Thursday, 9 February 2023

केजरीवाल तनै ।

 शाबाशी और चेतावनी दोनूं देऊँ सूँ केजरीवाल तनै ।।

जनता के विश्वास की होगी करनी ईब रूखाल तनै ।।

अहंकार तै दूर रहना हो मुलामी तैँ बात करिये दखे 

सच का साथ निभाइए कॉर्पोरेट तैं मत डरिये दखे

भाजपा कांग्रेस तैं कति न्यारी चलनी होगी चाल तनै ।।

विकास का नया तरीका जो रोजगार नै बढ़ावा देवै

मानवता को मिलै गौरव महिला भी या बढ़ावा लेवै

पंजाब बिहार की जनता करकै दिखावै कमाल तनै ।।

निति बदलकै काम करिये जनता का साथ छोड़िये ना

मुशीबत मैं सै गरीब इस्तै मुँह अपना तूँ मोड़िये ना

तानाशाही छोड़ होगा डेमोक्रेसी का करना ख्याल तनै ।।

लेफ्ट की गेल्याँ भी ताल मेल बिठाना जरूरी दखे

न्यारी लीख विकास की काढ़ दिखाना जरूरी दखे

रणबीर करनी होगी लेफ्ट टू सैंटर की रूखाल तनै ।।

10.2.2015

नफरत भजावण का यो सही टेम आ रहया सै।।

 नफरत भजावण का यो सही टेम आ रहया सै।।

भीड़तंत्र आज देश नै सिर उप्पर ठा रहया सै।।

1

पन्दरा लाख का वायदा सारे जुमलेबाज भूल गये

 किसान फांसी के मामले क्यों पकड़ ये तूल गये

एक जादूगर की जादूगरी ये भारतवासी झूल गये

जात धर्म पै बाँट बणा जनता विरोधी रूल गये

हम नकली नै असली समझे भारतवासी दुःख पारया सै।।

भीड़तंत्र आज देश नै सिर उप्पर ठा रहया सै।।

2

गरीब अमीर की खाई दिन दूनी बढ़ती जावै रै

अडानी अम्बानी लूट रहे साथ मैं सरकार पावै रै

उनके कत्ल भी माफ़ सैं म्हारी आह ना सुहावै रै

भीड़ गुंडयां की आज या कानून पढण  बिठावै रै

मनु स्मृति का पौथा अपने सीने कै ला रहया सै।।

भीड़तंत्र आज देश नै सिर उप्पर ठा रहया सै।।

3

जुमले बाजां नै छोड़ कै तूँ कोये दूजा सहारा करले

इन पाखंडियों से आज भाई अलग किनारा करले

इसनै सबक सिखाने का जनता जुगाड़ दोबारा करले 

अपनी एकता की खातर दुःख सुख एकसारा करले

कित कित रोवाँ लोगो जुल्म ढाँवता जा रहया सै।।

भीड़तंत्र आज देश नै सिर उप्पर ठा रहया सै।।

4

बहु विविधता देश की मिलजुल कै बचानी हमनै 

गंगा जमुनी संस्कृति म्हारी इसकी अलख जगानी हमनै 

जात धर्म पर नहीं फहां इंसानियत आगै ल्याणी हमनै

सबका देश हमारा देश घर घर सन्देश पहोंचानी हमनै

देशद्रोही कैहकै विरोधी नै भाईयो डराना चाहरया सै।।

भीड़तंत्र आज देश नै सिर उप्पर ठा रहया सै।।

सबका हरियाणा 

 सबका हरियाणा 

लूट खसोट बचै ना ईसा हरियाणा बनावांगे।।

धर्मांधता बढ़ै नहीं ईसा हरियाणा बसावांगे।।

1

यो भरपूर इंसान उभरै प्यारे हरियाणा मैं

सही बोल कहे जावैंगे म्हारे हरियाणा मैं

हो रोक थाम बीमारी की पूरा इलाज करावांगे।।

धर्मांधता बढ़ै नहीं ईसा हरियाणा बसावांगे।।

2

खात्मा हो दोगली शिक्षा का सबनै शिक्षा मिलै पूरी

नाड़ काट दौड़ रहै ना हो ना पीसे की मजबूरी

नशा खोरी नहीं टोही पावै यो अभियान चलावांगे।।

धर्मांधता बढ़ै नहीं ईसा हरियाणा बसावांगे।।

3

मुनाफा मंजिल नहीं रहै ना कितै घमासान मचै

जिसकी लाठी बैंस उसकी जुमला फेर नहीं बचै

प्रदूषण घटाकै धरती बाँझ होण तैं बचावांगे।।

धर्मांधता बढ़ै नहीं ईसा हरियाणा बसावांगे।।

4

महिला नै इंसान समझाँ ना मानैं दूजे दर्जे की

दलित उत्पीड़न खत्म हो मार बचै ना कर्जे की 

सबनै रोजगार मिलैगा यो बिगुल बजावांगे।।

धर्मांधता बढ़ै नहीं ईसा हरियाणा बसावांगे।।

कद रंग बदलज्या दिल माणस का नहीं इसका बेरा पाटै।।

 

कद रंग बदलज्या दिल माणस का नहीं इसका बेरा पाटै।।

कुछ दिन ताहिं घी खिचड़ी होवै फेर उसे की जड़ नै काटै।।

1

भीतर कुछ लेरया बाहर किमैं दिखावा पल के म्हां छलज्या

साच झूठ दीखै झूठ की साच आज बस छन के म्हां बणज्या

साच्चा फिरै भरमता झूठे की सारी ए ऐस के म्हां चलज्या

साच के पेट मैं झूठ कई बै दखे जान बूझ कै पलज्या

मन पाटज्यां आपस के फेर माणस क्युकर दिल नै डाटै।।

कुछ दिन ताहिं घी खिचड़ी होवै फेर उसे की जड़ नै काटै।।

2

चंचल मन नै साधनिया कोये ना आज तलक तो पाया

रोऊं भीतर बड़कै क्युकर दूर करूं शंका की छाया

मन की लगाम दिमाग बतावैं कोण्या समझ मैं आया

बात करते दिल दिमाग़ फेर कोण्या डटती या काया

बिना दिमाग के जो दिल चालता बता उसनै के कोये चाटै।।

कुछ दिन ताहिं घी खिचड़ी होवै फेर उसे की जड़ नै काटै।।

3

दिमाग दुनिया मैं सबतैं सुंदर यो पदार्थ बताया सै रै

लाखों साल की खुभात लगी जिब यो दर्जा पाया सै रै

दुनिया मैं जितना विकास हुया गूँठे नै कर दिखाया सै रै

दिमाग चालै दो तरफा एक बनावै दूजे नै सब ढाया सै रै

दिल किसका साथ देवै म्हारा इसनै कोये क्युकर बांटै।।

कुछ दिन ताहिं घी खिचड़ी होवै फेर उसे की जड़ नै काटै।।

4

समाज मैं ताकत माणस तैं न्यारी जो इसनै चलावै देख

इस ताकत बिना माणस बिचारा खड़या यो लखावै देख

पदार्थ के अंदर चलै जो वो संघर्ष नहीं नजर आवै देख

इसनै देखण नै जो चाहिए वो ज्ञान कड़े तैं आवै देख

दिल और दिमाग जब मिलज्यां रणबीर रंग न्यारा छांटै।।

कुछ दिन ताहिं घी खिचड़ी होवै फेर उसे की जड़ नै काटै।।

चारों कान्हीं तैं खावण लागरे  बची इब कति समाई कोण्या।।

 

