Friday, 10 May 2013

मेहनती किसान हुआ बिरान

मेहनती किसान हुआ बिरान  
दुनिया तनै बाहवै   सै धरती बाहवण आले 
खोल दे  जात के ताले ये तनै मरावण  आले 
भैंस खरीदै  तूं जब तो  दूध काढ कै नै देखै सै
बुलध खरीदै जब तूं तो खुद काढ कै देखै सै 
इंख के बीज ताहीं तूं खूब हांड कै देखै सै 
नए औजारों  नै बी तूं खूब चांड कै देखै सै  
फेर बी क्यूं ना दीखैं तनै तेरा भा लगावण आले ||
कई बरस तैं देख रहया तेरी बदहाली होगी 
तनै भकाज्याँ आई बरियाँ  इबकै खुशाली होगी 
माथे की क्यों फूट गयी या दूनी कंगाली होगी 
चादर नीचै भा लागै  या दिल्ली टक्शाली होगी 
क्यूं इतने आछे लागें सें तनै भकावण आले|| 
रंग बदल कै ढंग बदल कै आ ज्यावैं   देख
तूं भी सोचै ना पीपी इनकी ठोक्यावै देख
भैंस की ढाला  यो  कई बार फिर ज्यावै  देख
एक बै गयी बात फेर पाँच साल मैं आवै देख
फेरबी आछे लागें सें तेरा नाश कारावण आले ||
सारे माठे चालने पाए जो तनै बाह कै देखे 
अदल बदल भी करी ऊपर नीचै लाकै देखे 
खेत मैं बैसक लिए जो तनै चाला कै देखे 
वोट गेर दी फेर पाँच साल मुंह बाकै  देखे
ना बेरा पाट्या क्यूं भावें माठा चालावण आले || 
बाही मैं लागू माल टिकाऊ क्यूं ना भित्तर घलता
साठ साल होगे तनै नयोंए हाँडै क्यूं ठान बदलता 
सोच्चन की बात बावले  महारा बालक हाँडै रूलता 
खून पस्सीने तै बाग़ सींच रहे फूल अमीर कै खिलता 
रणबीर कहै अपनी सोच दूसरयाँ नै ख़वावन आले ॥ 
 
 

दुखती रग

 दुखती रग
ठीक थोडा गलत घना जगत मैं पीस्सा सर चढ़  कै  बोलै ॥
सांझै दारू पी कै रमलू सारी रात बहार भीतर वो डो लै ॥
कोए घर बार नहीं आज बच्या मानस चाहे बच्या हो घर मैं
घणी कुसंस्कृति बढावै  सै  दारू या दारू पीवनिया नर मैं
बाहर भीतर वो तां कै  झाँ कै  कलह जहर घणा घो लै ॥
बिना नौकरी बिन ब्याहे गाम गाम मैं घूम रहे दिखाऊँ
नशे पते के शिकार हुए किस किस के नाम गिनाऊँ
या हालत हरियाणे के गामां की मेरा कालजा छो लै ॥
नैतिकता जमा ख़तम हुई व्यभिचार घना बढ़ता जा वै
प्यार मोहब्बत कै ताला लाया अवैध सम्बन्ध सारै पावै
साच बोलानिया धक्के खावै मौज करै जो जमा कम तोलै ॥
घोटाले पै घोटाले करते म्हारे अफसर नेता ये  मिलकै 
कोए दण्ड ना इनकी खातर ठेस कसूती लागै  दिल कै
रणबीर सिंह बरोने आला आज  दुखती रग नै पपोलै ॥