Monday, 13 February 2023

कमला रामफल

 




रणबीर
पूरे गांव में यह चर्चा का विषय बन गया। कुछ पुरुष कह रहे हैं कि क्या इस गांव को अमरीका बनाओगे? पुरुषों का खासा हिस्सा यही चाहता था कि कमला रामफल भाई-बहन बन जाएं। मगर औरतों का बड़ा हिस्सा इसके खिलाफ था। कई औरतों ने कहा-अब यह कैैसे हो सकता है? वे आपस में बातें करती हैं और क्या कहती हैं भला-

पेट मैं पलै साथ मैं क्यों तुम दो ज्यानां नै मार रहे।
गया बदल जमाना क्यूं पाप की माला गल मैं डाल रहे
1
बालक का रिश्ता के होगा भाण-भाई बनावैं सैं। भाण-भाई के रिश्ते कै बी क्यों कालस  लगावें सै।
गाम में जो बड़े पंचायती वे घणे दुष्कर्म करावें  सैं।
छेड़खानी-बलात्कार पै ना कदे पंचायत बुलावै सैं।
कंस रूपी ये पंचायती बिकलाने मैं पिना धार रहे।
2
राठी और दहिया बीच ब्याह ये णुरतै होत्ते आये सै।
चौटाला गाम मैं कई नै आपस मैं ब्याह रचाये सैं।
हरेक गाम मैं गोत पन्दरा गये आज ये गिनाये सैं।
किस किसनै बचावांगे ये सवाल गये ईब ठाये सैं।
क्यों इन मासूमां ने बिना बात के फांसी तार रहे।।
3
परम्परावादी सोतै बैल की खेती ल्यादी हटकै रै। जंग लागै चाकू तै ओरनाल काटो सब डटकै रै। पुराना घाघरा कड़ै गया गोत क्यों थोरे अटकै रै। इतने गोत क्यूंकर बचैंगे बात म्हारै योह खटकै रै।
ना पुराना ठीक सारा इसपै नहीं कर विचार रहे।
4
इतनी प्यारी छोरी लाग्गै क्यों पेट मैं इनै मार रहे।
खरीद कै ल्याओ यू पी तै जिब ना गोत विचार रहे।
ब्याह-शादी मुश्किल होरे ना नये नियम धार रहे। गोतां की सीमा ये टूटैंगी लोग खड़े-खड़े निहार रहे।
रणबीर बरोनिया पै पंचायती पिना ये तलवार रहे।

सरोज कमला की बचपन की दोस्त सै। वा कैनेडा मैं सै। वह एक वेबसाइट पर कमला के बारे में जानकारी हासिल करले सै। अंग्रेजी के अखबार ‘दि ट्रिब्यून "में भी खबर पढ़ै है। वह कमला के बारे में बड़ी चिंतित हो जाती है। वह कमला को एक पत्र लिखती है। क्या लिखती है भला-
रोज पढूं खबर कमला अंग्रेजी के अखबार मैं। महिला फांसी तोड़ी जावैं बिकलाने के दरबार मैं।
1
संविधान की खुल कै नै पंचायत नै धज्ज्यिां उड़ाई हैं।
राजनैतिक नेतावां नै चुप्पी मामले मैं खूब दिखाई है।
जमा शरम नहीं आई है जहर मिलाया घरबार मैं।
2
प्रशासन खडय़ा देखै क्यों मेरै समझ नहीं आया हे।
संविधान का चौड़े मैं पंचायत नै मजाक उडाया है।
ना कोए कदम ठाया है इस झझर की सरकार मैं।
3
कोर्ट मैं ब्याह करया था पंचायत नै आज तोड़ दिया।
भाण-भाई का उसनै इसमैं ब्यर्थ नाता जोड़ दिया।
रामफल जमा मरोड़ दिया गोतां की तकरार मैं।
4
परम्परावादी रूढि़वादी रणबीर ये नाश करैंगे हे।
आगली पीधी  के बालक घाटा किस ढाल भरैंगे हे।
के बेरा कितने लोग मरैंगे हे पंचायतां की हुंकार मैं।

    दस गामां पंचायत के अध्यक्ष गांव बरवाना के प्रणान कर्मबीर को जब पता लगता है इस फैसले का तो उन्हें बहुत दुख होता है। वे इस तालिबानी फरमान से सहमत नहीं। के कहवैं सै भला-
अठगामा पंचात राठी की बिकलाना फरमान गल्त बतावै।
बरवाना का प्रधान कर्मबीर कोन्या सुर मैं सुर मिलावै।
1
दसगामे नै कोए लेना-देना ना तालिबानी फरमान तै।
राठी दहिया मैं ब्याह होवैं चाहूं बताया हिंदुस्तान तै।
बण कसाई इंसान तै क्यूं बिकलाना घणी धौंस दिखावै।
2
राठी दहिया के छोरा-छोरी आपस मैं खूब बयाह रचावैं।
कोए बन्दिश कोन्या पंचायती हम खोल कै नै बात बतावैं।
हम बिकलाने मैं समझावैं सडांण फैसले मैं तै घणी आवै।
3
कमला-रामफल पति-पत्नी भाण-भाई बनाना ठीक नहीं।
संविधान सै भारत का इसका मजाक उड़ाना ठीक नहीं।
उत्पात मचाना ठीक नहीं इस ढाल की बात सुनावै।
4
निजाम पुर गाम दिल्ली मैं उड़ै जाकै खुद देख लियो।
पिछड़ी समझदारी त्याग कै उड़ै जाकै माथा टेक लियो।
चौबीस नै फैसले नेक कियो रणबीर बरोनिया समझावै।

घड़ा भर लिया पाप का यो एक दिन फूटैगा जरूर

 *घड़ा भर लिया पाप का यो एक दिन फूटैगा जरूर।*

*मेडिकल छात्र जाग लिया थारा घमंड टूटैगा जरूर।।*
1
चालीस लाख के बांड पै सरकार तैं तकरार ठनी
जनता की गर्दन के उपर आज नंगी तलवार तनी
*विधान सभा मैं भी बॉण्ड ऊपर सवाल उठैगा जरूर।।*
2
चालीस लाख का बॉण्ड म्हारे घर मैं काली रात करी
भोली जनता की कड़ पै क्यों थमने अपनी लात धरी
*कूबध जारी राखी तो सारा जन थारे पै थूकैगा  जरूर।*
3
थारे चाटूकार गुण गावैं गलत नै सही ठहरावैं थारी
बॉन्ड करकै जनता दुखी ना साची बात बतावैं सारी
*तानाशाही कसूत चलारे  इसतैं पैंडा छूटैगा जरूर।।*
4
म्हंगी शिक्षा, महंगा स्वास्थ्य महंगाई तीनों ही मां जाई ये
सारे मिलकै इनकै देवां घेरा ना मुश्किल फेर लड़ाई ये
*बॉण्ड वापिस लेना होगा रणबीर डूंडा पाटैगा जरूर।।*

मानस का धर्म

 


मानस का धर्म
धर्म के सै माणस का मनै कोए बतादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।
1
माणस तैं मत प्यार करो कौणसा धर्म सिखावै
सरे आम बलात्कार करो कौणसा धर्म सिखावै
रोजाना नर संहार करो कौणसा धर्म सिखावै
तम दारू का व्यापार करो कौणसा धर्म सिखावै
धर्म क्यों खून के प्यासे मनै कोए समझादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।
2
ईसा और राम अलाह जिब एक बताये सारे रै
इनके चाह्वण आले बन्दे क्यूँ खार कसूती खारे रै
क्यों एक दूजे नै मारण नै एके जी हाथां ठारे रै
अमीर देश हथियार बेच कै खूबै मौज उड़ारे रै
बैर करो मारो काटो लिखै वो ग्रन्थ भुलादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।
3
मानवता का तत कहैं सब धर्मां की जड़ में सै
कुदरत का प्रेम सारा सब धर्मां की लड़ मैं सै
कदे कदीमी प्रेम का रिश्ता माणस की धड़ मैं सै
कट्टरवाद नै घेर लिए यो हर धरम जकड़ मैं सै
लोगां तैं अरदास मेरी क्युकरै इनै छटवादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै ।।
4
यो जहर तत्ववाद का सब धर्मों मैं फैला दिया
कट्टरवाद घोल प्याली मैं सब ताहिं पिला दिया
स्कीम बणा दंगे करे इंसान मासूम जला दिया
बड़ मानवता का आज सब धर्मों नै हिला दिया
रणबीर सिंह रोवै खड़या इनै चुप करवादयो नै ।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए समझादयो नै ।।
2001 की रचना

गोहाना में जो कुछ हुआ--110 ---

 गोहाना में जो कुछ हुआ वह बहुत ही शर्म नाक और दिल दहला देने वाली बात थी। कसूर किसी का सजा किसी को। उसी वक्त लिखी एक रचना । क्या बताया भला:-

मारै कोए भुगतै कोए घणा बुरा जमाना आया रै।

गोहाना मैं दलितां उपर जुलम कसूता ढाया रै।।

1. 

स्वर्ण जातां का जुलम उड़ै हटकै दिया दिखाई सै

ऊँची जात आले चौधरी दलितां की बस्ती जलाई सै

पुलिस भी हाजिर थी उड़ै जिब आग लगाई सै

एम पी के छोरे नै उड़ै अपफवाह खूब फैलाई सै

स्वयंभू पंचायत नै फेर हटकै नै रंग दिखाया रै।।

गोहाना मैं दलितां उपर जुलम कसूता ढाया रै।।

2. 

दो दिन पहलम हुया पंचायत का फतवा जारी

डीसी एसपी सोवैं तान कै जनता बस्ती छोड़गी सारी

पंचायती नहीं गेरे जेल मैं या गलती कर दी भारी

ना बस्ती मैं पुलिस बिठाई क्यों अकल मारी थारी

मिल सबनै दलितां तै सबक सिखाना चाहया रै।।

गोहाना मैं दलितां उपर जुलम कसूता ढाया रै।।

3. 

सब कुछ साहमी हुया पुलिस देखती रही खड़ी

स्वर्ण जात की हिम्मत दलित बस्ती मैं आण बड़ी

धूं-धूं करकै घर जलगे चौगरदे थी आग पड़ी

इस कांड तैं दलितों ऊपर थी या घणी जुल्म घड़ी

सोच समझ प्लान बणा कै गया सै काण्ड रचाया रै।।

गोहाना मैं दलितां उपर जुलम कसूता ढाया रै।।

4.  