चारों कान्हीं तैं खावण लागरे  बची इब कति समाई कोण्या।।

म्हारी सारी कमाई लूट लई रास्ता बिना लड़ाई कोण्या।।

1

कुर्बान होज्यांगे पर झुकां नही नयूं मिलकै कसम खाई

किसानी संघर्ष की आवाज आज पूरे देश मैं पहूंचाई

काले कानून मंजूर नहीं हम होण देवैं तबाही कोण्या।।

म्हारी सारी कमाई लूट लई रास्ता बिना लड़ाई कोण्या।।

2

लूटैं बनकै म्हारे हितेषी इब आंख आज म्हारी खुलगी

तीन काले कानूनों मैं जमा लूटैं तस्वीर हमनै मिलगी

कहते कानून थारे भले मैं हमनै पाई वा भलाई कोण्या।।

म्हारी सारी कमाई लूट लई रास्ता बिना लड़ाई कोण्या।।

3

किसान मजदूर की कमाई पै अडानी अम्बानी ऐश करैं

म्हारे बालक सल्फास खाकै ना बिन आयी इब मौत मरैं

खावैं हमनै दीमक की ढालां चाहते म्हारी भलाई कोण्या।।

म्हारी सारी कमाई लूट लई रास्ता बिना लड़ाई कोण्या।।

4

किसान आंदोलन नै जोड़ी एकता जबरदस्त तैयार होगी

कितणी ए लाठी गोली चलाओ ताकतवर एकता हरबार होगी

रणबीर बरोणे आले की रहै पाछै आज कविताई कोण्या।।

म्हारी सारी कमाई लूट लई रास्ता बिना लड़ाई कोण्या।।

केरल में एक जनवरी का दिन इतिहास बनाग्या रै।।


केरल में एक जनवरी का दिन इतिहास बनाग्या रै।।

पचपन लाख  महिलाओं का महिला प्राचीर छाग्या  रै।।

1

छह सौ बीस किलोमीटर महिला प्राचीर बनाई थी

 लैंगिक समानता की खातिर मिलकै आवाज ठाई थी 

सबरीमाला मंदिर मामला यो सबके साहमी आग्या रै।।

पचपन लाख  महिलाओं का महिला प्राचीर छाग्या  रै।।

2

हरेक आयु की महिला आई हरेक वर्ग शामिल होगे 

देख कै नजारा यो सारा प्रतिगामी अपने होस खोगे 

इतनी गजब एकता केरल आज दुनिया नै दिखाग्या रै ।।

पचपन लाख  महिलाओं का महिला प्राचीर छाग्या  रै।।

3

सबरीमाला मंदिर में जावैं वे महिला डराई गई 

सुप्रीम कोर्ट का फैसला उसकी मजाक उड़ाई गई 

जवाब दिया सै मिलकै नै यो केरल जय नारा लाग्या रै।।

पचपन लाख  महिलाओं का महिला प्राचीर छाग्या  रै।।

4

 परंपरा सबरीमाला मंदिर की महिला नहीं जावै 

इसकी परंपरा गल्त सै यो सुप्रीम कोर्ट बतावै 

रणबीर सिंह गलत परंपरा पै आज ये छन्द बनाग्या रै।।

पचपन लाख  महिलाओं का महिला प्राचीर छाग्या  रै।।

अक्टूबर क्रांति नै दुनिया मैं न्यारा रच्या इतिहास कहैं।।--140 ----


अक्टूबर क्रांति नै दुनिया मैं न्यारा रच्या इतिहास कहैं।।

मजदूर और किसानों का पहला राज बण्या खास कहैं।

1

या जनता भूखी  कई बरस तैं घणा दुःख पारी बताई

दुकानां पै ताजी सब्जी रोटी भूखे लोगों नै दी दिखाई

बाजारों मैं लूट माचगी ज्यां उड़ै सेना गयी थी बुलाई

एक हफ्ते ताहिं लोगों नै पैट्रोग्रेड मैं करी थी घुमाई

सेना नाटी गोली चलाने तैं जनता की बढ़ी आस कहैं।।

मजदूर और किसानों का पहला राज बण्या खास कहैं।

2

पहली क्रांति फरवरी मार्च मैं यो राजशाह गया हटाया

फेर अस्थायी सरकार बणी थोड़ा सबर था सबकै आया

अक्टूबर मैं हटाकै अस्थाई कम्युनिस्टों नै राज बनाया

जमींदारों पूंजीपतियों का फेर रूस मैं करया सफाया

स्वेच्छाचारी राजशाही ढहे पाछै सुख का आया साँस कहैं।।

मजदूर और किसानों का पहला राज बण्या खास कहैं।

3

वैज्ञानिक समाजवाद का मार्क्स नै राह दिखाया कहते

इसको लागू करने का पूरा प्लान गया बनाया कहते

किसान मजदूर सुख पागे सम्मान सबनै पाया कहते

सेहत सुधरी शिक्षा पागे बेरोजगारी को भगाया कहते

पूरी दुनिया मैं समाजवाद पै बढ़या यो विश्वास कहैं।।

मजदूर और किसानों का पहला राज बण्या खास कहैं।

4

जनता के हकों की खातर रूस नै नये कानून बनाये 

इनतैं डरकै ये पूंजीवादी सोशल वेलफेयर नै ले आये

सन पचास ताहिं लाल झंडे आधी दुनिया मैं लहराए

देख बढ़त समाजवाद की ये पूंजीवादी देश घबराए

रणबीर करकै दिखाया ना था जिसका एहसास कहैं।।

मजदूर और किसानों का पहला राज बण्या खास कहैं।

नोट बंदी 

 

नोट बंदी 

नोट बंदी की दूजी बरसी भाजपा की गई बताई।।

कसूता सत्या नाश करया फेर जनता उबर नहीं पाई ।।

1.

