Wednesday, 3 June 2020

जो रूकै नहीं जो झुकै नहीं

मेरा सपना जो पूरा होगा

जो रूकै नहीं जो झुकै नहीं जो दबै नहीं जो मिटै नहीं
हम वो इंक़लाब रै जुल्म का जवाब रै।
हर शहीद का हर रकीब का हर गरीब का हर मुरीद का
हम बनें ख्वाब रै हम खुली किताब रै।
लड़ते हम इसके लिए प्यार जग मैं जी सकै
आदमी का खून कोई फेर शैतान ना पी सकै
मालिक मजूर के नौकर हजूर के रिश्ते गरूर के जलवे शरूर के
ईब छोडै नवाब रै सरूर और शराब रै।
हम मानैं नहीं हुक्म जुल्मी हुक्मरान का
युद्ध छिड़ लिया आज आदमी शैतान का
सच की ढाल लेके मशाल हों ऊंचे ख्याल करें कमाल
खिलैं लाल गुलाब रै सीधा हो जनाब रै।
मानते नहीं हम फर्क हिन्दू मुसलमान का
जानते हम तो रिश्ता इंसान से इंसान का
जो टूटै नहीं जो छूटै नहीं जो रुठै नहीं जो चूकै नहीं
ना चाहवै खिताब रै बरोबर का हिसाब रै।
भोर की आँख फेर नहीं डबडबाई होगी
कैद महलां मैं नहीं या म्हारी कमाई होगी
जो छलै नहीं जो गलै नहीं जो ढलै नहीं जो जलै नहीं
रणबीर की आब रै या नहीं मानैगी दाब रै।







सोचो किमै तो

सोचो किमै तो
हाथ पै हाथ धरकै बैठे पानी सिर पर कै जा लिया
कोए सुरक्षित नहीं आड़ै दुनिया का औड़ आ लिया
कातिल की माइंड सैट कन्या भ्रूण हत्या मैं दीखैं
जिसे करें बड़े बडेरे वेहे ये बालक करना सीखें
लंपनाइजेशन समाज के मैं पूरी तरियां छा लिया।
माड़ी माड़ी सी बातों पै रिवाल्वर काढ़ खड़े होज्यां
गोली चलाते वार ना लावैं छोटे करक बड़े होज्यां
राजनीती का क्रिमिनेलाइजेशन यो समाज खा लिया ।
गैंग रेपों की बाढ़ आगी पूरा हरियाणा काँप रहया
आगै के के बनैगी सारी हरेक मानस भांप रहया
जातां मैं बाँटी जनता जात नेता नै फायदा ठा लिया।
शादी की उम्र घटाना चाहते कितनी बोली बात करैं
गैंग रेप उम्र का रिश्ता बता कितनी होली बात करैं
करकै जतन रणबीर सिंह नै यो छंद बना लिया ।
13. 10. 2015

एक सपना मेरा -

एक नवम्बर के हरयाणा दिवस के मौके पर
एक सपना  मेरा ----
मिलजुल कै नया हरयाणा हम घणा आलीसान बनावांगे
नाबराबरी खत्म करकै नै हरयाणा आसमान पहोंचावांगे
बासमती चावल हरयाणे का दुनिया के देशां मैं जावै आज
चार पहिये की मोटर गाड़ी  यो सबतैं फालतू बणावै आज
खेल कूद मैं हम आगै बढ़गे एशिया मैं सम्मान बढ़ावांगे।।
चोरी जारी ठग्गी नहीं रहवैंगी भ्रष्टाचार नहीं टोहया पावै
मैरिट तैं मिलैं दाखिले सबनै शिक्षा माफिया खड़या लखावै
मिलकै सारे हरयाणा वासी इन बातों नै परवान चढ़ावांगे।।
ठेकेदारां की ठेकेदारी खत्म होज्या खत्म थानेदारी होवै
बदमाशों की बदमाशी खत्म हो फेर खत्म ताबेदारी होवै
निर्माण और संघर्ष का नारा यो पूरे हरयाणा मैं गूंजावांगे।।
दहेज़ खातिर दुखी होकै नहीं औरत फांसी खा हरयाणा मैं
कदम बढ़ाये एकबै जो आगै फेर ना पाछै जाँ हरयाणा मैं
बराबर के माहौल मैं महिलाओं के अरमान खिलावांगे।।
छुआ छूत का नहीं नाम रहै सब रल मिल रहैं गामां मैं
त्याग तपस्या और मोहबत की ये फुहार बहैं गामां मैं
दिखा मानवता का रास्ता जातधर्म का घमासान मिटावांगे।।
हरयाणा के लड़के और लड़की कन्धे तैं कन्धा मिला चालैंगे


