Wednesday, 1 November 2023

20 ragni

 [21/10, 6:49 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: हर क्यान्हें मैं मिलावट होगी 

हरयाणे का हाल सुणो के के होवै आज सुनाऊँ मैं ।

मिलावट छागी चारों कूट मैं पूरी खोल बताऊँ मैं।

बर्फी खोआ मिलें बनावटी भरोसा नहीं मिठाई का

नकली टीके तैं मरीज मरते भरोसा नहीं दवाई का

आट्टा और मशाले नकली ना भरोसा दाल फ्राई का

पानी प्रदूषित हो लिया भरोसा नहीं दूध मलाई का 

कुछ भी खाँते डर लागै सोचें जाँ ईब के खाऊँ मैं।

बीज नकली खाद नकली ना बेरा पाटै असली का

डीजल पेट्रोल मैं मिलावट ना बेरा पाटै नकली का 

कीट नाशक घुले पाणी मैं ना बेरा पाटै बेअक्ली का

कद नकली धागा टूटज्या ना बेरा पाटै तकली का 

पाणी सिर पर कै जा लिया ना कति झूठ भकाऊं मैं।

राजनीति मैं मिलावट होगी नकली असली होगे रै

ये मिलावटी आज खेत मैं  बीज बिघण के बोगे रै

माणस बी आज दो नंबर के नैतिकता सारी खोगे रै

असली माणस नकली के बोझ साँझ सबरी ढोगे रै

बैठया बैठया सोचें जाँ ईंनतै कैसे पिंड छुटाऊं मैं।

मिलावटी चीज तो बिकती यो दीन ईमान बिकता

माणस मरवाकै बी इनका पेट जमा नहीं छिकता

मिलावट के अन्धकार मैं कोए कोए बस दिखता

जनता एकता के आगै यो मुश्किल नकली टिकता

रणबीर जतन करकै नै बंजर के मैं फूल उगाऊं मैं ।

21.10.2015

[21/10, 7:38 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: हमनै मार गई म्हंगाई, तमनै देवै नहीं दिखाई, मिलता कोनी पेट भराई,कोई तो सुणले पुकार।।

1)

चालीस फीसदी लोग रोज बीस रुपये के खर्चे

दस फीसद के चारों तरफ आज हो रहे चर्चे

तीस फीसद कीमतें बढ़ाई, कमेरयां की श्यामत आई, बढ़ी सबकी सै कठिनाई, कोई तो सुणले पुकार।।

2

छह दशमलव छह आठ या मुद्रास्फीति हुई सै

गरीब तो गरीब मध्यम वर्ग की बुरी हाल भई सै

चावल छब्बीस की आई, आट्टा अठाईस का भाई, या दूध पच्चीस की बताई, कोई तो सुणले पुकार।।

3)

जात गोत नात इलाके पै आज या जनता भिड़ाई

साम्प्रदायिकता सोच समझ देश के अंदर फैलाई

फासीवाद की दे गूंज सुनाई, जो बोलै उसकी रेल बनाई, बहु विविधता खोसी चाही, कोई तो सुणले पुकार।।

4)

फीस स्कूल कालेजों की आसमानों पै चढ़ी जाकै

भगवान कित सोग्या देख जरा सी नजर उठाकै

बिना भोजन बीमारी छाई, असप्तालां मैं नहीं दवाई, रणबीर क्यों बढ़ी बुराई, कोई तो सुणले पुकार।।

[21/10, 8:32 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: उनके घरां मनै दिवाली म्हारै मनै यो दीवाला क्यूं

नाज के गोदाम भरे हमनै म्हारे मुंह ना निवाला क्यूं

1

एक कानहिं साइनिंग दूजे कान्हीं सफरिंग  रहते रै

वे ऐश करैं मौज उड़ावैं क्यों सफरिंग दुख ये सहते रै

यो इतना अंतर क्यों होग्या म्हारे नेता क्या कहते रै

उनके बालक खाते पीते म्हारयां की आंख्या आंसू बहते रै

मनै भगवान आकै नै बतादे यो रोप दिया चाला क्यूं।।

2

अंतर उनके म्हारे बीच का यो दिन दिन बढ़ता जावै सै

खैर खांसी का भी वो तै अपोलो मैं इलाज करावै सै

म्हारे बरगा सरकारी मैं धक्के भीड़ के उड़ै खावै सै

उनके सकूल तो पांच सितारा आड़े मास्टर ना पावै सै

मेहनत म्हारी अर ऐश उनकी हुया गुड़ का राला क्यूं।।

3

पहले कर्मों का भोग रहे सो ऐसा वो हमें फरमाते हैं

इसका आगे फल मिल जायेगा रोजाना ही बहकाते हैं

यो जन्म तो मिथ्या बंदे वे भजनों में रोजाना ऐसा गाते हैं

हम बिना सोचे और समझे उनकी बहका में आ जाते हैं

इसपै सवाल नहीं सैं ठाणे यो खींच दिया पाला क्यूं।।

4

धरती जमा निचोड़ दई अंधा धुंध इसका भोग करते

कुदरत खुद पढ़न बिठा दी नाम इसका म्हारै धरते

बाली मैं सबकै साहमी देखे बुश दुनियां तैं मुकरते

पृथ्वी उप्पर संकट ल्याये वे इसकी नहीं हां भरते

कहै रणबीर बरोने आला यो बैरी म्हारा रुखाला क्यूं।।

[21/10, 9:51 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: भंवरी बाई

सारे धोखा देगे उसनै कसम खाना बेकार गया

बर्तावा देख गाम का उसका मन हो लाचार गया

1

खुला मुकद्दमा चला उसपै आरोप पत्र सुनाया था

औरत होकै करै सामना उसपै यो दोष लगाया था

कुल्टा  कहकै खारिज करदी भूंडी ढाल दबाया था

न्यों बोले बदनाम होगे क्यों मामला यो ठाया था

हुक्म दिया चुप रैहज्या नहीं तो हो बहिष्कार गया।।

2

हिम्मत कोन्या हारी वा जुल्मी तैं उनै लड़ना चाहया

इज्जत बिगाड़ बीर की यो पुराना हथियार चलाया

मरूं इतनै करूं सामना भंवरी बाई नै बीड़ा ठाया

घर आले नै धीर बंधाई पूरा उसका साथ निभाया

होंसला देख भंवरी का सोच मैं पड़ परिवार गया।।

3

थाने मैं रपट लिखावन भंवरी बाई चाल पड़ी

सारे गाम की महिला देखैं सभी उड़े लाचार खड़ी

देख नजारा भंवरी के मन मैं उठी थी झाल बड़ी

रानी झांसी याद आई वा हो घोड़े पै असवार लड़ी

थानेदार भी हंसया उसपै फेर हो कड़वा व्यौहार गया।।

3

न्योँ बोल्या झूठ बोलती इज्जतदारों नै बदनाम करै

नीच जात की औरत हो कै मत ईसा कसूता काम करै

रामकरण न्यामी गिरामी सै क्यों झूठा इल्जाम धरै

चाचा भतीजा दोनों का क्यों खामखा तों नाम धरै

कौन गवाह सै तेरा जो कहदे हो ब्लातकार गया।।

4

सुनकै सुन्न होगी भंवरी फेर होंसला करकै बोली

ब्लातकार का गवाह चाहो मेरी काया सुनकै डोली

साच्ची साच बताई सारी घुंडी बात की सै खोली

थानेदार नै दूसरे कमरे मैं पीस्यां की थैली तोली

कहै रणबीर ज्यां करकै हो पात्थर थानेदार गया।।

[21/10, 10:03 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: भटेरी गांव की भंवरी बाई, संघर्ष की जिनै राह दिखाई,सारे देश मैं छिड़ी सै लड़ाई, साथ मैं चालो सारी बहना।।

1

साथिन भंवरी नहीं अकेली हम कसम आज उठाते सारे

बाल विवाह की बची बुराई इसके खिलाफ जंग चलाते सारे

जालिमों की क्यों ज्यान बचाई, कचहरी क्यों मदद पै आई, सब छिपा रहे हैं सच्चाई,भंवरी साथिन पुकारी बहना।।

2

देकर झूठी दलीलें देखो बलात्कारियों को बचाते क्यों

परम्परा का ढोंग रचाकर असल सच्चाई को दबाते क्यों

भंवरी ने सही आवाज उठाई,जुल्मी चाहते उसे दबाई,समझ गई भरतो भरपाई, भंवरी नहीं बिचारी बहना।।

3

इस तरह से नहीं झुकेंगी जुल्मो सितम से टकरायेंगी

परम्परा की गली सड़ी जंजीरें आज हम तोड़ बगायेंगी

भटेरी ने नई लहर चलाई, समता की है पुकार लगाई, जयपुर में हूंकार उठाई, यह जंग रहेगी जारी बहना।।

4

फासीवाद का खूनी चेहरा इससे हरगिज ना घबरायेंगी

आगे बढ़े हैं कदम हमारे हम नया इतिहास बनायेंगी

रणबीर सिंह ने कलम चलाई, अपने डिक्ल की बात बताई,सच की हुई जीत दिखाई, ना सेखी है बघारी बहना।।

[21/10, 9:09 pm] Dr. Ranbir Singh Dahiya: छांती जावै पूरे देश मैं आज कमर तोड़ महंगाई रै ।।

सरसों तेल फल सब्जी म्हंगे घणी हाहाकार मचाई रै ।।

1

आसमान चढ़े इलाज के खर्चे दवाई भी घणी म्हंगी होगी

रेल किराए बढ़गे बस भाड़े गरीबों की आत्मा रोगी

बिजली बिलों का औड़ नहीं किताबों की कीमत बढ़ाई रै ।।

2

पहलमै जिंदगी मुश्किल थी इब यो दबाव बढ़या देखो

गरीबों की बदहाली बढ़गी कर्जे पै कर्जा चढ्या देखो

धक्के खवाए बेरोजगारी नै ना कितै होवै इब सुनाई रै ।।

3

महंगाई की मार नै आज मध्यमवर्ग भी चपेट लिया

कोरोना लॉकडाउन नै अचानक सबको ही लपेट लिया

बदइन्तजामी कारण कईयों नै अपनी ज्यान गंवाई रै ।।

4

टैक्स बढ़ा बढ़ा कै नै सरकार खजाने भारती देखो रै

लुटा खजाने पूंजीपतियों पै उनको राजी करती देखो रै

रणबीर सिंह कमेरे के दम पै लुटेरे नै मौज उड़ाई रै।।

[22/10, 6:53 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: सबका देश हमारा देश 

सबका हरयाणा हमारा हरयाणा 

मशीन नै तरीके बदले खेत क्यार की कमाई के ।।

गाड्डी की जागां या बाइक बदलाव दीखैं पढ़ाई के ।।

बाइक उप्पर चढ़कै नै छोरा खेत मैं जावै देखो

ज्वार काट खेत म्हां तैं भरौटा बणा छोड्यावै देखो

भरौटा ल्यावां ट्रेक्टर मैं दिन गए सिर पै ढवाई के।1।

जिसकै ट्रेक्टर कोण्या उड़ै आज झोटा बुग्गी आगी रै

घरके काम गैल छोटा बुग्गी या औरत नै खागी रै

घणखरे काम औरत जिम्मै मर्द के काम ताश खिलाई के।2।

प्रवासी मजदूर पै कई का टिक्या खेत क्यार का काम 

म्हणत तैं घिन्न होगी चाहवै चौबीस घण्टे आराम 

दारू बीमारी घर घर मैं आगी करे हालात तबाही के ।3।

सबका हरियाणा अपना ल्याकै भाईचारा बणावांगे 

मानवता का झंडा हरेक गाम शहर पहोंचावांगे 

कहै रणबीर बरोने आला छंद लिखै ना अंघाई के ।4।

[22/10, 6:53 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: आज का माणस

आज का माणस किसा होग्या सारे सुणियो ध्यान लगाकै  

स्वार्थ का कोए उनमान नहीं देख्या ज़िब नजर घुमाकै

चाट बिना भैंस हरियाणे की दूध जमा ना देवै देखो

इसका दूध पी हरियाणवी खुबै ए रिश्वत लेवै देखो

भगवान इणनै सेहवै देखो यो बैठया घर मैं आकै।

और किसे की परवाह कोण्या अपने आप्पे मैं खोया

दूज्यां की खोज खबर ना हमेशा अपना रोना रोया

कमजोर कै ताकू चभोया बैठै ठाड्डे की गोदी जाकै।

दूसरयाँ नै ख़त्म करकै अपना व्यापर बढ़ावै देखो

चुगली चाटी डांडी मारै सारे हथकण्डे अपनावै देखो

दगाबाज मौज उड़ावै देखो चौड़ै सट्टे की बाजी लाकै।

मारो खाओ मौज उड़ाओ इस लाइन पै चाल पड़या

हाथ ना आवै जै आवै तो होवै रिश्वत कै तान खड़या

रणबीर सिंह नै छंद घड़या सच्चाई का पाळा पाकै।

[22/10, 9:38 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: क्या क्यों और कैसे बिना

क्या क्यों और कैसे बिना मिलै दुनिया का सार नहीं।।

ज्ञान विज्ञान के प्रकाश बिना होवै दूर अन्धकार नहीं।।

नीले आसमान मैं क्यों ये चकमक करते तारे भाई

क्यों इन्द्रधनुष के म्हां ये रंग बिरंगे प्यारे भाई

मोर के पंख न्यारे भाई क्यों लाया कदे विचार नहीं।।

तोता कोयल फर फर करकै क्यूकर गगन मैं उडज्यां

क्यों ना बिल्ली के तन पै भी पंख मोर के उगज्यां

क्यों मकड़ी जाला बुणज्यां म्हारी समझ तैं बाहर नहीं।।

क्यों जुगनू की कड़ के उपर जलती हुई मशाल भाई

क्यों गैंडे अर हाथी की पीठ सै उनकी ढाल भाई

विज्ञान के ये कमाल भाई झूठा इसका प्रचार नहीं।।

क्यों फूल गुडहल का हो सुर्ख एक दम लाल कहैं

क्यों झिलमिल करता ये मकड़ी का जाल कहैं

विज्ञान ठावै सवाल कहैं या माया अपरम पार नहीं।।

आम नीम अर इमली क्यों हमनै खड़े दिखाई दें

क्यों समुन्द्र मैं ऊंची नीची उठती लहर दिखाई दें

मछली क्यों रंगीन दिखाई दें जानै सै नम्बरदार नहीं।।

जुबां पै लाग्या ताला यो हमनैं पड़ै तोड़ना सुनियो

सवालां का यो पिटारा तो हमनै पड़ै खोलना सुनियो

हमनै पड़ै बोलना सुनियो क्यों बिना म्हारा उद्धार नहीं।।

[23/10, 6:08 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: बिजली कर्मचारी हड़ताल 

एस्मा लगाकै सरकार कर्मचारी आंदोलन दबावै देखो

निजीकरण करकै बिजली का जनता नै लुटवावै देखो 

ठेके पै देकै बिजली विभाग जनता के दुःख घने बढाये 

बिजली बिल अनतोले देखो लोगां ताहिं जाकै पकड़ाये

मानस धक्के खावैं दफ्तरां के बिल ठीक नहीं हो पावै देखो

सारी मांग कर्मचारियों की पूरी करने आली लागैं देखो

बिजली रेट मत बढ़ाओ जनता की मांग ये उठावैं देखो 

बिजली के रेट बढ़ाकै या आज जनता नै सतावै देखो ।

कर्मचारी एकता जिंदाबाद या जनता मदद मैं आवैगी 

दुखी होरी सै बहोत घणी सुर मैं सुर जनता मिलावैगी 

लडां मिलकै नै आज लड़ाई संघर्ष सफलता पावै देखो।

आज आर पार की लड़ाई निजीकरण कै खिलाफ लडांगे

नहीं डरां इस एस्मा तै अपनी माँगाँ पर 

कति अडांगे

रणबीर करो होंसला एकबै सरकार झुक ज्यावै देखो ।

[23/10, 8:31 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: म्हारा हरियाणा 