साल की आजादी मैं किसी आजादी पाई या

दलितां पै जुलम बढ़े सरकार नहीं शरमाई या

एक बाल्मीकि के कारण बस्ती सारी क्यों जलाई या

मानवता के बणे रूखाले हवा जहरी चलाई या

कलम कांपण लागी रणबीर घणा दुख पाया रै।।

गोहाना मैं दलितां उपर जुलम कसूता ढाया रै।।

गरीब अमीर का मेल नहीं

 गरीब अमीर का मेल नहीं, बकरी शेर का खेल नहीं,सही कातल नै जेल नहीं , बीर मर्द की रखैल नहीं,जी छोडै अमर बेल नहीं, या दुनिया कहती आई।।

1
बिना शिक्षा के ज्ञान नहीं,
बिना ज्ञान हो सम्मान नहीं
टोहवां हम असल सच्चाई , जो सबकी साहमी आई,कमेरे की हो खाल तराई, जानै सरतो और भरपाई,या बात गई आजमाई, नहीं मनै झूठ भकाई।।
2
बिना मणि के नाग नहीं,
बिना माली के बाग नहीं
लुटेरे बिना हो ना लूट , और कोए ना बोवै फुट,सबर का यो प्यावै घूंट, नयों हमनै यो खावै चूट,यो फेर दिखावै सै बूट, कदे समझ नहीं पाई।।
3
बिना सुर के राग नहीं,
बिना घर्षण के आग नहीं
दफन सभी फ़रयाद हुई, घनी लीलो बरबाद हुई,कबूल नहीं फ़रयाद हुई, मेहनत सारी खाद हुई, कमजोर म्हारी याद हुई, न्यों या नौबत ठाई।।
4
ना बिना पदार्थ कुछ साकार,
ना बिना तत्व गुणां का सार
ये नीति इसी चाल रहे, बिछा हम पर जाल रहे,बिकवा घर का माल रहे, सब ढालां कर काल रहे,गलूरे बना ये लाल रहे, रणबीर की शामत आई।।
1989

किसानों की 7 रागनी

 चौदह दिन होगे किसानों नै दिल्ली मैं डेरे डाल रहे।

तीन कानून जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे।
1
पूरी और लाम्बी तैयारी करकै आज किसान आये सैं
अनुशासन घणे गजब का समझदार घणे पाये सैं
किसानी और जनता एकता बणा गजब की ढाल रहे।
तीन कानून जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे।
2
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में हैं भाई भाई
इसकी ताकत के आगै भाजपा सरकार घबराई
या एकता घणे गजब की इसके ऊपर चाल रहे।
तीन कानून जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे।
3
अडानी अम्बानी की खातिर किसानों की कड़ तोड़ दई
सब किमैं बायपास करकै क्यों तीन बिल जोड़ दई
कारपोरेट खेती की खातिर कर जनता को बेहाल रहे।
तीन कानून जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे।
4
संघर्ष की रही पकड़ी आर पार की लड़ाई होवैगी
फुट गेरो संघर्ष पीटो भाजपा सब किमैं झोवैगी
रणबीर सिंह की कलम तै उठ सही सवाल रहे।
तीन कानून जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे।
2*****
खाई
खाई चौड़ी होंती आवै सै इसनै आज कौण पाटैगा।
म्हारे किसानों का हाथ सही मैं आज कौण डाटैगा।
बधगी घर घर मैं खाई या बधगी पूरे समाज मैं
देशां के बीच की खाई ना बताते पूरे अंदाज मैं
अमरीका टोप पै रहवण नै तीसरी दुनिया नै काटैगा।
एक देश के भित्तर भी कई ढाल की खाई दीखैं
एक अरबपति बनरया दूजे ये भूखे पेट नै भींचें
शांति कड़े तैं आवैगी जब कारपोरेट इसतै नाटैगा।
लड़ाई बढ़ेगी इस तरियां विनास की राही करकै
पिचानवै हों कठे होंवैंगे चौड़ी होंती खाई करकै
नहीं तो पर्यावरण प्रदूषण सबका कालजा चाटैगा।
लोभ लालच और मुनाफ़ा और बधारे इस खाई नै
समाज गया रसातल मैं चौड़ै भाई  मारै सै भाई नै
रणबीर सिंह समझावै देखो छंद यो न्यारा छांटैगा।
3*****
इस गोदी मीडिया नै किसानों के खिलाफ जहर फैलाया।
जमीनी हकीकत देख कै मोदी भी बहोत घणा घबराया।।
1
वार्ता मैं झुके नहीं किसान अपनी मांग पै अड़े खड़े सै
सरकार के हथकंडे एकता आगै ओछे घणे पड़े सैं
गोदी मीडिया रोज घड़ कै दखे झूठी खबर सै ल्याया।।
जमीनी हकीकत देख कै मोदी भी बहोत घणा घबराया।।

2
कसूता अनुशाषन किसानों का दुनिया देख कै दंग रैहगी
भाजपा की सरकार इनकी गेल्याँ जान बूझ कै क्यों फैहगी
आर पार की लड़ाई खिंचगी किसान नै पूरा प्लान बनाया।
जमीनी हकीकत देख कै मोदी भी बहोत घणा घबराया।।
3
तीन कानून वापसी बिना किसान नहीं  उल्टा जावैगा रै
सांस दिल्ली की सरकार कै यो घणे कसूते चढ़ावैगा रै
कई महिन्यां का इंतजाम करकै किसान दिल्ली मैं आया।।
जमीनी हकीकत देख कै मोदी भी बहोत घणा घबराया।।
4
हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई आपस मैं सब सैं भाई भाई 
  जवान किसान जनता एकता की देखो मिशाल बनाई
रणबीर सिंह सोच समझ कै नै यो छंद तुंरत बनाया।।
जमीनी हकीकत देख कै मोदी भी बहोत घणा घबराया।।
4*****
किसानी खातर भारत बंद आज कसूता होवैगा।।
आज हिंदुस्तानी किसान बीज एकता के बोवैगा।।
1
कारपोरेट के खिलाफ छेड़ दई जंग पूरी देखो
सरकार इसकी तलहडू सै करै जी हजूरी देखो
आर पार की लड़ाई होगी ,मोदी नई झूठ टोहवैगा।।
आज हिंदुस्तानी किसान बीज एकता के बोवैगा।।
2
जात धर्म इलाके पर लड़वा कै तेज कररे लूट म्हारी
किसानों और मजदूरों कै दे दी आछे तरियां बुहारी
तीन बिल किसान विरोधी ,मोदी देश नै डबोवैगा।।
आज हिंदुस्तानी किसान बीज एकता के बोवैगा।।
3
निजीकरण करकै सारे महकमे  बेच रहया सै
अडानी अम्बानी के निशाने पै टेक रहया सै
संविधान की परवाह कोण्या, समान देश का खोवैगा।।
आज हिंदुस्तानी किसान बीज एकता के बोवैगा।।
4
समझ बूझ तै सँघर्ष को आगै लेज्यावैंगे भाई
या नब्बे दस की लड़ाई जीत कै दिखावैंगे भाई
रणबीर सिंह बरोने आला नए नए छंद पिरोवैगा।।
आज हिंदुस्तानी किसान बीज एकता के बोवैगा।।
5*****
विवेक तैं सोचां
किसानो थारे बरगा विज्ञानी मनै कोए भी नहीं पाया।।
थारे अनुभव तैं थामनै खेती मैं खूब नाम कमाया।।
भैंस खरीदी जब थामनै धार काढ कै देखी बताई
बुलध खरीदया थामनै सार काढ़ कै देखी बताई
अगवा पिछवा हवा हिसाब हमेशा ही थामनै लगाया।।
पर मण्डी मैं जाकै बेबस विज्ञान काम नहीं आया रै
भा नै देकै मारे धरती कै जी थारा घणा दुःख पाया रै
कदे समझलयो लूट की जड़ जात्यां मैं किसान बंटाया ।।
पंजाब का किसान बोल्या आतंकवादी कैहकै पीटया
हीर गुजर जाट मैं बाँट हरियाणे का किसान भींच्या
किसान की तोड़ एकता जात्यां पै आपस मैं भिड़ाया ।।
अम्बानी अडानी की लूट रणबीर जारी रहैगी देखो
जात्यां मैं बंटी किसानी कितनी पिटाई सहैगी देखो
जात पात का पहरा चश्मा विवेक चश्मा थारा बगाया ।।
6****
चीनी मील
खेत मैं ईंख खड्या सै, चीनी मील बन्द पड्या सै।
टोटा घरां आण बड्या सै, नहीं दीखै कोए राही।।
1. मेहनत करकै बाहये खेत जी लाकै बोई गंडेरी थी
  ईंख नुलाया शिखर दोफेरी मेरी गैल मरी भतेरी थी
  पात्ते हाथ चीरगे म्हारे रै, हम ईंख बांधण चाहरे रै
  इसपै घणी आशा लारे रै, बेटी की करी सगाई।।
2. मील आल्यां नै पर्ची ना दी मारया मारया फिरता रै
  अपमान करैं कम तोलैं कहर मेरे पर गिरता रै
  ईंख आज मेरा सूक रहया, कुछ मनै ना सूझ रहया
  अजीत पै मैं बूझ रहया, करी क्यों म्हारी तबाही।।
3. मुलायम सिंह जुग-जुग जीयो भा बढ़िया दिया म्हारा
  कल्याण सिंह नै दागी गोली मारया किसान बिचारा
  कांग्रेस कै पटकी मारांगे, मुलायम पै सब कुछ वारांगे
  पार वामपंथ नै तारांगे, बीजेपी की श्यामत आई।।
4. जातपात का भ्रम टूटैगा , किसान एकता जिन्दाबाद
  अमीरां की चाल समझगे या मुनाफाखोरी मुर्दाबाद
  संघर्ष का बिगुल बजाया रै, यो झण्डा लाल उठाया रै
  रणबीर नै राह दिखाया रै, गजब की करी कविताई।।
7*****
किसान आत्मनिर्भर देश बनाया ज्यान हथेली पै धरकै रै।।
किसान तै पढ़ण बिठाया तीन बिल आज पास करकै रै।
1
किसानी संकट बढ़ा दिया ईब  कड़ै बिलां मैं बड़गे रै
के मजबूरी थी तमनै क्यों ये बिल पास करने पड़गे रै
गिहूं गोदामां मैं सड़गे रै चुहे खागे बोरी नै कुतर कै रै।।
किसान तै पढ़ण बिठाया तीन बिल आज पास करकै रै।।
2
पहलमै फांसी खा खाकै किसान मरण लाग रहे थे
कारपोरेट के काले ये इनकै लड़ण नाग रहे थे
किसान ईब जाग रहे सैं हक लेंवैंगे चाहे मर कै रै।।
किसान तै पढ़ण बिठाया तीन बिल आज पास करकै रै।।
3
बिन किसान ना खेती बताई बिन खेती उद्योग कड़ै
क्यूकर देश बढ़ैगा आगै इतना दुखी किसान जड़ै
मुंह खोलना जरूर पड़ै पानी गया म्हारे सिर पर कै रै।।
किसान तै पढ़ण बिठाया तीन बिल आज पास करकै रै।।
4
मजदूर विरोधी बिल ल्याये इसकी ना मजबूरी बताई
कारपोरेट की गोज भरी म्हारी करी चाहवैं खूब खिंचाई
पार्लियामेंट मैं मोहर लवाई लडांगे लड़ाई समर कै रै।।
किसान तै पढ़ण बिठाया तीन बिल आज पास करकै रै।।
5
भारत का किसान दुखी हुया फसल पिटगी चौड़े मैं
चांद तो कदे बी मांग्या ना करया सै गुजर थोड़े मैं
अम्बानी के घमोड़े मैं कोण्या मरैं किसान पसर के रै।।
किसान तै पढ़ण बिठाया तीन बिल आज पास करकै रै।।
किसान तै पढ़ण बिठाया तीन बिल आज पास करकै रै।।
6
बिना एकता ना काम चलै पिट्या किसान न्यारा-न्यारा
जातपात और गोत नात पै बांटया कैहकै यारा प्यारा
रणबीर सिंह साथ देगा थारा उठियो संघर्ष पूरा करकै रै।।
किसान तै पढ़ण बिठाया तीन बिल आज पास करकै रै।।




एमबीबीएस की फीस बढ़ाई, या चालीस लाख करी बताई,

 हरि के हरियाणे मैं

एमबीबीएस की फीस बढ़ाई,
या चालीस लाख करी बताई,
जनता की करी सै खिंचाई,
हरि के हरियाणे में।।
बॉण्ड पालिसी करड़ी ल्याये ,
जनता कै आज सांस चढ़ाये
करजा चढज्यागा भारी भाई
बैंक का खटका भारी भाई
डूंडी पिटदी म्हारी भाई,
हरि के हरियाणे मैं।।
धरती चढ़ै लाल स्याही मैं,
यो परिवार फ़ँसै तबाही मै
सरकारी घंटी सै खुड़की,
शहर चाहे गाम रूड़की,
फीस करावै म्हारी कुड़की,
हरि के हरियाणे मैं।।
या बढ़ी फीस नाश करैगी,
जनता बिन इलाज मरैगी
देवैगी घरां के मैं बुहारी, ,
सरकार देखो धुम्मा ठारी ,
ईब श्यामतआवैगी भारी,
हरि के हरियाणे मैं।।
महंगी होन्ती जागी पढ़ाई रै,
रणबीर मरैंगे बिना दवाई रै
दुख होज्याग्या भारया रै
मन बी होज्याग्या खारया रै,
नहीं कोये रास्ता पारया रै,
हरि के हरियाणे मैं।।