लाखां का धन काला पकड़ां यो वायदा खूब करया 

भ्रष्टाचार नहीं लगा रहवैगा यो मीडिया खूब भरया 

काला सफेद होया बताया  खुली झूठ की पोल भाई ।।

कसूता सत्या नाश करया फेर जनता उबर नहीं पाई ।।

2

इस नोटबंदी नै म्हारा कति तेल काढ़ कै गेर दिया 

आम आदमी चौगरदे तैं इसनै घणा कसूता घेर लिया 

लंबी लाइनां मैं खड़े खड़े कईयों नै ज्याण खपाई।।

कसूता सत्या नाश करया फेर जनता उबर नहीं पाई ।।

3

नकद लेवण देवण का यो जिनका रोज का काम था 

करोड़ां लोग बर्बाद होगे उनपै और ना इंतजाम था 

असंगठित क्षेत्र मैं पैंतीस लाख नै दिहाड़ी गंवाई।।

कसूता सत्या नाश करया फेर जनता उबर नहीं पाई ।।

4

आतंकवाद खत्म होज्यागा यो वायदा करया दखे

यो और घणा बढ़ता दीख्या आतंकी ना डरया दखे

नोट बंदी तो फेल होवैगी रणबीर नै नहीं झूठ भकाई ।।

कसूता सत्या नाश करया फेर जनता उबर नहीं पाई ।।

क़ुरबानी इक्यावन दिन की, पूरा रंग है ल्याई रे

 क़ुरबानी इक्यावन दिन की, पूरा रंग है ल्याई रे

मेडिकल छात्र आंदोलन की, प्रदेश में गूंज समाई रे।

1
विद्यार्थियों के आंदोलन कारण सरकार को लानत ढेर मिली,
पाँचों कॉलेज एकजुट हो गए मिल के पिरोया धागा सही,
हरियाणा सरकार ने खोई सुध-बुध, विद्यार्थियों ने धूल चटाई रे।

2

पीजीआइएमएस ने दी हुंकार दूसरे कॉलेज भी साथ आए फिर,

आरडीए जब आगे आई, जन संगठन भी रहे न पीछे फिर

एका में हाथ जो मिल गए सब के, सरकार बहुत घबराई रे।

3

विद्यार्थी-एकता तोड़ने को हथकंडे कई अपनाए थे,
मेडिकल छात्र समझ गए चाल बहकावे में न आए थे,
क़दम क़दम पर हिम्मत कर के, एकजुटता ख़ूब बनाई रे।

4

एक लड़ाई तो जीती है आगे भी लड़ कर जीतेंगे,
हड़ताल के ये दिन याद रहेंगे मुश्किल वक़्त न भूलेंगे,
अब जम कर करें पढ़ाई रे, रणबीर की ये कविताई रे।

आज नया साल शुरू हुआ हर हिंदुस्तानी इसमें क्या चाहता है ।।

 *2023 का नया साल*

आज नया साल शुरू हुआ हर हिंदुस्तानी इसमें क्या चाहता है ।।
बेरोजगारी खत्म हो चाहें अच्छा स्वास्थ्य सबको मिल पाता है  ।।
1
आंदोलन कारी किसानों को हमारा है क्रांतिकारी सलाम भाई 
जो किसान हमारे शहीद हुए इतिहास में हो गया नाम भाई
बाइस में भी संघर्ष जारी था हाकिम वायदे नहीं पुगाता है।।
बेरोजगारी खत्म हो चाहें अच्छा स्वास्थ्य सबको मिल पाता है  ।।
2
देश मैं इंसानियत फिर उभरे हम इस साल में जोर लगाएंगे
हमारा प्रजातंत्र फिर हुँकार भरे मिलके संविधान को बचाएंगे
इस लड़ाई की राह हमको ये किसानी संघर्ष सही दिखाता है।।
बेरोजगारी खत्म हो चाहें अच्छा स्वास्थ्य सबको मिल पाता है  ।।
3
कदर जनता की आवाज की फिर से आये हमारे हिंदुस्तान में
इज्जत होए गरीब कमेंरे की हो जाए शांति पूरे ही जहान में
हो गजब का हिंदुस्तान हमारा देश ये नारे आज गूंजाता है।।
बेरोजगारी खत्म हो चाहें अच्छा स्वास्थ्य सबको मिल पाता है  ।।
4
इस साल में ऐसा माहौल बने इंसान को पूरा सम्मान मिले
कहे रणबीर नहीं लुटें कमेरे उन सबका फिरसे चेहरा खिलै
इसके लिए करें संघर्ष शहीद भगत सिंह  राह दिखाता है।।
बेरोजगारी खत्म हो चाहें अच्छा स्वास्थ्य सबको मिल पाता है  ।।

वैज्ञानिक दृष्टि अपनाने तै माणस कै के फर्क पड़ज्या ।।

 वैज्ञानिक दृष्टि अपनाने तै माणस कै के फर्क पड़ज्या ।।

दैवी शक्ति तैं ले छुटकारा व9 खुद प्रयत्नवादी बन्जया।।
1
आत्म विश्वास बढ़ै उसमैं अंधविश्वासी फेर रहै नहीं
समस्या की तह मैं जावैगा वो सत्यानाशी फेर रहै नहीं
तुरत फुरत कुछ कहै नहीं साच्ची बात पै जमा अड़ज्या।।
2
तर्क संगत विचार की आदत माणस के म्हां आज्या फेर
हवा मैं हार पैदा करकै सांई बाबा क्युकर भकाज्या फेर
माणस सही रास्ता पाज्या फेर नहीं तो दिमाग जमा सड़ज्या।।
3
बेरा लागै जीवन म्रत्यु का एक जन्म समझ मैं आवै
आगले पाछले जन्म के पचड़याँ तैं फेर वो मुक्ति पावै
साथ नहीं कुछ भी जावै म्हारै मिंनटां भीतर सांस लिकड़ज्या।।
4
माणस इस जीवन यात्रा नै क्युकर और सुंदर बणावै
आपा मारें पार पड़ै जीवन मैं या बात समझ मैं आवै
रणबीर गीत बनाया चाहवै चाहे थोड़ा यो सुर बिगड़ज्या।।