म्हारा हरियाणा दो तरियां आज दुनिया के म्हं छाया।।

आर्थिक उन्नति करी पर लिंग अनुपात नै खाया।।

1

छांट कै मारैं लड़की पेट मैं समाज के नर नारी

समाज अपने कसूर की माँ कै लावै जिम्मेदारी

जनता हुई सै हत्यारी पुत्र लालसा नै राज जमाया।।

आर्थिक उन्नति करी पर लिंग अनुपात नै खाया।।

2

औरत औरत की दुश्मन यो जुमला कसूता चालै

ना आदमी आदमी का दुश्मन यो रोजै ऐ घर घालै

समाज की बुन्तर सालै यो हरियाणा बदनाम कराया ।।

आर्थिक उन्नति करी पर लिंग अनुपात नै खाया।।

3

वंश की पुराणी परम्परा पुत्र नै चिराग बतावैं देखो 

छोरा जरूरी होना चाहिए छोरियां नै मरवावैं देखो

जुल्म रोजाना बढते जावैं देखो सुनकै नै कांपै काया।।

आर्थिक उन्नति करी पर लिंग अनुपात नै खाया।।

4

अफरा तफरी मैच रही महिला कितै महफूज नहीं

जो पेट मार तैं बचगी उनकी समाज मैं बूझ नहीं 

आती हमनै सूझ नहीं रणबीर सिंह घणा घबराया।।

आर्थिक उन्नति करी पर लिंग अनुपात नै खाया।।

[23/10, 8:32 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: कठिन दौर

यो समाज हरियाणा का कठिन दौर तैं गुजर रहया।।

आर्थिक विकास खूब किया सामाजिक तैं मुकर रहया।।

1

हरया भरया हरियाणा सै जित दूध दही का खाणा

दूध बेच दिया इसा आड़े पूत बेच दिया का गाणा

दूध भी बिकता पूत बिकै आज चेहरा उतर रहया।।

आर्थिक विकास खूब किया सामाजिक तैं मुकर रहया।।

2

गैंग रेप बलात्कार बढ़गे लिंग अनुपात सिर झुकावै

खून की कमी बढ़ी हरियाणा की महिलावां मैं पावै

छोरियां पर कसो शिकंजा समाज मैं हो जिकर रहया।।

आर्थिक विकास खूब किया सामाजिक तैं मुकर रहया।।

3

एक सिक्के के दो पहलू एक देख कै नहीं काम चलै

महिला पुरुष दो पहिये एक पर गाड्डी क्यूकर हिलै

पहलाँ बढ़िया खाण पाण था यो भूल बिसर रहया।।

आर्थिक विकास खूब किया सामाजिक तैं मुकर रहया।।

4

कीट नाशकों नै नाश करया म्हारे जीवन मैं रूलगे 

म्हारे खाणे और पीणे मैं आज जहर कसूते घुलगे

कहै रणबीर सिंह सोचो क्यों ना बढ़िया सफर रहया।।

आर्थिक विकास खूब किया सामाजिक तैं मुकर रहया।।

[24/10, 6:36 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: वार्ता-- 

एक गाँव में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एक दलित महिला किरणलता से बात करती है। जनसंख्या के बढ़ने को लेकर बातचीत होती है। जब किरणलता समझ जाती है कि बहनजी आप्रेशन के बारे में पूछ रही हैं तो वह क्या जवाब देती है--- 

जिब फुर्सत होज्या तमनै, बात ध्यान तै सुणियो मेरी।।

भिड़ी धरती हो ज्यावै सै, उठती नै आवै मनै अँधेरी।।

1

खेत मजदूर बाप सै मेहनत करकै करै गुजारा

जितनी ढाल की खेती होवै उसपै सै ज्ञान का भण्डारा

फल सब्जी नाज उगावण मैं, किसान कै लाता साहरा

दिहाड़ी पै फेर लाठा बाजै संकट हो ज्या घणा भारया

घुट घुट कै शन करां सां ये कड़वी बात भतेरी।।

भिड़ी धरती हो ज्यावै सै, उठती नै आवै मनै अँधेरी।।

2

सात ब्लाक जन्मे थे माता नै,पांच भाण अर दो भाई

ताप मारग्या एक जणे नै, भाण मरगी बिना दवाई

दूजी नै बैरन टीबी चाट गई  ,घर मैं मची तबाही

बची दस्ताँ तैं मरण तैं तीजी राम जी के घर तैं आई

सात मां तैं तीन बचे मुश्किल तैं , इसी घली राम की घेरी

भिड़ी धरती हो ज्यावै सै, उठती नै आवै मनै अँधेरी।।

3

याणी सी मैं ब्याह दी थी पति खेत मजदूर मदीणे का

उनका हाल और बुरा देख्या  ब्यौन्त नहीं खाणे पीणे का

चाह गेल्याँ रोटी घूँट कै खावैं,हाल नहीं सै जीणे का

ठाडे की सै दुनिया हे बेबे,के सै म्हारे बरगे हीणे का

क्यूकर जीवां सुख चैन तै , चिंता खावै या शाम सबेरी।।

भिड़ी धरती हो ज्यावै सै, उठती नै आवै मनै अँधेरी।।

4

कई बै सोचूँ बालक कम हों , ना ठुकता कालजा मेरा

कितने बचैं कितने मरेंगे , नहीं इसका पाटता बेरा

सारे मिलकै करैं कमाई, जिब होवै सै म्हारा बसेरा

मनै समझ नहीं आवै क्यूकर , कैहणा मानूँ मैं तेरा

रणबीर सिंह धोरै बूझांगे , चाल मत करिए देरी।।

भिड़ी धरती हो ज्यावै सै, उठती नै आवै मनै अँधेरी।।

[25/10, 6:25 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: सांझी बिरासत

कोणार्क और एजन्ता एलोरा म्हारी खूबै श्यान बढ़ावैं।

चार मीनार कुतुब ताज महल ये च्यार चांद लगावैं।।

1

दोनूं भारत की विरासत इसतै कौण आज नाट सकैं

साहमी पड़ी दीखै सबनै कौण इस बात नै काट सकैं

जो पापी तोल घाट सकैं म्हारी संस्कृति कै बट्टा लावैं।।

चार मीनार कुतुब ताज महल ये च्यार चांद लगावैं।।

2

कालिदास बाणभट्ट रवीन्द्र नाथ नै श्यान बढ़ाई सै

खुसरो गालिब फिराक हुये सैं जिनकी कला सवाई सै

न्यारे-न्यारे बांटै जो इननै भारत के गछार कुहावैं।।

चार मीनार कुतुब ताज महल ये च्यार चांद लगावैं।।

3

जयदेव कुमार गंधर्व भीम सेन जोशी जसराज दिये

बड़े गुलाम अली मियां बिस्मिल्ला खान नै कमाल किये

एक दूजे नै जो नीचा कहते वे घटियापन दिखावैं।।

चार मीनार कुतुब ताज महल ये च्यार चांद लगावैं।।

4

सहगल हेमन्त मन्ना और लता गायकी मैं छागे ये

रफी नूर जहां नौशाद साथ मैं सब जनता नै भागे ये

रणबीर बरोने आले कान्ही ये हिन्दु मुस्लिम लखावैं।।

चार मीनार कुतुब ताज महल ये च्यार चांद लगावैं।।

[25/10, 6:26 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: रागनी

1

बिना बात के रासे मैं इब बख्त गंवाना ठीक नहीं।।

अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं ।।

1

बेरोजगारी गरीबी महंगाई हर दिन बढ़ती जावै सै

जो भी मेहनत करने आला दूना तंग होता आवै सै

जब हक मांगै अपना वो तान बन्दूक दिखावै सै

कितै भाई कितै छोरा उसकी बहका मैं आवै सै

खुद के स्वार्थ मैं देश कै बट्टा लाणा ठीक नहीं ।।

अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं ।।

2

म्हारी एकता तोड़ण खातिर बीज फूट का बोवैं सैं

मैं पंजाबी तूँ बंगाली जहर इलाके का ढोवैं सैं

मैं हरिजन तूँ जाट सै नश्तर कसूता चुभोवैं सैं

आपस कै महं करा लड़ाई नींद चैन की सौवैं सैं

इनके बहकावे मैं आपस मैं भिड़ जाणा ठीक नहीं।।

अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं ।।

3

म्हारी समझ नै भाइयो दुश्मन ओछी राखणा चाहवै

म्हारे सारे दुखां का दोषी यो हमनै ए आज ठहरावै 

कहै खलकत घणी बाधू होगी इसनै इब कौन खवावै

झूठी बातां का ले सहारा उल्टा हमनै ए वो धमकावै

इन सबके बहकावे मैं कमेरे का आणा ठीक नहीं।।

अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं ।।

4

हमनै दूर रहण की शिक्षा दे राजनीत तैं राज करै

वर्ग संघर्ष की राही बिना इब कोण्या काज सरै

कट्ठे होकै देदयाँ घेरा दुश्मन भाजम भाज मरै

झूठे वायदां गेल्याँ म्हारा क्यूकर पेटा आज भरै

आपस मैं मरैं यारे प्यारे इसा तीर चलाणा ठीक नहीं।।

अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं ।।

5

आज समझलयां काल समझलयां समझना पड़ै जरूरी

दोस्त दुश्मन का फर्क समझलयां या सै आज मजबूरी

सही गलत का अंदाज समझलयां ना चालै जी हजूरी

मेहनतकश भाई समझलयां झोड़ कै झूठी गरूरी

रणबीर सिंह की बातां का मखौल उड़ाणा ठीक नहीं ।।

अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं ।।

2

पंजाब में खालिस्तान का दौर और फिर सिखों के खिलाफ साम्प्रदायिक दंगे। उसी दौर की लिखी एक रागनी :--

बुरा हाल देख देश का आज मेरा जिगरा रोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

1

मेल मिलाप खत्म हुया पकड़या राह तबाही का

सिख हिन्दू का गल काटै हिन्दू सिख भाई का

मारकाट बिना बात की यो सै काम बुराई का 

पर फिकर सै किसनै देखै खेल जो अन्याई का

माता खड़ी बिलख रही जिगर का टुकड़ा खोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

2

पंजाब मैं लीलो लुटगी चमन दिल्ली मैं रोवै सै

धनपत तूँ कड़ै डिगरग्या चमन गली गली टोह्वै सै

यो सारा चमन उजड़ चल्या तेरा साज कित सोवै सै

ना मन की बुझनिया कोय लीलो बैठ एकली रोवै सै

कित तैं ल्याऊं लख्मीचंद जिसनै सही छंद पिरोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

3

चौड़े कालर फुट लिया यो भांडा इस कुकर्म का

धर्म पै हो लिए नँगे ना रहया काम शर्म का 

लाजमी हो तोड़ खुलासा इस छिपे हुए भ्रम का

घड़ा भर लिया पाप का यो खुलग्या भेद मरम का 

देखी रोंवती हीर मनै जन सीने मैं तीर चुभोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

4

इसे कसूते कर्म देखकै सूख गात का चाम लिया

प्रीत लड़ी बिखर गई अमृता नै सिर थाम लिया

शशि पन्नू की धरती पै कमा कसूता नाम लिया 

भगत सिंह का देश भाई हो बहोत बदनाम लिया

असली के सै नकली के सै यो सच गया पूरा धोया ।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

5

फिरकापरस्ती दिखै सै इन सब धर्मां की जड़ मैं

लुटेरा राज चलावै सै बांट कै धर्मां की लड़ मैं

जितनी ऊपर तैं धौली दीखै कॉलस उतनी धड़ मैं

जड़ दीखें गहरी हों जितनी गहरी हों बड़ मैं

या धर्म फीम इसी खाई दुनिया नै आप्पा खोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

6

सिर ठाकै जीणा हो तै धर्म राजनीति तैं न्यारा हो 

फेर मेहनत करणीया का आपस मैं भाईचारा हो

फेर नहीं कदे देश मैं लीलो चमन का बंटवारा हो

कमेरयां की बनै एकता ना चालै किसे का चारा हो

रणबीर बी देख नजारा ठाडू बूक मार कै रोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

3

भूख 

भूख बीमारी घणी कलिहारी कहैं इसका कोये इलाज नहीं।।

बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।

1

भूख रूआदे भूख सुआदे भूख बिघन का काम करै

भूख सतादे भूख मरादे भूख ये जुल्म तमाम करै

कितना सबर इंसान करै उनकै माचै खाज नहीं ।।

बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।

2

शरीर बिकादे खाड़े करादे भूख कति बर्बाद करै

आछे भुन्डे काम करादे मानस हुया बर्बाद फिरै

आज कौन किसे नै याद करै दीखै कोये हमराज नहीं 

बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।

3

भूख पैदा करै भिखारी पैदा बड़े बड़े धनवान करै

एक नै भूख दे करकै दूजा पेट अपना बेउन्मान भरै

एक इत्तर मैं स्नान करै दूजे धोरै दो मुट्ठी नाज नहीं ।।

बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।

4

लूट नै दुनिया भाइयो दो पाल्यां बिचाळै बांट दई 

मेहनत करने आला भूखा मक्कारी न्यारी छाँट दई

लूट नै सच्चाई आँट दी रणबीर सुनै धीमी आवाज नहीं ।।

बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।

4

रामजी 

सबकी कथा सुनै रामजी मेरी बीती तूँ सुणले ।।

दूध का दूध पाणी का पाणी हंस बनकै तूँ चुणले ।।

1

दिन रात कमाऊं हाड तोड़कै क्यों दुखड़ा काल करै

या गर्मी शर्दी घाम खेत मैं खड़्या नया बबाल करै

नहीं इब तलक तनै बिचारया मारण का मत हाल करै

इब खोल बतादे सारी किस तरियां मनै कंगाल करै

सवा पांच का प्रसाद चढ़ाऊँ मेरी भी तूँ सुधले ।।

दूध का दूध पाणी का पाणी हंस बनकै तूँ चुणले ।।

2

मेहरबानी दूजी तरफ तेरी लोग खूब मौज उड़ावैं

कमाई में करण लागरया लूट वे जालिम ले ज्यावैं

मेरे पै काम तीस का करवाकै देकै आठ बहकावैं

पूंजी बनाकै मेहनत मेरी मनै डाकू चोर ठहरावैं

तूँ हिम्मात करै झूठ की बजा उसकी धुनले।।

दूध का दूध पाणी का पाणी हंस बनकै तूँ चुणले ।।

3

सस्ता लेकै महंगा देवैं नीति इसी चाल रहे सैं

देदे कै करज दाब लिया बिछा मेरे पै जाल रहे सैं

सारी धरती गहनै धरली बिकवा घर का माल रहे सैं

बतावैं इसमैं तेरी महिमा सब तरियां कर काल रहे सैं

भरोसे की इमारत ढह ली इसनै हट कै नै चिणले।।

4

कहैं तेरे हुक्म बिना तो एक पत्ता तक ना हिलता

सारी चीज तों बनावै मेरा हिस्सा क्यों ना मिलता 

न्याकारी किसा सै तूँ मेरे बगीचे फूल ना खिलता

खुद मनै बतादे क्यों बेइमानां का राज ना गिरता

जड़ दीख ली तेरी रामजी किसाए जाल तूँ बुणले।।

दूध का दूध पाणी का पाणी हंस बनकै तूँ चुणले।।

5

भगवान तेरी टेक मैं नहीं किसे नै सुख पाया

धयान किया मोरध्वज नै सुत पै आरा धरवाया

प्रण पै हरिश चन्दर के जल उसपै था भरवाया 

ध्यान लगाया द्रोपदी नै जा चीर सभा मैं खिंचवाया

रणबीर लगामी तोड़ चल्या अपने खाते मैं गिणले।।

दूध का दूध पाणी का पाणी हंस बनकै तूँ चुणले नै।।

[25/10, 6:29 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: नशा

नशे पत्ते का व्यापार, 

बढ़ाती जावै सरकार,

 इतनी कसूती मार ,

म्हारी समझ नहीं आवै।।

अफीम और हीरोइन का भारत गढ़ बताया 

आज माफिया नशे पते का पूरी दुनिया मैं छाया 

लत कसूती लगा दे यो, 

नेता ने भी मरवा दे यो,

भुन्डे कर्म करव दे यो,

म्हारी समझ नहीं आवै

 माफिया नशे पते का कई देशों में राज चलावै

सीआईए तैं मिलकै यो बहोत उधम मचावै 

युवा जमा बर्बाद हों, 

बहुत घणे फ़साद हों

कैसे नशे से आजाद हों,

 म्हारी समझ नहीं आवै

 एक तरफ दारू ठेके हर रोज खुलाए जावैं 

दूजी तरफ नशा मुक्ति केंद्र रोज बनाए जावैं

 जहर पिलाऊ विकास,

 नहीं हमनै अहसास ,

विकास नहीं विनाश ,

नहीं म्हारी समझ मैं आवै।।

 परिवार नै यो नशा खत्म पूरी तरियां कर दे 

म्हारी जिंदगी अंदर यो जहर कसूता 

भरदे 

सच्ची लिखै सै रणबीर ,

सही खींचै सै तस्वीर ,

नशा मारदे सै जमीर 

म्हारी समझ नहीं आवै।।

[25/10, 6:32 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: रामजी 

सबकी कथा सुनै रामजी मेरी बीती तूँ सुणले ।।

दूध का दूध पाणी का पाणी हंस बनकै तूँ चुणले ।।

1

दिन रात कमाऊं हाड तोड़कै क्यों दुखड़ा काल करै

या गर्मी शर्दी घाम खेत मैं खड़्या नया बबाल करै

नहीं इब तलक तनै बिचारया मारण का मत हाल करै

इब खोल बतादे सारी किस तरियां मनै कंगाल करै

सवा पांच का प्रसाद चढ़ाऊँ मेरी भी तूँ सुधले ।।

दूध का दूध पाणी का पाणी हंस बनकै तूँ चुणले ।।

2

मेहरबानी दूजी तरफ तेरी लोग खूब मौज उड़ावैं

कमाई में करण लागरया लूट वे जालिम ले ज्यावैं

मेरे पै काम तीस का करवाकै देकै आठ बहकावैं

पूंजी बनाकै मेहनत मेरी मनै डाकू चोर ठहरावैं

तूँ हिम्मात करै झूठ की बजा उसकी धुनले।।

दूध का दूध पाणी का पाणी हंस बनकै तूँ चुणले ।।

3

सस्ता लेकै महंगा देवैं नीति इसी चाल रहे सैं

देदे कै करज दाब लिया बिछा मेरे पै जाल रहे सैं

सारी धरती गहनै धरली बिकवा घर का माल रहे सैं

बतावैं इसमैं तेरी महिमा सब तरियां कर काल रहे सैं

भरोसे की इमारत ढह ली इसनै हट कै नै चिणले।।

4

कहैं तेरे हुक्म बिना तो एक पत्ता तक ना हिलता

सारी चीज तों बनावै मेरा हिस्सा क्यों ना मिलता 

न्याकारी किसा सै तूँ मेरे बगीचे फूल ना खिलता

खुद मनै बतादे क्यों बेइमानां का राज ना गिरता

जड़ दीख ली तेरी रामजी किसाए जाल तूँ बुणले।।

दूध का दूध पाणी का पाणी हंस बनकै तूँ चुणले।।

[25/10, 6:32 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: एक महिला की पुकार 

