं तनै अकड़कै रै।।

2

आवाम दुनिया का तनै सबक जरूर सिखावैगा

 रै

बंब और बेड़े ना काम आवैं एक दिन पछतावैगा 

 रै

तेरा सिर झुक जावैगा रै फेर रोवैगा ठेके मैं बड़कै रै।।

3

जनता जागरूक होती आवै सच्चाई सारी जाण रही या

नाटक खेल कै तेरे ऊपर सही निशाना साध रही या

धरती का बैरी पिछाण रही सै या सांझ और 

तड़कै रै।।

4

पूरी दुनिया हल्ला बोलै धरती नै जरूर बचावांगे

देखो

नर नारी सारे मिलकै दुनिया मैं अलख जगावांगे

देखो

ईसा माहौल बनावांगे देखो रणबीर रहवैं तेरे तैं भिड़कै रै।।

837

टेक ...लेकै पहला पहला प्यार

आए मंत्री तुम्हारे पास , हमनै पेट भरण की आस , दखे नौकरी जरूर दिवा दे मंत्री जी।।

1

बिगड़ी मैं सगा भाई भी आंख बदलज्या 

डरते कोए बला या गल मैं ना घलज्या 

मिलज्या आच्छा सा रोजगार,चाहे दिन रात 

कराल्यो करार, चोरी ठगी ना मंजूर मंत्री जी।।

2

लेल्यो नै इम्तिहान रण से ना भागैं

मरज्याँ पर कदे प्रण नहीं त्यागैं 

लागैं झूठी बात फिजूल , चलते कायदे के अनुकूल, कदे सिख्या ना करना गरूर मंत्री जी।।

3

आपस की रिश्तेदारी जा ना ल्हकोई 

बुआना कुल्ताना साथ मैं नांगलोई

कोई चाहे पता निशान , इलाके का पहलवान

चन्दगी राम हुया मशहूर मंत्री जी।।

4

थोड़ी कही नै ज्यादा समझियो हेरा फेरी ऊंच नीच तैं बचियों , सुनियो बरोना मेरा गाम , रणबीर सिंह मेरा नाम, खरखोदा सै थोड़ी दूर मंत्री जी।

838

**साथी राजरानी की शहादत** 

गेस्ट टीचर्स के संघर्ष को देखकर एक बात याद आ गयी । शीला बाई पास पर प्रदर्शन पर गोलियां चली । वहां राजरानी भी गोली का शिकार हुई। जीप ड्राइवर राजरानी को लेकर आया और मैं भी इमरजेंसी में पहुंचा। वहां क्या हुआ इस बारे उन्हीं दिनों एक रागनी लिखी थी पेश है :--- 


बिन आयी मौत साहमी तड़फै सड़क पै पड़ी हुई।

पड़ी जांघ मैं खाकै गोली फेर एक बर खड़ी हुई ।।

1

धड़ाम दे पडी सड़क पै खून फव्वारा ना काबू आरया

साथी तो ठावैं पुलिस रोकै मन होग्या उसका खारया

धक्का स्टार्ट जीप मेरी उन सबनै फेर धक्का मारया

घाल जीप मैं चाल पड़े चेहरां पीला पड़ता जारया

पीली पड़गी राजरानी कितै कितै सांस अड़ी हुई ।।

पड़ी जांघ मैं खाकै गोली फेर एक बर खड़ी हुई ।।

2

ड्रिप लायी ईसीजी मशीन वा सीधी लाइन दिखावै

कई डॉक्टर कट्ठे होगे एक छाती बार बार दबावै

खत्म होली राजरानी कहता डॉक्टर भी घबरावै

चारों कान्ही हाहाकार मच्या गैल भीड़ चढ़ती आवै

देखैं पड़ी खून मैं लतपथ साथिन उड़ै खड़ी हुई ।।

पड़ी जांघ मैं खाकै गोली फेर एक बर खड़ी हुई ।।

3

पड़ी राजरानी बिस्तर पै जनों मेरी तरफ लखावै

इसा दिखाई देवै जनों यो हमनै सन्देश देना चाहवै

आत्म सम्मान बचाल्यो रलकै आज हकूमत दबावै

संघर्ष का रास्ता लेल्यो यो मंजिल तक पहोंचावै

मुठ्ठी भींचगी राजरानी की थी जाड़ी भी कड़ी हुई।।

पड़ी जांघ मैं खाकै गोली फेर एक बर खड़ी हुई ।।

4

गोली मारी सांथल के म्हां करया जुल्मी काम सुणो

राजरानी गेस्ट टीचर नै यो दिया आखरी पैगाम सुणो

नेता अफसर पुलिस की कसनी होगी लगाम सुणो

आख़री सांस मैं उसनै लिया साथिन का नाम सुणो

रणबीर रोवै उड़ै खड़या साच्ची बात ना घड़ी हुई ।।

पड़ी जांघ मैं खाकै गोली फेर एक बर खड़ी हुई ।।

839***** जन स्वास्थ्य अभियान कहै एक अभियान चलावैं रै।

ताजा खाणा पीणा ताजी हवा तैं सेहत बणावैं रै।।

कुदरत साथ संघर्ष म्हारा बहोत पुराणा कहते रै

यो तनाव जब घणा होवै कहैं बीमार घणे रहते रै

बिना कुदरत नै समझैं माणस दुख हजारां सहते रै

इसतै मेल मिलाप होज्या तै सुख के झरने बहते रै

जिब दोहण करैं कुढ़ाला तो उड़ै रोगै पैर जमावैं रै।।

सिन्धु घाटी की जनता नै सेहत के नियम बनाये थे

चौड़ी गाल ढकी नाली ये घर हवादार चिनाये थे

पीवण खातर बणा बावड़ी न्यारे जोहड़ खुदवाये थे

जितनी समझ थी उनकी रल मिल पूरे जोर लगाये थे

जिब पैदावार के ढंग बदलैं बीमारी बी पल्टा खावैं रै।।

माणस मैं लालच बधग्या, कुदरत से खिलवाड़ किया

,बिना सोचें समझें कुदरत का सन्तुलन बिगाड़ दिया

लालची नै बिना काम करें बिठा ऐश का जुगाड़ लिया

माणस माणस मैं भेद होग्या रिवाज न्यारा लिकाड़ लिया

समाज के अमीर गरीब मैं क्यों न्यारी बीमारी पावै रै।।

साफ पाणी खाणा और हवा रोक सकैं अस्सी बीमारी

ना इनका सही बंटवारा सै मनै टोहली दुनिया सारी

जिस धोरै ये चीज थोड़ी सैं उड़ै होवै बीमारी भारी

होयां पाछै इलाज सै म्हंगा न्यू माणस की श्यामत आरी

रणबीर सिंह नै छन्द बनाया मिलकै सारे गावैं रै।।