फीस बढ़ा कै परेशान कर दिए बची इब कति समाई कोण्या।।*

 समाई कोण्या*

*फीस बढ़ा कै परेशान कर दिए बची इब कति समाई कोण्या।।*
*क्यावण दिन होगे हड़ताल पै सरकार नै करी  सुनाई कोण्या।।*
1
कुर्बान होज्यांगे पर झुकां नही न्यू मिलकै कसम खाई
डॉक्टर छात्रों की आवाज आज पूरे देश मैं पहूंचाई
*बांड कानून मंजूर नहीं हम होण देवैं और तबाही कोण्या।।*
क्यावण दिन होगे हड़ताल पै सरकार नै करी  सुनाई कोण्या।।
2
लूटैं बनकै म्हारे हितेषी इब आज आंख म्हारी खुलगी
फीस अर बांड कानूनों मैं जमा लूटैं तस्वीर हमनै मिलगी
*कहते यो बांड थारे भले मैं हमनै पाई वा भलाई कोण्या।।*
क्यावण दिन होगे हड़ताल पै सरकार नै करी  सुनाई कोण्या।।
3
एमबीबीएस की फीस बढ़ाकै नै म्हारी जेब पै बोझ धरैं
बालक क्युकर बनैंगे डॉक्टर इस बात नै वे ना सोच करैं
*खावैं हमनै दीमक की ढालां चाहते म्हारी भलाई कोण्या।।*
क्यावण दिन होगे हड़ताल पै सरकार नै करी  सुनाई कोण्या।।
4
सारे कालेजों नै करी एकता संघर्ष जबरदस्त चला रहे
कितणी ए लाठी गोली चलाओ नहीं पाछै कदम हटा रहे
*रणबीर बरोणे आले की रहै पाछै आज कविताई कोण्या।।*
क्यावण दिन होगे हड़ताल पै सरकार नै करी  सुनाई कोण्या।।





मेडिकल छातर आंदोलन की दी हरियाणे मैं गूंज सुनाई रै।।*

 


लड़े हैं जीते हैं , लड़ेंगे जीतेंगे
*मेडिकल छातर आंदोलन की दी हरियाणे मैं गूंज सुनाई रै।।*
*इनकी कुर्बानी चौवण दिन की आज पूरा रंग ल्याई रै।।*
1
विद्यार्थी आंदोलन कारण सरकार नै धरती भिड़ी होगी
पांचों कालेज कट्ठे होकै लड़े जनता भी तार सही पिरोगी
*हरियाणा सरकार आपा खोगी विद्यार्थियों नै धूल चटाई रै।।*
2
पीजीआईएमएस नै हुंकार भरी गैल दूजे कालेज भी आये फेर
आरडीए भी गेल्याँ आगी जन संगठन भी ना पाछै पाये फेर
*एकता के हाथ बढ़ाये फेर या सरकार भी घनी घबराई रै।।*
3
विद्यार्थी एकता तोडण नै घणे हथकंडे अपनाये थे
मेडिकल छात्र समझे चाल इनकी ना बहका मैं आये थे
*हर कदम पै हौंसले दिखाए थे एकता कसूत बढ़ाई रै।।*
4
एक लड़ाई लड़े सैं जीते सैं हम आगै भी लड़ेंगे जीतेंगे
हड़ताल के ये दिन याद रहैंगे आड़े का समों नहीं भूलेंगे
*ईब जमकै पढ़ाई करेंगे रणबीर करी तुरत कविताई रै।।*

सृष्टि बारे सब धर्मां नै न्यारा-न्यारा अन्दाज लगाया।

 



सृष्टि बारे सब धर्मां नै न्यारा-न्यारा अन्दाज लगाया।
देवी भगवती पुराण न्यों बोले एक देवी संसार रचाया।।
ब्रह्राा के भगत जगत मैं ब्रह्रा को जनक बताते भाई
शिव पुराण का किस्सा न्यारा शिव जी जनक कहाते भाई
गणेश खण्ड न्यों कहवै गणेश जी दुनिया चलाते भाई
सुरज पुराण की दुनिया सुरज महाराज घुमाते भाई
विष्णु आले न्यों रुक्के मारते विष्णु की निराली माया।।
देवी भगवती पुराण न्यों बोले एक देवी संसार रचाया।।
विष्णु और महेश के चेले दुनिया मैं घणे बताये देखो
आपस मैं झगड़ा करकै कई बै सिर फड़वाये देखो
आपस की राड़ मेटण नै त्रिमूर्ति सिद्धांत ल्याये देखो
ब्रह्राा पैदा करैं विष्णु पालैं शिव नै संहार मचाये देखो
बाइबल नै सबतै हटकै पैगम्बर का नाम चलाया।।
देवी भगवती पुराण न्यों बोले एक देवी संसार रचाया।।
यो बुद्धमत उभर कै आया त्रिमूर्ति का विरोध किया
जैन मत बी गया चलाया नहीं दोनों को सम्मान दिया
यहूदी और धर्म ईसाई एक ईश्वर को धार लिया
इस्लाम नै एक खुदा मैं अपणा लगाया फेर हिया
दुनिया मैं माणस नै एक ईश्वर सिद्धान्त पनपाया।।
देवी भगवती पुराण न्यों बोले एक देवी संसार रचाया।।
बिना सोचें समझें इसाइयां नै परमेश्वर गले लगाया सै
मुसलमान क्यों पाछै रहवैं यो अल्लाह हाकिम बनाया सै
सिक्खां नै शब्द टोह लिये औंकार झट दे सी सुनाया सै
हिन्दुआं नै तावल करकै नै ओइम दिल पै खिनवाया सै
माणस एक पर धर्म इतने जीवन क्यूकर जावै बिताया।।
देवी भगवती पुराण न्यों बोले एक देवी संसार रचाया।।

यो सूचना का हक म्हारा किसनै दबाया सै।।

 यो सूचना का हक म्हारा किसनै दबाया सै।।

सबनै यो हक मिलै सवाल जगत मैं छाया सै।।
1
समाज के विकास मैं ज्यां खपाई जनता नै
भुखे पेट रैह कै भी  करी सै कमाई जनता नै
पेट भराई जनता नै कड़ै यो खाणा थ्याया सै।।
सबनै यो हक मिलै सवाल जगत मैं छाया सै।
2
आह भरैं बदनाम होज्यां उनका कत्ल माफ सै
कब्जा किसका सूचना पै बात कति साफ सै
बिना रिजाई के लिहाफ सै किसा जमाना आया सै।।
सबनै यो हक मिलै सवाल जगत मैं छाया सै।।
3
सौ रपीये चाले दिल्ली तैं पन्दरा थ्यावैं हमनै रै
पिचासी गए कड़ै ना कोये बी बतावैं हमनै रै
धौंस तैं दबावैं हमनै रै जी घणा दुख पाया सै।।
सबनै यो हक मिलै सवाल जगत मैं छाया सै।।
4
एक टन कपास मैं यो धागा कितना निकलता रै
रणबीर धागे का लत्ता फेर कितना बनता रै
हिसाब नहीं मिलता रै ज्यां कलम उठाया सै।।
सबनै यो हक मिलै सवाल जगत मैं छाया सै।।

सौ प्रतिशत प्रमोशन खातर डॉक्टर

 सौ प्रतिशत प्रमोशन खातर डॉक्टर फिरते मारे मारे।।

कुछ नीचे तैं कूद कै उप्पर आवण नै इंटरव्यू चाहरे।।
1
इंटरव्यू की तैयारी करली फ़ाइल मैं कागज धरकै नै
कई डॉक्टर जोर लगारे हांडें बैग मैं पीसे भरकै नै
जोर आजमाई करकै नै प्रोफेसर बणण की आशा लारे।।
कुछ नीचे तैं कूद कै उप्पर आवण नै इंटरव्यू चाहरे।।
2
एक दूजे तैं कम्पीटीशन होग्या मैरिट का ज़िकरा पावै कोण्या
अपना सिफ़ारसी दूजे ताहिं कति कोये बतावै कोण्या
उणनै रोटी जमा भावैं कोण्या मंत्रीयां के घरां धक्के खारे।।
कुछ नीचे तैं कूद कै उप्पर आवण नै इंटरव्यू चाहरे।।
3
इंटरव्यू कैंसल होगे खबर पढ़ी अखबार मैं देखो
सारयां नै खुशी मनाई मातम मच्या दो चार मैं देखो
सब कुंदन आले बुखार मैं देखो प्रोफेसर बुड़बुडाते जारे ।।
कुछ नीचे तैं कूद कै उप्पर आवण नै इंटरव्यू चाहरे।।
4
मैडीकल मैं कसूता रूक्का माचग्या इसा किसनै चाला रोप्या
कूदन आले डॉक्टर तीस मारखां कहै पीठ मैं छुरा घोंप्या
रणबीर सही रोक्या ना तै मारे जाते कई डॉक्टर बिचारे।।
कुछ नीचे तैं कूद कै उप्पर आवण नै इंटरव्यू चाहरे।।
(कुछ साल पहले की घटना पर आधारित रागनी। उस वक्त प्रोफेसर की पोस्ट पर इंटरव्यू का सिलसिला था। 100 प्रतिशत प्रमोशन की संघर्ष हुई थी)

साल 2023

 साल 2023

आपा धापी माची रही पूरा बाइस का साल लिकड़ग्या।।
जात धर्म पै झगड़ण का राह दीखै तेईस भी पकड़ग्या ।।
1
ये घर बणे तबेले लोगो रही माणस की खोड़ नहीं
सोच तै परहेज करैं बात का टोहते क्यों औड़ नहीं
झूठ पै चालै पूरी दुनियां सच्चाई नै अंधविश्वास
जकड़ग्या।।
जात धर्म पै झगड़ण का राह दीखै तेईस भी पकड़ग्या ।।
2
मेहनत करी कमेरयां नै विज्ञान नै राह दिखाया
या दुनिया बदल दई घणा खून पसीना बाहया
लालची नै डाण्डी मारी आज कमरे कै साहमी अकड़ग्या।।
जात धर्म पै झगड़ण का राह दीखै तेईस भी पकड़ग्या ।।
3
न्याय की बात भूलगे नहीं ठीक करया बंटवारा
पांच सितारा होटल दूजे कान्ही यो फूटया ढारा
समाज का म्हारा भाईचारा आज घणा कसूता बिगड़ग्या।।
जात धर्म पै झगड़ण का राह दीखै तेईस भी पकड़ग्या ।।
4
टीवी पै सपने हमनै आज खूब के दिखाये जावैं
रणबीर तै लालच दे कै उल्टे प्रचार कराये जावैं
मेल मिलाप भूल गए माणस अपने आप के मैं सुकड़ग्या।।
जात धर्म पै झगड़ण का राह दीखै तेईस भी पकड़ग्या ।।

दिल्ली आल्यो--120 ----

 दिल्ली आल्यो

बाइस मैं दिये ये बोल तीन सौ साठ दिल्ली आल्यो।
तेईस मैं तै सुनियो बात म्हारी देखैं बाट दिल्ली आल्यो।।
1
खत्म म्हारी करदी पढ़ाई थाम कति बोलते कोण्या
मरण लागरे बिना दवाई थाम कति सोचते कोण्या
जुबां कति खोलते कोण्या होगे लाट दिल्ली आल्यो।।
2
इसी नीति अपनाई बाइस मैं किसान सड़कों पै आरया
घर उजाड़ कै आज म्हारा अडानी अम्बानी का सजारया
तमनै आम जन यो मारया तोल कै घाट दिल्ली आल्यो।।
3
म्हारे बालक सरहद पै अपनी ज्यान खपावैं रोज
थारे घूमैं जहाजां मैं म्हारे खेत खान कमावैं रोज हम भूख मैं टेम बितावैं थारे सैं ठाठ दिल्ली आल्यो।।
4
बहोत घणी चीजां की रणबीर सीम ये खोल दई
ये भैंस और बकरी सब बिकवा बिन मोल दई
मचा बाइस मैं घनी रोल दई गया बेरा पाट दिल्ली
आल्यो।।

नए साल 2023 की चुनौती*

 नए साल 2023 की चुनौती*

*फासीवाद का शिकंजा सत्ता नए साल मैं बढावैगी।।*
*इसके विरोध मैं या जनता सड़कां के ऊपर आवैगी।।*
1
यो बेरोजगारी का मुद्दा इसका कितै बी जिकर कोन्या
फांसी खा खाकै किसान मरैं इसका कोय फिकर कोन्या
*एमएसपी पै हटकै किसानी
अपने रंग दिखावैगी।।*
*इसके विरोध मैं या जनता सड़कां के ऊपर आवैगी।।*