खत्म हुई सै श्यान मेरी , मुश्किल मैं सै ज्याण मेरी, छोरी मार कै भाण मेरी, छोरा चाहिए परिवार नै।।

1

पढ़ लिख कै कई साल मैं ,मनै नौकरी थ्याई बेबे

सैंट्रो कार दी ब्याह मैं ,बाकि सब कुछ ल्याई बेबे 

घर का सारा काम करूं, ना थोड़ा भी आराम करूं, पूरे हुक्म तमाम करूं, ओटूं सासू की फटकार नै।।

ख़त्म हुई सै---

2

पहलम मेरा साथ देवै था ,यो मेरे घर आला बेबे 

दो साल पाछै छोरी होगी, फेर करग्या टाला बेबे 

चाहवैं थे जांच कराई, कुन्बा हुया घणा कसाई, मैं बहोत घणी सताई, हे पढ़े लिखे घरबार नै।।

ख़त्म हुई सै---

3

जाकै रोई पीहर के म्हं , पर वे करगे हाथ खड़े

दूजा बालक पेट मैं जांच कराने के दबाव पड़े

ना जांच कराया चाहूँ मैं, पति के थप्पड़ खाऊँ मैं, जी चाहवै मर जाऊं मैं, डाटी सूँ छोरी के प्यार नै।।

खत्म हुई सै---

4

दूजी छोरी होगी सारा परिवार तण कै खड़्या हुया

नाराजगी और गुस्सा दिखे सबके मूंह जड़या हुया

किसकै धोरै जाऊं मैं, अपनी बात बताऊं मैं, रणबीर पै लिखवाऊं मैं,बदळां बेढंगे संसार नै।।

खत्म हुई सै----

[25/10, 6:32 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: झूठे वायदे

सारे आकै न्यों कहवैं हम गरीबां की नैया पार लगावां।

एक बै वोट गेर दयो म्हारी धरती पै सुरग नै ल्यावां।।

1

वोट मांगते फिरैं इसे जणु फिरैं सगाई आले रै

जीते पाछे ये जीजा और हमसैं इनके साले रै

पांच साल बाट दिखावैं एडी ठा ठाकै इन कान्हीं लखावां।।

एक बै वोट गेर दयो म्हारी धरती पै सुरग नै ल्यावां।।

2

नाली तै सोडा पीवण आले के समझैं औख करणिया नै

कार मैं चढ़कै ये के समझैं नंगे पांव धरणियां नै

देसी-विदेसी अमीर लूटैं इनके हुकम रोज बजावां।।

एक बै वोट गेर दयो म्हारी धरती पै सुरग नै ल्यावां।।

3

गरमी मैं भी जराब पहरैं के जाणैं दरद बुआई का

गन्डे पोरी नै भी तरसां इसा बोदें बीज खटाई का

जो लुटते खुले बाजार मैं उनका कौणसा देश गिणावां।।

एक बै वोट गेर दयो म्हारी धरती पै सुरग नै ल्यावां।।

4

फरक हरिजन और किसान मैं कौण गिरावै ये लीडर

ब्राह्मण नै ब्राह्मण कै जाणा कौण सिखावैं ये लीडर

गरीब और अमीर की लड़ाई रणबीर दुनिया मैं बतावां।।

एक बै वोट गेर दयो म्हारी धरती पै सुरग नै ल्यावां।।

[25/10, 6:33 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: नया हिन्दुस्तान*