वैज्ञानिक दृष्टि अपनाने से इंसान में क्या फर्क पड़ता है ।

 वैज्ञानिक दृष्टि


वैज्ञानिक दृष्टि अपनाने से इंसान में क्या फर्क पड़ता है ।।
दैवी शक्ति से ले छुटकारा वो खुद प्रयत्नवादी बनता है।।
1
आत्म विश्वास बढे उसमें अंधविश्वासी फिर रहे नहीं
समस्या की तह में जायेगा सत्यानाशी फिर रहे नहीं
तुरत फुरत कुछ फिर कहे नहीं सच्ची बात पर अड़ता है।।
2
तर्क संगत विचार करना ये इंसान में आ जाता फिर
हवा में हार पैदा करके सांई बाबा नहीं भकाता
फिर
मनुष्य सही रास्ता पाता फिर नहीं इधर उधर भटकता है।।

3
पता लगे जीवन मृत्यु का है एक जन्म समझ मैं आता
अगले पिछले जन्म के पचड़ों से फिर वो मुक्ति पाता
साथ नहीं कुछ भी जाता हमारे मिंनटों में सांस निकलता है।।
4
मानव इस जीवन यात्रा को किस तरह और सुंदर बणाये
आपा मारने से पार पड़े जीवन में ये बात समझ मैं आये
रणबीर गीत बनाया चाहे विवेक से हमेशा बात  समझता है।।

इलाज पति का

 


         इलाज पति का
पांच हजार बहिन जी उधारे देदे पति मेरा बीमार हुया।।
मैडीकल मैं पड़या तड़फै घणा मोटा यो त्यौहार हुया।।
1
दो बोतल खून माँग्या डॉक्टरों नै परेशन बोल दिया
न्यों बोले मोल नहीं बिकता तुरत भेद तमाम खोल दिया
एक बोतल तो मेरा काढ्या दूजी का पांच सौ मोल लिया
कथनी करनी मैं फर्क घणा लगा बात का तोल लिया
एक दो खावण नैं आज्यां थे ओ बिचला मदद गार हुया।।
2
दस हजार का खर्चा आया पर काम जोगा रहया नहीं
मरणे तैं तो बचग्या फेर दर्द ऊँपै जानता सहया नहीं
लुहकमा सुल्फा दारू पीज्या मानै कति कहया नहीं
सारे ताणे तुड़ा कै देख लिए जाता और फहया नहीं
जिनकै घर मैं बर्तन माँजूँ उनके साहरै घरबार हुया।।
3
एक दिन मनै अपना दुखड़ा यो बहन जी आगै रोया
वकील पति नै बेरा पटग्या उसनै अपना धीरज खोया
शाम सबेरी  करै वो इशारे दिल मेरा घणा दुखी होया
एक दिन करी छेड़खाणी उनै बीज बिघन का बोया
दुनिया उसनै कहै देवता पर मेरा जीणा दुष्वार होया।।
4
तिरूं डूबूं जी मेरा होग्या किसकै आगै दुख रोऊँ मैं
वकील का करूं सामना तै सारे घर की रोटी खोऊँ मैं
चुपकी रहूं तो उसकी बदफेली का शिकार होऊँ मैं
और कितै नहीं दीखै सहारा रणबीर पै मूंह धोऊँ मैं
वकील समझाया उसनै वो मेरा सही मददगार होया।।

सोनिया गांधी का त्याग देख कै मनै आंख्यां आंसू ल्यायें देखे।।

 2004 के दौर में लिखी एक रचना

सोनिया गांधी का त्याग देख कै मनै आंख्यां आंसू ल्यायें देखे।।
आखरी फैंसला सुणणे नै कान रेडियो पर सब  लगायें देखे।।
1
कोये कहवै ड्रामा रच राख्या सै या हटकै हां भर लेगी
कोये कहवै इस बिना कांग्रेस दो दिन के मैं मर लेगी
कोये कहवै के बेरा था इतनी तावली सी या डर लेगी
कोये कहवै त्याग करया अपना कद ऊंचा कर लेगी
दस जनपथ पै दो तीन लोग पूरी नजर गड़ायें देखे।।
2
भजपा नै जात दिखाई बदेशी का मुद्दा फेर उठाया रै
गोबिंदाचार्य आत्मसम्मान का मंच बणाकै ल्याया रै
देश संविधान तैं उप्पर उसनै न्यों टीवी ऊपर बताया रै
आत्म सम्मान राष्ट्र का बता घणा कसूता ढोंग रचाया रै
दूसरे देश का मुद्दा बार बार उमा और सुषमा ठायें देखे।।
3
देश के सम्मान ऊपर जो इतनी कसूती ढालां मरते
आड़ै भूख तैं मरैं हजारों इन बाताँ पै कान नहीं धरते
मंदिर साझला ना कुंआ साझै हिंदुत्व का दम भरते
हिन्दू राष्ट्र की बात करैं पर देश तोड़ण तैं नहीं डरते
देश बेच्या सारा जिणनै वे देशी का ठप्पा चिपकायें देखे।।
4
सोनिया गांधी बहन नै देखो भारत देश तैं इतना प्यार किया
प्रधानमंत्री पद देश पै उसनै भाईयो खुशी खुशी वार दिया
भारत देश का जन आदेश पूरी तरियां अंगीकार किया
धर्म निरपेक्ष मोर्चा सबनै मिलकै नै कर यो त्यार दिया
न्यूनतम साझा कार्यक्रम पै देशवासी आस जमायें देखे।।

देश के जनतंत्र पै खतरा देखो घणा कसूता आया।।

 24 फरवरी गणतंत्र बचाओ दिवस

देश के जनतंत्र पै खतरा देखो घणा कसूता आया।।
घणे हुये कुर्बान देस पै जिब आजादी का राह पाया।।
1
आबादी बधी दोगणी पर नाज चौगुणा पैदा करया
पचास मैं थी जो हालत उसमैं बताओ के जोड़ धरया
बिना पढ़ाई दवाई खजाना सरकारी हमनै रोज भरया
ईमानदारी की करी कमाई फेर किसान नै कड़े सरया
भ्रष्टाचार बेइमानी नै क्यों सतरंगा जाल बिछाया।।
घणे हुये कुर्बान देस पै जिब आजादी का राह पाया।।
2
फासीवादी तौर तरीके राज के आज देखण मैं आये
विरोध करैं उनपै देशद्रोह के मुकद्दमे जाते रोज बनवाये
जात पात पै बांटण के इणनैं तीर तुक्के खूब चलाये
तीन मिहने होगे किसानों नै राज कै रोज
सांस चढ़ाये
*डटे हुए सैं बोर्डरां ऊपर कोण्या पाछे नै कदम हटाया।।*
घणे हुये कुर्बान देस पै जिब आजादी का राह पाया।।
3
यो दिन देखण नै के भगत सिंह नै फांसी पाई थी
यो दिन देखण नै के सुभाष बोस नै फौज बनाई थी
यो दिन देखण नै के गांधी बापू नै गोली खाई थी
यो दिन देखण नै के अम्बेडकर ने संविधान बनाई थी
*नये-नये जुमले सुणकै यो सबका सिर चकराया।।*
घणे हुये कुर्बान देस पै जिब आजादी का राह पाया।।
4
जनतंत्र बचाओ दिवस पै कसम लेवां
इसनै बचावैंगे
भगत सिंह हर के राह पै जोर लाकै हम कदम बढ़ावैंगे
किसान आंदोलन के बारे मैं घर-घर अलख जगावैंगे
काले कानून वापिस होज्यां मिलकै नै हांगा लावैंगे
*रणबीर सिंह मिलकै सोचां गया बख्त किसकै थ्याया।।*
घणे हुये कुर्बान देस पै जिब आजादी का राह पाया।।
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संविधान पढ़ण बिठाया