मंगत राम

श्रम की चोरी
न्यारे न्यारे भ्रम फैला कै जारी करते जो फरमान।
वें करते मेहनत की चोरी सबतैं माड़ा विधि विधान।
कर्म की गेल्याँ धर्म जोड़ कै श्रम का पाठ पढ़ाते जो
काम कर्म हो कर्म धर्म हो न्यूं जंजाल फैलाते जो
धर्म की गेल्याँ घुटै आस्था फेर विश्वास जमाते जो
दिखा पाप का भय माणस की बुद्धि को बिचलाते जो
चालाकी तैं स्याणे बणकै करैं स्याणपत बेईमान ।
धर्म कहै मत बदलो धंधा पुश्तैनी जो काम करो
बाँध देई जो चलती आवै मर्यादा सुबह शाम करो
जात गोत की जकड़न मैं मत परिवर्तन का नाम करो
चक्रव्यूह मैं फंसे रहो मत लिकडण का इंतजाम करो
कोल्हू के बुलधां की ढालां रहो घूमते उम्र तमाम।
बेशक मेहनत करनी चाहिए मेहनत ही रंग ल्यावै सै
मेहनत मैं जब कला मिलै तो सुंदरता कहलावै सै
मेहनत की भट्ठी मैं तप सोना कुण्दन बण ज्यावै सै
लेकिन मेहनत की कीमत पै शोषक मौज उड़ावै सै
मेहनत का महिमा मण्डन हो फेर होगा श्रमिक सम्मान।
जिस दिन काम करणिये सारे मिलकै नै हक माँगैंगे
मेहनतकश सब मर्द लुगाई जब अपनी बांह टाँगेंगे
उस दिन पकड़ी जागी चोरी सारी सीमा लांघेंगे
गेर गाळ मैं मूँधे मुँह फेर जुल्मी चोरां नै छांगैंगे
कहै मंगत राम मिलैगा असली मेहनत का फेर पूरा दाम





आज का माणस

आज का माणस
आज का माणस किसा होग्या सारे सुणियो ध्यान लगाकै
स्वार्थ का कोए उनमान नहीं देख्या ज़िब नजर घुमाकै
चाट बिना भैंस हरियाणे की दूध जमा ना देवै देखो
इसका दूध पी हरियाणवी खुबै ए रिश्वत लेवै देखो
भगवान इणनै सेहवै देखो यो बैठया घर मैं आकै।
और किसे की परवाह कोण्या अपने आप्पे मैं खोया
दूज्यां की खोज खबर ना हमेशा अपना रोना रोया
कमजोर कै ताकू चभोया बैठै ठाड्डे की गोदी जाकै।
दूसरयाँ नै ख़त्म करकै अपना व्यापर बढ़ावै देखो
चुगली चाटी डांडी मारै सारे हथकण्डे अपनावै देखो
दगाबाज मौज उड़ावै देखो चौड़ै सट्टे की बाजी लाकै।
मारो खाओ मौज उड़ाओ इस लाइन पै चाल पड़या
हाथ ना आवै जै आवै तो होवै रिश्वत कै तान खड़या
रणबीर सिंह नै छंद घड़या सच्चाई का पाळा पाकै।