2
शिक्षा म्हंगी इलाज महंगा गरीब जमा निचौड़ दिया
असंगठित मजदूर मारया सारा कानून मरौड़ दिया
*मजदूर कर्मचारी यूनियन दिल्ली मैं विरोध जतावैगी।।*
*इसके विरोध मैं या जनता सड़कां के ऊपर आवैगी।।*
3
पुलवामा कदे सीएए ल्यावैं जात धर्म पै बांट रहे
आर्थिक संकट के हल तैं शाह मोदी जी नाट रहे
*नये साल मैं बैर आपस का सत्ता और घणा बधावैगी।।*
*इसके विरोध मैं या जनता सड़कां के ऊपर आवैगी।।*
4
जात धर्म पै लडां नहीं हम असली मांग उठावांगे
हो एकजुट नए साल मैं हम धर्मान्धता नै हरावांगे
*देश की जनता मिलकै रणबीर बहुविविधता बचावैगी।।*
*इसके विरोध मैं या जनता सड़कां के ऊपर आवैगी।।*

अमरीका और धनी देश ये दुनिया मैं मौज करैं देखो

 अमरीका और धनी देश ये दुनिया मैं मौज करैं देखो

भारत बरगे गरीब देश ये क्यों भूखे आज मरैं देखो
1
पाउडर लिपस्टिक पै ये छह अरब डॉलर फूंकैं सैं
यूरोप मैं नौ अरब डॉलर की कुल्फी खाणी ना चूकें सैं
बारां अरब का इतर खरचैं उड़ै छिदे ए माणस उकैं सैं
सतरां अरब खावैं कुत्ते आड़ै भूखे बालक सूकैं सैं
लूट लूट कै म्हारी कमाई ये अपणे घर भरैं देखो
2
मनोरंजन पै अरब पैंतीस डॉलर खर्च जापान मैं
सिगरेट पै पचास अरब डॉलर यूरोप खरचै श्यान मैं
एक सौ पांच अरब डॉलर दारू खर्चा यूरोप महान मैं
दवा नशीली चार सौ अरब की पीते पूरे ही जहान मैं
हमनै भी ढ़बबै गेरैं सैं ये म्हारै बात नहीं जरैं देखो।।
3
इनकी नकल करणिया की भारत मैं कोये औड़ नहीं
धनी देश ये डांडी मारते उनका पाया कोये तोड़ नहीं
ये डब्ल्यू टी ओ तैं दाबैं हमनै बच्या कोये भी ठोड़ नहीं
हथियार बनावैं दवा नशीली फैशन मैं कोये जोड़ नहीं
विकास की सही राही कोण्या विनाश रही डिंग धरैं देखो।।
म्हारे देश मैं दलाल इनके बड्डे साहूकार बताये सैं
इनकी गेल्याँ मिलकै इननै म्हारे खेत क्यार पिटवाये सैं
अपनी मौज बधावण नै म्हारे रोजगार घटवाये सैं
किसानों पै फांसी लावण नै युद्ध का हथियार ल्याये सैं
लिखता रणबीर सिंह साची बैठे महलां मैं डरैं देखो।।
(कई साल पहले की रचना है। आंकड़ों में कुछ बदलाव हो सकता है)

किसा हो साल तेईस का*

 *किसा हो साल तेईस का*

*लालच लूट खसोट बचै नहीं इसा तेईस का साल चाहवाँ ।।*
*धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बनावां।।*
1
नई तरां का इन्सान उभरै नई तरां के म्हारे समाज मैं
नई बात और बोल नए कहे जाँ नये सुर और साज मैं
*बीमारी कम होज्यावैं विज्ञान नै लोक हित मैं लगावां।।*
धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बनावां।।
2
दोगली शिक्षा का खात्मा हो ज्ञान पिटारा इन्सान होज्या
नाड़ काट मुकाबला ना रहै एक दूजे का सम्मान होज्या
*नशा खोरी नहीं टोही पावै इसका नामों निशान मिटावां।।*
धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बनावां।।
3
मुनाफा मंजिल नहीं रहै ना चारों तरफ घमासान मचै
लाठी की भैंस नहीं रहै ना हथियारों का सम्मान बचै
*प्रदूषण यो कम करकै धरती शमशान होण तैं बचावां।।*
धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बनावां।।
4
महिला नै इंसान समझैँ रीत खत्म हों दोयम दर्जे की
नौजवानों नै मिलै सही रास्ता ना मार बचै इस कर्जे की
*जात पात खत्म हो रणबीर सारे कै हम बिगुल बजावां।।*
धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बनावां।।

2023 का नया साल

 *2023 का नया साल*

*आज नया साल शुरू होग्या हर हिंदुस्तानी इसमैं के चाहवै रै ।।*
*बेरोजगारी कति खत्म होज्या स्वास्थ्य शिक्षा सबनै मिल ज्यावै रै।।*
1
आंदोलन कारी किसानों को म्हारा सै क्रांतिकारी सलाम भाई 
जो किसान म्हारे शहीद होगे इतिहास मैं होग्या नाम भाई
*बाइस मैं भी संघर्ष जारी था सरकार  वायदे नहीं पुगावै रै।।*
*बेरोजगारी कति खत्म होज्या स्वास्थ्य शिक्षा सबनै मिल ज्यावै रै।।*
2
देश मैं इंसानियत हटकै उभरै हम इस साल मैं हाँगा लावांगे
म्हारा प्रजातंत्र फेर हुँकार भरै मिलकै संविधान नै बचावांगे
*इस लड़ाई का राह हमनै यो किसानी संघर्ष सही दिखावै रै।।*
*बेरोजगारी कति खत्म होज्या स्वास्थ्य शिक्षा सबनै मिल ज्यावै रै।।*
3
कदर जनता की आवाज की हटकै आवै म्हारे हिंदुस्तान मैं
इज्जत होवै गरीब कमेंरे की होज्या शांति पूरे ही जहान मैं
*हो गजब का हिंदुस्तान म्हारा जनता ये नारे आज गूंजावै रै।।*
*बेरोजगारी कति खत्म होज्या स्वास्थ्य शिक्षा सबनै मिल ज्यावै रै।।*
4
इस साल मैं ईसा माहौल बनै इंसान नै पूरा सम्मान मिलै
कहै रणबीर नहीं लुटैं कमेरे उन सबका हट कै चेहरा खिलै
*इसकी खातर करां संघर्ष शहीद भगत सिंह  राह दिखावै रै।*
*बेरोजगारी कति खत्म होज्या स्वास्थ्य शिक्षा सबनै मिल ज्यावै रै।।*

Ranbir Singh Dahiya

इंगवायनल हरनिया

 इंगवायनल हरनिया

हरनिया की या मेरी बीमारी इसका पूरा हाल सुनाऊँ मैं।।
मेरी गेल्याँ के के क्युकर बीती आज सारी खोल बताऊँ मैं।।
1
नला मेरा सूज ज्यावै जिब काम हांगे का करणा होज्या
मुश्किल तैं चाल सकूं सम्भल सम्भल पां धरणा होज्या
कई बै उप्पर नै चढ़ै कोण्या दुख मैं मनै मरणा होज्या
काम होवै ना ताने लागैं घूंट सबर का भरणा होज्या
पड़या खाट मैं सोचें जां मुश्किल तैं उप्पर नै चढ़ाऊँ मैं।।
2
रोहतक मैडीकल चाल्या जा खरखोदे आले न्यों बोले रै
मैडीकल हत्थे का जिब नाम सुण्या मेरे पां जमा डोले रै
पीस्यां का इंतजाम राखिए मेरे कान कईयाँ नै खोले रै
सलाह मशवरे दिए जो वे मनै अपने हिसाब तैं तोले रै
चार बार तो पड़या जावणा पांचवैं जाकै दाखिल हो जाऊं मैं।।
3
परेशन की तैयारी शुरू होगी वार्ड मैं सब ताण कै सोगे
ज्यों ज्यों हुया सबेरा भाई मेरे होंश हवश सब खोगे
निर्णाबासी मरूं भूखा ये ड़ाक्टर बिघन कसूते बोगे
टेबल पै लिटा न्यों बोले ये एस टी सैगमेंट मूंधे होगे
मेरे परेशन की तै टाल होगी पड़या छात कैड़ लखाऊँ मैं।।
4
हटकै ईसीजी करवाई मेरी सबकिमैं ठीक बताया रै
आगले परेशन आले दिन मैं  टेबल पै फेर लिटाया रै
करौंठ दिवाकै कड़ साफ करी टीका कड़ मैं लगाया रै
पाहयाँ मैं कीड़ी सी चाली मेरा सब लत्ता तरवाया रै
बड्डा डॉक्टर कहवै छोटे नै ल्या तेरा हाथ साफ कराऊँ मैं।।
5
परेशन होग्या वार्ड मैं आग्या पेशाब का जोर होग्या
सारी बिध लाकै देखी मनै पर दर्द मेरै घनघोर होग्या
डॉक्टर नै एक टीका लगाया पेट पाटण नै और होग्या
सहज सहज पेशाब उतरया कम पेट का शोर होग्या
रणबीर दो दिन पाछै छुट्टी देदी डॉक्टरां के गुण गाऊँ मैं।।

खाणक

 खाणक

खाणक नै स्याहमी ल्यादी किसनै चौड़ै लूट मचाई।।
एक पाले मैं काम करणिये दूजे पालै ये लुटू अन्याई।।
1
अंग्रेजों नै ढाका मैं कारीगरां पै घणे जुल्म ढवाये थे
थाण मलमल के गोरयां नै सड़कों पै फिंकवाये थे
भारत देश कै उप्पर घणे काले कानून लगवाये  थे
विरोध मैं जो सिर उठया उसपै लठ बरसवाये
थे
यो जुल्मी राज हटावण नै भगत सिंह नै फांसी खाई ।।
2
देश आजाद हुये पाछै हमनै मेहनत खूब करी देखो
जंगल काट खेत बनाये सूकी जड़ फेर हुई हरी देखो
खाणक नै पहाड़ तोड़े हथेली उप्पर ज्यान धरी देखो
म्हारी मेहनत रंग ल्याई देश की तिजूरी थी भरी देखो
मुट्ठी भर की चांदी होगी म्हारे बालक रहे बिना पढ़ाई।।
3
सहज सहज देश मैं काला धन फेर छाण लग्या भाई
अमरबेल की ढ़ालां यो धोले धन नै खाण लग्या भाई
भ्रष्ट नेता गुंडे मिलगे समाज तले नै जाण लग्या
भाई
इसका काला छाया म्हारे खाणक मैं आण लग्या
भाई
इस काले धन नै म्हारा खाणक लूटण की स्कीम बनाई।।
4
खाणक कई गामां का सदियों तैं पेट पालता आया
क्यों इन पेटां नै जमा भूलगे खाणां का ठेका उठवाया
ठेकेदारों नै मचाई तबाही यो लूट का नाका लगवाया
माल की बिक्री तै कम होगी यो मजदूर गया दबाया
रणबीर बरोनिया नै सही तस्वीर इब खींच कै दिखाई।।

दीपू हरिजन भाई

 दीपू हरिजन भाई का आड़ै बस्या करता परिवार भाई।।

धरती थी ना करै मजदूरी कुणबा घणा ए लाचार भाई।।
1
एक भैंस थी रुँढी सी उसका दूध बेचना पड़ज्या था
न्यार फूंस लेण कांता जावै घणा बोझ खेंचना पड़ज्या था
सारा हिसाब देखणा पड़ज्या था कदे हो तकरार भाई।।
2
कांता एक दिन छेड़ दई उस माया राम के पोते नै
किसकै आगै दुख वा रोवै कौन छेड़ दे उस खोते नै
देख दीपू को सोते नै करया उसनै हटकै वार भाई।।
3
आस पड़ौस की साथण भी कई ए जनी शिकार थी
घुस फुस तो सारी करती पर ना बोलण नै त्यार थी
जात पात की दीवार थी नहीं था कोये मददगार भाई ।।
4
महताब था छोटा घणा पर ओ थोड़ी थोड़ी समझै था
कांता क्यों उदास घणी वो राह की रोड़ी समझै था
दुनिया सै बोड़ी समझै था रणबीर सोचै उपचार भाई।।


1 se 24--किसान आंदोलन ---

 1)