लालच लूट खसोट बचै नहीं नया हिन्दुस्तान बसावांगे।

धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।

*1*

नई तरां का इन्सान उभरै नई तरां के म्हारे समाज मैं

नई बात और बोल नये कहं जां नये सुर और साज मैं

बीमारी हो ही नहीं पावै विज्ञान नै लोक हित मैं लावांगे।।

धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।

*2*

दोगली शिक्षा का खात्मा हो ज्ञान पिटारा फेर इन्सान होज्या

नाड़ काट मुकाबला रहै ना एक दूजे का सम्मान होज्या

नशा खोरी नहीं टोही पावै इसका नामो निशान मिटावांगे।।

धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।

*3*

मुनाफा मंजिल नहीं रहै ना चारों तरफ घमासान मचै

लाठी की भैंस नहीं रहै ना हथियारां का फेर सम्मान बचै

प्रदूषण बढ़ता जा धरती शमशान होण तै बचावांगे।।

धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।

*4*

महिला नै इन्सान समझै रीत खत्म हो दोयम दरजे की

नौजवानां नै मिलै सही रास्ता ना मार बचै इस करजे की

जात पात खत्म हो इन्सान बनां सारे के बिगुल बजावांगे।।

धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।

30 रागनी

1**

नया हिन्दुस्तान*

लालच लूट खसोट बचै नहीं नया हिन्दुस्तान बसावांगे।

धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।

*1*

नई तरां का इन्सान उभरै नई तरां के म्हारे समाज मैं

नई बात और बोल नये कहं जां नये सुर और साज मैं

बीमारी हो ही नहीं पावै विज्ञान नै लोक हित मैं लावांगे।।

धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।

*2*

दोगली शिक्षा का खात्मा हो ज्ञान पिटारा फेर इन्सान होज्या

नाड़ काट मुकाबला रहै ना एक दूजे का सम्मान होज्या

नशा खोरी नहीं टोही पावै इसका नामो निशान मिटावांगे।।

धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।

*3*

मुनाफा मंजिल नहीं रहै ना चारों तरफ घमासान मचै

लाठी की भैंस नहीं रहै ना हथियारां का फेर सम्मान बचै

प्रदूषण बढ़ता जा धरती शमशान होण तै बचावांगे।।

धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।

*4*

महिला नै इन्सान समझै रीत खत्म हो दोयम दरजे की

नौजवानां नै मिलै सही रास्ता ना मार बचै इस करजे की

जात पात खत्म हो इन्सान बनां सारे के बिगुल बजावांगे।।

धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।


2**

*दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||*

*सब चीजां के ठाठ लग्गे कोठा नाज का भर ग्या   रै||* 

*1*

जीरी गिन्हूं कपास अर इंख की खेती बढती जावै सै

देश के सुब्याँ मैं नंबर वन यो  हरयाणा का आवै सै

सड़क पहोंचगी सारै गाम गाम बिजली लसकावै    सै 

छैल गाभरू छोरा इसका लड़न  फ़ौज के म्हें जावै सै

खेतां के म्हें नया खाद बीज ट्रेक्टर घराटा ठावै सै  

फरीदाबाद सोनेपत हिसार पिंजौर मील सिटी लावै सै  

*सारे भारत मैं भाइयो इंका सूरज शिखर मैं चढ़ग्या रै ||*

*दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||*

*2*

ये बात तो भाई हर रोज बता बता दिल डाटे जाँ रै 

इस चकाचौंध के पाछै सै घोर अँधेरा नाटें जाँ रै  

जो भी हुआ फायदा बेईमान आपस मैं बांटें जाँ रै 

भका भका जातां के चौधरी नाड़ म्हारी काँटें जाँ रै 

अपनी काली करतूतां नै जात के तल्ले ढान्पें  जाँ रै 

बोलै जो उनके खिलाफ वे झूठे केसां  मैं फांसे  जाँ रै  

कुछ परवाने भाइयो फिर भी  इनके करतब नापें  जाँ रै 

*बिन धरती अर दो किल्ले आला ज्यां तैं मरग्या रै ||*

*दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||*

*3*

खम्बे मीटर गाम गाम मैं बिजली के इब तार गए 

ओवर सीयर एस सी सब कर बंगले अपने त्यार गए 

चार पहर भी ना बिजली आवै बाट देख देख हार गए 

बिना जलाएं  बिजली के बिल कर कसूती मार गए  

ट्यूबवेल कोन्या चालै ट्रानस्फोर्मार के जल तार गए 

पैसे आल्यां  के ट्यूबवेल थ्रेशर चल धुआं धार  गए 

*गरीबां की गालाँ मै दूना कीचड देखो आज भरग्या  रै  ||*

*दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||*

*4*

गाम गाम मैं सड़क बनाई फायदा कौन उठावैं सें

बस आवै जावै कदे कदे लोग बाट मैं मुंह बावैं  सें

पैसे आल्यां  के छोरट  ले मोटर साईकिल धूल उड़ावें सें

टरैक्टर ट्राली सवारी ढोवें मुंह मांगे किराये ठहरावै सें 

सड़क टूटरी जागां जागां साईकिल मैं पंकचर हो ज्यावें  सें 

रोड़ी फ़ोडै  पां गरीबां के जो मजबूरी मैं पैदल जावैं सें 

*बस नै रोकें कोन्या रोकें तो भाडा गोज नै कसग्या रै ||*

*दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||*

*5*

बिन खेती आल्यां  का गाम मैं मुश्किल रहना  होग्या

मजदूरी उप्पर चुपचाप  दबंगा का जुल्म सहना होग्या 

चार छः  महीने खाली बैठ पेट की गेल्याँ फहना होग्या 

चीजां के रेट तो बढ़गे प़र पुराने   प़र बहना  होग्या 

फालतू मतना मांगो  नफे  दबंग का नयों  कहना होग्या 

गाम छोड़ शहर पडे आना घर एक तरियां ढहना होग्या 

*भरे नाज के कोठे फेर भी पेट कमर कै मिलग्या   रै  ||*

*दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||*

*6*

खेती करणिया  मैं भी लोगो जात कारगर वार करै

एक जागां बिठावै  गरीब अमीर नै ना कोए विचार करै

किसान चार ठोड बँट लिया कैसे नैया इब पार तिरै  

ट्रैक्टर आले  बिना ट्रैक्टर आल्यां  की या  लार फिरै

इनकी हालत किसी होगी बिलखता यो  परिवार फिरै 

बिना धरती आल्यां का आज नहीं कोए भी एतबार करै  

*जात मैं जमात पैदा होगी बेईमान नै खतरा बधग्या रै ||*

*दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||*

*7*

घन्याँ की धरती लाल स्याही मैं बैंक के महां चढ्गी थी

दो लाख मैं बेचे किल्ला चेहरे की लाली  सारी झडगी  थी 

चूस चूस कै खून गरीब का अमीर के मुंह लाली बढगी थी 

कर्जे माफ़ होगे एकब़र तो फेर कीमत धरती की बधगी थी 

आगे कैसे काम चलैगा रै   एक ब़रतो इसतैं सधगी थी   

आगली पीढ़ी  के करैगी म्हारी तै क्यूकरै ए  धिकगी थी

*हँसना गाना भूल गए जिन्दा रहवन का सांसा पड़ग्या रै||* 

*दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||*

*8*

शहरों का के जिकरा  करूँ  मानस आप्पा भूल रहया यो 

आप्पा धापी माच रही आज पैसे के संग झूल रहया यो  

याद बस आज रिश्वत खोरी  जमा नशे मैं टूहल रहया यो 

इन्सान तै हैवान बनग्या  मिलावट में हो मशगूल रहया यो 

चोरी जारी ठगी बदमाशी सीख भूल सब उसूल रहया यो

इसी तरक्की कै लगे गोली पसीना बह फिजूल रहया यो 

*फेर भी रुके मारैं  तरक्की के रणबीर का दिल भरग्या रै ||*

*दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||*


3**

नींद मैं रुखाळा*


*लेज्यां म्हारे वोट करै बुरी चोट आवै क्यों नींद रुखाळे नै* 

घेर लिए मकड़ी के जाळे नै ।।


जब पाछै सी भैंस खरीदी देखी धार काढ़ कै हो 

जब पाछै सी बीज ल्याया देख्या खूब हांड कै हो 

जब पाछै सी हैरो खरीद्या देख्या खूब चांड कै हो 

जब पाछै सी नारा ल्याया देख्या खूड काढ़ कै हो 

*वोटां पै रोळ पाटै कोन्या तोल लावां मुंह लूटण आळे नै।* 

घेर लिए मकड़ी के जाळे नै ।।


घणे दिनां तैं देख रही म्हारी या दूणी बदहाली होगी 

आई बरियां म्हानै भकाज्यां इबकै खुशहाली होगी 

क्यों माथे की सैं फूट रही या दूणी कंगाली होगी 

गुरु जिसे चुनकै भेजां इसी ए गुरु घंटाली होगी 

*छाती कै लावै क्यूं ना दूर भगावै इस बिषयर काळे नै।* 

घेर लिए मकड़ी के जाळे नै ।।


ये रंग बदलैं और ढंग बदलैं जब पांच साल मैं आवैं सैं 

जात गोत की शरम दिखाकै ये वोट मांग कै ले ज्यावैं सैं 

उनकै धोरे जिब जाणा होज्या कित का कौण बतावैं सैं 

दारु बांटैं पीस्सा बी खरचैं फेर हमने ए लूटैं खावैं सैं 

*करैं आपा धापी ये छारे पापी थापैं ना किसे साळे नै।* 

घेर लिए मकड़ी के जाळे नै ।।


क्यों हांडै सै ठाण बदलता सही ठिकाना मिल्या नहीं 

बाही मैं लागू और टिकाऊ ऐसा नारा हिल्या नहीं 

म्हारे तन ढांप सकै जो ऐसा कुड़ता सिल्या नहीं 

खेतां में नाज उपजावां सां फूल म्हारै खिल्या नहीं 

*साथी रणबीर बनावै सही तसबीर खींच दे असली पाळे नै।* 

घेर लिए मकड़ी के जाळे नै ।।


4

प्रजातंत्र*

लागी दिल पै चोट, 

लेगे जात पै वोट

बंटे साथ मैं नोट, 

यो प्रजातंत्र का खोट

ले गरीबी की ओट, 

अमीर खेले धन मैं।।

*1*

नाम जनता का लेवैं सैं,

अमीरां के अंडे सेहवैं सैं,

बतावैं माणस का दोष, 

कहैं व्यवस्था निर्दोष, 

ये लेगे बुद्धि खोस, 

धर्म तैं करे मदहोश, 

ना हमनै कोये रोष, 

सोचूं अपने मन मैं।।

*2*

ये साधते हित अपना, 

ना ये करैं पूरा सपना,

जितने बैठे मुनाफाखोर, 

सबसे बड्डे डाकू चोर, 

सदा सुहानी इनकी भोर, 

ना पावै इनका छोर, 

थमा जात धर्म की डोर, 

फूट गेरदी जन मैं।।

*3*

कुर्सी खातर रचते बदमाशी, 

ना शरम लिहाज जरा सी,

पालतू अम्बानी की सरकार, 

ना जावै कहे तैं बाहर, 

गरीबां की कह मददगार,

या जुमले देवै बारंबार, 

ईब रहया ना एतबार, 

इस गदरी बण मैं।।

*4*

स्कूली किताबों पै तकरार, 

गंदा साहित्य बेशुमार

सबको शिक्षा सबको काम, 

आजादी पै दिया पैगाम, 

लाखों अनपढ़ बैठे नाकाम,

हर चीज के लगते दाम,

नौकरी करते हैं नीलाम, 

आग लागरी तन मैं।।


5**

 *किसान आंदोलन जिंदाबाद*

*गरीब और गरीब होग्या इसा तरीका महारे विकास का* 

*अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का*

*1*

कहते गरीबी दूर करांगे कई नई स्कीम चलाई गई

विकेंद्रीकरण कर दिया देखो बात खूब फैलाई गई

*सल्फास किसान क्यों खावै के कारण उसके सत्यानाश का*

*अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का*

*2*

नाबरॉबरी और कितनी या भारत मैं बधांते जावांगे

भगत सिंह के सपन्यां आल्या समाजवाद कद ल्यावांगे

*छल कपट छाग्या देश मैं के होगा भ्रीष्टाचारी घास का*

*अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का*

*3*

माणस अपणा आप्पा भूल गया पीस्से का आज दास हुया

बेईमानी बढ़ती जावै सै बाजार का दबाव आज खास हुया

स्कॉच चलै पांच *सितारा मैं ख्याल ना म्हारी प्यास का*

*अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का*

*4*

प्यार की जगां हवस छागी नँगे होवण की होड़ लगी रै

शरीर बेचकै एश करो बाजार मैं या दौड़ लगी रै

*रणबीर सिंह बरोने आला साथ निभावै सोहनदास का*

*अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का*

6

*रागनी-जलियां वाला बाग कांड*

               *निशान काला जुलम कुढाला यो जलियां आला बाग हुया।।*

               *अंग्रेज हकुमत के चेहरे पै घणा बड्डा काला दाग हुया।।*

               देश की आजादी की खातर बाग मैं तोड़ होग्या

               इतिहास के अन्दर बाग एक खास मोड़ होग्या

               *देश खड़या एक औड़ होग्या जिब यो खूनी फाग हुया।।*

               इसतै पहलम बी देश भक्ति का था पूरा जोर हुया

               मुठ्ठी भर थे क्रान्तिकारी सुधार वादियों का शोर हुया

               *दंग फिरंगी चोर हुया बुलन्द आजादी का राग हुया।।*

               शहरी बंगले गाम के कंगले सबको ही झकझोर दिया

               कांप उठी मानवता सारी जुलम घणा महाघोर किया

               *एकता को कमजोर किया इसा फिरंगी जहरी नाग हुया।।*

               कुर्बानी दी उड़ै वीरों नै वा जावै कदे बी खाली ना

               जिब जनता ले मार मंडासा फेर पार किसे की चाली ना

               *जीतों बैठैगी ठाली ना रणबीर सिंह चाहे निर्भाग हुया।।*


7

काढ़ा

छोरी कै ताप आया था मने देसी काढ़ा प्याया फेर।।

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर ।।

डाक्टर नै पूरी जाँच करकै शुरू कर इलाज दिया

हल्का खाना गया बताया बंद कर सब नाज दिया

दवा लिखी चार ढाल की फीस मैं कर लिहाज दिया

गन्दा पानी फैलावे बीमारी बता यो सही काज दिया

ताप फेर बी ना टूट्या पेट मैं दर्द जताया फेर ||

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर ।।

डाक्टर जमा हाथ खड़े करग्या काली रात अँधेरी थी

बीजल लस्कैं बाल चलती दी बीप्ता नै घेरी थी 

खड्या लाखऊँ बेटी कान्ही जमा अकल मारगी मेरी थी  

वा नयों बोली बाबू बचाले मैं घनी लाडली तेरी थी

गूंठा टेक कै पाँच हजार ब्याज पै मैं लयाया  फेर ||

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर ।।

चाल गाम तैं बाबू बेटी मेडिकल मैं चार बाजे आये

नर्स डाक्टर सोहरे  थक कै हमने आके नै वे ठाए

सारी बात बूझ कै म्हारी फेर बहोत से टेस्ट कराये 

एक्सरे देख कै वे डाक्टर फेर आपस मैं बतलाये  

परेशान जरूरी सै ताऊ अंत मैं छेद बताया फेर ||

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर ।।

पायां ताले की धरती खिसकी हाथ जोड़ कै फ़रमाया

मेरा खून चाहे जितना लेल्यो चाहूं बेटी नै बचाया

एक बोतल  एक माणस तै उसनै यो दस्तूर बताया

ओढ़ानै  मैं जाऊं कडे मने पह्याँ कान्ही हाथ बढाया

डाक्टर पाछे नै होग्या उसनै मैं धमकाया फेर ||

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर ।।

पलंग धौरे  बैठ गया मेरी बेटी मेरे कान्ही लखाई

एकदम सिसकी आगी मेरे पै ना गयी आंख मिलाई

डाक्टर नै बेरा ना क्यूकर फेर दया म्हारे पै आई

एक मने देई दो उडे तै बोतल खून की दिलवाई

परेशान सही होग्या डाक्टर नै धीर बंधाया फेर ||

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर ।।

बीस दिन रहे मडिकल मैं खर्चा तीस हजार होग्या

एक किल्ला पड्या टेकना पर बेटी का उपचार होग्या

मेडिकल  के डाक्टर का सारी उम्र का कर्जदार होग्या

उनकी उड़ऐ  देखी जिन्दगी रणबीर सिंह ताबेदार होग्या

इलाज करवाकै  बेटी का अपने घर नै मैं आया फेर ||

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर ।।


8**

बैडमिंटन वर्ल्ड चैम्पियनशिप जीतकै आज इतिहास रचाया यो।।

पहली भारतीय बनीं सिंधु जिसनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।

1

सिंधु नै ओकुहारा को सीधे गेमां मैं लाकै जोर हराया रै

हांगा लाकै खेली पी वी सिंधु जब गोल्ड मैडल देश मैं आया रै

इक्कीस सात इक्कीस सात तैं हराकै देश का गौरव बढ़ाया यो।।

पहली भारतीय बनीं सिंधु जिसनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।

2


ओकुहारा के खिलाफ अपना करियर रिकॉर्ड नौ सात करया 

 स्विट्जरलैंड में पी वी सिंधु नै  बैडमिंटन मैं इतिहास रचया

नोजोमी ओकुहारा को मात देकै नै खास माहौल बनाया यो।।

पहली भारतीय बनीं सिंधु जिसनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।

3

वर्ल्ड के स्तर पै  बैडमिंटन मैडल ना कोये बी ल्याया रै

पी वी सिंधु की मेहनत नै रविवार नै

यो मैडल पाया रै

शाबाश पी वी सिंधु तनै म्हारी झंडा तिरंगा जितवाया यो ।।

पहली भारतीय बनीं सिंधु जिसनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।

4

यो मुकाबला अड़तीस मिनट चल्या

पसीनम पसीन्यां होई

दो सौ सतरा की हार का बदला लेकै

याद वा पुरानी धोई

बढ़त बना कै पहले खेल मैं रणबीर 

आगै कदम उठाया यो ।।

पहली भारतीय बनीं सिंधु जिसनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।


9**

हमारा गौरव 


अपनी औरत को जुएं मैं हारण आले 

अतीत का गौरव दिखाये।।

अपनी औरत की अग्निपरीक्षा लेने आले इतिहास बताये।।

1

औरतों को देवदासी बनाने आले 

समाज ठेकेदार बने

सती प्रथा के नाम पर जिंदा जलाने आले नम्बरदार बने

विधवा होने पर सर गंजा करकै मथुरा का रास्ते सुझाये।।

अपनी औरत की अग्निपरीक्षा लेने आले इतिहास बताये।।

2

बेटी को मां की कोख में मारण वाले

हमनै संस्कृति सिखावैं

द्रोपदी नै जुए मैं ज्ञानी धयानी युधिष्टर हार जीत मैं लगावैं

पांचों की एक बहु होवैगी महाभारत मैं आदर्श खूब सिखाये।।

अपनी औरत की अग्निपरीक्षा लेने आले इतिहास बताये।।

3

सौ सौ बालक पैदा करण के समाज मैं

पैमाने धर दिए रै

एकलव्य बरगे द्रोणाचार्य गुरुदेव नै बिन गूंठे के कर दिए रै

दान दक्षिणा मैं गूंठा मांग लिया उसनै

गुरु कै कालख लवाये।।

अपनी औरत की अग्निपरीक्षा लेने आले इतिहास बताये।।

4

महाकाव्य लिखे गए उन बख्तों मैं आज उनको इतिहास बताते

बिना तर्क और सबूत के अंधविश्वासी कहानी खूब सुनाते

उल्टी सीधी बात कर दुनिया मैं रणबीर मजाक खूब उड़वाये।।

अपनी औरत की अग्निपरीक्षा लेने आले इतिहास बताये।।

10**

 हिमा दास ने 20 दिन में 6 गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच दिया। 

हिमा दास नै छह गोल्ड मेडल जीतकै करकै कमाल दिखाया ।।

दो सौ मीटर मैं पांच कम्पीटीसनों मैं उसनै पहला नंबर पाया।।

1

आसाम की रहने आली हिमा नै अपना 

घरबार छोड़ना पड़या 

घरवालों नै घर छोडन पै कर दिया पूरा

एकबै बबाल खड़या

कोच नै समझ कै सारा मामला हाथ पैर जोड़ कै मनाया।। 

दो सौ मीटर मैं पांच कम्पीटीसनों मैं उसनै पहला नंबर पाया।।

2

हिमा दास करकै दौड़ रोजाना सहज सहज बढ़ी आगै 

निपोन कोच नै कई गुर सिखाए उसतै 

ज्यांतैं कढ़ी आगै

गरीब परिवार की बेटी हिमा दास नै 

पसीना खूब बहाया।।

दो सौ मीटर मैं पांच कम्पीटीसनों मैं उसनै पहला नंबर पाया।।

3

बीस दिन मैं छटा गोल्ड जीत लिया मचाया रूक्का सारै 

सारे एशिया मैं चर्चा होगी उसकी सुन दिल खिलगे म्हारे

हिमा दास नै इतिहास रच दिया देखो

देश का मान बढ़ाया।।

दो सौ मीटर मैं पांच कम्पीटीसनों मैं उसनै पहला नंबर पाया।।

4

जितना सम्मान चाहिए मिलना हिमा नै

कहते मिल्या कोण्या

सरकार का खजाना पूरे दिल तैं उसपै 

कहते खुल्या कोण्या

कहै रणबीर सिंह शाबाश हिमा दास दिल लाकै छंद बनाया।।

दो सौ मीटर मैं पांच कम्पीटीसनों मैं उसनै पहला नंबर पाया।।


11**

 हमारा गौरव 


अपनी औरत को जुएं मैं हारण आले 

अतीत का गौरव दिखाये।।

अपनी औरत की अग्निपरीक्षा लेने आले इतिहास बताये।।

1

औरतों को देवदासी बनाने आले 

समाज ठेकेदार बने

सती प्रथा के नाम पर जिंदा जलाने आले नम्बरदार बने

विधवा होने पर सर गंजा करकै मथुरा का रास्ते सुझाये।।

अपनी औरत की अग्निपरीक्षा लेने आले इतिहास बताये।।

2

बेटी को मां की कोख में मारण वाले

हमनै संस्कृति सिखावैं

द्रोपदी नै जुए मैं ज्ञानी धयानी युधिष्टर हार जीत मैं लगावैं

पांचों की एक बहु होवैगी महाभारत मैं आदर्श खूब सिखाये।।

अपनी औरत की अग्निपरीक्षा लेने आले इतिहास बताये।।

3

सौ सौ बालक पैदा करण के समाज मैं

पैमाने धर दिए रै

एकलव्य बरगे द्रोणाचार्य गुरुदेव नै बिन गूंठे के कर दिए रै

दान दक्षिणा मैं गूंठा मांग लिया उसनै

गुरु कै कालख लवाये।।

अपनी औरत की अग्निपरीक्षा लेने आले इतिहास बताये।।

4

महाकाव्य लिखे गए उन बख्तों मैं आज उनको इतिहास बताते

बिना तर्क और सबूत के अंधविश्वासी कहानी खूब सुनाते

उल्टी सीधी बात कर दुनिया मैं रणबीर मजाक खूब उड़वाये।।

अपनी औरत की अग्निपरीक्षा लेने आले इतिहास बताये।।


12

शहीद भगत सिंह का जन्म दिवस 28 दिसंबर को है। जगह-जगह पर इस दिन को मनाया जा रहा है। विडंबना यह है कि हमारी आजादी के बाद की  सरकारें अभी तक शहीद भगत सिंह को शहीद का दर्जा नहीं दे पाई हैं। क्यों ? यह हम सब के सोचने की बात है।  लेकिन जनता ने तो भगत सिंह को शहीद का दर्जा  उसकी शहादत के वक्त ही दे दिया था। शहीद  भगत सिंह की याद में  एक रागनी। क्या बताया भला :

देख हालत आज देश की थारी याद घणी आवै सै।।

आज तो देश द्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।

1

सबको शिक्षा काम सबको का नारा थामनै लाया था 

इंकलाब जिंदाबाद देश में जोर लगाकै गुंजाया था 

शोषण रहित समाज थारा डायरी लिख्या पावै सै।।

आज तो देश द्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।

2

 अंग्रेजो के खिलाफ थामनै जीवन दा पै लगा दिया 

आजादी का संदेश यो घर घर के मैं पहुंचा दिया 

हंसते-हंसते फांसी चढ़गे देश जन्म दिन मनावै सै।।

आज तो देश द्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।

3

सरफरोसी की तमन्ना बोले इब दिल म्हारे मैं सै

देखना जोर कितना यो बाजुए कातिल थारे मैं स सै

 नौजवान तबका थामने बहोत घना चाहवै सै।।

आज तो देश द्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।

 4

धर्म के नाम पै समाज बांटनियाँ आज देश भक्त बनरे

हिन्दू मुस्लिम के नाम पै ये बणाकै पालेबन्दी तनरे 

रणबीर थारी कुर्बानी हम सबमें जोश ल्यावै सै।।

आज तो देश द्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।


13**

ठारा ठारा घण्टे मंडे जिब थाम सपने पूरे कर पाये।।

कुछ का जिकर सुनो ना सारे जाते आज गिणाये ।।

1

जेट एयरवेज कै ताला पूरी तरियां लवा दिया रै

एयर इंडिया का घाटा असमान पै पहुंचा दिया रै

बीएसएनएल के कर्मचारी कै जाडा चढ़ा दिया रै

एचएएल तनखा ना दे पारी कर्मचारी रुआ दिया रै

आंडी पाकैं थे कर्मचारी बाहर के रसते दिखाये।।

कुछ का जिकर सुनो सारे ना जाते आज गिणाये।।

2

पन्दरा हजार के टोटे मैं डाक विभाग पहुंचा दिया

वीडियोकॉन का पूरा दिवालिया ल्याकै दिखा दिया

टाटा डेकोमो ताहिं सांस लेना कति भुला दिया

एयरसेल की गीण्ड बांधी आज बे काम करा दिया

सरकारी के खाते पूरे लगा बहाने पाड़ बगाये।।

कुछ का जिकर सुनो सारे ना जाते आज गिणाये।।

3

जेपी ग्रुप भी आज बन्द होने को मजबूर  किये

ओएनजीसी के कामकाज चकनाचूर किये

छत्तीस बड़े कर्जदार ये भगौड़े मशहूर किए

साढ़े तीन लाख करोड़ कर्ज माफ भरपूर किये 

बड़े कारपोरेट खातर लाल कारपेट गए बिछाये।।

कुछ का जिकर सुनो सारे ना जाते आज गिणाये।।

4

पंजॉब नेशनल बैंक देवै खस्ताहाल दिखाई सै

दूजे बैंकों की हालत भी हुई बेहाल सुनाई सै 

कर्ज एक लाख तीस हजार मिलियन डॉलर बताई सै 

रेलवे का निजीकरण करकै या जनता

फंसाई सै

कहै रणबीर बरोने आला देश वासी पढ़ण बिठाये।।

कुछ का जिकर सुनो सारे ना जाते आज गिणाये।।


14

समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।

इसका काटया मांगै पाणी ना कोये नर और नारी हे।।

1

सिरकी घाल करैं गुजारा जिननै देखो ताजमहल बनाये

उनके बालक मरते भूखे जिननै ये खेत क्यार कमाए

तनपै उनके लत्ता कोण्या जिननै कपड़े के मील चलाये

बिना दूध शीत के रहते वे जिननै ये डांगर ढोर चराये

भगवान भी आंधा कर दिया ना दिखता भ्रष्टाचारी हे।।

समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।

2

जितना करड़ा काम म्हारा उतना नहीं सम्मान मिलता

दस नम्बरी माणस जितने उनका हुक्म सारै पिलता 

नकली फूल सजावैं पाखंडी ना असली उनकै खिलता

कहते उसके बिना आड़े यो पत्ता तक बी नहीं हिलता

सबकै उप्पर उसका ध्यान नहीं फेर किसे न्याकारी हे।।

समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।

3

डांगर की कद्र फालतू यो माणस बेक़दरा संसार मैं

छोरे की कद्र घणी सै छोरी पराया धन परिवार मैं

किसे जुलम होण लागरे ये छपते रोज अखबार मैं

माणस खानी म्हारी व्यवस्था लादे बोली सरेबाजार मैं

कति छाँट कै इसनै चलाई महिला भ्रूण पै कटारी हे।।

समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।

4

इस व्यवस्था मैं मुट्ठी भर तै हो घणे मालामाल रहे 

इसा जाल पूर दिया चला इसनै अपणी ढाल रहे

सोच समझ कै बढियो आगै माफिया कसूते पाल रहे

फौजी और पुलिसिया रणबीर कर इनकी रूखाल रहे

सही सोच के संघर्ष बिना जनता आज पिटती जारी हे।

समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।


15

*शंकर शैलेंद्र*

हर जोर जुल्म के टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है। 

तुमने मांगे ठुकराई हैं तुमने तोड़ा है हर वादा 

छीन हमसे सस्ता अनाज तुम छंटनी पर हो आमादा

लोर अपनी भी तैयारी है तो हमने भी ललकारा है 

हर जोर जुल्म ....

 एमत करो बहाने संकट है घाटा दिखलाना फैशन है 

इन चोर लुटेरों को क्या सरकारी कंसैशन है 

बगलें मत झांको, दो जवाब क्या यही स्वराज तुम्हारा है   

  हर जोर जुल्म...

 समझौता कैसा समझौता, हमला तो तुमने बोला है महंगी ने हमें निगलने की को दोनों जैसा मुंह खोला है 

हम मौत के जबड़े तोड़ेंगे, एका हथियार हमारा है 

हर जोर जुल्म ..

अब संभले समझौतापरस्त जनता को जो करते यतीम हम सब समझौताबाजो को अब अलग करेंगे बीन बीन जो रोकेगा बह जाएगा, ये वो तूफानी धारा है 

हर जोर जुल्म ...