मेहनत कश किसान

मेहनत कश किसान
मेहनत कश जमाने मैं तूँ घणा पाछै जा लिया ।
देख इस महंगाई करकै यो कति तौड़ आ लिया ।
चार घड़ी के तड़कै उठ रोज खेत मैं जावै सै
दोपहरी का पड़ै घाम या सर्दी घणी सतावै सै
दस बजे घर आली तेरी रोटी लेकै नै आवै सै
सब्जी तक मिलती कोण्या ल्हूखी सूखी खावै सै
नून मिर्च धरकै रोटी पै लोटा लाहसी का ठा लिया।
थारा पूरा पटता कोण्या तूँ दिन रात कमावै सै
बीज बोण के साथै तूँ आस फसल पर लावै सै
सोसाटी और लाला जी से कर्ज भरया कढ़ावै सै
लाला जी फेर तेरी फसल मनचाहे दाम उठावै सै
ब्याज ब्याज मैं नाज तेरा लाला जी नै पा लिया ।
कदे तनै सूखा मारै कदे या बाढ़ रोपज्या सै चाला
सूखे मैं तेरी फसल सूखज्या होवै ज्यान का गाला
कदे कति बेढंगा बरसै भाई यो लीले तम्बू आला
कदे फसल तबाह होज्या कदे होवै गुड़ का राला
बिजली तक आती कोण्या माच्छरां नै रम्भा लिया।
बड़ी आशा से तमनै सै या सरकार बनाई देखो
कई काम करैगी थारे तमनै आस लगाई देखो
सरकार नै आँते ही बालक की नौकरी हटाई देखो
थारा माल खरीद सस्ते मैं और कीमत बढ़ाई देखो
देखी तेरी हुई तबाही सै आच्छी तरियां ढा लिया।







वोट लिए बहकाकै---330----

वोट लिए बहकाकै
वोट लिए हम बहकाकै ए ईब बिजली के रेट बढ़ाकै
म्हारे तांहिं आँख दिखाकैए कै दिन राज चलैगा रै।
बिजली कितने घण्टे आवै किसान इसपै विचार करै
कम बिजली की तूँ क्यूँ म्हारे सिर पै तलवार धरै
बिलां के उप्पर धमकाकैए बिल धिंगतानै भरवाकै
राज पाट की दिखाकै ए कै दिन राज चलैगा रै।
बिजली की चोरी थारे चमचे रोज हमनै करते देखे
करखनेदारां के एस डी ओ पाणी हमनै भरते देखे
जितनी बिजली होवै पैदाए इसतैं किसनै कितना फैदा
बिना कोये कानून कैदाए कै दिन राज चलैगा रै।
मुफ़्त बिजली पाणी देऊं एक बै न्यों कैह बहकाये
भरपूर बिजली लगातार मिलै वोट थे तणै गिरवाये
कर्मचारी साथ मिलाकै ए बैठ गया कुर्सी पै जाकै
रोज ये झूठी सूँह खाकै एकै दिन राज चलैगा रै।
निजीकरण ना होवण दयूं इनकी घोषणा तणै करी
लारे लप्पे घणे दिए थे जनता नै पीपी तेरी भरी थी
विश्व बैंक तनै धमकावै ए तूँ म्हारे पै छोह मैं आज्यावै
रणबीर सिंह छंद बणावैए कै दिन राज चलैगा रै।

