Tuesday, 21 June 2016

THe Day

पहले कोई चीज  विचार के स्तर पर सामने आती है फिर मूर्त रूप लेती है ||
टेक.......ये मर्द बड़े बेदर्द बड़े
ना टोहया  पा वै भ्रष्टाचारी औ दिन कद आ वैगा 
ना दुखी करै बेरोजगारी औ दिन कद आ वैगा 
रोटी कपडा किताब कापी नहीं घाट दिखाई देंगे 
चेहरे की त्योरी मिटज्याँ सब ठाठ दिखाई देंगे 
काम करने के घंटे पूरे फेर ये आठ दिखाई देंगे  
म्हारे बालक बी बणे हुए मुल्की लाठ  दिखाई देंगे 
कूकै कोयल बागों मैं प्यारी औ दिन कद आ वैगा ||
दूध दही का खाना हो बालकां नै मौज रहैगी 
छोरी माँ बापां नै फेर कति नहीं बोझ रहैगी 
तांगा तुलसी नहीं रहै दिवाली सी रोज रहैगी 
बढ़िया ब्योहर हो ज्यागा ना सिर पै फ़ौज रहैगी 
ना होवै औरत नै लाचारी औ दिन कद आ वैगा ||
सुल्फा चरस फ़ीम का ना कोए अमली पावै 
माणस डांगर नहीं रहै नहीं कोए जंगली पावै 
पीस्सा ईमान नहीं रहै ना कोए नकली पावै 
दान दहेज़ कर कै नै दुःख ना कोए बबली पावै 
हो वैं बराबर नर और नारी औ दिन कद आ वैगा ||
माणस के गल नै माणस नहीं कदे बी काटैगा 
गाम बरोना रणबीर का असली सुर नै छाँटैगा 
लिख कै बात सबकी सबके दुःख नै बांटैगा 
वोह पापी होगा जो आज इसा बनने तैं नाटैगा 
राड़ खत्म हो म्हारी थारी औ दिन कद आ वैगा ||