कमलू -- ओ फूलू फांसी खा कै मरग्या परसों ।
रमलू -- लड़कै मरता तो बातै न्यारी होंती ।
कमलू --किसकै खिलाफ लड़ै ?
रमलू -- सारी कौमां के किसान कठ्ठे होके लड़ें ( रोड , सिख, जाट , गुजर ,
अहीर अर और भी सारे ?
कमलू -- ये तो न्यारे न्यारे झंडा ठाएँ घूमैं सैं ।
रमलू -- न्यौईं घूमैं गए तो राजपाट सही घूमा देगा । किसानी एकता
बख्त की मांग सै । नहीं तो न्यारे न्यारे खूब पिटेंगे अर फांसी खाऍंगे ।