 संविधान पढ़ण बिठाया

धरम की करकै तेज धार , नफरत की चला कटार, देश दिया धरती कै मार , संविधान पढ़ण बिठाया।।
1
बेरोजगारी घणी आज बढ़ादी यो दुखी फिरै नौजवान
कृषि संकट घणा बढ़ाया फांसी खाता आज किसान
तीन सौ सत्तर के  तार , कश्मीर करया और बीमार
कैब पै करावादी हाहाकार , संविधान पढ़ण बिठाया ।।
2
जितनी सरकारी कंपनी सबनै बेचण की  त्यारी
रै
शिक्षा महंगी दवाई महंगी जनता की खाल तारी रै
यो जुमले बाजी का प्रचार , जनता भकाई बारम्बार, निजीकरण की बढ़ा रफ्तार , संविधान पढ़ण बिठाया।।
3
आधार कार्ड के म्हाँकै सबकै सांस कसूते चढ़ाये रै
खाते मोबाईल सारे जरूरी आधार कै बांधने चाहे रै
धर्म जात का ले हथियार , बढ़ाई समाज मैं तकरार, बहु विविधता पै कर वार ,संविधान पढ़ण बिठाया ।।
4
एक राष्ट्र और एक भाषा एक संस्कृति का नारा लाया
फासीवादी हिन्दू राष्ट्र का नारा हटकै गया सै ठाया
कमेरे पै चलाकै कटार , कारपोरेट के बन ताबेदार, बदेशी खातर खोले द्वार ,संविधान पढ़ण बिठाया ।।

खतरे मैं आजादी म्हारी जिंदगी बणा मखौल दी।---150 ----

 आजादी

खतरे मैं आजादी म्हारी जिंदगी बणा मखौल दी।
इसकी खातर भगत सिंह नै जवानी लूटा निरोल दी।
1
आजादी पावण की खातर असली उठया तूफ़ान था
लाठी गोली बरस रही थी जेलां मैं नहीं उस्सान था
एक तरफ बापू गांधी दूजी तरफ मजदूर किसान था
कल्पना दत्त भगत सिंह नै किया खुल्ला ऐलान था
इंक़लाब जिंदाबाद की उणनै या ऊंची बोल दी ।
2
सत्तावन की असल बगावत ग़दर का इसे नाम दिया
करया दमन फिरंगी नै उदमी राम रूख पै टांग दिया
सैंतीस दिन रहया जूझता कोये ना मिलने जाण दिया
हंस हंस देग्या कुर्बानी हरियाणे का रख सम्मान दिया
हिन्दू मुस्लिम एकता नै गौरी फ़ौज या खंगोल दी।
3
फुट गेरो और राज करो ये नीति वाहे चाल रहे रै
कितै जात कितै धर्म नै ये बना अपनी ढाल रहे रै
आपस मैं लोग लड़ाए लूट की कर रूखाल रहे रै
वैज्ञानिक नजर आले के जी नै कर बबाल रहे रै
इक्कीसवीं की बात करैं राही छटी की या खोल दी।।
4
भारतवासी अपने दिलां मैं नए नए सपने लेरे थे
नहीं भूख बीमारी रहने की नेता हमें लारे देरे थे
इस उम्मीद पै हजारों भाई गए जेलों के घेरे थे
दवाई पढ़ाई का हक मिलै ये नेक इरादे भतेरे थे
गौरे गए पर आगे काले रणबीर की छाती छोल दी।
06.06.1986

चालै कोण्या जोर*

 चालै कोण्या जोर*

*मेरा चालै कोण्या जोर
मनै लूटैं मोटे चोर
नहीं पाया कोये ठौर
कटी पतंग की डोर
मनै लावैं डांगर ढ़ोर
यो किसा घोटाला रै।।*

मेरा बोलना जुल्म हुया
उनका बोलना हुक्म हुया
सारे ये मुनाफा खोर
ये थमा धर्म की डोर
बनावैं ये म्हारा मोर
सुहानी इनकी भोर
ऐश करैं डाकू चोर
*मन इनका काला रै।।*

ये भारत के पालन हार
क्यों चोरां के सैं ताबेदार
म्हारे पै टैक्स लगावैं
बोलां तो खावण आवैं
ये पुलिस सैड़ दे बुलावैं
चोरां की मौज करावैं
काले का सफेद बणावै
*भजैं राम की माला रै।।*

महंगाई की मार कसूती
सिर म्हारा म्हारी जूती
यो रोजगार मन्दा सै
यो सिस्टम गन्दा सै
यो मालिक का रन्दा सै
घालै दोगला फंदा सै
क्यूकर जीवै बन्दा सै
*हुया ढंग कुढाला रै।।*
पत्थर पुजवा बहकाये
भक्षक रक्षक दिखाये
काले नाग डसगे क्यों
ये शिकंजे कसगे क्यों
दो संसार बसगे क्यों
गरीब जमा फ़ंसगे क्यों
रणबीर पै हंसगे क्यों
*कर दिया चाला रै।।*