जो भक्षक किसान के वे रक्षक बणकै भकावैं।।

जात पात मैं बाँट कै ये लीडरी खूब चमकावैं।।

1

कानून किसानों के हक मैं छोटूराम नै बणाये

धरती कुड़क नहीं होगी कर्जे माफ़ करवाये

भाखड़ा डेम बणा कै खेतों मैं पाणी ल्याये

कई बार अंग्रेजों को तीखे तेवर भी दिखाये

कोये बूझनिया कोण्या किसान क्यों फांसी खावैं।।

जात पात मैं बाँट कै ये लीडरी खूब चमकावैं।।

2

चौधरी चरण सिंह नै जमींदारी उन्मूलन कराया

यू पी का किसान मशीहा चौधरी जावै बतया

किसानों के हक मैं पूरा जीवन अपना लगाया

किसानों नै अपना नेता प्रधानमंत्री था बनाया

बागपत बड़ौत शामली के किसान भूल ना पावैं।।

जात पात मैं बाँट कै ये लीडरी खूब चमकावैं।।

3

पाछले कई सालां तैं किसान फांसी खा मरते

कई नेता मोलड़ कैहकै मजाक उसका करते

नीतियों का खामियाजा किसान आवैं धुरतैं भरते

नेता बहोतसे करैं दिखावा ना झूठ बोलण तैं डरते

करजे चढ़ाकै माफ़ करैं ये शोषण नीति चलावैं।।

जात पात मैं बाँट कै ये लीडरी खूब चमकावैं।।

4

किसान इस ढांचे भितरै आजाद होना मुश्किल लागै

पूरा सिस्टम पड़ै पलटना जिब किसान का करजा भागै

सिस्टम जिब पलटे जिब यो किसान नींद तैं जागै

जात धर्म के जाल तोड़कै हक कट्ठा होकै नै मांगै

रणबीर हर भेद तनै रक्षक भक्षक का समझावैं।।

जात पात मैं बाँट कै ये लीडरी खूब चमकावैं।।

2)

*****

किसान मजदूर आंदोलन जिंदाबाद

गरीब और गरीब होग्या इसा तरीका महारे विकास का

अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का

1

कहते गरीबी दूर करांगे कई नई स्कीम चलाई गई

विकेंद्रीकरण कर दिया देखो बात खूब फैलाई गई

सल्फास किसान क्यों खावै के कारण उसके सत्यानाश का

अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का

2

नाबरॉबरी और कितनी या भारत मैं बधांते जावांगे

भगत सिंह के सपन्यां आल्या समाजवाद कद ल्यावांगे

छल कपट छाग्या देश मैं के होगा भ्रीष्टाचारी घास का

अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का

3

माणस अपणा आप्पा भूल गया पीस्से का आज दास हुया

बेईमानी बढ़ती जावै सै बाजार का दबाव आज खास हुया

स्कॉच चलै पांच *सितारा मैं ख्याल ना म्हारी प्यास का

अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का

4

प्यार की जगां हवस छागी नँगे होवण की होड़ लगी रै

शरीर बेचकै एश करो बाजार मैं या दौड़ लगी रै

रणबीर सिंह बरोने आला साथ निभावै सोहनदास का

अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का

3)

*****

8 मिहने तैं डेरा दिल्ली मैं

*किसानां नै आठ मिहने होगे दिल्ली मैं डेरा ला राख्या रै।।*

खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं बिठा राख्या रै।।*

1

किसान मरया खेत में तो कैसे यो देश महान बचैगा

किसान बरबाद हुया तो जरूरी यो घमशान मचैगा

*दर दर का भिखारी क्यों यो अन्नदाता बणा राख्या रै।।*

*खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।*

2

काले धन के नाम पर म्हारा धौला काबू कर लिया रै

पुराने जमा कराकै तनै बैंकां का तो भोभा भर दिया रै

*म्हारी खेती चौपट होगी काढ़न पै रोक लगा राख्या रै।।*

*खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।*

3

ब्याह शादी की मुश्किल होरी दाल सब्जी का टोटा होग्या

थारा नोटबंदी का फैसला यो जी का फांसा मोटा होग्या

*देश भक्ति का नाम लेकै यो देश जमा भका राख्या रै।।*

*खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।*

4

इसे ढाल बात करै सरकार बण गरीबों की हिमाती रै

इब बेरा लाग्या हमनै सारा या घणी कसूती सै उत्पाती रै

*रणबीर सिंह इब क्यों बढ़ा कैशलेश का भा राख्या रै।।*

*खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।*

4)

******

तीन कानून बणाकै नै किसान धरती कै मारया रै।।

कारपोरेट सिर पै बिठाए ऊधम मचाया भारया रै।।

1

बुलध तो पड़या बेचना ट्रैक्टर की मार पड़ी या 

मैं एकला कोण्या रै मेरे जिसां की लार खड़ी या

एमएसपी का जिकरा ना जी हुया घणा खारया रै।।

कारपोरेट सिर पै बिठाए ऊधम मचाया भारया रै।।

2

लागत खेती की बढ़गी यो म्हारा खर्चा खूब होवै

तीन बिल और पास करे जिनका चर्चा खूब हुया

म्हारी गेल्याँ कोये चर्चा ना देख्या ईसा नजारा रै।।

कारपोरेट सिर पै बिठाए ऊधम मचाया भारया रै।।

3

भैंस बाँध ली दूध बेचूं यो दिन रात एक करां

तीन हजार भैंस बीमारी के डॉक्टर कै गए घरां 

सिर पै कर्जा तीस हजार टूट्या पड़या यो ढारा रै।।

कारपोरेट सिर पै बिठाए ऊधम मचाया भारया रै।।

4

बालक म्हारे धक्के खावैं इण ताहिं रोजगार नहीं 

छोरी सै बिन ब्याही बिन दहेज़ कोए तैयार नहीं 

छोरे हांडैं गालां मैं घरक्यां का चढ़ज्या पारा रै।।

कारपोरेट सिर पै बिठाए ऊधम मचाया भारया रै।।

5

घरआली करै सिलाई दिन रात करै वा काले 

या खुभात फालतू बचत नहीं हुए कसूते चाले

किसान यूनियनां नै लाया इंकलाब का नारा रै।।

कारपोरेट सिर पै बिठाए ऊधम मचाया भारया रै।।

6

किसान मजदूर छोटे व्यापारी नजर धरी बुरी सै

तीन बिलां के खिलाफ सांझा संघर्ष सही धुरी सै

रणबीर बरोनिया दिल तैं यो गीत बनाया थारा रै।। 

कारपोरेट सिर पै बिठाए ऊधम मचाया भारया रै।।

5)

*****

खेती नै बचावै जो, रोटी बी दिलावै जो, देश नै बचावै जो , इसी लहर उठगी सै भाइयो।।

1

अडानी अम्बानी खेल बनारे,सरकार की रेल बनारे ,

बिगाड़ी म्हारी चाल,तारली जमकै खाल,सरकार सै दलाल, इसकी काट बिछगी सै भाइयो।।

2

जिब ये रोटी दे नहीं पाये,ये मंदिर नै हटकै लियाये,

जात पै हम बांटे, धर्म पै खूब काटे, मन करे सैं खाटे, लड़ाई पूरी कसगी सै भाइयो।।

3

कारपोरेट की दया पै छोड़ दिये, म्हारे तैं नाते तोड़ लिए

पीट दिया किसान क्यों, काढ़ी म्हारी ज्यान क्यों,ना कोए ध्यान क्यों,कसक म्हारी बढ़गी सै भाइयो।।

4

किसान संघर्ष जितैगा रै , अडानी अम्बानी नै पिटैगा रै

रणबीर की सुण ले, एके की राही चुन ले, कर पक्की धुन ले, सरकार हमतें डरगी सै भाइयो।।


6*****

सुण नेता जी सम्राट तनै, कर दिया बारा बाट तनै, मूंधी मार दी खाट तनै, लिया कालजा चाट तनै, बनाई राज की हाट तनै, जनता दर दर ठोकर खावै।।

1

शेर बकरी का मेल नहीं, या राजनीति कोई खेल नहीं

तूं नीति घटिया चाल रहया, म्हारी इज्जत उछाल रहया,म्हारे बैरी नै तूं पाल रहया, क्यों लुटवा म्हारा माल रहया, ईबी ना कर तूं टाल रहया, जनता सारी खोल दिखावै।।

2

लोक राज नारा कड़ै गया, लोक लाज म्हारा कड़ै गया

क्यों करवाया मखौल बता, क्यों तेरा पाट्या झोल बता, क्यों खुलवाई पोल बता,क्यों रहया सै जनता नै सत्ता, ईब पाट लिया सबनै पता, हर कोए यो सवाल उठावै।।

3

खेती का बना घास दिया, किसानों का कर नाश दिया

किसानों कै मारी चोट, जनता का बता के सै खोट, क्यों बिल ल्याकै मारी चोट, क्यों दिए म्हारे तनै गल घोट , क्यों खोज रहया म्हारे रोट, ना म्हारी समझ मैं आवै।।

4

कुछ ना साथ मैं जाणा सै, आड़ै ए हिसाब चुकाणा सै,

जो हां भरकै नै नाटैगा, ना उसके कदे पूरा पाटैगा, तेरे वाद्यां नै कूण चाटैगा, रणबीर दिल मेरे नै डाटैगा, बणा रागनी गम नै बांटैगा, तनै साची साच बतावै।।

