Wednesday, 10 December 2014

गरज गरज के प्यारे

दादा पंडित लखमी चन्द की एक रागनी
गरज गरज के प्यारे
देखे मर्द नकारे हों सैं गरज गरज के प्यारे हों सैं
भीड़ पड़ी मैं न्यारे हों सैं तज कै दीन ईमान नै।।
जानकी छेड़ी दशकन्धर नै,गौतम कै गया के सोची इन्द्र नै
रामचन्द्र नै सीता ताहदी,गौरां षिवजी नै जड़ तैं ठादी
हरिश्चन्द्र  नै भी डायण बतादी के सोची अज्ञान नै।।
मर्द किस किस की ओड घालदे, डबो दरिया केसी झाल दे
निहालदे मेनपाल नै छोड़ी , जलग्यी घाल धर्म पै गोड़ी
अनसूइया का पति था कोढ़ी,वा डाट बैठगी ध्याान नै।।
मर्द झूठी पटकैं सैं रीस, मिले जैसे कुब्जा से जगदीश
महतो नै शीष बुराई धरदी,गौतम नै होकै बेदर्दी
बिना खोट पात्थर की करदी खोकै बैठगी प्राण नै।।
कहैं सैं जल शुद्ध पात्र मैं घलता लखमीचन्द कवियों मैं रलता
मिलता जो कुछ करया हुया सै, छन्द कांटे पै धरया हुया सै
लय दारी मैं भरया हुया सै, देखो तसे मिजान नै।।

साच्ची बात


बाजे भगत जी की एक रागनी सम सामयिक मुद्ये को छूती हुई
साच्ची बात कहण मैं सखी हुया करै तकरार।।
दगाबाज बेरहम बहन ना मरदां का इतबार।।
रंगी थी सती प्रेम के रंग मैं, साथ री बिपत रुप के जंग मैं
दमयन्ती के संग मैं किसा नल नै करया ब्यौहार
आधी रात छोड़ग्या बण मैं लिहाज षरम दी तार।।
सखी सुण कै क्रेाध जागता तन मैं  मरद जले करैं अन्धेरा दिन मैं
चौदहा साल दुख भोगे बण मैं,ना तज्या पिया का प्यार
फेर भी राम नै काढ़ी घर तैं, वा सीता सतवन्ती नार।।
बात हमनै मरदां की पागी,घमन्ड गरुर करै मद भागी
बिना खोट अन्जना त्यागी, करया पवन नै अत्याचार
काग उडाणी बणा दई, हुया इसा पवन पै भूत सवार।।
खोट सारा मरदां मैं पाया, षकुन्तला संग जुल्म कमाया
गन्धर्व ब्याह करवाया दुश्यन्त नै, कर लिए कौल करार
शकुन्तला ना घर मैं राखी , बण्या कौमी गद्दार।।