16**

आमतौर पर बढ़ती जनसंख्या को गरीबी के मुख्य कारण के रूप में देखा जाता है मगर यह सोच ठीक नहीं है। जनसंख्या तो चीन की भारत से ज्यादा है। एक रागनी छोटे परिवार के हालात के बारे--

टेक- जमा छोटा सा परिवार म्हारा, फेर बी क्यों नहीं ठीक गुजारा।

यो चढ़ग्या सै करजा भारया , ज्याण मरण मैं आयी हे।।

1

मेहनत से हर काम किया , नहीं दो घड़ी आराम किया

किया गुंडयां नै जीणा हराम , इनकै लगावै कोण लगाम

डर लाग्या रहै सुबह शाम, इसे फ़िकर नै खाई हे ।।

2

हम दो हमारे दो का सै नारा यो, फेर बी घर सुखी ना म्हारा क्यों

न्यूं मनै कोये समझादयो नै, सारा खोल कै बता दयो नै

रोग की जड़ दिखला दयो नै, क्यों होती नहीं सुनायी हे।।

3

एक बेटा पढ़ता हिसार मैं , ओ पड़ता दो ढ़ाई हजार मैं

घरबार मैं मेर रही नहीं, मन की म्हारे ताहिं कहि नहीं

दिखती करज की बही नहीं, ब्याज नै करी तबाही हे।।

4

दूजा बेटा करै पढ़ाई न्यारी, बदेशी कम्पनी उनै बुलारी

भारी संकट मिलने का होग्या , बेरा ना प्यार कड़ै म्हारा खोग्या

म्हारै नश्तर घणे चुभोग्या ,न्यूँ घणी बेचैनी छाई हे।

5

म्हारा बाबू जी सै पंजाब मैं, नहीं रहता किसे की दाब मैं 

जनाब मैं कोये भी कमी ना सै, फेर भी चढ़ी म्हारै खता सै

रणबीर किसनै पता सै, क्यूं चढ़री करड़ाई हे।।


17

 चन्द्र सिंह गढ़वाली


आज हम आजाद देश के नागरिक हैं । आजादी के बाद हमने बहुत कुछ् हासिल किया है । लेकिन वे लोग जिनकी वजह से हमने आजादी पाई , उनके विषय में हम ज्यादा नहीं जानते, न ही उनके त्याग और संघर्षों को जानते हैं । किसी प्राप्ति का मूल्य तभी आँका  जा सकता है जब हम उसके पीछे के बलिदान को समझें । देश के अनेकानेक लोग कई प्रकार से स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष रत रहे । कुछ देशभग्ति  की पराकाष्ठा तक पहुँच गए और अमर हो गए पर अधिकांश देशभक्त कहीं किसानों को, कहीं फ़ौज के सिपाहियों को , कहीं हिन्दू मुस्लिम अवाम को संगठित करते हुए नींव के पत्थर बन गए । चन्द्र सिंह गढ़ वाली भी ऐसे सामान्य फ़ौजी थे जिन्होंने गढ़वाल रायफल्ज  का नेतृत्व करते हुए अंग्रेजों का हुकम मानने से इंकार कर दिया और अंग्रेजों की  हिन्दू मुस्लिम बंटवारे की निति को विफल करके लोगों को देशप्रेम का सन्देश दिया । अंग्रेज सरकार ने उनके साथ बहुत सख्ती बरती लेकिन वे देश के लिए लड़ते रहे ।आज के दौर में ऐसे जन नायकों की विरासत को समझना और उससे सबक लेना हमारी जरूरत है । उम्मीद है चन्द्र सिंह गढ़वाली का यह किस्सा सबको प्रेरित करेगा ।

रागनी --1

आजाद देश के वासी सोचो आजादी क्यूकर पाई देखो

जिन करकै आजाद हुए उनकी याद भुलाई देखो ।। 

उन शहीदों के बारे हमने रति भर भी ज्ञान नहीं

उनका त्याग और क़ुरबानी इन सबकी पहचान नहीं

उनका संघर्ष याद कराँ घनी तकलीफ ठाई  देखो।।

अनेकानेक लोग देश के जिनने अपना बलिदान दिया

भगत सिंह राजगुरु सुखदेव जीवन पूरा कुर्बान किया

हँसते हँसते देश की खातिर फांसी इन नै खाई देखो ।।

कितै संघर्ष की खातिर संतान किसानों का बनाया

कितै फ़ौज के सिपाहियों नै अपना देश प्रेम दिखाया

हिन्दू मुस्लिम एकता की नींव मजबूत बनाई देखो ।।

हिन्दू मुस्लिम एकता म्हारी अंग्रेजों नै तोड़ बगाई या

देश का बंटवारा करकै अपनी तुर्पी चाल चलायी या

इस बंटवारे के दुखों की नहीं होगी या भरपाई देखो ।।

इन अमर शहीदों मैं एक हुआ चन्द्र सिंह गढ़वाली

फ़ौज मैं बगावत की नींव सबकी साहमी थी डाली

रणबीर सिंह नै दिल लाके करी सै कविताई देखो ।।


18**


मैं पढ़ा अपने गांव थाने के स्कूल में

तख्ती पर लिखते खेलते वहीं धूल में

दसवीं पास की मैने अच्छे नम्बर पाये

आगे कहां क्या करें पढ़ाई पर हुई चर्चा

सभी के दिल में था कितना होगा खर्चा

हिन्दू कालेज सोनीपत बाहरवीं पास की

मिलेगा मेडीकल में प्रवेष मैंने आस की

दाखिला मिल गया घर में थी खुषी छाई

रोहतक पहुंचा कुछ माहौल बदला भाई

तरह तरह के सवाल रैगिंग हुई मेरी थी

सीनियर का डर बैठा देखी मेरा तेरी थी

चीर फाड़ की षरीर की ज्ञान बढ़ाया था

फिजियोलॉजी रटी तब पास हो पाया था

पैथो और फारमा दोनों मुझे भा गये थे

इम्तिहान में ये नम्बर अच्छे आ गये थे

एसपी एम फोरैंसिक बांए हाथ का खेल

इनकी पढ़ाई पाई छुक छुक करती रेल

फाइनल मुष्किल होगा यही तो बताया

मरीज देखने में पूरा समय मैने लगाया

पास हुआ ठीक नम्बर चिनता थी छाई

नौकरी या करुं मैं आगे की और पढ़ाई

आखिर आगे पढ़ने का मन मैंने बनाया

सर्जरी में फिर जैसे तैसे दाखिला पाया

रुरल और अरबन का एक नजारा था

दलित और स्वर्ण का देखा बंटवारा था

फेल पास का संकट खुला सामने पाया

सेवन्टी ऐट में यह सबके सामने आया

जाट और नोन जाट का घमासान हुआ

लड़ाई उपर की नीचे का नुकसान हुआ

इसी बीच अनुपमा मेरे जीवन में आई

धीरे धीरे दोस्ती रिस्ते का रुप ले पाई

सवाल यही था अब आगे किधर जाउं

सरकारी नौकरी या नर्सिंग होम बनाउं

खरखोदा में किराए पर काम षुरु किया

तन मन धन सब कुछ मैने झोंक दिया

प्रैक्टिस अच्छी चली पैसा खूब कमाया

कुछ साल में अपना नर्सिंग होम बनाया

नन्ही बच्ची षादी के दो साल बाद आई

फिर तीन साल बाद थी थाली गई बजाई

दो साल बाद छोटा बेटा दुनिया में आया

सब तो ठीक ठ्याक था कस्बा मुझे भाया

तभी अनुपमा चली गई हमको छोड़ करके

बीमार हुई चल बसी मुह वह मोड़ करके

बस जिन्दगी में खालीपन छाता चला गया

बच्चों पर ध्यान पूरा लगाता चला गया

कई बार मेहर सिंह समिति वाले आये

अपने विचार मुझसे सांझा थे कर पाये

तभी दारु ने जिन्दगी में दखल बढ़ाया

ज्यादा न पिया करो बच्चों ने समझाया

धीमे से मिकदार बढ़ी फिर आदत बनी

लगा ऐसा मानो षराब मेरी ताकत बनी

ताकत नहीं कमजोरी बाद में समझ पाया

फिर इस दारु ने था अपना रंग खिलाया

नर्सिंग होम फिर दारुमय हो गया मेरा

कर्मचारी भी पीते मरीज खो गया मेरा

बहुत जगह इलाज किया न छुटी भाई

जो षोहरत कमाई सारी तो लुटी भाई

दुख और अफसोस कि कहां आ पहुंचा

कभी सोचा न ये मुकाम वहां जा पहुंचा

अस्पताल में दाखिल मैं जीना चाहता हूं

वहां पर भी मंगवा कर पीना चाहता हूं

कैसी विडम्बना मेरी दिल दिमाग पछताते

आदत बलवान हुई पीछा नहीं छुड़ा पाते

बेटी बेटे बहुत दुखी नहीं है पार बसाती

देखी है बेटी बैठी सीट पे आंसूं बहाती

छोटा बेटा सातवीं तक मेरा पढ़ पाया है

क्या होगा इसका आगे मन भर आया है

एक बड़ा दुष्मन दारु हरियाणे में हो रही

कितने हैं परिवार जहां बोझा पत्नी

षायद अब ज्यादा दिन नहीं मैं चल पाउंगा

आदत जीती सतवीर हारा ये लिख जाउंगा

रणबीर सिंह दहिया......


19**

बात पते की

मेरा संघर्श

गाम की नजरां के म्हां कै बस अडडे पै आउं मैं।

कर्इ बै बस की बाट मैं लेट घणी हो जाउं मैं।।

भीड़ चीर कै बढ़णा सीख्या,करकै हिम्म्त चढ़णा सीखा

लड़भिड़ कढ़णा सीख्या, झूठ नहीं भकाउ मैं।।

बस मैं के के बणै मेरी साथ,नहीं बता सकती सब बात

भोले चेहरे करैं उत्पात, मौके उपर èामकाउं मैं।।

दफतर मैं जी ला काम करूं,पलभर ना आराम कंरू

किंह किहं का नाम èारूं, नीच घणे बताउं मैं।।

डर मेरा सारा र्इब लिकड़ गया,दिल भी सही होंसला पकड़ गया, 

जै रणबीर अकड़ गया, तो सबक सिखाउं मैं।।


20**

 तीजों का त्यौहार आ जाता है। छुट्टी मिली नहीं। जनमानस में यह हरियाली तीज के नाम से जानी जाती है। यह मुख्यतरू स्त्रियों का त्योहार है। इस समय जब प्रकृति चारों तरफ हरियाली की चादर सी बिछा देती है तो प्रकृति की इस छटा को देखकर मन पुलकित होकर नाच उठता है। जगह.जगह झूले पड़ते हैं। स्त्रियों के समूह गीत गा.गाकर झूला झूलते हैं। मेहरसिंह को रात को सपना आता है और देखता है कि प्रेम कौर तीज झूलने जा रही है। क्या देखता है भला:

टेक लाल चूंदड़ी दामण काला, झूला झूलण चाल पड़ी।

 कूद मारकै चढ़ी पींग पै देखै सहेली साथ खड़ी।।

1 झोटा लेकै पींग बधई, हवा मैं चुंदड़ी लाल लहराई

 उपर जाकै तले नै आई, उठैं दामण की झाल बड़ी।।

2 पींग दूगणी बढ़ती आवै, घूंघट हवा मैं उड़ता जावै

 झोटे की हिंग बधावै, बाजैं पायां की छैल कड़ी।।

3 मुश्किल तै आई तीज, फुहारां मैं गई चुंदड़ी भीज

 नई उमंग के बोगी बीज, सुख की देखी आज घड़ी।।

4 रणबीर पिया की आई याद, झूलण मैं आया नहीं स्वाद

 नहीं किसे नै सुनी फरियाद, आंसूआं की या लगी झड़ी।।


21

 रिवाज घूँघट का

बुजुर्ग महिला चौपाड़ धोरे कै घूँघट मैं जाया करती ॥

चौपाड़ मैं चढ़ना दूर इस कान्ही नहीं लखाया करती ॥

1

ज्येठ ससुर तैं घूँघट करकै लिहाज शर्म निभावें थी

नीची नजर करकै चालें थी ऊपर नै नहीं लखावें थी

सासू पितस तैं  भी कई घूँघट रिवाज निभाया करती ॥

2

नयी नवेली बहु जिब गाम मैं पाणी भरने जाती भाई

सिर पर दोघड पाणी की उसकी घूँघट थी भाती भाई

घर कै भित्तर बाहर बहु घूँघट मैं आया जाया करती ॥

3

सिर उभाणी  या बहु अन्घानी  कदे कदीमी सुणते आये

बेपर्दा लुगाई ल्यादे तबाही बड़े बड़ेरे न्यूँ गुणते आये

या घूँघट पढ़े लिखे की भी घिघी सी बन्धवाया करती ॥

4

रणबीर घूँघट का रिवाज खींची सै  सही तस्वीर दखे

बिन घूँघट गाती के कोए कैसे रह्वै गाम मैं  बीर दखे

इस घूँघट के कारण ये बहु कई बै ठोकर खाया करती ॥


22**

मजलूमों का गीत 

जहरीला धुंआ उठ रहा भाईयो मारे जाते इंसान यहां

रूढ़िवादी विचार ये देखो चढ़ते जा रहे परवान यहाँ

दोस्त मेरे सम्भल कर चलना कमजोर सी पतवार है

दोषी को दण्ड दे जो ऐसा मिला नहीं भगवान यहां। 

कट्टर पन्थ की हलचल कई जगह दिखाई दे रही है

काली ताकतें भारत में बनाना चाहती हैं शमशान यहाँ।

दूजे पक्ष का कट्टर पंथ भी इसी पर फल फूल रहा है

मानवता गर बची नहीं तो नहीं रहेगा हिन्दुस्तान यहां। 

मजलूम उठेंगे प्यार करेंगे हक फिर से मिलकर मांगेंगे 

लड़ाने वाले चालाक हैं कट्टरता के किये गुणगान यहां।

बीमारी को उसकी हद से आगे लेजाने की तैयारी है

लाशों के अम्बार लगाने वालो लोग नहीं अनजान यहाँ ।

हमारी मोहब्बत और एकता लगता है डर इनसे तुम्हें

देख सको जो हमारे अंदर ऐसा तुम्हारा गिरहबान कहाँ 

हमारी मानवता से डरते अपने हथियार वे पिना रहे हैं

गंगा जमुनी संस्कृति की मिटने नहीं देंगे पहचान यहां।

मजलूमों के बच्चे समझ रहे नफरत का खेल तुम्हारा 

हुक्म बजाये हमेशा ही तुम्हारे बनेगे नहीं दरबान यहां।

मोहब्बत और मानवता के लुटेरो इतना तो याद रहे ही

रणबीर थोड़े दिनों में चलेगा तुम्हारा नहीं फरमान यहां ।


23

 आजादी

पन्दरा अगस्त का दिन शहीदों की याद करां क़ुरबानी।।

हजारां हुए शहीद देश पै गोरी सरकार जब थी मानी।।

नमन करते हम सारे उन शहीदों को प्रणाम है

सत्तर साल हुए आजादी नै आज आया यो मुकाम है

हिन्दू मुस्लिम सिख सारे लड़े बणकै कोम हिंदुस्तानी।।

इन सत्तर साल मैं ये मजदूर किसान खूब कमाये

खेत कारखाने दिन रात हमनै पूरे हांगा लाकै चलाये

तरक्की का पहिया घूम्या दंग हुए गौरे और जापानी।।

सबका सपना इज्जत का जीवन जीवांगे आजादी तैं

गरीबी तैं फेर मुक्ति मिलैगी खावां पीवांगे आजादी तैं

म्हारी म्हणत रंग ल्याई इस पर करते आना कानी।।

पच्चीस साल मैं लागू आर्थिक सुधार करवाये गये

विकास रास्ते खाई बढावैं वे हमतै बतलाये गये

इणनै चौड़ी खाई करी म्हारी नहीं कोए नादानी।।

आज चारों कान्ही जुल्म होरे जनता फिरती मारी मारी

रोजगार खत्म होंते जारे बढ़ती जावै सै बेरोजगारी

हमनै देश बनाया बढ़ाया अमीरां की चली मनमानी।।

हम भगत सिंह नै याद करां इंकलाब का नारा लावां

सबका हो विकास मैं साझा इसा मॉडल हम चाहवाँ

वायदे करे जनता तैं ल्यावांगे धन काला बेउनमानी ।।

13.08.2016


24

आगळा पाछला

आगळा पाछला कुछ कोन्या योहे जन्म सबकुछ बताया।

म्हारी मत मारण खात्तर आगळा पाछला गया समझाया।

मनुष्य तैं बडडी कोय ताकत नहीं इस दुनिया मैं बताई

मनुष्य नै भगवन गढ़या जित बात समझ नहीं आई

भगवान अल्लाह रूप बदले मानस धुर तैँ इसा पाया।

कुदरत के अपने नियम जिनतैं यो संसार चलै भाई

माणस कुदरत का संघर्ष एक मिनट नहीं टलै भाई

कुदरत के नियम तोड़े तो माणस नै हमेश दुःख ठाया।

माणस माणस नै लूटै इस खातर पाखंड ये रचाये

आगळा पाछला ईश्वर खोज्या लिखकै नै ग्रन्थ बनाये

आज तलक भटका राखे यो अन्धविश्वास फैलाया।

पाखंड के हर धर्म मैं जाले ये जनता टांड पर बिठाई

किस किस का जिक्र करूं या मानवता गई दबाई

रणबीर बरोने आले नै यो चेहरा असली दिखलाया ।


25

मेहनत कश किसान 

मेहनत कश जमाने मैं तूँ घणा पाछै जा लिया ।

देख इस महंगाई करकै यो कति तौड़ आ लिया ।

चार घड़ी के तड़कै उठ रोज खेत मैं जावै सै

दोपहरी का पड़ै घाम या सर्दी घणी सतावै सै

दस बजे घर आली तेरी रोटी लेकै नै आवै सै

सब्जी तक मिलती कोण्या ल्हूखी सूखी खावै सै

नून मिर्च धरकै रोटी पै लोटा लाहसी का ठा लिया।

थारा पूरा पटता कोण्या तूँ दिन रात कमावै सै

बीज बोण के साथै तूँ आस फसल पर लावै सै

सोसाटी और लाला जी से कर्ज भरया कढ़ावै सै

लाला जी फेर तेरी फसल मनचाहे दाम उठावै सै

ब्याज ब्याज मैं नाज तेरा लाला जी नै पा लिया ।

कदे तनै सूखा मारै कदे या बाढ़ रोपज्या सै चाला

सूखे मैं तेरी फसल सूखज्या होवै ज्यान का गाला

कदे कति बेढंगा बरसै भाई यो लीले तम्बू आला 

कदे फसल तबाह होज्या कदे होवै गुड़ का राला

बिजली तक आती कोण्या माच्छरां नै रम्भा लिया।

बड़ी आशा से तमनै सै या सरकार बनाई देखो 

कई काम करैगी थारे तमनै आस लगाई देखो

सरकार नै आँते ही बालक की नौकरी हटाई देखो

थारा माल खरीद सस्ते मैं और कीमत बढ़ाई देखो

देखी तेरी हुई तबाही सै आच्छी तरियां ढा लिया।


26

हरयाणा म्हारा**

फोर लेन और मॉल म्हारा चेहरा खूब चमकाया रै।।

लिंग अनुपात अनीमिया नै महारै कालस लगाया रै।।

1

दो छोर म्हारे हरयाने के नहीं मेरी समझ मैं आवें

एक कान्ही सबते बाध कार हरियानावासी बनावें

महिला भ्रूण हत्या करके सबते तेज कार चलावें

गर्भ वती महिला खून कमी जापे के माह मरजयावें

सोच सोच इन बातां नै दिमाग मेरा चकराया रै।।

लिंग अनुपात अनीमिया नै महारै कालस लगाया रै।।

2

आर्थिक विकास घना सामाजिक विकास थोडा बताते

विकास मॉडल मै मोजूद कमी नहीं खोल कै दिखाते

सचाई नै आंकड़ो बीच कई बुद्धिजीवी बी छिपाते

म्हारे नेता बी सचाई तै बहोत घना आज घबराते

पांचो घी मैं जिसकी सें हरियाणा नंबर वन भाया रै।।

लिंग अनुपात अनीमिया नै महारै कालस लगाया रै।।

3

आर्थिक विकास की माया देखो पैसा छाया चारो और

नंबर वन हरियाणा का मचाया चारो कान्ही शोर

धरती बिकती जा म्हारी औरो के बिक़े डांगर ढोर

शाह नै मात देवें ये समाज सेवी बनके ठग चोर

चोर दवारा साह खुले के मैं जाता रोजाना धमकाया रै।।

लिंग अनुपात अनीमिया नै महारै कालस लगाया रै।।

4

कई बार सोचूँ लोट खाट मैं आज हुआ किसा विकास यो

दिमाग भन्नाया सै मेरा सोचै कदे होरया हो विनास यो

ठेकेदारी का बोलबाला सै करता म्हारा उपहास यो

विकास हुआ या विनास हिल गया मेरा विश्वास यो

रणबीर बरोने वाला ना इनकी बहका मैं आया रै ।।

लिंग अनुपात अनीमिया नै महारै कालस लगाया रै।।


27**

डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर थारी क़ुरबानी रंग ल्यावैगी।।