किसान आंदोलन सफल होणा हम ताहिं क्यों घणा जरूरी।।

 किसान आंदोलन सफल होणा हम ताहिं क्यों घणा जरूरी।।

सफल हुया तै बात पक्की यो तोड़ेगा कारपोरेट की गरूरी।।
1
ऐकले जमीनी किसानों का यो रोला नहीं बताया सुणियो
बकरी पालन भी इसमैं यो कहैं शामिल दिखाया सुणियो
मछली पालन बाहर कोण्या कानून भीतर आया सुणियो
पशु पालन भी जोड़ राख्या बताओ के बच पाया सुणियो
खेत मजदूर की खत्म होवैगी या थोड़ी घणी जो मजदूरी।।
सफल हुया तै बात पक्की यो तोड़ेगा कारपोरेट की गरूरी।।
2
सोचां कट्ठे बैठ कानूनों बारे आछ भूंड की पहचान करां
किसान आंदोलन की मदद ठीक गलत पै ल्याण धरां
म्हारे घर मैं ना बचै चांदना जै अंधेरा छाया किसान घरां
चाले कर दिए सरकार नै जिसकी बड़ाई बेउन्मान करां
अडानी अम्बानी की तलहैडू सै या उनकी करती जी हजूरी।।
सफल हुया तै बात पक्की यो तोड़ेगा कारपोरेट की गरूरी।।
3
किताब एक सौ छह पन्यां की पेज छह पै या बखान करै
कृषि बाजार ताहिं सौंप रहे कारपोरेट का गुणगान करै
सब्सिडी सारी खत्म होवैगी सरकार मदद तैं प्रस्थान करै
छोटे व्यापारी कमजोर वर्ग नै ओन लाइन खरीद परेशान करै
इन सारी बातां नै समझ गई ये भरपाई सरतो और अंगूरी।।
सफल हुया तै बात पक्की यो तोड़ेगा कारपोरेट की गरूरी।।
4
किसनी का बड़ा हिस्सा फेर बेरोजगार होज्यागा भाई
गाम की बेरोजी का आंकड़ा यो बेशुमार होज्यागा भाई
देहात के संकट तैं दुखी यो छोटा व्यापार होज्यागा भाई
घणा असन्तोष बढ़ ज्यागा आड़े हाहाकार होज्यागा भाई
रणबीर किसान जीत कै करै काबू सरकार की सारी फतूरी।।
सफल हुया तै बात पक्की यो तोड़ेगा कारपोरेट की गरूरी।।

संदीप सिंह मंत्री तमनै अपमानित करी महिला खिलाड़ी

 संदीप सिंह मंत्री तमनै अपमानित करी महिला खिलाड़ी।।

महिला नै दुखी होकै थारी सारी काली करतूत उघाड़ी।।
1
चंडीगढ़ पुलिस नै मुश्किल तैं एफआईआर दर्ज करया
छेड़छाड़ के आरोपों बीच मंत्री साहब तू पाया घिरया
पूरे हरियाणा के म्हं महिला संगठनों नै रोष मार्च लिकाड़ी।।
2
कहती महिला खिलाड़ी मेरे को मंत्री नै अपने घर बुलाया
आफिस की बजाय उसनै न्यारे कमरे मैं लेजा कै बिठाया
कैह खुश रैह खुश राख़ चाही करी यौन शोषण की जुगाड़ी।।
3
महिला नै पुरजोर विरोध करया तो जबरदस्ती करनी चाही
धक्का मार कै मंत्री के वा अपना पिंड छुटा कै घर नै आयी
इसे करकै मंत्री नै कई तरियां चाही उंकि हालत बिगाड़ी।।
4
नौकरी मिली फेर बी दुखी राखी तो प्रशासन को बताया
फेर प्रशासन भी नहीं उसकी मदद करण खातर आया
पुलिस मैं दरखास्त दी सुणकै करी जनता नै करड़ी जाड़ी।।
5
न्याय मिलना चाहिए खिलाड़ी नै जन संगठन आगै आये
सरकार पै दबाव नै मंत्री के पुतले दहन करकै विरोध जताये
रणबीर भी मदद मैं कलम ठाई मंत्री की सरकार भी लताड़ी।।

छेछड़छाड़ के आरोपों में घिरे हरियाणा के खेल मंत्री संदीप सिंह को रविवार को खेल विभाग छोड़ दिया है। चंडीगढ़ पुलिस की एफआईआर के बाद मंत्री ने अपना विभाग हरियाणा के सीएम को सौंप दिया है। उन पर हरियाणा की ही एक महिला कोच ने छेड़छाड़ और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया है। उधर, संदीप सिंह ने हरियाणा के डीजीपी से मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की। इसके बाद डीजीपी ने एडीजीपी ममता सिंह के नेतृत्व में एसआईटी गठित कर दी। अब यह एसआईटी मंत्री की शिकायत की जांच करेगी। ऐसे में जानते हैं कि ये पूरा मामला आखिर है क्या...
संदीप सिंह पर आरोप लगाने वाली महिला कोच पंचकूला में तैनात है। कोच का आरोप है कि मंत्री ने उन्हें चंडीगढ़ स्थित अपनी कोठी पर बुलाया और गलत तरीके से छुआ। मंत्री ने कहा कि तुम्हारा फिगर और फिटनेस बहुत अच्छी है। तुम मुझे खुश रखो और मैं तुम्हें खुश रखूंगा। कोच का कहना है कि जब मंत्री से इनकार किया तो उन्होंने जबरदस्ती करने की कोशिश की और टी-शर्ट फाड़ दी। मगर वह मंत्री को धक्का देकर वहां से भाग निकली।

बाद में खेल विभाग में लगी नौकरी, मंत्री पर परेशान करने का आरोप
इस घटना के बाद महिला की हरियाणा खेल विभाग में नौकरी लग गई। बतौर कोच पंचकूला में तैनाती मिली। मगर आरोप है कि मंत्री के दखल पर झज्जर तबादला कर दिया गया। महिला कोच ने मंत्री पर परेशान करने का आरोप लगाया है। कोच का कहना है कि धमकी भी मिल रही है।