7*****

मोदी का यो असली चेहरा , चौड़े कै मह दिखाई देरया, आज तोड़ खुलासा होग्या रै।।

1

नबै की मर आगी या दस की  चांदी कर राखी देखो

म्हारी खाली करकै गोज अम्बानी की भर राखी देखो 

किसानी संघर्ष बढ़ता जावै,थारी सरकार दबाया चाहवै, घणा मोटा रास्सा होग्या रै।

2

डेरे गेर दिए किसानी नै देखो दिल्ली के म्हं

रास्ते घेर लिए किसानी नै देखो दिल्ली के म्हं

घणे सब्ज बाग दिखाए भाई, लगाकै जोर हम भकाये भाई, घणा तमाशा होग्या रै।

3

अम्बानी तै प्यार मुलाहजा थारा जनता और नहीं झेलैगी

संघर्ष करैगी मिलजुल कै,थारे बिलों नै जरूर पेलैगी

हमतो खेत खलिहान बनावां,महल अटारी आलीशान बनावां, म्हारा जोरका पासा होग्या रै।

4

किसानी संघर्ष आगै बढ़ैगा, इतना जान ल्यो रै

तीन बिल वापसी की मांग , तावले से मान ल्यो रै

रणबीर सिंह नै बात बनाई, गाम गाम मैं अलख जगाई, बेरा सबनै खासा होग्या रै।

8******


किसानी खातर भारत बंद घणा कसूता होवैगा।।

कमेरा हिंदुस्तानी किसान बीज एकता के बोवैगा।।

1

कारपोरेट के खिलाफ छेड़ दई जंग पूरी देखो

सरकार इसकी तलहडू सै करै जी हजूरी देखो

आर पार की लड़ाई होगी मोदी नई झूठ टोहवैगा।।

काल हिंदुस्तानी किसान बीज एकता के बोवैगा।।

2

जात धर्म इलाके पर लड़वा कै तेज कररे लूट म्हारी

किसानों और मजदूरों कै दे दी आछे ढाल बुहारी

तीन बिल किसान विरोधी मोदी देश नै डबोवैगा।।

काल हिंदुस्तानी किसान बीज एकता के बोवैगा।।

3

निजीकरण करकै सारे महकमे  बेच रहया सै

अडानी अम्बानी के निशाने पै टेक रहया सै

संविधान की परवाह कोण्या सम्मान देश का खोवैगा।।

काल हिंदुस्तानी किसान बीज एकता के बोवैगा।।

4

समझ बूझ तै सँघर्ष को आगै लेज्यावैंगे भाई

या नब्बे दस की लड़ाई जीत कै दिखावैंगे भाई 

रणबीर सिंह बरोने आला नए नए छंद पिरोवैगा।।

काल हिंदुस्तानी किसान बीज एकता के बोवैगा।।

9*****

अड़तीस दिन होगे किसानों नै दिल्ली मैं डेरे डाल रहे।

तीन कानून जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे।

1

पूरी और लाम्बी तैयारी करकै आज किसान आये सैं

अनुशासन घणे गजब का समझदार घणे पाये सैं

किसानी और जनता एकता बणा गजब की ढाल रहे।

तीन कानून जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे।

2

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में हैं भाई भाई

इसकी ताकत के आगै भाजपा सरकार घबराई

या एकता घणे गजब की इसके ऊपर चाल रहे।

तीन कानून जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे।

3

अडानी अम्बानी की खातिर किसानों की कड़ तोड़ दई

सब किमैं बायपास करकै क्यों तीन बिल जोड़ दई

कारपोरेट खेती की खातिर कर जनता को बेहाल रहे।

तीन कानून जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे।

4

संघर्ष की रही पकड़ी आर पार की लड़ाई होवैगी

फुट गेरो संघर्ष पीटो भाजपा सब किमैं झोवैगी

रणबीर सिंह की कलम तै उठ सही सवाल रहे। 

तीन कानून जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे।

10*****

इस गोदी मीडिया नै किसानों के खिलाफ जहर फैलाया ।।

जमीनी हकीकत देख कै मोदी भी बहोत घणा घबराया।।

1

वार्ता मैं झुके नहीं किसान अपनी मांग पै अड़े खड़े सै

सरकार के हथकंडे एकता आगै ओछे घणे पड़े सैं

गोदी मीडिया रोज घड़ कै दखे झूठी खबर सै ल्याया।।

2

कसूता अनुशाषन किसानों का दुनिया देख कै दंग रैहगी

भाजपा की सरकार इनकी गेल्याँ जान बूझ कै क्यों फैहगी

आर पार की लड़ाई खिंचगी किसान नै  पूरा प्लान बनाया।।

3

तीन कानून वापसी बिना किसान नहीं  उल्टा जावैगा रै

सांस दिल्ली की सरकार कै यो घणे कसूते चढ़ावैगा रै

कई महिन्यां का इंतजाम करकै किसान दिल्ली मैं आया।।

4

हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई आपस मैं सब सैं भाई भाई 

जवान किसान जनता एकता की मिशाल बनाई

रणबीर सिंह सोच समझ कै नै यो छंद तुंरत बनाया।।

इस गोदी मीडिया नै किसानों के खिलाफ जहर फैलाया। 

जमीनी हकीकत देख कै मोदी भी बहोत घणा घबराया।।

11*****

शोषण हमारा

अम्बानी कम्पनी आगी, हमनै चूट-चूट कै खागी

अमीर हुए घणे अमीर, यो मेरा अनुमान सै।।

1

मोदी सरकार नै गोड्डे टेक दिये,

साधन अम्बानी आगै फेंक दिए,

अडानी देखो साथ मैं रलगे,

कारपोरेट कै घी के दीवे बलगे

संघर्ष बदलैगा तदबीर, यो किसानों का ऐलान सै।।

2

पहली चोट मारी रूजगार कै,

हवालै कर दिये सां बाजार कै

निजीकरण मुहिम चलाई क्यों,

मासूम जनता आज भकाई क्यों

या गई कड़ै थारी जमीर, घणा मचाया घमसान सै।।

3

म्हारी खेती कती बरबाद करदी,

ये तीन काली कानून पास करदी

किसानों नै ली आज अंगड़ाई रै, 

नारा कानून वापिस कराई रै

घाली गुरबत की जंजीर,दिल्ली मैं छारया किसान सै।।

4

या सल्फाश की गोली सत्यानासी, 

हर दूजे घर मैं ल्याई थी उदासी

एकजुट हिंदुस्तान का देखो किसान ,

साथ खड़या हुया हर कमेरा इंसान,

लिखै साची सै रणबीर, नहीं झूठा बखान सै।।


12*****

आजादी पाछै बहोत कमाए भारत के किसान कमेरे।।

ज्यान लगा कै खेत सँवारे कारखाने चलाये शाम सवेरे।।

1

किसान करी मेहनत तो खेतां मैं फसल लहलाण लगी

स्टील थर्मल प्लांट लगाए बिजली घरां मैं आण लगी

स्कूल अस्पताल खुले फेर जनता स्कूल मैं जाण लगी

नेहरू का जमाना बीत गया संकट घड़ी  या छाण लगी

आजादी के नेता पाछे नै रैहगे आगै आवण लगे लुटेरे।।

2

पचहत्तर मैं एक दौर यो एमरजेंसी का बी आया था

नशबंदी जबरदस्ती का आड़े गया अभियान चलाया था

मुधे मूंह पड़े ये हिम्माती जनता नै सबक सिखाया था

राज पाट सब बदल दिये जनता का राज बनाया था

बैल गऊ तैं करी कमाई सारी नै ज़िमगे जुल्मी बछेरे।।

3

सब जानैं मेहनतकश की मेहनत खूबै रंग ल्याई सै

किसान ख़टया खेतां मैं अन्न की पैदावार बढ़ाई सै

कारखाने ऊंची सीटी मारैं स्मृद्धि अमीराँ मैं आई सै

सौ मां तैं पन्दरा मोटे होगे बाकी पै सांकै घणी छाई सै

धन दौलत तो घणी कमाई म्हारै बांटै आये पटेरे।।

4

दिनों दिन बढ़ती जावै देश मैं गरीब अमीर की खाई क्यों

म्हारे पैरां पटरी सैं बवाई उनके सैं जहाज हवाई क्यों

म्हारे बालक सूकी रोटी खावैं उनके उड़ाते दूध मलाई क्यों

किसा बंटवारा यो देस मैं अडानी अम्बानी पेट फुलाई क्यों

रणबीर बरोने आला कहै घोड़ी खोसी साथ मैं बछेरे।।

13*****

नया साल इक्कीस

किसा हो नया साल इक्कीस आदान प्रदान हो विचारां का।।

किसानी सघर्ष जीत कै नक्सा बदलै कमेरे किरदारां का।।

1

सर्व समावेशी शिक्षा हो स्कूल होवैं एक समान रै

हरेक जात का सम्मान हो भाईचारा हो बलवान रै

मरीज डॉक्टर का मेल हो इलाज पावै हर इंसान रै

फसल की कीमत ठीक मिलै फलैं फुलैं किसान रै

पर्दाफाश होज्या आज म्हारी लूट के ठेकेदारां का।।

किसानी सघर्ष जीत कै नक्सा बदलै कमेरे किरदारां का।।

2

मिलावट म्हारे समाज म्हैं नहीं टोही पावै यो चाहवां

नफरत का जहर समाज नै आज ना खावै यो चाहवां

बेरोजगारी कम होवै इसा माहौल आवै यो चाहवां 

कोये माणस प्रदेश म्है ना भूखा रह ज्यावै यो चाहवां 

होवै महिला महफूज ना जिकरा बचै बलात्कारां का।।

किसानी सघर्ष जीत कै नक्सा बदलै कमेरे किरदारां का।।

3

म्हारा यो सबका हिंदुस्तान, गूँज उठै यो नारा भाई

छुआछूत खत्म हो सुधरै यो वातावरण म्हारा भाई

सरकार करै ख्याल बणकै गरीबां का साहरा भाई

अंधविश्वास और नशे तैं मिलै सबनै छुटकारा भाई

या जनता राह बाँधेगी, देश भर म्हैं इन बदकारां का ।।

किसानी सघर्ष जीत कै नक्सा बदलै कमेरे किरदारां का।।

4

युवा नै रोजगार मिलै, कति नहीं फिरै आवारा रै

सुख का सांस लेवै सरतो, सुखी हो करतारा रै

विकास चालै सही राही पै,सही होवै बंटवारा रै

संविधान के अनुसार चलै, हिंदुस्तान देश म्हारा रै

रणबीर साल इक्कीस हो, मेहनतकाश किरदारां का ।।

किसानी सघर्ष जीत कै नक्सा बदलै कमेरे किरदारां का।।

14*****

संघर्ष जोर पकड़ेगा

यो किसान आंदोलन छाग्या, देखो दिल्ली तक  आग्या

इसनै सही रास्ता पाग्या, संघर्ष और जोर पकड़ेगा।।

1

सरकार पूरा खेल खेलैगी सारे हथकंडे अपनावैगी

किसानी आंदोलन कै तोहमद कई ढाल की लगावैगी

कहे किसान पाकिस्तानी, हुई किसानों को हैरानी

जवाब देवण की ठानी, संघर्ष और जोर पकड़ेगा।।

2

किसान हितैषी बिल बताकै सरेआम झूठ बोल रही

अम्बानी अडानी की खातिर कृषि दरवाजे खोल रही

आज समझ गया किसान, संघर्ष का किया एलान

घेरली दिल्ली आज आण,  संघर्ष और जोर पकड़ेगा।।

3

कोरोना का बाहणा करकै संघर्ष दबाना चाहवै साई

खुद के चुनाव भजन करै उड़ै कोरोना नहीं आवै सै

फूट गेरण की प्लान सै समझ गया ईब किसान सै

लगाया यो सही उन्मान सै,संघर्ष और जोर पकड़ेगा।।

4

बिल वापिस लेने पड़ेंगे संघर्ष की दाब बढ़ती जावै

नहीं लिए वापिस बिल तै सरकार कै सांस चढ़ती पावै

साथ देवांगे मिलकै कमेरे, हारेंगे फेर ये जरूर लुटेरे

रणबीर साथ आये भतेरे, संघर्ष और जोर पकड़ेगा।।

15******

अडानी अम्बानी

 टांड पै बिठा जनता नै अम्बानी अडानी लूट रहे ।।

फिरैं लड़ाते जात धर्म पै कुछ नेता खुले छूट रहे।।

1

मुट्ठी भर तो पावैं नौकरी कई लाख का पैकेज थ्यावै

बीच बीच में एक दो बै यूके फ्रांस के चक्कर लगावै

एम टेक आले पै मजबूरी या चपड़ासी गिरी करावै

बेरोजगारी बढ़ै रोजाना यो नौजवान खड्या लखावै

अडानी अम्बानी की कम्पनी कुछ तो चांदी कूट रहे।।

फिरैं लड़ाते जात धर्म पै कुछ नेता खुले छूट रहे।।

2

एक तरफ विकास का नारा लगता राज दरबारां मैं

कौन फालतू मुनाफा कमावै होड़ लगी साहूकारां मैं

इनके तलवे चाटें जावैं ये ना फर्क कोये सरकारां मैं

संकट इस विकास करकै आया किसानी परिवारां मैं

गंभीर संकट के चलते भरोसे जनता के इब टूट रहे।।

फिरैं लड़ाते जात धर्म पै कुछ नेता खुले छूट रहे।।

3

अम्बानी अडानी की लूट इस संकट की जड़ मैं देखो 

झिपाने नै लड़वा जात धर्म पै लठ मरैं कड़ मैं देखो

जात धर्म पै भिड़वा दिए हुए फिरैं अकड़ मैं देखो 

असली नकली म्हारै भी नहीं आये पकड़ मैं देखो

कितै गौमाता कितै गीता पर सिर ये म्हारे फूट रहे।।

फिरैं लड़ाते जात धर्म पै कुछ नेता खुले छूट रहे।।

4

दूसरे देश भी इस लूट मैं बड्डे हिस्सेदार बणे भाई

उनकी पूंजी ले अडानी उनके सूबेदार बणे भाई

एमरजेंसी लागू होगी देशद्रोही थानेदार बणे भाई

काले धन का जिकरा ना उन्के पहरेदार बणे भाई

कुलदीप हम क्यों रोजाना अपमान का पी घूंट रहे।।

फिरैं लड़ाते जात धर्म पै कुछ नेता खुले छूट रहे।।

16******

आज नया साल

आज नया साल शुरू होग्या इसमैं नया हिंदुस्तान के चाहवै सै।

किसानी संघर्ष जरूर जीतैगा जिकरा रोज सुणण मैं आवै सै।

1

आंदोलन करते किसानां तै म्हारा सै क्रांतिकारी सलाम भाई  

जो किसान म्हारे शहीद होगे इतिहास मैं होवैगा नाम भाई रोजाना जोश म्हारे किसानां का बहोत घणा बढ़ता जावै सै। 

2

देश मैं इंसानियत हटकै उभरै हम इस साल मैं हाँगा लावांगे

म्हारा प्रजातंत्र फेर हुँकार भरै किसानां का साथ निभावांगे  इस लड़ाई का राह हमनै यो किसानी संघर्ष सही दिखावै सै।