स्वतंत्र हिन्दुस्तान मैं या जरूर नया इतिहास रचावैगी।।

अग्रगामी चेतना की हत्या करकै हत्यारे बच ना पावैंगे

हर जागां डॉक्टर नरेंद्र पावैं जिस मोड़ पै ये लखावैंगे

अंध श्रद्धा उन्मूलन खातिर कतार इब बढ़ती जावैगी।।

आहात सां सन्तप्त सां सुण्या जब थारे कत्ल बारे डॉक्टर

गुस्सा हमनै घणा आरया सै हिम्मत कोण्या हारे डॉक्टर

तेरी क़ुरबानी यकीन मेरै घर घर मैं मशाल जलावैगी।।

लेखक संस्कृतकर्मी वैज्ञानिक कट्ठे हुए सैं कलाकार 

पूरे हिन्दुस्तान के नर नारी हम देवां मिलकै ललकार

रूढ़िवाद की ईंट तैं ईंट देश मैं इब तावली बज पावैगी।।

हमनै बेरा उन ताकतों का जिणनै कत्ल करया थारा रै

होंश ठिकाणै सैं म्हारे जबकि खून खोल गया म्हारा रै

रणबीर सिंह नै कलम ठाई पूरी दुनिया नै जगावैगी ।।

28**

इंसान ही सब कुछ 

आग पहिये की खोज करी किसनै मनै कोए बतादयो रै।

खेती और बैल कद आये जग मैं पूरी बात सुनादयो रै।

1

सृष्टि कैसे बनी इसका यो पूरा इतिहास बतावैं देखो

एक सैल जीव बने फेर ये कई सैल जीव दिखावैं देखो

रीढ़कारी आये जमाने मैं बांदर कैसे आया सुनावैं देखो

बांदर तैं इंसान बण्या सै वैज्ञानिक पाठ पढ़ावै देखो 

इंसान नै ये खोज करी सैं कोए और होतै सुझादयो रै।

खेती और बैल कद आये जग मैं पूरी बात सुनादयो रै।

2

आज तलक जो भी हुया वो करया खुद इंसान नै सारा 

फेसबुक गूगल बना दिए अजब रच दिया नजारा 

मन्दिर मस्जिद बनाये किसनै सोचना फर्ज यो म्हारा 

समाज धर्मों का निर्माता जान्या बारां और छह ठारा

भगवान गॉड मंदिर चर्च मैं बिठाये किसनै समझादयो रै।

खेती और बैल कद आये जग मैं पूरी बात सुनादयो रै।

3

जो भी करया इंसान नै करया फेर भी पुजते भगवान

और कोए प्राणी नहीं मान्या भगवान यो मान्या इंसान 

जित इंसान नहीं पहोंच्या ना मन्दिर उड़ै सै बियाबान 

न्यारे न्यारे देवता बनाये देखो इंसान नै लगा उनमान 

मानो तो भगवान ना तो पाथर खोल कै भेद दिखादयो रै।

खेती और बैल कद आये जग मैं पूरी बात सुनादयो रै।

4

इसे करकै आये दुनिया मैं न्यारे न्यारे पूजा विधान देखो 

कितै अल्लाह कितै चर्च कितै कई तरां के भगवान देखो 

मन्दिर मस्जिद मैं रेप होज्यां नहीं सुरक्षित इंसान देखो 

बिना पढ़े ना पास कराया एक  भी बच्चा नादान देखो 

रणबीर जो नहीं मानै उसनै हुया के नुक़सान गिनादयो रै।

खेती और बैल कद आये जग मैं पूरी बात सुनादयो रै।


29**

 रूढ़िवाद

रूढ़िवाद यो म्हारे देस मैं क्यों चारों कान्ही छाया।

फरज माणस का सच कहने का ना जाता आज निभाया।।

पुराने मैं सड़ांध उठली पर नया कुछ बी कड़ै आड़ै

नया जो चाहवै सै ल्याणा पार ना उसकी पड़ै आड़ै

घनखरा ए माल सड़ै आड़ै कहैं राम की सब माया।।

वैज्ञानिक सोच का पनपी लाया कदे विचार नहीं

पुराणा सारा सही नहीं हुया इसका प्रचार नहीं

नये का वैज्ञानिक आधार नहीं अन्धकार चौगरदें छाया।।

नये मैं बी असली नकली का रास्सा कसूत छिड़ग्या

वैज्ञानिक दृष्टि बिना यो म्हारा दिमाग जमा फिरग्या

साच झूठ बीच मैं घिरग्या हंस बी खड़या चकराया।।

पिछड़े विचारां का प्रचार जनता नै आज भकाया चाहवैं

बालकां का दूध खोस कै गणेश नै दूध पिलाया चाहवैं

दाग जनता कै लाया चाहवैं रणबीर सिंह बी घबराया।।


30**

इंसान ही सब कुछ 

आग पहिये की खोज करी किसनै मनै कोए बतादयो रै।

खेती और बैल कद आये जग मैं पूरी बात सुनादयो रै।

1

सृष्टि कैसे बनी इसका यो पूरा इतिहास बतावैं देखो

एक सैल जीव बने फेर ये कई सैल जीव दिखावैं देखो

रीढ़कारी आये जमाने मैं बांदर कैसे आया सुनावैं देखो

बांदर तैं इंसान बण्या सै वैज्ञानिक पाठ पढ़ावै देखो 

इंसान नै ये खोज करी सैं कोए और होतै सुझादयो रै।

खेती और बैल कद आये जग मैं पूरी बात सुनादयो रै।

2

आज तलक जो भी हुया वो करया खुद इंसान नै सारा 

फेसबुक गूगल बना दिए अजब रच दिया नजारा 

मन्दिर मस्जिद बनाये किसनै सोचना फर्ज यो म्हारा 

समाज धर्मों का निर्माता जान्या बारां और छह ठारा

भगवान गॉड मंदिर चर्च मैं बिठाये किसनै समझादयो रै।

खेती और बैल कद आये जग मैं पूरी बात सुनादयो रै।

3

जो भी करया इंसान नै करया फेर भी पुजते भगवान

और कोए प्राणी नहीं मान्या भगवान यो मान्या इंसान 

जित इंसान नहीं पहोंच्या ना मन्दिर उड़ै सै बियाबान 

न्यारे न्यारे देवता बनाये देखो इंसान नै लगा उनमान 

मानो तो भगवान ना तो पाथर खोल कै भेद दिखादयो रै।

खेती और बैल कद आये जग मैं पूरी बात सुनादयो रै।

4

इसे करकै आये दुनिया मैं न्यारे न्यारे पूजा विधान देखो 

कितै अल्लाह कितै चर्च कितै कई तरां के भगवान देखो 

मन्दिर मस्जिद मैं रेप होज्यां नहीं सुरक्षित इंसान देखो 

बिना पढ़े ना पास कराया एक  भी बच्चा नादान देखो 

रणबीर जो नहीं मानै उसनै हुया के नुक़सान गिनादयो रै।

खेती और बैल कद आये जग मैं पूरी बात सुनादयो रै।

10 रागनी

1**

सोलां सोमवार के ब्रत राखे मिल्या नहीं सही भरतार 

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घना सै करतार

1

बालकपन तैं चाहया करती मन चाहया भरतार मिलै

बराबर की इंसान समझै ठीक ठयाक सा घरबार मिलै

उठते बैठते सोच्या करती बढ़िया सा मनै परिवार मिलै

मेरे मन की बात समझले नहीं घणा वो थानेदार मिलै

इसकी खात्तर मन्नत मानी चढ़ावे चढ़ाए मनै बेसुमार

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

मेरी सहेली नै ब्याह ताहिं एक खास भेद बताया था 

सोलां सोमवार के ब्रत करिये मेरे को समझाया था

बोली मनचाहया वर मिलै जिसनै यो प्रण पुगाया था

मनै पूरे नेग जोग करे एक बी सोमवार ना उकाया था

बाट देखै बढ़िया बटेऊ की यो म्हारा पूरा ए परिवार 

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

3

कई जोड़ी जूती टूटगी फेर जाकै नै यो करतार पाया

पहलम तै बोले बहु चाहिए ना चाहिए सै धन माया

ब्याह पाछै घणे तान्ने मारे छोरा बिना कार के खंदाया

सपने सारे टूटगे मेरे बेबे सोमवार ब्रत काम ना आया

पशु बरगा बरतावा सै ना करै माणस बरगा व्यवहार

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

4

ये तो पाखण्ड सारे पाये ना भरोसा रहया भगवान मैं

उसकी ठीक गलत सारी पुगायी ना दया उस इंसान मैं 

फेर न्यों बोले पाछले मैं कमी रही भक्ति तनै पुगाण मैं

आंधा बहरा राम जी भी नहीं आया पिटती छुड़ाण मैं

कहै रणबीर बरोने आला आज पाखंडाँ की भरमार 

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

2**

मानस का धर्म 

धर्म के सै माणस का मनै कोए बतादयो नै।।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।

1

माणस तैं मत प्यार करो कौणसा धर्म सिखावै

सरे आम बलात्कार करो कौणसा धर्म सिखावै

रोजाना नर संहार करो कौणसा धर्म सिखावै

तम दारू का व्यापार करो कौणसा धर्म सिखावै

धर्म क्यों खून के प्यासे मनै कोए समझादयो नै।।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।

2

ईसा राम और अलाह जिब एक बताये सारे रै

इनके चाह्वण आले बन्दे क्यूँ खार कसूती खारे रै

क्यों एक दूजे नै मारण नै एकेजी हाथां ठारे रै

अमीर देश हथियार बेच कै खूबै मौज उड़ारे रै

बैर करो मारो काटो लिखै वो ग्रन्थ भुलादयो नै।।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।

3

मानवता का तत कहैं सब धर्मां की जड़ में सै

कुदरत का प्रेम सारा सब धर्मां की लड़ मैं सै

कदे कदीमी प्रेम का रिश्ता माणस की धड़ मैं सै

कट्टरवाद नै घेर लिए यो हर धरम जकड़ मैं सै

लोगां तैं अरदास मेरी क्युकरै इनै छटवादयो नै।।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै ।।

4

यो जहर तत्ववाद का सब धर्मों मैं फैला दिया 

कट्टरवाद घोल प्याली मैं सब ताहिं पिला दिया

स्कीम बणा दंगे करे इंसान मासूम जला दिया

बड़ मानवता का आज सब धर्मों नै हिला दिया 

रणबीर सिंह रोवै खड़या इनै चुप करवादयो नै ।।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए समझादयो नै ।।