संदीप सिंह थारी ओछी हरकत नै हरियाणे का

ब्रूनो नै चर्च में पढ़कै कहते पादरी बनना चाहया था।।

 *ब्रूनो नै चर्च में पढ़कै कहते पादरी बनना चाहया था।।*

*कॉपरनिकस की किताब पढ़कै उसनै पल्टा खाया था।।*
1
सवाल उठाकै वो क्यों  धरती सूरज पै बहस चाहवै
आगै अध्ययन करकै नै क्यों नहीं पता लगाया जावै
ज्यों ज्यों अध्ययन करै सूरज चौगरदें धरती  घुमती  पावै
चर्च की ताकत और गुस्सा पूरी ढ़ालां समझ मैं आवै
*ब्रूनो नै इसे कारण तैं इटली छोडण का मन बनाया था।।*
2
कुछ विद्वान सहमत होगे फेर साथ कदम नहीं धरया
दिन दूनी रात चौगुनी प्रचार करता ब्रूनो नहीं डरया
आम जनता का दिल उसनै यो पूरी तरियां दखे हरया
प्रयाग पैरिस इंग्लैंड जर्मनी मैं उसनै  था प्रचार करया
*चर्च की दाब नहीं मानी हारकै चर्च नै भगोड़ा बताया था।।*
3
ज्यों ज्यों प्रचार करया चर्च का गुस्सा बढ़ावै था
ब्रूनो भी बढ़ता गया आगै ना पाछै कदम हटावै था
चर्च की छलां तैं बताओ कितने दिन बच पावै था
वैचारिक समझौता ना करूंगा यो सन्देश पहूंचावै था
*चर्च नै पकड़ण की खातर फेर कसूता जाल बिछाया था।।*
4
चर्च मानस तैयार किया वो ब्रूनो धोरै पढ़ना चाहवै सै
फीस तय करदी उसकी फेर एक पते कै ऊपर बुलावै सै
ब्रूनो भी शिष्य एक बनैगा मेरा सोच कै नै सुख पावै सै
चर्च की चाल सोची समझी समझ उसकी ना आवै सै
*गिरफ्तार कर लिया चर्च नै बहोत घणा गया सताया था ।।*
5
अमानवीय यातना दी चर्च नै ब्रूनो अपने मत नै छोड़ दे
पहले आली सोच कांहीं अपनी सोच नै ब्रूनो मोड़ दे
छह साल ताहिं मंड्या रहया चर्च ब्रूनो की कड़ तोड़ दे
लोहे के सन्दूक मैं राख्या ताकि मौसम यो शरीर निचौड़ दे
*यो अत्याचार चर्च का ब्रूनो का मनोबल गिरा ना पाया था ।।*
6
न्यायालय का ड्रामा रच कै घनी भूंडी सजा सुनवाई
इसी सजा दयो इसनै एक बी खून की बूंद ना दे दिखाई
ब्रूनो उलट कै बोल्या था सरकार घणी डरी औड़ पाई
रोम के चौंक मैं ब्रूनो खम्भे कै ल्याकै बांध्या था भाई
*रणबीर कपड़ा ठूंसकै मूंह मैं ब्रूनो जिंदा उड़ै जलाया था ।।*

अंग्रेज हुकूमत ताहिं दी चुनौती पहली ठारा सो सतावन मैं।।

 अंग्रेज हुकूमत ताहिं दी चुनौती पहली ठारा सो सतावन मैं।।

उन्नीस सौ उन्नीस मैं चुनौती दूसरी आवै सै गावण मैं।।
1
सबक सिखावन नै हमको डायर जुल्मी तिलमिला गया था
रोलेट एक्ट खत्म करो हड़ताल देख कै बौखला गया था
बच्चा बुढ़ा कुलमुला गया था झेले कष्ट अंग्रेज भजावण मैं।।
उन्नीस सौ उन्नीस मैं चुनौती दूसरी आवै सै गावण मैं।।
2
इस पाछै तो भारत सारा आजादी खातर कूद पड़या था
पाली हाली क्लर्क बाबू जाड़ भींच कै खूब लड़या था
उधम लन्दन मैं जा बड़या था ओडायर तैं हिसाब चुकावण मैं।।
उन्नीस सौ उन्नीस मैं चुनौती दूसरी आवै सै गावण मैं।।
3
तेरा अप्रैल का दिन था कट्ठे बाग मैं नर नार हुए थे
काले कानून उल्टे लेओ वे लड़ने खातर तैयार हुए थे
पैने अंग्रेज के हथियार हुए थे म्हारी आवाज दबावण मैं।।
उन्नीस सौ उन्नीस मैं चुनौती दूसरी आवै सै गावण मैं।।
4
फेर बख्त की धार बदलगी जलियाँ वाले बाग के म्हां
सारे हिंदुस्तानी कूद पड़े थे आजादी आले फाग के म्हां
रणबीर कूद पड़े आग के म्हां देश नै आजाद करावण मैं।।

आजादी के आंदोलन की लहर


आजादी के आंदोलन की लहर
अंग्रेज फिरंगी लारया अड़ंगी म्हारे प्यारे प्रदेश पंजाब मैं।।
आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै चुच्ची बच्चा पंजाब मैं।।
1
तिलक दहाड़े ऐनी पुकारै होम रूल ल्याकै मानांगे
जनता चाली धरती हाली देश आजाद कराकै मानांगे
हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई मिलाकै चालां कांधा पंजाब मैं।।
आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै चुच्ची बच्चा पंजाब मैं।।
2
हथियार उठाकै अलख जगाकै चले क्रांतिकारी बंगाल मैं
नौजवान पंजाबी हमला जवाबी चाहया देना हर हाल मैं
साथी लाला हरदयाल मैं फेर उठी थी चिंगारी दोआब मैं।।
आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै चुच्ची बच्चा पंजाब मैं।।
3
पाल्टी बनाई गद्दरी भाई दूर विदेश मैं जा करकै देखो
करे हथियार उड़ै तैयार ज्यान की बाजी ला करकै देखो
हिंदुस्तान मैं आ करकै देखो भरया देश प्रेम नवाब मैं।।
आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै चुच्ची बच्चा पंजाब मैं।।
4
तीन सौ हिंदुस्तानी जहाज जापानी कनाडा कांहीं चाल पड़े
कनाडा तैं ताहे उल्टे आये सोचें राह मैं सारे बेहाल खड़े
जेलों मैं दिए डाल बड़े कुछ आये रणबीर तैर सैलाब मैं ।।

बदली आंख युद्ध जीत कै अंग्रेजों की सरकार  नै।।

 6/11/1990 की रचना

बदली आंख युद्ध जीत कै अंग्रेजों की सरकार  नै।।
अपमानित करे भारतवासी उस फिरंगी बदकार नै।।
1
फिरंगी की हालत खराब हुई शुरू जब वल्ड वार हुया
भारत देश नै आजाद करां अंग्रजों का यो प्रचार हुया
देश इस शर्त पै मददगार हुया ले सारे घर परिवार
नै।।
अपमानित करे भारतवासी उस फिरंगी बदकार नै।।
2
जर्मन चढ़ता आया लन्दन पै अंग्रजों नै था हाथ फैलाया
मदद करो रै अंग्रेजों की गांधी जी नै था नारा लगाया
रंग रुट भर्ती था करवाया यो देख्या सारे संसार नै।।
अपमानित करे भारतवासी उस फिरंगी बदकार नै।।
3
वायदा करकै नै नाट गया यो विश्वास खोया म्हारा था
काले कानून करे लागू माइकल ओ डायर हत्यारा था
होमरूल का नारा था हुई मुश्किल फिरंगी औधेदार नै।।
अपमानित करे भारतवासी उस फिरंगी बदकार नै।।
4
कलकत्ता कोर्ट मैं जज बताया भारतवासी हसन इमाम रै
किलेटन बेहूदे गौरे नै गाली उसको देदी थी सरे आम रै
रणबीर देश उठया तमाम रै देख कै फिरंगी अत्याचार नै।।
अपमानित करे भारतवासी उस फिरंगी बदकार नै।।