3

कदर जनता की आवाज की हटकै आवै म्हारे हिंदुस्तान मैं 

इज्जत होवै गरीब कमेंरे की होज्या शांति पूरे ही जहान मैं

हो गजब का भारत म्हारा सारी जनता जमकै नारा लावै सै।

इस साल मैं ईसा माहौल बनै किसान नै पूरा सम्मान मिलै

कहै रणबीर नहीं लुटैं कमेरे उन सबका हट कै चेहरा खिलै 

आज किसान मोर्चे की जीत नए समाज की राह बतावै सै।


17*****

कालजा धड़कै रै

मेहनतकश तेरा हाल देख कर मेरा कालजा धड़के रै।।

या दुनिया सारी जाग रही सै तू क्यों सोग्या पड़ कै रै।।

1

एक क्वींटल गण्डा हम करकै मेहनत उपजावां सां 

राल्ला बीस किलो दस सीरा इसतैं आज बनावां सां

बारा  किलो चीनी बनती खोही का ना मोल लावां सां 

इन का मोल तीन हजार नहीं कदे हिसाब बिठावां सां

तीन सौ पचास मिलते हमनै माट्टी गेल्याँ माट्टी बनकै रै।।

या दुनिया सारी जाग रही सै तू क्यों सोग्या पड़ कै रै।।

2

पैंतीस सौ कित जावै देखो नहीं हिसाब कदे बी लाया

कदे समझलयां भेद सारा अनपढ़ता का जाल बिछाया

बांट बांट कै साजिस तैं हरिजन का क्यों दुश्मन बनाया 

मिल मैं मजदूर भाई म्हारा म्हारी गेल्याँ किसनै भिड़ाया 

तीनों आपस में लड़ा दिए तीर इसा तरकस मैं भरकै रै।।

या दुनिया सारी जाग रही सै तू क्यों सोग्या पड़ कै रै।।

मेहनतकश का बैरी देखो मेहनतकश आज बणाया रै 

साढ़े तीन हजार लूटकै म्हारे सतरंगा जाल बिछाया रे

म्हारे बेटा बेटियों को उसनै अपनी गोद मैं बिठाया रै

इतना जुल्म देख धरती पै काँपज्या कृष्ण की काया रै 

ईब तो संभाला लेल्यां नहीं तै मरना होज्या सड़ कै रै।।

या दुनिया सारी जाग रही सै तू क्यों सोग्या पड़ कै रै।।

4

बेटा बेटी बिगाड़ण खातिर भद्दे गाने सिनेमा त्यार किये

दारू मैं डबोवण की खातिर ठेके खोल ये बेशुमार दिये 

ये तीन सौ पचास भी म्हारे इणनै बेदर्दी तैं डकार लिये 

सिर भी म्हारा जूती म्हारी बिन आई के हम मार दिए 

रणबीर सिंह बरोने आला ललकार रहया छंद घड़ कै रै।।

या दुनिया सारी जाग रही सै तू क्यों सोग्या पड़ कै रै।।

18*****

मेहनत कश किसान

मेहनत कश जमाने मैं तूँ घणा पाछै जा लिया ।

देख इस महंगाई करकै यो कति तौड़ आ लिया ।

चार घड़ी के तड़कै उठ रोज खेत मैं जावै सै

दोपहरी का पड़ै घाम या सर्दी घणी सतावै सै

दस बजे घर आली तेरी रोटी लेकै नै आवै सै

सब्जी तक मिलती कोण्या ल्हूखी सूखी खावै सै

नून मिर्च धरकै रोटी पै लोटा लाहसी का ठा लिया।

थारा पूरा पटता कोण्या तूँ दिन रात कमावै सै

बीज बोण के साथै तूँ आस फसल पर लावै सै

सोसाटी और लाला जी से कर्ज भरया कढ़ावै सै

लाला जी फेर तेरी फसल मनचाहे दाम उठावै सै

ब्याज ब्याज मैं नाज तेरा लाला जी नै पा लिया ।

कदे तनै सूखा मारै कदे या बाढ़ रोपज्या सै चाला

सूखे मैं तेरी फसल सूखज्या होवै ज्यान का गाला

कदे कति बेढंगा बरसै भाई यो लीले तम्बू आला

कदे फसल तबाह होज्या कदे होवै गुड़ का राला

बिजली तक आती कोण्या माच्छरां नै रम्भा लिया।

बड़ी आशा से तमनै सै या सरकार बनाई देखो

कई काम करैगी थारे तमनै आस लगाई देखो

सरकार नै आँते ही बालक की नौकरी हटाई देखो

थारा माल खरीद सस्ते मैं और कीमत बढ़ाई देखो

देखी तेरी हुई तबाही सै आच्छी तरियां ढा लिया।


19*****

मेरा चालै कोण्या जो

मेरा चालै कोण्या जोर मनै लूटैं मोटे चोर

नहीं पाया कोये ठौर कटी पतंग की डोर

मनै लावैं डांगर ढ़ोर यो किसा घोटाला रै।

मेरा बोलना जुल्म हुया

उनका बोलना हुक्म हुया

सारे ये मुनाफा खोर ये थमा धर्म की डोर

बनावैं ये म्हारा मोर सुहानी इनकी भोर

ऐश करैं डाकू चोर मन इनका काला रै।

ये भारत के पालन हार

क्यों चोरां के सैं ताबेदार

म्हारे पै टैक्स लगावैं बोलां तो खावण आवैं

मिल्ट्री सैड़ दे बुलावैं चोरां की मौज करावैं

काले का सफेद बणावै भजैं राम की माला रै।

महंगाई की मार कसूती

सिर म्हारा म्हारी जूती

यो रोजगार मन्दा सै यो सिस्टम गन्दा सै

यो मालिक का रन्दा सै घालै दोगला फंदा सै

क्यूकर जीवै बन्दा सै हुया ढंग कुढाला रै।

पत्थर पुजवा बहकाये

भक्षक रक्षक दिखाये

काले नाग डसगे क्यों ये शिकंजे कसगे क्यों

दो संसार बसगे क्यों गरीब जमा फ़ंसगे क्यों

रणबीर पै हंसगे क्यों कर दिया चाला रै।


20*****

कद सी स्याणा होगा


किसान तेरी या कष्ट कमाई कित जावै बेरा लाणा होगा।

या सारी दुनिया स्याणी होगी तूँ कद सी स्याणा होगा ।

1

दोसर करकै धरती नै अपणा खून पसीना बाहवाँ सां

गेर गण्डीरी सही बीज की हम ऊपर तैं मैज लगावां सां

पड़ै कसाई जाड्डा जमकै हम खेताँ मैं पाणी लावां सां

रात दिन मेहनत करकै माटी मैं माटी हो ज्यावां सां

दो बुलध तैं एक रैह लिया कद तांहिं न्यों धिंगताणा होगा।

2

कदे नुलाणा कदे बाँधणा कदे ततैया मोटा लड़ ज्यावै

कदे अळ कदे कीड़ा लागै कदे ईंख नै कंसुआ खावै

कदे औला कदे सूखा पड़ज्या हमनै कोण्या रोटी भावै

कदे गात नै ये पत्ते चीरैं कदे काली नागण फन ठावै

मील मैं हो भेड मुंडाई कद तांहिं मन समझाणा होगा।

3

सुनले कमले ईब ध्यान लगाकै म्हारे मरण मैं बिसर नहीं

आज कुड़की आरी म्हारे घर मैं नाश होण मैं कसर नहीं

जीते बी कोण्या मरते बी कोण्या औण पौण मैं बसर नहीं

चारोँ लाल कड़ै गए भाई के गई सै फोन मैं खबर नहीं

कोण्या पार जावैगी म्हारी जै यो न्यारा न्यारा ठिकाणा होगा।

4

इसकी खातर गाँव गाँव मैं जथेबंदियाँ का जाल बिछावां

जीणा चाहवाँ तै भाईयो यूनियन नै अपणी ढाल बणावाँ

बिना रोएँ तो बालक भी भूखा जंगी अपणी चाल बनावाँ

रणबीर सिंह बख्त लिकड़ज्या बरोने मैं फिलहाल बनावाँ

तगड़ा संगठन बनाकै अपणा जंग का बिगुल बजाणा होगा ।

21*****

हरियाणे के वीरो जागो

हरियाणे के वीरो जागो तजो जात के बाणे नै

ढेरयां आला कुड़ता  सै समझो इसके ताणे नै

गरीब माणस नै मरज्याणी गरीब भाई तैं दूर करै

अमीर होज्यां एक थाली मैं यो गरीब मजबूर फिरै

अमीर इस्तेमाल भरपूर करै गरीबाँ नै बहकाणे नै

अमीरां का छोरा कोये बेरोजगार जमा ना पाणे का

पुलिस कचहरी सब उनके ख़ाली हुक्म ना जाणे का

गरीब लूट कै खाणे का टोहया सै राह मरज्याने नै।

मेहनत जात गरीबाँ की और कोये तो जात नहीं

जाट ब्राह्मण सिर फुड़वावें मिलै खान नै भात नहीं

जात मिटा सकै दुभांत नहीं बात कही सै स्याणे नै

जात के ठेकेदारां की बांदी या करै इनकी ताबेदारी

आम आदमी जकड़ लिया अमीर करै पूरी पहरेदारी

रणबीर करै नहीं चाटूकारी नहीं बेचै अपणे गाणे नै।

22*******

संघर्ष कथा

सही राम

आँखिन देखी मैं कहता हूँ, सुनी सुनायी झूठ कहाय |

गाम राम की कथा सुनाऊँ , पंचो सुनियो ध्यान लगाय |

हल और बल कुदाली कस्सी , धान बाजरा फसल गिनाय|

भैंस डोलती पूंछ मारती, गैय्या खड़ी खड़ी रम्भाय |

सुबह सवेरे हाली निकलै, गर्मी सर्दी को बिसराय|

सारा दिन वो खटे  खेत में , मिटटी संग मिटटी होई जाय |         

5चाहे धूप जेठ के चलके,चाहे कोहरा दे ठिठुराय |

उसकी धर्म मशक्कत करना, उसको इनकी क्या परवाय|

लेकिन उलटी रीति ये देखो , देऊँ आपका ध्यान दिलाय |

ये दुनिया जो गौरख धंधा , मिहनत कौड़ी हाट लगाय |

हल बैलों वाला भी भूखा , जो खेतों में अन्न उगाय|

मोटे सेठ हड़प कर जाएँ , सारा माल हाथ फैलाय |

रुखा टुकड़ा वे ना पावें, डाकू चिकनी चुपड़ी खाय |

डंगर भूखे मरते मर जाय , भुस्सा उनको मिलता नाय |

जमा फसल देकर बनिए को , कर्जदार फिर भी कहलाय |

ज्यों ज्यों ढलै  उमरिया उसकी , त्यों त्यों कर्जा बढ़ता जाय |

यह चक्कर देखो होनी का, वाह फिर भी मरजाद कहाय

घर में  बेटी बीस बरस की, कुर्दी की ज्यों बढती जाय |

सेठ साहब का कर्ज न उतरै , लड़की क्योंकर ब्याही जाय |

जो भी देखे लानत भेजै ,वो क्या पडै कुंए में जाय |

बेटी भारी बोझ बाप पर, माँ को औरत रही गरियाय |

पाँच हजार मांगता समधी , उसकी चिठ्ठी पहुंची आय |

लाला उसका अपना बनकर, उंच नीच सब रहा बताय |

दुनिया में मरजाद पालनी, यह मर्दों का धर्म कहाय |

खानदान को दाग लगै  ना, बिटिया घर से देओं धकाय |

सारी दुनिया काल चबैना , क्यों फिर पगले तूं पछताय |

जाय कचैड़ी लाला जी संग , उसने दिया अंगूठा लाय |

अब वो नहीं भोमियां कोई , कर मजदूरी पेट चलाय |

छ छ बच्चे कुच्चे सारे , भूखे बिलख बिलख सो जाय |

अगन पेट में धधक रही है, घर का चूल्हा जलता नाय |

खेलन -खावन के दिन आये , सो बच्चे कमगर कहलाय |

हड्डी तोड़ें खून सुखावै , सँझा तक बेगार कराय |

आधी पारदी उजरत देकर , धक्का दें और छुट्टी  पाय |