2001 की रचना

3**

सांझी विरासत

तर्ज:चौकलिया

कोणार्क और अजंता एलोरा म्हारी खूबै श्यान बढ़ावैं

चार मीनार क़ुतुब ताज महल सब  च्यार चाँद लगावैं

1

दोनूँ भारत की विरासत इसतैं कौण आज नाट सकै

साहमी पड़ी दिखै सबनै कौण इस बात नै काट सकै

जो पापी तोल घाट सकैं म्हारी संस्कृति कै बट्टा लावैं ||

 चार मीनार क़ुतुब ताज महल सब  च्यार चाँद लगावैं

2

कालिदास बाणभट्ट या रविंद्र नाथ नै श्यान बढ़ायी सै

खुसरो ग़ालिब फ़िराक हुये जिनकी कला सवायी सै

जो  न्यारे न्यारे बांटै इणनै वे भारत के गद्दार कुहावैं||

चार मीनार क़ुतुब ताज महल सब  च्यार चाँद लगावैं

3

जयदेव कुमार गंधर्व भीमसेन जोशी जयराज दिए

बड़े गुलाम अली मियां बिस्मिल्ला नै कमाल किये

एक दूजे नै  जो नीचा कहते वे घटियापन दिखावैं

चार मीनार क़ुतुब ताज महल सब  च्यार चाँद लगावैं

4

सहगल हेमंत मन्ना और लता गायकी मैं छागे देखो

रफ़ी नूरजहां नौशाद साथ मैं ये जनता नै भागे देखो

रणबीर बरोने आले कांहिं ये सारे बहन भाई लखावैं

चार मीनार क़ुतुब ताज महल सब  च्यार चाँद लगावैं

4**

हिरोशिमा नागाशाकी

लिटिल बॉय और फैटमेंन परमाणु बम्ब गिराये रै।।

हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं

धकाये रै।। 

1

हिरोशिमा मैं छह अगस्त को अमरीका नै बम्ब गिराया

नौ अगस्त नै नागाशाकी पै दूजा फैटमैन बम्ब भड़काया

जापान देख हैरान रैहग्या अमरीका नै रोब जमाया

जमा उजाड़ दिए शहर दोनूं लाशां के ढेर लगाये रै।।

हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं

धकाये रै।। 

2

लाखों निर्दोष लोगों की इसमैं हुई मौत बताई देखो

दूसरे विश्व युद्ध मैं अमरीका नै फतूर मचाई देखो 

आत्म समर्पण जापान का फेर भी हेकड़ी दिखाई देखो

बिना बात बम्ब गिरा दिया अमरीका घना कसाई देखो

दो बम्ब गेर दादा गिरी का सारे कै सन्देश

पहोंचाये रै।।

हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं

धकाये रै।। 

3

औरत मर्द बच्चे इसके हजारों लाखों शिकार हुये

सालों साल बालकों कै जामनू कई विकार हुये

दौड़ रूकी ना हथियारों की सौला हजरत तैं पार हुये

एक हजार तैं फालतू अड्डे अमरीका के तैयार हुये

जीव मरैं निर्जीव बचैं इसे बम्ब आज बनाये रै।।

हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं

धकाये रै।। 

4

हिरोशिमा नागाशाकी तैं कोये सबक लिया कोण्या

हथियारों की होड़ बढ़ाई शांति सन्देश दिया कोण्या

हथियार मुक्त दुनिया का आधार तैयार किया कोण्या

ईनके डर पै अमरीका नै खून किसका

पीया कोण्या

रणबीर नागाशाकी दिवस पै ये चार छन्द बनाये रै।।

हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं

धकाये रै।।


5

म्हारा हरियाणा सबका हरियाणा 

मिलजुल कै नया हरियाणा हम घणा आलीशान बणावां रै।।

नाबराबारी नै खत्म करकै हरियाणा आसमान पहोंचावां रै।।

1

बासमती चावल हरियाणे का दुनिया के देशां मैं जावै आज

चार पहिये की मोटर गाड़ी यो सबतै फालतू बणावै आज

खेल कूद मैं हम आगै बढ़गे एशिया मैं सम्मान बढ़ावां रै।।

नाबराबारी नै खत्म करकै हरियाणा आसमान पहोंचावां रै।।

2

चोरी जारी ठग्गी नहीं राहवेंगी भ्रष्टाचार ना टोहया पावै

मैरिट तैं मिलैं दाखिले सबनै शिक्षा माफिया खड़या लखावै

मिलकै सारे हरियाणा वासी इन बातों नै परवान चढ़ावां रै।।

नाबराबारी नै खत्म करकै हरियाणा आसमान पहोंचावां रै।।

3

ठेकेदारों की ठेकेदारी खत्म होज्या खत्म थानेदारी होवै

बदमाशों की बदमाशी खत्म हो फिर खत्म ताबेदारी होवै

निर्माण और संघर्ष का नारा पूरे हरियाणा मैं गूंजावां रै।।

नाबराबारी नै खत्म करकै हरियाणा आसमान पहोंचावां रै।।

4

ना दहेज़ खातर दुखी होकै महिला फांसी खा हरियाणा मैं

कदम बढ़ाये एक बै जो आगै फेर ना पाछै जाँ हरियाणा मैं

बराबर के माहौल मैं हम महिलाओं के अरमान बढ़ावां रै।।

नाबराबारी नै खत्म करकै हरियाणा आसमान पहोंचावां रै।।

5

नहीं नाम रहै छूआ छूत का सब रेल मिल रहैं गामों मैं

त्याग तपस्या और मोहब्बत की ये फुहार बहैं गामों मैं

दिखा मानवता का राह जातधर्म का घमासान मिटावां रै।।

नाबराबारी नै खत्म करकै हरियाणा आसमान पहोंचावां रै।।

6

हरियाणा के लड़के और लड़की कंधे तैं कन्धा मिला चालैंगे 

देकै क़ुरबानी ये छोरी छोरे नए हरियाणा की नींव डालैंगे

गीत रणबीर सिंह नै बणाया मिलकै हम सारे ही गावां रै।।

नाबराबारी नै खत्म करकै हरियाणा आसमान पहोंचावां रै।।


6

 हरियाणा नंबर वन कोण्या 

मजदूर किसान बिना , इन सबके सम्मान बिना 

चेहरे पर मुस्कान बिना , हरियाणा नंबर वन कोण्या ।।

1

हरया भरया हरियाणा जित दूध दही का खाना

गर्भवती मैं कमी खून की दस प्रतिशत बढ़ जाना

हम सबके उपकार बिना, बसते हुए घरबार बिना

लिंग अनुपात सुधार बिना , हरियाणा नंबर वन कोण्या

मजदूर किसान बिना , इन सबके सम्मान बिना 

चेहरे पर मुस्कान बिना , हरियाणा नंबर वन कोण्या ।।

2

गुण गाते हरित क्रांति के नुक्सान ना कदे बतावैं

जहर घोल दिया पानी मैं कीटनाशक कहर ढावैं

बीमारियों के इलाज बिना, हम गरीबों की आवाज बिना

विकास के सही अंदाज बिना,हरियाणा नंबर वन ।कोण्या ।।

मजदूर किसान बिना , इन सबके सम्मान बिना 

चेहरे पर मुस्कान बिना , हरियाणा नंबर वन कोण्या ।।

3

कीट नाशक तैं हरियाणा बहोत घणा दुःख पाग्या

हुई खाज बीमारी गात मैं ,घणा कसूता संकट छाग्या

इसकी पूरी रोकथाम बिना , पानी के सही इंतजाम बिना 

अमीरों पर कसे लगाम बिना, हरियाणा नंबर वन कोण्या।।

मजदूर किसान बिना , इन सबके सम्मान बिना 

चेहरे पर मुस्कान बिना , हरियाणा नंबर वन कोण्या ।।


7

 कट्ठे होल्यां

बहोत दिन होगे पिटत्यां नै ईब कट्ठे होकै देख लियो।।

बैर भूल कै आपस का प्रेम के बीज बो कै देख लियो।।

1

करड़ी मार नई नीतियां की या सबपै पड़ती आवै सै

देश नै खरीदण की खातर बदेशी कंपनी बोली लावै सै

या ठेकेदारी प्रथा सारे कै बाहर भीतर छान्ती जावै सै

बदेशी कंपनी पै कमीशन यो नेता अफसर खावै सै

मन्दिर का छोड़ कै पैण्डा भूख गरीबी पै रोकै देख लियो।।

बैर भूल कै आपस का प्रेम के बीज बो कै देख लियो।।

2

जड़ै जनता की हुई एकता उड़ै की सत्ता घबराई सै

थोड़ा घणा जुगाड़ बिठाकै जनता बहकानी चाही सै

जड़ै अड़कै खड़ी होगी जनता लाठी गोली चलवाई सै

लैक्शनां पाछै कड़ तोड़ैंगे या सबकी समझ मैं आई सै

ये झूठे बरतन जितने पावैं ताम सबनै धोकै देख लियो।।

बैर भूल कै आपस का प्रेम के बीज बो कै देख लियो।।

3

हालात जटिल हुये दुनिया मैं समझणी होगी बात सारी

ईब ना समझे तो होज्या नुकसान म्हारा बहोतैए भारी

पैनी नजर बिना दीखै दुश्मन हमनै घणा समाज सुधारी

हम सब की सोच पिछड़ी नजर ना नये रास्ते पै जारी

भीतरले मैं अपणे भी दिल दिमाग गोकै देख लियो।।

बैर भूल कै आपस का प्रेम के बीज बो कै देख लियो।।

4

जात धरम इलाके पै हम न्यारे-न्यारे बांट दिये रै

कुछ की करी पिटाई कुछ लालच देकै छांट लिये रै

म्हारी एकता तोड़ बगादी ये पैर जड़ तै काट दिये रै

ये देशी बदेशी लुटेरे म्हारे हकां नै नाट लिये रै

रणबीर सिंह दुख अपणे के ये छन्द पिरोकै देख लियो।।

बैर भूल कै आपस का प्रेम के बीज बो कै देख लियो।।


8

कारपोरेट गुड़गामा आज एनसीआर के फाइनेंसियल हब के रूप में विकसित हो गया है । यहाँ 500 कम्पनियाँ मौजूद हैं । यहाँ के जीवन के बारे क्या बताया भला :--

आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।

युवा और युवतियों की या मजबूरी दिखाणी चाही।

1

मियाँ बीबी ये दोनों मिलकै आज खूब कमावैं देखो

तीस लाख का पैकेज ये साल का दोनों पावैं देखो

तड़कै आठ बजे त्यार हो नौकरियां पर जावें देखो

रात के ग्यारह बजे ये वापिस घर नैं आवैं देखो

इन कमेरयां की आज या पूरी कथा सुणानी चाही।

आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।

2

अपने पारिवारिक रिश्ते बताओ कैसे चलावैं रै

ऐकले रैह रैह कै शहरां मैं ये कैरियर बनावैं रै

भीड़ मैं रैह कै भी अपने नै कति अकेला पावैं रै

गांम गेल्याँ अपना रिश्ता बताओ कैसे निभावैं रै

आज के दौर की या विरोधाभाष दिखाणी चाही।

आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।

3

मोटे वेतन की नौकरी छोड नहीं पावैं देखो भाई

अपने बालकां नै घरां छोड़ कै नै जावैं देखो भाई

फुल टाइम की मेड एजेंसी तैं ये ल्यावैं देखो भाई

उसके धोरै बालक ये अपने पलवावैं देखो भाई

मजबूरी या लाइफ आज इणनै अपनाणी चाही।

आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।

4

मात पिता दूर रहवैं टाइम काढ़ नहीं पाते भाई

दादा दादी नाना नानी इनके बन्द हुए खाते भाई

घर मैं आवैं इस्तै पहले बालक तो सो जाते भाई

नॉएडा गुड़गामा का रणबीर यो हाल सुनाते भाई

बदल गया जमाना हरयाणा ली अंगड़ाई चाही।

आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।।

9

 1966 से 2018 तक का सफर हरयाणा का -----

दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||

सब चीजां के ठाठ लग्गे कोठा नाज का भर ग्या   रै|| 

जीरी गिन्हूं कपास अर इंख की खेती बढती जावै सै

देश के सुब्याँ मैं नंबर वन यो  हरयाणा का आवै सै

सड़क पहोंचगी सारै गाम गाम बिजली लसकावै सै 

छैल गाभरू छोरा इसका लड़न  फ़ौज के म्हें जावै सै

खेतां के म्हें नया खाद बीज ट्रेक्टर घराटा ठावै सै  

फरीदाबाद सोनेपत हिसार पिंजौर मील सिटी लावै सै  

सारे भारत मैं भाइयो इंका सूरज शिखर मैं चढ़ग्या रै ||1

ये बात तो भाई हर रोज बता बता दिल डाटे जाँ रै 

इस चकाचौंध के पाछै सै घोर अँधेरा नाटें जाँ रै  

जो भी हुआ फायदा बेईमान आपस मैं बांटें जाँ रै 

भका भका जातां के चौधरी नाड़ म्हारी काँटें जाँ रै 

अपनी काली करतूतां नै जात के तल्ले ढान्पें  जाँ रै 

बोलै जो उनके खिलाफ वे झूठे केसां  मैं फांसे  जाँ रै  

कुछ परवाने भाइयो फिर भी  इनके करतब नापें  जाँ रै 

बिन धरती अर दो किल्ले आला ज्यान तैं मरग्या रै ||2

खम्बे मीटर गाम गाम मैं बिजली के इब तार गए 

ओवर सीयर एस सी सब कर बंगले अपने त्यार गए 

चार पहर भी ना बिजली आवै बाट देख देख हार गए 

बिना जलाएं  बिजली के बिल कर कसूती मार गए  

ट्यूबवेल कोन्या चालै ट्रानस्फोर्मार के जल तार गए 

पैसे आल्यां  के ट्यूबवेल थ्रेशर चल धुआं धार  गए 

गरीबां की गालाँ मै दूना कीचड देखो आज भरग्या  रै  ||3

गाम गाम मैं सड़क बनाई फायदा कौन उठावैं सैं

बस आवै जावै कदे कदे लोग बाट मैं मुंह बावैं  सैं 

पैसे आल्यां  के छोरट ले मोटर साईकिल धूल उड़ावैं सैं

प्राइवेट बस सवारी ढोवैं मुंह मांगे किराये ठहरावैं सें 

सड़क टूटरी जागां जागां साईकिल मैं पंकचर हो ज्यावैं सैं

रोड़ी फ़ोड़ते पां गरीबां के जो मजबूरी मैं पैदल जावैं सैं

रोडवेज़ की बस थोड़ी  प्राइवेट का भाड़ा गोज कसग्या रै ||4

बिन खेती आल्यां  का गाम मैं मुश्किल रहना  होग्या

मजदूरी उप्पर चुपचाप  दबंगा का जुल्म सहना होग्या 

चार छः  महीने खाली बैठ पेट की गेल्याँ फहना होग्या 

चीजां के रेट तो बढ़गे प़र पुराने   प़र बहना  होग्या 

फालतू मतना मांगो  नफे  दबंग का नयों  कहना होग्या 

गाम छोड़ शहर पडे आना घर एक तरियां ढहना होग्या 

भरे नाज के कोठे फेर भी पेट कमर कै मिलग्या   रै  ||5

खेती करणिया  मैं भी लोगो जात कारगर वार करै

एक जागां बिठावै  गरीब अमीर नै ना कोए विचार करै

किसान चार ठोड बँट लिया कैसे नैया इब पार तिरै  

ट्रैक्टर आले  बिना ट्रैक्टर आल्यां  की या  लार फिरै

इनकी हालत किसी होगी बिलखता यो  परिवार फिरै 

बिना धरती आल्यां का आज नहीं कोए भी एतबार करै  

जात मैं जमात पैदा होगी बेईमान नै खतरा बधग्या रै ||6

घन्याँ की धरती लाल स्याही मैं बैंक के महां चढ़गी थी

दो लाख मैं बेचै किल्ला चेहरे की लाली  सारी झड़गी  थी 

चूस चूस कै खून गरीब का अमीर के मुंह लाली बढ़गी थी 

कर्जे माफ़ होगे एकब़र तो फेर कीमत धरती की बधगी थी 

आगे कैसे काम चलैगा रै   एक ब़रतो इसतैं सधगी थी   

आगली पीढ़ी  के करैगी म्हारी तै क्यूकरै ए  धिकगी थी

हँसना गाना भूल गए जिन्दा रहवन का सांसा पड़ग्या रै|| 7

शहरों का के जिकरा  करूँ  मानस आप्पा भूल रहया यो 

आप्पा धापी माच रही आज पैसे के संग झूल रहया यो  

याद बस आज रिश्वत खोरी  जमा नशे मैं टूहल रहया यो 

इन्सान तै हैवान बनग्या  मिलावट में हो मशगूल रहया यो 

चोरी जारी ठगी बदमाशी सीखी भूल सब उसूल रहया यो

इसी तरक्की कै लागै गोली पसीना बह फिजूल रहया यो 

फेर भी रुके मारैं तरक्की के रणबीर का दिल भरग्या रै ||8


10

75 साल की आजादी  का एक आकलन ।


खतरे मैं आजादी म्हारी जिंदगी बणा मखौल दी।

इसकी खातर भगत सिंह नै जवानी लूटा निरोल दी।

1

आजादी पावण की खातर असली उठया तूफ़ान था

लाठी गोली बरस रही थी जेलां मैं नहीं उस्सान था 

एक तरफ बापू गांधी दूजी तरफ मजदूर किसान था 

कल्पना दत्त भगत सिंह नै किया खुल्ला ऐलान था 

इंक़लाब जिंदाबाद की उणनै घणी ऊंची बोल दी ।

इसकी खातर भगत सिंह नै जवानी लूटा निरोल दी।

2

सत्तावन की असल बगावत ग़दर का इसे नाम दिया

करया दमन फिरंगी नै उदमी राम रूख पै टांग दिया 

सैंतीस दिन रहया जूझता कोये ना मिलने जाण दिया

हंस हंस देग्या कुर्बानी हरियाणे का रख सम्मान दिया

हिन्दू मुस्लिम एकता नै गौरी फ़ौज कति खंगोल दी।

इसकी खातर भगत सिंह नै जवानी लूटा निरोल दी।

3

भारतवासी अपने दिलां मैं नए नए सपने लेरे थे

नहीं भूख बीमारी रहने की नेता हमें लारे देरे थे

इस उम्मीद पै हजारों भाई गए जेलों के घेरे थे

दवाई पढ़ाई का हक मिलै ये नेक इरादे भतेरे थे

गौरे गए अर आगे काले गरीबां की छाती छोल दी।

इसकी खातर भगत सिंह नै जवानी लूटा निरोल दी।

4

फुट गेरो राज करो की रणबीर नीति चाल रहे रै

कितै जात कितै धर्म नै ये बना अपनी ढाल रहे रै

आपस मैं लोग लड़ाए लूट की कर रूखाल रहे रै

वैज्ञानिक नजर जिसकी जी नै कर बबाल रहे रै

इक्कीसवीं की बात करैं राही छटी की खोल दी।

इसकी खातर भगत सिंह नै जवानी लूटा निरोल दी।

10 ragni हरियाणा

1

हरि के हरियाणेमैं

श्यामत म्हारीआई, कोन्या दीखै राही, चढ़ी सै करड़ाई

हरि के हरियाणेमें।।

1

बोहर और भालोठ बताये,

रूड़की किलोई संग दिखाये

कर्जा चढग्याभारी, आया बैंक

सरकारी, डूंडी पिटगी म्हारी

हरि के हरियाणे मैं।

2

धरती चढ़गी लाल स्याही मैं,

कसर नहीं रही तबाही मैं

आज घंटी खुड़की, 

किलोई चाहे रूड़की,

होवैगी म्हारी कुड़की

हरि के हरियाणेमैं।।

3

आमदन या घाट लिकड़ती 

लागत तो बाधू लानी पड़ती


सब्सिडी खत्म म्हारी, 

देई घरां मैं बुहारी, 

श्यामत आगी भारी

हरि के हरियाणे मैं।।

4

महंगी होन्ती जासै पढ़ाई रै,

रणबीर मरैं बिना दवाई रै

दुख होग्या भारया 

मन बी होग्या खारया  

नहीं रास्ता पारया

हरि के हरियाणेमैं।।

2

कारपोरेट गुड़गामा आज एनसीआर के फाइनेंसियल हब के रूप में विकसित हो गया है । यहाँ 500 कम्पनियाँ मौजूद हैं । यहाँ के जीवन के बारे क्या बताया भला :--

आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।

युवा और युवतियों की या मजबूरी दिखाणी चाही।

1

मियाँ बीबी ये दोनों मिलकै आज खूब कमावैं देखो

तीस लाख का पैकेज ये साल का दोनों पावैं देखो

तड़कै आठ बजे त्यार हो नौकरियां पर जावें देखो

रात के ग्यारह बजे ये वापिस घर नैं आवैं देखो

इन कमेरयां की आज या पूरी कथा सुणानी चाही।

आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।

2

अपने पारिवारिक रिश्ते बताओ कैसे चलावैं रै

ऐकले रैह रैह कै शहरां मैं ये कैरियर बनावैं रै

भीड़ मैं रैह कै भी अपने नै कति अकेला पावैं रै

गांम गेल्याँ अपना रिश्ता बताओ कैसे निभावैं रै

आज के दौर की या विरोधाभाष दिखाणी चाही।

आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।

3

मोटे वेतन की नौकरी छोड नहीं पावैं देखो भाई

अपने बालकां नै घरां छोड़ कै नै जावैं देखो भाई

फुल टाइम की मेड एजेंसी तैं ये ल्यावैं देखो भाई

उसके धोरै बालक ये अपने पलवावैं देखो भाई

मजबूरी या लाइफ आज इणनै अपनाणी चाही।

आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।

4

मात पिता दूर रहवैं टाइम काढ़ नहीं पाते भाई

दादा दादी नाना नानी इनके बन्द हुए खाते भाई

घर मैं आवैं इस्तै पहले बालक तो सो जाते भाई

नॉएडा गुड़गामा का रणबीर यो हाल सुनाते भाई

बदल गया जमाना हरयाणा ली अंगड़ाई चाही।

आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।


3

म्हारा हरियाणा -सबका हरियाणा


लालच लूट खसोट बचै ना ईसा हरियाणा बनावांगे ॥


या धर्मान्धता खेल रचै ना ईसा हरियाणा बसावांगे ॥

1

भरपूर इन्सान उभरै म्हारे इस 

प्यारे हरियाणा मैं


सही बात और बोल कहे जावैं 

म्हारे हरियाणा मैं


बीमारी की रोकथाम हो सही सबकाइलाज करावांगे॥

या धर्मान्धता खेल रचै ना ईसा हरियाणा बसावांगे ॥

2

दोगली शिक्षा का खात्मा हो सबनै शिक्षा मिलै पूरी


नाड़ काट मुकाबला ना रहै ना हो

पीसे की मजबूरी


नशा खोरी नहीं टोही पावै हम यो अभियान चलावांगे ॥

या धर्मान्धता खेल रचै ना ईसा हरियाणा बसावांगे ॥

3

मुनाफा मंजिल नहीं रहै ना चारों तरफ घमासान मचै


जिसकी लाठी भैंस उसकी यो जुमला फेर नहीं बचै


प्रदूषण बढ़ता जा हम धरती बाँझ होण तैं बचावांगे ॥

या धर्मान्धता खेल रचै ना ईसा हरियाणा बसावांगे ॥

4

महिला नै इंसान समझां रीत ख़त्म होदोयम दर्जे की


दलित उत्पीडन खत्म होवै ना 

मार बचै इस कर्जे की


नौजवान नै रोजगार मिलै सारे कै

बिगुल बजावांगे॥

या धर्मान्धता खेल रचै ना ईसा हरियाणा बसावांगे ॥


4

 किसा हरियाणा हो हरियाणा के जन्म दिन के बहाने

1966 में 7 जिले थे हरियाणा के आज 22 जिले हैं (एनसीआर में 14 जिले हैं।आज जनसंख्या 27388008 है जो 2011 में 25353081 थी।