जंग की राजनीति

 जंग की राजनीति

ये जंग क्यों होते दुनिया मैं नहीं पाट्या सै तोल कति ।।
दुश्मनी तै ये खूब निभादें यारी का नहीं मोल कति।।
1
नब्बै करोड़ भुखी जनता क्यों दीखै किसे नै देश नहीं
इनकी खातर दिल म्हारे मैं क्योँ प्यार का लेहश नहीं
राजे राजे एकसे बताये क्यों दीखता असली भेष नहीं
जंग के कारण के सैं क्यों मिटता जंग का कलेश नहीं
कुर्सी बचावण का रोला सै या धरदी आज खोल कति।।
2
हथियारां पै जो खर्चा होवै यो खर्चा शिक्षा पै ना होन्ता
बिना बात के खर्चे नै माणस हांडै यो जीवन भर ढोन्ता
मुनाफाखोर औरां नै ना टिकण दे खुद सुख तैं सोन्ता
लूट खसोट रहवै मचान्ता साहमी झूठ मूठ का रोन्ता
मिलावट करै माणस मारै देश प्रेम नै देवै घोल कति।।
3
देश आजाद कराने मैं फांसी का फंदा हम चूम गए
म्हारे होंसले आगै गोरयां की तोपां के मुंह घूम गए
गोरे दिए भजा आड़े तैं काले होकै नशे मैं झूम गए
आजाद देश के सपने म्हारे चाट आज क्यों धूल गए
देश प्रेम का मतलब के सै दीखै खुलगी पोल कति।।
4
देश के भाण भाइयो बूझियो के मकसद कुर्बानी का
देश आजाद रहवै कहते मत करो काम नादानी का
म्हारी खातर देश प्रेम पर खुद का काम शैलानी का
हम आह भरैं बदनाम होज्यां कत्ल माफ खानदानी का
रणबीर सोच कै जवाब दिए मैं करती नहीं मख़ौल कति।।
2004--2005 के दौर में लिखी रागनी

दास्तान मेरी

 दास्तान मेरी

मैं साधारण ऊंची जाति परिवार में पली  लड़की
अपने जीवन को सार्थक बनाने चली लड़की
अनगिनत सहन की हैं जीवन की ये कठिनाई गांव के ही भाइयों ने मेरी इज्जत लूटनी चाही खेतों में काम करते मजदूर वह दौड़े-दौड़े आए तभी मेरे ऊपर से वे जुल्म के बादल छंट पाए
कालेज जाने लगी उन्होंने मेरा पीछा नहीं छोड़ा
दूसरे गांव के लड़कों से सूत्र इन्होंने फिर जोड़ा घर पर बात बताई तो कहते बन्द करो पढ़ाई
कालेज में वीमेन सैल बात वहां भी न बन पाई
आशा और निराशा के बीच मैने एमए पास किया
अच्छे नम्बर आये मेरे थोड़ा सुख का सांस लिया
नेट भी पास कर लिया पर नौकरी नहीं मिलती
मां कहती है मेरे चेहरे पर क्यों हंसी नहीं खिलती
कैसे खिले हंसी मुझे पँचायतियो बताओ तो सही
क्या करूं आगे का रास्ता मुझे दिखाओ तो सही
पराइवेट स्तर पर मैंने बीएड भी कर ही लिया है
मेरा रिस्ता ढूंढ़ते घरवालों का जी भर लिया है
ना कहिं नौकरी मिल रही ना शादी हो रही मेरी
क्या नहीं दिखती भगवन ये बर्बादी हो रही मेरी
कई जगह बात चली दहेज को लेकर टूट गई
मर जाने को दिल करता आस सभी छूट गई
क्या करूं कहाँ जाऊं कुछ समझ नहीं आ रहा
बूढ़े माता पिता हैं उनका दुख सहा नहीं जा रहा
भाई एम ए पास वो भी पांव से पांव भिड़ा रहा
बड़ी मुश्किल है दास्तान ये हमारे घर परिवार की
पता नहीं ऐसी हालत है कितने और घरबार की

आज का जमाना----160 ----

 आज का जमाना

देख कै उल्टी रीत जगत की दिल मेरा हुआ उदास।।
भगवन तेरी इस लीला का मनै भेद पट्या ना खास ।।
1
चोर जार ठग मौज उड़ाते शरीफ रहें दुःख भरते
झूठे राज पाठ  के मालिक सचे फिरैं गुलामी करते
देखे हिरन जंगलों मैं चरते गधे करैं गाम मैं वास ।।
भगवन तेरी इस लीला का मनै भेद पट्या ना खास ।।
2
झूठे बरी जेल खानों मैं मनै सच्चे ठुकते देखे
शर्म आले बेशर्म के आगै सर झुका लुह्क्ते देखे
सच्चे मानस झुकते देखे दादा बनगे बदमास ।।
भगवन तेरी इस लीला का मनै भेद पट्या ना खास ।।
3
झुठयाँ कै पल्लै धरती दौलत भले करैं पराई आशा
म्हारे भारत देश मैं देखो दुनिया का अजब तमाशा
गरीब नै भोजन का सांसा अमीरों के सब रंग रास ।।
भगवन तेरी इस लीला का मनै भेद पट्या ना खास ।।
4
ये मजदूर ऊपर हुकम चलावें आज अफसर भूंडे
घने दलाल पैदा होगे कई नेताअपने बरगे ढूंढें 
रणबीर सिंह बरग्याँ  नै ये गुंडे नहीं लेवन दें सांस ।।
भगवन तेरी इस लीला का मनै भेद पट्या ना खास ।।

ईब मरणा नहीं कति मंजूर

 


ईब मरणा नहीं कति मंजूर या मनै कसम खाई बेबे।।
पति सास ससुर देख लिए सबनै रोल मचाई बेबे।।
1
मिला रेत मैं लाड दिया सै
बिना तेंगे गल बाढ़ दिया सै
मनै नतीजा काढ़ लिया सै, कोण्या होवै सुनाई बेबे।।
2
ईब ना तेरी बाहण दुखड़ा झोवै
नहीं बैठ आपणे करमां नै रोवै
बीज नई फसल के या बोवै, लांघ दहेल नै आई बेबे।।
3
औरत भी तै एक इंसान हो सै
इसकै भी तै मान सम्मान हो सै
क्यों शराबी पति भगवान हो सै,किसनै रीत चलाई बेबे।।
4
अपने पाहयाँ पै खड़ी होऊँ मैं
लगा फांसी ज्यान ना खोऊँ मैं
ईब राही अपनी नई टोहूं मैं ,रणबीर नै धीर बंधाई
बेबे।।