यह अन्याय   राम  का देखो ,किस किसका दूं नाम गिनाय |

बोटो बोटी नोचें उसकी , लोहू बूँद बूँद पी जाय |

पंचो यह तो एक कहानी , गाम राम की कही सुनाय |

और न जाने कितने दुखड़े , कितने लोग रहे दुःख पाय |

ढांचा यो सारा गड़बड़ है , बुन्गत इसकी समझ न आय |

सब इन्सान बराबर जन्मे , एक पेट दो हाथ कमाय |

एक तो करता ऐश महल में , दर दर दूजा ठोकर खाय |

एक उड़ावै  हलवा पूरी, दूजा भूखा मर मर जाय |

यह इंसाफ कहाँ दुनिया में , सोचो पंचो ध्यान लगाय |

एक बना फिरता पंडत है, दूजा रहा चमार कहाय |

एक ही कुदरत एक ही माया ,एक तरह से जन्मे  माय |

फिर कोई क्यों ठाकुर बनता , दूजा हरिजन रहा कहाय |

सबरनता का गरब नशीला , त्यौरी उप्पर को चढ़ जाय |

बुलध समझ कै चमड़ी तारै, और फिर उप्पर से गिरयाय |

जिन्दा उसको आग में झोंके , तब तक नशा नहीं थम जाय |

फिर भी उसको गाड्डी मिलती, वो मिटटी में मिलता जाय |

यह कैसा कानून राम का , यह तो नहीं इंसाफ कहाय |

बेटी , बहू,माय  हरिजन की,   सरेआम इज्जत लुट जाय |

छुट्टा  सांड गाँव में डोलै, कोई नहीं सामने आय |

रात दिनों जो खेत जोतता , वो उसका मजदूर कहाय |

मलिक कोई और भूमि का , आनी ये  जागीर बताय|

उसको नहीं पता क्या मिटटी , क्या मिटटी की गंध कहलाय |

 वो बैठा है महलों अन्दर , उस तक गंध पहुँचती नॉय |

सौ रूपए के कर्ज बदले , बंधुआ सात पुश्त हों जाय |

ऐसा यह कानून राम का , ज्ञानी गुनियों ज्ञान लगाय |

सर्दी गर्मी पीठ पै झेले ,मलिक उसको रहा जुतियाय |

न्याय धर्म के नाम पै पंचो, माणस दिन दिन पिसता जाय|

मिल मजदूरों के बूते ही, चिमनी धुआं उगलती जाय |

पर एक बात सोचियो पंचो ,वो क्यों अधभूखे रह जाय |

सेठ तिजौरी भर भर गाडै , काले धान को रहा छिपाय |

मजदूरों का खून चूसता , लोहू बूँद बूँद पी जाय |

वो महलों में बैठा लेकिन उसकी पूँजी बढती जाय |

शोषण वो कर रहा मजदूर का , उसकी चर्बी बढती जाय |

वो इन्सान नहीं कोई सीधा , दीखत का वो नरम सुभाय |

आदमखोर जानना उसको, उसका दीं धर्म कोई नॉय |

झूठा उसका पोथी पत्रा, झूठे मंदिर रहा बनाय |

मिल सारी मजदूरों की है ,वो झूठा मलिक कहलाय |

मजदूरों को गली देता, हड़तालों को झूठ बताय |

छंटनी कर कर  के वो इनकी , और गुंडों से रहा पिटाय|

उसके हाथ बनैले पंजे , उसको खुनी समझो भाय |

उसकी सारी पुलिस फ़ौज है ,गौरमिंट भी वही बनाय |

वो नहीं देगा बोनुस तुमको , वो नहीं रहा स्कूल खुलाय |

छंटनी कर कर लोगों की , घाटा  ही घाटा  दिखलाय |

उसकी खातिर मारो भूख से , उसको बात लागती नॉय |

वो चमड़ी का मौत भैंसा ,उसके सींग रहे चिकनाय |

उससे लड़ना चाहो गर तो , एक्का पक्का कर लो भाय |

 उसके साथ है सारी ताकत , उसकी एक जानियो नॉय

अपनी ताकत एक जूता लो , एक साथ लेओ हाथ मिलाय |

वो खूंखार बनैला भैसा ,उसे खून की गंध सुहाय |

वो रोंदेगा बस्ती कोभी ,बच्चों को वो चींथत जाय |

यह संघर्ष कथा उनकी है , सुनियो पंचो ध्यान लगाय

जिनके हाथ हथोडा केवल ,दोनाली से अड़ गया जाय

 सदियाँ से जो लुटते आये , और लूटना जिनका धर्म कहाय  |

जिनके पसीने को गंगा का ,वे गोली में मोल लगाय |

जिनके बूते दुनिया चलती, दुनिया पै हक़ उनका नाय |

सारे दिन जो खटते  पिटते, रोती उन्हें रही तरसाय |

कपडा उनको नहीं मयस्सर , दवा दारू की कौन बताय |

उस मेहनत का मौल है ,छाती में बन्दूक अड़ा य  |

राय तुम्हारी क्या है ,पंचो,क्या यह नहीं अन्याय कहलाय |

धर्म की बात तुम्हीं कह देना ,लेकिन कहना ध्यान लगाय |

अन्यायी का पक्ष न लेना , पंचो से यकीन उठ जाय |

खूनखोर नरभक्षी देखा,भेद मुखौटा रहा लगाय |

पूरी कौम के ये दुश्मन हैं , इंका तो बस नफा खुदाय |

मेहनतकश का परोपकार है ,नाफखोर की क्या परवाय |

ऊपर से ये चिकने चुपड़े ,अन्दर कोढ़ रहा गन्धाय  |

पूरी कौम को कोढ़ी कर दें ,इनसे पिंड छुडाओ भाय |

ये कलंक पूरी दुनिया पर , इंका नामोंनिशा मिटाय |

अब ये दुनिया है नहीं इनकी ,अब ये और बसालें जाय |

पर इन्सान जहाँ होगा ,इनकी पेश पडेगी नॉय |

पंचो मैंने गलत कहा क्या ,झूठ साँच देना बताय |

जिसने इनको जन्म दिया है, वो पग की जूती कहलाय |

बहन खिलौने की वस्तु है , उनको कोठे दिया बिठाय |

हक़ जीने का नारी मांगे ,उसके सिर को रहे जुतियाय |

इनकी यह मर्दूमी देखो , यह इंका दमखम कहलाय |

मांग करेँ जो हक़ अपने की , उसकी खिल्ली दे उडाय |

उसको झांसे दे दे कर ही अब तक उसको भोगे जाय |

नीलामी की यह वस्तु है , इनके मनकी समझें नॉय |

लेकिन पंचो सुनना तुम भी , एक बात देऊँ बतलाय |

 नारी  जागी है तो देखो ,अब ये हक़ छोड़ेंगी नॉय |

अब ये इनके पग की जूती , और शो पीस बनेंगी नॉय|

मर्जादों की धमकी देकर , उसको रोक सकोगे नॉय |

यह प्रतिबंध हटाना होगा , इनकी शक्ति लेओ परचाय |

शोर शराब नहीं है केवल , पक्की बात लीजियो लाय |

अब ये नहीं कोई पूजा वस्तु ,धर्म कर्म की नहीं परवाय |

एक बराबर मानव शक्ति ,एक को छोटा दिया बताय |

अब यह चालाकी नहीं होगी , सुनियो सजनो ध्यान लगाय |

शोषित पीड़ित जनता की, जो मैं कथा रहा बतलाय |

इतनी लाम्बी कथा है पंचो ,एक एक चीज सुनोगे नॉय |

ना ये किस्सा तोता मैना , ना राजा -रानी की बात |

शोषित पीड़ित जनता की ही ,मैंने आज बताई बात |

नाले के कीड़े सी दुर्गत ,मानुष छोले की हों जाय |

श्रम शक्ति के दुरूपयोग से ,बेडा कैसे पार लगाय |

मानव श्रम को बिन पहचाने , देश रसातल को हों जाय |

गाँधी उनको कम न आया ,अर्थ शाश्त्र को घुन खाय |

मैं पूछूं नेता लोगों से , पहन जो खद्दर रहे इतराय |

कुर्सी जिंका धर्म हों गयी , जनता पडों कुंए में जाय |

कब तक वो देंगे भाषण ही, कब तक वादों   की भरमार |

बहुत दिनों की बात नहीं अब , मेहनतकश हों रहे त्यार |

उनके हाथ दरांती अपनी ,और हथोडा रहे उठाय |

लस्सी और कुदाली उनकी ,हाथ बसूला पहुंचा आय |

तैयारी  पूरी है उनकी ,अब वो एक लेंय बनाय |

तब मैं आऊंगा और पूछूं ,अब क्यों छुपे किले में जाय |

कहाँ गयी बन्दूक दुनाली ,क्या तलवार गयी बल खाय |

फ़ौज ,पुलिस सब अपने भाई , वो भी शामिल हों जा आय |

वो दिन होगा सज्जनों अपना , वे जल्दी ही पहुंचे आय |

तब तुम सुनना लोकगीत भी , ढोल मजीरा तभी सुहाय |

सही राम

23*******

आजादी पाछै बहोत कमाए भारत के किसान कमेरे।।

ज्यान लगाकै खेत सँवारे कारखाने चलाये शाम सवेरे।।

1

किसान करी मेहनत तो खेतां मैं फसल लहलाण लगी

स्टील थर्मल प्लांट लगाए बिजली घरां मैं आण लगी

स्कूल अस्पताल खुले फेर जनता स्कूल मैं जाण लगी

नेहरू का जमाना बीत गया संकट घड़ी या छाण लगी

आजादी के नेता पाछे नै रैहगे आगै आवण लगे लुटेरे।।

2

पचहत्तर मैं एक दौर यो एमरजेंसी का बी आया था

नशबंदी जबरदस्ती का आड़े गया अभियान चलाया था

मुधे मूंह पड़े ये हिम्माती जनता नै सबक सिखाया था

राज पाट सब बदल दिये जनता का राज बनाया था

बैल गऊ तैं करी कमाई सारी नै ज़िमगे जुल्मी बछेरे।।

3

सब जानैं मेहनतकश की मेहनत खूबै रंग ल्याई सै

किसान ख़टया खेतां मैं अन्न की पैदावार बढ़ाई सै

कारखाने ऊंची सीटी मारैं स्मृद्धि अमीराँ मैं आई सै

सौ मां तैं पन्दरा मोटे होगे बाकी पै सांकै घणी छाई सै

धन दौलत तो घणी कमाई म्हारै बांटै आये पटेरे।।

4

दिनोंदिन बढ़ती जावै देश मैं गरीब अमीर की खाई क्यों

म्हारे पैरां पटरी सैं बवाई उनके सैं जहाज हवाई क्यों

म्हारे बालक सूकी रोटी खावैं उनके उड़ाते दूध मलाई क्यों

किसा बंटवारा म्हारे देस मैं अडानी अम्बानी पेट फुलाई क्यों

रणबीर बरोने आला कहै घोड़ी खोसी साथ मैं बछेरे।।

24*******

मेहनतकश किसान पूरा, के दिखूं थामनै जमूरा, फते सिंह और कपूरा, समझूं सूं थारी बाताँ नै।

1

जुमल्यां की बात राहण दे,

तीनों कानून उल्टे जाण दे,

मतना लावै भीतरी घात, क्यों कराओ घणा उत्पात, संघर्ष होरया दिन रात,,देख बढ़ती म्हारी पातां नै।।

2

दिल्ली हमनै सै घेर लई,

तमनै मूंह क्यों फेर लई,

जुल्मी थारी सै सरकार,करै या घणे अत्याचार,भरी किसानों नै हुंकार, यो बांधैगा थारे हाथां नै।।

3

हम आन डटे सां जंग मैं,

हम रंग रे सां एक रंग मैं,

संघर्ष जिन्दाबाद म्हरा,थारे पै निशाने लाऱया, शिखर पै चढ़ता जारया,छोड़ गोत नात जातयां नै।।

4

दिल्ली की ईंट ईंट बोलै,

किसानी चौगिरदें कै डोलै,

इंकलाब जिंदाबाद नारा,पूरी जनता नै भारया, इतिहास बनता आरया, रणबीर सिंह के खात्यां मैं।।