आज हरियाणा 51साल का हो गया है और 52 वें साल में आ गया है। बहुत कुछ पाया मगर उससे ज्यादा खोया भी है। पर्यावरण का मामला ज्यादा गम्भीर हुआ इन सालों में। स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यवसायीकरण ने इलाज आम आदमी से दूर कर दिया और डॉक्टर और मरीज के बीच अविश्वास बढ़ा दिया । पढ़ाई भी बहुत महंगी हो गई। खेती का संकट बहुत आगे बढ़ गया। बेरोजगारी बढ़ी है। लिंग अनुपात भी पूरे देश में सबसे नीचे है। महिलाओं पर हो रहे क्राइम्स की संख्या बढ़ रही है। दलितों पर भी अत्याचार बढे हैं। हम जैसे लोगों को नेगेटिव सोच के कार्यकर्ता के तगमें दिए जा रहे हैं।

इसमें कोई शक नहीं कि एक हिस्से में सम्पनता आई है हरित क्रांति के बाद मगर ऊपर लिखी कीमत भी चुकाई है। इसी तबके के एक हिस्से ने रत्नावली भी मनाई कुरुक्षेत्र में। शायद गुणगान ही किया होगा । आत्म मन्थन नहीं।

मेरे आदर्शों का हरियाणा कुछ इस प्रकार का होगा।

किसा हरियाणा हो म्हारा इतना तो जाण लयाँ।

शराब टोही कोण्या पावै इतना तो ठाण लयाँ ।

समानता होगी हरियाणे मैं उंच नीच रहै नहीं

न्या मिलैगा सबनै भाई अन्या कोये सहै नहीं

ओछी कोये कहै नहीं बढ़ा इतना ज्ञाण लयाँ।

अच्छाई का साथ देवां चाहे देणी होज्या ज्यान

बुराई का विरोध करां चाहे तो लेले कोये प्राण

बचावां हम अपना सम्मान खोल या जुबाण लयाँ।

सादगी शांति का आड़ै हरियाणे मैं प्रचार होगा

माणस नहीं लूट मचावैं सुखी फेर घरबार होगा

सही माणस हकदार होगा यो कहना माण लयाँ ।

जनता नै हक मिलज्याँ चारोँ कान्ही भाईचारा हो

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ना कितै अँधियारा हो

हरियाणा सबतैं न्यारा हो रणबीर नै पिछाण लयाँ।


5

कई साल पहले लिखी रागनी आज मिली 

पीसे का जुगाड़ बनाया धरती गैहणै धरकै नै।।

नौकरी लवावण चाल्या पीसा गौज मैं भरकै नै।।

1

दोनों आगै पाछै चाले ज्यूं घोड़ी कै पीछै बछेरा 

घणा दुःख पाग्या मेरी खातर यो बूढ़ा बाप मेरा

सोचै सिपाही बनकै नै मैं दुःख दूर करूंगा तेरा

दस हजार के बीस बनाऊं देकै मुल्जिम कै घेरा

घोड़ी पै चढ़ सपने मैं चाल्या वो सिपाही बनकै नै ।।

नौकरी लवावण चाल्या पीसा गौज मैं भरकै नै।।

2

बाबू के दिल मैं धड़का था कदे बिचौलिया पीसे खाज्या

धरती खोई पीसे बी जावैं कदे ज्याण मरण मैं आज्या

या भर्ती छोरट की कदे उसकै यो थूक कसूता लाज्या

बिचौलियां कहै विश्वास करो ना कैसे नौकरी थ्याज्या

बाबू घणा घबराया ना देख्या इसे रासे मैं पड़कै नै।।

नौकरी लवावण चाल्या पीसा गौज मैं भरकै नै।।

3

टूटी लोकल मैं बैठ दोनों शहर बीच आगे भाईयो

शहर मैं एसपी दफ्तर की देख भीड़ चकरागे भाईयो

मानस ऊपर मानस चढ़रया हम तै घबरागे भाईयो 

बोली चढ़गी पन्दरा पै लिकड़ते बड़ते बतागे भाईयो

सिफारिसी चिट्ठी लेरे थे वे चालैं घणे अकड़ कै नै ।।

नौकरी लवावण चाल्या पीसा गौज मैं भरकै नै।।

4

बीस सीट बतावैं भाईयो सिफारसियां का औड़ नहीं 

गाभरू छोरे छः फ़ीट के उनका उड़ै कोये जोड़ नहीं

उड़ै पढ़ाई लियाकत गात कै कोये बांधै था मोड़ नहीं 

चार सीएम के दो मंत्री के यो टेलिफोनां का तोड़ नहीं 

लाइन मैं खड़्या होकै तारे लत्ते एक एक करकै नै।।

नौकरी लवावण चाल्या पीसा गौज मैं भरकै नै।।

5

जिले जिले मैं पुलिस भर्ती रूक्का रोला माच गया

आशनाई रिश्तेदारी टोहवैं हरेक मानस नाच गया 

बेरोजगारी छागी गामां मैं यो हो तीन दो पांच गया 

बिचौलियां इन सारी बातां की कर पूरी जांच गया

भरतू पै बीस लाख लेग्या एक एक गड्डी गिनकै नै।।

नौकरी लवावण चाल्या पीसा गौज मैं भरकै नै।।

6

शाषकां कै कमावण खातर लाखां छोरे आरे थे 

सुथरा छैला गात रै उनका चेहरे कति मुरझारे थे

रिश्वत खोरी खुली होरी बालक बहोत घबरारे थे

बिना रिश्वत सिफारिस आले पां कै पां भिड़ारे थे 

बणी लिस्ट रणबीर उनकी जो देगा बढ़ चढ़ कै नै।।

नौकरी लवावण चाल्या पीसा गौज मैं भरकै नै।।


6

50 साल के मौके पर आजादी का एक आकलन ।

आजादी 

खतरे मैं आजादी म्हारी जिंदगी बणा मखौल दी।

इसकी खातर भगत सिंह नै जवानी लूटा निरोल दी।

आजादी पावण की खातर असली उठया तूफ़ान था

लाठी गोली बरस रही थी जेलां मैं नहीं उस्सान था 

एक तरफ बापू गांधी दूजी तरफ मजदूर किसान था 

कल्पना दत्त भगत सिंह नै किया खुल्ला ऐलान था 

इंक़लाब जिंदाबाद की उणनै या ऊंची बोल दी ।

सत्तावन की असल बगावत ग़दर का इसे नाम दिया

करया दमन फिरंगी नै उदमी राम रूख पै टांग दिया 

सैंतीस दिन रहया जूझता कोये ना मिलने जाण दिया

हंस हंस देग्या कुर्बानी हरियाणे का रख सम्मान दिया

हिन्दू मुस्लिम एकता नै गौरी फ़ौज या खंगोल दी।

भारतवासी अपने दिलां मैं नए नए सपने लेरे थे

नहीं भूख बीमारी रहने की नेता हमें लारे देरे थे

इस उम्मीद पै हजारों भाई गए जेलों के घेरे थे

दवाई पढ़ाई का हक मिलै ये नेक इरादे भतेरे थे

गौरे गए आगे काले रणबीर की छाती छोल दी।

फुट गेरो और राज करो ये नीति वाहे चाल रहे रै

कितै जात कितै धर्म नै ये बना अपनी ढाल रहे रै

आपस मैं लोग लड़ाए लूट की कर रूखाल रहे रै

वैज्ञानिक नजर जिसकी जी नै कर बबाल रहे रै

इक्कीसवीं की बात करैं राही छटी की खोल दी।

2003-2004


7

संघर्ष छिड़ लिया 

किसान मजदूर व्यापारी के आन्दोलन की जंग छिड़ी।।

सारे हिन्दुस्तान की जनता सरकार गेल्या आण भिड़ी। 

1

जलूस काढ़ते जगां जगा पै इंकलाब जिंदाबाद बोलैं

भारत के किसान मजदूर लाठी गोली  तै नहीं डोलैं

जंजीर तानाशाही की खोलैं या संघर्ष की आज घड़ी।।

सारे हिन्दुस्तान की जनता सरकार गेल्या आण भिड़ी।

2

नौजवान युवक युवती चाहवैं इनका साथ निभाया रै

आज आये सड़कों पै इंकलाब जिंदाबाद गुंजाया रै

तीन बिल किसान विरोधी बेरोजगारी भी बनी कड़ी।।

सारे हिन्दुस्तान की जनता सरकार गेल्या आण भिड़ी।

3

किसान नहीं तो देश किसा नर और नारी पुकार रहया

बिल पास करे जो उणनै आकै सड़कों पै नकार रहया

नवजागरण की चिंगारी देश मैं सुलगी कई जगां बड़ी।।

सारे हिन्दुस्तान की जनता सरकार गेल्या आण भिड़ी।

4

एक माहौल संघर्ष का चारों कान्हीं जन जन मैं छाया रै

भगतसिंह का विचार सबनै इंकलाब का आज भाया रै

रणबीर सिंह नै सोच समझ कै नये ढंग की कली घड़ी। 

सारे हिन्दुस्तान की जनता सरकार गेल्या आण भिड़ी।


8

मजदूर किसान मिलकर के लुटेरों से टकराएंगे।

जितने बिल हमारे खिलाफ सब को वापस करवाएंगे। 

1

जितना दबाओगे आप हमें इतना जोश बढ़ेगा हमारा 

एकता हमारी मजबूत होगी जुलम हारेगा तुम्हारा 

चैन खोस लिया हमारा अब हम सबक सिखाएंगे।

जितने बिल हमारे खिलाफ सब को वापस करवाएंगे। 

2

तुम्हारी लाठी गोली जो चले उनसे नहीं घबराने के  

हमारा संघर्ष जोर पकड़ेगा उल्टे कदम नहीं हटाने के 

लुटेरे फिर नहीं टोहे पाने के नारे मिलकर लगाएंगे ।

जितने बिल हमारे खिलाफ सब को वापस करवाएंगे। 

3

किसानी एकता तोड़ने  को हिंदू-मुस्लिम लाए हैं 

जाति धर्म गोत नात पर चाहते जनता को लड़ाए हैं 

कितनी झूठ भकाए हैं हम सब खोल के बताएंगे।

जितने बिल हमारे खिलाफ सब को वापस करवाएंगे। 

4

हिंदुस्तान के नर नारी हिंदू मुस्लिम सिख इसाई 

इनकी एकता के सामने ना होएगी तुम्हारी सुनाई 

रणबीर लिख कविताएं दुनिया में अलख जगायेंगे।

जितने बिल हमारे खिलाफ सब को वापस करवाएंगे।


9

सबका हरियाणा -हमारा हरियाणा 

बड़ा गुणगान होगा शाइनिंग 15 प्रतिशत  हरियाणा का 

मगर 85 प्रतिशत सफरिंग हरियाणा का जिक्र नहीं होगा 

एक नवम्बर के हरयाणा दिवस के मौके पर एक सपना 

 मेरा  भी ~~~~~

मिलजुल कै नया हरयाणा हम घणा आलीसान बनावांगे

नाबराबरी खत्म करकै नै हरयाणा आसमान पहोंचावांगे

बासमती चावल हरयाणे का दुनिया के देशां मैं जावै आज

चार पहिये की मोटर गाड़ी  यो सबतैं फालतू बणावै आज

खेल कूद मैं हम आगै बढ़गे एशिया मैं सम्मान बढ़ावांगे

चोरी जारी ठग्गी नहीं रहवैंगी भ्रष्टाचार नहीं टोहया पावै

मैरिट तैं मिलैं दाखिले सबनै शिक्षा माफिया खड़या लखावै

मिलकै सारे हरयाणा वासी इन बातों नै परवान चढ़ावांगे

ठेकेदारां की ठेकेदारी खत्म होज्या खत्म थानेदारी होवै

बदमाशों की बदमाशी खत्म हो फेर खत्म ताबेदारी होवै

निर्माण और संघर्ष का नारा यो पूरे हरयाणा मैं गूंजावांगे

दहेज़ खातिर दुखी होकै नहीं औरत फांसी खा हरयाणा मैं 

कदम बढ़ाये एकबै जो आगै फेर ना पाछै जाँ हरयाणा मैं 

बराबर के माहौल मैं महिलाओं के अरमान खिलावांगे 

छुआ छूत का नहीं नाम रहै सब रल मिल रहैं गामां मैं 

त्याग तपस्या और मोहबत की ये फुहार बहैं गामां मैं

दिखा मानवता का रास्ता जातधर्म का घमासान मिटावांगे 

हरयाणा के लड़के और लड़की कन्धे तैं कन्धा मिला चालैंगे

देकै कुर्बानी ये छोरी छोरे नए हरयाणा की नींव डालैंगे

गीत रणबीर सिंह नै बनाया मिलकै हम सारे ही गावांगे


10

कुछ साथियों को बुरा लग सकता है मगर जिंदगी में जात की खेलबाजी अंदर तक देखने के बाद ही इस जगह पर पहोंचा हूँ या पहुँचा दिया गया हूँ । 1978 की मैडीकल कालेज की 98 दिन लंबी हड़ताल जिसमें पूरा कालेज जाट नॉन जाट में बंट गया था और उसके बाद के झटके जिन्होंने आँखे खोल कर देखने को मजबूर कर दिया । 


जात नै माणस का माणस बैरी बणा जबर राख्या सै।

एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।

1

दो किले आला जाट बी आज जाट सभा की कोली मैं

भूखा मरदा ब्राह्मण बी यो ब्राह्मण सभा की झोली मैं

फिरै भरमता रोड़ बिचारा आज रोड़ सभा की टोली मैं 

दलित भी बन्ट्या हुया देखो यो कई रंगों की रोली मैं 

जात पात का घणा कसूता दखे विष यो भर राख्या सै ।

एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।

2

जात के रंग ढंग मैं सै या मानवता बाँटण की मक्कारी 

कथनी घणी सुहानी लागै सै पर पाई करणी मैं गद्दारी 

काली नाग और पीत नाग ये भाई बिठाये एक पिटारी

मुँह मैं राम बगल मैं छुरी भाई सै या बुझी जहर दुधारी 

जात्यां के बुगळे भगतां नै यो मिला सुर मैं सुर राख्या सै।

एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।

3

ब्राह्मण खत्री वैश्य और शुद्र ये चार वरण बताये सुणो

मनु जी नै फेर वरणां कै जात्यां के पैबन्द लगाये सुणो

गोत नात कबिल्यां भितर बेरा नहीं कद सी आये सुणो

जन्म कारण जात माणस की ग्रन्थ लिख़कै ल्याये सुणो

इसकी आड़ मैं लुटेरे लूटैं माणस बणा सिफर राख्या सै।

एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।

4

ढेरयां आला कुड़ता म्हारा या जात पात बताई आज 

गेहूं के खेत मैं ऊग्या हुया बथुआ जात सुझाई आज

ठेके कै म्हां लागी सुरसी गिहूँआं की मर आई आज

ये कमेरे दुखी जात्यां मैं नेतावां नै चादर घुमाई आज

काढ बगादे यो कुड़ता इसनै आज कर बेघर राख्या सै।

एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।

5

जात छोड़ कट्ठे होंवैं काम करणिये भुखे मरणीये भाई 

गोत नात छोड़ कट्ठे हों ये जितने नौकरी चढ़निये भाई

टूचावाद छोडकै कट्ठे हों सब बेरोजगार फिरणीये भाई

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ये मानवता पर चलनिये भाई 

म्हारै ना जात किसे काम की कर क्यों सबर राख्या सै।

एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।

6

सारी दुनिया रुके देकै नै ईब दो जमात बतारी देख 

एक कमेरा जिसकी मेहनत दुनिया मैं रंग दिखारी देख

दूजा लुटेरा जिसनै लूटी म्हारी सजाई दुनिया सारी देख

या पाले बंदी छिपाने खातर चलै जात की आरी देख

म्हारे माल के हम भिखमंगे यो बना आडम्बर राख्या सै।

एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।