चंद्रा स्वामी की करतूतों की पोल खुलने पर उसी वक्त की थी यह रचना

चंद्रा स्वामी की करतूतों की पोल खुलने पर उसी वक्त की थी यह रचना

लोक राज
लोक राज और लोक लाज का फुटया ढारा देख लिया
जोर जुल्म और ठगी का यो सही नजारा देख लिया
चन्द्रा स्वामी था वो घणा हरामी घणी गहरी जड़ बताई
माफिया का सरदार स्वामी कांग्रेस पै चोखी पकड़ बताई
बी जे पी स्वामी की धौक मारै ज्यां इसमें अकड़ बताई
कमरेडाँ नै ना मुँह लाया बाकी सारी एकै लड़ बताई
यो अपराध जगत का और बी खुल्या पिटारा देख लिया।
बदेशी धन कानून तोड़ कै घणा कमाया स्वामी नै
राजनीति मैं ब्लैक मेल का यो भाव चढ़ाया स्वामी नै
कोये कुछ नहीं कैह सकता यो लंगोट घुमाया स्वामी नै
बलात्कार के काण्ड रचाये घणा जुल्म कमाया स्वामी नै
धर्म तन्त्र बाबा तंत्र का राज गेल्याँ डंगवारा देख लिया ।
मुनाफा खोरी म्हारे देश मैं अपणे पैर फैलारी क्यों
हजारां करोड़ का टैक्स बकाया म्हारी अक्ल मारी क्यों
कब्जा करकै  धरती दाब ली ना होती खत्म बीमारी क्यों
समाज व्यवस्था नंगी होकै आज इतनी लूट मचारी क्यों
चन्द्रा स्वामी का गुलाम हुया यो राव हमारा देख लिया ।
इस समाज व्यवस्था मैं आज सड़ांध मारती दीखै सै
चन्द्रा स्वामी भगत बणै साथ मैं उमा भारती दीखै सै
कहै रणबीर सिंह न्यों मरता गरीब बेचारा देख लिया ।
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भारत देश है मेरा

भारत देश है मेरा
जहां डाल डाल पर गरीब जनता का बसेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
जहां झूठ और धर्म का पग पग पे अँधेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
जहां की धरती पे लुटेरे जपें प्रभु की माला
तीजा बच्चा भूखा मारें जहां चौथी बाला
जहाँ नफरत ने डाला चारों तरफ है डेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
जहाँ खड़े ऊंचे ऊंचे ये मंदिर और शिवाले
रोटी खातिर भटकें हैं या बच्चे भोले भाले
जहां जले है गुजरात गऊ नाम पे मरे कमेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
बीच लुटेरों  की नगरी गरीब दुःख झेल रहे
मन्दिर मस्जिद पे जहाँ खूनी खेल खेल रहे
जहां नफरत की बंशी बजाये है मुरारी मेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा







बी जे पी

बी जे पी

साम्प्रदायिक बी जे पी या चालै चाल कुढ़ाली।
धर्म के नामै लोग डसेन्जा या सै नागण काली।
सिख ईसाई मुस्लिम गेल्याँ हिंदुओं को लड़ाती है
और दूसरा काम नहीं या हांडै खून कराती है
झूठी अफवाह फैला फैला दंगे आड़ै छिड़ाती है
डंडे खड़ाऊ ईंट पुजाकै गणेश को दूध पिलाती है
कई हजारों लोग मराती देखी या तेरा ताली ।
या  लोगां की लाशां उप्पर रोटी सेंकती रैह सै
कदसी जनता लड़ै धर्म पै बाट देखती रैह सै
तावल करकै होवै लड़ाई बोल फैंकती रैह सै
संस्कृति नष्ट होगी झूठ के खेल खेलती रैह सै
गुमराह करती रैह लोगां नै सै चम्भो चाली।
या स्वर्णां की पार्टी सै या गरीबाँ नै लुटवावै
ऐस सी बी सी जाट गुजरां तैं बांस घणी आवै
सेठां के अखबारां मैं इसकी खबर घणी छावै
अमरीका की पिठू सै या ठेके इणनै दुवावै
लोग मरावण का ठेका ठावै बचियो हाली पाली।
अंग्रेज सिंह या मेहनतकश को कट्ठे होण ना देहरी सै
मेहनतकश जब लड़ै लड़ाई चाल चलै या गहरी सै
घूम घूम रथ पै दंगे कराते मन्दिर मस्जिद ढहरी सै
या कांग्रेस की बालण सै लोगो न्यारा झंडा लेहरी सै
गौरे पिठू चाल पकड़ रहे इब्बी गोरयां आली।